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Religious Places Of Uttarakhand - देव भूमि उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध देव मन्दिर एवं धार्मिक कहानियां
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सुधीर चतुर्वेदी
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Nanda Raj Jat Story - नंदा राज जात की कहानी
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Topic: Nanda Raj Jat Story - नंदा राज जात की कहानी (Read 142366 times)
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720
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राजजात यात्रा : सिद्धपीठ देवराड़ा में छह माह प्रवास करती है मां श्रीनंदा
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Reply #180 on:
September 07, 2012, 01:04:15 AM »
राजजात यात्रा : सिद्धपीठ देवराड़ा में छह माह प्रवास करती है मां श्रीनंदा
[/t][/t] कर्णप्रयाग। देवभूमि उत्तराखंड में देवता भी रिश्ते-नाते के बंधन निभाते हुए परंपराओं का एहसास दिलाते हैं। मां श्रीनंदा भी इन्हीं रिश्तों की परंपरा का निर्वहन करने के लिए कुरुड़ से वैदनी तक होने वाली लोकजात के बाद छह माह तक अपनी नानी के गांव देवराड़ा में प्रवास करती हैं। इस दौरान यहां मां की पूजा गौड़ जाति के ब्राह्मण करते हैं।
गढ़वाल-कुमाऊं में आराध्य मां श्रीनंदा के साथ देवी और भक्त का रिश्ता नहीं बल्कि अपनेपन का भी है। मां श्रीनंदा को यहां बेटी, बहन, बहू, नातिन (पोती) के रूप में भी पूजा जाता है। सिद्धपीठ कुरुड़ (घाट) से प्रतिवर्ष भादो माह में आयोजित लोकजात में इन रिश्तों की मिसाल देखने को मिलती है। एक तरफ कुरुड़ से अपनी ध्याण की विदाई में भक्तों की अश्रुधारा उनकी भक्ति एवं स्नेह को बयां करती है तो दूसरी तरफ देवाल क्षेत्र में रिश्तों के अटूट बंधन ननिहाल देवराड़ा पहुंचने पर दिखाई देते हैं।
प्राचीन मान्यता
किवदंतियों के अनुसार मां श्रीनंदा ने लोकजात से वापसी के दौरान एक बार छह माह तक के लिए बधाणगढ़ी में प्रवास करने को कहा। देवी के आदेश पर बधाण के थोकदारों, चौदह सयानों एवं कुरुड़ के गौड़ ब्राह्मणों ने मां नंदा की मूर्ति सोने-चांदी की डोली में स्थापित कर बधाणगढ़ी में पूजा-अर्चना शुरू की। किन्हीं कारणों से कुछ समय बाद देवी को तुंगेश्वर में स्थापित किया गया लेकिन देवी ने पुन: अपनी इच्छा देवराड़ा में रहने की जताई, जिस परंपरा का आज भी निर्वहन हो रहा है।
देवराड़ा में देवताओं का वास
प्रतिवर्ष कुरुड़ से वैदनी कुंड तक आयोजित होने वाली लोकजात (लोकजात) में नंदा सप्तमी को वैदनी में पूजा-अर्चना के उपरांत वापसी में मां नंदा वांक गांव होते हुए देवराड़ा पहुंचती हैं। यहां सिद्धपीठ मंदिर के गर्भगृह में छह माह के लिए देवी को स्थापित किया जाता है। देवराड़ा को देवता की निवासस्थली माना जाता है।
इनका कहना है
सिद्धपीठ देवराड़ा को मा नंदा का ननिहाल माना जाता है। मां नंदा लोकजात के उपरांत यहां छह माह तक प्रवास करती हैं। इस दौरान यहां देवी दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रहती है।
-भुवन चंद्र हटवाल, अध्यक्ष श्रीनंदादेवी राजराजेश्वरी मंदिर समिति देवराड़ा
http://www.amarujala.com/city/Chamoli/Chamoli-48380-142.html
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Gourav Pandey
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Re: Nanda Raj Jat Story - नंदा राज जात की कहानी
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Reply #181 on:
February 15, 2013, 10:03:36 AM »
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विनोद सिंह गढ़िया
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Re: Nanda Raj Jat Story - नंदा राज जात की कहानी
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Reply #182 on:
February 18, 2013, 03:11:32 PM »
श्री नन्दा देवी राजजात 2013 यात्रा कार्यक्रम।
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विनोद सिंह गढ़िया
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पोस्टर के माध्यम से श्री नन्दा देवी राजजात के 19 पड़ावों की यात्रा।
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Reply #183 on:
March 04, 2013, 04:17:03 PM »
पोस्टर के माध्यम से श्री नन्दा देवी राजजात के 19 पड़ावों की यात्रा।
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विनोद सिंह गढ़िया
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Re: Nanda Raj Jat Story - नंदा राज जात की कहानी
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Reply #184 on:
March 04, 2013, 04:17:48 PM »
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विनोद सिंह गढ़िया
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Re: Nanda Raj Jat Story - नंदा राज जात की कहानी
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Reply #185 on:
March 05, 2013, 01:16:06 PM »
आईये आज जाने श्री नन्दादेवी राजजात यात्रा के तीसरे पड़ाव के बारे में।
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विनोद सिंह गढ़िया
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Re: Nanda Raj Jat Story - नंदा राज जात की कहानी
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Reply #186 on:
March 06, 2013, 03:11:57 PM »
सज्जनों आईये आज जानें श्री नन्दादेवी राजजात के चतुर्थ पड़ाव के बारे में।
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विनोद सिंह गढ़िया
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Re: Nanda Raj Jat Story - नंदा राज जात की कहानी
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Reply #187 on:
March 07, 2013, 03:40:24 PM »
आईये जानते हैं श्री नन्दादेवी राजजात के पांचवें पड़ाव के बारे में।
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विनोद सिंह गढ़िया
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Re: Nanda Raj Jat Story - नंदा राज जात की कहानी
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Reply #188 on:
March 08, 2013, 02:16:36 PM »
सज्जनों जैसा कि आपको मालूम है 'मेरा पहाड़ डॉट कॉम नेटवर्क' हिमालयी महाकुम्भ 'श्री नन्दादेवी राजजात' के 19 पड़ावों की जानकारी पोस्टर के माध्यम से आपके सम्मुख रख रहा है। इसी कड़ी में प्रस्तुत है राजजात के छठे पड़ाव के बारे में कुछ जानकारी।
(विनोद गढ़िया)
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विनोद सिंह गढ़िया
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Re: Nanda Raj Jat Story - नंदा राज जात की कहानी
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Reply #189 on:
March 09, 2013, 12:20:55 PM »
प्रस्तुत है श्री नंदादेवी राजजात के सातवें पड़ाव के बारे में कुछ जानकारी।
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