Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 359695 times)

Bhishma Kukreti

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              जौमा जु ह्वाल सि सि दिखाल

                    चबोड़ , चखन्यौ , चचराट :::   भीष्म कुकरेती   
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हमर बिल्डिंग मा एक बिगरैलि युवा छोरी च झुमरी।  बिल्डिंग भितर त झुमरी  अपण टी शर्टौ बटन बंद रखदी पण  जनि बिल्डिंग से दूर ह्वे ना टी शर्टाक द्वी बटन खोली दींदि।  जै मा ह्वाल स्यु दिखालु। 
झुमरी की पड़ोसन ठुमरी भौति छरहरी च तो तैंका बुबा जी लड़कियों तै 100 % तन ढकणो ऐक्टिविस्ट बणिक भाषण दीणा रौंदन।  जौमा जु ह्वाल सि सि दिखाल जौमा नी च सि स्योंकी आलोचना कारल।
 पुरण जमन मा जब घड़ी भौत बड़ी चीज छे तो जौमा घड़ी हूंद छे वो अपण कोटका बौंळ बि उठैक रखदा  छा।  जौंमा जु  ह्वाल सि सि दिखाल।
वै हि पुरण जमन मा ट्रांजिस्टर हूण माने बडु आदिम।  तो भौत सा किसान हौळ लगांद दैं ट्रांजिस्टर बजांद छा।  जौमा जु ह्वाल सि सि इ बजाल बकै  गल्वड़ बजाल।
अब मि परसि एक तिरैं खाणो ग्यों तो उख द्वी चार खाटळी  -साबळी का छाया बस सब्युं मा  अफु तै सिसयीं -बीरोखाल का पड़ोसी बथाणैं  छौंपा दौड़ लगीं छे।  अब वे इलाका से क्वी नौनी आइएएस का वास्ता सलेक्ट ह्वेल तो रिस्तेदारी तो बणदि च कि ना ? जौंक सफल ह्वाल सि सफलता का बखान कारल ही।
भौत पुरण जमाना मा जब चौंळ सौकार -अमीरी कि पहचान छे तो भौत सा लोग चौंळु  टींड मूछ मा धरिक गाँव घुमदा छा।  जौमा जु ह्वाल सी सि दिखाल।
अचकाल फेसबुक मा लोग अपणी फोटो अपलोड करदन।  कि मि फलण जगा  ग्यों या मि फलण जगा छौं। जौमा जु ह्वाल सी सि दिखाल।
यी दिखाणो ढब मानवीय ही ना आधारिक जैविक गुण च , फूल दिखांद छन , कोयल -कवा -मिंडक आवाज दिखांदन।  जौमा जु ह्वाल सि सि दिखाल जौमा नी च सि स्योंकी आलोचना कारल।



21 /5/2016 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।

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                    स्वच्छ भारत  , स्वच्छ भारत , बुद्धिमान उत्तराखंड !



Thanking You .
Jaspur Ka Kukreti

Bhishma Kukreti

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           प्रशासनिक नौटंकी  (लघु नाटिका )

 चबोड़ , चखन्यौ  अनुवाद :::   भीष्म कुकरेती   

समय - कालिदास युग
स्थान - कविल्ठा चमोली जनपद ,  से द्वी लतडांग दूर , कालिदास का ममाकोट
मल्लिका - कालिदास की पूर्व प्रेमिका
ममा -कालिदास कु  ममा
अनुस्वार अर अनुनासिक - उज्जयनी राज्य का प्रशासनिक अधिकारी 
(इथगा मा द्वार खटखटाणो ध्वनि आदि। मल्लिका पैल हडबडाट माँ हूंदी फिर संयंत हूंदी अर द्वार खुल्दी।  द्वी राजकीय अनुचर समिण )
अनुस्वार -  क्या हम मल्लिका देवी का सम्मुख उपस्थित छौंवाँ ?
मल्लिका - हाँ।  तुम ?
अनुस्वार -मि अनुस्वार अर यु अनुनासिक।  हम द्वी विक्रमादित्य प्रशासनिक प्रशिक्षण केंद्र से  निष्णांत छंवां अर अब हम द्वीइ  पर्वतकुमार गुप्त का प्रशासनिक अनुचर छंवां। देव पर्वत कुमार गुप्त का अनुचरों प्रणाम स्वीकार हो। 
मल्लिका -देव पर्वत कुमार गुप्त ? कु ?
अनुस्वार -ऋतुसंहार , कुमारसम्भव अर मेघदूत का रचयिता , प्रेणता कवींद्र , राजनीति निष्णात आचार्य तथा मध्यहिमालयौ  भावी शासक। देव पर्वत कुमारगुप्त की राजमहिषी गुप्त वंश दौहितता परम विदुषी देवी प्रियंगुमंजरी आपक साक्षात्कार का वास्ता उत्सुक च। अर शीघ्र ही वो इख आण चाणि छन। हम द्वी वांकी पूर्व सूचना दीणो अयाँ छंवां 
मल्लिका - ऋतुसंहार अर मेघदूत का प्रेणता  तो कालिदास छन अर तुम बुलणा छंवां पर्वत कुमारगुप्त ?
अनुस्वार -वो गुप्त राज्य की ओर से  मध्य हिमालय  का राज्य सँबाळण वाळ छन।   पर्वत कुमारगुप्त ऊंक नयो नाम च।
मल्लिका -वो उत्तराखंड का राज्य सँबाळण वाळ छन ? अर उंकी राजमहषी  परम विदुषी देवी प्रियंगुमंजरी  मि तै मिलणो आणि छन ?
अनुस्वार - मि तै विश्वास च कि तुम अपण उपवेश  गृह की सामग्री मा अवश्य परिवर्तन करण चैली।  तुमर आदेश समजिक हम तुमर प्रकोष्ठ मा कुछ परिवर्तन कर दींदा।

