Author Topic: Garhwali Poem by Sudesh Bhatt- फौजी सुदेश भट्ट की गढ़वाली कवितायें  (Read 53085 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दगडया छे तु दगड्या रै
सुख दुख कु दगड्या रे
जैकु नी सारु कुई
वै भग्यान क सारु छै
दगडया छे तु दगडया रै
गरीब असहाय भयुं कुन तु
छैलु वाल डालु छे
दुख बिपदा मा भै बंदु कुन
भौत बडु सारु छै
दगड्या छे तु दगडया रै
अपर काम छोडी तुम
जनसेवा मां लग्यां छ्या
सेवा सम्मान सदभाव सहयोग
भलु कैकी निभांणा छ्या
दगड्या छे तु दगड्या रै
बुये क दुधी क सौं लियां छन
सौं खयां छन माटी क
अपंण भै बंधु कुन रौला
जिकुडी यैथर तांणी क
दगड्या छे तु दगड्या रै
रक्तदान दगड्या तेरी
सबसे बडी पछ्यांण च
हरचदी रीती रीवाज
दगड्या तीन बचीयांण च
दगडया छे तु दगडया रे
अपंण गौं तक सीमित नी तु
सरा मुल्क क लाडु छै
दुख दर्द मा दगड्या तु
सबसे यैथर रांदु छै
दगड्या छे तु दगड्या रै
दगड्या छे तु दगड्या.......
सर्वाधिकार सुरक्षित@सुदेश भट्ट (दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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रौंत्यालु उल्यारु दीदों
हपार भग्यान गांव च
मेरी बुये कु मैत प्यारु
मेरी नन्युं गांव च
हरी भरी सारी यख
यैथर पैथर गांव क
झीलकंड बीटी दिखेणा
सरा डिवरण गांव च
मांजी ह्वे ग्या बुडडी मेरी
मैत मैत बुल्दी च
मेरी नन्युं गां बिना बुये
आंसु रोज बगांदी च
कचुंड कांडई सरा दिखेणु
ताल कंडरा बौंसील
धार मा बस्युं प्यारु
मेरी नन्युं गांव च
याद यै ग्या बचपन की
गे छ्या ननी गांव मा
ममा जी यै छ्या मी लेंण
अदबाट सिंक्वाणी धार मा
स्वर्ग से भी प्यारु मेकु
हपार भग्यान गांव च
मेरी बुये कु मैत प्यारु
मेरी नन्युं.......
सर्वाधिकार सुरक्षित@लेखक सुदेश भट्ट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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चिंतन मंथन उत्तराखंड कु
हुंणा दिल्ली बंबई मा
गडवाल कु बल माटु बी बिकणा
राजनिति की टेबल मा
कुई भुना बंबई बिटी की
पहाड बचौला हम
दिल्ली वालु की रट लगयीं
डयारदूण गैरसैंण लीजोला हम
अंगरेजी क गांणा लग्यां छन
देशी बच्यांणा छन घर मा
अपण नौन छन कानवेंट स्कुल
भाषंण सुंणा भग्यानु क
प्राईमरी जयीं च धार मा..
बाडी पल्यो तै घींणै घींणै की
कीटी कीटी की खांणु छ्या
पहाड प्रेम 17 कु दादा
मी भी त्यार चितांणु छ्या
पलायन की चिंता दीदा
मार मार कैकी त्वै खांणी च
बंबई मा तेरी कोठी लगयीं
दिल्ली मा डी.डी.ए की मुलयीं च
अपणी कुडी खंद्वार हुंयी
किलै हैंक कुन रुणी छै
पलायन की तेरी नकली पीडा
2017 बिंगाणी छै
चिंतन मंथन उतराखंड कु
हुंणा बंबई दि.........
