खाप
ताँड़ियैलि
जि हुँछ ....
हा्ट - भा्ंट
टोड़ण पड़नी
तब जै बेरि
इचा्व में
पाँणि पुजों ....
कुल्यूँण
खालि जि हुँछ
पाँणि - पौर
बैठि रुँण पड़ौं ....
नेता
के जाँणों
जतका्व पेट
ल्ही बेरि
माईक में
ढोल जस बाजों
क्वे सुणों
झन सुणों ....
के फर्क पड़ौं
उकैं , मगर
ते कैं
फर्क पड़न चैंछ
लोकतंत्र में ......
यो एक
जरुरी शर्त छ ।
ताँड़ियैलि -- खोलने से , हा्ट भा्ँट -- हड्डी पसली , इचा्व -- खेेत का किनारा , कुल्यूँण --- खेत में पानी लगाना , पाँणि पौर -- पानी की चौकीदारी , जतका्व पेट - फूला हुआ पेट या गर्भवती जैसा ,
by Gyan Pant