( द्वी कमरा मा ऐक निरीक्षण करदन , मल्लिका अलग दूर खड़ी ह्वे जांदी।  अनुनासिक  आसन का पास आंद )
अनुनासिक - म्यार अनुसार यु आसन द्वारक पास हूण चयेंद।
अनुस्वार -देवी द्वार से भितर आली अर आसन द्वारक पास ?
अनुनासिक - वीं स्थिति मा आसन तै छै अंगुळ दक्षिण मा हूण चयेंद। 
अनुस्वार -दक्षिण का ओर ?
(अनुनासिक मुंड हलांद )
म्यार अनुसार आसन तै वर्तमान स्थिति से पांच अंगुळ उत्तर मा हूण चयेंद।  गवाक्ष से सूर्य किरण सीधा ये पर पड़नी छन। 
अनुनासिक - मि त्वे से सहमत नि छौं।
अनुस्वार - मि बि त्वे से सहमत नि छौं।
अनुनासिक - त ?
अनुस्वार - त विवादास्पद वस्तु तैं जस तस इ रौण दिए जावो।
अनुनासिक - भलो , भलो।  अब यूँ कुम्भं का क्या ह्वालु ? कुम्ब याने घौडुं क्या ह्वाल ?
अनुस्वार -म्यार अनुसार एक घौड़ कूण्या पर अर हैंक घौड़ हैंक कूण्या पर।
अनुनासिक - मि समजदु कि घौड़ ये प्रकोष्ठ मा हूणि  नि चयेंदन।
अनुस्वार -किलै ?
अनुनासिक - किलैक क्वी उत्तर नी च।
अनुस्वार -मि त्वे से सहमत नि छौं।
अनुनासिक - मि बि त्वे से सहमत नि छौं।
अनुस्वार -तो ?
अनुनासिक - त घौडूँ  तैं जस तस इ रौण दिए जावो।
(द्वी इना ऊना दृष्ठि घुमांदन , उखम जांदन जखम रस्सी पर झुल्ला सुखणा छन , मल्लिका पृष्ठों तै संबाळिक चौकी मा धरदी अर भितर चल जांद ) 
अनुस्वार -यी वस्त्र ?
अनुनासिक - वस्त्र अबि गिल्ल छन त  नि हटाण चयेंद।
अनुस्वार -किलै ?
अनुनासिक - शास्त्रों का प्रमाण अनुसार।
अनुस्वार -कु कु प्रमाण ?
अनुनासिक - स्मरण नी औणु च।
अनुस्वार -यु त स्मरण च कि इन प्रमाण छैं च   ?
अनुनासिक - हाँ।
अनुस्वार -तो ?
अनुनासिक - त संदिघ्द विषय च।
अनुस्वार -हाँ तब त संदिघ्द विषय च।   
अनुनासिक - सन्दिघ्द विषय हूणो कारण वस्त्रुं तै उनी रण दिए जाव।
अनुस्वार -भलो भलो वस्त्रों तै बि ऊनि रण दिए जावो
अनुनासिक - पर ये चुल्लु तै इख बटे हटै दीण चयेंद।
अनुस्वार -ना
अनुनासिक - ना ?
अनुस्वार -नै चुल्लू स्थानांतरित करणो अर्थ च कि अन्य वस्तुओं तै बि स्थानांतरित करण।  अर यांमा भौत अधिक समय लगल।
अनुनासिक -समय का अतिरिक्त धैर्य अधिक चयेंद।
अनुस्वार - धैर्य का अतिरिक्त परिश्रम बि अधिक चयेंद।
अनुनासिक -मि समजदो कि भाण्डुं तै हथ लगाण हमर पद अर स्थिति का अनुकूल नी च। पदानुसार इ कार्य करण चयेंद।
अनुस्वार -मी बि त योइ समजणु छौं।
अनुनासिक - त हम द्वी सहमत छंवां कि चुल्ल स्थानांतरित नि करे जाव।
अनुस्वार -हूँ।  हम द्वी सहमत छंवां।
अनुनासिक चर्री ओर दृष्टि डाळद 
अनुस्वार बि चारि ओर नेत्र घुमांद
अनुस्वार -म्यार विचार से कुछ बि शेष नी च
अनुनासिक -ना अबि शेष च।
अनुस्वार -क्य ?
अनुनासिक -या चौकी इखम पथमा पड़ी च । यीं तै हटाण चयेंद।
अनुस्वार -मि सहमत छौं।
अनुनासिक -त ?
अनुस्वार -त ?
अनुनासिक -तो यीं तै स्थानांतरित कर दीण चयेंद।
अनुस्वार -हाँ ! अवश्य यीं तै स्थानांतरित कर दीण चयेंद।
अनुनासिक -तो ?
अनुस्वार -तो ?
अनुनासिक -हटै दे।
अनुस्वार -मि ?
अनुनासिक -हाँ।
अनुस्वार -तुम ना ?
अनुनासिक -ना।
अनुस्वार -किलै ?
अनुनासिक -किलै कु क्वी उत्तर नी च।
अनुस्वार -फिर बी ?
अनुनासिक -पैल मीन त्वै कुण ब्वाल।
अनुस्वार -पर चौकी तीन पैल द्याख।
अनुनासिक -त ?
अनुस्वार -त ?
अनुनासिक -हटै दे
अनुस्वार -तू हटै दे।
अनुनासिक -तो रण दे।
अनुस्वार -ठीक च रण दे।
अनुनासिक - हूँ।  तो
अनुस्वार -तो ?
अनुनासिक - बस एक दृष्टि हौर।
अनुस्वार -हूँ एक दृष्टि।
(ममा भैर बटें उत्तेजित ह्वेक आंदो )
ममा - अधिकारी गण।  अवश्य ही तुमर कार्य पूर ह्वे गे होलु
अनुस्वार -बस एक दृष्टि
ममा - दृष्टि , उस्टि समाप्त। पर्वत कुमार गुप्त याने कालिदास की पत्नी देवी प्रियंगुमंजरी भैर पौंछि गेनि।
अनुस्वार - देवी पौंचि गेन तो चले जाव।
अनुनासिक - चला
(द्वी भैर चल जांदन।  ममा बि उंक पैंथर जांद अर कुछ क्षणों परांत प्रियंगुमंजरी तैं लेकि भितर आंद। )
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(मोहन राकेश कृत आषाढ़ का एक दिन ' नाटक का एक अंक से अनुदित )
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                                                  कुज्याण कॉंग्रेस्यूं तैं परिवर्तन किलै नि दिखेणु च धौं ?

