यद्यपि यह कविता पहाड़ी नारी पर नहीं है ,किंतु बेटियों पर इतनी अच्छी कविता लगी कि इसे पोस्ट करने का लोभ संवरण नहीं कर पा रहा हूँ | यह पहाड़ी बेटी भी हो सकती है :
(कविता प्रसिद्व कवि अजहर हाशमी ने लिखी है )
बेटियाँ शुभकामनाएं हैं, बेटियाँ पावन दुआएं हैं |
बेटियाँ गुरुग्रंथ की वाणी, बेटियाँ वैदिक ऋचाएं हैं ||
बेटियाँ ज़ीनत हदीसों की,बेटियाँ जातक कथाएं हैं |
त्याग,तप,गुण, धर्म, साहस की,बेटियाँ गौरव कथाएं हैं ||
मुस्कुरा के पीर पीती हैं,बेटियाँ हर्षित व्यथाएं हैं|
जिनमें ख़ुद भगवान बसता है, बेटियाँ वे वन्दनाएँ हैं ||
इस प्रदूषण के जमाने में, बेटियाँ सुरभित फिज़ाएँ हैं |
लू-लपट को दूर करती हैं, बेटियाँ जल की घटाएँ हैं||
दुर्दिनों के दौर में देखा, बेटियाँ संवेदनाएं हैं |
गर्म झोंके बन रहे बेटे , बेटियाँ ठंडी हवाएं हैं ||