सर्वाधिकार सुरक्षित@लेखक सुदेश भट्ट (दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जिकुडी मा च खैरी मेरी
छौं मी दुर परदेश मा
यखुली छौं मी हौर क्वी नी
दीदों म्यार गैल मा
जिकुडी मा च खैरी मेरी
गौं गैलों की याद मीतै
आंदी रोज बड्युल्युं मां
जिकुडी रैंदी यख उदास
खुद लगीं च सांकी मा
जिकुडी मा च खैरी मेरी
दगडया गैल्यों तै मी अपण
खुजदु छौं मौबेल मा
लाईक कमेंट करदु तौंकु
फेसबुक की चैट मा
जिकुडी मा च खैरी मेरी
माटी कु च कर्ज दगडयों
कभी चुके नी सकदु मी
पौंछी जौं चै जुनी पर भी
गौं नी भूली सकदु मी
जिकुडी मा च खैरी मेरी
पट्टी उदयपुर मा मेरु
वाया भृगुखाल च
रौंत्यालु उलारु म्यारु
प्यारु गांव ब्वांग च
जिकुडी मा च खैरी मेरी
सर्वाधिकार सुरक्षित@सुदेश भट्ट (दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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यीं कुडी क मौ दीदों
दिल्ली बंबई बसीं च
कुडी क यैथर पैथर द्याखो
कन घास जमीं च
जौं उबर्युुं मा हुंदी छे
जंदरीयुं कु गगडाट
आज सुंगरी बियंयी वख
कनी च गगराट
यी मौ की फांगी भी
यनी बांजी हुयीं च
उर्द रयांसु की फांग्यु मा
सुंगरु की लंगार लगीं च
द्यवता भी ईं मौ क
यखुली हुयां छन
थान भौन पर जौंक द्याखो
मकडजल लग्यां छन
फिकर नी च ई मौ तै
बुबा ददौं की कुडी की
डी.डी.ए क फ्लैट मा
चली ग्या पटल बेची की
यीं कुडी क मौ दीदों
दिल्ली बंबई बसीं.....
. सर्वाधिकार सुरक्षित@लेखक सुदेश भट्ट(दगड्या)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कन ह्वैग्या हमरी दीदों
संस्कृति कु खात्मा
रीति रीवाज हरची गेन
पुटग बैठीं बिदेशीयुं की आत्मा
सेवा सौंली कुई नी कनु
दिन बार कु पता नी
कै पर रोज डे त कै पर
परपोज डे की हंत्या अयीं
यु नरबै जयुं बित्युं रिवाज
फैली ग्या पहाड मा
जब बिटी भै बंद म्यार
गे छन बिदेश मा
बग्वाल सी चितांणा छन
बल बैलेंटाईन डे च
रोज खयांणा छन लैंचुस
फिर कन अपचकरी चाकलेट डे च
कुणक्या कुणक्या डे दीदों
सुंण मा आंणा छन
ब्हाटसप मा द्याखो कन
बन बन क फुल आंणा छन
धै लगे की भटे भटे की
थकी ग्या सुदेश भट्ट
जतका जल्दी ह्वा समालो दीदों
अपंण रीति रिवाजों तै झट
नीथर येक दिन आंख तुमन
कताडी क रै जांण
जब गौं मा येकी तुमन
खुज बी नी पांण
कन ह्वैग्या दीदों हमरी
संस्कृति कु......
सर्वाधिकार सुरक्षित@सुदेश भट्ट (दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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नमन करदु त्वै मी
हे बीर सिपैयी
देश कु मान बढै
त्वैन बीर सिपैयी
नमन करदु त्वै मी
हे बीर सिपैयी
दब्युं रै तु बर्फ मा
फिर भी चौकस रैयी
अंतिम दम तक भूला
सीमा मा डट्युं रैयी
नमन करदु त्वै मी
हे बीर सिपैयी
जब तक राल जुन अर घाम
सियाचीन मा बरफ रैली
तेरी अमर गाथा हुनुमन
सरा देश मा गये जैली
नमन करदु त्वै मी
हे बीर सिपैयी
आज सरा देश रुवांणा
त्यार बान सिपैयी
बुये दिखंणी च आज भी
त्यारु बाटु सिपैयी
नमन करदु त्वै मी
हे बीर सिपैयी
त्वै जनि बीर हर बुये की
कोक मा पैदा ह्वैन
पाली पोसी क बुये तब
सियाचीन लखैन
नमन करदु त्वै मी
हे बीर सिपैयी
नमन करदु त्वै मी
हे बीर......