                                                          चबोड़ , चखन्यौ , चचराट :::   भीष्म कुकरेती   
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                                                       अचकाल कौंग्रेसक दिन इ खराब चलणा छन।
                                         जब दिन खराब चलणु हो , दुर्भाग्य दगड़म हो त दिमाग का बि भुर्ता बण जांद।
                          जब आसाम , बंगाल अर केरल का चुनाव फल ऐन त कोंग्रेसका राज आसाम , केरल मा खतम ह्वे तो कॉंग्रेसी प्रवक्ता रूणो जगा पंडों , कैंतुरा , डौंड्या नर्सिंग नाचणा छया जन बुलया राहुल गांधीक ड्यार कौंग्रेस की बागडोर संबाळणो बान क्वी गांधी  पैदा ह्वे गे धौं।  यी नासमझ कॉंग्रेसी प्रसन्न   हूणा छा बल बंगाल अर केरल मा भाजपा बुरी तरां से हारी गे।  अब बताओ अर यूँ कॉंग्रेस्यूं तै क्वी पूछो त सै बल जब भाजपा तैं इ भरवस नि छौ कि बंगाल , केरल अर तामिलनाडु मा भाजपा तै कुछ हासिल होलु त केरल -बंगाल -तामिलनाडु मा  भाजपा कनै हार भै ? हारदो त वा च जैमा कुछ ह्वावो।  वास्तव मा वास्तविक हार तो कॉंग्रेस की ह्वे - आसाम अर केरल मा राज गे अर तमिलनाडु मा भ्रष्ट डीएमके का खुट पकड़णो बाबजूद बि कॉंग्रेस तामिलनाडु मा खाड जोग ह्वे गे।
         
                                                           चूँकि मीन प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई तैं आरएसएस डंडा अर घूसा खांद दिख्युं च त मि डौरन खूंखार स्वयंसेवकों का अर आरएसएस का भुर्त्या (प्रॉक्शी ) भाजपा की काट नि करदु तो मीम कॉंग्रेसी ही बच्यां छन जौं पर                                                           लेखी सकदु।  अर आजकल तो बजरंग दल का पास बरछाधारी बंदूक , तलवार , चक्कू -छुर्रा बि ऐ गेन तो मेरी व्यंग्यकारों तै सलाह च बल आरएसएस की काट कतै नि करण।  परसाई जीक समय पर तो स्वयंसेवकी डंडा से मुंड फुटद                                                   छौ अब तो यी बजरंगी भय्या पता नि क्या क्या काट सकदन धौं।
                                               हाँ तो अब मीम राजनैतिक विषयों पर कॉंग्रेस सिवाय लिखणो कुण नी च तो मी कॉंग्रेस की  छ्वीं लगौलु।
                                          अर अचकाल अब भाजपा का बदलाव पब्लिसिटी का विरुद्ध कॉंग्रेस बुलणि च बल भाजपा का शासन मा कुछ बि परिवर्तन नि ह्वे।
                                     पता नी दिग्विजय बाबू , मिस्त्री या अहमद भाईजान का आँखों मा मोतियाबिंद ह्वे गे कि कॉंग्रेस तै भारत मा परिवर्तन हि नि दिखेंद ?
                                जब जनता तै लोकसभा मा कॉंग्रेस का 44 लोकसभा सांसदों मुख पर दुःख ही दुःख की छाया दिखेंदि तब कॉंग्रेस का प्रवक्ताओं तै चेंज किलै नि दिखेंद ?
                            उत्तर पूर्व मा जब कॉंग्रेसी कॉंग्रेस छोड़िक भाजपा मा भर्ती ह्वेन तो कॉंग्रेस तै यु परिवर्तन किलै नि दिख्याणु च कि कॉंग्रेसी नेता बिकाऊ ह्वे गेन।
                     इनि उत्तराखंड मा 9 कॉंग्रेसी भाजपा मा चली गेन अर कॉंग्रेसी बुलणा छन बल कुछ बि परिवर्तन नि आई। या बात समझ से भैर च कि जैको कमर टूटि जाव अर वु ब्वाल कि परिवर्तन नि ह्वावो तो अवश्य ही परिवर्तन की परिभाषा ही बदल गे ह्वेल धौं !
                 बंगाल मा पैल कॉंग्रेस अर बाद मा तृणमूल कॉंग्रेसी करांद , ऐड़ाट -भुभ्याट करदा छा कि - ये ब्वे हम तै कम्युनिष्टोंन पीटि आल।  अब भाजपा अर कम्युनिष्ट एकजुट ह्वेका क्रन्दन करदन बल - ये ब्वे हम तै कम्युनिष्टोंन पीटि आल।  क्या यु बदलाव नी च ?
             पैल केरल मा  कम्युनिष्ट कार्यकर्ताओं द्वारा कॉंग्रेसी कार्यकर्ताओं की मौत खबर आदि छे अब ब्रेकिंग न्यूज हूंद  गॉड्स ओन कंट्री केरल मा कम्युनिष्ट कार्यकर्ताओं द्वारा भाजपा  कार्यकर्ताओं की मौत।  तो सचमुच मा यु परिवर्तन नी च ?
          आसाम मा परिवार वाद का वायसराय तरुण गोगाई का मुशुकबाज बजदो छौ अब उख  भाजपा अब नरेंद्र मोदी तै सात तोपों की सलामी दीणा छन।  क्या यु परिवर्तन नी च ?
        पैल क्षेत्रीय दल का हरेक सरदार जु प्रधानमंत्री बणणो ख्वाब दिखदु छौ वु थर्ड फ्रंट से लेकि वर्ड फ्रंट बणैक ' कॉंग्रेस हटाओ ' आंदोलन चलांद छौ।
      अब क्षेत्रीय दल का हरेक सरदार जु प्रधानमंत्री बणणो ख्वाब दिखदु उ अब फस्ट फ्रंट बणैक 'भाजपा हटाओ ' का नारा ब्लैकबोर्ड मा लिखवांद।  क्या यु परिवर्तन नी च ?
  वास्तव मा कॉंग्रेस अपण संगठन पर ध्यान दीणो जगा गांधी परिवार अर भाजपा पर ध्यान अधिक दीणि च अर यांसे यु परिवर्तन आई।  बिचारि कॉंग्रेस ! बेबस कॉंग्रेस !  सोनिया अर राहुल गांधी का  छौंद बि निगुसैं की कॉंग्रेस ! 





