Author Topic: Batuli From Dayal Pandey: दयाल पाण्डे जी की बाटुलि  (Read 15311 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
पाण्डेय जी जबाब नहीं आपका अति सुन्दर और बाडुली तो जरूर लगती हैं आपकी इन कविताओं को पड़कर बहुत मनमोहिनी बाडुली हैं आपकी इन कविताओं में

नवीन जोशी

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 479
  • Karma: +22/-0

Bahut badhiya abhibyakti.

प्रस्तुत कविता उनकी सबसे ताजी रचना है, जो उन्होंने अभी-अभी मुझे भेजी है-

सब हो गया ठप्प, हो गया क्याप्प,
क्यों हुआ, पता नहीं, कैसे हुआ, कसप....!
लिखें-पढे़ तो नौकरी ठप्प,
शाम हुई तो बिजली ठप्प,
ऑफिस चलें तो बाइक ठप्प,
मेल देखें तो साईट ठप्प,
सब हो गया ठप्प, हो गया क्याप्प,
क्यों हुआ, पता नहीं, कैसे हुआ, कसप....!


सरकार बनी तो विकास ठप्प,
बारिश हुई तो निकास ठप्प,
करार हुआ तो विश्वास ठप्प,
बीज बोया तो बरसात ठप्प,
सब हो गया ठप्प, हो गया क्याप्प,
क्यों हुआ, पता नहीं, कैसे हुआ, कसप....!


कब होगा भ्रष्ट्राचार ठप्प?
कब होगा पलायन ठप्प?
कब होगी महंगाई ठप्प?
कब होगा अत्याचार ठप्प?
ये किसे पता नहीं , हो गया क्याप्प,
क्यों हुआ, पता नहीं, कैसे हुआ, कसप....!


Jasbeer Singh Bisht

  • Jr. Member
  • **
  • Posts: 55
  • Karma: +2/-0
Bahut he acha likhte hai aap Dayal Pandey ji....kya khoob kahi hai aapne...sach me agar esa ho jaye to sab log khushali se reh payenge aur duniya se nafrat aur jealousy mit jayegi....

तू तांडव न मचा ए निष्ठुर परिवर्तन
अँधेरा न कर किसी आँगन में
दीप न बुझा किसी घर में
आह न भर किसी मन में
बदलाव ही लाना है तो धरती को चौड़ा कर दे
रेगिस्तान में हरियाली भर दे,
बंजर में फसलें उगा दे
नदी नालूं को पानी से भर दे
परिवर्तन ही लाना है अगर,
क्रोध ,लोभ ,लालच मिटा दे
झूठ फरेब को दिलो से हटा दे
इमानदारी का पाठ सबको पड़ा दे
परिवर्तन ही लाना है अगर
दुनियां से दुराचार हटा दे
प्रसाशको से भ्रष्टाचार हटा दे
सांसदों को शिष्टाचार शिखा दे 
 
 
 

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 669
  • Karma: +4/-2
मेट्रो ने तो राजधानी मै क्या गजब ढाया है
घंटों  का  सफ़र  मिनटों  मैं  कराया  है
सर्दी - गर्मी  से  भी  निजात  मिली  है
रंग बिरंगी जहाँ तहां मेट्रो चली है
अंदर का सीन भी क्या खूब होता है
कोई आराम से बैठा है तो कोई एक टांग पर होता है
कोई लेडीजसीट मैं बैठकर नीद का नाटक करता है
कोई दीवार से लधर कर अखबार पड़ता है
कोई हेड फ़ोन लगाकर मस्त सर हिला रही है
कोई sms भेजे ही जा रही है
वो भाई तो खड़े खड़े ही शुर्ती मल रहा है
एक किनारे पर रोमांस भी चल रहा है
जिंदगी मेट्रो की तरह की बे-रोक चल रही है
एक एक स्टॉप छोड़ आगे निकल रही है
हम इस उम्मीद से ki कभी तो सीट मिलेगी
kabhi to aaram se safar katega
chale ja rahe hain aur chale hi ja rahe hain 
 

 
 
 

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 669
  • Karma: +4/-2
"समर्पण"

