Laxmi Satyawali
नथुली हरची गे बुलाक हरची गे, ये जमना गेणो को रिवाज हरची गे।।
डिजे आई गे मेरा मुलुक मा, अब ढोल दमो मस्कबाज हरची गे।।
बौंणू मा मोबाइल बजणा छिन, बौंणू का उ गीत हरची गे।।
पैलि जन बात गीतेरो मा भी नी रे, सी पैलि वाला गीत हरची गे।।
लाण लगोणा कि छुई ना लगावा, धोती आंगणि टालकी हरची गे ।
गौ कि ब्योली गाडी मा जाणी च अब, स्यु डोला अर स्या पालकी हरची गे।।
चौमीन बर्गर कु खाणू ह्वये गे, कोदा झुगरो कु खाणू हरची गे।
टिवी घरो घरो मा च, अब कथा सुणादु दानु स्याणू हरची गे।।
बिजली गैस का चुल्ला ह्वये गीन, घर का चुल्लो कि आग हरची गे।
मटर पनीर पालक पनीर खाणू ह्वयगे, भटवाणी काफलु फाणू जनु साग हरची गे।।
गौ कि उरख्याली हरची गे, घट को घटवाणी हरची गे।
कूड़ि-पुंगड़ि डाम मा चली गीन, घर कि सगवाड़ि पतवाड़ि हरची गे।।
नथुली हरची गे बुलाक हरची गे, ये जमना गेणो को रिवाज हरची गे।।