Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 359965 times)

Bhishma Kukreti

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आपको ऐसे पता चलता है कि आप  माँ हो !


 हौंस ही हौंस मा  :::   भीष्म कुकरेती   
-
जब तुमर खुट रुस्वडौ म्याळ (floor ) मा चिपकणु रौंदन अर तुम तबि बि फिकर नि करदां।
बच्चा लड़ना रावन अर तुम धमकी दींदा कि - मीन तुम तैं कोठडी पुटुक ग्वाड़ी दीण अर तब तलक नि खुलण जब तक कैकि कुल्ली नि फुट जा। 
तुम तै तुमर मोबाइल नि मिल्दो अर तुम अपण पड़ोसी कुण बुल्दां कि तुमकुण फोन करो अर तुम फोन ध्वनि  पैंथर अटकदा अर पता लगद कि तुमर मोबाइल बच्चों क  मैला कपड़ों दगड़  पड्युं च।
जब तुम तै सर्फका विज्ञापन - "कीचड़  अच्छा है" पसंद आण मिसे जांद।
जब दुसरौ नौनाक नाक का सीम्प /सिंगाणो से घृणा खतम ह्वे जांद।
तुमर पसंदीदा टीवी सीरियल 'कार्टून चैनल  ' ह्वे जावो।
जब तुम तैं अपण मेकअप से अधिक चिंता बच्चों का नाक की हो  कि जांसे तुमर नाक नि कटे।
जब तुमतै मैीगि का two minutes nodules  से प्यार हूण लग जांद।
जब पति का जुत पॉलिश करण बंद कौर दींदा अर प्रेम से बुल्दां बल "अफिक पॉलिश कौर ल्यावदी " अर गुस्सा मा तुमर गिच्चन बोल निकळदन "कनो हथ टूटी गेन जु जूतों पर पौलिश नि   कर सकणा छंवां।
थुकण तुमर क्लीनिंग एजेंट बण जावो।
पति का प्रति लापरवाही बढ़ जांदी।
लौड़ पकड़णो वास्ता सास -सुसरौ बान द्यूराण जिठाण से झगड़ा हूण लग जावो।  जब तुम चांदा कि सास तुमर ही बच्चा समाळो।
बकै आप ही बथाओ।   

   

8/5/2016 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।

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                    स्वच्छ भारत  , स्वच्छ भारत , बुद्धिमान उत्तराखंड ! 



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Jaspur Ka Kukreti

Bhishma Kukreti

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कजीरवाळ जी ! भला हुआ मैं प्रधानमंत्री नहीं चुना गया

