सुणा दग्ड्यो मग्तू की शैल-
बाबा जी जैका फौत ह्वैगी था, भाइ-भौज बि जुद्दा ह्वै गी था ,
कब तक वैकी मुन्ड्ली मसाल्दी , छाकला कै बै वै पाल्दी,
करी वैन शुरो सान्स , भला दिनो की छै वै आस ,
बोल्न बैठे -
मा , जाण दे दिल्ली , फिर जाणेन दिन ,
रूप्या हि रूप्या कमोणैन मिन,
ठाटदार कोठी , सिमेन्ट को गुठ्यार,
खडी ह्वोली , अप्णी मारूति कार
भाग तै वीन दिनै अप्णा गाली- बोल्न बैठी सुणी बेटा की रन्ग्वाली,
रूप्या न राप्या , न चैन्द गाडी ,
दुयौ तै भौत कन्डाली और बाडी ,
बुड्या च सरील मेरो, जाणे कब होन्दी जाणी,
को धोल्ळो , मुख द्वी बुन्द पाणी,
घर रा बेटा , कमैलो चाए , नि कमैलो,
मुर्दी दा मेरी आन्ख्यो का सामणी त रैल्यो
माया मम्ता क्ब देख्दो चुचो ज्वान जोश,
अधक्च्रा स्वीणा ख्वै देदान होश
बोल्न बैठे- कुछ रवै की, कुछ गिर्जे की-
बीस बरस कु छौ नि अब अजाक,
इन्टर पास छौ नि क्वी मजाक,
कब तै रैण ताल को गड्याल बणी,
तु जाण दे दिल्ली मै सणी
तु त सुद्दी सुद्दी करदी फिकर,
दिल्ली मा नि च क्वी डर
मिली जालो वख क्वी न क्वी काम,
यख रै तै त बस बेवाल्न घाम
नौना बि त छ्न वख काका बडौ का,
हौर बि छ्न कत्गा हि गौ मुल्क का,
ह्च नि देला क्वी मै सारू
ल्ग हि जालो क्वी न क्वी रोज्गारो
जिद क अग्वाडी ब्वै की मम्ता हारी,
दिल्ली भेज्ण की करे तयारी
नथुली गिर्वी धरी , किराया काई,
उचाणो सिराइ अर दिन बार गडायी