जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
बसगाल...
कुछ दिन बाद बौड़िक ऐ जालु,
मैं अपणा गौं बागी नौसा जाणु,
मेरी जिन्दगी मा बसगाल कु,
अहसास सी ह्वे जालु.....
अति प्यारू लगदु छ,
अपणु प्यारू गौं,
ज्यु कर्दु यीं दिल्ली त्यागि,
सदानि कु चलि जौं....
जैंका खातिर दिल्ली ऐ थौ,
बोन्नि छ गौं कतै नि जाण,
मेरू दगडु निभौ छै साल हौर,
त्वैन नितर क्या खाण....
रे नौकरी कनु फस्युँ छौं,
मैं तेरा जाल मा,
सदानि मेरू मन गयुँ रंदु,
देवभूमि गढवाल मा.....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
19.6.2017