Author Topic: Kumauni & Garhwali Poems by Various Poet-कुमाऊंनी-गढ़वाली कविताएं  (Read 383112 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat
April 13 at 8:43pm ·
क्या बोलदि तू भैजी, क्या अब बोलु मी।
खाली होणा गाँव रोज,त्वे कथा बतांदु मी।
रिटैर तुम भी छौ,अर जल्दी रिटैर होणु मी।
लौटि जौला पहाड़ भैजी,बुढेंदा तुम अर मी।
ज्वान तक रैनिगे,ज्वान बणुला तुम अर मी।
करदा कुछ इनु भै,बणदा उदारण तू अर मी।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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भिटौली लोकगीतों में-
ओहो, रितु ऎगे हेरिफेरि रितु रणमणी,
हेरि ऎछ फेरि रितु पलटी ऎछ।
ऊंचा डाना-कानान में कफुवा बासलो,
गैला-मैला पातलों मे नेवलि बासलि॥
ओ, तु बासै कफुवा, म्यार मैति का देसा,
इजु की नराई लागिया चेली, वासा।
छाजा बैठि धना आंसु वे ढबकाली,
नालि-नालि नेतर ढावि आंचल भिजाली।
इजू, दयोराणि-जेठानी का भै आला भिटोई,
मैं निरोलि को इजू को आलो भिटोई॥
*************
गोस्वामी जी के इस गाने मे भिटोला महीना के बारे मे वर्णन है.
बाटी लागी बारात चेली
बैठ डोली मे, बाबु की लाडली चेली बैठ डोली मे..
तेरो बाजू भिटोयी आला बैठ डोली मे.....
एक भिटोला .. बारात के दिन भी दिया जाता है. जैसे ही बारात बिदा होती है.. शाम को लड़की की तरफ़ से लोग भिटोला जाते है.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Mahendra Thakurathi
April 6 at 5:47pm
<3 कुमाउनी न्यौली :)
फल टिपी बानर ल्हैग्या, सौला रुखै छन।
नाख-मुख हँसि ओंछी, हिया दुखै छन॥१॥
हरिया खेतै का उमा, काचा खों कि पोली।
बाटा में की भेंट भैछ, हँसि जों कि बोली॥२॥
उन चलि कालि गङा, उब चलि हवा।
त्यारा देश कति रौंलो, डालि में क कवा॥३॥ :)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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भ्येळ पाखौं की याद छ औणि,
जख फुंड दिन बितैन,
यादगार छन ऊ दिन प्यारा,
बौड़िक फिर नि ऐन.....
-कवि जिज्ञासू
म्येरा कविमन कू कबलाट
दर्द भरी दिल्ली मा।
जल्म स्थान: बागी नौसा, चंद्रवदनी,
टिहरी गढ़वाळ, 13.4.2017

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बणु की बणांग बुझावा,
रुड़्यौं मा लग्दि छ,
बण का जीव डाळि बुटळि,
ज्व भस्म करदि छ......
-कवि जिज्ञासू
13/4/2017

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jogasingh Kaira
 

फूल !!
सत रंगी फूल फुलनि क्वे गुलाबी लाल
पिंगली प्योली फुली, पिंगल तोर्या झाल
जंगल, बुरुसी फुली, गधेरि फुलि रे कास
सब फूल फुली जाया, झन फुलो बांस।
आडू फ़ुलो दाड़िम फुलो डाव है रयिं लाल
फल फुलोंलै रये पहाडा, तूतो मालो माल।
सेमल फुलो मेहल फुलो किल्मो हेरे पिली
पौय फुलो क्वेर्याव फुलो राड़ दैण तिलि।
हाजरी गुलाब जई फुली खुसबूकी बाहरा
म्यर मन जस फुल्ने रये ओ म्यार पहाडा।jsk

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Subodh Upadhyay
13 hrs · Bangalore

बघत बघतै मार सब जगत रहिछा,
कुदरत अपण खेल अफिया खेलिछा,
आफत बुलाणु हम अफि न्यौते बेर,
अपणी गलती के बतानी जमाने की फेर,
नदी नौला गाड गधेरा सुखिया रहैनी,
बाज बुरास को जंगल कटनै रहैनी,
रूने रैनि जीव वणौ मे द्वि पाती लिजिया,
लिन्हे जानि वानर सब घर मे जे रखिया,
जीवो की कदर नी रखी अपण सुखै लिजी,
वण छोडी गौं ऐला जीव भूखै लिजी॥

सुबोध उपाध्याय
खुमाड़ सल्ट अल्मोड़ा
उत्तराखण्ड

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मोहित पांडे
April 15 at 10:55pm

निमखण, निस्वास ,
ह्यून, चौमास .
ब्वारी जानी मैत,
पैल अद्मास .

सुप ,सीप , सिकौड ,
पय्यीयौक लाकौड .
पूसौक इतवार ,
करडी काकौड .

कुरुशी और स्यूड ,
भिजाई बिरुड़.
लागें तीस ,
पडे जो रूड .

क्यूड़ फसक फराऊ ,
के हूँ फ्यून .
सबुत जै मुकं हुनो ,
मै एल्ले बतून .

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Subodh Upadhyay
Yesterday at 1:04pm · Bangalore

ना कोई खैर खबर ना रंत रैबार,
किलै को नी आय म्यर गौं य बार,
पैली हुंछी के ऊं दिन
रोजै ऊं दिनै गिन गिन
रात बितणै पैली सब
बांधि कर ल्युंछी तैयार
ना कोई खैर खबर ना रंत रैबार,
किलै को नी आय म्यर गौं य बार,
छोडी बै पहाड़ सब परदेश
अपणी रीति रिवाज -भेष
के बोली भाषा के रूप रंग
कभैं के पत्त के तीज त्यौहार
ना कोई खैर खबर ना रंत रैबार,
किलै को नी आय म्यर गौं य बार,
कभैं हरिया सुकीली डान
उज्याणी दय्पतों का थान
भेंट जिया घुमी जिया
कभैं को दिन द्वी चार
ना कोई खैर खबर ना रंत रैबार,
किलै को नी आय म्यर गौं य बार।

सुबोध उपाध्याय
सल्ट अल्मोड़ा
उत्तराखण्ड

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Heera Singh Nagarkoti
Yesterday at 1:00am

दिगौ लालि
कदु भोल लागछि म्योर पहाड़
याद करिबे कभते ऐजा आंखी में डाड़
दिगौ लालि
कदु भोल लागछि म्योर पहाड
रात्ति ब्याने ठंडी हाव ब्याव साग में गडेरी पिनाव
दिन में बड़छी झोई भात रात्ति कलयो में दूध दगड़ी मडुवाक रवाट
मडुवाक रॉट में घ्यूनंक तहाड़
दिगौ लालि
कदु भोल लागछि म्योर पहाड़
कलयो खाबे जांछि गोरने गवाव घर अबे भस्कुछि भाते डाव
फिर गाड़छी नींन फुकार ब्यावकरे जांछि चरुनु बकार
सांस करै हुछि पाणि सारा सार
दिगौ लालि
कदु भोल लागेछि म्योर पहाड़
दुनी भरी खेल हुछि बावन में एक राजी तेल हुछि
कभते प्यार हुछि कभते झकोड़
कभते हसिगड्यौव कभते डड़ाडाड़
दिगौ लालि कदु भोल लागेछि म्योर पहाड़

 

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