Jai Prakash Dangwal
February 4
मेरी कलम से ©Jai Prakash Dangwal:-
एक खूबसूरत चिड़िया अक्सर चहचहाते हुए दिख जाती थी,
मुझे देखते ही, फुर्र से न जाने क्यों वह झट से उड़ जाती थी।
मैं, उस प्यारी चिड़िया से पूछता था: मुझसे क्या खता हुई थी,
लेकिन, कुछ बताने के बजाय, वह और भी दूर चली जाती थी।
मैं, उसे कहता रहा, मैं खुदा का नेक बंदा हूँ, कोई सय्याद नहीं,
मुझे तेरा चहचहाना, बहुत अच्छा लगता है, और कुछ भी नहीं।
उसने, मेरे आँगन में आना छोड़ दिया, कहीं और चहचहाने लगी,
थोडा सकूं था उसकी खैरियत मुझे इस तरह से अब मिलने लगी।
यकायक वह गायब हो गई और उसकी बेइंतहा फ़िक्र मुझे हो गई,
बहुत तलाशा पर कोई खबर नहीं मिली, न जाने वह कहाँ खो गई।
मुझे उससे कोई शिकायत नहीं,अगर शिकायत है तो वह खुद से है,
पंछी का कोई ठिकाना नहीं होता उसका खैरख्वाह तो खुदा होता है