Author Topic: History of Haridwar , Uttrakhnad ; हरिद्वार उत्तराखंड का इतिहास  (Read 54683 times)

Bhishma Kukreti

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                     Rise and Fall of Kushans in India referring History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur
                                हरिद्वार , बिजनौर ,  सहारनपुर   इतिहास  संदर्भ में भारत में कुषाण साम्राज्य
                   Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  -  165                   
                                                हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -  165               


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती

       
                                कुशाण जाति आगमन

   शकों की हराकर पहलवों ने शासन किया और पहलवोँ को हराकर कुशाण राजाओं ने भारत में प्रवेश किया।
 प्राचीन  साहित्य में कुशाण जाति की पहचान तुषार या तोखारी जाति से की जाती है (सभापर्व  , महभारत ) । कुणिंद जनपद के निवासियों में पारद व तुषार दोनों का उल्लेख मिलता है  (सभापर्व , महाभारत )।
 
                        कुषाणों का भारतीय संस्कृति से परिचय व प्रभावित होना

                    कुषाणों द्वारा भारत प्रवेश से पहले ही भारतीय संस्कृति से परिचय हो चुका था व कुशाण भारतीय संस्कृति से परिचित भी थे।  गांधार आदि क्षेत्रों में मौर्य काल से ही कुशाण कांठे खोतन प्रदेश में अपना उपनिवेश बनाकर उसे सांस्कृतिक दृष्टि से भारत का भाग बना चुके थे (पुरी )।

                              कुजुल कदफिस्
 
  भारत में यवन , शक , पह्लव और कुशाण राजयविधि के बारे में इतिहासकारों के मध्य एका नही है।
           अनेक विद्वानों का मत है कि ईशा के प्रथम शती के पूर्वार्ध में कुशाण नरेश कुजुल कदफिस् ने पह्लव नरेश से उसकी राजधानी तक्षशिला छीन ली थी समकालीन , यवन , शक व पह्लवि शाशकों को कदफिस् की अधीनता स्वीकार करनी पड़ी थी (बंदोपाध्याय )।
               पश्चिम की ओर कदफिस् का साम्राज्य मर्व तक था बैक्षु (ऑक्सस ) नदी के प्रसिद्ध व्यापारिक मार्ग पर कदफिस् का नियंत्रण था (पुरी ) ।
             कदफिस् की मुद्राओं में कुछ पर बैठे हुए बुद्ध का चित्र मिलता है।  इससे पहले भारत में बुद्ध का मानवचित्र नही मिलता है। कदफिस् के मुद्राओं में खरोष्ठी में  ' महरयस रयरस देवपुत्रस ( महराजस्य , राजराजस्य देवपुत्रस्य ) अंकित है। कदफिस् ने ध्रमठित का विरुद भी धारण किया था।  इससे साफ़ जाहिर है कि कदफिस् बौद्ध धर्म से प्रभावित था।
        कदफिस् को ही कुशाण सम्राज्य का पहला राजा माना जाता है और उसने 80 साल तक राज य किया।


कुशाण इतिहास संदर्भ -
पुरी , इण्डिया अंडर कुषाणज
महाभारत
बंदोपाध्याय - प्राचीन मुद्राएं
 घ्रिशमैन , ईरान
एलन - क्वाइन्स ऑफ अन्सिएंट इण्डिया
राहुल , मध्यएशिया का इतिहास
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड का इतिहास भाग -३

Copyright@ Bhishma Kukreti  Mumbai, India  17/8 /2015

   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --166
 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -166

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कनखल , हरिद्वार का इतिहास ; तेलपुरा , हरिद्वार का इतिहास ; सकरौदा ,  हरिद्वार का इतिहास ; भगवानपुर , हरिद्वार का इतिहास ;रुड़की ,हरिद्वार का इतिहास ; झाब्रेरा हरिद्वार का इतिहास ; मंगलौर हरिद्वार का इतिहास ;लक्सर हरिद्वार का इतिहास ;सुल्तानपुर ,हरिद्वार का इतिहास ;पाथरी , हरिद्वार का इतिहास ; बहदराबाद , हरिद्वार का इतिहास ; लंढौर , हरिद्वार का इतिहास ;बिजनौर इतिहास; नगीना ,  बिजनौर इतिहास; नजीबाबाद , नूरपुर , बिजनौर इतिहास;सहारनपुर इतिहास;  Haridwar Itihas, Bijnor Itihas, Saharanpur Itihas
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Bhishma Kukreti

