Author Topic: Poems Written by Shailendra Joshi- शैलेन्द्र जोशी की कवितायें  (Read 98882 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पहाड़ के गुलजार नेगी दा की इस रचना की याद आ गयी आज आसमान को देखकर जो आजकल के मौसम अनुकूल है
फोटो क्लिक......................शैलेन्द्र जोशी

असाड कुयेडी लौकण सी पैली
सौंण बरखा पाणी बरखण सी पैली
ऐजयी फिर दिन निछन
भादो का भादोड़ा बाण सी पैली
ऐजयी फिर दिन निछन
बामण बुन्नु च
फिर दिन निछन
देखयाली पत्डू
बंचायाली पत्डू
फिर दिन निछन
कख धरी च चापत्ती
गुड़ चिन्नी मिन्नी च
त्वैमा क्या बुन घर की बात
उबली खिचड़ी चढ़ा यी च
त्वै दगड़ी गै दाळ भात
पेटा अंदडा पिंदडा
सुखण पैली
कख धरी च चापत्ती
गुड़ चिन्नी नि मिन्नी च
चाबी दगड़ी लि गयी
अलमारी नि खुन्नी चा
घर का ताला कुंजा
टूटण से पैली
ऐजयी फिर दिन निछन
बल्द सिंग पल्याणा छिन
घास पाणी तरकिणी चा
भैसी औण देणी चा
एक लत्या गौड़ी लत्याणी चा
लैंदी गौड़ी भैसी छुटण सी पैली
ऐजयी फिर दिन निछन
मैकू प्यारी तू ही रै
त्वैकू प्यारु मैत हवे
त्येरा मैत्यु रै भरुम
सदानी म्येरी
जिकुडी झुरै
नया ब्यो कु डोला
लौण सी पैली
ऐजयी फिर दिन निछन

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
11 hrs · Edited ·

बरसात मा पिरेम उपमा बरखा दगड़ी ये मुक्तक मा उम्मीद करला आपतै पसंद आली

म्येरी माटा बास लग जौ
तेरा नाक तलक
त्वैकू बरखण पड़लू
छोरी झकाझोर
पैली आसमान मा
बादल टिपि लौदी
समोदर बीटी
सुधि लठयाली
मट्टी नि महकदी
बरखा नि बूंद ही बरखो
म्येरा माटा मा
तब देख माटै गंद बास .............शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
22 hrs · Edited ·

पहाड़ के गुलजार नेगी दा की इस रचना की याद आ गयी आज आसमान को देखकर जो आजकल के मौसम अनुकूल है
फोटो क्लिक......................शैलेन्द्र जोशी

असाड कुयेडी लौकण सी पैली
सौंण बरखा पाणी बरखण सी पैली
ऐजयी फिर दिन निछन
भादो का भादोड़ा बाण सी पैली
ऐजयी फिर दिन निछन
बामण बुन्नु च
फिर दिन निछन
देखयाली पत्डू
बंचायाली पत्डू
फिर दिन निछन
त्वैमा क्या बुन घर की बात
भूखा बिन कटेदी रात
उबली खिचड़ी चढ़ा यी च
त्वै दगड़ी गै दाळ भात
पेटा अंदडा पिंदडा
सुखण पैली
कख धरी च चापत्ती
गुड़ चिन्नी नि मिन्नी च
चाबी दगड़ी लि गयी
अलमारी नि खुन्नी चा
घर का ताला कुंजा
टूटण से पैली
ऐजयी फिर दिन निछन
बल्द सिंग पल्याणा छिन
घास पाणी तरकिणी चा
भैसी औण देणी चा
एक लत्या गौड़ी लत्याणी चा
लैंदी गौड़ी भैसी छुटण सी पैली
ऐजयी फिर दिन निछन
मैकू प्यारी तू ही रै
त्वैकू प्यारु मैत हवे
त्येरा मैत्यु रै भरुम
सदानी म्येरी
जिकुडी झुरै
नया ब्यो कु डोला
लौण सी पैली
ऐजयी फिर दिन निछन

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
June 24 at 4:20am ·

शाम कु नाजरू शैलेन्द्र जोशी का क्लिक बिटि दगड़ा मा नयी रचना देख सकदी त देखली

म्येरा चंचलता का गदेरो
भित्र लुक्यु ढक्यु
गंभीरता कु गौमूख गंगा
विका भित्र च चिंतन कु
अथाह समोदर
देख सकदी त देखीले
निथर येकू बि
सुधि चंचलता भरि
मजाक समझले ..................................शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi 
June 24 at 12:00am · 

मेरी लिखी बहुत पुरानी रचना माँ का दूध यहाँ पर पोस्ट कर रहा हु उम्मीद करता हु आप को पसंद आयेगी

माँ के ढूध का
कोई हिसाब नहीं
न कोई मोल
ये ढूध तो है
खुद ही अनमोल
माँ हिर्दय संग जोड़ इसका
माँ के दूध का स्वाद ऐसा
ममता की मिठास इसमे
चिन्नी ब्रोंनवीटा न डलता बूस्ट
ये ढूध तो है
खुद ही पुष्ट
माँ के ढूध कोई कर्ज नहीं
इसको पुजना ही फर्ज..............................शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
June 17 at 3:04am · Edited ·

चोर नौ ही जोड़ सकदु
रचना दगड़ी
क्या माया ममता च
रचनाकार की रचना साथ
स्यु चोर नि समझ सकदु कबि न.................शैलेन्द्रजोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
 

चिफ्ला उंधार मा त
क्वी बि घिसलोड़ी खेल देलू
हैसी हैसी
सुखा उधार रडी
घिसलोड़ी खेली
बता दौ बल
तब जाणु
तुम छा
असली मर्दा बच्चा............................शैलेन्द्रजोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
June 27 at 10:01pm ·

साहित्यकार भजन सिंह " सिंह" जी अमर रचना कु सगोरी ब्वारी

कु सगोरी ब्वारी
उखी मा खाणी
उखी मा पदणी
कुछली का नौना तै
रुसाड़ा मा हगाणी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
June 27 at 9:01pm ·

गड्वाली कथाकार और साहित्यकार महेशनन्द जीके आग्रह पर म्येरी कविता उतराखंड का सल्ली शिल्पकारो तै समर्पित

त्वैकू प्रणाम अर
सिवा सौली राजमिस्त्री
त्येरा हथुन ही सज्जी
खोली कु गणेश
अर मोरी का नारैण
तिन ही बने
तिबारी डडयाली
घरकुड़ी सजीली
पाड़ मा हमारी
त्येरा ही हथुन बणी
मठ मंदिर
तिन ही चिणी
झपन्याली डालो
की भली चौरि
तिन ही बने
खेतों मा मेंड
सीचणा कु कुल
पर भारी
अससोस
हुंद उतराखंडी
समाज त्येरा
हथुन सीचणु
भुली बिसरी
त्वैकू अर त्येरा
शिल्प तै किल्हे
आउट आफ फैशन
बने यी बात
सब्बीन बौग सारी........................शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
June 27 at 8:53am ·

धन त्वैकू बिहारी
कन्न भली सारी च
त्येरा हथुन
तिल उतराखंडा सैरा
घर कूड़ा संवारिन
त्वैकू सैल्यूट भारी
त्येरा मिनत मजदूरीन
तू पड़ी सब पर भारी
तेरा हथुन धाण
देस संवारी
धन त्वैकू बिहारी
त्वैकू सैल्यूट भारी.............शैलेन्द्र जोशी

 

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