Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 360015 times)

Bhishma Kukreti

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                     क्या अगले दशक में सहिष्णुता और असहिष्णुता की भद्द पीटी जायेगी ?

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                     चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती   

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    स्वतंत्रता पैथर भारत मा प्रजातंत्र की उथगा भद्द नि पिटे गे जथगा भद्द , जथगा बेज्जती , जथगा पिटै धर्मनिरपेक्ष शब्द की ह्वे।  सेक्युलर , नॉन सेक्युलर या स्यूडो सेक्युलर शब्दों का इन बुक्चा बणाये गे कि अब कैंब्रिज , वेब्स्टर , ऑक्स्फ़ोर्ड वळ अपण अपण शब्दकोश से सेक्युलर शब्द ही हटाण वळ छन किलैकि शब्दकोश निर्माताओं अर संपादकुं समज मा इ नि आणु च कि सेक्युलर की कॉंग्रेसी व्याख्या , नितीश कुमार -पासवान ; लालू प्रसाद , कम्युनिस्ट , भाजपा, ओवेसी  आदि की परिभाषाओं मादे असली परिभाषा क्वा च ? शब्दकोश का संपादक अचेत छन कि आतंकवादी तै 'जी' बुलण से यदि क्वी स्क्युलर ह्वे सकुद अर  'पंडित भीष्म कुकरेती ' तै हरामी बुलण से बि आदिम सेक्युलर ह्वे सकद तो स्क्युलर की परिभाषा क्या होली।  शब्दकोश का संकलनकर्ता बेहोशी का हालत मा लाल कृष्ण आडवाणी से पुंछणा छन कि क्या पूठा मा जिन्ना का ब्रैंड /ठप्पा लगाण से बाबरी मस्जिद का अपराधी क्या सेक्युलर ह्वे सकद क्या ?

   अब सेक्युलर शब्द मा वा   , तैंचि , गरमी , उ दम -खम नी रै गे कि मुलायम सिंह मुसलमानुं तै ढिबर जन हकै साको।  अब कॉंग्रेस का वास्ता स्क्युलर शब्द एक प्राचीन , प्रागऐेतिहासिक , खुंडु शब्द ह्वे गे।  भाजपा का वास्ता स्यूडो सेक्युलर शब्द गुदनड़ जोग हुयुं शब्द ह्वे गे।  बिहार मा सेक्युलर शब्द का भौत सा बाप दादा ह्वे गेन अर अब धर्मनिरपेक्ष शब्द पर केवल लालू यादव का कब्जा नी च अपितु ओवेसी , एनसीपी , नीतीश आदि का बि कब्जा ह्वे गे।

आज सेक्युलर शब्द ही इरलीवेंट ह्वे गे याने औचित्यविहीन ह्वे गे। सेक्युलर शब्द अब राजनैतिक श्मशान घाट मा जळ गे। सेक्युलर शब्द का राख बि अब भारत मा नि मीलल।

  इनमा राजनैतिक रुट्टि, खिचड़ी , केक पकाणो वास्ता नया बर्तन , भांड , तवा चयेणु छौ।  अर सन 2015 की एकी उपलब्धि च कि राजनैतिक बदमाशों , राजनैतिक बदकारों, राजनैतिक पार्ट्यूं   वास्ता हमारा बुद्धिजीवियोंन द्वी शब्द दे देन। इ शब्द छन - सहिष्णुता अर असहिष्णुता अर एकाद सालम हैंको शब्द ऐ जालो सूडो टोलेरेंट या स्यूडो टोलरेंसी।

 अगला दशक मा भाजपा का ख्वाळ वळ इंटॉलरेंस याने असहिष्णु माने जाल अर भाजपा विरोधी सहिष्णु याने टोलिरेंट पार्टी।

अब सबका सब राजनैतिक पट्ठा सहिष्णु अर असहिष्णु की खाल उधाड़ल।

अब सबि  राजनैतिक लोग सहिष्णु अर असहिष्णु की नई परिभाषा अपण सहूलियत से द्याला।

अब सबि राजनैतिक सोच वळ , समर्थक सहिष्णु अर असहिष्णु शब्दों की डंडलि सजाला।

सहिष्णु अर असहिष्णु शब्द अब राजनैतिक स्वार्थ की बलिबेदी मा बलि का बकरा बौणल।

सहिष्णु अर असहिष्णु शब्दों से अब नया नया भाषण तयार होला।  नया नया लाल कृष्ण आडवाणी , नया नया  दिग्विजय सिंह , नया नीतीश कुमार , नई नई ममता बनर्जी -मायावती , नया नया अकरुद्दीन ओवेसी पैदा ह्वाल जु सहिष्णु अर असहिष्णुशब्दों की ऐसी तैसी कारल।

