Author Topic: Kumauni & Garhwali Poems by Various Poet-कुमाऊंनी-गढ़वाली कविताएं  (Read 382727 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat
July 18 at 9:30pm ·
खबर बणि गे कूड़ी,अखबार का पन्नों की।
कथा ई च भै बंदो, पहाड़ म बस्या गौं की।
चढि एक एक मनखी, बसागत हवे गौं की।
उंदरि लगि अब मनखी,दशा बिगड़ी गौं की।
नि रै माया छोटुपन सी ,दुख न छुटणा की।
कनु छुटणा गौ,बिगड़ि किस्मत पहाड़ो की।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat
July 16 at 9:35pm ·
सशक्तीकरण ब्यटलो कु,हम त भै खुद शक्ति छौ।
जना कना ना भै हम, पहाड़ो म जन्मी बेटि छौं।
डेरा धाणी करदा हम, परिवार थै समलण्या छौं।
ना पिछनै मेहनत सी,ढुंगा टोड़ण म कम नि छौं।
बात महिला शक्ति की, हम भै कमजोर नि छौं।
शहर होलि शक्ति कि जरूरत,हम पहाड़ी शेरनी छौ।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat
July 15 at 10:03pm ·
सौण मैना घृत सक्रांती,भादो जन्माष्टिमी म।
असूज पित्र पूजा म भै,कातिक बग्वाल म।
उत्तरणी मंगशीर ऑदी,पंचमी मैना माव म।
होलि ऑद फागुण,फुलदेयी चैत्वली चैत म।
मास बैसाख नवरात्री, त सुमनाथ जेट म।
शुभकामना आप थै,असाढ त्योहार हरयलु म।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat
July 15 at 8:05am ·
योग चित्र कर्म चित्र, भै योगी चित्रकला कु।
खूब उकेरंदी रिखड़ा,कवि का मन भाव कु।
मुश्किल भै पछ्यणु, खुद अपणा हि मन कु।
जोड़ घटाणु गुणा भाग,खूब धरदी लिखण्यु कु।
तप तुमरू अमर अजर,लिख्यू पर चित्रों कु।
प्रेरणा भै नेगी जी,विरासत पूत देवभूमि कु।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat
July 14 at 9:03am ·
थैलि भोरि त्वडणी,भै मैना असाड़ लग्यू च।
मौसमी फलों की बार, अजकाल चौमास च।
खूब भ्वरी डाली भै,देखि जीभ ललचाणी च।
खूब भ्वरी प्वटकी, पर भीत नि भ्वरणी च।
रिवाज मुलक्या हमरू,चौक डालि शुभ च।
आई जाणु लिमाणा कु,आड़ू डाली नैणी च

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat
July 13 at 9:45pm ·
वफादारी खून म हमरि, कुकर ब्वलदी हम खुणी।
प्यार माया का भूखा, कुछ नि ब्वलदा कै खुणी।
बची खुचीं सी चलदु जीवन,कुछ खास नि हम खुणी।
बचाणा कोशिश म रैंदा, खतरा देखि त मनख्यू खुणी।
श्वान नाम सी बोलदा भै,मान सी मनखी हम खुणी।
दुखदु मन तब हमरू,कुकर ब्वलदी कै मनखी खुणी।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat
July 12 at 10:36am ·
एक डालि लगै,आहुति भै वृक्षारोपण यज्ञ की।
याद मैं थै ऑद,गौरादेवी चिपको ऑदोलन की।
पहाड़ी छवा हम,दगड़ी हमरी डालि बूट्यो की।
डालि नी छी त भै,शोभा ना डांडी कांठयो की।
विरासत च हमरि,सोचणा हम नौन्याल अगनै की।
हम चलि जौला दगड़्यो,डाली च समल्योण्या की।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat
July 10 at 10:00am ·
अछेल बणि ग्यू म्यराओ, तुमरू बाटु देखि देखिक।
ढुंगि माटु छोडण लैगी कूड़ि,मेरी जग्वाल थै देखिक।
पैलि खुटि दयेलि प्वड़ि,दिन रात कटि गांठी गैणिकी।
सारू मेरि कूड़ि का बणिला,बड़ा करो सैंती पालिक।
भूलि ग्यो ओ दिन बगत, चलि ग्यो हम थै छोड़िक।
अछेल बणि जग्वलणा हम,कि आण तुमन बौड़िक।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Laxmi Satyawali
 
नथुली हरची गे बुलाक हरची गे, ये जमना गेणो को रिवाज हरची गे।।
डिजे आई गे मेरा मुलुक मा, अब ढोल दमो मस्कबाज हरची गे।।
बौंणू मा मोबाइल बजणा छिन, बौंणू का उ गीत हरची गे।।
पैलि जन बात गीतेरो मा भी नी रे, सी पैलि वाला गीत हरची गे।।
लाण लगोणा कि छुई ना लगावा, धोती आंगणि टालकी हरची गे ।
गौ कि ब्योली गाडी मा जाणी च अब, स्यु डोला अर स्या पालकी हरची गे।।
चौमीन बर्गर कु खाणू ह्वये गे, कोदा झुगरो कु खाणू हरची गे।
टिवी घरो घरो मा च, अब कथा सुणादु दानु स्याणू हरची गे।।
बिजली गैस का चुल्ला ह्वये गीन, घर का चुल्लो कि आग हरची गे।
मटर पनीर पालक पनीर खाणू ह्वयगे, भटवाणी काफलु फाणू जनु साग हरची गे।।
गौ कि उरख्याली हरची गे, घट को घटवाणी हरची गे।
कूड़ि-पुंगड़ि डाम मा चली गीन, घर कि सगवाड़ि पतवाड़ि हरची गे।।
नथुली हरची गे बुलाक हरची गे, ये जमना गेणो को रिवाज हरची गे।।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat
17 mins ·
मुंड चमकणु हिम मुकुट, चरणों म लहर सागर की।
मुख सी निकलणी गंगा,तीस बुजाणी खूब जीवों की।
दैण हथ अरब कु पाणी,बैं हथ तलि खाड़ी बंगाल की।
मनखी त मनखी भै, प्रकृति भी खड़ि हाथ जोड़ि की।
दिल म मनख्यो कि बसी, तनी डालि बूटि पाणि की।
नक्शा बणै भै गदनु भी,जय जय कनु भारत माता की।

 

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