Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 356916 times)

Bhishma Kukreti

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व्यंग्य साहित्य गढ़वाली  भाषा में

चबोड़ इ चबोड़ मा , हौंस इ हौंस मा

 

                                          क्षेत्रीय द्लूं मरम्मत वास्ता ठेकेदार चयाणा छन 

 

                                                  चबोड्या: भीष्म कुकरेती

 

   [व्यंग्य साहित्य; गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; उत्तराखंडी व्यंग्य साहित्य; मध्य हिमालयी व्यंग्य साहित्य; हिमालयी व्यंग्य साहित्य; उत्तर भारतीय व्यंग्य साहित्य; भारतीय व्यंग्य साहित्य; एशियाई व्यंग्य साहित्य; जसपुर वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; ढांगू वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; गढ़वाली द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; उत्तराखंडी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; मध्य हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; उत्तर भारतीय द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; प्रवासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; गढ़वाली प्रवासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; प्रवासी उत्तराखंडी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;प्रवासी मध्य हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;प्रवासी हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;प्रवासी उत्तर भारतीय द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;मुंबई वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;महाराष्ट्र वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य ;राजनैतिक व्यंग्य, सामाजिक व्यंग्य , धर्म विषयी व्यंग्य ; शिक्षा संबंधी व्यंग्य ; खेल संम्बधी व्यंग्य ; आर्थिक नीति संबंधी व्यंग्य ; भाषा संबंधी व्यंग्य ; सांस्कृतिक व्यंग्य ; रोजगार संबंधी व्यंग्य ; वैचारिक स्तर के व्यंग्य ; पारिवारिक सम्बन्धो संबंधी व्यंग्य ; स्त्री उत्पीडन के व्यंग्य ; बाल उत्पीडन के व्यंग्य ; कृषि संबंधी व्यंग्य ; पलायन संबंधी व्यंग्य ; युवाओं की समस्या संबंधी व्यंग्य ;ग्राम विषयक व्यंग्य; शहर संबंधी व्यंग्य ; महानगर संबंधी व्यंग्य ; सिंचाई संबंधी व्यंग्य ; घोटालो संबंधी व्यंग्य ; वन घोटालो संबंधी व्यंग्य ; जंगल माफिया राज संबंधी व्यंग्य ; पोलिस संबंधी व्यंग्य ; विदेसी धौंस संबंधी व्यंग्य ; शराब संबंधी व्यंग्य  , सार्वजनिक निर्माण संबंधी  व्यंग्य , क्षेत्रीय राजनैतिक दल संबंधी  व्यंग्य,  लेखमाला ]

           एतद द्वारा सूचित कर्याणु च कि उत्तराखंड मा क्षेत्रीय द्लूं  कूड़ो दशा अर दिसा सुधारणो बान जनता क अपण मर्जी से रजिस्टर्ड या अनरजिस्टर्ड ठेकेदार / कौंट्रेक्टर से निविदा आमंत्रित कर्याणा छन .

काम कथगा इ छन . चूंकि इखमा  सैकड़ो काम छन त हम कुछ ख़ास कामों सूची दीणा छंवां बकै आप अपण मर्जी से या सोच समझिक काम कौरी सकदन.

    यू क्षेत्रीय दलु कूड़ मरम्मत इलै जरुरी ह्व़े ग्याई कि  जु बि राष्ट्रीय स्तर का कूड़ छन ओ क्षेत्रीय समाज अर संस्कृति क हिसाब से बिराज नी दीणा छन. फिर यूँ राष्ट्रीय कुड़ो पर इलाहाबाद या डिल्ली क  लोग डेरा जमै दीन्दन. कुछ इलाहाबद का लोग बंगाल का नाम से यूँ रास्ट्रीय स्तर का कूड़ो पर अधिकार बि करण बिसे गेन  .

                 पैलू काम च क्षेत्रीय द्लूं कूड़ पुटुक, भैर  या न्याड ध्वार  जु अफखवा, बेकार, स्वार्थी, सड्यु कचरा च वै तै पूरी तरां से साफ  करण. इख मा जूतम  पैजार या गाळी गलौज जन तकनीक की बि जरोरात ह्व़े सकद किलैकि यू कचरा इनी  भाषा समजद .

                    जथगा बि क्षेत्रीय द्लूं कूड़ छन उ सौब ओ रगड़ बण्या छन  .कखि कखि ठेकेदारों  तै एकाद पुराणि ईंट या पथर दिखे सक्यांद.  यूँ इंटू  पर अदुर्दार्शिता, अकर्मणयता, अळगसी, लाचारी, जन सिंवळ लग्युं च. ठेकेदारुं तै यु सिंवळ साफ़ करण जरुरी च.कुछ इंटू पर 'क्या बुन्या क्या करण्या', जनता तै गुमराह करण', 'सत्ता लोलुपता' क महारोग लग्युं च . यूंक पछ्याणक भौत सरल च यि कौंग्रेस या भाजापा क कूड़ क नजीक इ मिल्दन.  यु इंटो पर भट्ट, पंवार या रावत जन नाम खुद्यूं होलू. कुछ इंटु  मा ऐरी जन नाम बि खुद्यूं होलु. यूँ इंटू तै हटाण   जरुरी च   किलैकि यूँ से यु महारोग हौरी पुराणि अर नई इंटु  पर सौरणु च. यूँ महामारी रोग ग्रसित इंटो तै हरिद्वार या गया जोग करणो बान तिगुण मेहनताना मीलल.   

               कुछ ईंट अबि बि सचेत छन पण  यूँ पर  निरुत्साह, उदासीनता, जन बीमारी लगीं च . ठेकेदारु से यु आग्रह च बल यूँ सचेत इंटू की मानसिक साफ़ सफाई कौरिक यूँ तै उत्साह, उलार, का इंजेक्सन देकी काबिल ईंट बणाण जरूरी च. कुछ इनत अबि बि ठीक छन बस यूँ पर बबराट  कु इंजेक्सन लगाण. 

             पुराणो कूड़ो कुछ बौळी समय क दगड सौड़ी गेन पण अबि बि यूँ तै भरवस च कि यि ये कूड़ तै संभाळी सकदन. यून्की या गलतफहमी दूर कौरिक यूंक जगा नै नै बौळी लगाण जरूरी च .

         भौत सा ईंट इं छन जु ड्याराडूण या नैनीताल मा कखिम बि पड्या रौंदन अर यि कबि बि गां गौळ नि जान्दन बस कागजी रूप से फड्याणा रौंदन. यूंक सफाई बि जरूरी च , ठेकेदारों तै यूँ इंटू तै बनारस जोग करण पोडल.यूँ इंटू तै बनारस  मा सन्यास्यूं  क कूड जोग करण वाळ ठेकेदार तै आम काम से छै गुणा खर्चा  मीलल.

  ठेकेदारों से यु अपेक्षित च की ये पुराणो कूड दुबारो  चिणणो बान नयो तरां क गारो माटू , पथर, बौळयूँ जरूरत होली त यूँ  कूड़ो मरमत करणो बान नया नया मटिरियल लगावन .

    ठेकेदारों तै बथाण जरुरी च बल क्षेत्रीय दलों कूडु पौ (फौंड़ेसन)  इ खपचइं  छन . त नयो जामानो हिसाब से यूँ कूड़ो पौ दुबर धरण जरूरी च अर ईं पौ मा दूरदर्शी माटू, उत्तराखंड प्रेम कु गारू, निस्वार्थ राजनीति कु पाणी, अर सतत नवनिर्माण कु  इच्छाओं क सीमेंट लगाण जरूरी च.  दीवार बि इन हूण चयेंदन जु राष्ट्रीय दलों क जोर जोर से भचकाण से बि भ्युं नि पोड़ण. क्षेत्रीय दलों कूड पर जु बि बौळी , सिंगार, कड़ी ,, छपति, पटला  लगन जौं पर उत्तराखंड कि जन भावना कु लेप लग्युं ह्वाऊ . कूड़ो मथिन  पठळो पर  छ्वटा बड़ा राजनैतिक बरखा, घाम, औडळ  कु असर नि होण चयेंद. यूँ कुड़ो  तै भाषा, संस्कृति, रोजगार कु माटो से लिपण जरूरी च  . यि नयो कुडो चमक से उत्तराखंड कु नाम दुनिया क कूण्या  कूण्या मा फैली जाओ.   कुड़ो खिड़की जरूरी च जौं खिडक्यूँ से दुनिया मा नया नया  ज्ञान कि हवा आणि राओ अर बेकार जड़ हूंद  ज्ञान कि दुर्गन्ध भैर जाणि राओ. 

 जु बि ठेकेदार ये काम तै अंजाम द्याला वूं  तै जन लहर कू प्रेम कू बौंड मीलल.

 

 Copyright@ Bhishma Kukreti 30/9/2012

  व्यंग्य साहित्य; गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; उत्तराखंडी व्यंग्य साहित्य; मध्य हिमालयी व्यंग्य साहित्य; हिमालयी व्यंग्य साहित्य; उत्तर भारतीय व्यंग्य साहित्य; भारतीय व्यंग्य साहित्य; एशियाई व्यंग्य साहित्य; जसपुर वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; ढांगू वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; गढ़वाली द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; उत्तराखंडी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; मध्य हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; उत्तर भारतीय द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; प्रवासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; गढ़वाली प्रवासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; प्रवासी उत्तराखंडी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;प्रवासी मध्य हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;प्रवासी हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;प्रवासी उत्तर भारतीय द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;मुंबई वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;महाराष्ट्र वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य ;राजनैतिक व्यंग्य, सामाजिक व्यंग्य , धर्म विषयी व्यंग्य ; शिक्षा संबंधी व्यंग्य ; खेल संम्बधी व्यंग्य ; आर्थिक नीति संबंधी व्यंग्य ; भाषा संबंधी व्यंग्य ; सांस्कृतिक व्यंग्य ; रोजगार संबंधी व्यंग्य ; वैचारिक स्तर के व्यंग्य ; पारिवारिक सम्बन्धो संबंधी व्यंग्य ; स्त्री उत्पीडन के व्यंग्य ; बाल उत्पीडन के व्यंग्य ; कृषि संबंधी व्यंग्य ; पलायन संबंधी व्यंग्य ; युवाओं की समस्या संबंधी व्यंग्य ;ग्राम विषयक व्यंग्य; शहर संबंधी व्यंग्य ; महानगर संबंधी व्यंग्य ; सिंचाई संबंधी व्यंग्य ; घोटालो संबंधी व्यंग्य ; वन घोटालो संबंधी व्यंग्य ; जंगल माफिया राज संबंधी व्यंग्य ; पोलिस संबंधी व्यंग्य ; विदेसी धौंस संबंधी व्यंग्य ; शराब संबंधी व्यंग्य , सार्वजनिक निर्माण संबंधी व्यंग्य , क्षेत्रीय राजनैतिक दल संबंधी व्यंग्य, लेखमाला  जारी ...                 