 चबोड़ , चखन्यौ , चचराट :::   भीष्म कुकरेती   


 हरेक भारतीय चांदो एक घंटा कु वास्ता ही सै वु /वा प्रधानमंत्री बण जावो।  पर परसि बिटेन मि चाणु छौं बल मि प्रधानमंत्री नि हों त ठीक च। 
हाँ जब बिटेन कजीरवाळ कम्पनीन पत्रकार सम्मलेन बुलैका सब देशवासियों तै बथाइ कि भारत की सब सम्या खतम ह्वे गेन अर भारत की एकमात्र समस्या च कि भारतीय प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी ग्रेजुएट नी च। अर तैदिन बटें मेरी प्रधानमंत्री हूणै इच्छा गायब ह्वे गे , प्रधानमंत्री हूणै स्याणी -गाणी खत्ताउंद चली  गै , प्राइम मिनिस्टर हूणै आकांक्षा बैकुंठ   जोग ह्वे गे।
हाँ जी जु मि प्रधानमंत्री हूंद अर कजीरवाळ पार्टी का सबसे बड़ो कजीर फिंक्वा अरबिंद कजीरवाळ मैं पर तोहमत लगांदु बल भीष्मा कुकरेती की सब सर्टिफिकेट जाळी छन त सचकि मि तै प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दीण पड़द अर सोनिया बौका समझाण पर बि मीन इस्तीफा वापस नि लीण छौ।
जी हाँ मि त कखि जोग बि नि छौं।
मि जै दिन स्कूलम भर्ती ह्वे छौ , म्यार मास्टर जीन मेरी जन्म तिथि 2 -4 -1952 - पांच पासक सर्टिफिकेट मा लेखी दे अर कसम से आज बि मेरी ब्वे धै लगै लगैक बुल्दी बल म्यार भीषम तो 24 गते भादों का  हुयुं च , मेरी घरवळि पंडित तै फोन या व्हट्सअप करिक खुलेआम सूचना दींदि कि द बर्थ डेट ऑफ माई  हजबैंड इज ऑन 10 थ सेप्टेंबर।  मतलब कजीरवाळ तो मेफर जोर से कजीर चुलै दींदु कि मीन बर्थडेट बि झूठी लिखवाई।  चूँकि सन 52 मा ग्राम प्रधान का यु कर्तव्य नि छौ कि जन्मतिथि रजिस्टरड करो तो मीम अपण जन्म
तिथि 2 -4 -1952 करणो क्वी साधन नि रौण छौ अर कजीरवाळ सरा भारतीय टीवी चैनलों तै म्यरा जनमपतड़ी दिखाणु रौंद कि मीन देश तै धोखा दे।
 इथगा ही हूंद तो मेरी पार्टी का अध्यक्ष क्वी बि शाह अर वित्त मंत्री सब महत्वपूर्ण काम छोड़िक पत्रकार सम्मेलन मा खोज्खाजिक म्यार जन्म तिथि 2 -4 -1952 सिद्ध कर  ही दींदा।  निथर अर्णब गोस्वामी , जी न्यूज , इंडिया टीवी , न्यूज X वळ बि सिद्ध करी ही लींदा बल मि 2 अप्रैलाकुण ही पैदा हूँ।  यदयपि इंडिया टुडे का राजदीप सरदेसाई सरा दिन भर ब्रेकिंग न्यूज मा मेरी जनमपतड़ी ही दिखाणु   रौंद।
 पर कजीरवाळ तो कजीर फिंकण ही जाणदु त वु फिर पत्रकार सम्मेलन मा घोषणा करदु कि Bhishma Kukreti वु भीष्म कुकरेती नी च जु प्रधान मंत्री बताणा छन। 
अर नाम का मुत्तलिक कुछ हौर बि घचपच हुईं च म्यार सर्टिफिकिटों  मा।
छै मा ग्यों त म्यार अंग्रेजी मा नाम धरे गे Bhishm Chandra Kukrety . तब जसपुर -ग्वील ही ना मल्ला ढांगू का कुकरेती की स्पेलिंग Kukrety लिखदा छ तो दर्जा आठ का सर्टिफिकेट मा म्यार नाम च -Bhishm Chand Kukrety शयद सिलोगी स्कूल का कलर्क तैं चंद शब्द मा छन्द आये और द्र की जगा केवल द लिखे गे।
मि देहरादून औं तो हिंदी मा MA वळ अंग्रेजी विद्वानुंन सला दे बल कुकरेती की  सही स्पेलिंग Kukreti हूंद अर जन Ashoka या Yoga मा a लिखे जांद तनि Bhishm की जगा Bhishma सही स्पेलिंग च । त  मीन दस का फॉर्म भरण मा ल्याख Bhishma  Chandra Kukreti  किन्तु बारवीं का सर्टिफिकेट से Bhishma  Chand Kukreti  छौं।  हाँ BSc . MSc  सर्टिफिकेट का हिसाब से मि   Bhishma  Chandra  Kukreti  ही छौं।
मुंबई आण का बाद म्यार नाम मा अजीब सि बदलाव आई।  महाराष्ट्र -गुजरात मा कै नाम मा दुसर नाम बुबा जी या पति का हूंद।  तो भौत क्या म्यार राशन कार्ड अर इलेक्सन कार्ड मा म्यार नाम च - भिष्म कुक्रेति अर पिता का नाम च - चन्द्र कुक्रेति।
पैन कार्ड मा म्यार नाम च -भिष्म कुक्रेति अर पिता का नाम चन्द्र के आर कुकरेती।  असल मा मीन तो Name -Bhishma  Chandra Kukreti अर Father's  Name  - K . R Kukreti ही लेखी छौ पर मराठी भाषी कलर्कान म्यार नाम छापी दे - भिष्म कुक्रेति अर पिता का नाम -  चन्द्र के आर कुक्रेति। 
मेरी घरवळि का दगड़ बि कुछ इनि ह्वे।  कोटद्वार याने गढ़वाल विष्वविद्यालय का सर्टिफिकेट मा मेरी घरवळि क नाम छौ  उमा कुमारी कुकरेती।  तो मुंबई मा भौत सा सरकारी कागजों मा  मेरी घरवळि का पति का नाम च 'कुमारी कुक्रेति'।   
  इन मा यदि मि प्रधान मंत्री हूंद तो अरबिंद कजीरवाळ न खाली मेरी डिग्री तै हि जाळी नि बथाण छौ अपितु वैन सिद्ध कर  दीण छौ कि मि कै कुमारी कुक्रेति की घरवळि तै जबरदस्ती उठैक लौं।

इलै भलो ह्वे मि प्रधान मंत्री नि हों निथर मीन सब काम काज छोड़िक अपण नाम तै सही सिद्ध करणम व्यस्त रौण छौ। 

10/5/2016 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
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प्यार का बारामा परीक्षा पत्र उत्तर
अनुवाद :::   भीष्म कुकरेती   
-
कक्षा 12 मा एक प्रश्न थौ -
प्यार क्या च ? विस्तार से बथाओ (20  अंक )
उत्तर - अलग अलग देश का विद्यार्थ्युंन इन जबाब देनि -
अमेरिकी छात्र -प्यार दर्द , डाउ , यंत्रणा कुण बुल्दन
फ्रांसिसी छात्र -प्यार जिंदगी कुण बुल्दन
अरबी छात्र -प्यार खुदा कुण बुले जांद
भारतीय छात्र का उत्तर -
प्यार की परिभाषा -प्यार द्वारा महिला व पुरुष का मध्य उपज्युं संबंध से दिल की गम्भीर बीमारी ह्वे जांद।  यदि प्रेम परवान ना चढ़ो त दुयुं मादे एकाकी मृत्यु सम्भव च , हरियाणा मा औनर किलिंग का खतरा च।
                          प्यार की किस्में -
१- इकतरफा
२- दुतरफा
                      उम्र -
उन त आमतौर पर प्यार की उम्र 15 से 25 की उम्र च ,
किन्तु
अच्काल दिग्विजय सिंह का उदाहरणों से सिद्ध हूंद कि यु कबि बि ह्वे सकुद।