अगला दशक मा  जनता अब सहिष्णु अर असहिष्णु  शब्दुं का बीच पिसे जाली।

जनता तै अब दाळ की जगा सहिष्णु अर असहिष्णु शब्द खलाये जालो।

जनता तै अब कपड़ा  ना सहिष्णु अर असहिष्णु  की लंगोट पैराये जालो।

अगला दशक मा  अब जनता तै सहिष्णु अर असहिष्णु द्वारा फिर से बेवकूफ बणाये जालो अर अशिक्षा , कुपोषण , सुविधा मा सुधार की जगा सहिष्णु अर असहिष्णु शब्दों मा सुधार की छ्वीं लगलि।

क्या मि कुछ गलत बुलणु छौं ?





7 /11/15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।

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Bhishma Kukreti

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                बिहार चुनाव में भाजपा के चुनाव हारने के मुख्य असली कारण

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चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती   

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 2015 का बिहार विधान सभा चुनाव मा भारतीय जनता पार्टी चित्त ह्वे गे , मुर्दार ह्वे गे , नितीश -लालू अर पप्पू की तिकड़ीन भाजपा तै धूळ चटै  दे। परसि भाजपा की चुनाव समीक्षा ना बल्कण मा नरेंद्र मोदी -आरएसएस बचाओ बैठक ह्वे।  म्यार जासूस बि वीं नरेंद्र मोदी -भागवत  बचाओ बैठक मा छौ।  म्यार जासूसन बैठक मा क्या ह्वे की आंतरिक रिपोर्ट इन दे -

 एक भाजपा सदस्य -हमारी हार का पैथर मुलयम सिंह की नाकामयाबी  जुम्मेवार च।

साक्षी महाराज - हाँ हाँ।  अवश्य ही मुलायम सिंह की नाकामयाबी ही सब जगा हम तै हरांदी।  अरे यु मुल्ला मुलायम मुसलमानो का वोट नि काट साक।  फोकट मा ये तै मुल्ला कु तगमा मिल्युं च। मुलायम सिंग मुसलामनों बोट  नि पाण से हम बिहार चुनाव हारों।  बस जी मीटिंग बर्खास्त कारो।  हम तै असली कारण पता चल गे।

शाह नवाज - अजी मुलायम सिंग की नाकामयाबी मुख्य कारण नी च अपितु मुसलमानो का खसम ख़ास अकबरुद्दीन ओवासी की नाकामयाबी भी तो भाजपा का हार का कारण च।

नजमा इ हेपतुल्ला -जी यु ठीक च। सरा तोहमत मुल्ला मुलायम अर ओवैसी पर लगै द्यावो तो प्रधान मंत्री अर अमित शाह अफिक बच जाला।

जेटली - मि तै लगणु च साहित्यकारोंन बिहार्युं तै चेतवानी दे होलि कि यदि भाजपा जीती जाली तो हम सब अपण तगमा , इनाम किताब टीवी चैनलों तै वापस कर द्योला।
स्मिति ईरानी - आपक बात मा दम च।  तो बस ह्वे गे चिंतन कि बिहार्युंन साहित्यकार अपण इनाम टीवी चैनलों तै नि वापस कारन का कारण भाजपा तै वोट नि दे।

गिरिराज सिंह - नही पाकिस्तानी मीडिया की मेहरबानी से हम बिहार का चुनाव हारवां।

सुषमा स्वराज - ठीक च मि या बात यूएनओ मा बि उठान्दु कि पाकिस्तानी मीडिया भारत का घरेलू मुद्दों मा घाल मेल करणु च।

उदित राज - अजी जतिन राम मांझी, कुशवाहा  अर रामविलास पासवान दलित वोट नि दिलै सकिन । असली कारण जतिन राम मांझी, कुशवाहा  अर रामविलास पासवान की नाकामयाबी च।

संविद पात्रा - तो मि टीवी चैनलों मा अपण हार का ठीकरा जतिन राम मांझी, कुशवाहा  अर रामविलास पासवान पर फोड़ द्योलु।

नरेंद्र कोहली - इखमा शर्माणै बात क्या च ? हमेशा ही भैंस का गुस्सा मकड़ा पर ही निकाळे जांद।  बनाओ जतिन राम मांझी, कुशवाहा  अर रामविलास पासवान तै बलि का भैंसा।