                     

 

Bhishma Kukreti

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व्यंग्य साहित्य गढ़वाली  भाषा में

चबोड़ इ चबोड़ मा , हौंस इ हौंस मा

 

                                दरोड्या तै ब्वालो बल  शराबै भट्टी उजाड़ 

                                              चबोड्या: भीष्म कुकरेती



 [[व्यंग्य साहित्य; गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; उत्तराखंडी व्यंग्य साहित्य; मध्य हिमालयी व्यंग्य साहित्य; हिमालयी व्यंग्य साहित्य; उत्तर भारतीय व्यंग्य साहित्य; भारतीय व्यंग्य साहित्य; एशियाई व्यंग्य साहित्य; जसपुर वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; ढांगू वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; गढ़वाली द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; उत्तराखंडी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; मध्य हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; उत्तर भारतीय द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; प्रवासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; गढ़वाली प्रवासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; प्रवासी उत्तराखंडी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;प्रवासी मध्य हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;प्रवासी हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;प्रवासी उत्तर भारतीय द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;मुंबई वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;महाराष्ट्र वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य ;राजनैतिक गढ़वाली व्यंग्य, सामाजिक गढ़वाली व्यंग्य , धर्म विषयी गढ़वाली व्यंग्य ; शिक्षा संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; खेल संम्बधी गढ़वाली व्यंग्य ; आर्थिक नीति संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; भाषा संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; सांस्कृतिक गढ़वाली व्यंग्य ; रोजगार संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; वैचारिक स्तर के गढ़वाली व्यंग्य ; पारिवारिक सम्बन्धो संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; स्त्री उत्पीडन के गढ़वाली व्यंग्य ; बाल उत्पीडन के गढ़वाली व्यंग्य ; कृषि संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; पलायन संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; युवाओं की समस्या संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ;ग्राम विषयक गढ़वाली व्यंग्य; शहर संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; महानगर संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; सिंचाई संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; घोटालो संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; वन घोटालो संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; जंगल माफिया राज संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; पोलिस संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; विदेसी धौंस संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; शराब संबंधी गढ़वाली व्यंग्य , सार्वजनिक निर्माण संबंधी गढ़वाली व्यंग्य , क्षेत्रीय राजनैतिक दल संबंधी गढ़वाली व्यंग्य, लेखमाला ]

 
                 अच्काल देसौ  कुण्या कुण्या  मा एक घंघतोळ खड़ी हुईं च. केजरीवाल जी बुल्दन बल राजनीति इ भ्रष्टहीन   भारत लालो त अन्ना जी बुल्दन बल भ्रष्टहीन भारत क वास्ता सामाजिक दबाब जादा सटीक च  अर राजनैतिक दल ये काम नि करी सकदन . द्वि बातुं मा दम च.

              जख तलक अन्ना जीक सवाल च ऊंक  सुचण च बल जब राजनीति मा भ्रष्ट नेता जम्याँ  छन  त कनक्वैक भ्रष्टहीन व्यवस्था ऐ सकदी . मेर समज मा अन्ना जीक बात मा जादा दम च .

अब द्याखो ना भाजापा ज्वा पार्टी भ्रष्टाचार का विरोध मा इथगा घ्याळ लगाणि च  जब क्वी  यूँ तै पुछदु बल  यदुरप्पा अर शिबू सरीन क बारा मा क्या खयाल च या संचेती क बारा मा कुछ त बताओ त यि भाजापा वळ फट से टुटगाँ से जान्दन. भाजाप वळ क्या भ्रष्टहीन भारत बणाल ?  अब बथाओ बल स्याळ  खुण बुले जाव कि  तू घास पात खा त क्या स्याळ अछेकी शाकाहारी ह्व़े जालु.

                    मि तै त विश्वास नि होंद, ज्यू त नि माणदो  पण लोग बुलणा इ रौंदन कि आन्ध्र प्रदेश का खान मालिक रेडी भयात अर  .सुषमा स्वराज जीमा कुछ ना कुछ संबंध त छें इ च  . अब जब रिक शहद क छत्ता /पेथण क समणि बैठ्यु ह्वाओ अर वैकुणि बुले जाव कि तू शैत/शहद  नि खा बस पेथण कि जग्वाळ करद जा , त इन मा क्या रिक बगैर शहद खैक रालो ? ध्यान से दिखणै बात च हाँ !  कि सुषमा स्वराज जन नेता भ्रष्ट हीन भारत बणाणो  पौ ख्वादल.

                       अब द्याखो ना म्यार त दिल नि बुल्दो पण पता नि किलै लोग बाग़ बुलणा रौंदन बल भाजापा न . रमेश निशंक कि जगा खंडूड़ी  जी तै इलै बैठाळ  बल निशंक जी पर शक छौ कि निशंक जी  भ्रष्ट छन (ज्यू त नि माणदो) . अब इन मा माछो कुणि क्वी ब्वालल बल तालाब कु पाणी सुखाओ त क्या माछ बेवकूफ छन जु तालाब कु पाणी सुखाला ? गहन विचार करणै बात च हां!  कि डा. निशंक भ्रष्ट हीन भारत बणाणो  ईंट लाला .

              अब द्याखो ना बिचारी जयललिता मैडम कथगा परेशान च . ईं पर बि न्यायलय मा भष्टाचार क वजै से  मुकदमा चलणा छन. अब इन मा  वा बिचारी भ्रष्टाचार मिटाण मा सहयोग द्यालि कि अफु पर भ्रष्टाचार का दाग मिटाणो करतब दिखाली ?  अब तुमि ब्वालदि  ! बल जब कैपर गू लपड्यू ह्वाऊ अर वैकुणि ब्वालो बल जरा गुदनड़ो गू साफ़ कौर त क्या वु पैल अपण बदन पर लग्युं गू साफ़ कौरल कि दीन दुनिया क गू साफ़ कॉरल? सुचणै बात च हां! कि जयललिता मैडम भ्रष्टहीन भारत का वास्ता गारू माटू लालि .

    अब द्याखो ना बिचारा समाजवाद कु बड़ा  पैरवीकार मुलायम सिंग जी तै बि फोकट मा इनकम टैक्स का झमेलों मा फंसायो गे. समाजवादी त इनकम से दूर रौंदन. अब इन मा मुलायम सिंग जी इनकम टैक्स औफ़िस का चक्कर  काटल कि लोक पाल बिल पास कराणो बान कोंगेस तै पटाल ? जब कैक बिस्कुण बरखा मा भिजणु ह्वाओ त क्या ओ दुसरो गोर बौड़ाणो जालो कि पैल अपण बिस्कुण बचालो. इन मा मनन करणै बात च हाँ ! बल  भ्रष्ट हीन भारत बणाणो  बान मुलायम सिंग जी अपण मिळवाक द्याला.

  बिचारा जगन रेडी जब तलक कौंग्रेस मा छ्या त कुज्याण इ इन्फोर्समेंट या हौरी बि सरकारी एजेंसी सैत च सिंगापुर या अमेरिकी दौरा पर जयां छा. अर जनि जगन रेडी कौंग्रेस से अलग ह्वाई यूँ सबि सरकारी महकमा क कारिंदों तै याद आई बल अरे जगन रेडी त भ्रष्ट तरीको से ब्यापार करणु च . अब एक बात बथावदी बल क्वी  अफीमच्युं बान अफीम कि खेती कारल त वै तै अफीमच्युं से प्यार ह्वाल कि ना ?  इन मा बिंगणै बात च बिचारा जगन रेडी क्या भ्रष्ट हीन भारत बणाणो बान बौळि या पटला सारी सकदन ?

  अब क्या बुलण तुम मा ! सयांदु इ नी च , दिख्यांदु इ नी च . अपण शरद पंवार की त भतीजा अजीत पंवार नाम गंदो इ करी दे. अब क्वी दुघर्या या तिघर्या  हम तै सती सावत्री या   सीता क बारा मा उपदेस दयाली त क्या हम सुणला ? सुचणै बात इ नी च बल  भ्रष्ट हीन भारत बणाणो बान  शरद पंवार जी क्वी एक ढुंग  बि सारी सौकन धौं !

  अब करूणा निधि जी जब ए.राजा, अपण बेटी या मारन  जन नेताओं क स्वागतो बान स्वागत द्वार खड़ कराल त यूँ से क्या उम्मेद लगाण की यि भ्रष्ट हीन भारत बणाणो बान  क्वी छजा पथर लाला !

  अब जब लालू यादव  जी क भैस से या उम्मीद त ह्व़े नि सकदी की घास छोड़िक खाली पाणी पेकि दिन  गुजारन ! न्यूक्लियर बम से शान्ति की आशा करण त बेमानी इ च. आग से हील करणै आस इ बेमानी च. 
 
  अब बिचारा कोंग्रेस, अकाली दल या हौर राजनैतिक दल भ्रष्ट हीन भारत बणाणो बान  क्या जि कौरन !  यूँ राजनैतिक दलों हाल देखिक त यि बुले सक्यांद बल दरोड्या तै ब्वालो बल शराबै भट्टी उजाड़ .

 


  Copyright@ Bhishma Kukreti 2/10/2012   

व्यंग्य साहित्य; गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; उत्तराखंडी व्यंग्य साहित्य; मध्य हिमालयी व्यंग्य साहित्य; हिमालयी व्यंग्य साहित्य; उत्तर भारतीय व्यंग्य साहित्य; भारतीय व्यंग्य साहित्य; एशियाई व्यंग्य साहित्य; जसपुर वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; ढांगू वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; गढ़वाली द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; उत्तराखंडी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; मध्य हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; उत्तर भारतीय द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; प्रवासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; गढ़वाली प्रवासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; प्रवासी उत्तराखंडी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;प्रवासी मध्य हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;प्रवासी हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;प्रवासी उत्तर भारतीय द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;मुंबई वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;महाराष्ट्र वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य ;राजनैतिक गढ़वाली व्यंग्य, सामाजिक गढ़वाली व्यंग्य , धर्म विषयी गढ़वाली व्यंग्य ; शिक्षा संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; खेल संम्बधी गढ़वाली व्यंग्य ; आर्थिक नीति संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; भाषा संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; सांस्कृतिक गढ़वाली व्यंग्य ; रोजगार संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; वैचारिक स्तर के गढ़वाली व्यंग्य ; पारिवारिक सम्बन्धो संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; स्त्री उत्पीडन के गढ़वाली व्यंग्य ; बाल उत्पीडन के गढ़वाली व्यंग्य ; कृषि संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; पलायन संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; युवाओं की समस्या संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ;ग्राम विषयक गढ़वाली व्यंग्य; शहर संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; महानगर संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; सिंचाई संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; घोटालो संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; वन घोटालो संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; जंगल माफिया राज संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; पोलिस संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; विदेसी धौंस संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; शराब संबंधी गढ़वाली व्यंग्य , सार्वजनिक निर्माण संबंधी गढ़वाली व्यंग्य , क्षेत्रीय राजनैतिक दल संबंधी गढ़वाली व्यंग्य, लेखमाला  जारी ...