                      लक्षण
 १-अनिंद्रा
२- उठ -बैठ
३- दिन मा सुपिन दिखण
४ - फेसबुक , व्हट्सअप का बगैर एक पल बि नि रयाण
५- फोन की लत
                मूल्यांकन
१- फोन से चैटिंग
२- मोबाइल , व्हाट्सएप से अधिक सौरदु /फैलदु

                चिकित्सा
ब्वे बाब की ऐंटि लब जुत या चप्पल मारण से लवेरिया बीमारी खत्म करें जांद।



11/5/2016 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
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                   उत्तराखंड में तो फौग चल रआ है

 चबोड़ , चखन्यौ , चचराट :::   भीष्म कुकरेती   
-
मीन भुंदरा बौ कुण फोन कार।
मि -हेलो ! हैलो ! कुछ तो बोल
भुंदरा बौ -बिंडि नि हिला तै फोन तैं।  बोल क्यां     ?
मि -चलती क्या खंडाला ?
भुंदरा बौ - अपणी फूफू तै खंडाला -घंडाला लीजा ज्वा अच्काल मुंबई आईं छन।
मि -ये बौ तू कब ऐलि मुंबई ?
भुंदरा बौ -फंड फूंक तैं मुंबई तै।  हमकुण त अपणु गाँव डिजनी लैंड च।
मि - अच्छा क्या चलणु च तख ?
भुंदरा बौ -अच्काल तो सरा उत्तराखंड मा फौग चल रिया है।
मि -फौग अर बैशाख -जेठ मा ?
भुंदरा बौ -किलै ना ?
मि - फौग त सौणा मैना चलदो अर कबि कबि तो पहाड़ी फौग मा अपणी खुट नि दिखेंदन।  इथगा धूमिल दृष्टि ह्वे जांद पहाड़ी कुयड़ याने फौग से।
भुंदरा बौ - अरे वी त बुलणु छौं कि उत्तराखंड मा फौग चल रआ है।
मि -ऊँ ऊँ क्या बुल ..
भुंदरा बौ -अरे कुछ दिन पैली सरा उत्तराखंड मा अभागी बणांक नि लग छै ?
मि -मीन टीवी मा द्याख।  एक साल सिलोगी डांड पर बणांक लग छे त  इथगा  धुंआ ह्वे छौ कि दिन मा इ  मि अपण हाथ नि देखि सकणु छौ।
भुंदरा बौ - तो बीस पचीस दिन बणांकौ फौग सरा उत्तराखंड मा घुमणु राइ।  उ त मोदी जिठा जी का भाग्य अच्छु छौ जु बरखा ह्वे अर बणांकौ फौग हटि गे।     
मि -हाँ फारेस्ट फायर फौग बड़ो खतरनाक हूंद हाँ।  फिर हौर  क्या हाल छन ?
भुंदरा बौ -अरे ब्वाल नी उत्तराखंड मा फौग इ चल रआ है। 
मि -ह्यां  बणांग की आग खतम  फौग बि ख़तम। 
भुंदरा बौ -कनो उत्तराखंड मा बमतलबौ राष्ट्रपति शासन से कम फौग पैदा ह्वे क्या ?  सब्यूं की नजर कार्यपालिका से  हटिक  नैनीताल हाई कोर्ट  दिल्ली सुप्रीम कोर्ट पर लगीं रैन कि असमजस का धुंवा हट जावो।
मि -हाँ ब्याळि तक असमजस का फौग उत्तराखंड मा तो छौ।  चलो अब बिचारो हरीश दा चैन से 2017 कु चुनाव तक चैन से मुख्यमंत्री की कुर्सी तुड़ना राला !   
भुंदरा बौ -जब कलजुगी वात्सायन तिवाड़ी जी की पुराणि चेली इंदिरा हृदयेश मुख्यमंत्री ख्वाब दिखण लग जा तो अस्थिरता को फौग उत्तराखंड मा बण्यु ही रालो कि ना ?
मि -हाँ पर यु फौग उथगा खतरनाक नि रालो।  और सुणा तख  क्या चलणु च ?
भुंदरा बौ - बस उत्तराखंड मा फौग इ चलणु च।
मि -अब क्यांको फौग ?
भुंदरा बौ -कनो पर्यटन व्यापार मा फौग नी चलणु च।  कुछ पता नी चलणु च कि उत्तराखंड पर्यटन का भविष्य क्या रालो।  भाजपा वळु रांड ह्वे अर यूंन फ़ोकट मा राजनैतिक अस्थिरता पैदा कर दे।
मि -हाँ पोलटिकल अनस्टेबिलिटी पर्यटन का वास्ता हमेशा ही घातक हूंद।  हिमाचल  पर्यटन अधिक विकसित ह्वे तो कारण या छौ बल उख  पोलिटिकल स्टेबिलिटी ही राइ।
भुंदरा बौ - वी तो बुलणु छौ मि।  इख भाजपा का कार्यकर्ताओं का मन मा फौग याने घंघतोळ च कि यदि यी बागी  कॉंग्रेसी भाजपा मा शामिल ह्वाला तो डेडिकेटेड कैडर कु क्या कुहाल होलु ? ऊना कॉंग्रेसी कार्यकर्ताओं मा त फौग ही फौग च कि जब हम अपणो घौर हि नि समाळ सकणा छंवां तो हम क्या ख़ाक प्रदेश समाळ सकला ? सब जगा फौग ही फौग च फैल्युं।  मानसिक कुयडु !
मि -छोड़ न ये बौ।  किस किस को रोये , किस किस को हंसें , आराम बड़ी चीज है मुंह ढक के सोएं।
भुंदरा बौ -स्वार्थी नागरिक कहींका ! अरे  किस किस को रोये , किस किस को हंसें , आराम बड़ी चीज है मुंह ढक के सोयें ' मानसिकता ही तो इस देश का बेड़ा गर्क कर रही है।  स्वार्थी नागरिक ! अगर कुछ गलत हूणु च त नागरिक हस्तक्षेप आवश्यक च।
अर गुस्सा मा भुंदरा बौन फोन काटी दे।