28/5/2016 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
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                         स्वतंत्र भारत का प्रथम  घूस दाता की मृत्यु , लेकिन   .....

                                             चबोड़ , चखन्यौ , चचराट :::   भीष्म कुकरेती   
-

                                दुख्यर समाचार पत्र , 29  /5 /2016
                              हमर संबाददाता कौंळवायुन रैबार दे बल जब इंडिया गेट से जनि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी घोषणा करणा छाया या तनि बुलणा छया कि ' भारत में भ्रष्टाचार सफाचट  हो गया है और हम चिकित्सा सुविधा बढ़ा रहे है  ',  ठीक वे इ समय पर स्वतंत्र भारत                   का    प्रथम   घूसदाता की  चिकित्सकों की अनुपस्थिति , नर्सों की उनींदी आँखों  व दवा नि मिलण से सरकारी अस्प्ताल मा मौत ह्वे  गे।
                    श्री घूसदाता का नाम कै तै नी पता किलैकि 16 अगस्त 1947 का बाद लोग वै तै केवल घूसदाता याने घूसदिव्वा का नाम से इ पछ्याणदा छया।  भारतीय प्रशासनिक अधिकारी  मंडल  का सभी सदस्य घूसदाता तै भारत रत्न दीण  चाणा छया किन्तु लालू यादव                  , ए  राजा ,   ममता बनर्जी का मंत्रिमंडल का एक सदस्य , अशोक चौहाण , यदुरप्पा , अकाली दल का कुछ सदस्य आदिन  ब्वाल कि यदि भारत रत्न ही दीणै त लालू यादव तै द्यावो।  जी हाँ यूं  बदखोरों की दलील सै छे  बल जु  घूसखव्वा इ  नि ह्वावन तो                         घूसदिव्वा कखन पैदा ह्वाला। 
             ब्याळि घूसदिव्वा दिल्ली सरकारी अस्प्तालम भर्ती ह्वे छौ किन्तु घूसदिव्वा मा सन 16 अगस्त 47 से घूस खलांद खलांद या हालात हुईं छै कि बिचारा मा नर्स , वार्ड ब्वाय तै एक पैसा दीणो नि रै गे छौ तो श्री घूसखव्वा की मौत अस्प्ताल का गेट पर ही ह्वे गे।
          हमर दुसर संवाददातान राजधानी का सबसे विलासी क्षेत्र से हैंको रैबार दे कि प्रथम स्वतंत्र नागरिक  घूसदिव्वा से जैन घूस ले छई वैकि तब्यत दिखणो वास्ता भारतीय प्रशासनिक अधिकारी  मंडल का सभी वरिष्ठ अधिकारी , सभी राजनैतिक दलों का मुख्य प्रभारी ऐ             छया अर भारत का प्रत्येक गाँवों मा घूसखव्वा जन प्रतिनिध्युंन हवन कराई कि स्वतंत्र भारत   का प्रथम घूसखव्वा सदा अमर रावो। सरकारी खर्चा पर स्वतंत्र भारत   का प्रथम घूसखव्वा तैं लंदन भिज्याणु च अर अस्प्ताल बि वै इ क्षेत्र मा च जख अचकाल मल्लय्या जी        निवास करणा छन।
   ज्ञात हो कि तंत्र भारत का प्रथम घूसदातान लालकिला पर नेहरू जीका  भाषण सुणनो वास्ता लालकिला मा प्रवेश का वास्ता  स्वतंत्र भारत   का प्रथम घूसखव्वा तैं द्वी आना घूस दे छे।
  एक विज्ञप्ति मा भारतीय प्रशासनिक अधिकारी  मंडल एक सदस्यन खुसी , प्रसन्नता जाहिर कार बल घूसदिव्वा तो खिन्न छन , अस्वस्थ छन , मरणा छन किन्तु घूसखव्वा स्वस्थ छन, प्रसन्न छन  अर तकरीबन अमर छन।
 




29/5/2016 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
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 भुंदरा बौ समेत सभी भाभियाँ  बफादारी बॉन्ड भरवाने की मांग करने लगी हैं ! 