बीर शहीद हनुमनथप्पा तैं श्रद्धांजलि क दगड समर्पित पंक्ति @सुदेश भट्ट (दगडया)

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दीदों ये माटु मा खत्युं
म्यार अपुंण बचपन
पाटी बुखल्या लेकी
जब जांद छ्या हथपन
मतीसारी बिटी सरा
गांव दिख्यांणा म्यारु
आंखी भरे गेन देखी
ब्वांग अपुंण प्यारु
जब भी जांदु गांव दीदों
खुजदु अपुंण बचपन
कबी कंली मुड कबी
दीदों कंली मथपन
हपार दिख्यांणा छन
सरा बाट म्यार गांव क
पीपला खोली बाटु दिख्यांणा
डिग्गी जुगंल्या पाणी क
ख्यात बी दिख्यांणु च
आली बी दिख्यांणु च
ढुकांणी अर छ्वाया बीटी
गांव सरा दिख्यांणु च
बगत क हिसाब किताब भी
अजब गजब छ्यायी
बिंडु क घाम देखी की
सुबेर चितांद छ्यायी
बुये बुल्दी छै धै लगे की
गौर बंधण क टैम ह्वै ग्यायी
खाल अछल्या ककडी अछल्या
घाम रीयाड म पौंछी ग्यायी
दीदों ये माटु मा खत्युं
म्यारु अपणु बचपन
पाटी बुखल्या लेकी जब
गे छ्या मी.......
सर्वाधिकार सुरक्षित @सुदेश भट्ट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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आज भी मीतै गौं की
याद भौत आंणी च
बल्दु की जोडी अपडी
लैंदी गौडी याद आंणी च
आज बी मीतै गौं की
जंदर्युं क घुंघ्याट
गदन्युं कु सुंस्याट
बसकल्या हरच्यां गोरु की
घंडुल्युं की याद आंणी च
आज मीतै गौं की
म्वाल लगयीं जुगयीं लोखु की
चुरयीं ककडी याद आंणी च
दिल्ली छौं फ्लैटु मा पड्युं
बुये की धै सुंण्यांणी च
आज मीतै गौं की
याद भौत आंणी च
खल्यांणु मा बल्द रिटांण की
दां ल्यांण की याद आणी च
कांधा मा जु धरीक
गल्यों तै पैटांण की याद आंणी च
आज मीतै दीदों गौं की
भौत याद आंणी च
सर्वाधिकार सुरक्षित@लेख..सुदेश भट्ट(दगडया)फोटो साभार सत्येस्वर प्रसाद जोशी

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हे पर्वतराज हिमालय तुझको
कोटी नमन मै करता हुं
शीर्ष मुकुट है तु दुनिया का
कोटी नमन मै करता हुं
तेरे दर्शन मात्र से ही
मै गौरव महसुस करता हुं
हे दुनिया के शीर्ष मुकुट
कोटी नमन मै करता हुं
गिरीराज तु पर्वतराज
कई नामों से बिभुषित है
अभिलाषा है मेरे मन की
करुं तिरंगे से तेरा ताज सुशोभित
तेरी गोद मे मां जैसा ही
प्यार की छांव पाता हुं
हे पर्वतराज हिमालय तुझको
कोटी नमन में करता हुं ..... सर्वाधिकार सुरक्षित @लेखक सुदेश भट्ट (दगडया)

 

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