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    Kushan King Vima Kadphises with reference History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur

                              कुषाण राजा विम कदफिस् व हरिद्वार स ,  बिजनौर   , सहारनपुर   इतिहास


                  Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  -  166
                   
                         
                     हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 166               


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती


 कुशाण नरेश कुजुल के बाद उसका पुत्र विम ने राज्यभार संभाला और कुशाण साम्राज्य को कपिशा -गांधार से पूर्व की और कुरु -पांचाल और काशी तक पंहुचा दिया।
       कुशाण नरेश विम ने अनेक प्रकार की मुद्राएं प्रचलित कीं जो तक्षशिला से लेकर पूर्व में तिरहुत तक मिलीं हैं।
उसकी कुछ स्वर्णमुद्राओं पर शिव मूर्ति अंकित हैं।  कुछ में नंदी अंकित है।  रजत मुद्रा पर शिरस्त्राण , लम्बा कोट , पायजामा के साथ विम खड़ा मिलता है। उसके आगे वेदी और त्रिशूल है, पीछे धनद व आगे शायद कोई पात्र है।

  कुशाण नरेश विम  के ताम्रमुद्राओं में द्विभुज शिव भारतीय वेश भूषा में जटायुक्त , बाएं कंधे में व्याघ्र चर्म लटकाये व दायीं भुजा में त्रिशूल लिए खड़े मिलते हैं। बाएं कंधे पर नृकपाल व पुष्पों की माला है। नंदी पीची खड़ा है और शिव तनिक नंदी का सहारा लिए खड़े हैं।
      इन अन्य मुद्रा में त्रिशूल के साथ परुष लिए भी हैं।
           विम की मुद्राओं में हिन्दू देवता अंकन होने का अर्थ है कि विम की शैवमत में अपार श्रद्धा थी
  विम की मुद्राओं में उसका विरुद है - 'महरजस राजधिरज सर्वलोग इश्वरस माहीश्वरस विमकदफिसस ( महाराजस्य राजधिराजस्य सर्वलोकईश्वरस्य  माहेश्वरस्य विमकदफिसस्य ) मिलता है।
               उसकी एक मुद्रा में अग्रभाग में वह ऊँची टोपी तथा लम्बा लवाड़ा पहने खड़ा है , दाहिने और हवनकुंड व बाएं हाथ में परशु है। 




Copyright@ Bhishma Kukreti  Mumbai, India  /8 /2015

   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --167

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -167


      Kushan King Vima Kadphises,  Ancient History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ,  ;   Kushan King Vima Kadphises,  Ancient History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ;    Kushan King Vima Kadphises, Ancient History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ;   Kushan King Vima Kadphises,  Ancient  History of Telpura Haridwar, Uttarakhand  ;   Kushan King Vima Kadphises,  Ancient  History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;    Kushan King Vima Kadphises, Ancient  History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ;    Kushan King Vima Kadphises, Ancient   History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand  ;  Kushan King Vima Kadphises,  Ancient  History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand  ;    Kushan King Vima Kadphises, Ancient History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ;    Kushan King Vima Kadphises, Ancient  History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ;    Kushan King Vima Kadphises,   Ancient History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ;    Kushan King Vima Kadphises,   Ancient  History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ;      Kushan King Vima Kadphises,Ancient History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ;     Kushan King Vima Kadphises,Ancient History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar;    Kushan King Vima Kadphises,    History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;    Kushan King Vima Kadphises,  Ancient History of Bijnor;    Kushan King Vima Kadphises,  Ancient  History of Nazibabad Bijnor ;    Kushan King Vima Kadphises,  Ancient History of Saharanpur;   Kushan King Vima Kadphises,  Ancient  History of Nakur , Saharanpur;     Kushan King Vima Kadphises, Ancient   History of Deoband, Saharanpur;   Kushan King Vima Kadphises,    Ancient  History of Badhsharbaugh , Saharanpur;   Kushan King Vima Kadphises,  Ancient Saharanpur History,   Kushan King Vima Kadphises,    Ancient Bijnor History;
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                 Kushan King Vima Kadphises  capturing Uttarakhand including Haridwar
                          कुषाण नरेश  विम कदफिस का उत्तराखंड पर अधिकार

