न दोड़ , न दोड़ तै उन्दरी का बाटा
उन्दारीयु का बाटा ,,,,,उन्दारीयु का बाटा..
उन्दरी कु सुख द्वि -चार घड़ी को ,,,,
उकाली को दुःख सदानी को सुख लाटा आ आ आ आ आ
न दोड़ , न दोड़ तै उन्दरी का बाटा
उन्दारीयु का बाटा ,,,,,उन्दारीयु का बाटा..
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सौन्गु चितेंद अर दोडे भी जांद ,,
पर उन्दरी को बाटा उन्द जांद मन्खी
खैरी त आन्द पर उत्याडू नि लगदु ,,
उबू उठ्द मनखी उकाल चडी की..
न दोड़ - न दोड़ तै उन्दरी का बाटा
उन्दारीयु का बाटा ,,,,,उन्दारीयु का बाटा.. आ आ आ आ ..
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ऍच गोंउ मुख मा ज्वा गंगा पवित्र ..
उन्दरियो मा दनकीक कोजाल ह्वे गे,,
गदनीयू मा मिलगे जो हियूं उन्द बौगी
जो रेगे हिमालय म वी चमकणुच आ..आ आ आ आ आ आ ..
न दोड़ - न दोड़ तै उन्दरी का बाटा
उन्दारीयु का बाटा ,,,,,उन्दारीयु का बाटा..
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बरखा बतवाणियो मा भी उन्द नी रडनी जू
टुक्कक पौंछि गई नी खैरी खै-खै की
जौंल नी बोटी धरती माँ पर अंग्वाल
उन्द बौगी गनी अपणी खुशीयून
न दोड़ - न दोड़ तै उन्दरी का बाटा
उन्दारीयु का बाटा.. उन्दारीयु का बाटा.आ आ आ आ ...
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गढ़वाली गीत :- नेगी जी ..
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सुभ संध्या दागद्यों ... लाल चन्द निराला ...