Author Topic: जय प्रकाश डंगवाल-उत्तराखंड के लेखक JaiPrakashDangwal,An Author from Uttarakhand  (Read 25544 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
February 4
मेरी कलम से ©Jai Prakash Dangwal:-

एक खूबसूरत चिड़िया अक्सर चहचहाते हुए दिख जाती थी,
मुझे देखते ही, फुर्र से न जाने क्यों वह झट से उड़ जाती थी।

मैं, उस प्यारी चिड़िया से पूछता था: मुझसे क्या खता हुई थी,
लेकिन, कुछ बताने के बजाय, वह और भी दूर चली जाती थी।

मैं, उसे कहता रहा, मैं खुदा का नेक बंदा हूँ, कोई सय्याद नहीं,
मुझे तेरा चहचहाना, बहुत अच्छा लगता है, और कुछ भी नहीं।

उसने, मेरे आँगन में आना छोड़ दिया, कहीं और चहचहाने लगी,
थोडा सकूं था उसकी खैरियत मुझे इस तरह से अब मिलने लगी।

यकायक वह गायब हो गई और उसकी बेइंतहा फ़िक्र मुझे हो गई,
बहुत तलाशा पर कोई खबर नहीं मिली, न जाने वह कहाँ खो गई।

मुझे उससे कोई शिकायत नहीं,अगर शिकायत है तो वह खुद से है,
पंछी का कोई ठिकाना नहीं होता उसका खैरख्वाह तो खुदा होता है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
February 1
मेरी कलम से ©Jai Prakash Dangwal:-

तुम एक सुंदर ख्वाब हो, खो नहीं जाना कहीं,
क्योंकि कहते हैं, खोये हुए ख्वाब मिलते नहीं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
January 29
मेरी कलम से ©Jai Prakash Dangwal:-

तेरी आँखों में अगर चमक और ओंठों पर मुस्कान हो,
फिर गम की क्या हिमाकत कि वह कभी मेरे पास हो।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
January 27
मेरी कलम से ©Jai Prakash Dangwal:-

हम किसी और की खामियों के विषय में, क्या कह सकते हैं
अपने ही अंदर बहुत सारी खामियां, स्वयं को नजर आती हैं।

फितरते इंसान है, अपनी नहीं दूसरों की कमी नजर आती हैं,
इसीलिए मुझे भी अपनी नहीं, दूसरों की कमी नजर आती हैं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
January 27
मेरी कलम से ©Jai Prakash Dangwal:-

बहुत इंतजार किया तेरा ऐ दोस्त अब चलते हैं,
लगता है अब नए दोस्त, हमसे अच्छे लगते हैं।

कोई गिला या शिकवा नहीं, मुझको अब तुझसे,
बेहत्तर दोस्त मिल गया है कोई तुमको मुझसे।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
January 26
From my pen ©Jai Prakash Dangwal:-

न जाने क्यों, एक मनोहर स्वप्न के जैसे, मेरे पास आ तेरा मुझ पर छा जाना,
और, स्वयं को भूल, मेरा ऐ स्वप्न! जान बूझ कर तेरे मोह जाल में फंस जाना।

अभी नींद आई ही थी, और प्रेम का नशा गहराया ही था कि स्व्प्न तू टूट गया,
नींद टूट गई स्व्प्न खो गया, मगर ऐ स्व्प्न तू मेरा न हो कर भी मेरा हो गया।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
January 24
From my pen ©Jai Prakash Dangwal:-

जीवन का तजुर्बा कुछ इस तरह होता है कि दूर की बातें भी, बड़ी साफ़ नजर आती हैं,
लाख छुपाये कोई पर बदलती पसंद और बदलती नजर बड़ी साफ़ साफ़ नजर आती हैं.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
January 24 · Edited
देश का आह्वाहन, मेरा आह्वाहन:-

जाग गए हैं आज, भारत भाग्य विधाता, जाग गए हैं आज, सशक्त भारत निर्माता,
मोदी ने हुंकार भरी है, 'जात पांत का प्रश्न नहीं, हम सब तेरे हैं सपूत, भारत माता!

प्रांत भले ही हैं अनेक, उन सबसे मिल बना भारत देश एक, दृढता से कदम बढ़ाता,'
'उज्वल भारत के प्रतीक, मोदी जी को दो नेतृत्व' हर भारतीय यह संकल्प दोहराता।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
February 14
प्रेम दिवस के अवसर पर मेरी कलम से शुभ कामनायें:-

हर दिवस हो प्रेम से परिपूर्ण, और हो मन से मन का मिलन,
अहसास हो मधुर भावनाओं के साथ हृदय में प्रेम का स्पंदन।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
February 12 · 
मेरी कलम से ©Jai Prakash Dangwal:-

मुझे लगता है कि मर्जी से या बिना मर्जी से, किसी सय्याद की कैद में कैद है चिड़िया,
वह न पर फड़फड़ा रही है न परेशान है मुझे सय्याद की कैद में खुश लगती है चिड़िया।

 

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