तिरुपति से कर्ज वसूल बदरीशपुरी लौटे कुबेर
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अपनी खाली झोली भरने के लिये भक्त भगवान नारायण की शरण में आते हैं, लेकिन भक्त वत्सल भगवान बदरी नारायण तो स्वयं कुबेर जी के कर्जदार हैं। इसी कर्ज की वसूली के लिए प्रतिवर्ष यात्रा के दौरान कुबेर जी गर्भ गृह में विराजमान होते हैं, लेकिन मूलधन के बजाय सिर्फ ब्याज ही वसूल हो पा रहा है।
इस संबंध में बदरीशपुरी में दो कथाएं प्रचलित हैं। पौराणिक धर्म कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने कुबेर से कर्ज लिया था जिसे जल्द ही लौटाने का वादा भी उन्होंने किया था, किन्तु परिस्थितिवश भगवान कुबेर से लिया कर्ज वापस नहीं कर सके।
अधिक वक्त गुजरने के कारण कुबेर को धन की चिन्ता सताने लगी और उन्होंने निश्चय किया कि स्वयं ही बदरीधाम आकर भगवान विष्णु के पास छह माह रहेंगे और जैसे जैसे धन आयेगा तो उन्हें भी उनकी रकम वापस मिलती रहेगी, लेकिन कुबेर द्वारा कर्ज दिया गया धन इतना अधिक था कि इस पर अत्यधिक ब्याज चढ़ता गया और आज भी भगवान विष्णु कुबेर का दिया हुआ ऋण पूरी तरह नहीं लौटा सके। बाकी बचे धन की वसूली के लिये आज (रविवार को) कुबेर जी फिर बदरीधाम पहुंचे।
अब वह अपने दिए गए धन की वापसी के लिए छ: माह तक भगवान बदरी विशाल के साथ रहेंगे। दूसरी कथा के अनुसार, भगवान तिरुपति द्वारा कुबेर से लिये गये कर्ज को वसूल करने के लिये कुबेर छह माह तिरुपति बालाजी जाते हैं।
धर्म शास्त्रों के अनुसार तिरुपति भगवान जब राजकन्या पद्मावती से विवाह करना चाहते थे तो इस विवाह को राजसी ठाठबाट से करने के लिए तिरुपति भगवान ने कुबेर जी से धन कर्ज लिया था। धर्म शास्त्रों के अनुसार राजकुमारी पद्मावती के पिता की शर्त थी कि अगर तिरुपति राजसी ठाठबाट से विवाह करेंगे तो ही वे पद्मावती का हाथ उनके हाथ में देंगे।
माधव जी तो थे गरीब ब्राहमण, सो उन्होंने भी धन के राजा कुबेर से कर्ज तो ले लियापर चुकाया नहीं। इसी वसूली के लिये शीतकाल के दौरान कुबेर जी तिरुपति बालाजी जाते हैं और फिर लौट कर कपाट खुलने पर अपने मूल स्थान बदरीनाथ पहुंचते हैं।
''तिरुपति भगवान जब राजकन्या पद्मावती से विवाह करना चाहते थे, तो पद्मावती के पिताजी की शर्त थी कि बारात राजसी ठाठ बाट से आये। माधव जी गरीब ब्राहमण थे, और उनके पास कुछ नहीं था। इसीलिये हिमालय में आकर कुबेर जी से कर्जा लिया, और तब हर वर्ष सूद देने की बात कही गई थी। तिरुपति जी मनौतियों के देवता हैं और प्रतिवर्ष शीतकाल में कुबेर जी उनसे अपनी वसूली करते हैं।''
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7695513.html