                        Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  -  167                                                                     हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 167               


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती

        कुषाण काल के सिक्के मुल्तान से सहारनपुर  व उत्तराखंड तक में पाये गए हैं (उपेन्द्र सिंह व डबराल ). उत्तरभारत में बसरा , भीता और कसिया तक विम मुद्राओं के मिलने से अनुमान सही ठहरता है कि विम का शासन उत्तर भारत में बड़े भाग पर था।  विद्वानो का मत है कि विष्णु पुराण का चक्रवर्ती सम्राट वेन ही कुषाण नरेश विम है।
  लोक गाथाओं के अनुसार विम कदफिस ने केसरीयस्तूप का निर्माण किया था।  इंदौरखेड़ा (बुलंदशहर ), एटा के अंतरजीखेड़ा , अलवर व मध्यभारत में कुछ दुर्गों का निर्माण विम कदफिस ने किया था।
                                        हरिद्वार में वेन किला

        कम से कम उत्तरखंड के दक्षिण भाग पर विम का अधिकार था।  मायापुर (हरिद्वार )  में उसने एक सुदृढ़ दुर्ग का निर्माण किया था। जो राजा वेन का किला कहलाया जाता था। डबराल कनिंघम के संदर्भ से लिखते हैं कि 1869 तक दुर्ग के खंडहर 250 गज तक गंगा नहर के किनारे बिखरे थे। वहीं प्राचीन नगर के अवशेष सूचक ऊँचे ऊँचे टीले थे , जिनकेऊपर ईंटों के टुकड़े बिखरे पड़े थे।  बड़ा टीला नहर के पुल के पास था।
            ईरान के इतिहास से पता चलता है कि ईरान के हेरात से सिंधु नदी के मुहाने , भरुकच्छ ,  हरिद्वार तक उसका शासन था।  विम कदफिस का कई व्यापारिक सड़कों पर अधिपत्य था।
       विम कदफिस की मृत्यु के पश्चात इस परिवार का राज्यांत भी हो गया और दोनों नरेश बौद्ध  या शैव्य धर्मों के अनुयायी थे। 


Copyright@ Bhishma Kukreti  Mumbai, India 30 /8 /2015

   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --168
 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -168

      Ven Fort, Haridwar, Ancient History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ;   Ven Fort, Haridwar, Ancient History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ; Ven Fort, Haridwar,    Ancient History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ;  Ven Fort, Haridwar,   Ancient  History of Telpura Haridwar, Uttarakhand  ;  Ven Fort, Haridwar,   Ancient  History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ;   Ven Fort, Haridwar, Ancient   History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand  ;  Ven Fort, Haridwar, Ancient  History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand  ;  Ven Fort, Haridwar,   Ancient History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ; Ven Fort, Haridwar,    Ancient  History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ;  Ven Fort, Haridwar,     Ancient History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ; Ven Fort, Haridwar,      Ancient  History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ;  Ven Fort, Haridwar,    Ancient History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ; Ven Fort, Haridwar,   Ancient History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar;  Ven Fort, Haridwar,     History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Bijnor; Ven Fort, Haridwar,    Ancient  History of Nazibabad Bijnor ;  Ven Fort, Haridwar,    Ancient History of Saharanpur;  Ven Fort, Haridwar,   Ancient  History of Nakur , Saharanpur;  Ven Fort, Haridwar, Ven Fort, Haridwar,    Ancient   History of Deoband, Saharanpur;  Ven Fort, Haridwar,     Ancient  History of Badhsharbaugh , Saharanpur;   Ven Fort, Haridwar,  Ancient Saharanpur History,   Ven Fort, Haridwar,   Ancient Bijnor History; कनखल , हरिद्वार का इतिहास ; तेलपुरा , हरिद्वार का इतिहास ; सकरौदा ,  हरिद्वार का इतिहास ; भगवानपुर , हरिद्वार का इतिहास ;रुड़की ,हरिद्वार का इतिहास ; झाब्रेरा हरिद्वार का इतिहास ; मंगलौर हरिद्वार का इतिहास ;लक्सर हरिद्वार का इतिहास ;सुल्तानपुर ,हरिद्वार का इतिहास ;पाथरी , हरिद्वार का इतिहास ; बहदराबाद , हरिद्वार का इतिहास ; लंढौर , हरिद्वार का इतिहास ;बिजनौर इतिहास; नगीना ,  बिजनौर इतिहास; नजीबाबाद , नूरपुर , बिजनौर इतिहास;सहारनपुर इतिहास;  Haridwar Itihas, Bijnor Itihas, Saharanpur Itihas
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Bhishma Kukreti