                चबोड़ , चखन्यौ , चचराट :::   भीष्म कुकरेती   
-

ब्याळि क्या आज बि मि गां मा छौं अर गाँ  से भागणो जुगत मा छौं।
अब ये गाँ तो दूर मि यीं अडगैं (क्षेत्र ) मा एक दिन बि नि रै सकदु। 
पैल हम  मरद राजनैतिक पार्ट्यूं द्वारा बेवकूफ बणदा छया तो अधिक फरक नि पड़दो छौ पर अब त  जनानी बि यूँ बदखोर राजनीतिज्ञों की भकलौण मा आण मिसे गेन भै !
सि जब  बंगाल का कॉंग्रेसी विधायकुंन  सोनिया गांधी  -राहुल  गांधी की बफादारी की कसम  100 रूप्यका स्टाम्प पेपर मा बॉन्ड क्या भौर कि दुन्या की सभी भाभी  सब द्यूरों से इख तलक कि कुंडम जाणो तयार बैठ्युं 99 सालौ द्यूर से बि बफादारी बॉन्ड भराणा छन।
बंगाल की राजनैतिक घटना से प्रेरित ह्वेकि ब्याळि सुबेर सुबेर घाटम जाणो तयार बैठीं 97  सालैकि, बेदंत , झुर्रियों की खान  गुंदरा बौ अपण झड़नातिक  दगड़ लाठ टेकिक म्यार चौकम आई अर बुलण लग गे , "ये भीषम ! मि तैं ते पर भरोसा नी च। "
मीन  मजाक मसखरी मा जबाब दे , " ये बौ तीन भरवस गज्जू भैजी पर नि कार तो मैं फर किलै भरवस करली ?"
97 बेदंत , झुर्रियों की खान सालैकि गुंदरा बौन आग बिताळ ह्वेक ब्वाल।," मि मजाक नि करणु छौं। मी गम्भीर ह्वेका बुलणु छौं कि मी तैं तेफर कत्तै भरोषा नी च। "
मीन ब्वाल - ये बौ क्या यीं भगवान का पास  जाणै उमर मा तू चुनाव लड़न चाणि छे ?
गुंदरा बौ - मि नि जाणदू।  बस तू एक बफादारी बॉन्ड भर दे तबि मि त्यार दगड़ वेजिटेरियन मजाक मसखरी  करुल।
इन बोलिक गुंदरा बौ लाठ टिकद टिकद चली गे।  मीन समझ बल यीं उमर मा दिमाग जगा मा नि ह्वाल तो स्या बौ बकबक करणी ह्वेलि।
कुछ देर बाद काणि बौ याने 77 बरस की सुंदरा बौ ऐ।  जवानी का दिनों मा सुंदरा बौ तै स्याड़ी बौ बुल्दा छया अब तैंको नाम काणी बौ पड़ गे।  कुज्याण किलै धौं। द्यूर लोगुंन फोकट मा  नाम दे दे। आजकल सब संभव च।  जब दिल्ली का मशालची राहुल गांधी का नाम फोकट मा
निकज्जु , निखत्तु  अर पप्पू पोड़ सकद तो स्याड़ी बौक नाम काणी बौ बि पौड़ सकद। 
वा बौ जोर से बोलिक सरासर चल गे कि -मेकुण बौ बुलण त बफादारिक बॉन्ड  भरण पोड़ल।
इनि चार पांच बुडड़ि ऐन अर बफादारी बौंड भरणो आदेश देकि चल गेन।  ना क्वी रामा रूमी ना क्वी मजाक मसखरी। 
अंत मा चिरसुन्दरी भुंदरा बौ ऐ।
मीन फटाक से ब्वाल - चलती क्या खंडाला ?
चिरसुन्दरी भुंदरा - डोंट बी सिल्ली पिग ! आई डोंट लाइक सिल्ली - ओल्ड जोक्स।
मी गंगड़ै ग्यों कि यी क्या मक्खन आज पत्थर कनै बौण ?
चिरसुन्दरी भुंदरा बौन एक इंडिमिनिटी बॉन्ड दे अर ब्वाल - जब तक तू ये बफादारी बॉन्ड भौरिक नि देली हम बौ क्वी बि त्यार दगड़ बात नि कौर सकदा।
अर चिरसुन्दरी भुंदरा बौ तड़ तड़ाक सटक गे।
मीन बॉन्ड की इबारत पौढ़ -
मैं . ------ पुत्र ----- कसम खाता हूँ कि
१- किसी भी गरीब की जनानी को भाभी नहीं कहूंगा।
२- भाभी को माँ -बहिन का दर्जा दूंगा।
३- भाभी के साथ केवल वेजिटेरियन मजाक ही करूंगा।
४- भाभियों के साथ मृत्यु परन्त बफादारी निभाऊंगा।
५-
xxx
१०  - किसी भी भाभी की शिकायत नहीं करूंगा
११- किसी भी भाभी को अपने साहित्य में हास्य व्यंग्य रचने हेतु चरित्र  नहीं बनाऊंगा।
अब तुमि बथावदि कि मि त ह्वे मरद जातिक।  अब मरद जातिक इ जि बफादारी निभाण लग जावन तो फिर सतयुग नि ऐ जालु ? अर फिर मरद जाती से बफादारी की उम्मीद ?
मि इख बिटेन लुकिक सटकणो तयारी मा छौं। 


30/5/2016 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
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Modern Garhwali Folk Songs, Poems


   कंडाळी लगाते छिटगा (गढ़वाली कविता )

रचना --  बी मोहन नेगी   ( जन्म  -1952,   पुंडेरी ,पूर्वी  मनयारस्यूं , पौड़ी  गढ़वाल  )
Poetry  by - B. Mohan Negi

( विभिन्न युग की गढ़वाली कविताएँ श्रृंखला )
-
इंटरनेट प्रस्तुति और व्याख्या : भीष्म कुकरेती
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  छिटगा -१
-
हमरा  अगनै घाम
पिछनै डाम छन भैजी
बिना दारु का नि चल्दू काम यख
हमरा अगनै बी भौत काम छन भैजी
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     छिटगा -२
-
हे पार्थ !
देख धौं
सूर्यास्त ह्वेगी
पहाड़ों पुरुषार्थ
कन मस्त ह्वेगी !
-
-
 छिटगा -३
ब्याळि तैं मिन
पलायन पर
जो बड़ा बड़ा शोधग्रंथ ल्यखदा
अर सेमीनार करदा द्यखिन
आज वी मिन
पांच विश्वा जमीनी बान
कोटद्वार  अर द्यारादूण
रिंगदा द्यखिन 



( साभार --शैलवाणी , अंग्वाळ )
Poetry Copyright@ Poet
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पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड  से गढ़वाली लोकगीत , कविता ; चमोली  गढ़वाल, उत्तराखंड  से गढ़वाली लोकगीत , कविता ; रुद्रप्रयाग गढ़वाल, उत्तराखंड  से गढ़वाली लोकगीत , कविता ;टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड  से गढ़वाली लोकगीत , कविता ;उत्तरकाशी गढ़वाल, उत्तराखंड  से गढ़वाली लोकगीत , कविता ; देहरादून गढ़वाल, उत्तराखंड  से गढ़वाली लोकगीत , कविता ; 
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Regards

Bhishma  Kukreti

The Sales Warfare Expert

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                               तुम तैं तब पता चलदो कि गरमीs मौसम च !