Bhishma Kukreti

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ब्यूंत  विचार

(चबोड़ बि अर विचार बि )


                                          डीजल ऊर्जा विकल्प कि  छ्वीं जादा जरूरी छन


                                                चबोड्या: भीष्म कुकरेती



                     कबि त रानजीति  जन आकांशा तै प्रभावित करदी  अर कबि  जन आकांशा राजनीति पर असर डाळदि  . डीजलो कीमत बढ़न पर जख जाओ घ्याळ इ घ्याळ हूणु च. जु  डीजलो कीमत बढ़णो विरोध मा रस्ता जाम करणा छन, टी.वी चैनलों मा ऐड़ाट भुभ्याट  करणा छन, मनमोहन सरकार से अपण पल्लाबंद खतम करणा छन, चंगेर्यून  अन्सदारी बगाणा छन वो बि जाणदा छन बल डीजलो  कीमत अबि हौरी बढ़ण अर बढ़णो इ रालो. सरकार लोक लुभावनी करतबों या चुनावी गणत फिट  करणो बान

या त सब्सिडी देक डीजलो रेट नि बढ़ान्दी या दुसर जगा सब्सिडी मा कमी कौरिक डीजलो रेट कम रखदी या फिर कुछ नि कौरी सकदी त डीजलो कीमत बढ़ाई  दीन्दी.  यि सबि जाणदन बल भारत मा डीजल हूंद नी च त कीमत हमर हाथ मा नी च.  एक बात हैंकि अटल च (अटल विहारी वाजपाई ना हाँ ) बल जु डीजल या हौरी चीजुं दाम नि बढ़दन त यांको मतबल च कि डीजल पर सरकारी सब्सिडी बढ़णि च अर क्वी  हौर सामाजिक काम जन कि शिक्षा पर सरकारी सब्सिडी मा कमी कर्याणि च.

                          असल मा हमारा नेता अर न्यूज माध्यम अब सिरफ़ अपण टी.आर. पी. बढ़ाण मा इ ध्यान दीणा छन अर अपण असली जुमेवारी  बिसरणा छन. यि द्वी लोग जनता क ध्यान नरेंद्र मोदी न मैडम सोनिया कुणि क्या ब्वाल पर   खैंचणा छन अर हम तै क्या करण चएंद क बारा मा टुटकाँ  सिंयां छन. डीजल क दाम त अब भगवान बि कम नि कौर सकुद त क्या हम तै इनी चुप से  जाण चयेंद ?  या जब बि डीजलो रेट बढ़न त घ्याळ कौरी द्याओ अर फिर बौंहड़  से जाओ . आज सबि लोगूँ अर सरकार तै डीजल ऊर्जा क विकल्प खुज्याण चएंद या जु विल्कप छन ऊं पर ध्यान देकी ऊं विक्लपूं तै जनता बान सरलता से सुलभ कराण चंयेंद. आज डीजल या पेट्रोलियम चीजुं मा  ज्वा बि सब्सिडी च वांक कुछ हिस्सा उर्जाक नयो विल्कप या जु विल्कप छन ऊं तै सुधारणो बान लगाण चयेंद.

                      भारत मा डीजल कति इन जगा प्रयोग मा अंद जख वैकल्पिक ऊर्जा से काम चौल सकद जन कि जनरेटर्स , कुल्याणो पम्प या पानी अळग लाणो पंप आदि अर जु इख सोलार या सौर ऊर्जा क प्रयोग ह्वाओ त  डीजल कि मांग/खपत  घटलि अर  सब्सिडी पर बोझ काम ह्व़े जालो .

                  पण यू तबि ह्वाल जब हमारा नेता अर  न्यूज माध्यम टी.आर.पी छोडिक आधारभूत बातुं  पर अपण दिमाग लगावन. आज जरुरत च कि सरकार पर सौर ऊर्जा उद्यम तै ताग्त्वर बाणानो पर ध्यान द्याओ. हम त भरीं दुफरा मा घाम से बचणो उपाय कि  छ्वीं छोड़िक रिंगाळ किलै इं दुफरा मा रिंगणु च पर बहस का आदि ह्व़े गेवां.

                    आज छ्वीं लगण चयेणि छे कि  ऍफ़. डी. आई या विदेसी निवेश  तै कना सौर ऊर्जा उद्यम मा लाये जाओ पण हम त जन भावना क खेलूं मा बात जाम करणा छंवां. छ्वेन लगण चयेणि छे कि डीजल कु पर्याय दीण वळु उद्यम जन कि सौर ऊर्जा उद्यम मा तेजी कने लौन्ला त हम छ्वीं लगाणा छंवां  कि जंतर मंतर मा धरना दींद दै मुलायम सिंग कि धोती क रंग क्या छौ. घोर ह्यूं/बर्फ पड्यु ह्वाओ अर बर्फ फिड़णो/हटाणो फिकर छोडि हम थर्मामीटर कि लम्बाई चौड़ाई पर बहस का आदि ह्व़े गेवां. थर्मामीटर बस तापमान बताई सकदो ना कि ह्यूं/बर्फ फिडणो जुगत कौरी सकदु.

                   आज जब बहस याँ पर हूण चयेणि छे कि डीजल कु पर्याय वास्ता सौर ऊर्जा क उद्यमु बान क्या सरकारी योजना कामै छन कि ना? पण  हम छ्वीं लगाणा छंवां  कि ममता बनर्जी तै सरकार तै गाळी दीणो बान  हिंदी मा बुलण चयेंद कि अंग्रेजी मा?. फेरा लींद दै बर कु सुलार फ़टी जाओ त वै सुलार कि फिकर कि जगा बराती बहस करला कि घराती गाँ मा कथगा ब्वान/झाड़ू  छन त आप यूँ बरात्यु बारा क्या बोलिल्या ? आज हम सौब तै छ्वीं लगाण चयेंद कि सौर ऊर्जा या पवन ऊर्जा  क बान हिन्दुस्तान मा क्या क्या होणु च ना कि  नरेंद्र मोदी सुनिया मैडम खु णि बैणि बुल णु च कि मैडम बुलणु च . 

                   आज जब डीजल ऊर्जा मा तंगतंगी आणि च त छ्वीं हूण चयेंदन बल वैकल्पिक ऊर्जा विकास क बान क्या ठोस नीति बणण चयेंदन. पण हम डीजल ऊर्जा क विकल्प उद्यम का क्या क्या कल पुर्जा लगदन अर ये वैकल्पिक उद्यम मा क्या क्या औसंद आणि छन  कि जगा करुणा निधि क विकल्प पर सरा टैम खराब करणा छंवां . गां मा खुर्या रोग सौर्युं च अर हम खुर्या रोग कु उपचार छोड़िक गौड्यु रंग अर सिंग पर हल्ला करणा छंवां. आज टैम च कि हम वैकल्पिक ऊर्जा क बान मसिनरी कि छ्वीं  लगौवां ना कि बिहार का मुख्यमंत्री नीतेश कुमार मा कथगा ऊर्जा च.

          आज छ्वीं को बगत च बल  सौर ऊर्जा क रिसर्च डेवलपमेंट, सौर ऊर्जा निर्माण मा काम आण वळ कल पुर्जों , प्रोडक्सन क लागत  कनै कम ह्वाऊ जां से भारत कि आम जनता तै डीजल ऊर्जा कि ब्ध्दी लागत  से निजात मीलो पण हम त अफु तै बेकार कि बतों से बौगाण गीजी गेवां.

   मेरी समज मा त स्थानीय पत्र पत्रिका अर स्थानीय माध्यमों तै बि जोरो से वैकल्पिक ऊर्जा कि छ्वीं लगाण चएंद कि जां से जनता सरकार पर वैकल्पिक ऊर्जा निर्माण मा ध्यान दीणो दबाब बढ़ा.

 

 Copyright@ Bhishma Kukreti 3/10/2012   

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व्यंग्य साहित्य गढ़वाली मा

चबोड़ इ चबोड़ मा, हौंस इ हौंस मा

                                           बिंडी-मुख्या शिक्षा 

                                           चबोड्या: भीष्म कुकरेती

 [व्यंग्य साहित्य; गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; उत्तराखंडी व्यंग्य साहित्य; मध्य हिमालयी व्यंग्य साहित्य; हिमालयी व्यंग्य साहित्य; उत्तर भारतीय व्यंग्य साहित्य; भारतीय व्यंग्य साहित्य; एशियाई व्यंग्य साहित्य; जसपुर वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; ढांगू वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; गढ़वाली द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; उत्तराखंडी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; मध्य हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; उत्तर भारतीय द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; प्रवासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; गढ़वाली प्रवासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; प्रवासी उत्तराखंडी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;प्रवासी मध्य हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;प्रवासी हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;प्रवासी उत्तर भारतीय द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;मुंबई वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;महाराष्ट्र वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य ;राजनैतिक गढ़वाली व्यंग्य, सामाजिक गढ़वाली व्यंग्य , धर्म विषयी गढ़वाली व्यंग्य ; शिक्षा संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; खेल संम्बधी गढ़वाली व्यंग्य ; आर्थिक नीति संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; भाषा संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; सांस्कृतिक गढ़वाली व्यंग्य ; रोजगार संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; वैचारिक स्तर के गढ़वाली व्यंग्य ; पारिवारिक सम्बन्धो संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; स्त्री उत्पीडन के गढ़वाली व्यंग्य ; बाल उत्पीडन के गढ़वाली व्यंग्य ; कृषि संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; पलायन संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; युवाओं की समस्या संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ;ग्राम विषयक गढ़वाली व्यंग्य; शहर संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; महानगर संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; सिंचाई संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; घोटालो संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; वन घोटालो संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; जंगल माफिया राज संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; पोलिस संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; विदेसी धौंस संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; शराब संबंधी गढ़वाली व्यंग्य , सार्वजनिक निर्माण संबंधी गढ़वाली व्यंग्य , क्षेत्रीय राजनैतिक दल संबंधी गढ़वाली व्यंग्य, लेखमाला ]
 

      जी हाँ हमर इख शिक्षा बिंडी मुख्या च. अब तुमि द्य्खादी बल तुमर गाँ अर शरु स्कुलूं हाल कथगा फरक च एक बिचारो स्कुल्या छौं  क बान डाळ  खुज्यांद त शहर कु स्कुल्या विचारों स्कुलो एक कमरा बिटेन हैंक कमरा मा जाणो बान  मैप दिखदु. एकाकुण टट्टी  पिसाबौ खुण अलग अलग बाथरूम /टोइलेट छन , ट्वैलेट मा क्वी से बि जाओ त आनंद इ आनन्द  च अर हैंको खुले आम धरती मा झाड़ा पिसाब करदो अर बुल्दो बल अहा अस्मान क तौळ अर धरती ऐंच  झाड़ा पिसाब मा जु मजा च , जु आनंद च , जु खसी च ओ हौर जगा कख च.   