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                  Freedom by Kshatrapas from Vim Kingdom
                                क्षत्रपों द्वारा स्वंत्रता घोषित करना

               Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  -  168                   
                                                हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -   168             


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती

         अनुमान किया जाता है कि विम का कोई पुत्र न था।  उसकी मृत्यु होते ही उसके क्षत्रपों ने स्वतंत्रता घोषित कर दी।  इनमे से निम्न क्षत्रपों  मुद्राएं मिलीं हैं (पुरी , इण्डिया अंडर कुषाणाज )-
तक्षशिला - जिओनिसेस
अभिसार - शिवसेन
उज्जैन - चष्टन व रुद्रदामन
मथुरा - सोतर मेगस
उज्जैन - विम राजयकाल में विम के क्षत्रपों -चष्टन व नहपान की मुद्राएं
मथुरा के सोतर मेगसको उपाधि माना जा सकता है।  उसकी मुद्राओं पर राजा नाम नही अंकित है। इस अज्ञात नाम नरेश का प्रभाव क्षेत्र कुरु , पंचाल और उत्तराखंड तक माना जा सकता है।
विम की मृत्यु पश्चात 20 -25 साल तक क्षेत्रीय सत्ता का शासन रहा होगा।  इस अवधि में उत्तराखंड , बिजनौर , सहारनपुर की राजनैतिक स्थिति जानने के लिए कोई सामग्री नही मिली है।



Copyright@ Bhishma Kukreti  Mumbai, India  31/8 /2015

   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --169
 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -169

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                    हरिद्वार  ,  बिजनौर   , सहारनपुर   इतिहास संदर्भ में सोतर मेगस       

       Soter  Megas  with reference -Ancient  History of Haridwar,  Bijnor,   History

Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  -  169
                     
                           
                     हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 169                 


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती 


        सोतर मेगस की मुद्रायें मथुरा से लेकर पंजाब , कंधार -काबुल मिलें हैं।  इसलिए वीम शाशनकाल में यह क्षत्रप बड़ा प्रभावशाली रहा होगए व इसका क्षेत्र बड़ा विस्तृत रहा होगा।
    सोतर मेगस इस क्षत्रप की उपाधि मात्र है जिसका अर्थ महरक्षक है।  खरोष्ठी लिपि के लेखों में भी ' महरजस रजदिरजस महतस त्रतरस ' (महाराजस्य राजधिराजस्य महतस्य त्रातरस्य ' अंकित है।  इस नामधारी राजा का क्षेत्र मथुरा से काबुल तक मालूम पड़ता है।
 विद्वानों का  मत है कि वीम की मृत्यु के बाद उसके क्षत्रपों ने 20 -25 वर्षों तक  राज किया और इसी भांति इस अनाम मथुराधीश ने कुषाण राजा के नाम से शासन किया होगा।
इस काल के हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर के बारे में कोई सुचना  प्राप्त नहीं है