संगीत सोम - अजी हम तै अपण चुनाव चिन्ह 'गौड़ी' करण चयेंद छौ।  गाय माता अवश्य ही हमारी नय्या पार लगै सकदी छे।  पर मेरी बात पर सिवाय मीडिया का क्वी ध्यान ही नि दींदु।

कटिहार  - चुप्प।  ना तो राम नाम ना ही गाय नाम।  यी द्वी नाम मेन टैम पर धोखा दे दींदन।

संविद पात्रा - अरे इन बताओ कि हम प्रवक्ताओं तै चुनाव हारणो क्या क्या कारण दीणन ?

नरेंद्र कोहली - जु जु कारण 2014 का लोकसभा चुनाव मा कॉंग्रेस का हार का कारण छन या कॉंग्रेसन जु बेतुका कारण बतैन वी कारण हम बि बतौला।

एक भाजपाई का प्रवेश - हम तै कारण बताणो जरूरत नी च।  शत्रुघ्न सिन्हा , भोला सिंह प्रेस कोन्फेरेंस करण ही वाळ छन।

दुसर भाजपाई का प्रवेश - आडवाणी जी , मुरली मनोहर जोशी जी आदि सब चुपके से हार का असली कारणों की सूची प्रेस तै दीण वाळ छन।

सब (उठद ) फिर ठीक च।  हम तै कुछ सुचणो जरूरत नी च।


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             भाजपा की हार और वरिष्ठ नेताओं  की तकरार

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चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती   

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धृतराष्ट्र - संजय ! आज कुरुक्षेत्र युद्ध का अठों दिन खतम ह्वे गे।  म्यार पुत्रों न युद्ध मा क्या पाई , क्या खोई की कमेंट्री तो सुणा।

संजय -महाराज ! दिख्युं आँख क्या दिखण अर तप्युं घाम क्या तपण ?

धृतराष्ट्र - मतलब आज बि दुर्योधन की सेना जीत नी च।

संजय -ना माराज ! उल्टां आज कौरव सेना भौत बुरी तरां से हारी।  इथगा करारी हार कि भीष्म पितामह अर द्रोणाचार्य जन जिताऊ जोधा बि शरमाणा छन।

धृतराष्ट्र - अब तो स्याम ह्वे गे।  हमर सेनापति लोग अपण शिविर मा क्या करणा छन ? जरा अपण दूरदर्शी नजर से मि तै बतादी।

संजय -महाराज नि सूणो बल कौरव शिविर मा क्या हूणु च।

धृतराष्ट्र - उंह ! यथार्थ तै सुणण अर भुगतण मेरी नियति च।  तू सच बता।
संजय -हार का बाद जु हूंद ऊनि कौरव शिविर मा बि हूणु च।

धृतराष्ट्र - क्या मतलब ? क्या कौरव सेनापति हार का इल्जाम एक हैंक पर लगाणा छन ? हार का ठीकरा एक दुसर की बेज्जती करणो बान प्रयोग करणा छन ?

संजय -हाँ माराज। हार से लथपथ , बेज्जत ह्वेका   अति क्रोध मा सम्राट दुर्योधन ,अंगद राज कर्ण अर गुरु पुत्र अश्वथामा पितामह भीष्म का शिविर मा गेन जख गुरु द्रोणाचार्य अर शल्य बि उपस्थित था।

धृतराष्ट्र - फिर उख क्या  क्या वार्तालाप ह्वे ? सच सच बताओ दूरदर्शी संजय।

संजय -ल्या हार का बाद भीष्म का शिविर का आंख्युं दिख्युं हाल क्या कुहाल द्याखो।

दुर्योधन , कर्ण अर अश्वथामा (अति क्रोध मा एक साथ ) - पितामह भीष्म अर गुरु द्रोणाचार्य ! आठ दिनों की हार का बाद आप क्या करणा छंवां ?

द्रोणाचार्य - हम तिनि हार का कारणों की सूक्ष्म समीक्षा करणा छंवां।

कर्ण (अट्टहास अर बेज्जती करदारी भाषा मा ) - वाह ! जु सेनापति हार का असली कारण छन , जौंकी जईं -बितीं रणनीति हार का कारण च , जौंकी बकबास नीति से कौरव सेना हार वी कौरव सेना का हार का कारणों की समीक्षा करणा छन ? आप दुयुं तैं सेनाध्यक्ष अर सेनापति पद छुड़ण चयेंद।

शल्य - कर्ण ! बकबास बंद।

अश्वथामा - इकमा राधेय  कर्ण क्या गलत बुलणा छन ? हार ह्वे तो सेनाध्यक्ष अर सेनापति तै पद छुड़न ही चयेंद।

शल्य -  गुरु अश्वथामा ! पता च कि ना कि गुरु द्रोणाचार्य तुमर पिताश्री छन ?

