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उत्तराखंड की इस पावन भूमि को दुसरे शब्दों में देव भूमि के रूप में जाना जाता है! मतलब वह भूमि जहाँ देवी देवता निवास करते है, जहाँ पर हजारो ऋषि मुनियों ने जन कल्याण के तपस्याए की है! जन मानस में देव भूमि में होने वाली पूजा पाठ एव धार्मिक रीति रिवाजो में अटूट श्रद्धा है! संतान की प्राप्ति के लिए भी देव भूमि जगह पर दीये हाथ में लाकर पूजा करने की प्रथा है! इस टॉपिक में उत्तराखंड के विभिन्न धार्मिक स्थलों पर होने वाली संतान प्राप्ति पूजा के बारे में जानकारी देंगे!
Here is the first Information about Kamleshwar Temple Garhwal गोद भरने को 210 ने की खडे़ दीए पूजा November 27, 2012
श्रीनगर। बैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर पौराणिक रूप से संतान और सुख प्राप्ति के लिए होने वाले खड़े दीये की पूजा में 210 श्रद्घालुओं ने भाग लिया। कमलेश्वर महादेव मंदिर में हजारों लोगों ने पहुंचकर वर्ष भर के पापों के निवारण के लिए 365 बत्तियों का दीप जलाया। शाम पांच बजे से मंदिर परिसर भक्तों से भरना शुरू हुआ। रात भर मंदिर परिसर में चहल पहल बनी रही।
खड़े दीए पूजा में इस वर्ष पिछले वर्ष से अधिक दंपतियों ने भाग लिया। इस मौके पर दीवड़ियों को देखने तथा भगवान कमलेश्वर महादेव का आशीष लेने के लिए हजारों भक्तों की भीड़ मंदिर परिसर में मौजूद रही। आस-पास के गांवों से भी बड़ी संख्या में भक्तों की टोलियां भजन-कीर्तनों के लिए मंदिर में पहुंचे हैं। कमलेश्वर मंदिर में मुहूर्त के अनुसार, ठीक पांच बजे महंत आशुतोष पुरी ने पूजा-अर्चना शुरू की तथा खड़े दीये के लिए दंपतियों को आशीष दिया। साढ़े पांच बजे से खड़े दीए की पूजा विधिवत शुरू करा दी गई। गत वर्ष 198 दंपत्तियों ने खड़ा दीया किया था, जो इस वर्ष बढ़कर 210 पहुंच गया है। महंत के साथ पंडित दुर्गा प्रसाद बमराड़ा, मुरलीधर घिल्डियाल, प्रकाश चंद्र कंकरियाल, नवीन बलूनी आदि ने पूजा-अर्चना में सहयोग किया।
ऐसे होती है खडे़ दीए की पूजा
खड़ा दीया पूजा कर रही महिलाएं दो जुड़वा नींबू, श्रीफल, दो अखरोट, पंचमेवा, चावल अपनी कोख से बांधकर घी से भरा दीपक लेकर रात्रि भर खड़ी रहती हैं। महिला के थक जाने पर उसके पति या अन्य पारिवारिक सदस्य कुछ देर के लिए दीपक हाथ में ले लेते हैं।
(source amar ujala)
M S Mehta