      शहर का स्कुल मा कमरा छन त फैन छन , खिड़की छन त इख गाँ मा स्कुल्यों बुबा बुल्दन बल अब ये गौंक स्कुल मा बुलणो बान कुछ त छें च.

शहर कि स्कूलों मा मास्टर लोग जिन्दगी भर कौंट्रेक्ट  मा पढ़ाणो तैयार छन त गाँ क मास्टर शहर मा ट्रांस्फरो बान  हर मैना जिला मुख्यालय मा चढ़ावा चढ़ाणो जाणा रौंदन. गां क मास्टरों नौन्याळ पैदा होंदी शहर चलि जान्दन किलैकि गाँ क मास्टर डौरु बजैक  थाळि छणकैक, रौंटळ पर कटांग लगैक,  ढोल घुरैक बीच गाँ मा धाई लगांदन  बल ज्वा शिक्षा शहरूं  मा च वा शिक्षा गाँ मा कख च?

       सिलेबस एक पण कुज्याण क्या बिजोग पड्यु च  कि स्कुल्यो क मिजाज मा स्थान भेद कु कारण शिक्षा प्राप्ति मा बि फरक ह्व़े जान्दो. एक स्कुल्या महात्मा गाँधी तै राष्ट्रपिता बुल्दु त हैंको अड जान्दो कि नो नो ,  इट इज रबिश टु  काल गाँधी एज रास्ट्रपिता.बट महात्मा गांधी वज फादर ऑफ़ नेसन. एक गान्कू स्कुल्या इम्तान मा लिखुद कि भारत एक  कृषि प्रधान देस च त शहर कु स्कुल्या लिखुद बल इंडिया प्रोड्यूसेज मीलियन्स ऑफ़ पुअर फार्मर्स.

    फिर जरा नजर घुमावदी कि इम्तान एकी च , सवाल एकी छन पण पास हूणो  बान शिक्षा मा बिजां मुख छन बिजां रस्ता छन.जन हमर गाँ मा एकी जगा मा पाणी कथगा इ  दुंळु या छ्वायों से भैर आन्द उनि एकी सवाल कु जबाबो बान स्कुल्या तै कथगा इ संस्थानों मा दबखण पड़द  .

    अच्काल बच्चा   पास पैथर हूंद  कोचिंग क्लास नामक संस्थान मा पैल भर्ती होंद.   पैल स्कुल्यों बुबा घमंड से बुल्दा छा कि म्यार नौनु फलण स्कुल मा पड़दु पण अब बुबा या ब्व़े बुल्दन बल हमारी नौनि त हाई किलास कोचिंग किलास म पढ़दि जखाक फीस द्वी लाख सालाना च .. अब त  कोचिंग क्लास परेंट्स कु स्टेट्स सिम्बल ह्व़े ग्याई . जु स्कूलों मा दस रूप्या फीस बढ़ी जाओ त पैरेंट्स असोसिएसन धारणा दीणो विधान सभा पौंची जान्दन पण जब कोचिंग क्लास वळ  फीस बढ़ान्दन  त ब्व़े बाब पुळयान्द छन , खुस हून्दन, हैपी होन्दन बल  कोचिंग क्लासक स्टैण्डर्ड बढ़ी गे. 
 
फिर कोचिंग क्लास से इ स्कुल्यों  ज्ञान पाणों धीत नि भर्यांदी , ड्यारम प्राइवेट टयूसन बि एक जरूरी बुराई च. 

 फिर याँ से बि स्कुल्यों ज्ञान पिपासा नि बुझदी .ओ हरेक विषय कि कुंजी बि पड़दो . फिर कुंजी से जब कुछ घंघतोळ होंदी त स्कुल्या स्योवर शौट क्वेस्चन कि किताब बि मंगादन.  जब  स्कुल्या स्योवर शौट क्वेस्चन रटी लीन्दन त ब्व़े बाब अपण पित्री धरम निभाणो बान क्वेस्चन ऑफ़ लास्ट फाइव यिअर्स का आनसर  कि किताब बि लांदन. 
 
  फिर कुछ स्कुल्या जनम जाती मौलिक रचनाकार बि हुंदी छन. मी साहित्यकार छौं अर मी जाणदो छौं कि नकल करण बि एक महान रचनात्मक अर दिमाग लगाण वळ माने मगज खपाण वळ काम च. . त कुछ मौलिक रचनाधर्मी स्कुल्या  परीक्षा से एक मैना पैल पर्ची बणाण मा लगी जान्दन अर पर्ची से नकल करणों प्रैक्टिस/ अभ्यास इनी करदन जन योगी योग्याभ्यास करदन. कुछ स्कुल्या हाथ, खुट, कमीज या जंग्या  मा लिखण सिखणो बान विशेषज्ञों राय लीणो बान इना उना फिरणा रौंदन. बिचारा स्कुल्या !

 उन कुछ स्कूल अर कॉलेज विश्वास करदन कि किलै स्कुल्यों तै परेशान करे जाओ त हरेक क्षेत्र मा  कुछ स्कूल अर कौलेज मॉस चीटिंग या मॉस कौपिंग मा अफिक प्रसिद्ध ह्व़े जान्दन.

 सिलेबस एक, सवाल एक अर पास हूणो बान स्कुल्यों तै इथगा रस्तो से जाण पोड़द . क्या यू बच्चों पर सार्वजनिक अन्याय नी च ?
 
 

 Copyright@ Bhishma Kukreti 4/10/2012   

व्यंग्य साहित्य; गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; उत्तराखंडी व्यंग्य साहित्य; मध्य हिमालयी व्यंग्य साहित्य; हिमालयी व्यंग्य साहित्य; उत्तर भारतीय व्यंग्य साहित्य; भारतीय व्यंग्य साहित्य; एशियाई व्यंग्य साहित्य; जसपुर वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; ढांगू वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; गढ़वाली द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; उत्तराखंडी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; मध्य हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; उत्तर भारतीय द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; प्रवासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; गढ़वाली प्रवासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; प्रवासी उत्तराखंडी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;प्रवासी मध्य हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;प्रवासी हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;प्रवासी उत्तर भारतीय द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;मुंबई वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;महाराष्ट्र वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य ;राजनैतिक गढ़वाली व्यंग्य, सामाजिक गढ़वाली व्यंग्य , धर्म विषयी गढ़वाली व्यंग्य ; शिक्षा संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; खेल संम्बधी गढ़वाली व्यंग्य ; आर्थिक नीति संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; भाषा संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; सांस्कृतिक गढ़वाली व्यंग्य ; रोजगार संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; वैचारिक स्तर के गढ़वाली व्यंग्य ; पारिवारिक सम्बन्धो संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; स्त्री उत्पीडन के गढ़वाली व्यंग्य ; बाल उत्पीडन के गढ़वाली व्यंग्य ; कृषि संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; पलायन संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; युवाओं की समस्या संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ;ग्राम विषयक गढ़वाली व्यंग्य; शहर संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; महानगर संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; सिंचाई संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; घोटालो संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; वन घोटालो संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; जंगल माफिया राज संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; पोलिस संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; विदेसी धौंस संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; शराब संबंधी गढ़वाली व्यंग्य , सार्वजनिक निर्माण संबंधी गढ़वाली व्यंग्य , क्षेत्रीय राजनैतिक दल संबंधी गढ़वाली व्यंग्य, लेखमाला  जारी

Bhishma Kukreti

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व्यंग्य साहित्य गढ़वाली में

चबोड़ इ चबोड़ मा, हौंस इ हौंस मा

                                                   राजनीतिक दलौ कुण धुर्या प्रवक्ता  चयेणा  छन

 

                                              चबोड्या: भीष्म कुकरेती

[व्यंग्य साहित्य; गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; उत्तराखंडी व्यंग्य साहित्य; मध्य हिमालयी व्यंग्य साहित्य; हिमालयी व्यंग्य साहित्य; उत्तर भारतीय व्यंग्य साहित्य; भारतीय व्यंग्य साहित्य; एशियाई व्यंग्य साहित्य; जसपुर वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; ढांगू वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; गढ़वाली द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; उत्तराखंडी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; मध्य हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; उत्तर भारतीय द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; प्रवासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; गढ़वाली प्रवासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य; प्रवासी उत्तराखंडी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;प्रवासी मध्य हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;प्रवासी हिमालयी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;प्रवासी उत्तर भारतीय द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;मुंबई वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य;महाराष्ट्र वासी द्वारा गढ़वाली व्यंग्य साहित्य ;राजनैतिक गढ़वाली व्यंग्य, सामाजिक गढ़वाली व्यंग्य , धर्म विषयी गढ़वाली व्यंग्य ; शिक्षा संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; खेल संम्बधी गढ़वाली व्यंग्य ; आर्थिक नीति संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; भाषा संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; सांस्कृतिक गढ़वाली व्यंग्य ; रोजगार संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; वैचारिक स्तर के गढ़वाली व्यंग्य ; पारिवारिक सम्बन्धो संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; स्त्री उत्पीडन के गढ़वाली व्यंग्य ; बाल उत्पीडन के गढ़वाली व्यंग्य ; कृषि संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; पलायन संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; युवाओं की समस्या संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ;ग्राम विषयक गढ़वाली व्यंग्य; शहर संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; महानगर संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; सिंचाई संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; घोटालो संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; वन घोटालो संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; जंगल माफिया राज संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; वन व्यवस्था संबंधी गढ़वाली व्यंग्य, पोलिस संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; विदेसी धौंस संबंधी गढ़वाली व्यंग्य ; शराब संबंधी गढ़वाली व्यंग्य , सार्वजनिक निर्माण संबंधी गढ़वाली व्यंग्य , क्षेत्रीय राजनैतिक दल संबंधी गढ़वाली व्यंग्य, लेखमाला ]
 