                                              चबोड़ , चखन्यौ , चचराट :::   भीष्म कुकरेती   
s = अद्धा अ
-

तुमर शरीर  अपार गरम पर इयरकंडीशनर उथगा इ ठंडु।
तुम तैं ठंडु  पाणी बि तातु  लगद।
तुम पहाड़ी प्रवास्युं तैं  अचाणचक पहाड़ याद ऐ जांद जन हस्तक्षेप अर आप पार्टी वळु तैं।
तुम लंच का बाद कार्यालय   इ नि जांदा।
तुमर समिण जनि फूलूं नाम लिए जांद तुम तै छींक ऐ जांद।
तुम तै सही लगद  आंद कि पाणी से शरीर की सफाई दिन मा पांच दैं आवश्यक च।
तुम तै बरसात संबंधी फ़िल्मी गाना पसंद आण लग जांदन।
तुम जब ऑफिसम इंटरनेट पर हर समय 'How to protect from Heat Wave ' चैप्टर पढ़ना रौंदा
तुम जब घौरम दादी की सलाह ' गर्मियों में क्या खाएं ' जन किताब पढदां।
तुम जब कव्वोँ तै घोल (घोसला ) बणान दिखदा। अर चखुली तुमर बाथरूम मा घोल बणानो घास पात लै आदि। 
 तुम जब सुणदा कि कॉंग्रेस पर भाजपाइ आपदा बाद उत्तराखंड मा अचाणचक रौळ -बौळ - भळक जन आपदा ऐ गे।
तुम तै जैन ऋषि मुनि बणनो रौळ-बौळ   लग जावो याने नंग धड़ंग हूणो ज्यु बुल्यांद।
तुम तै तुमर मैदानी दोस्त दगड्या पुछण लग जवां - हिमाचल अधिक अच्छु च कि उत्तरांचल ?
तुम तै अपण किचन गार्डन मा हरियाळी से प्यार हूण लग जावो।
तुम दिन मा बि सुपिन दिखण लग जाँदा कि कैदिन तुमर व्यक्तिगत 'स्विमिंग पूल ' होलु।
तुम तै टीवी समाचारुं ऐंकर अच्छा लगदन जु सूर्य दिबता तै भयंकर से भयंकर गाळी दींदन।
       

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                           अफ़सोस ! डंकार संस्कृति समाप्ति के कगार पर है । 

                                                   चबोड़ , चखन्यौ , चचराट :::   भीष्म कुकरेती   
-

                                         जब मि छुटु इ ना युवा थौ त डंकारण  भारतीय संस्कृति कु एक मुख्य अंग थौ।  मर्द लोग धोती , अंगोछा , टुपला तो पैरदा हि था दगड़ मा खाणा खाणो डंकारदा बि छा।
                                       हरेक गाँव , शहरूं मुहल्ला क्या म्यार गाँमा बि डंकार का बीर -भड़ छा। म्यार गांव मा प्रधान ददा की डंकार की आवाज दुसर गाँ तलक बि पौंछि जांदी छे।  भोजनोपरांत प्रधान ददा की डंकार से  सरा गांवक जनानी अपण कजेयुं तै खाणा खाणो                                            भट्यांद था ," ये घुत्तू का बुबा कख मर्यां छंवां ? सि परधान ज्योरून खाणक ख़याल अर तुमर निफटळि  कुज्याण कख लगीं च धौं !"
                               फौड़ -जीमण मा पैली पंगत मा बैठ्याँ पंडित , बैंकों की डंकार की आवाजों से पता चल जांद छौ कि भोजन मा कथगा रस्याण च।  डंकार की ध्वनि भोजन का स्वाद का द्योतक हूंद छौ। डंकार भोजन का  सत , स्वाद का द्योतक बि छौ।
                             फौड़ -जीमण मा सपोड़नै संस्कृति बड़ी म्यूजिकल , संगीतमय छे। इकछुटि सपोड़ा -सपोड़ का संगीत ढोल, रौंटळ , मुशकबाज से सीधा प्रतियोगिता करदो छौ अर सद्यनि सपोड़ा -सपोड़ संगीत ही जितुद थौ। 
                            वास्तव मा  डंकार संस्कृति एक ट्रांसपैरेंट , पारदर्शी तहजीब , संस्कृति , कल्चर थै। जब बि खाओ , जनि बि खावो , जैबरी बि खावो डंकार , सपोड़ण या चप चप से सरा संसार सणि सुणैं द्यावो।  बिलकुल बच्चा की तरां सुहृदय छे स्या डंकार संस्कृति !
                          परधान   ददा तै जब मैना तीन मैना मा घीयक घंटी मिलदी छै तो परधान दादा नाश्ता मा बि डंकारदो छौ।  सब तै पता चल जांद छौ कि रात क्वी घीयक घंटी दे ग्यायि। सब कुछ पारदर्शी  छौ ,  स्प्ष्ट छौ  अर  ट्रांसपेरेंट थौ ।
                        तब नीति अर नीयत निर्मल छ्या
            अब नया जमाना की रौळ -पौळ याने बंद -गिच्च  संस्कृति से पता इ नि चलद कि रुसै खाणो बगत ह्वे गे।  अब फौड़ -जीमण -बुफे से पता इ नि चलद कि भोजन का  सत , स्वाद कन च , बंद -गिच्च से क्या पता चलद ?
           एक जमाना छौ जब भारतीय मंत्री अर अधिकारी बड़ी जोर से डंकार लींदा छा किन्तु पश्चिमी संस्कृति का उन्नायक पंडित नेहरून धीरे धीरे या संस्कृति समाप्त कराई। 
                             याद च ? जब पेट्रोलियम मंत्री केशव देव मालवीयन डंकार दे तो नेहरू जीन मालवीय जी तै मंत्री मंडल से निकाळ दे।  जी हाँ डोनेसन दिलैक  मालवीय जीन डंकार दे।  मतलब स्वीकार क्र दे कि उंन कै तै डोनेसन दिलाई।  यदि केशव देव मालवीय जी                                        चुपके से डोनेसन दिलै दींदा अर डंकारदा ना बंद -गिच्च  संस्कृति का पालन करदा तो नेहरू जी मालवीय जी की फजीत नि करदा।  अर तब बिटेन भारत मा क्या मंत्री , क्या संतरी घूस त लींद छन पर डंकार नि लींदन।
                                 अब तो लालू यादव , यदुरप्पा , अशोक चौहाण , कलमुंडी , कलमाड़ी , ए राजा , जायसवाल , बंसलs  भणजो , हुड्डा बाड्रा की संगत सात क्या सौ पुस्तों  कुण खै जांदन अर डंकार तो छ्वाड़ो , फुस बि नि करदन।  उल्टां जनता तै बतांदन कि मि त                                        जनमजातिक   भूखो छौं।
                                   पैल सरकारी दफ्तरों मा कै अधिकारी या चपड़ासीन घूस खईं हो तो वु अभ्यार्थी  तै देखिक सरा कार्यालय तै बतै दींद छौ कि स्यु म्यार आदिम च किन्तु अब त घूस खैक बि अधिकारी या चपड़ासी गिच्च सील दींदन। पैल घूस दीण माने काम पक्को पर                                       अब बंद  गिच्चै  संस्कृति मा  'घूस देकि बि काम होलु ही ' की क्वी गारंटी नी च।  क्वी खांद दै सपोड़ा सपोड़ , खांद दैं चप चप करदो नी च अर  ग्यरड़ भरेक बि डंकारदा इ नि छन।   
                                       अब सब लुकाण छुपाण , नॉन ट्रांसपैरेंट संस्कृति ऐ गे। 
                                         आओ चलें डंकार संस्कृति को बचाएँ।
                                          आपकी  राय डंकार संस्कृति का बारा मा क्या च ? बचाण चयेंद या ना ? प्रशासन मा परदर्शिता चयेंद कि ना ? नीयत -नीति साफ़ , निर्मल चयेंदन कि ना ?
   
