Author Topic: Kumauni & Garhwali Poems by Various Poet-कुमाऊंनी-गढ़वाली कविताएं  (Read 382612 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Prakash Chandra Upadhyay
 
तुमुमें और हमुमें आज कतु फर्क छु देखो जरा:
तुम गाड़ गद्यरुंक पाणि पि बै सौ साल तक ज्यून छा।
हम आरओ मिनरल पाणि पिे बै चालिस में बूड़ि जानु।।
तुम कोल्हू तेल खै बै खूब दौड़ भाग क़रछा।
हम डबल फ़िल्टर तेल खै बै ज्वानि में हांफी जानू।।
तुम डौव वाल नूण खै बै बीमार नि पड़ना।
हम आयोडीन युक्त नूण खै बै बिमार पड़ जानू।।
तुम नीम क्वैल नूणल दातून करिबै आंखोड फोड़ि दिंछा।
हम कोलगेट सुरक्षा वाल रोज डेन्टिस्टक पास जानू।।
तुम नाड़ि देख बै रोगक पत लगै दिंछा।
हम पैथोलॉजि चक्कर काटते थाकि जानू।।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Surender Rawat
 
चौमासा दिनांक रात छी
जोयि खसमोंक बात छी
कौय खसमैल डरन मरने
आपुण हिकय मे हाथ धरने
सुण सुआ मेरि पराणा
थोड़ि दु:ख उठै ले म्यर करणा
राति पारक फाट जाणुं
एक ज्वड़ बल्द. द्वि बकरक पाठ ल्याणुं
नौक झन मानिये प्लीज ,
भो राति तुमुल खाण
खाण आफुहें अाफि बणाणु
बस भो दिनक बात छु
फिर तो मै त्यर साथ छु
जे कलि तु मै से करुंल
पलि~पलि बैठ कभैं निकुल
रोज खाण मै आफि बनुल
त्यर पुठक खाजि लै कन्युल
सैणिक मुखड़ तम तमे गो
ग्वर मुखड़ लाल है गो.
मड़मड़ाट पाड़ने सैणिल कौय
तुमर रोज ह्यसे हौय
खाजि तो तुमुकें लागी रें
जब देखो चुड़भुड़ि जागी रें
भगवानों कणि खबर छु
य तुमर ब्यपार य तुमर कारबार

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Surender Rawat
11 hrs
मोहनदाल एक बार आपुण दगड़ियों दगैं.,,,,,'''
पिण खाणक प्रोगराम रख?
हरदा परदा मोहनदा
द्वि~ द्वि पैग लगाया फिर आपणे घर बे बाकर चोरि बे लिगाय,,,,,
रात भर खूब पार्टी चलि"""""
मोहनदा जब राति घर पहुँच तो देखनी
बाकौर तो घर कणि छु
मोहनदाल घरवायी हैं पुछ
बकौर कति बै आ??
घरवायील गु्स्सम कौय
“बकौर तो जे लै हौय""""बेयी रात बै कुकुर गायब छु,,,,,,,

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बालम सिंह नेगी
 
बिखिलि संसार
उदेखी पराण
बिमूखि मैश
निऊज्जि सैणि.
कार नै बार
खाँणक होशियार.
रात्ती ब्याव कजी
भै _भै बेर खछी.
मुनापीड़ गरीबीक बखत
काँबै आल अखौत्त्.
दूनी हई दोरँगि
बखत छू बेमान.
ना रैगई जुबान.और नै ईमान.
फ़िर लै हमर भारत महान

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dinesh Chandra Upadhyay
 
पहाड़ी नाम-2
.
पहाँडू में पेली, भलोभल नाम धरनी
फिर जिंदगीभर नामेकि, कुकुरगत्त करनी
.
भूवन, भुभि हैं जां
हेम, हेमूआ
सुरेश कें, सुरि कुनी
नरेश, नरूआ
मोहन, मोहनिया होय
तारादत्त, तरिया
गंगा सिंह, गंगु होय
धाराबल्लभ, धरिया
.
रमा कें, रमुली कुनी
कमा कें, कमुलि
अंजू, अंजुलि भई
भगवती, भगुलि
दुर्गा हैंजे, दुर्गलि
निर्मला, निर्मुलि
.
सुन वाल, हिरदा सुनार
लू वाल, कऊ लूआर
नानो ललित हूँ, लल्लू गांठी कुनी
मोट कैलाश, कैलू गिंड हुनी
ट्रक वाल सब, सेठ्ज्यु हाय
स्कूल वाल, बेहेंजी मास्सेप भाय
.
दम लगुणी उमेश कें, उमी अत्तरची कुनी
गप मारनी रमेश, रमु फसकी हुनी
खूब खानेर सुमन, सुआ खदुली
देखणचाँण रूपा, गों की रुपली
द्वार-द्वार घुमणि हरीश, हरु डोई
.
पहाँडू में नामेकि, येसी कुकुरगत्त हेरें
भ्यार वाल नाम धरला, फिकर कैंके हेरें

