Author Topic: Kumauni & Garhwali Poems by Various Poet-कुमाऊंनी-गढ़वाली कविताएं  (Read 382209 times)

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
Prashant Mamgain: A future Potential Garhwali Poet
-

(Chronological History and Review of Modern Garhwali Poetry series)
 
By: Bhishma Kukreti (Literature Historian
-
     Born in 1987, in Kimoli village of Aswalsyun ,Pauri Garhwal ,Prahsant mamgain published a couple of Garhwali poems . However, by reading his couple of poem s, Editor and critic Madan Duklan stated to this author that Madan regrets for not getting Mamgain’s poem for historical Garhwali Collection ‘Angwal’.
 Dhad Editor Gani also appreciated Mamgain and said Mamgain has great future in Garhwali poetry world. A regular reader Girish Dhoundiyal compares Prashant Mamgain with Mahdevi verma for life sketch through poetry. 

          ब्वे  (कविता )

कवि :   प्रशांत ममगाईं  (जन्म  1987 , ग्राम किमोळी , असवाल स्यूं , पौड़ी गढ़वाल )
Poetry by : Prashant Mamgain (Kimoli, Aswalsyun , Pauri Garhwal )
(Chronological History of Garhwali Poem, verses) -285 
s = आधी अ
( विभिन्न युग की गढ़वाली कविताएँ श्रृंखला - 285   )
-
इंटरनेट प्रस्तुति और व्याख्या : भीष्म कुकरेती
-
पट अंग्वाळ बोटी निंद ऐ जांदि
हे ब्वे तु निंद कख बिटेन लांदि
स्वीणा सुपन्यौ मी ल्हि जांदि
हे ब्वे तु निंद कख बिटेन लांदि 
बिनसरी बिटि पुंगड़ौं मा पसीना बगांदि
कुटुमदारि  कि गाणी स्याणी पुर्यांदि
दाना बुड्यो कि खैरि बि त्वी खांदि
 हे ब्वे तु निंद कख बिटेन लांदि
कैमा बि तु अपणि बिपदा नि लगान्दि
आंसू लुक लुकि लुकांदि
मी देखि फेर सर्र हैंसी जांदि
हे ब्वे तु निंद कख बिटेन लांदि 
कबि बौण कबि पंदेरा म जांदि
अफु नीना पेट अर मेरी पुटुगी भोरि जांदि
दिन भर धाण कैरी त्वै खैरी नि आंदि
  हे ब्वे तु निंद कख बिटेन लांदि

Curtsy : Dhad magazine May 2018 )
Copyright@ Bhishma Kukreti, May 2019

History and Review of Modern Garhwali Poems, folk songs from PauriGarhwal; History and Review of Modern Garhwali Poems, folk songs from Chamoli Garhwal; History and Review of Modern Garhwali Poems, folk songs from Rudraprayag Garhwal, South Asia; History and Review of Modern Garhwali Poems, folk songs from Tehri Garhwal, South Asia; History and Review of Modern Garhwali Poems, folk songs from Uttarkashi Garhwal, South Asia; History and Review of Modern Garhwali Poems, folk songs from Dehradun Garhwal, South Asia;











एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Renuka Joshi
June 13 at 8:41 AM
पहाड़ से पलायन

पारा भिड़ देखो धैं
कस हरि घा हैरौ ।
वैं जानू हिटौ
यां के धरी रौ ।
पार पार उनै हम
लफाउ मारि यां ऐ ग्याइ ।
आब लागि नरै जब
हात खुट पटै ग्याइ ।
जां रुंछा वै रौऔ
द्वि नावन में खुट नि धरौ ।
मातृभूमि गर्व करैलि
कर्मभूमिक सेवा करौ ।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Kavindra Upadhyay
June 10 at 12:53 PM
सर-बर हेरे अजायल पहाड़ पन,
नानतीनों का संग खूब लगी रो मन,
एक दिन ब्यौ, दौहर दिन दयबतों थान पन,
ओहो! जगरियों-डंगरियों रोजे किले नी रहना पहाड़ पन।।
#कवि #कुमाऊंनी4 #सर_बर

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Basant Joshi
June 8 at 3:15 PM
SMS करून हामी एक दुसर कै बारी बारी
मीके लागो यो रसम बड़ी प्यारी
यो SMS मिलते ही एक SMS भेज दिया
किले की मीके बिलकुल पसंद नियाती उधारीl

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
जापानी चोका विधा मा एक रचना..."चूल्लू जीवन"
-
  First Modern Garhwali Poem in Japanese choka Style 9division of Waka jaapnese style)
[/color]
-
By Akhilesh Alkhaniya [/b][/font]