 

              चूंकि सबि पुराणा प्रवक्ता घूस, भष्टाचार क वजै से जेल भितर चली गेन त हमारी राजनीतिक पार्टी तै ताबड़तोड़ -धुर्या,  लम्पट, लुच्चा , लफंगा , ठग विद्या क विद्वान , बकवास करण वाळ प्रवक्ता चयाणा छन. यूँ प्रवक्ताओं  ख़ास गुण इन हूँण जरुरी छन. विरोध्युं दगड अंग्वळी (गुत्थम गुथा ) माँ नम्बर एक हूँण चयेंद. अकडू त हूँण इ चयेंद. पार्टी बान पब्लिसिटी अगेटणों (हथियाना) बान सबसे अगवाडि हूँण चयेंद. कुछ बि ह्वाओ   पण व्यवहार माँ अकुलु  (ओछा) हूँण जरूरी च.  कै तै बि अखरौण माँ , बहलाण फुसलाण माँ उ सब्युं  बुबा हूँण चयेंद. अफु खुणि  जसि अर विरोध्युं कुणि अपजसी हूँण जरूरी च यांकुण सर्टिफिकेट दिखाण पोड़ल. विरोध्यु कुणि अडमारा (तंग हालात) पैदा करण वालु तैं इ पद दिए जालो . गुरा जन कंचुळ छुडण वाळ प्रविर्ती क आदिम/ मनिखिणि हूँण चयेंद याने आज एक रूप त भोळ दुसर रूप. कुत्ता जन भुकण वाळ गुण त पैलि  जरुरात च जू बि पार्टी की बुराई कारो वैपर बगैर जण्या -सुण्या भुकण पोडल. जैन बि पार्टी क काट कार वैकि लथा लीण  वाळ इ हमारी पार्टिक  प्रवक्ता ह्वे सकदन. अर जू बि हमारी पार्टिक शीर्ष आर हमारो कुंवर साब की काट कारो  वै तै खदुळ कुकुर जन कटण मा अग्वाड़ी रौण चयेंद  जन कि अच्काल कोंग्रेस का नेता रौबर्ट बाड्रा की काट करण वालु तै खदुळ कुत्ता जन कटणा छन. 

           क्वि बि हमारी पार्टिक नेताओं तै भ्रष्ट ब्वालो त वैपर हाइना जन आक्रमण करण पोडल  जन कि अच्काल कोंग्रेस का कै बि सदस्य पर लांछन लगाद त ईं पार्टिक लोक आक्रमणकारी ह्वे जान्दन. जन कि जब कलमाडी पर भगार लग त कौंग्रेस का सबि प्रवक्ता हाइना जन अकर्मणकारी ह्वे गे छया.

                स्याळु  जन  धोका दीणे  ख़ास कौंळ मा हमारा प्रवक्ता तै बचपन से इ पारंगत हूण चयेंद त  दुसरो पर बिच्छू जन डंक मारण मा सिध्हस्त  हूणि पोडल.

                  बेईमानी, लम्पटगिरि, ठगी, हमारी राजनीतिक पार्टिक प्रवक्ता क ख़ास आभूषण हूंद . जन कि अच्काल टी.वी न्यूज चैनेलों मा राजनैतिक बहसों मा या अपण पार्टिक प्रेस कौंफ्रेंस मा कथगा  लोक रोज , हर समय दिख्याणा इ रौंदन.करैं तरां करकर करण वाळ तै अति प्राथमिकता दिए जालि.

 

                 राजनैतिक प्रवक्ता तै कोयल से कुछ सिखण पोडल .कोयल अपण अंडा कवा क घोंसला मा डाळी दीन्दी उनी हमारी राजनैतिक पार्टिक प्रवक्ता क ख़ास आदिम विरोधी पार्टिक ईख हूणि चएंदन.चिलंगु  जन दूरै चीज दिखणो  गुण त एक हुनर च अर हमारा राजनैतिक प्रवक्ता माँ बि जरूरी च मतबल विरोधी क कमजोरी दिखणो गुण चिलंगु से सीखो या अच्काल भारत का कै बि राजनैतिक प्रवक्ता से सीखो  एकी बात च

               

 हमारी राजनीतिक पार्टिक प्रवक्ता मा एक खासियात या बि हूण चयेंद जन कबूतरों मा एक गुण हुन्द  कि बिरळ  समणि बि ह्वाओ त कबूतर आंखि बंद करी दींदु. उनी जब बि क्वि हमारा  नेताओं क विरुद्ध क्वि सबूत लाओ त आँख बूजि दीण चयेंद. जन अच्काल कौंग्रेस अर भारतीय जनता पार्टी, या हौर राजनैतिक दल का प्रवक्ता अपण पार्टिक भ्रस्टाचार पर आंखि बूजि दीन्दन.   दुसर पार्टिक भ्रष्टाचार तै हमेशा इ भयंकर भ्रष्टाचार मानण चएंद  पण अपण पार्टिक भ्रष्टाचार तै शिष्टाचार मा बदलणे कौंळ हमारा प्रवक्ता मा हूणि चयेंदन.   

           हमारा राजनैतिक प्रवक्ता माँ रंग बदलण माँ  गौलु, छिपडु, गिरगिट से अगनै हूँण चएंद. या कौंळ नि आँदी त  ममता बैणि से सीखि ल्याओ. जब तलक ममता बैणि यूं.पी. ए माँ रै त कुछ नि  बुलणि राइ पण अब  जब यु .पी.ए से भैर ह्वाई त किराणि च बल यूं.पी.ए भ्रष्टाचार माँ लिप्त च. हमार समज से हमारो प्रवक्ता तै रंग बदलण सिखण  त ममता बैणि से सिखण इ ठीक रालो.

          हमारा प्रवक्ताओं तै  दिन माँ कति दें  ऊटपटांग वक्तव्य देणि पोड़दन . चूँकि भारत माँ पागल जन बुलणो क्वी प्रशिक्षण संस्थान  या कार्यशाला अबि तलक नि खोले गेन त हमारा प्रवक्ता तै ऊटपटांग वक्तव्य बुलण सिखणो बान दिग्गी बाबू क वक्तव्यों पर ध्यान दीणि चयेंद. 

                 कछुआ से हमारा प्रवक्ताओ तै प्रशिक्षण लीण पोड़ल  की जब भीत ह्व्वाओ त कन अपण मुंड भीतर कुच्याण. अर जब भला दिन ह्वावन त कुत्ता जन भुकण.

 

                  हमारा प्रवक्ता तै गैंडा की खाल से बि सिखण पोड़ल कि करोड़ो जनता क रूण पर बि कन बेअसर रौण.
 
                      हमारा राजनैतिक प्रवक्ता मा चिंचुड़ जन गुण हूँण बि लाजमी च कि जनता क ल्वे चूसो अर दे दनादन चौड़ अट्टा हवे जाओ याने कि जनि नेता बौणो तनि बैंक बैलेंस बढाण मा अग्ल्यारी ल्याओ .उन हमारा प्रवक्ता यो काम जूंक से बि सीखि सकदन कि कने जनता क खून चूसे जांद 

                                 जब बि क्वी हमारा शीर्षस्थ   हाई कमांड कि क्वी बुराई कारो त चीता, बाग़ जन आक्रमण कारो, बिरळ जन घुघराट कारो  अर अपण हाई कमांड क समणि कुत्ता जन पूंछ हिलाओ .   

  उन इन काम सिखण जादा कठण नी च बस द्वि चार दिन टी.वी चैनेलु माँ न्यूज चैनेल द्याखो अर यी सुब टूटब्याग अफिक सीखि जैल्या .

 

      जु तुम अफु तै धाकड़ ठग, धुर्या, मक्कार, लुटेरा, लम्पट , कपटी, अफखवा, बदजात, अनाचार या अत्याचार से दुखी नि हूँण वाळ, घड़ियाली आंसू बगाण वाळ, दुराचार क संगती, चालु, चकचुन्द्र्या, समजदवां  त   तुरन्त हमारि राजनैतिक पार्टी क प्रवक्ता बौणि  जाओ। हमारी पार्टी हौरि पारट्यु से  थ्वडा अलग च .                 

 
 
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Bhishma Kukreti

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व्यंग्य साहित्य गढ़वाली में
चबोड़ इ चबोड़ मा, हौंस इ हौंस मा

                                 

                                वाह! मनमोहन जी ! फिर से मान गए आपको !

 

                                                        चबोड्या: भीष्म कुकरेती

 

                          मानि  गेवां   मनमोहन जी  आप तै . आप त  राजनीति  माँ   चाण्यक्य  क बुबा  ना   पड़ ददा छंवां . ब्याळि  आपन एक  बयान  दे बल  भ्रष्टाचार कि जादा अर  नकारात्मक  छ्वीं  लगैक  भारत की छवि खराब  हूणी  च अर   अधिकार्युं  मनोबल कमजोर  हूणु   च  . वाह मनमोहन जी ! अपण  कुकर्मों, अपण  दुष्कर्मों , अपण  नालायकी , अपण , नाकामयाबी , अपण  असफलता ,   अपणी  गल्ति  से उज्यळ  मा   नि  दिखणो  बीमारी ;अपण बदइन्तजामी , अपण कुप्रबंधन , अपण   प्रबंधन  माँ  कुसओरी पन , अपण  कुर्सी  बचाणो  टुट ब्याग  की गल्ति  क भगार /लांछना  दुसर  पर लगाण  सिखण  ह्वाओ  त  सरा दुनिया का राजकरणि  वळा  आप  से इ सीखी सकदन   कि  ये खेलम कनै  माहरत  हासिल करण . अपण  गलति  क ठीकरा  आपन  कै  हौरूक  मुंड  मा  फोडी  दे माराज !