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Kakubha Pande
 
मेरे दादाजी श्री श्यामाचरण पन्त जी की एक बहुत सुंदर कुमाउनी रचना
कौ सुआ काथ कौ
के कुं सारंगी? निर्बुद्धी राजे काथे काथ
(1)
सहस्त्र बाहु भै हज़ार कर
सूर्य थे कुनि सहश्त्र कर
रावनक भै बीस कर
विश्नुक भै चार कर
(2)
मैसाक हुनि द्वि कर
पर ठुल मैसाक भै नौकर
रन फलास जस जोकर
सरकारक भै करे कर
(3)
खेल में कर और रेल में कर
सेल में कर और तेल में कर
घर में कर और बाट में कर
मर गे मुर्दा घाट में कर
(4)
नि मिलि नौकरी खा ठोकर
उठा टोकर भर भूस डोकर
रुपे वाल बड़नि बैंकर
शकर वाले कै मिलो शकर
(5)
एक बला फोटोग्राफर
फौड़ उठे सब मंत्री वर
व्यालचन ली सब इंजिनियर
टोकरि धरी ठाड भै अफसर
(6)
सात पोज खेची गे जब
पुर भै श्रम दानो उत्सव
फ़िर अखबार में पडनी सब
बनि सड़क पुल बनो गजब
(7)
वन माहोत्सब नगरन मे
बोट रोपीनी सडकन मे
नैनीताल में लागनी आ
जंगल को हूँ कतले आम
जंगल है गो दिललि शहर
वन बनगो गोविंद नगर

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Surender Rawat
July 30 at 12:43pm

एक बार हमर गौं में एक अंगरेज पहुँचि गोय।
भटकने~ भुटकने
मोहनदाक घरकें मोहनदाल ठन्ड पाणि पिलाय आैर खोयिक भिड़म दरि बिछाय
अंगरज हैं कौय बैठ मणि सुस्तै ले
अौर आपुण इजहें कौय,,```
इजा एक भ्यार हमर खोम ( आंगन में ) एक अंगरेज एरौ
जाणि कां बे आमौ ? थाकि पटायी बिचार :::::::
भितेर पन रव्ट छैं तो दिदे उंकैं!
इजैल हरि साग बनायी हौय बेथुक आैर मनुवक रव्ट
एक मनुवक रव्टम हरि साग धरि बेै अंरेज कैं दी,,,,,,,
अंगरेज लै साग खाय अौर रव्ट वापस करते हुवे कौय माँ जी आपका प्लेट,,,,,,,
माँल कौय निखाण पाने झन खये म्यर कुकुर खाल
माति खौरक,,,,

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Lalit Kandpal

मोहन दा मैके यो झौङ पूर याँद नैह कुछ याँद छूँ ।तो अघिल कै सुणौ ,,
चौकोटे की पारवती सौराशाँ नी जान बली,सौराशा नी जान,,,
मासी को परतापा लौङा ईशकूला नी जान बली,ईशकूला नी जान,,
हौल लयायै हलूनी लयायै बी लयायै बौ दियौन बली,बी लयायै बौ दियौन,,
तेरी मेरी बैठनय़ा ठौरा झीट घङी रों दियौन बली,झीट घङी रो दियौन,,
चौकोटे की,,,,, ,,,, ,,,,, ,,,
मासी को,,,,,,, ,,,, ,,,,, ,,,
शौकू का भैय़ाङ बकार नूण लागा चाटण बली,नूण लागा चाटण बली,
तेरी मेरी माया देखी हिय़ाँ लागो फाटण बली, हियाँ लागो फाटण,,
चौकोटे की,,,,, ,,,,,, ,,,, ,,,
मासी को,,,,, ,,,,,, ,,,,,, ,,,
घा काटो फङिक बली,घा काटो फङिका,
ततूकै याद छूँ हो मोहन दा जस लै छू नौक भल जरूर बताया अघिल कै सुधार करूल हो।और आपू कै कस लागौ बताया धै,,,

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Surender Rawat
August 4 at 5:19pm
मोहनदा परेशान।।।।।।
पैलिक बार मैल जब उनिकें देखौ******
पैलिक बार मैल जब उनिकें देखौ*******
दाज्यु तुमुकें खबर उनिल मिहीं के कौ???????
के कौ...के कौ
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चा पिजाअो,,,,,,एक घुटुक
दुसर बार जब मैल उनिकें देखौ*******
दुसर बार जब मैल उनिकें देखौ************
तो मालुम उनिल मिहं के कौ,,,,,,, के कौ ,,,,,,,के कौ
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चनपटि ल्याया खुटोेंक
कनफुल ल्याया कानोंक
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आब रोज मिलनु तो के कैंछ मालुम छ
दाज्यु मालुम छ!
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*
*
"
,
मैल जाणु ब्युटि पार्लर
ध्यान धरिया ननोेंक
ध्यान धरिया नानोंक

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Bhishma Kukreti
July 21 at 5:24pm
ऊँ ! ऊँ ! सवाल च तुम्हारी मातृभाषा क्वा च ?
-
किताब म लिख्युं च हमारी मातृभाषा हिंदी च।
मेरि ब्वे गढ़वळि छोड़ि कुछ नि जाणदि।
मास्टर जी बुल्दन भविष्य तो अंग्रेजी कु इ च।
ठीक च अपनी मातृभाषा अंग्रेजी ही लेखी दींदु।

 

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