अश्वथामा - राजकरणी मा जीत पिता -पुत्र का संबंधों से अधिक महत्वपूर्ण हूंद।

कर्ण -सम्राट दुर्योधन ! हार का कारण से तुम अब्याकि अबि पितामह भीष्म अर गुरु द्रोणाचार्य तैं पदविहीन कारो।

शल्य - वाह बाप ना मारे मेंढकी अर पुत्तर का नाम कमाल !

कर्ण -क्या मतलब ?

शल्य - जब से तू नराधम , वर्णशंकर दुर्योधन का साथ ऐ तब से आज तक पता च तू  तीन दै वृहद युद्ध हारी , दस दै मध्य युद्ध हारी अर भौत दै धनुर्धारी अर्जुन का डौरन युद्धस्थल से भागिक ऐ।  क्या सम्राट दुर्योधनन त्वे तै राजसभा से भैर कार ?

अश्वथामा - शल्य जी ! भूतकाल की बात से आज का युद्ध का संबंध नी च।  आज यी द्वी महारथी , अतिरथी पराजयी योद्धा छन तो यूँ तैं अपण पद छुडन ही चयेंद।

शल्य - नराधमों ! जब क्वी समूह -समाज हारदो च त वै समूह का सदस्यों मा और अधिक मेलमिलाप हूण चयेंद , एक दुसर से अधिक सौहार्द बढ़ाण चयेंद , एक हैंक से कंधा से कंधा मिलैक काम करण चयेंद , सामूहिक यश -अपयश का भागीदार बणन चयेंद।  हार का बाद  सब्युंक समिण एक हैंकाक धोती नि खुलण चयेंद। पिछली हार से अपण स्वार्थ सिद्धि छोड़िक भविष्य की रणनीति पर जोर दीण चयेंद।

गुरु द्रोणाचार्य - हा हा आ !

शल्य - गुरु द्रोणाचार्य ! क्या मीन कुछ गलत बोली दे ?

गुरु द्रोणाचार्य - ना ना ! तुमर बात एकदम सही च किन्तु   

शल्य - फिर आपका यु अट्टाहास ?

गुरु द्रोणाचार्य - सब ये आदर्श से सहमत हून्दन कि हार का बाद एकजुटता ही असली जड़ी -बूटी च किन्तु भविष्य मा भी अनुभवशील विचारक ये पथ पर नि चौलल।

शल्य - मतलब ?

गुरु द्रोणाचार्य - इनि कलियुग मा असूज , संबत 2072 (AD 2015) मा बिहार विधान सभा चुनाव मा भारतीय जनता पार्टी चुनाव हारली अर भाजपा का जन्मदाता , पोषक , पित्र रूपी योद्धा खुलेआम अपण स्वार्थ, राजनैतिक महत्वाकांक्षा अर वर्चस्व का खातिर अपणी राजनीतिक दल की खुलेआम छिछलेदारी कारल। नेपथ्य से भैर आणो लालसा मा अपणी लगाईं डाळी ही तै काटणो बान भौत सा अथक प्रयत्न कारल।

शल्य - यूंक नाम ?

गुरु द्रोणाचार्य - लालकृष्ण आडवाणी , मुरली मनोहर जोशी अर यशवंत सिन्हा !





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             नेहरू जयंती पर नरेंद्र मोदी की बेज्जती करण मा मजा ऐ गे

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चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती   

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 जब कौंग्रेसी सरकार रौंदि छे तो हम  तैं अखबारों मा सरकारी विज्ञापनुं से पता चल जांदु छौ बल आज नेहरू जयंती च अर अब जब एनडीए सरकार च तो 14 नवंबरौ स्याम दै पता चलद कि आज नेहरू जयंती छै जब टीवी चैनेल बुल्दन बल नेहरू जयंती का अवसर पर सोनिया गांधी अर राहुल गांधींन एनडीए व नरेंद्र मोदी तैं गाळी देन।