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 विषैले रक्तबीज
विमर्श  :::   भीष्म कुकरेती   
-
सन्  2016  , गाँव गढ़पुर - गढ़वाल

 मि अपण आठ सालौ नौनु गोल्डी लेकि मूळ पुजाणो मुंबई बिटेन ड्यार ग्यों।
जनि गाँव पास आई कि गांवक लोग रस्ता मा मिलदा गेन।
मि - अफार सि रतनमणि चचा जी आणा छन।  तौंक खुट मा मुंड धौरिक -दादा जी बोलिक प्रणाम करि हाँ.
गोल्डी -जी।  आइ विल फॉलो।
मि - गोल्डी ! सि डुंकर सिंग बडा आणा छन।  दादा  प्रणाम करिक प्रणाम कौरी हाँ ! खुट मा पड़णै जरूरत नी च।   
गोल्डी - जी डैडी।  पर खाली प्रणाम ? खुट मा सिवा किलै नि लगाण   ?
मि -हम बामण छंवां अर डुंकुर बडा जजमान छन।  बामण उमर मा कथगा बि छुट हो वु जजमानक खुट मा नि पड़दु। 
गोल्डी -जी डैडी  मि हाइ - हैलो स्टाइल मा प्रणाम करलु।
मि -अरे अरे ! स्यु भाना दादा आणु च , सूण तै तैं प्रणाम बि नि बुलण हाँ।  अर हाँ तै पर कतै बि नि भिड़े हाँ।  डोंट टच हिम ऐट ऑल।  बी अवे फ्रॉम हिज शैडो , वैकि छाया से दूर हि
गोल्डी -बट ह्वाइ डैड। इथगा  ओल्ड आदिम  तै  प्रणाम किलै ना ? अर शैडो से दूर किलै ?
मि - स्यु ओल्ड च पर " .." च याने शिल्पकार च , अनटचेबल च।  अर  बिठ मीन्स क्वी बि सवर्ण  कै बि  "' ..'" याने हरिजन तै प्रणाम नि करदु , ना ही वै तै स्पर्श करदो।  डोंट टच हिज बॉडी ऐट आल।
गोल्डी - ओके डैडी।  आई विल नेवर सैलूट हिम ऐंड  विल नेवर,  नेवर टच ऐनी ".. " मीन्स हरिजन।
मीन इकीसवीं सदी मा बि मुलायम जमीन मा कांड, कैकटस  का  रक्तबीज ब्वे याल छौ ।  अब तीसेक साल बाद म्यार गोल्डी अपण नौनु तै लेकि गाँव आल तो या ही घटना दुबर दुहराए जाली अवश्य।

13/5/2016 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।

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गूणीक लम्बू पूछ 
 चबोड़ , चखन्यौ , चचराट :::   भीष्म कुकरेती   
-
चलती , खचाखच भरीं मेल ट्रेन मा टिकट चेकर अर अटेंडेंट का मध्य वार्तालाप -
टीसी - सूण , द्वी छ्वारा छन ऊँ से 100 रुपया अलग से स्लीपर की बात कौर।
अटेंडेंट - अजी मी 150 फी स्लीपर ल्हे ल्योलु।
टीसी - अबे छड़ा छन 150 की बात करली तो जनरल डब्बा मा चल जाल।  जन कस्टमर तन रेट।
अटेंडेंट - जी
टीसी - अर तीन अलग अलग पैसेंजर छन तौं मन 150 रुपया एक्स्ट्रा लीणो बात कौरी। कै तै नि छुड़ण।  मीन बेटीक एडमिसन मेडिकल कॉलेज मा कराण। 
अटेंडेंट - जी
टीसी - अर सी बीच मा एक फेमिली च ऊँ मांगन 200 रुपया एक्स्ट्रा ले ले।  फेमिली वळ छन कखि जै बि नि सकदन। बुबा बोलिक ऐक्स्ट्रा  द्याला।
अटेंडेंट - जी
टीसी - मि दुसर कम्पार्टमेंट मा जाणु छौ।
अटेंडेंट - साब जी , आप तो हमेशा स्टेसन एक घंटा पैल पौंछ जांद छा आज पंद्रा मिनट पैल   .. ड्यारम महत्वपूर्ण काम थौ ?
टीसी - हाँ रै जख जावो हरामखोरी चलणि च।  मीन तो स्वाच कि मोदी यीं हरामखोरी बंद करवै द्यालो।
अटेंडेंट - कनो क्या ह्वाइ ?
टीसी - अरे साले सब घूसखोर ह्वे गेन। सब जगा भ्रष्टाचार।  जख जावो भ्रष्टाचार।
अटेंडेंट - ह्वाइ क्या च ?
टीसी - स्सला इनकम टैक्स मा केस फंस्युं च। इनकम टैक्स ऑफिस जयुं छौ। इनकम टैक्स  इन्सपेक्टर द्वी लाख घूस  मंगणु च अर मि डेढ़ लाख मा सेटल करण    चाणु छौं।

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छांटा छांटा पौधौं मा किटास किलै ?