                     

                   ओ  त  आप   भारत की छवि क बारा माँ फिकरमंद  छंवां ?  इ जी क्या ह्वे ग्याई आप तै ? आप त  आठ साल से  भारत का प्रधान मंत्री छान फिर भारत की छवि बणाणो काम   आपक छौ की सिविल सोसायटी कु?

     अछा जी आज आप तै भारत की छवि की फिकर ह्वे  गे अर  ये माराज ! आप कख जयां छ्या जब आपक नाकौ  तौळ   कॉमन वेल्थ गेम माँ दिल्ली प्रशासन , खेल प्रशासन ,  कॉमन वेल्थ गेम प्रशासन , भ्रष्टाचारो खेल खिलणा  छ्या , जब यी लोग किकबैक की चौपड़ मा   घूसखोरी  क कौड़ी खिलणा  छया . ये माराज ! तब आप किलै सिंयाँ छया जब आपका इ पार्टिक कलमाड़ी जी  भ्रष्टाचारौ पुंगड्यु माँ घिलमुंडी खिलणा   छया ? तब किलै आप तै भारतीय छवि क याद नि आयि ? जब  कॉमन वेल्थ गेम भ्रष्टाचार की पोल खुल त हे महामहिम ! क्या हम भारतीयों तै बुरु  नि लगु ह्वालु ? अर अब जब आप तै  दिलयाणि   च त  आप छवि  की सुचणा छंवां . आप त भारत का एक महा विद्वानों मादे  एक छंवां   त  क्या आप तै सिखाण  पोडल , अड़ाण पोड़ल, फिर से प्रशिक्षण दीण पोड़ल बल दवाई से बढिया  रोकथाम होंद , प्रिवेंसन इज बेटर देन क्युअर ?  आपण भारत कु सी .इ ओ ह्वेक कुप्रशासन  कु गुनाह कार अर अब अपण   गुनाह दुसर पर लगाणा छवां बल भ्रष्टाचार की छ्वीं जादा नि हूँण चएंद . भ्रष्टाचार की छ्वीं को जुमेवार भारत कु प्रधानमंत्री च या कवी हौर ? वाह मनमोहन जी ! कौमन वेल्थ गेम माँ  घूस खैक  डंकार  ल्यावान   तुमारा पार्टी का लोग , तुमारो प्रशासन  अर आप बेशर्मी से   सिविल सोसाइटी वाळु  तै हिदैत दीणा छ्न्वां कि डंकार किअवाज अर गंध का बारा मा चुप राव बल यां से भारत की छवि  म रंगुड़   पोड़नु च . जु तुम तै भारत की  छवि की इ पोड़ी छे त तुमन त कलमाड़ी तै पार्टी से भैर करण छौ  पण तुम लोग त प्रजातंत्र को इ मजाक उड़ान पर अयाँ छंवां अर कलमाड़ी अब  कई संसदीय समीति क सदस्य बि  बौणि गये। मंमोहान जी आपकी पार्टी प्रजातंत्र को मजाक उड़ाली  अर भारत की छवि धूमिल करणो  भगार आप कई हौरि पर लगाणा छंवां ? इ मेरी ब्वे  राजनीति माँ बेशर्मी क क्वी  हद नि होंदि . .

 

                        मनमोहन जी ! जरा सि  एकाद सालक इ छ्वीं छन  आपक इ  राज मा  शहीद सैनिको विधवाओं बान मुंबई म आदर्श सोसाइटी बौणि   छे आर तुमारा मुख्यमंत्री तुमारा प्रशासन क लोग कफनचोर का तरां मोर्याँ सैनिकों अधिकार तै खुलेआम लूठी ली गेन . इ जी ! तब त आपन अशोक चौहाण कुणी नि बवाल बल ये निर्भागी ! ये असुण्या1 ये ठग ! ये चोर ! यी क्या कौर तीन ? तीन त भारत की छवि इ बिगाड़ दे ! अबि बि  अशोक जी कोंग्रेस माँ जम्याँ छन अर अशोक चौहान कु हगण मुतण से ज्वा  सड्याण,चिराण  फैली वांकुण आप बुलणा छंवां भैरों ! अशोक चौहाण की हगीं सड्याण-चिराण कि  छ्वीं नि लगाओ बल यी  बात नकारात्मक छ्न . 

 

                     मनमोहन जी ! ये मेरी ब्वे ! यी टू जी घुटाला , यी कोलगेट कु घुटाला क्या जनता या सिविल सोसाइटी  वाळुन  कार कि  आपका तौळक  मंत्र्युंन, तंत्र्युंन , संत्र्युंन कार ? वाह मनमोहन जी ! वाह ! पादन  आपक लोग,  गंध फैलावन  आपक मंत्री,दुर्गन्ध सरावन आपका संतरी या तंत्री   अर आप अब बुलणा छंवां  कि -ना ! ना पदणै गंद,पदणै पदाण  की बात कते नि कारो  या बात नकारात्मक च अर यांसे  भारत की छवि खराब हूणि च। 
 
 

मनमोहन जी ! भारत की छवि आपक  लसलसो प्रशासन की वजे से खराब व्हाई .

मनमोहन जी !  भारत की छवि आपकी नाकामयाब नीति निर्धारण अर आपका मन्त्र्यु अर संत्र्यु द्वारा यूँ नीतियुं तै अपण  फैदा बान  तुड़न फुडन से व्हाई . जै प्रधानमंत्री तै  अपण  मंत्री अर प्रशासकीय अधिकारयु तै समाळण नि आवो अर  ओ  ब्वालो बल  भारत की छवि खराब होणि  च त  वै  अकर्मण्य  कमजोर प्रधानमंत्री तै अपण आत्मा से पुछण चयांद की भारत की छवि खराब करण माँ असली गुनाहगार को च भारत कु प्रधानमंत्री या जू भ्रष्टाचार  मिटाणों बात करणा छन . मनमोहन जी ! आप त सही माँ अपण गू दुसर पर लपोड़णा छंवां अर फिर  दिखाणा  छंवां की ल्या तैक पूठ पर गू लग्युं च   
 
   

 मनमोहन जी अफु सीम्प कु लरक तरक इना उना फिंकणा  छंवां, सीम्प आप अर आपक मंत्री संतरी इ इना उना लपोड़णा  छंवां अर दुसरो कुण बुलणा छंवां गंदगी छ्वीं लगैक भारत क बदनामी हूणि च। असल मा आप तै जरुरात च आत्ममंथन की कैन भारत की छवि बिगाड़ ? आप तै अपणी आत्मा से पुछण चयांद  बल असली गुनाहगार क्वा च ? जरा आइना द्याखो आर पैल्या कि  प्रधानमन्त्री हूणो नाता  आप इ भारत की  बदनुमा,   बदरंग , दागी छवि जुमेवार छन . आप तै दुसर पर भगार लगाणै आदत सि पोड़ी गे आप प्रधानमंत्री छंवां त जुमेवारी से नि भाजो . जुमेवारी  ल्याओ जी।


 Copyright@ Bhishma Kukreti 10/10/2012   

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व्यंग्य साहित्य गढ़वाली में
चबोड़ इ चबोड़ मा, हौंस इ हौंस मा

 

                                            टिहरी मा मतदान किलै कम  ह्वाई ?

 

                                                   चबोड्या: भीष्म कुकरेती

                      वू बि बुलणा छन , सि बि धै लगाणा छन , उना बिटेन  अवाज औणि च त  इना बिटेन बि रैबार आणु च बल सन द्वि हजार बारा क टिहरी संसदीय चुनाव मा कम मतदान ह्वे . कुछ लोग बाग़ खौंळेणा छन बल इन किलै मतदाता वोट दीणों नि ऐन .  सबि फिकरमंद छन बल मतदाता मत दीण  बेरहम, कंजूस किलै ह्वे गेन . मतदाता किलै अपण तागत नि पछ्याणु च  कि   वैका वोट से सिंघासन उल्टी जांद , कथगा  नेतौं  मौ घाम लगी जांद, कथगा इ नेतओं क अरमान खड्डा जोग ह्वे जांदन अर कथगा रंक राजा बौणि जांदन त  कथगा  इ नेतौं क गुदड़ी  मा बदली जांदी . बहस को मुद्दा च बल इन क्या ह्वै जु  टिहरी  संसदीय क्षेत्र का मतदाता चुनावि खौळ म्याळ से दूर किलै रैन ? मौसम बि  खुशनुमा छौ त मतदाताओं न त खुश ह्वेका मतदान दीण  छौ . फिर इन क्या बजर पोड़ कि मतदाता मतदान केंद्र मा  आणो जगा अपण  ड्यारम बौंहौड़ से गेन ?  टी.वी. चैनेलुं ठेकेदार याने   दिल्ली अर ड्याराडूणो तथाकथित समाज्शास्त्र्युं तै नींद नि औणि बल टिहरी का  मतदाता अपणो   हक का प्रति किलै उदासीन  हवे गेन ? पत्रकारु  कलम जाम हुंईं च अर सबि पत्रकार बिहोश हुयां छन कि हमन त बड़ा बड़ा नेताओं क  इथगा  चुनावी मीटिंगुं माँ छुटभया नेताओं दगड , एकी बुखटयो अंदड़-पिंदड़, रान -लुतकी-पितकी  चटकाई ,एकी बोतल कु दारु प्याई  फिर बि हम किलै नि चितायों की मतदातों न बोट दीणो  नि आण।

                     

                           हाँ जू चितळ लोक छन वो जाणदा बल असलियत क्या च?