पैल कौंग्रेसी कार्यकर्ता अफिक सुबेर बिजिक स्कुल्यों तै नेहरू जीक बारा मा बतांद छा  किलैकि तब कॉंग्रेस्यूं तैं पता छौ बल नेहरू जीक भारत देशौ कुण क्या मिऴवाक च।  आज कौंग्रेसी कार्यकर्ता टीवी चैनलों अर सरकारी विज्ञापनुं जग्वाळ करदन कि यी मीडियम लोगुं तै बतावो कि नेहरू की शख्सियत क्या छे अर नेहरूंन क्या कार छौ।

पैल कौंग्रेसी कार्यकर्ता मुहल्ला मा घुमदा छा अर नेहरूवाद का प्रचार करदा छा।  अब कौंग्रेसी कार्यकर्ता जन्म ही नि लीन्दन अपितु अब  अपण ब्वेक कोख से सीधा कौंग्रेसी नेता पैदा हून्दन अर सब राहुल गांधी की सकासौरी करदन कि सरकार नेहरू का बारा मा लोगुं तै बतावन। झूट बुलणु हूँ तो साकेत बहुगुणा , रीता जोशी बहुगुणा , अशोक चौहाण , शर्मिष्ठा मुखर्जी , संदीप दीक्षित तै पूछी ल्यावो।

अब कॉंग्रेसी कार्यकर्ता नेहरू जयंती पर मुहल्ला मा फेरी नि लगांदन अपितु केंद्रीय शक्ति का चारों तरफ मक्खन का साथ फ्यारा लगांदन।

कौंग्रेसी राजमाता सोनिया गांधी बि अब बदल गे।  वा बि चांदी कि नेहरू का जागर सरकार लगावो।  ब्याळि सोनिया गांधीन नेहरू जयंती पर नेहरू का कार्यों बारा मा देश तै कुछ नि बताई  बल्कणम आरएसएस का गुणगान अधिक कार अर तब जैक पता चौल कि कॉंग्रेस का वास्ता नेहरू से अधिक महत्वपूर्ण आरएसएस ह्वे गे।

राजकुमार राहुल गांधीन बि अपण भाषण मा नेहरू का नाम सात दै ले अर नरेंद्र मोदी , प्रधानमंत्री शब्द दस दस दै दुहरायी।  श्रोताओं तै लग कि आज नेहरू जयंती ना अपितु नरेंद्र मोदी जयंती च अर गांधी फेमिली बुलणि च कि नरेंद्र मोदी की जयंती कै तरह से मनाण चयेंद।

हम सब तै नेहरू जयंती पर नरेंद्र मोदी की बेज्जती भौत पसंद आई.

जन कि ब्याळि 14 /11 /15 कुण हमर बिल्डिंग मा कटटर कौंग्रेसी गोपाल दा नेहरू जी  का जिकर छिड़दा ही नरेंद्र मोदिका जागर लगाण लग गेन।  हाँ वै जागर मा नरेंद्र मोदी कंस की भूमिका छौ।

क्या अब कम्म्युनिकेसन की शैली बदल गे होली ?


15 /11/15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
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Bhishma Kukreti

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Garhwali Jokes

                   दादीक सबि बाळ सफेद किलै ह्वेन ?

         भुंदरा बौ उवाच (जोक्स, हंसुड़ी , हँसिकाएँ )  -भाग 15   
 
                   अनुवाद अर संकलन  - भीष्म कुकरेती   -

छुटु नौन्याळ - ये ब्वै त्यार बाळ सुफेद किलै हूणा छन ?
ब्वै - ल्वाळो त्यार वजै से।  बच्चा का  हरेक गलत काम से ब्वेका  इकै बाळ सफेद हूंद जांदन।
नौनु - औ अब बींगीं (समझ ) ग्यों कि दादीक सब बाळ सफेद किलै छन।

  16/11 /2015 Copyright ? डाका डाळिक लयूं  माल च तो म्यार अफिक  अधिकार ह्वे जांद कि ना ?
 

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   अब कानों में जूं क्यों नहीं रेंगते  ?


-


चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती   

-

कौंग्रेस किराणि च बल हम क्या साहित्यकार बि इथगा चिल्लाणा छन पर प्रधान मंत्री का कंदूडूंद जूं नी रिंगणा छन।

भाजपा जोर जोर से ऐड़ाट करणी च बल हम इथगा हिंद्त्व की गर्मी लौवां  पर कसम योगी , साध्वी , बाबओं की दिल्ली का अर बिहार का हिंदुऊँ का कानों मा जूं नि रिंगेन।

डा शेखर पाठक रूणा छन कि मीन हिमालयी  सरोकार का चक्कर मा अपण पद्मश्री बौड़ाई पर केंद्रीय सरकार का कंदूड़ुन्द जूं नि रिंगन अर यांक जबाब मा डा पोखरियालन जबाब दे कि तो कौन सा राज्य सरकार का कानूं मा जूं दर्शन ह्वेन ?