 चबोड़ , चखन्यौ , चचराट :::   भीष्म कुकरेती   
-

मुंगरी -  ए जुंडळ मीन तेरी मौण तोड़ि दीण हाँ ! तू म्यार जलडुं तै फ़ैलण नि दीणि छे।
जुंडळ - देख बै ठीक च कि पहाड़ी गांवुं मा बरसाती खेती मा तेरी बड़ी पूच हूंदी त इन त नी च कि    तू केजरीवाल जन मर्जी अभियोग लगैक भाजी जै।  यु भारतीय राजनैतिक चौक नी च बल्कि पुंगड़ च अर हमर कृषि संसार मा हम बगैर सबूत का अभियोग लगाण तो छ्वाड़ा सोची बि नि सकदा।  मनिखोंन 'स्वर्ग मा न्याय'  की ज्वा कल्पना  करि वा हम पौधों  आचरण मा दिख्यांद।
मुंगरी -अबै जब बिटेन तुम जुंडळ हाइब्रिड ह्वेका अयाँ बिंडी भाषण दीण मिसे गेवां हाँ।
जुंडळ - चोरक चर्र चर्र बचन।  आफु त तीन म्यार जलडुं तै फ़ैलण - पसरण -सरकण से रोकि  दे अर मेकुण बुलणु छै बल मि त्यार जलडुं तै फ़ैलण नि दीणु छौं।
मुंगरी - अरे त म्यार जलड़ किलै नि फ़ैलणा छन ?
जुंडल - मी त यी पुछणु कि म्यार जलड़ किलै नि    फ़ैलणा छन ?
मुंगरी - मि ते से एक फिट दूर छौं तो म्यार जलड़ तेरा जलड़ु विकास तो नि रोक सकदन ।
जुंडळ - त इन मा  म्यार जलड़ बि तेरा जलड़ु विकास तो नि रोक सकदन  ना /
मूळा - अबे द्वी बदखोरो ! म्यार तो तुम दुयुं कारण बुरा हाल छन. अगल -बगल बि नि फैल सकणु छौ तो म्यार घिंडक नी बणणा छन अर    तौळ बि क्वी ठोस चीज से किटास  हूणु च त मि मैदानी मूली बि नि बण सकणु छौं।
जुंडळ -मुंगरी - अबे हम पर अभियोग लगाण बंद कर।  इखि खेत मा इ थींची द्योला हाँ।  हम ते से इथगा दूर छंवां अर गंध फैलाणु कि हमर जलड़ त्वे तैं घिंडक नी बणन दीणा छन।
मुंगण्या - अरे म्यार सोचो।  हम तो कै इन उड़्यार -गुफा मा फंस्या छंवां कि हमर त बीज ही नि   अगरणा छन।  हमर त अंकुर ही नि फुटणा छन। 
आदु - अरे पता नी क्या ख़ास गंध या रसायन च कि म्यार पंजा हि नि फैलणा छन।
हल्दी - म्यार बि यी हाल छन।  गंध अलग अर क्वी चिपुळ चीज हम तै विकसित नि हूण दीणु च।
किदलु -- अरे हम से  माटु खुद्याणु ही नी च। हम   पत्थर   तक पीसी दींदा छा पर पता नी क्या चीज धरती पुटुक ऐ गे कि हम से कुछ हूणु इ नी च।
सब - हाँ !  रुकावट माटु -पत्थर - हडका या  खौड़ -कत्यारो नी च।  या रुकावट कै नया ग्रह से आयीं च धौं ?
 सब - कै से पूछे जावो। कि यी खेतों मा नई बात क्य ह्वे ? छांटा छांटा पौधौं मा किटास किलै ?
कवा -ह्यां यी सब प्लास्टिक की बोतल , ढक्क्न , थैला , पैकेजिंग मटीरियल का कारण च।
सब -प्लास्टिक ?
कवा -हाँ प्लास्टिक ! जु मनुष्यों द्वारा विचारहीनता का कारण इना -ऊना फेंक दिए गए अर कृषि योग्य धरती का अंदर चली गे। चूँकि ये प्लास्टिक का सरलता से रूपांतर (बायोडिग्रेसन )  नि हूंद तो यु अमर च।
सब - प्लास्टिक अमर च ?
कवा -हाँ अर प्लास्टिक  एक दैं माटु मा मिल गे तो समझ तुम पौधों पैदावार खतम ही समझो।
सब - इथगा बड़ो दैंत , राक्षस ?
कवा - अमर रागस !
सब - अब क्या ह्वालु ?
कवा - यदि मनुष्य संबळ ग्यायि अर प्लास्टिक का प्रयोग सावधानी पूर्वक करण लग जावो तो ठीक ; निथर सर्वनाश। सर्वनाश ! विनाश !
सब पौधा - त्राहिमाम ,त्राहिमाम !  हे मनुष्य हम तैं ये अमर राक्षस से बचा ! 



