Lalit Kandpal
मोहन दा मैके यो झौङ पूर याँद नैह कुछ याँद छूँ ।तो अघिल कै सुणौ ,,
चौकोटे की पारवती सौराशाँ नी जान बली,सौराशा नी जान,,,
मासी को परतापा लौङा ईशकूला नी जान बली,ईशकूला नी जान,,
हौल लयायै हलूनी लयायै बी लयायै बौ दियौन बली,बी लयायै बौ दियौन,,
तेरी मेरी बैठनय़ा ठौरा झीट घङी रों दियौन बली,झीट घङी रो दियौन,,
चौकोटे की,,,,, ,,,, ,,,,, ,,,
मासी को,,,,,,, ,,,, ,,,,, ,,,
शौकू का भैय़ाङ बकार नूण लागा चाटण बली,नूण लागा चाटण बली,
तेरी मेरी माया देखी हिय़ाँ लागो फाटण बली, हियाँ लागो फाटण,,
चौकोटे की,,,,, ,,,,,, ,,,, ,,,
मासी को,,,,, ,,,,,, ,,,,,, ,,,
घा काटो फङिक बली,घा काटो फङिका,
ततूकै याद छूँ हो मोहन दा जस लै छू नौक भल जरूर बताया अघिल कै सुधार करूल हो।और आपू कै कस लागौ बताया धै,,,