Author Topic: Kumauni & Garhwali Poems by Various Poet-कुमाऊंनी-गढ़वाली कविताएं  (Read 383587 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Ashish Rawat 
February 25 at 10:51am ·

राती ह्वेगेन मेरी आजकल सुपन्याली.
जब से देखीं तुम्हारी आंखीं रतन्याली.!
कनि स्वाणी दिख्यांदी मुखुड़ी मयाली.
बौल्यें ग्युं माया मा तुम्हारी सच्ची हे लथ्याली.!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
 
कैकु होलु बिकास...
उत्तराखण्ड कु या नेतौं कू,
देख जन्ता कर तू आस,
भोट देणु तेरू अधिकार,
बाकी क्या तेरा पास.....
-कवि जिज्ञासू

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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**** आज का अणभुट्यां निराला बिचार ******
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आज कल हर कैथे अपणी खूबसूरती पर किले इतगा घमण्ड रैन्द |
त आवा आज मि तुम्थे खूबसूरती की परिभाषा बतान्दु अपड़ी गढवाली मा !!
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खूबसूरत ओ ओंठ (लब) छी ...... जौं ओठों पर , दूसरों खुणी हमेशा गाली न बल्कि दुआ, सलामती निकली !!
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खूबसूरत ओ दिल्ल छी ............ओ दिल्ल जु, कि कैकी भी दुख , बिपत्ति मा मे शामिल व्है जैं !!
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खूबसूरत छी ........ ओ जज़बात , मन्ख्यात जो, दूसरो की भावनाओं थे समझी साकीं !!
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खूबसूरत छी ....... ओ एहसास की जै मा प्यार ,अपणा पन्न की मिठास व्हा !!
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खूबसूरत छी ......ओ छ्वीं ,बात जैमा , शामिल व्हा दोस्ती और प्यार की कथा , कहानी !!
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खूबसूरत छी .........ओ आँखां जैमा , कि कैका भी खूबसूरत ख्वाब , सुपन्या समा जेंईं !!
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खूबसूरत छी ........ओ हाथ जु कि कैकी भी , मुश्किल वक्त मा सहारा बणी जेईं !!
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खूबसूरत छी ..........वो सोच जैम की ,कैकी भी सब्या ,ख़ुशी, मुस्कराहट छुपी जाऊ !!!
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खूबसूरत छी .......... ...ओ दामन जो, दुनिया मा कैक भी गमो थे छुपा दयाउ !
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खूबसूरत छी ......ओ आसूँ जु , कैक भी गम ,व दुःख मा बोगीं ( बह ) जैं !!!
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 /\.... लाल चन्द निराला ...!!!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बुरांस, ढुंगा अर पाणी,
भै तुम्न कदर कतै नि जाणी,
पाड़ की नखरि भलि की,
खूब लग्दि आपतैं स्याणि.......
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
ग्राम: नौसा बागी, चंद्रवदनी, टिहरी गढ़वाळ।
रचना.1075
दिनांक 15.3.2017

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जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
 
कविमन ढूँगु ह्वेगि,
मन होयुँ भारी ऊदास,
बाटा मा ढूंगा खड़ा,
या हिछ बात खास....
-कवि जिज्ञासू
रचना-1078
16.3.2017

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जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
 
ह्वेजा अब तू लमतम,
पाँच साल की जग्वाल कर,
उत्तराखंडै सरकार बण्नि छ,
कमैयां कू धोल फोल कर....
तेरी गेर फर चड़ीं चार्बी,
पाँच साल तक गलि जालि,
नि करलि नैं सरकार काम,
तब जन्ता तुमतैं जितालि......
न तू भलु न सी भला,
हमारी किस्यौं काटी खैल्या,
अबरी दां सी ऐग्यन,
तब तुम ऐल्या.......
-जगमोहन सिंह जयाड़ा ज़िग्यांसू
-रचना-1077,
15.3.2017

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जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
Yesterday at 11:04am ·

डाळि ऐंच बैठ्युं छौं,
त्येरी जग्वाळ मा,
लाल बुरांस छन खिल्यां,
ये गढ़वाळ मा.....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
दिनांक 15.3.2017, रचना-1074

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जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
 
हमारु पाड़ दाना मनख्यौं कू,
द्येस छ,
पाड़ कू मनखि परद्येस मा,
खबेस छ......
-कवि जिज्ञासू
दिनांक 15.3.2017

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मुख्यमंत्री की भर्ती खुलीं
दीदों चलो ड्यारदूंण
नाम लिखावा अपणा तुम बी
मुख्यमंत्री कुन ड्यारादूंण
मुख्यमंत्री की ख्वजा खोज
दिल्ली बटी ड्यारदूंण
कुई भूना की हर्ची ग्या
मुख्यमंत्री ड्यारदूंण
शाह जी छन नवर गडांणा
कबी दिल्ली कबी ड्यारादूंण
दबल भर्यां छन नेतों न यख
फिर भी अकाल पड्युं च ड्यारदूंण
नेता नी मिनु च युंतै तुम बी
बायोडाटा अपुंण लखावा ड्यारदूंण
मुख्यमंत्री की खींचा ताणी
जन मसांण घाट बण्युं ह्वा ड्यारादूण
मुख्यमंत्री ना जन ट्रंप ह्वा खुज्यांणु
दीदों आज ड्यारदूंण
मुख्यमंत्री की भर्ती खुलीं च
दीदों चला बल डयारादूं...
राजनितिक चर्चा क गरम माहोल मा या काल्पनिक रचना @लेख सुदेश भट्ट"दगड्या"

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
 
रौंत्यालि डांडी कांठी छन,
बगदु रौल्यौं कू पाणी,
निपल्टदि होईं हमकु,
होईं स्याणी गाणी.......
-कवि जिज्ञासू
rachna-1081
18.3.18

 

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