कुशाण इतिहास संदर्भ -
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   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --170

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -170


      Ancient History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Telpura Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient  History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient   History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand  ;  Ancient  History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient  History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar;      History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Bijnor;    Ancient  History of Nazibabad Bijnor ;    Ancient History of Saharanpur;   Ancient  History of Nakur , Saharanpur;    Ancient   History of Deoband, Saharanpur;     Ancient  History of Badhsharbaugh , Saharanpur;   Ancient Saharanpur History,     Ancient Bijnor History;
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 Kanishka The Kushan King in context History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur 

          हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ  में कनिष्क (78 -101 A . D . )

                     Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  - 170
                     
                           
                     हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 170                 


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती 

   कनिष्क के राज्यारोहण के बारे में इतिहासकारों में मतैक्य है
       
   कनिष्क और विम की मुद्राओं में राजा की मुद्राओं में बहुत समीता है।  जिससे सिद्ध होता है कि कनिष्क व विम एक ही वंश  से संबंधित थे। हाँ उनके परिवार भिन्न थे।  कनिष्क कुषाण वंशी राजाओं में सबसे महान राजा माना जाता है और उसकी तुलना चक्रवर्ती राजा अशोक से की जाती है। 
                                     कनिष्क का राज्य विस्तार

     कनिष्क का साम्राज्य उत्तर भारत के मध्य देश , उत्तरापथ ,  अपरांत तीनो क्षेत्रों पर शासन था।  उसका साम्राज्य पाटलिपुत्र से , कोंकण , अफगानिस्तान , चीन तक फैला था। कठियावाड़ , सिंध , राजपुाताना व कश्मीर भी कनिष्क के शासित राज्य  थे।
कनिष्क के अभिलेखों की तिथियों से ज्ञात कि उसने पूर्व से पश्चिम की ओर राज्य विस्तार किया होगा (पुरी , इण्डिया अंडर कुशाणाज )  -
राज्य वर्ष ------------------------    अभिलेख स्थान २ ------------------------------    कोसम , जिला अलाहाबाद
३ ----------------------------------   सारनाथ , बनारस जिला
४ व आगे --------------------------- मथुरा
११-------------------------------------सुई विहार , जेद उंड जिला
१८ ----------------------------------- माणिकयाल रावलपिंडी जिला
इस तालिका से विदित होता है कि आरम्भ में कनिष्क मथुरा का क्षत्रप था या उसे मथुरा क्षत्रप की सहायता प्राप्त थी।
माट (मथुरा ) में कुषाण राजाओं का देवकुल स्थापित था और उनकी प्रतिमाएं स्थापित की जाती थीं।  जब कि राजधानी पुष्पपुर (पेशावर ) थी।  मथुरा में देवकुल तभी स्थापित हुआ होगा जब कुषाण वंशी राजाओं का विशेष संबंध मथुरा से रहा होगा।


Copyright@ Bhishma Kukreti  Mumbai, India  29/ 4/2016

   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -


      Kanishka and Ancient History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ;   Kanishka and  Ancient History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ;    Kanishka and Ancient History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ;   Kanishka and  Ancient  History of Telpura Haridwar, Uttarakhand  ;   Kanishka and  Ancient  History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;   Kanishka and  Ancient  History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ;    Kanishka and Ancient   History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand  ;  Ancient  History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand  ;   Kanishka and  Ancient History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ;   Kanishka and  Ancient  History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ;    Kanishka and   Ancient History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient  History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ;  Kanishka and    Ancient History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ;    Kanishka and Ancient History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar;      History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;    Kanishka and  Ancient History of Bijnor;    Kanishka and  Ancient  History of Nazibabad Bijnor ;     Kanishka and Ancient History of Saharanpur;   Ancient  History of Nakur , Saharanpur;    Ancient   History of Deoband, Saharanpur;   Kanishka and    Ancient  History of Badhsharbaugh , Saharanpur;   Ancient Saharanpur History,     Ancient Bijnor History;
कनखल , हरिद्वार का इतिहास ; तेलपुरा , हरिद्वार का इतिहास ; सकरौदा ,  हरिद्वार का इतिहास ; भगवानपुर , हरिद्वार का इतिहास ;रुड़की ,हरिद्वार का इतिहास ; झाब्रेरा हरिद्वार का इतिहास ; मंगलौर हरिद्वार का इतिहास ;लक्सर हरिद्वार का इतिहास ;सुल्तानपुर ,हरिद्वार का इतिहास ;पाथरी , हरिद्वार का इतिहास ; बहदराबाद , हरिद्वार का इतिहास ; लंढौर , हरिद्वार का इतिहास ;बिजनौर इतिहास; नगीना ,  बिजनौर इतिहास; नजीबाबाद , नूरपुर , बिजनौर इतिहास;सहारनपुर इतिहास;  Haridwar Itihas, Bijnor Itihas, Saharanpur Itihas