फेसबुक मा सभी प्रवासी चिल्लाणा छन कि पलायन रोको , पलायन रोको किंतु पहाड़वास्युं कंदूडूञ न्याड़ ध्वार तो क्या दूर तलक बि जूं नि दिख्यांदन।

बड़ा बड़ा पहाड़ी विचारक दिल्ली -मुंबई से ग्रामवास्युं तैं धाद दीणा रौंदन कि पहाड़ों मा कृषि कारो , कृषि कारो अर जख्या -भंगुल जमाओ पर ग्रामवासी टस से मस नि हूंदन किलैकि जूं वूंक कानों तक नि पॉंच साको।

देहरादून मा बड़ी बड़ी कोठी का मालिक एनजीओ चलाण वळ रोज लेख लिखणा छन कि ग्रामीण उत्तराखंड मा शिक्षा को स्तर गदन से बि तौळ चलि गे किन्तु ना तो अधिकारी  , ना ही राजनीतिज्ञों अर ना इ समाज का कानों तक जूं रींग।

पता नि यूँ जूऊँ तै क्या ह्वे गे कि उत्तराखंडी सरकारी विषय पर यी अब रिंगदा इ नि छन।

यदि कुखड़ बांग नि देला तो रात नि खुलली अर यदि कंदूडूंद जूं नी रींगल तो पहाड़ों विकास नि ह्वे सकद।

मि जूं से बात करणो वास्ता पहाड़ ग्यों।  पर उख सूण कि जूं बि प्रवास्युं दगड़ भाजी गेन तो मि निरसे ग्यों। कखि जूं नि दिखेन। जूंउंका  सफाचट हरचंत।

बड़ी मुस्किल से एक जूं टुट्युं जंदरौ पाट पुटुक मिल गे।

मीन पूछ ," ये भै जूं तीन अब कानों पर रिंगण बंद किलै कार भै ?"

जूं को जबाब छौ ," अब लोगुंन अपण कंदूड़ु इ काटि  देन तो मीन कख रिंगण ?"

मीन पूछ ," कंदूड़ु इ काटी देनका मतलब ?"

" अरे अब सब्युंन कसम खयेन कि अपड़ी लगाण अर दुसराकी नि सुणन तो फिर म्यार कान पर रीँगिक बि क्या फायदा ?" जूं को उत्तर छौ

मीन ब्वाल ," अच्छा जन हम फेसबुक मा दूसरौंक पोस्ट कत्तै नि पढ़दा पर चांदवां कि दुसर म्यार  पढ़ो। "

जूंन ब्वाल ," हाँ उन्नी ऑफ लाइन मा लोगुंन अपण कंदूड़ु इ काटि  देन तो मीन कख रिंगण ?"


17/11/15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
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Garhwali Jokes

         आनसरिंग मशीन मा रिकॉर्डेड कुछ बत्थ


         भुंदरा बौ उवाच (जोक्स, हंसुड़ी , हँसिकाएँ )  -भाग  -16   
 
                   अनुवाद अर संकलन  - भीष्म कुकरेती   -

- हेलो मि फलण बुलणु छौं। मि अबि ड्यारम नि छौं।  हाँ मेरी आनसरिंग मशीन घौरम इ च तो तुम वींक दगड़ छ्वीं लगै सकदां।  यदि तुम फोन कम्पनी बिटेन छंवां तो मीन पैसा भौर ऎन।  यदि तुम म्यार पिताजी छंवां तो जल्दी पैसा ट्रांसफर कारो। यदि तुम बैंक बिटेन बुलणा छंवां तो मि बुलण चांदो कि तुमन मि तैं जतुग चयेणु छौ तथुग उधार नि दे , अब ब्याज भरणो कुछ लोन चयेणु च तो लोन पास कारो जी। यदि तुम दोस्त छंवां तो जल्दी म्यार उधार बौड़ावो।  यदि तुम क्वी नौनी छंवां तो चिंता नि कारो मीम घुमाण -फिराण लैक खूब पैसा छन।


  17 /11 /2015 Copyright ? डाका डाळिक लयूं  माल च तो म्यार अफिक  अधिकार ह्वे जांद कि ना ?
 

