Jai Prakash Dangwal
June 17 near Delhi
मेरी कलम से:-
दूरियाँ जब नजदिकिया बनने लगती हैं, बेइंतहा खुशी होने लगती है,
खुशी भाव से, मुस्कान से, शब्दों से और आँखों से छलकने लगती है.
नजदिकिया जब दूरियाँ बनने लगती हैं, बड़ी तकलीफ होने लगती है,
पीड़ा भाव से, मुस्कान से, शब्दों से, और आँखों से छलकने लगती है.