17/5/2016 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
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हैलो ! हिल मौम ! मैं गाँव में इनवेस्ट करने को तैयार हूँ
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 हौंस ही हौंस मा  विमर्श  :::   भीष्म कुकरेती   
-
ब्याळि म्यार गाँव जसपुर अर म्यार ज्याठ नौन गोल्डीम छ्वीं बथ लगणा छया।
जसपुर - हैलो गोल्डी !
गोल्डी -येस गोल्डी स्पीकिंग। यू ?
जसपुर -ह्यां मि तेरी मातृभूमि जसपुर बुलणु छौं।
गोल्डी -बट माई बर्थ लैंड इज मुंबई।  ऐनी हाउ , गुड मॉर्निंग मदर लैंड जसपुर।  आई आलवेज हियर अबाउट यू फ्रॉम पॉप, अंकल्स  ऐंड ग्रैंड मदर औन डेली बेसिस।
जसपुर - अरे बुबा गढ़वळि मा बचळयदि।  गढ़वळि नि आदि ?
गोल्डी - मॉम ! आदि बि च अर नि बि आदि।
जसपुर -हैं क्या मतलब ?
गोल्डी - वु क्या च मि तै अर भुला तै गढ़वाली बचळयाणे में शरम लगती है। 
जसपुर -क्योंकि ? क्या गढ़वाली कमजोर जाति च ?
गोल्डी -नो नो।  पर्सेंट वाइज दिखे जावो तो गढ़वाली हर क्षेत्र मा अळग छन।  सो फ़्रॉम दैट प्वाइंट आई डोंट फील शाई स्पीकिंग गढ़वाली।   
जसपुर -त फिर ?
गोल्डी - असल मा जब बि मीन गढ़वळि मा बुलणो कोशिश कार तो गढ़वळि का जणगरा हौंस जांद छा।  खासकर ळ तै जब मि ल प्रोनोँस् करदो छौ। पळयो तै पल्यो  ....     
जसपुर -अरे बुलद जा फिकर  नि करण।
गोल्डी - हूँ।  अच्छा मौम आज मेरी याद कनै आई ?
जसपुर -मि त त्वै तै सुबेर श्याम समळदु। त्वी छै जु मि तै बिसर गे।   
गोल्डी - नो मॉम दैट इज नॉट द रियलिटी।  कैरियर बणानो चक्कर मा आज सब कुछ गंज मंज ह्वे गे।  अच्छा मौम ! बता तो सै फोन किलै कार ?
जसपुर - पता च अंग्रेजी मा एक मुहावरा च।  बल कैच द्यम यंग।  युवाओं को अपना बनाओ।
गोल्डी -यस मॉम।  यदि विकसित हूण , सर्वाइव करण त जवानी तै अपण दगड़ लाण आवश्यक हूंद। 
जसपुर -तो मि अच्काल अपणा यंग बच्चों से प्रार्थना करणु छौं।
गोल्डी -मॉम प्रार्थना ना जस्ट  आदेश दे। 
जसपुर -ड्यार तो आदि नि छे ?
गोल्डी -मौम शर्मिन्दा नि कौर।  ऑफिस से एक दैं एक हफ्ता की हि तो छुटि मिलदी अर तख तीम आण -जाण इ माँ पांच -छै दिन लग जांदन।
जसपुर -ठीक च , ठीक च , तेरी बात मा दम च।
गोल्डी - जी  यू अंडरस्टैंड मी बेटर दैन माई डैड ऐंड अंकल्स।
जसपुर -अच्छा तो कुछ इनवेस्टमेंट कौर न ये गाँ मा।
गोल्डी -मॉम ! पैल दादी जी जन बुल्दी छे डैडी अर अंकल्स दादी तै पैसा दे दींद छ।  अब डैडी अर अंकल्स जथगा बुल्दन गांवक नाम पर हम सब भाई पैसा दे दींदा।
जसपुर -अरे भय्ये अब त्यार बुबा  अर चचा लोग अप्रसांगिक सि ह्वे गेन , वु तो झंगवर अर क्वाद से भैर इ नि ऐ सकदन।  आज तो बिलकुल  नया कारोबार की सोच चयेंद गाँव मा ,
गोल्डी -दैट्स ट्र।  बट .
जसपुर - बट क्या ?
गोल्डी -मदर लैंड ! इनवेस्टमेंट तो हम गढ़वाली न्यू जनरेसन करणों तयार छंवां च किन्तु क्वी तो उख तयार ह्वावो।
जसपुर - अब एक उदाहरण दींदु।  यदि गांवमा औंळा उत्पादन करणाइ तो उखमा अधिक देखरेख की आवष्यकता नि पड़दि।  इनि बेडु -तिमल आदि का बगीचा लगाण सरल छन।  बस तुम नई पीढ़ी तैं  तयार हूण पोड़ल।
गोल्डी -ओके मॉम ! हम सब भाई सुचला अर अवश्य ही एकाद सालम तख कुछ प्रोडक्टिविटी बढ़ाणो वास्ता इनवेस्टमेंट करला।
जसपुर - जुगराज रै म्यार बुबा। मुंबई की फिकर तू कौर।  मि दिल्ली -देहरादून का नई पीढ़ी से बात करदु।  अच्छा हाँ।
गोल्डी -समनैन ग्रामदेवी !   
जसपुर -अरे वाह नई पीढ़ी तो जल्दी बात पकड़ लेंदी अर अधिक समझदार च हाँ !



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शक्तिमान घ्वाड़ा से महाराजा  प्रद्युम्न शाह किलै चिरड्याणु च ?
 