क्षण भंगुर जीवन - पथ पर
क्या समर्पण तुम्हें करूँ
धरा करूँ या पातळ करूँ
क्या मैं ये आकाश करूँ
ये सब हैं प्रलय के प्यारे
क्या समर्पण तुम्हें करूँ

गीत करूँ या साज करूँ
या फिर ये आवाज़ करूँ
सांस रुके तो सब रुक जाए
क्या समर्पण तुम्हें करूँ

ताज करूँ या राज करूँ
या सारा प्रताप करूँ
सांथ कभी भी यह रह न पाए
क्या समर्पण तुम्हें करूँ

भक्ति करूँ या शक्ति करूँ
या फिर ये संपत्ति करूँ
दुर्बल पड़े जब काम न आये
क्या समर्पण तुम्हें करूँ

आस करूँ या विस्वास करूँ
फिर सोचूं ये सांस करूँ
मृत्यु के आगे सब झुक जाए
क्या समर्पण तुम्हें करूँ   

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 669
  • Karma: +4/-2
 आओ सजन अब  खेलें होरी   
अबीर गुलाल का धुवां उड़ायें
पिचकारी भर रंग बिखेरें
ढोलक ताल मृदंग बजायें
धूम मचा री  ओ गोरी
आओ सजन अब खेलें होरी
चुनरी मेरी भीगी जाए
मल मल के तू रंग लगाये
रंग वरषा दूँ  तुम पर बालम
ना समझो  मैं    भोली
आओ सजन अब खेलें होरी
मैं रन जाऊ प्रेम के रंग में
होली गाऊ तेरे संग में
ऐसी तान सुना दे मोहन
जो, निंदिया हर ले मोरी
आओ सजन अब खेलें होरी

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 669
  • Karma: +4/-2
              माँ
जो हमारे होने का अहसास होती है
हमें कोख में रख नए नए सपने बुनती है
जो असहनीय पीड़ा सहकर हमें जीवन देती है
हाँ, वो हमारी माँ होती है,
जो हमें सूखे में रख खुद गीले में सोती है
जो रात में उठकर हमें दूध पिलाती है
जो खुद जागकर हमें सुलाती है
हाँ, वो हमारी माँ होती है
जो हमें गोद में खिलाती है
जो अंगुली पकड़कर चलाना सिखाती है
जो शब्दों से रूबरू कर हमें बोलना सिखाती है
हाँ, वो हमारी माँ होती है
जो अपना मन मार देती है
हमारी हर जिद पूरी करती है
जो हमेशा हमारे भविष्य के लिये चिंतित रहती है
हाँ वो हमारी माँ होती है
माँ सारे सुखों का द्वार होती है
माँ ममता का अम्बार होती है
माँ जीवन की धार होती है 
माँ भगवान् का अवतार होती है

Hisalu

  • Administrator
  • Sr. Member
  • *****
  • Posts: 337
  • Karma: +2/-0
Dayal jee aapki kavitaayein padkar bahot achha lagaa. Asha hai aapki kavita ka kram bhavisya me bhi nirantar forum par chalta rahega..

Mera ek sujhaav hai ki aap kumauni/garhwali me jo kavitaayien likhte hai, unme jyada se jyada theth pahadi shabdo ka prayago ho, Naiter aghilaak naantin kasi jaanaal humor goon pahadi bhasha baar mein....

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 669
  • Karma: +4/-2
गिर्दा की दूसरी पुण्यतिथि पर गिर्दा को समर्पित-

आज वरसों बाद शोर अई गया,
ही-भरी आँख डबडबाना है गया
कतुक चौमास आया लहै गया
हम द्योकाव जस रोज़ तिसानें रै गया
माया की उ पीड उ दुनिए सरम
हम माया की पीड लुकूने रै गया
के जानू की काव कब लझोड़ी दयूं
हम ख़ाली मन में माव गठ्युने रै गया
छटी जालो यो अन्यार होलो उजाव
हम अमुसी जै रात काटने रै गया
फिर नई अवतार ल्ह्योल होलो निराव
हम दिनों दिन ढुंग पूजने रै गया
आज वरसों ..................... 

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22