उस याद से
उस याद से
पल पल बदलते रहे
रिश्ते मेरे
हर पल बदलते रहे
किस्से मेरे
दो ऑंखें रखी थी सुखाने मैंने गीली सी
टिप टिप लगे रहे वो रुलाने मेरे
सपने मेरे , रिश्ते मेरे
तिनका .. २ उड़ेगा
शायद बंद वो दरवाजा खुलेगा
कभी ना कभी
शुरू जो हुआ था वंही अंत होगा
मेरा भी लगता है वैसा ही हर्ष होगा
बाकी है अब भी क्या आँखों में कंही कुछ नमी ?
रह गयी मुझ में क्या अब भी कंही कोई कमी ?
अनुयायी सा ऐ सर मैं हिलने लगा हूँ
पहले अपना था मैं
अब बेगाना होने लगा हूँ
पल पल दम अब घुटने लगा
हर क्षण आकर वो मुझ से कहने लगा
पहले तेज बहती थी अब है माध्यम
साँसों की रफ्तार का क्यों निकला रहा दम
दिनभर एसी रूम में मै बैठने लगा
अपने आप ही मैं खुद से अकड़ने लगा
जब उसकी ऐसी ऐठान मुझे ऐठने लगी
केटली गर्म हो होकर मुझ पर बड़बड़ने लगी
सेकंड सेकंड का हिसाब मैं रखने लगा
क्या था इतना कीमती जो मैं छुपाने लगा
झिलमिलाहट तेरी मेरी हंसी अब खोने लगी
कंहा अब सकूंन मिलेगा खोजों कौनसी गली
वो बीता पहाड़ अब भी मेरे शेष याद में है
खुश हो जाता हूँ मै वो अब भी मेरे ख्याल में है
एक रेखा मैं खींचने लगता हूँ मैं अपने आप से
तब मैं कुछ बातें करने लगता हूँ मैं उस याद से
उस याद से , उस याद से
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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