 चबोड़ , चखन्यौ , चचराट :::   भीष्म कुकरेती   
-
अचकाल सोरग म क्वी बि गढ़वाल का भूतपूर्व महाराजा का न्याड़ ध्वार नि आंद।  जनि क्वी महाराजा प्रद्युम्न शाह का पास जांदु महाराज  प्रद्युम्न शाह सीधा  तथाकथित कॉंग्रेस -भाजपा का युद्ध मा शहीद स्वर्गीय शक्तिमान घ्वाड़ा तैं गाळि दीण मिसे जांदन।  गाळि बि तनि मनि ना गढवळि , हिंदी अर अंग्रेजी गाळि हि ना अपितु अपण तरफ से नई रचित गाळी दींदन।   
ब्याळि एक पुरण सिपाही  जी रामा रूमी करणो राजा जी का पास गे नि छन कि राजा जी बखण लग गेन।
प्रद्युम्न शाह - अरे ज्यु बुल्याणु च कि फांसी चढ़ जौं।
सिपै -महाराजै  जै ह्वावो।  श्रेष्ठि श्री ! इख सोरग मा इन डुडड़ नि मिल्दन।   
प्रद्युम्न शाह -अरे म्यार ज्यु आत्महत्या करणो बुल्याणु च।
सिपै  -अन्नदाता  ! सोरग मा शत्रुह्त्या  , जीवहत्या इख तलक कि आत्महत्या बि निषेध च।
प्रद्युम्न शाह -अरे पर में तैं डाह , जलन , ईर्ष्या हूणि च।
सिपै  -हैं ?
प्रद्युम्न शाह -म्यार अंदड़ म्वाट हूणा छन। 
सिपै  -ये मेरी ब्वे !
प्रद्युम्न शाह - मेरी नस तिड़कणा छन।   
सिपै  -उफ़ !
प्रद्युम्न शाह - मेरी हडकी भूषा बणना छन। 
सिपै  -न भयां ?
प्रद्युम्न शाह - म्यार आंख्युं मा दावानल को अग्यो हूणु च।
सिपै  -अकुशल ?
प्रद्युम्न शाह -म्यार हथ बुट्याणा छन , दांत किट्याणा छन , मेरी भृकुटि तणेणि छन , कुल्ली अर कंदूड़ लाल हूणा छन।  असह्य पीड़ा !   
सिपै  -महाराज यु तो जलन -ईर्ष्या -मातसर्य की परिकाष्ठा ,च  राजन !
प्रद्युम्न शाह -हाँ।  में फर ईर्ष्या की अग्नि प्रसारित हूणि च।
सिपै  - राजनश्रेष्ठ ! आखिर किलै या जलन भड़कणि च , किलै जलन मा जळणा छंवां ? कै पर या ईर्ष्या हूणि च ?
प्रद्युम्न शाह - पुलिस घ्वाड़ा शक्तिमान से मि तै ईर्ष्या हूणि च।
सिपै  -हैं जानवर से माहराज ईर्ष्या करणा छन ?
प्रद्युम्न शाह -हाँ एक घ्वाड़ा से ईर्ष्या ? इन बुले गे बल  यु पुलिसौ घ्वाड़ा तो डंडा खाण से घैल ह्वे छौ अर फिर बल मोरि गे।  बल हाँ -क्वी नि जाणदु कि अफिक मोर या मारे गे ?
सिपै  -पर माहराज जब श्रीदेव सुमन मोरी छ्या तो आप इथगा उद्वेलित नि ह्वे छ्या तो फिर एक घ्वाड़ा का मोरण से इथगा क्रोधित , उद्वेलित कि आप अपण आपा ही खोणा छंवां ?
प्रद्युम्न शाह -अरे मेरी भान क्वी मोरो या जीए।  मि तै क्या।
सिपै  -तो फिर ?
प्रद्युम्न शाह -रावत सरकार शक्तिमान घ्वाड़ा की संगमररी मूर्ति कै चौराहा पर लगाणी च।
सिपै  - तो बि क्या ह्वे ? भारत मा नेहरू गांधी परिवारों करोड़ो मूर्ति लगिन तो आप क्रोधित नि ह्वेन। 
प्रद्युम्न शाह -अरे देहरादून की बात च तो ईर्ष्या हूण इ च कि ना ?
सिपै  - ठीक च पर किलै ?
प्रद्युम्न शाह -अरे गुर्ख्यों दगड़ खुड़बुड़ा युद्ध मा मेरी वीरगति बि तो अविस्मरणीय छे कि ना ?
सिपै  -हाँ महाराज ! शाह वंश मा तो या वीरगति स्मरणीय च। 
प्रद्युम्न शाह - तो फिर देहरादून मा म्यार मेमोरियल किलै ना ? मेरी मूर्ति किलै ना ? घ्वाड़ा की मूर्ति थरपेणि च अर मेरी मूर्ति का बारा मा क्वी नी सुचणु च 
सिपै  -महाराज !  स्वतंत्र भारत मा मूर्ति वैकि थरपे जांद यदि वो नेहरू -गांधी परिवार  हो या जु नेहरू -गांधी परिवार का वास्ता शहीद हो। 
प्रद्युम्न शाह -पर यु घ्वाड़ा तो ?
सिपै  -नहीं माहराज ! चूँकि ये घ्वाड़ा की मूर्ति से भाजपा की बेज्जती होली तो कॉंग्रेसी शक्तिमान तै इथगा इज्जत दीणि च।  बस स्वतंत्र भारत मा केवल नेहरू -गांधी या ऊंकी गुलामी करण वाळ या स्वार्थ सिद्धि करण वाळु की ही मूर्ति थरपे जांदी।
सिपै - हैं महाराज ! बेहोश ह्वे गेन।  अरे वैदराज जी तै बुलावो भाई !