  सबि जाणदन बल  टिहरी चुनाव मा जब मतदाता चुनावी मीटिंगों मा नि ऐन त  आधुनिक -बादि बादण बुलाये गेन याने कि जनता क मुद्दों क अकाळ की भरपाई फ़िल्मी लोगुन कार। अब द्याखो ना जब एक फ़िल्मी कलाकार चुनावी मीटिंग मा ब्वालल, अरे ओ साम्भा ! तू कैक दियुं खादों रै ! ' अर उत्तर होलू " बल  सरकार हम त  सोनिया क दियुं पर इ पळणा रौंदा ."   त इनमा समजदार, अकलमंद  वोटरों तै बौळया   कुत्ता काट्यु च कि वोट दीणो  जावन . अरे जै चुनावी दंगल मा सोनिया गांधी क पळयां (पाले हुए )  गुलाम खडा ह्वावन वै  चुनाव मा वोट दीणो क्या फैदा ? गुलाम त अपण मालिक /मालिकणि खुट मलासदो , मखनबाजी करदो वो नेहरु खानदान कु गुलाम नेता क्या जनता क  भलै सोची सकदो ? .  वै नेहरु खानदान कु  बंधक गुलाम नेता मा सोनिया गांधी क चमचों कि चमचागिरी से फुरसत मीलों त सै तब जैक वो जनता की तरफदारी बारा म  स्वाचाल !  जब जनता न देखि याल, अनुभव कौरी याल की नेहरु खानदान कु गुलाम विजय बहुगुणा न टिहरी बान कुछ नि कार त नेहरु खानदान का गुलाम खानदान का  हकदार साकेत बहुगुणा क्या कद्दू पर तीर मार लेगा? कौंग्रेस प्रेमी जनता न त इनि  सोची होलू बल मानसिक गुलाम प्रतिनिधि गुलामी की ही बात कौरल त  फिर   किलै नेहरु खानदान का बंधक गुलामु  तै बोट दिए जाओ।


                             अब जू जरा भाजापा का प्रेमी छन वो बि त  रूणा  होला बल ये भै कथगा इ बलिदानु  से त  टिहरी राजा क गुलामी से टिहरी रियासत की मुक्ति ह्वे . अर इ बुलणो  का राष्ट्रवादी भाजापा वळो तै घोर अधिनायक वाद, घोर साम्राज्यवाद, का प्रतीक इ टिहरी मा संसद सदस्य बणण लैक  मिल्दन ? जब टिहरी कि जनता समजी गे कि गुलामी, अधिकारवादी , साम्राज्यवादी मानसिकता का गुलाम भाजापा बि  च त  इन मा  जनता न वोटिंग से उदासीन होणि छौ . कु चालो की फिर से  टिहरी मा अधिनायाक्बाद साम्राज्यवाद, लोकविरोधी सोच  का प्रतीक तै बोट दिए जाओ?


     फिर दिखे जाओ त वोटिंग का वास्ता क्षेत्रीय  स्तर का राजनैतिक कारिन्दा (कार्यकर्ता ) ही लोगुं  तै मतदान स्थल तक लांदन . पण जब राजनैतिक कारिंदों  तै  पता चल्दो कि सालो साल रानीतिक कारिन्दा बौणिक बि  चुनाव टैम पर  खानदानी गुलामो या गुलाम बणाणो राजशाही खानदान तै इ टिकेट मिलण त फिर किलै राजनैतिक कसरत करे जाओ ?  राजनैतिक कारिंदों एक ध्येय हूंद की एम्एल ए /एम् पि  बणण पण जब टिकटों पर खानदानी हक हूँण त असली, लगनशील, कर्मठ , त्यागी ,पार्टी भक्त  कार्यकर्ताओं अकाळ   पोड़ी जांद .अर जब टिहरी मा कै बि राजनैतिक पार्टी मा  असली, लगनशील, कर्मठ , त्यागी ,पार्टी भक्त कार्यकर्ताओं अकाळ ह्वाओ त  यो   लाजमी च बल जनता तै जनमानस को हिसाब से क्वी उत्साहित करण वाळ नि होंदन अर इन मा कम मतदान ह्वाओ त खौंळेणे बात छें इ नी च . जब जनता दिख्दी कि बदलाव से बि  'या' 'वा'  गुलामी की गंध आली  त  जनता मतदान से उदासीन ह्वे  जांदी  अर प्रजातंत्र का तथाकथित चौकीदारों न राजशाही का प्रतीकों या गुलाम  मानसिकता  वळु तै चुनावी टिकेट दीण अर  धीरी धीरे राजनैतिक कारिंदों खात्मा सि  होलू त  इनी  चलणु रालु .

जै विजय  खानदानी गुलामो की ! जै राजशाही प्रतीकों की ! 

                     

 Copyright@ Bhishma Kukreti 12/10/2012   

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व्यंग्य साहित्य गढ़वाली में
चबोड़ इ चबोड़ मा, हौंस इ हौंस मा

 

                                               हाँ मा हाँ मिलाण (जी हजूरी ) एक कौंळ/तकनीक  च

 

                                                       चबोड्या: भीष्म कुकरेती

         

 

                 जी हाँ जी हजूरी एक जंगरैति  (कठिन , श्रमसाध्य) काज च, कबि कबि जंजाळ  कु काम बि  च।   असल मा जी हजूरी, चमचागिरी, मक्खनबाजी , मस्का लगाण,  झूठी बडै करण , हाँ मा हाँ मिलाण, झूठी आस दिलाण यी सब एकी चीज छन बीएस जगा, वृति, अर समु क हिसाब   से बदलेन्दा  रौन्दन .
 
      मार्क ट्वेन त बुल्दो  छौ बल जब बि तुमर डगड्या  बुल्द बल यार तू अच्काल जवान दिख्याणि  छे  त  साफ़ च बल  तुम बुड्या ह्वे गेवां , ओ त बस तुमर डगड्या तुम पर मस्का लगाणो च।

एक फ्रांससी स्वांगकार क बुलण  च बल जब बी क्वी डगड्या बिंडी  बडै करण मिस्यांदु  मतबल अब  उ डगड्या नि रै गे।

  अर मजा क बात या च चमचागिरी श्रमसाध्य च पण बस  तुम तै चमचागिरी कुण  जीब चलाण पोड़द . अब जन कि बौस तै पुळयाण ह्वाउ त  बौस्याणि कुकुर  बिराळो तै इनि चाटण पड़द जन गौड़ी अपण  वैबरै हुइं बाछि तै चाटदि .
 
   बिचारा प्रेमी त  चापलूसी का नया  नया तरीका खुज्यान्दु अर मस्काबाजी का नया तुरुप का पत्ता  लान्दो पण कैबरी वा प्रेमिका इथगा निर्दयी , बेशर्म हूंदी कि बोलि दीन्दी बल तुम से भलो त म्यार  बौस च मस्का बी लगांदु अर  दगड मा भुकि बि खूब पींदु .


                  जी हजूरी, चमचागिरी, मक्खनबाजी , मस्का लगाण, झूठी बडै करण , हाँ मा हाँ मिलाण, झूठी आस दिलाण से महान से महान अवगुण छुपि जान्दन, जी हजूरी, चमचागिरी, मक्खनबाजी , मस्का लगाण, झूठी बडै करण , हाँ मा हाँ मिलाण, झूठी आस दिलाण से अपणी ख़ास ख़ास कमजोरी लुकाये जांद अर प्रमोसन की अग्ल्यारी पंगत मा बैठे जयांद .   

 

  अब बताओ कु कौंग्रेसी  अरिस्टोटल तै बडो दार्शनिक मानल ? अरिस्टोटल कु बुलण च बल  जी हजूरी एक निस्क्रिस्ट काम  च . अर जू कौंग्रेसी नेहरु खानदान की जी हजुरी  , चापलूसी, मिथ्या गुण गान नि कारो  त दिग्गी बाबू क हिसाबन उ त  राष्ट्रीय स्वयं सेवक  कु एजेंट हूंद। ब्याळि एक टीवी प्रोग्रैम माँ एकान बोलि बल इंदिरा गाँधी न कथगा इ पार्लियेमेंटरि अर डेमोक्रेटिक इंस्टीट्युसन ख़तम करिन कोंग्रेसी कडछी उछळि ग्याई अर इंदिरा गांधिक जागर लगाण  मिसे गे बल इंदिरा जी से  बड़ो  प्रजातंत्री मूल्यों संरक्षक आज तलक ये ब्रह्मांड मा  पैदा इ नि  ह्वे .भौत सा टैम या जादातर राजनैतिक चमचागिरी मा झूट ही झूट हूंद . ममता बनर्जी आर मायावती द्वि बैणि जी हजूरी दर्शन शास्त्र की  अगली या विकसित सीड़ी छन . यूंकि चमचागिरी करण से पैलि चमचो तै यूंकि आज्ञा लीण  पोड़दि
 
 .

      जी हजूरी, चमचागिरी, मक्खनबाजी , मस्का लगाण, झूठी बडै करण से तुम उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बौण सकदा . हाँ मा हाँ मिलाण, झूठी आस दिलाण से आप अपण नौनु तै  टिहरी क सांसद  बणै  सकदवां . अर जु  तुम जी हजूरी, चमचागिरी, मक्खनबाजी , मस्का लगाण, झूठी बडै करण , हाँ मा हाँ मिलाण, झूठी आस दिलाण मा  विजय बहुगुणा से कमजोर साबित हवेल्या त  तुमरि हड़क सिंग जन हालत बि ह्वे  सकदी .जी हजूरी, चमचागिरी, मक्खनबाजी , मस्का लगाण, झूठी बडै करण , हाँ मा हाँ मिलाण, झूठी आस दिलाण मा भौत प्रतियोगिता हूंद तबि त शीला दीक्षित मजा से दिल्ली क राणी च किलैकी वा अपण  ससुर ज्योर भग्यान उमा   शंकर दीक्षित जी से चमचागिरी शास्त्र  माँ दीक्षित च, प्रवीण च ।

                    जी हजूरी, चमचागिरी, मक्खनबाजी , मस्का लगाण, झूठी बडै करण , हाँ मा हाँ मिलाण, झूठी आस दिलाण - करण वाळ तै स्वांग करण इ पोडद अर यी   नाट्यशास्त्र का बड़ा भारी विद्वान् हुन्दन। झूठ बुलण माँ इ पारंगत होंदन . यूंक स्वांग देखिक भरत मुनि बि यूंक च्याला बणणो  तयार  ह्वे    जाला। झूठ तै सच अर सच तै झूठ साबित करण  मा यी चमचा या जी हजूर  स्याळु  गुरू होंदन त रंग बदलण मा चमचा गिरगिट का नना .

 

  चमचा या जी हजूर शब्द शास्त्री हूंद . महान श्ब्द्शास्त्री पाणिनि बि आधुनिक चमचो या  आजौ जी  हजूरू क ड्यार तमाखू भौरल .

  नख शिख वर्णन मा यूंक  समणि  कवि विहारी पाणि भरदन .

  चमचा पल्टी मारण मा उस्तादु उस्ताद होंदन . दुफरा म बौस ब्वालो कि रात च त चमचा बुलदो बल जी या रात त  सौणै मैना रात च अर  तबि बौस बोली द्याव की मी तै इन लगणु च कि दुफरा च त चमचाधिराज बुल्दु बल जी म्यार इ आँख फुट्या छन जु मै दुफरा नि

दिख्याई .चमचा कुण  बौस का दगड्या  भगवान् बकै सौब निरर्थक . 

