Author Topic: उत्तराखंड पर कवितायें : POEMS ON UTTARAKHAND ~!!!  (Read 527466 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

Writer - Chandan
============

मा° तेरि याद जब बुबजी थइ आन्द,
ज्वडफट़्टा ब्वलद सि सर रकर्यान्द
ज्योंद छैन्द मा त ध्वार नि आन्द
अर पितर हूॅण म खूब याद आन्द
खाली खटुलि देखि हंॅस भोरि आन्द
चिलमणि भोरिकि तम्बकु फक्यान्द
समलौंण्य याद थइ बिसरि जान्द
तेरा नौना बाˇों म सारू सि ल्यान्द
पितर ह.्वैगे तु जिकुड़ि बुजान्द
कभि-कभि स्वाणों म भ्रम मिटान्द
बार तिवार म खॉद म जॉद
धुपणु कैरि कै मुण्ड टेकि ंआन्द
अन्न कि रास अर धूप कि वास
पौंछि जया या ब्वै तेरा आस पास
इन्नि चैलि आइ ब्वै दुनिया कु विश्वास
गढ़वाल संस्कृति ब्वै हमरू विश्वास।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कंगस्या से

  मुरली दीवान 
================
नारि अपड़ु चरित्र निर्माण करू
समाजिक काम करू, धांण करू
तीलु रौतेलि सी नारि, रामि बौरोंण सी ब्वारी
मुल्क मा° अपड़ि अलग पछ्याण करू
गौरा देबि अर बछेन्द्रिपाल जन बंड़ीकि आज
बार-बार नयु कीर्तिमान चैंन्दू
जख दया-धरम-करम-संस्कार पैदा होन्दा
मींतै सो बगिचा सो बग्वान चैन्दू
आज त आंतकवाद बड़ीं भुला
वोडा-वोडा पर विबाद बड़ी भुला
द्वी झड़ों का बीच द्वी भयों की राजी-खुशि मा
जिन्दगी भर कु मवाद पड़ी भुला
आज तु नि चैन्दु आज भगतसिंग चैन्दु भुला
आज वी पवित्र बलिदान चैन्दू
जख दया-धरम-करम संस्कार पैदा होन्दा
मीं तैं सो बगीचा सो बग्वान चैन्दा।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
पहाड़

साधोसिंह नेगी
========

रौड़िगे मेरू पहाड,
क्यΣ कुमौ क्याΣ गढ़वाˇ,
जैकु बोलि कि, टेक लगांदी
वैन पैली मारि फाˇ,
खाणि की पठाˇ छै वा,
धूरी मा पुजेंदि छै ज्वा,
पहाड़ै आस छै ज्वा,
दानि आख्यू° कि - भ्वाˇ छै ज्वा।
डाड्यू° बटी रौड़ि दौड़ि,
बणिगै गाडै गंगलोड़ि
पौंछिकी देवाˇु मां,
कणाणी च खुट्टौं ताˇ
क्यΣ कुमौ क्यΣ गढ़वाˇ।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
क्वन्ना पेट

  सैन सिंह रावत
 
एक दिन/मिन अपणो छ्वटो/खूब मारी
पैली चपत/फेर मुक्का/वो दिख्यौत चम्पत
जख लुकि हो/ढूंडा ढूंड/बबरा पा°डा/खोˇा-खोˇा/डा°डा-डा°डा
कैको खाणू/कैको पेणू/द्वफरा घाम/अर मैना जेठ
भितर देखे त/वो क्वन्नाअ पेट।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

मन अघोरी


 सायर सुरेन्द्र खुशहाल 
===========
मन अघोरी
घोर ध्यानम
ध्यानम बैठ्यू° ब्र२।
ईं/कूड़ी की
द्वर ढकि लगि जै
प्याटि प्याट
यन स्वचणू भै
यखी/म्यारू भि
मरघट ∫वेजा
मोरिजा म्यारू अहम्।
अहा!
नाम-धाम की बिज्वाड़
औंगिरगे
अर, तृष्णा-हिरुली
मेरी जलुड़ी घाम लगिगे
य दुनिया ∫वेगे
ऐसी-तैसी
वेकु,
वासुदेवः सर्वम्।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
विधानसभा

