Author Topic: Kumauni & Garhwali Poems by Various Poet-कुमाऊंनी-गढ़वाली कविताएं  (Read 383239 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat
 
दिन सुधरी हमरा भै,योगी जी का आण सी।
भलु लगणु प्रेयसी दगड़ी, टब म नहाण सी।
आनंद जीवन कु लेणु, कैद बै भैर आण सी।
राला ऐ सदनी दिन, बूचड़ो की हड़ताल सी।
जुगराज रयां तुम,करदा रैयां काम इना सी।
जिन्दगी भी नरक छै,बूचड़खानो म रैण सी।
तुमरू भ्वार मिली भै,मौका जीणो स्वर्ग सी।
मिल्या मुख्यमंत्री सब थै,भै योगी आप सी।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat
 
क्या जी पाई होलु, मिन मुकुट पैनी की।
जिंदगी भलि छै, मेरि बिना ब्यावा की।
क्या जी मिली होलु, मांगल भै लगै की।
ढोल बजी बैंड पर,दारू नि बांटी छकै की।
लगी श्राप दगड़्यू कु, जो नचि बिना पे की।
मैं ए झंजाल छु,फस्यू मि ब्योला बणी की।
सुपन्या स्वाणा देखी,तैंकीमुखड़ी देखि की।
आज मि पछताणू,ऐ जुठा भांडा मंज्या की।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat
 
कान लग्या त्रिवेन्द्रजी, तुम्हारि घोषणा खुणी।
अदम्यो कु ना सही, कुछ त सोचो हम खुणी।
खेती मनखी नि कना,मुसीबत हुई हम खुणी।
खाली होणा रोज गौं, डंडेलि भी न घोल खुणी।
तुम राजा छौ बल,भंडि कुछ करिला सब खुणी।
नि आणु कुछ समझ त, फोन कैरो योगी खुणी।
योगीजी गै पहाड़ बटि, मुख्यमंत्री बनणा खुणी।
पद लालसा मैं भी खैंचणी, योगी बनणा खुणी।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat
March 30 at 11:12am ·

दिन सुधरी हमरा भै,योगी जी का आण सी।
भलु लगणु प्रेयसी दगड़ी, टब म नहाण सी।
आनंद जीवन कु लेणु, कैद बै भैर आण सी।
राला ऐ सदनी दिन, बूचड़ो की हड़ताल सी।
जुगराज रयां तुम,करदा रैयां काम इना सी।
जिन्दगी भी नरक छै,बूचड़खानो म रैण सी।
तुमरू भ्वार मिली भै,मौका जीणो स्वर्ग सी।
मिल्या मुख्यमंत्री सब थै,भै योगी आप सी।

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Darsansingh Rawat
March 29 at 5:56pm ·
क्या जी पाई होलु, मिन मुकुट पैनी की।
जिंदगी भलि छै, मेरि बिना ब्यावा की।
क्या जी मिली होलु, मांगल भै लगै की।
ढोल बजी बैंड पर,दारू नि बांटी छकै की।
लगी श्राप दगड़्यू कु, जो नचि बिना पे की।
मैं ए झंजाल छु,फस्यू मि ब्योला बणी की।
सुपन्या स्वाणा देखी,तैंकीमुखड़ी देखि की।
आज मि पछताणू,ऐ जुठा भांडा मंज्या की।

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डॉ. बिहारीलाल जलन्धरी
 
यु रुआब वळा
डॉ बिहारीलाल जलंधरी
यु जु रुतबा रुआब वळा छीं
सभि मुर्गा शराब कबाब वळा छीं ।
भूख तीस कि यों से बात न कर्यां,
यु तो विसलरी अर काजू बादाम वळा छीं।
अपणि असलि मुखड़ि छुपाइ रखदी,
यु सब का सब हि नकाब वळा छीं।
रस्म रिश्तों थैं कन क्वै समझन्दा,
यु तो ताज़ा खुषबूदार गुलाब वळा छीं।
यु वगता कि नस-नस टटोळिक पढ़ण वाळा छीं,
यु ज़िन्दगी अर भाग्य कि क़िताब ल्यखण वळा छीं ।
जिन्दगी मा दुःख दर्द वों थैं भीड़ि नि सकदु,
वो तो खुद ही दुःख दर्द दीण वळा छीं ।
यु दुन्य दिखों, भ्रष्टाचार मिटाणा वाळा छीं,
सुविधा शुल्क कु नौ पर खुद लींण वळा छीं ।
यों से हम क्य उम्मीद कैरि सकदवां
एक हथ देक दुसरु हथ लीण वाळा छीं।
हम कन क्वै बचैंला अपणों थैं यों से
यों दिलम कुछ अर जुबान से कुछ ब्वलण वाळा छीं।
म्यारा ल्वाळावा बचिक रयां यों कि दिईं स्याण्यों से
यो अगला चुनाओं मा तुम से बोट मंगण वाळा छीं।
सर्वाधिकार सुरक्षित @ डॉ बिहारीलाल जलंधरी

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Darsansingh Rawat
 
गुंजी शब्द परंपरा का,आज सरा दुन्या म।
पौंची विघ्या दुन्या म,जो दबी छै पहाड़ो म।
नमन बसंती बिष्ट जी,जो गठयी आपन सुरो म।
सुर आपका शब्द परंपरा का,गुंजणा जन जन म।
नमन आप थै पहाड़ो कु,पौंछै जो नयी ऊँचाई म।
अमर विघ्या करी भै,अमर आप पहाड़्यो का दिल म।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat with Prem Kuliyal.
April 1 at 11:33pm ·
खड़ि छु विरासती खिड़की म,बाटु रैंदु रोज देखणी।
आलु क्वी बोड़िक गौं म,ऐ विरासत बचाणा खणी।
सम्हाललु ऐ जब क्वी, तभी होलु संतोष हम सणी।
बनै छौ पुरण्योल, मन लगै अपणा नौन्यालु खणी।
नि आणु रास आज, बनी छै जो नयी पीढ़ी खणी।
कखि इंतजार हमरू,जग्वाल ही न रै जौ हम खणी।

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Darsansingh Rawat
April 1 at 9:47am ·
दिन भला अयां अजकाल,उत्तरप्रदेश म बकरू का।
यूपी बसणा की बात अब,बकरा कना सरा देश का।
मौज मस्ती म दिन कटेणा,द्वार बंद बुचड़खानो का।
म्या म्या कैरी समर्थन म,नारा लगाणा योगी जी का।
बिन शर्त समर्थन करण, ऐ विचार छिन बकरो का।
हैंसणा बोटी खण्यो पर, दिन छि भै शाकाहार का।
बकरी की ब्वे खैर कब तक,मन ए भी सोचणा का।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat
March 31 at 3:49pm ·
कान लग्या त्रिवेन्द्रजी, तुम्हारि घोषणा खुणी।
अदम्यो कु ना सही, कुछ त सोचो हम खुणी।
खेती मनखी नि कना,मुसीबत हुई हम खुणी।
खाली होणा रोज गौं, डंडेलि भी न घोल खुणी।
तुम राजा छौ बल,भंडि कुछ करिला सब खुणी।
नि आणु कुछ समझ त, फोन कैरो योगी खुणी।
योगीजी गै पहाड़ बटि, मुख्यमंत्री बनणा खुणी।
पद लालसा मैं भी खैंचणी, योगी बनणा खुणी।

 

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