चोका दरअसल एक जापानी कविता विधा छ। जथगा नौ "हाइकू" विधन कमै उथगा ई चोका बी एक जंणी मंणी विधा छ। चोका थोड़ा भौत हाइकू से मेल त खांदी छ पण हाइकू मा कुल आप ३ पंगत मा रचना कै सकदा मने हाइकू कुल मिलै तै तिन लैनै होंदी जबकि चोका मा पंगतै क्वी सिमा नी होंदी, कथगा बी चरणो मा चोका लिखे सकदे। चोका कथगा बी लंबी ह्वे सकदे, यू रचनाकार पै निर्भर करदू वू कथगा बड़ी कबिता लेख सकदो। मेन बात य छ हाइकू मा पैली लैन ५ अक्षरै, दूसरी लैन ७ अक्षरै अर तीसरी लैन ५ अक्षरै होंदी(५-७-५)। पण चोका मा पैली लैन मा ५ वर्ण दूसरी मा ७ वर्ण तीसरी मा ५ वर्ण अर अंतिम जू द्वि लैन होली वू ७-७ वर्णै होली(५-७-५-७-५-७-७)। चोका कथगा बी लंबी ह्वे सकदे बशर्त छ पिछनै दांकी द्वि लैन सात-सात वर्णै होंयि चयेणीन। चोका मा कोसिस यन होंयि चयेंणी की हरेक लैन स्वतंत्र हो, एक हैंकी लैन पे निर्भर नी हो। चोका जब वाचन हो त उच्च स्वर मा हो। "गढ़वळि" मा हमतै चोका प्रयोग कंयू ई चयेणू।
★★★चूल्लू जीवन★★★
चूल्लू जीवन
तचाणा रावा ये तै
शरेलौ माटू
सुख दुखा लखड़ा
खैर्या अंगरा
निरासपंतौ खारु
उमरै झौळ
बगतौ भांडू भोरी
मिनतै रूसै
स्यांणि छ मट्टातेल
बिपदा धुंवा
खोपै अंसधरिन
चूल्लू नी मूंझा
हार नी माना तुम
पकाणा रावा
चूल्लू जगाणा रावा
समै लगलू
रूसैन बंणण छ
सबादन औंण छ
"रचना- अखिलेश अलखनियाँ"
Choka (Japanese Poetry Style ) Garhwali Poem from Garhwal; Choka (Japanese Poetry Style ) Garhwali Poem from Devprayag Garhwal; Choka (Japanese Poetry Style ) Garhwali Poem from Garhwal, Uttarakhand ; Choka (Japanese Poetry Style ) Garhwali Poem from Garhwal, Himalaya; Choka (Japanese Poetry Style ) Garhwali Poem from Garhwal North India ; Choka (Japanese Poetry Style ) Garhwali Poem from Garhwal, South Asia,; Choka (Japanese Poetry Style ) Garhwali Poem from Garhwal SAARC Country ;

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
गढ़वाली चोका, छिपड़ु दादा

छिपड़ु दादा
By Jaipal Singh Rawat [/b][/font]
*****
छिपड़ु दादा
दिल्ली मै रैंदु छाई
मन खुद्याई
भौत दिनु का बाद
ओ घार गाई
तैड़ु खैणणै छाई
पर बना ओ
खैंणण मै नि आई
गींठि थै धै लगाई
हे! गींठी गींठि
यु तैड़ु कख गाई
ओ भाजि ग्यायी
कि कखि मोरि ग्यायी
न ओत बल
एअरफोर्स मंगा
भर्ति ह्वेग्याई
छिपड़ु दादा
सूंणी दंग रैग्यायी
अरे बल ओ
धरती मूड़ छायी
असमानम
कनकै पौंछिग्यायी
बल भैजी ह्या
जन छोड़ि गे छायी
पहाड़ आज
उन्नि थुड़ै रैग्याई
जन उबरि
तुम छोड़िग्या छाई
हमुल बि त
कुछ उन्नत्ति काई
तुमबि तब
मेरीs सैं बौंल़ौं फर
सींप फुँजदs छाई ।



जयपाल सिंह रावत
Copyright@ Jaipal Singh Rawat Delhi
Garhwali Poem in Japanese Choka Style from Pauri Garhwal; Garhwali Poem in Japanese Choka Style from Garhwal  Uttarakhand ; Garhwali Poem in Japanese Choka Style from Garhwal, Himalaya, Garhwali Poem in Japanese Choka Style from Garhwal , North India; Garhwali Poem in Japanese Choka Style from Garhwal Sarrc Country . 


Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
ल जरा नै प्रयोग [संस्कृत अर गढवलि कु]