 विजय कुमार सिमधुरपि
==================

हे दीदी चला......
कख ?
देहरादून
क्यांको ?
झिंडा मेला द्यखणौ ?
न... न..
त क्यांको ?
विधान सभा द्यखणौ
द विधानसभा
होंदी क्या छा ?
स्यू बाघ से बी......
ज्यादा खतरनाक......
कै कै की मवशी
घाम लगे ईन ?
जब इतगा
खतरनाक च
य विधान सभा
त भुली इन करा
हमुतै न ....
तौं मर्द नमनुतैं
करा कट्ठा लेकितैं
बड़ा-बड़ा लट्ठा
घेरी घारी
पखड़ीकी
ल्यावा तौं तैं
अर
छोड़ी द्यावा
अमेली का डांडा।

Anil Arya / अनिल आर्य

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 1,547
  • Karma: +26/-0
Great Poems by Great Poets. Thanks Mahipal Ji .:)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
हमर ख्याल भि कर्या°


 आर० डी० शास्त्री

-------------------------

हैंसा भाग्यों हैसा जौंक दांत पाटि छन
तुमरा त रोटि खाणकु जुगाड़ भि छन
हमत् पैलकि ख्वˇा छवा°
हमर नजर तुम फरि छन
दिदौं हमर ख्याल भि कर्या°
हम त् पेटक आ°सु पेटि घुटणंा छवंा
न हैंसि सकदा न र्वै सकदा
दगणम किदोˇो सि हम भी खैंचणा छवां
पर क्यकन्न हम तुम देखि हैंसणा छवां
उनत् सब्या हम देखि खू°कार बंण्या छन
दुन्या हम देखि गारा पिसणी च
पर हम त चौपट खाˇम् पैलि बैठ्या° छवां।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Dev Singh Rawat जागी जावा जागी मेरा उत्तराखण्डी वीरो,
जागी जावा जागी मेरी देव भूमि का सपूतो।।
चंगेजी लूटेरों ला देखो लूटी मेरो पहाड़,
कोडियों का दाम बेची यो ना धरती माॅं।।
मुजफरनगर के जख्म हमें धिक्कार रहे हैं।
शहीदों की शहादत को भी ये रौंद रहे हैं।।
गैरसैंण राजधानी को ये नादिर रोक रहे है,
जाति-क्षेत्रवाद के ये कीड़े चंगेज बने हैं।।
माॅ माटी मानुष से इनको जरासा प्रेम नहीं है,
वतन को लुटने लुटाने में ही दिन रात लगे है।
जागो मेरो बदरी नाथ जाग भोला केदार,
जागो मेरो नरसिंह जागो त्रिकाल भैंरों।।
माॅं भवानी जागी जाओ जागो हरि हर,
नेताओं का भेंष माॅं आज घुसी लूटेरा।।
नौकरशाही मां भी घुसी गया बटमार,
जनसेवा का नाम पर लूट मची भारी।।
दिल्ली दरवार में घुसी गेना पत्तीधारी,
रक्षा करो बीर बजरंगी रक्षा करो ग्वेल।।
रक्षा करो चक्रधारी तुम मेरो श्री कृष्ण,
आयां तेरी शरण माॅं सभी उत्तराखण्डी।।
पाखंडी लूटेरों से रक्षा करो माॅं चण्डी।
खून का आंसू रोणिया च मेरा उत्तराखण्डी।।
जागी जावा जागी मेरा उत्तराखण्डी वीरो।
जागी जावा जागी मेरी देवभूमि का सपूतो।।
-देवसिंह रावत ़(19-20 मई 2011) see www.rawatdevsingh.blogspot.com

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Kanhyalal Dandriyal (Burans (1965) )
 
 भली लगदी मैं वींकी तान, , फूलूं का बागवान रुवाई जांद मी कैको प्यार, हे तेरु गेल्या ,  ना अनगार ---१ फजल ब्यखुनी बस वैका ध्वार , काखुम बैठी खुटी पसार जलत्यरू , खाण पकाणो भलो , , हे त्यारो गेल्या ? ना स्यू ना ,  चुल्लू --२ हाथ खुटों पर चुनगी दीन्दा , रात उ सैरी त सीणि  नि दीन्दा मनदा   नी चा नाक बि घुरसू, हे तयार स्वामी ? न ये न , सरसु --३ वै से म्यारो भारी प्यार वै के सैन सोला सिंगार वैन ही बिंदी स्युन्द संवारण , हे त्यारो स्वामी ? न ये न , दर्पण  ४ दूर कखी बटी कबि ऐ जांद , मेरो निर्स्युं प्राण सस्यांद बात बिगोंदा कै इतवार , हे तेरी दगड़या  , न ये न, रैबार  

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22