Author Topic: Kumauni & Garhwali Poems by Various Poet-कुमाऊंनी-गढ़वाली कविताएं  (Read 382728 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat 
June 21 at 8:10pm ·
इंद्रदेव खुश खूब,धरती पर आज देवभूमि की।
छटा खूब दिखाणा, डांडी कांठ्यो म धनुष की।
सतरंगी धनुष प्रभु,पाणी पूर्ती करदु बादलो की।
गदना बादलो बीच,कनी पैपलाईन च प्रकृति की।
चौमसी बगत भै,खूब दर्शन होंदी इंद्र कमान की।
आई जाणु देवभूमि,करिश्मा देखणा प्रकृति की।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat 
गांदु गीत खूब मि,दुन्या म पश्चिम त जापान भी।
शहरों म प्रदेश म रैंदु,जांदु मि अपणा गाँव भी।
शुकून मिलंदु जु यख,गौं म आण सी पंध्यर भी।
सुख जीवन कु यख,मिलदी मन थै शान्ति भी।
बालापन गुजरी यख, लगि कुंगली सी छ्वी भी।
जांदु इने उने दगड़्यो, पर रैन्दु अपणा गाँव भी।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
41 mins ·
हमारा गौं का नौना नौनी,
जौंकु मचैयुं रन्दु कौंताल,
खूब रौनक छ गौं मा,
हमारा प्यारा गढवाल...
25/6/17

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
June 19 at 8:15pm ·
बसगाल...
कुछ दिन बाद बौड़िक ऐ जालु,
मैं अपणा गौं बागी नौसा जाणु,
मेरी जिन्दगी मा बसगाल कु,
अहसास सी ह्वे जालु.....
अति प्यारू लगदु छ,
अपणु प्यारू गौं,
ज्यु कर्दु यीं दिल्ली त्यागि,
सदानि कु चलि जौं....
जैंका खातिर दिल्ली ऐ थौ,
बोन्नि छ गौं कतै नि जाण,
मेरू दगडु निभौ छै साल हौर,
त्वैन नितर क्या खाण....
रे नौकरी कनु फस्युँ छौं,
मैं तेरा जाल मा,
सदानि मेरू मन गयुँ रंदु,
देवभूमि गढवाल मा.....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
19.6.2017
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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देवदारा जगऊ बीच, छाजी र त्यारा धामा
नागेश , जागेस कई जा शम्भू पूरनकामा
हाटकेश्वर ले कूनी, पुराणों में बतूनी
जागेश्वर ले कूनी ,शिव ज्यू जागी रूनी |१|
विराजित भया देवा , भक्तो का मना मा
पैन शिवलिंग छू या , जटा गंगा तटा मा
मृतुन्जया,क थान में , महिमा बतूनी
एक्के बोटे में , देखो तुम पारवती महेशा |2|
शिव शक्ति दगडे रूनी ,सबुक हरनी कलेशा
पेनी बति जस्स्ये कय, उस्स्ये है जनेर भय
शिवज्यू मुख थे, जैल जे कय ,उस्से मिल जनेर भय
भल क्बए , नक क्बए मैसून औरी करी दी |३|
तब जबेर, ‘कीलित’ कराय, शंकराचार्य ज्यू ले
जप करला, तप करला ,तब्बै पूरी ह्वाली कामना
कैके लिजी नक् नि करिया ,सब्बुक भल करि दिया
हर हर महादेवा छा तुम,दुःख दरिद्र हर दिया ...| ४|
राजेश लोहुमी ,अनुरागी

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Dinesh Kandpal

June 24 at 8:07am

कुमाऊनी शब्द सम्पदा में य फोटो देखि बेर जो शायद भूमेश भारती ज्यूक छु ,म्यार मन में य भाव आयीं ज कैं एक कविता माध्यम ल व्यक्त करुं रयूं....
छात ल टुटि ज़ांठि लै छूटि छुट ज्वानि उफान
घट पिसुं हैं बिजुलि चक्की बगि छैं घट क् बान
सड़क बनि गाड़ि नि रनीं खुट इसिकै फटकान
पांच मैल छू बजार घर बटि नि जानु त के खान
पेट क आग कैं कसी थामू जब तक छै य परान
मनीऔडर ल बिसां निआनि समझाल् कब य नान
घाघरि फाटि कोट फाटौ बस टोपि रगै बचांण
औजि ओढ़ सब बण न्है गयीं आब छ कथां जांण
एक बटा तू उज कैं जरा दूर जरा सि छ दुकान
आपुंण दिन आब इसिकै कटला य बुढ़ाप नि जान

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Rajesh Lohumi
Yesterday at 10:42am
देवदारा जगऊ बीच, छाजी र त्यारा धामा
नागेश , जागेस कई जा शम्भू पूरनकामा
हाटकेश्वर ले कूनी, पुराणों में बतूनी
जागेश्वर ले कूनी ,शिव ज्यू जागी रूनी |१|
विराजित भया देवा , भक्तो का मना मा
पैन शिवलिंग छू या , जटा गंगा तटा मा
मृतुन्जया,क थान में , महिमा बतूनी
एक्के बोटे में , देखो तुम पारवती महेशा |2|
शिव शक्ति दगडे रूनी ,सबुक हरनी कलेशा
पेनी बति जस्स्ये कय, उस्स्ये है जनेर भय
शिवज्यू मुख थे, जैल जे कय ,उस्से मिल जनेर भय
भल क्बए , नक क्बए मैसून औरी करी दी |३|
तब जबेर, ‘कीलित’ कराय, शंकराचार्य ज्यू ले
जप करला, तप करला ,तब्बै पूरी ह्वाली कामना
कैके लिजी नक् नि करिया ,सब्बुक भल करि दिया
हर हर महादेवा छा तुम,दुःख दरिद्र हर दिया ...| ४|
राजेश लोहुमी ,अनुरागी

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Darsansingh Rawat

नई पीढ़ी क्या सोचंदी,फरक प्वड़दु ना भै हम थै।
सम्भलणि च खेति हमन,विरासत मिली हम थै।
खैंडी फांगी पुरखो न,सौपि हमरू बाप दादा थै।
रै फुंगड़ि बिन फसल की,मंजूर नी च भै हम थै।
जिंदगी जब तक चलणी,आबाद रखुला खेती थै।
कभि त खैंचलि अपणी तरफ,माटी नई पीढ़ी थै।

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Darsansingh Rawat
 ·
हे देवभूमि प्रार्थना माता,बौर बांधी करणा हम।
खाली फुंगड़ि देखि तेरी,मन सी छौ दुखि हम।
दगुड़ कैरि धाण कनै,अब बस सियणी कना हम।
भ्वरी फुंगड़्यो गाणी कैरि,चौफला लगाणा हम।
सुफलि हवे जै तू,त्वे फिरि सिजली करूला हम।
गोद भ्वरी भै मनख्यून,तेरि बल्याई ल्यूला हम।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat
 
डेरा खाली गौड़ि सी, बल्दो कि हवे कमी।
पलायन कि प्वड़ि मार,हवे बैखो की कमी।
काण मास भै बगत्या, फुंगड़्यो म च नमी।
हैल लगाणु जरूरी च, तैयार चौमस्या जमीं।
कुछ बगता की मार,भै कुछ च अपणी कमी।
नि छोडणी पुरख्या फुंगड़ी,हैल लगोला हमीं।

 

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