Sanskrit-Garhwali Hybrid Humorous Poetry

By Virendra Juyal

-   
हास्य रचना-
"कबरि लमडदौ झणि"
"कस्तूरी तिलकं ललाट पटले ।"
ल्यो रै भुला ! कचमोलि
जरा गिलासुंद एक तुराक धैरि ले ।।
"वक्षस्थले कौस्तुभम।"
छुछा ! टक्क जईं चा टिचरि फरि
ल्यो रै चम्म चम्म ।
भिजौ गौलि अखण्यों रम्म रम्म ।।
"नासाग्रे गजमौक्तिकं कर तले ।"
ठुंगार भि ल्यो चखणा मा
ह्वै जैलि तब बल्ले बल्ले ।।
"वेणु: करे कंकणम ।"
जो लुकांदु चा मेरि बांठा कि
वे थै धर्दु मि अंठम् ।।
"सवगि हरि चन्दनेन सुलपितम ।"
जो नि पींदु क्वी फैदा नि
वेकि भि धुँआरोलि हूण
एक दिन चितम् ।।
"कण्ठे च मुक्तावली ।"
अपडा रुप्यों कि नि प्येण चैंद
हां बल सवदि हूंद फ्री वलि ।।
"गोपस्त्री परिवेष्ठितो विजयते।"
जो बिना मंग्या पिलै दींद
कैर दीण चैंद वे खुणि
दस दौ नमस्ते ।।
"गोपाल चूडामणि: ।"
खूभ आनंद कारा,
सुसगरा भ्वारा,
ज्यूँदा छंवा जब तलक
खूभ कारा खैंचातणि ।
हैंसि खेलि रावा हे मनख्यों !
बिना पियां क भि
ई जिंदगी बटि
गडम !
कबरि लमडंदौ झणि ।।
😀😄🙏🏻🙏🏻जै जुयाल✍🏻 जै गढवाल🙏🏻🙏🏻 😄😀
✍🏻लिख्वार-
©® ✍🏻वीरेंद्र जुयाल उपरि
फरसाडी पलतीर क्लब
दिनांक- 07-12-2019.
Sanskrit –Garhwali Hybrid Poem from Garhwal; Sanskrit –Garhwali Hybrid Poem from Garhwal  , Uttarakhand ; Sanskrit –Garhwali Hybrid Poem from Garhwal , Himalaya ; Sanskrit –Garhwali Hybrid Poem from Garhwal, North India  ; Sanskrit –Garhwali Hybrid Poem from Garhwal, South Asia  ; Sanskrit –Garhwali Hybrid Poem from Garhwal, SAARC Country   


Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
Garhwali गज़ल
*****
by : पयाश पोखड़ा


रड़क्यां पाखा उजड़्यां पैरा ह्वै ग्यवां ।
हम भि ऐरा गैरा नत्थू खैरा ह्वै ग्यवां ।।

कळ्यज़ि की कचगा धै लगाणि छन ।
हम त आज फेरि हौरि गैरा ह्वै ग्यवां ।।

मुखड़ि्यूं फर मौळ्यार की खुसि मा ।
हम भि लाल पिंगळा हैरा ह्वै ग्यवां ।।

अपण दां बयळु भि फूंजि ग्याइ झूट ।
हम त सच सुणद दां बैरा ह्वै ग्यवां ।।

जाज़म बिछैकि दरी बिटौळदा रै ग्यौं ।
बिठांद बगत हम फुण्डै सैरा ह्वै ग्यवां ।।

© पयाश पोखड़ा 12122019.

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
    *गढ़वाली ग़ज़ल*

by :नवीन डिमरी 'बादल'

लोग बण्यां छन फन्ने खाँ
दूध बतौंदा पीं दा छाँ !

काम नी करदा, धोखा देंदा
मुख सामणि बस करदा हाँ!

बात बुरी जौं लगी हमारी
देखा बाग बण्यां छन फ्वाँ !

आँदू-जाँदू कुछ नी जौं,
बण जांदन सी फुंड्या स्वाँ!

बात रुप्यों की चैंदी हुईं,
ऐ जांदन सब जख-तख घ्वाँ!

दाणी लगी नी अभी य'क-सी,
चुल्यौणा छन ढुंगा च्वाँ !
÷÷÷÷÷×÷÷÷÷
© नवीन डिमरी 'बादल'

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
गढवली मा  हाइकु
Garhwali Haiku

By Sunil Bhatt   


१ "हाइकु"
शब्दौं बुज्युनु
दिलै मा घात काद
हाइकु होंदु

२ "जून"

दाजी सजला
आसमान मा जून
पीणु होलु क्वी

३. "सौण"

सरगौ गुस्सा
मिंडखौं का जागर
सौणा कु मैना

४."बात ना चित्त"

मैह्मान अयुँ
फोन मा मिस्याँ सौब
खातिरदारी

५."जेल फुल"

संत बणी जा
पर बाबा नी बणी
जेल भ्वरेगीं

६."टैम नी"

टैम निकाल
खैर खबर पूछ
फोन पर खुद्यो

७."३७०"

दीमक छौ वु
तीन सौ सत्तर त
मुंडरू खत्म

८."काम तमाम"

बत्थौं सरकै
दिवारौं का कंदूड़
काम तमाम

९."रिश्ते आनलाइन"

रिश्ता बच्याँ छीं
दोस्तों बी क्वी कमी नी
आनलाइन

स्वरचित/**सुनील भट्ट**
13/12/19
Garhwali Haiku from Garhwal; Garhwali Haiku from Garhwal Uttarakhand; Garhwali Haiku from Garhwal Himalaya; Garhwali Haiku from Garhwal North India; Garhwali Haiku from Garhwal South Asia;

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22