 

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                                              सुबेर देर से बिजणौ चिंता 

                                          चबोड़ , चखन्यौ , चचराट :::   भीष्म कुकरेती   
-


                                                   ब्याळि मि सुबेर भौत इ देर से बिजु।  मतलब कुछ  अज्ञारा बजि गे होलु त मि बिजु।
           घौरम बि कै तैं नि पड़ीं छे कि मि सुबेर सुबेर बिजणु छौ कि दुफरा मा आँख उफारणु छौं।  उंक हिसाबन तो मि सुबेर बिज बि गे तो कौन सा मीन भद्वाड़ बै दीण , स्ट्यूं पौध लगै दीण या गूणी -बांदर भगै दीणन।  मुंबई का फ्लैटों मा यीं उमर मा करणो बि त कुछ नी च। 
                                                   उन मि चार से पांच बजि बिजण वळ मनिख  छौं।  जब मि नौकरी करदु छौ तो घड़ी छे , घरवळि छे  , चेतना छे बिजाळणो कुण।
          अब जब रिटायर ह्वे ग्यों अर कंसल्टेंसी काम कम ह्वे जावो त मि तै मेरी चेतना ही बिजाळदी।  खाली दिनों मा घरवळि अर घड़ी तै मतलब नि   रौंद कि मि कब बिजुं अर कब स्यूं !  ना ही इंटरनेट का अर ओफलाइन का  गढ़वाली साहित्यकारों तै कुछ पड़ीं रौंदी।
                                                  मि भौत सा बगत दस -बीस दिन इंटरनेट से दूर बि रौं तो बि क्वी नि पुछुद कि मि कख छौं। 
         दरिद्रता क्यांकि  बि  हो सब गुणों तै छुपै दींद। बीमारी बि एक किस्माकी दरिद्रता इ च।  अर को च पूरण पंत पथिक तै पुछणु ?  बिचारा जग्गू नौडियाल जि तैं कैन पूछ ? बालेंदु बडोला या जेपी बहुगुणा 'किरण ' तै क्वा पुछणु च ?
                                                द ल्या ! मी बि  कॉंग्रेसी प्रवक्ता ह्वे ग्यों।  पूछे जांद कि राहुल गांधी क्या अध्यक्ष बौणल ? तो उत्तर आंद - क्या आडवाणी जी रिटायर नि ह्वेन ?
         मी देर से उठणो छ्वीं लगाणु छौ अर छ्वीं चली गेन गढ़वाली साहितयकारों दुखती रग पर कि हम साहित्यकार अपण भयात की खैर -खबर बि नि पुछदां। ख़ैर मि बुलणु छौ कि आज मि देर क्या दुफरा मा बिजुं। मीन स्वाच घड़ी खराब च पर मोबाइलन ब्वाल कि मी इ देर          से बिजु।
                                               प्रश्न च बल आदिम तैं कथगा निंद चयेंद ? क्या मि अपण नींद पूरी करणु छौ ज्वा में से छुटि गे होली ?
       किन्तु जख तलक मेरो जीवविज्ञान कु ज्ञान कु सवाल च वो बुल्दु बल नींद की कमी तै तुम अधिक सेका पूर नि कर सकदा।  ज्वा निंद खते ग्यायि स्या निंद  खते ग्यायि।  नींद क्वी बैंक अकाउंट नी च कि नींद का डेबिट -क्रेडिट हो।  नींद तै स्टोर करें  नि सक्यांद।
                                             वास्तव मा कुछ दिनों से मंदी की मार से कंसल्टेंसी नि मिलणी च त मि देर से बिजण लग ग्यों। 
          सैत च मि अळगसी ह्वे गे  होलु। तभी त मि सुदी पलंग मा पड्युं रौंद जब कि मि तै कुछ काम करण चयेंद। किन्तु काम क्या कौरु ? लिखण -पढ़ण -गप मारणो आलावा आंद बि क्या च मैं ? सेल्स प्रोफेसन कु फायदा -नुक्सान यु ह्वे कि मि गपाष्टि ह्वे ग्यों।
                                             ब्याळि मीन तीन चार बल्टी उठाइन अर किचन गार्डन मा पाणी चार।  तो क्या थकावट से मि देर से बिजि होलु ?
        तो क्या थकावट से मि देर से उठु ? जु थकावट से मि देर से बिजु त मि तैं डाक़्टर मा जाण चयेंद।  चरक को बुलण छौ बल युवा की थकावट नींद से गायब हूंदी किन्तु प्रौढ़ की थकावट का पैंथर कुछ हौर कारण हूंदन।  यदि मि उनि देर से बिज त फिर ठीक च।
                                           पर इन कनै जाणलु  कि मि थकावट से देर तक स्यों , बीमारी की वजै से देर तक स्यों या ऊनि देर तक स्यों ? कु बताल?
      पलंग मा इनि सुचद सुचद मि फिर से ग्यों।  लंच टैम पर घरवळिन  बिजाळ।  बगैर   दांत साफ़ कर्याँ , बगैर नययाँ मीन खाणक खाई अर डिनर तक सियुं रौं।  फिर डिनर कार अर से ग्यों।  आज सुबेर फिर चेतना से ही मि साड़े चार बजि बिजि ग्यों।
                                           बिजिक फिर से मि तै इथगा अधिक सीणो कारण से अधिक इ चिता   हूण लग गे।  मुंड भारी ह्वे गे। चिंता,  चिंता अर चिंता बस !
    कुछ समज मा नि आई तो मि अपण सीणो अनुभव लिखण लग ग्यों।  अर अब जनि लेख पूरा ह्वे तो पता नी मेरी चिंता कख भाजी धौं ! मि अफु तै अब फ्रेश चिताणु छौं , हळको चिताणु छौं , इन लगणु च जन मि भारहीन बच्चा हो।
                                           मतलब यदि चिंता तै साझा करे जावो तो मनिख चिंतामुक्त ह्वे सकुद।
                                                                        आपकी राय क्या च ?   
         