19/5/2016 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।

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Jaspur Ka Kukreti

Bhishma Kukreti

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घराट , जंदुर  अर बौड़s डाळऔ मध्य बातचीत 

 चबोड़ , चखन्यौ , विमर्श  :::   भीष्म कुकरेती   
-
 घराट - बिजोग पड़ी गे।
जंदुर   - सब कुछ खतम ह्वे गे
 घराट -सुंताळ पड़ गे। 
जंदरु -आन औलाद तो छ्वाड़ो अपण बचणो उम्मीद बि नी च
 घराट -हूँ मि त ज़िंदा इ मर्दार पड्युं छौं।
जंदरु -अहा क्या भूतकाल छौ ?
 घराट - व्हट ए ग्लोरियस पास्ट आई हैंड।
जंदरु - सुबेर , दिन मा , रातमा क्या संगीत बजदो छौ मेरो। 
 घराट -क्या जमघट , भीड़ , पिपड़करो हूंद छौ म्यार कूड़ भैर अर भितर। 
जंदरु -म्यार इतिहास अर कांग्रेसक इतिहास मा अंतर् नी च।  सरा गौं मे बगैर रै नि सकुद छौ अर भारत देस कॉंग्रेस से अगनै सोची नि सकदु छौ।
 घराट - हूँ म्यार इतिहास अर सामयवाद्यूं इतिहास मा साम्यता च , समानता च , इकसनी इतिहास।  आज साम्यवाद बि अप्रसांगिक ह्वे गे तो मी बि मध्य काल का इतिहास जन अगण्य ह्वे ग्यों।
जंदरु -हे भगवान ! क्या इ दिन दिखण छौ।  जै जंदरु तैं मनिख पुजदा छा आज पहाड़ी गांवुं मा वे इ जंदरौ पाट चौकाक दिवाल्युं मा धर्याँ छन अर  मनिखाक पाद अगरबत्ती जन सूँघणो बाध्य हुयां छन।  भौत सा जंदर त गुदनड़ भेळ जग हुयां छन।   
 घराट -अरे म्यार मालिकक नाती तो मि तैं लतेक चल जांदन कि " हे घराट तू !  ' ..' याने हरिजन को प्रतीक छौं अर त्यार कारण ही तो  म्यार पुराणा हरिजन माने गेन। " .
अर सूण मि बोलि बि नि सकुद कि ये भै !  हम घट्टूंन थ्वड़ा वर्ण व्यवस्था बणै गढ़वाळ मा 
जंदरु -हमारी जनरेसन तो अब समाप्त ही ह्वे गे।  हाय हाय व्हट ये हिस्ट्री आई हैड।
बौड़क डाळ - ये काका -भतिज   आज ह्यळि गाडिक किलै रुणा छंवां ?
 घराट - जन बुल्यां तू दिखणि नि छे धौं?
जंदरु - जन बुल्यां त्वै   तै पता नि हो कि गांवुं मा रेडीमेड आटा अर फ्लोर मिल याने इलेक्ट्रिक या बिजली चक्की आण से हम अब भूतकाल की वस्तु , चीज , संस्कृति ह्वे गेवां।
बौड़ - हाहाहाहा !
 घराट -अरे हम तै सांत्वना दीणो जगा हम पर हंसणु छै ?
जंदरु -हम तै सांत्वना दीणो जगा हम तै चिरड़ाणु छै ?
बौड़ - हाहाहा ! मि तै म्यार पड़ददा का पड़ददा का बलिं कथा याद ऐ गे।     
 घराट -क्या ?
जंदरु -क्या ?
बौड़ - जब मनुष्य द्वी पथरों से अनाज पिसदो छौ तो अचानक मनुष्यन जंदरौ निर्माण कर दे तो सरा संसार का द्वी पथरया पत्थर निराश ह्वेन पर धीरे धीरे यूंन सिलवट का रूप धरी दे अर आज बि सिलवट बच्युं च। 
 घराट -फिर ?
बौड़ - फिर क्या जब घराट कु आविष्कार ह्वे तो जंदर निराश ह्वेन।  किन्तु जंदर की विशेषता से घराट जंदरु तै नि खै साको।  असल मा द्वी एक हैंकाक पूरक हूण से ज़िंदा रै गेन।
जंदरु -अब ?
 घराट -अब क्या ?
बौड़ - द्याखो या तो तुम आज की आवश्यकता का हिसाब से अफु मा परिवर्तन लावो कि तुम प्रासंगिक रावो।  या   ... या
जंदरु -क्या ?
 घराट -क्या ?
बौड़ - यदि तुम मनिखों की वर्तमान आवश्यकता पूरी नि कर सकदा तो सदा का वास्ता इतिहास की धरोहर बण जावो।  यु संसार आवश्यकता पूरक तै बचांदो।  जु आवश्यकता पूरक नी ह्वे सकद उ इतिहास बण जांद -अनावश्यक संस्कृति  ! अर तुम पर द्वी आंसू बि क्वी नि बगाल। 
जंदरु -हैं तू धमाकाणि छे कि राय दीणि छै ?
बौड़ - जन समजणाइ तनि  समजो ।


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