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             Kanishka Ruling over Uttrakhnd (Haridwar, , Saharanpur and Bijnor)


                         कनिष्क का उत्तराखंड , सहारनपुर , बिजनौर पर अधिकार


                         Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  -  171
                     
                           
                     हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -   171               


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती 


       
  विम ने अपने रजयकाल में पंचनंद व कुरु पांचाल  अधिकार में ले लिए था।  इतिहासकार अनुमान (ऐज ऑफ इम्पीरियल यूनिटी पृष्ठ १६२  ) लगाते हैं कि जब विम मृत्यु पश्चात उसके क्षत्रपों ने स्वतंत्रता  घोषित कर दी तो तक्षशिला , मथुरा के क्षत्रपों का शासन अवश्य ही कुणिंद भूमि पर भी रहा होगा।
पुराणों के अनुसार बिंबस्फाटि  जिसकी पहचान कनिष्क से होती है उस राजा का शासन प्रयाग से लेकर अनुगंगा क्षेत्र (मध्य गंगा क्षेत्र - हरिद्वार इलाका ) तक फैला था। 




Copyright@ Bhishma Kukreti  Mumbai, India 30 /4 /2016

   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -


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                     Kanishka Ruling over Central Asia

              कनिष्क का मध्य एशिया पर अधिकार  (हरिद्वार  ,  बिजनौर  , सहारनपुर इतिहास संदर्भ )

                Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  -  172
                     
                           
                     हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -  172               


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती 


       
 ख्वारेज्म की खुदाई सिद्ध करती है कि (क्रिब जे आदि के अन्वेशनयुक्त लेख ) कनिष्क का साम्राज्य मध्य एशिया में वर्तमान उज़्बेकिस्तान व तजकिस्तान तक प्रसारित था।  कनिष्क ने अपनी पूर्वज भूमि तारिम पर  चाहा तो चीन की सेना से युद्ध करना पड़ा और वह हार गया व चीन सम्राट का करद (सम्राट को कर देने वाल राजा ) बनने हेतु तयार हो गया था।
 कुछ समय पश्चात कनिष्क ने अपनी सेना को पुष्ट किया और तरिम पर आक्रमण कर उसे जीत लिया व साथ में चीनी राजकुमारों को अपने साथ ले गया।  पंजाब में इन चीनी राजकुमारों के निर्वाहन हेतु उसने पंजाब की चिनियारी प्रदेश को निर्धारित किया और चिंयारी की आय से चीनी राजकुमारों का निर्वाह चलता रहा।
           कहा जाता है कि चीनी राजकुमारों ने यहां नाशपाती , आड़ू के पौधे मंगाकर इनकी फसल की शुरुवात की। (घृष्मैन , ईरान -पृष्ठ २८६ )
ख्वारेजम के रेगिस्तान कनिष्क -कुषाण वंश के नगरों के ध्वंस मिले हैं। इसीलिए ईशा की आरम्भिक तीन सदियों को कुशाण  संस्कृति नाम दिया गया है।




