गैरसैण राजधानी बनाने का तो हमारे राजनेताओ व नौकरशाहो का रुख कभी रहा ही नही है॑ पर इस राज्य को बने १० वर्ष होने वाले हैं किसी सरकार ने गैरसैण के विकास के लिए भी कुछ नही किया आज भी गैरसैण वही पिछ्ड़ा क्षेत्र बन हुआ है अगर इन राजनेताओ को कुछ भी शर्म होती तो कम से कम इस प्रदेश की जनता व शहीदों के सम्मान हेतु गैरसैण मे कोइ अस्पताल, कालेज या स्टेडियम जैसा कोई जनहित का आस्थान तो स्थापित करते
आज सबकुछ देहरादून में सिमट कर रह गया है और इस शान्त नगर को भु-माफ़ियाओं, अप्रराधियो, जालसाजो और कन्क्रीट का जंगल बन दिया है
गैरसैण के राजधानी बनने मे नौकरशाही और सत्ताधारी राजनेता ही सबसे बड़ी बाधा रहे हैं जो देहरादून जैसे नगर के रंगीनिया छोड़कर एक नये इलाके में जाने को कभी तैयार नही होंगे॑ अगर ऐसा न होता तो राजधानी चयन आयोग के नाम पर करीब आठ वर्ष तक एक ऐसे व्यक्ति को जिसका इस प्रदेश से दूर दूर तक कोइ लेना देना नही था को सरकारी पैसे से ऐश करवाना, क्या इस प्रदेश की जनता के साथ छ्ल नही है?
इस खेल में सभी राजनैतिक दल शामिल है, मै उत्तराखण्ड क्रान्ति दल को राजनैतिक दल नही मानता क्योंकि जिस दल में कार्यकर्ता कम और नेता अधिक हों, जिस दल के अध्यक्ष चुनाव में १०,००० वोट भी नही ला सके, और दुसरे नेता सत्ताधारी पार्टी की गोद में बैठे हों, ऐसे दल से राजनैतिक परिवर्तन की उम्मीद करना बेकार है