   
   

   
2/6/2016 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
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Best  Harmless Garhwali Literature Humor  , Personnel Management ;   Garhwali Literature Comedy Skits  Personnel Management  ;   Garhwali Literature  Satire  ; Garhwali Wit Literature  Personnel Management  ;  Garhwali Sarcasm Literature  Personnel Management   ;      Garhwali Skits Literature Personnel Management   ;   Garhwali Vyangya  , Garhwali Hasya


           कोई अमूर्त, अदृष्य, निराकार   शक्ति ही कार्यालय चलाती  है 
                           जु मैनेजमेंट कॉलेजुं मा नि सिखाये जांद -15
                     
                  चबोड़ इ चबोड़ मा  मैनेजमेंट स्टाइलुं पर छींटा कसी  :::   भीष्म कुकरेती


मीन ऑफिस मैनेजमेंट पर  भौत सा लेख , कथगा इ किताब पड़िन अर सेमीनारुं मा भाग ले।  किन्तु हर बार , हर जगह इन लग कि इ सिखाण वळ कुछ बिसरि गे धौं ! ऑफिस मैनेजमेंट का कुछ नियम इन छन जु बिजिनेस मैनेजमेंट किताबुं मा नि लिखे सक्यंदन।  म्यार चालीस साल का अनुभव से मि कुछ नियम बताणु छौं जु सब तै जणन आवश्यक छन -
जब तुमर दिन अच्छु हो तो भैरी डाक नि ख्वालो  , इनकमिंग ईमेल आदि कतै  नि द्याखो।
यदि तुम अच्छा काम करणा छंवां तो समझो तुमम हौर अधिक काम आलो।  काम उखि जांद जख काम हूणु च तबि त सोनिया  गांधीन मनमोहन सिंह जी तै प्रधान मंत्री बणै अर राहुल गांधी तै मंत्री पद तो छ्वाड़ो विरोधी दल का नेतापद बि नि दे।  इनि जनतान नरेंद्र मोदी तै प्रधान मंत्री बणै  ना कि राहुल गांधी तै। काम कमगति तै ढुंढद ना कि  राहुल गांधी तैं। 
कभी भी नियत समय मा काम परिपूर्ण नि ह्वे सकद।
टाइम मैनेज याने समय प्रबन्धीकरण का वास्ता कैमा क्या मैनेजिंग डायरेकटर का पास बि टाइम मैनेज करणो बगत नि हूंद।
सब बुल्दन बल समय मूल्यवान हूंद।  किन्तु सरकारी , गैरसरकारी या  चेरिटी ऑफिसेज मा 20 % काम कार्यालय संबंधी हूंद बकै 80 % समय व्यक्तिगत गप या व्यक्तिगत समस्या निदान मा गंवये जांद।
तुम जनि कार्य समाप्ति का पास  पौंछदां तनी काम हौर अधिक जटिल हूण शुरू ह्वे जांद।
तुमर रिपोर्ट इथगा परिपूर्ण या लम्बी नि ह्वे सकदी कि इखमा सुधार  अर हौर लम्बाई  नि ह्वावो।  सुधार अर लम्बाई बढ़ाणो क्वी सीमा इ नी हूंदी।
यदि तुम क्वी कामक सलाह द्यावो तो तुम तैं यी वीं कमेटीक इन चार्ज बणाये दिए जालो।  अतः उन सलाह नि द्यावो कि तुम तै अतिरिक्त काम करण पोड जा। 
सबसे अधिक संतोष तब हूंद जब काम अच्छी तरह से पुरो ह्वे जावो  - पर अपण काम हाँ ! दूसरौ काम भली भांति पूर हूण से सदा असंतोष ही पैदा हूंद। 
कर्मिकों की पैली प्राथमिकता हूंद कि कागजी कार्यवाई /पेपर वर्क कबि बि पूरा नि हो।
जब एमडी (प्रबंध निदेशक ) कार्यालय  से बिंडि सर्कुलर आण मिसे जावन तो समझो कंपनी कुछ  खतरा मा च।
 जब सब नीति समजि  जावन तो समज ल्यावो नीति परिवर्तन का समय ऐ गे।

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बकै भोळ -- जु मैनेजमेंट कॉलेजुं मा नि सिखाये जांद, भाग 16
3 /6 /16 /5/ ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
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