Copyright@ Bhishma Kukreti  Mumbai, India  1/ 5/2016

   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --173

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -173


      Ancient History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Telpura Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient  History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient   History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand  ;  Ancient  History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient  History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar;      History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Bijnor;    Ancient  History of Nazibabad Bijnor ;    Ancient History of Saharanpur;   Ancient  History of Nakur , Saharanpur;    Ancient   History of Deoband, Saharanpur;     Ancient  History of Badhsharbaugh , Saharanpur;   Ancient Saharanpur History,     Ancient Bijnor History;
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      Kanishka Coins -Reference to History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur

                                     कनिष्क  मुद्राएं

        Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  -  173
                     
                           
                     हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -   173               


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती 

 कनिष्क की मुद्राएं बुद्धगया में महबोधिमन्दिर के ब्रजासन के तले पायी गई हैं।  बंगाल -बिहार से लेकर उत्तर भारत के कई स्कूटरों में कनिष्क मुद्राएं मिली हैं।  भारत से बाहर और समुद्र में भी  कनिष्क मुद्राएं प्राप्त हुयी हैं। कनिष्क मुद्राओं को टोला जय तो भार कई मन तक होगा।
 कनिष्क मुद्राओं के आगे  के भाग में राजा लम्बा चोगा, नुकीली टोपी , घुटने तक शकीय जुटे पहने हुए , भाला व अंकुश  लिए हुए है। कुछ मुद्राओं में राजा एक हाथ में भाला व दूसरे हाथ में हवन करते हुए है।  पश्च भाग में अनेक भारतीय व विदेशी देवी -देवताओं की छवि अंकित है।
  भारतीय देवी देवताओं में शिव , महासेन , स्कन्द , कुमार , विशाख विशेष रूप से अंकित हैं।
कुजुल के समान कनिष्क मुद्राओं में बुद्ध को प्राथमिकता मिलती है। बुद्ध एक चौकी पर बैठे हैं और दाहिना हाथ अभी मुद्रा में विराजमान हैं और बाम हस्त जंघा के ऊपर  रखा है।
  मुद्राओं में यूनानी लिपि में 'वेसिलियोस वेसिलियोन शाओननो शाओ कनिष्को कुषाणों ' ( राजाओं का राजा शाहनुशाह  कनिष्क कुशाण )   अंकित है।

       





Copyright@ Bhishma Kukreti  Mumbai, India 2 /5 /2016

   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --174

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -174


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                               Art Development in Kanishka Period and  Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur History

 
                                                              कनिष्क युग में ललित कला विकास
                                 
                                Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  -  174
                     
                           
                     हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -   174               


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती 


          कनिष्क की राजधानी पुरुषपुर (पेशावर ) थी और पुरुषपुर को पाटलिपुत्र सम्मान वैभव प्राप्त हो गया था।  इतने बड़े साम्राज्य प्रशासन हेतु विकेंद्रीकरण आवष्यक था इसलिए क्षेत्रीय राजधानियों महत्व बढ़ गया था।  कनिष्क के क्षत्रपों ने कई नगरों की स्थापना की व स्थापय कला में श्रीवृद्धि की। कस्मीर में कनिष्कपुर की स्थापना की गई।
  स्थापत्य , मूर्तिकला में सर्वाधिक विकास हुआ।  भारतीय कल्पनाओं और यवन कौशल से गांधार में नई स्थापत्य शैली उतपन हुयी।  बुद्ध की प्रथम मूर्ति कनिष्क काल में स्थापित हुयी जिस पर यवन प्रभाव पूरा है।  मथुरा में गांधार कला में सुधार हुआ जिसे मथुरा कला कहा जाता है।




Copyright@ Bhishma Kukreti  Mumbai, India  3/ 5/2016

   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -


      Ancient History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Telpura Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient  History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient   History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand  ;  Ancient  History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient  History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar;      History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Bijnor;    Ancient  History of Nazibabad Bijnor ;    Ancient History of Saharanpur;   Ancient  History of Nakur , Saharanpur;    Ancient   History of Deoband, Saharanpur;     Ancient  History of Badhsharbaugh , Saharanpur;   Ancient Saharanpur History,     Ancient Bijnor History;
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