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Bhishma Kukreti

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      मातृ अपमान  करवावो विश्यविद्यालय में प्रवेश जारी है

-


चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती   

-

 हमर नया नया खुल्युं मातृ अपमान विश्वविद्यालय मा प्रवेश जारी च।

हमर विश्वविद्यालय एक ओपन यूनिवर्सिटी च जै तैं मिसेज सोनिया गांधी , राहुल गांधी का खुला वरदान अर सभी सेक्युलर पार्ट्टयूं को मौन या खुला आशीर्वाद च।  अतः 'मातृ अपमान करवाओ  विश्वविद्यालय 'से पास हुयां विद्यार्थ्युं तैं कै बि सेक्युलर पार्टी मा जगह निश्चित च।

हमर डिग्री से आप खुलेआम पाकिस्तान मा घूम सकदां अर  भारत का खूंखार मुजरिम हाफिज सईद आदि आपौकुण ठैराणो बढ़िया इंतजाम करवाला।

ये मातृ अपमान कारो विश्वविद्यालय की स्थापना नरेंद्र मोदी की बुरी तरह से आलोचना का वास्ता करे गे।

यु विश्वविद्यालय वास्तव मा अति निराश राजनीतिज्ञों की ओछी समझ विचार का द्योतक च जै तै महारानी ,  राजकुमार अर यूंका चमचों का  वरदहस्त मिल्युं च।

ये ब्वे की बेज्जती कारो विश्वविद्यालय का संस्थापकों मादे कैम्ब्रिज का भूतपूर्व छात्र सलमान खुर्शीद अर दून स्कूल का भूतपूर्व विद्यार्थी मणिशंकर अय्यर छन व प्रेरणास्रोत्र भूतपूर्व राजा दिग्विजय सिंह छन।

ये विश्वविद्यालय मा सिखाये जांद कि कै तरां से , खासकर दुसमन देश मा अपणी ब्वै की बेज्जती करे जावो।

हमर विश्वविद्यालय घर की बात तैं विदेशी धरती पर ल्हैका कै तरां से अपणी मातृभूमि को अपमान करे जावो मा पीएचडी प्रदान करदो।

हमर अध्यापक सिखांदन कि कै तरह से साहित्यकारों तै उकसाए जावो कि वु लोग तिकड़म से प्राप्त अवार्ड , सम्मान तै लौटावन अर अपण देश की छवि  बट्टा लगावन।  बेशर्म साहित्यकार हमर 'मातृ अपमान करवावो विश्वविद्यालय' का मुख्य प्रवक्ता छन।

हमर एमिनेंट प्रोफेसर च अरुंधति राय जैंतै विदेशी धरती मा देश तै अपमानित करण , देश की धरती तै विदेशी धरती बताण अर भारत तै मानव अधिकार का शत्रु बताणो विश्व मा सबसे अधिक अनुभव च।

 हमर विश्वविद्यालय मा ओछी सोच का मालिक - महंत योगी आदित्यनाथ , साध्वी प्राची , आजम खान अर गिरिराज सिंह बि पढ़ाणो आंदन।

हमर विश्वविद्यालय तै एनजीओ का नाम पर विदेशो से पैसा मिल्दो तो हम तै माँ अपमान करण मा क्वी परेशानी , औसंद नि आंद।

यदि आप अपण ब्वै का या देश का अपमान करण चाणा छंवां तो हमर 'मातृ अपमान  करवावो विश्यविद्यालय'  मा तुरंत भर्ती ह्वावो।  फीस की व्यवस्था क्वी ना क्वी विदेशी फंडित एनजीओ कर ल्यालो।

  हमर नारा च - जब अपणा इ लोग मणिशंकर अय्यर या सलमान खुर्शीद ह्वावन तो दुश्मनों जरूरत कख च ?

