जापानी चोका विधा मा एक रचना..."चूल्लू जीवन"
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First Modern Garhwali Poem in Japanese choka Style 9division of Waka jaapnese style) [/color]
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By Akhilesh Alkhaniya [/b][/font]
चोका दरअसल एक जापानी कविता विधा छ। जथगा नौ "हाइकू" विधन कमै उथगा ई चोका बी एक जंणी मंणी विधा छ। चोका थोड़ा भौत हाइकू से मेल त खांदी छ पण हाइकू मा कुल आप ३ पंगत मा रचना कै सकदा मने हाइकू कुल मिलै तै तिन लैनै होंदी जबकि चोका मा पंगतै क्वी सिमा नी होंदी, कथगा बी चरणो मा चोका लिखे सकदे। चोका कथगा बी लंबी ह्वे सकदे, यू रचनाकार पै निर्भर करदू वू कथगा बड़ी कबिता लेख सकदो। मेन बात य छ हाइकू मा पैली लैन ५ अक्षरै, दूसरी लैन ७ अक्षरै अर तीसरी लैन ५ अक्षरै होंदी(५-७-५)। पण चोका मा पैली लैन मा ५ वर्ण दूसरी मा ७ वर्ण तीसरी मा ५ वर्ण अर अंतिम जू द्वि लैन होली वू ७-७ वर्णै होली(५-७-५-७-५-७-७)। चोका कथगा बी लंबी ह्वे सकदे बशर्त छ पिछनै दांकी द्वि लैन सात-सात वर्णै होंयि चयेणीन। चोका मा कोसिस यन होंयि चयेंणी की हरेक लैन स्वतंत्र हो, एक हैंकी लैन पे निर्भर नी हो। चोका जब वाचन हो त उच्च स्वर मा हो। "गढ़वळि" मा हमतै चोका प्रयोग कंयू ई चयेणू।
★★★चूल्लू जीवन★★★
चूल्लू जीवन
तचाणा रावा ये तै
शरेलौ माटू
सुख दुखा लखड़ा
खैर्या अंगरा
निरासपंतौ खारु
उमरै झौळ
बगतौ भांडू भोरी
मिनतै रूसै
स्यांणि छ मट्टातेल
बिपदा धुंवा
खोपै अंसधरिन
चूल्लू नी मूंझा
हार नी माना तुम
पकाणा रावा
चूल्लू जगाणा रावा
समै लगलू
रूसैन बंणण छ
सबादन औंण छ
"रचना- अखिलेश अलखनियाँ"
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