Author Topic: Kumauni & Garhwali Poems by Various Poet-कुमाऊंनी-गढ़वाली कविताएं  (Read 383746 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Gyan Pant
 
जिम कार्बेट पार्काक् शेर ......
उज्याव 'कि
गुंजाइश भै
तबै अन्या्र ले
हुनेर भै ।
मतलब 'कि
दुन्नी भै मगर
बे - मतलब
याँ के नि भै ।
तुमा्र
आँखिन् मे
" दुन्नी " ले
देखीनेर भै ।
तु
क्याप भयी
स्वैणां ले
देखीनेर भयी
मनखी ख्वार
बज्जर पड़ि रौ
काम धाम छाड़ि
हा्व " बादण " लागि रौ ।
बुड़ी गोछा
" सीप " सीप -- तमीज
आजि ले नि आ्य
यो बात
मै कैं
बुड़िय 'ल बतायि । ज्ञान पंत

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Gyan Pant
 
जिम कार्बेट पार्काक् शेर ...
ऐला गर्मिन में
घर आला त देखिया
..... भ्यावहान् मोटर
तुमारै मोव थैं पुजि गे
पैराड़ पन इखौर इखौरै
थल , जयनगर होते
पिठौरगड़ न्है जैं ....
वां बटी कां जैं
मैं के नि कै सकन्यूँ .....
ऐला गर्मिन में
घर आला त देखिया
मोवै थैं नल लागी छ
पाँणि इफरात है रै
रामबाड़ि में
डिस्पेन्सरी खुलि रै
डाक्टर भले नि आवौ मगर
कंपोटर 'कि पोस्टिंग है रै
आ्ब दवायि छनै या न्हाँतिन
मैं के नि कै सकन्यूँ .....
ऐला गर्मिन में
घर आला त देखिया
जां तुमैलि बारखड़ि सिकी
उ इस्कूल
आ्ब इंटर है ग्यो
खेल मैदान और
कैन्टीन ले खुलि गे
कुर्सी - मेज और
मास्टर ले सब भै मगर
पढाई हुँछी या न हुनि
मैं के नि कै सकन्यू ....
ऐला गर्मिन में
घर आला त देखिया
पहाड़न् में
नेता भै
नेतागिरी ले भै मगर
मनखिनां नाम पर
गौन में
छा्र फोकी रयी भै ।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Gyan Pant
February 23 at 8:56am ·
जिम कार्बेट पार्काक् शेर .....
वोट में ले
खोट छ ....
फतोड़
नेता'क है रौ ।
पाँच - पाँच
साल 'क मियाद में
के होवौ
नि होवौ
दुन्नी त .....
" नटींण " लागि रै ।
तु
के नि भये
फिर ले
नेता बँणि गिये !
कै
वोट करुँ
सोचणैं में
रयूँ ।
चु-नाव में
जनता
नाव
डुबि जाणै । ज्ञान पंत

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
1 hr ·
पाड़ कु पाणी पेणु छौं,
पाड़ जवा अर तुम भी पेवा,
जल्मभूमि छ तुमारी,
तुम भी आनन्द लेवा.....
-कवि जिज्ञासू

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू updated his cover photo.
Yesterday at 12:15pm ·
ठेट गढ़वाळि छौं,
सुदि न समझ्यन आप,
जू पाड़ी पाड़ नि जालु,
वे फर लग्लु पाप.....
सबक ल्येवा तुम भी,
तुमारी कूड़ी टपराणी,
अपणा गौं नि जैल्या,
चुक्लु ठंडु पाणी......
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
दिनांक 3/3/2017

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
March 2 at 9:45am ·
हाल ही मा उत्तराखण्ड की धर्ति कू मैंन भ्रमण करि। म्येरा मन की अनुभूति फर मान्यवर कवि घंजीर जिन मन की बात व्यक्त करि।
जय जय जैकार ...
कंठ कंठ मा मातृभूमि प्यार ...
-कवि सुनील थपलियाल घंजीर
उत्तराखण्ड की धर्ति मा,
बस्युं हमारु मन,
नयार का पाणी मा,
माछु रंदु जन......
-कवि जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
दिनांक 2/3/2017

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू 

March 2 at 9:14am ·

बंसत बौड़िक अयुं,
फ्योंलि बुरांस हैसण लग्यां,
मन मा ऊलार छयुं,
म्येरु प्यारु पाड़,
बंसत का रंग मा रंग्युं,
बुरांस बुलौणा,
धै लगौणा,
अवा अपणि धर्ति मा,
उत्तराखण्ड भट्यौणु.......
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
दिनांक 2/3/2017

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
March 1 at 10:51am ·

जुगराजि रै तू सुरु भुला,
आज छ त्येरु जल्मबार,
हम दगड़्यौं की आस छ,
खुशी मिलु त्वैकु हजार.......
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
1/3/2017

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
 
पाड़ कु पाणी पेणु छौं,
पाड़ जवा अर तुम भी पेवा,
जल्मभूमि छ तुमारी,
तुम भी आनन्द लेवा.....
-कवि जिज्ञासू

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दुन्नी भै मगर
बे - मतलब
याँ के नि भै ।
तुमा्र
आँखिन् मे
" दुन्नी " ले
देखीनेर भै ।
तु
क्याप भयी
स्वैणां ले
देखीनेर भयी
मनखी ख्वार
बज्जर पड़ि रौ
काम धाम छाड़ि
हा्व " बादण " लागि रौ ।
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