(यह विज्ञापन फर्जी समाचार पत्र में मणिशंकर अय्यर व सलमान खर्शीद के फर्जी चेले चांटों ने प्रकाशित करवाया है।  इसलिए फर्जी खरबनामा भी मणिशंकर अय्यर व सलमान खुर्शीद की तरह गैरजम्मेद्दाराना ढंग से अपने को गैरजुम्मेदार मानता है ) 


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Very Short Garhwali Stories

  जब भुंदरा बौ तै जबाब दीण भारी पोड़

(  गढ़वाली लघुकथा श्रृंखला -3  , Garhwali Very Short Stories -3   )
                         कथा अनुवाद   -- भीष्म कुकरेती

तबाकि छ्वीं छन जब भुंदरा बौ ड्याराडूण रौंदि छे।
एक दैं भुंदरा बौ पलटन बजार से एक तोता  ( कळु ) खरीदिक लायी।
तोता कुछ दिन तक तो ठीक व्यवहार करणु रै पर कुछ दिन उपरांत तोता का व्यवहार बिलकुल उल्टो ह्वे गे। भुंदरा बौ कुछ बि ब्वालो तोता गाळी दीण लग जावो।  भुंदरा बौन तोता कथगा समझाई पर तोतान  गाळी दीण बंद नि कार।
एक दिन तो हद्द ही ह्वे गे।  तोतान भुंदरा बौका ब्वे -बाब तैं गाळी दीण शुरू कर देन।
भुंदरा बौ तै जब गाळी असह्य ह्वे गेन त भुंदरा बौन गुस्सा मा तोता तै फ्रिज पुटुक बंद कर दे।
कुछ समय बाद भुंदरा बौ तैं लग कि तोता कखि मोरि गे तो ?
फटाक से भुंदरा बौन तोता फ्रिज से भैर गांड।
तोता ठंडन अकड़ी गे छौ।
कुछ समय बाद तोता तै होश आई अर वैन अपण गलती मान अर सौं घटिन कि आज का बाद वु कबि गाळी गलौज नि कारल। अर हमेशा शांत रालो।
अब ख़ुशी ख़ुशी भुंदरा बौन तोता पिंजरा मा धौर।
जनि भुंदरा बौ वापस अपण जगा मा जाणि वाळ छे तोतान पूछ , "ये भुंदरा बौ ! ये भुंदरा बौ !इन बतादि मुर्गान इथगा बड़ी क्या गलती कौर छै ?"
(आप ही बतावो भुंदरा बौक क्या जबाब रै होलु ?)

19/11 /2015 Copyright @ Bhishma Kukreti


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Very Short Garhwali Stories

            भुंदरा बौ का बैंक मैनेजरs  दगड़ वार्तालाप

(  गढ़वाली लघुकथा श्रृंखला -4 , Garhwali Very Short Stories -4  )
                         कथा रूपांतर   -- भीष्म कुकरेती

 भुंदरा बौन डा बलबीर सिंह, सत्यप्रसाद बड़थ्वाल अर काला  जीक सलाह मानिक गांवका उजाड़ पड्यां पुंगड़ों मा दाळ की खेती करणो स्वाच। सरा गांवक पुंगड़ों वास्ता दाळ का बीज त ना पर पुंगड़ सुधारणो वास्ता एक लाख रुपया की जरूरत छै।  ग्राम प्रधान की सलाह पर भुंदरा बौ सिलोगीम स्टेट बैंक मैनेजरम कर्ज लीणो गे।  बैंक मैनेजरन फॉर्म भरणो दे।  फौरम देखिक बैंक मैनेजरन पूछ - जामिन का वास्ता क्या च ? कोलेटरल डिपॉजिट ?
भुंदरा बौ - जामिन मतलब ?
बैंक मैनेजर - मतलब भैंस , गौड़ी अर मकान आदि छैं च ?
भुंदरा बौ -हाँ सब कुछ च।
बैंक मैनेजर - ठीक च यूँ तैं जामिन का रूप मा एक तरह से बैंक मा गिरवी धरण पोड़ल।
भुंदरा बौन जामिन मा भैंस , गौड़ी अर मकान गिरवी (कोलेटरल डिपॉजिट ) धौर अर कर्जा मील गे।
भगवान की कृपा से बरखा बि अच्छी ह्वे अर दाळ की खूब उपज ह्वे।
भुंदरा बौ तै तीन लाखक फायदा ह्वे।
भुंदरा बौ एक लाख लौटाणो बैंक गे।
मैनेजरन पूछ - ये भुंदरा बौ तौं द्वी लाख तू बैंक मा सेविंग या फिक्स्ड अकाउंट मा धर दे।
भुंदरा बौ - हाँ ठीक च
बैंक मैनेजर - ठीक च तू एक फॉरम भौर अर पैसा जमा कर दे।
भुंदरा बौ - बैंक जामिन /कोलेटरल का वास्ता क्या द्यालो ? मतलब क्या चीज गिरवी राखल ?


20/11 /2015 Copyright @ Bhishma Kukreti


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