 

               जी हजूरी, चमचागिरी, मक्खनबाजी , मस्का लगाण, झूठी बडै करण , हाँ मा हाँ मिलाण, झूठी आस दिलाण एक कला च किलैकी इखमा तर्क शास्त्र अर नाट्य शास्त्र कु क्वी काम नी च। हालांकि चमचागिरी मा विज्ञान याने मनोविज्ञान की जरुरात होंदी च पण फिर बी जी हजूरी निखालिस कला च , प्योर आर्ट च, कौंळ च।

                  कुछु मा या कला जनमजाती हूंद  त कुछुं तै सिखण पोड़द . आज जी हजूरी, चमचागिरी, मक्खनबाजी , मस्का लगाण, झूठी बडै करण , हाँ मा हाँ मिलाण, झूठी आस दिलाण ही आप तै गंतव्य स्थान तलक पौंचे सकदी . जु तुम जी हजूरी, चमचागिरी, मक्खनबाजी , मस्का लगाण, झूठी बडै करण , हाँ मा हाँ मिलाण, झूठी आस दिलाण मा कमजोर छंवा त तुम सुश्री रेणुका चौधरी क चमचागिरी क स्कूल मा  पत्राचार या टीवीसी शैली से जी हजूरी डिग्री ले सकदा .

    जु जु पाठक /बंचनेर ये लेख की  बडै  कारल  वू सही  माने मा गढ़वळी च  अर   जु  बडै भरीं प्रतिक्रिया नि द्यालु वू निखालिस कठमाळी  च।  आपक पळयूं  पुस्युं  छौं , आपक आसरा पर इ ज़िंदा छौं .आप म्यार आश्रयदाता छंवां . आप इ ब्वे  बाब . आपि त म्यार भगवान छंवां , म्यार  परमेश्वर छंवां   आप प्रतिक्रिया नि देल्या त मुलायम  सिंग जी या करुणा  निधि जी थुका  प्रतिक्रिया  द्याला ? साब नि बोलि जाण मीन ? 

            , 

 
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व्यंग्य साहित्य गढ़वाली में
चबोड़ इ चबोड़ मा, हौंस इ हौंस मा

 

                                          क्या आप तै अखबार बंचण मा  रौंस आंद च  ?

 

                                                           चबोड्या: भीष्म कुकरेती

 

                   कुज्याण क्या भंगुल जाम धौं ! कुज्याण क्या जख्या जाम धौं कि  अचकाल अखबार बंचण मा रौंस इ नि आंद। अंग्रेजी क न्यूज पेपर ह्वावन , हिंदी क  समाचार पत्र ह्वावन या गढ़वळि छापा ह्वावन यि अखबार मजा इ नि दीन्दन . मै लगद बल  जन बुल्यां हरेक समाचार पत्र बुलणु  ह्वाओं धौं बल ," मजा ना  दूंगा" हरेक न्यूज पेपर धै लगाणु ह्वाओ , " तुझे रौंस , आनंद ना लेने दूंगा।". अर मै  तै सोळ अन भरवस  च आप तै बि समाचार पत्र रौंस , मजा , आनन्द नि दीन्दा होला।

                    नै ! नै ! दरेक अखबार अपण तरफान सचेकी ब्रेकिंग न्यूज इ दीन्द पण कुनगस या च कि  यि ब्रेकिंग न्यूज सन पैंसठ का अखबारु खबर छाप दीन्दन . अब जब हिन्दुस्तान टाइम्स दिल्ली क अखबार आज ल्याखाल  बल विदेस मंत्री जी   फलाणि घटना मा विदेशी हाथ कु अंदेसा   दिखणा छन त तुम तै ,  मै तै या वीं तै क्या मजा औण? इनि हिन्दुस्तान टाइम्स दिल्ली क सन पैंसठ माँ बड़ी खबर छे कि विदेस मंत्री जी अलाणि घटना मा विदेशी हाथ कु अंदेसा दिखणा छन। हिन्दुस्तान टाइम्स दिल्ली क सन साठ पैंसठ कि खबरों आर  आज की खबरूं मा  बस  नाम  कु  अंतर च, स्थान भेद च, लैंग्वेज या क्लास डिफरेंस च . निथर  खबर वाई इ च।

                     आज सेबेरौ  नव भारत टाइम्स मा  ब्रेकिंग न्यूज च बल भारतऔ  वित्त मंत्री बुलणा छन बल हमन मंहगाई कम करणो बाण कठोर कदम उठाई आलिन  . अर जरा नव भारत टाइम्स का सन साठ , सन सहतर , सन असी या सन द्वि हजार दस कु कै  बी अंक बांचो त आप हरेक दिन कु अंक मा  बांचिल्या  बल भारत कु वित्त मंत्री बुलणा छन बल हमन मंहगाई कम करणो बाण कठोर कदम उठाई आलिन। अर  नव भारत टाइम्स मा दगड मा एक खबर हैंक बि  रौंद बल विरोधी दल वाळु न सरकार तै मंहगाई कम नि करणो बान गाळी देन, सरकारऐ  कठोर शब्दों मा बड़ी  से बड़ी आलोचना कार। शब्द, स्थान, नाम, वर्ग भेद छोडिक सन साठ  की अर सन द्वि हजार बारा की खबर मा क्वी फरक नि हून्दी।  कबि कबि त स्थान अर  वर्ग भेद बि  नि  मिल्दो . पार्लियामेंट , विरोधी दल, विरोधी दल कु नेता,  राजनैतिक फुन्द्यानाथ द्वारा बेलगाम   मंहगाई, बढ़ती मंहगाई  की कठोर शब्दों मा   आलोचना,  वित्त मंत्री द्वारा मंहगाई कम करणो बान ठोस कदम, कठोर कदम  उठाणै बाते खबर  सन साठ माँ बि ऊनि छे त  सन द्वि हजार बारा मा बि  ऊनि च। अब इन माँ जैन सन साठ मा बेलगाम, अंतहीन , अथा मंहगाई बारा मा संसद माँ क्या ह्वाई कि खबर बाँचि ह्वाओ अर वाई खबर सन बारा माँ रोज वूं इ  शब्दुं मा बांचल त वै तै यूँ खबरू से बिखलाण आण इ अरे बीमार बि रोज खिचड़ी नि खै सकदो . 

                  सन साठ या पैंसठ का करीब गढ़वाळ मा 'कर्मभूमि '   या सत्यपथ अखबार प्रसिद्ध  छया . उखमा जगमोहन बाडा (जगमोहन सिंह नेगी  जीलैंसडाउन का विधायक) क बयान हूंदा छा बल अविकसित क्षेत्र ढान्गु उदैपुर कु विकास हूँण चयेंद . फिर कुछ दिन या कुछ साल  कर्मभूमि या सत्यपथ का हरेक अंकमा भारत सिंग रावत काका (लैंसडाउन का विधायक ) क बयानों की खबर हून्दी छे कि   ढान्गु उदैपुर कु विकास हूँण चयेंद . फिर चंद्र्मोहान  भैजी (लैंसडाउन का विधायक ) खबरों मा रैन कि अविकसित क्षेत्र ढान्गु उदैपुर कु विकास हूँण चयेंद . अर पता नि यी समाचार पत्रों क संपादको क स्मरण शक्ति तै क्या हवाई कि अब बी खबर हून्दी बल विजया  बडथ्वाल ब्वारी (ढान्गु उदैपुर का विधायक ) बुलणि च  बल अविकसित क्षेत्र    ढान्गु उदैपुर कु विकास हूँण चयेंद। अब इन बासी तिबासी खबर बांचिक मै तै त उकाई ,  उल्टी क्या झाड़ा बि ऐ जांदी . सन साथ बीतें एकी बासी तिबासी खबर बांचिक अब त न्यूज प्वायजनिंग  ह्वे जांदी। अर रूण   या च सन द्वि हजार अस्सी माँ बि म्यार नाती तै बासी तिबासी खबरों से न्यूज प्वायजनिंग  हूँण किलैकी सन द्वि हजार अस्सी मा बि न्यूज न हूँण  कि अविकसित क्षेत्र ढान्गु उदैपुर कु विकास हूँण चयेंद।  न्यूज वै इ ह्वाओ त कब तलक हम न्यूज को प्लेजर ल्योला ?
 
                      शिक्षा क बारा मा मीन हुमायूं कबीर का बयान बी बांचिन , भक्त दर्शन जी क बयान बी पौढ़ीन, डा शिवा नन्द नौटियालौ बुल्युं बी अखबारों माँ बांच बल भारत माँ शिक्षा कु स्तर दिनों दिन तौळ जाणो  च हम तै कुछ करण पोडल अर अब चूंकि शिक्षा क नाम बदले ग्ये अर अब त  शिक्षा क नाम एज्युकेसन ह्वे ग्याई पण हर मैना अखबारों म खबर बासी इ रौंद  बल ऐज्युकेसन  मिनिस्टर न ब्वाल  बल इन्डियन ऐज्युकेसन  सिस्टम दिनों दिन डाउन जाणु च अर हम तै  कुछ करण पोडल . अब त इथगा  साल पूराणी बासी खबर बांचिक ऊंग आंदी अर शिक्षा बारा मा शिक्षा मन्त्रीक शिक्षा स्तर पर बयान बांचणो   ज्यु इ नि बुल्यांदो .
 
                        विचारा चंद्रभानु गुप्ता बि अखबारों मा पहाड़ो बान परेशान रैन, कमला पति त्रिपाठी बि पहाड़ो बान चिंतित छया , हेमवती नन्दन बहुगुणा , नारायण दत्त तिवाड़ी, कोशियारी बि पहाडो की कुदसा से जिन्दगी भर बीमार रौंदा छया अर यूँ मुख्यमंत्र्यु   पहाड़ चिंता जनित बीमारी क खबर अखबारों मा हेडिंग  हूंदी छे अर कांड इन लगणा   छन की रोज अख्बारु हेडिंग हुन्द की मुख्यमंत्री तै पहाड़ो चिंता से सन्निपात ह्वे ग्याई, बिस्मृति ह्वे ग्याई ,  मुख्यमंत्री तै पहाड़ो चिंता से उन्द उब की बीमारी लग ग्याई। अब आपि बथाओ   सालो साल अखबार की हेडिंग एकी हवेलि त अखबार बंचण से पैलि इ निंद नि आलि ? 

    मीन त अब अखबार बंचण इ बंद कौरी आल  . आप बथाओ  कि क्या आप तै बासी तिबासी खबर  बंचण मा रौंस आंद च ? अब जब बदलाव इ कुछ नि आलो त  कनकै बासी  खबरों से  मजा आलो ?

 

.Copyright@ Bhishma Kukreti 17/10/2012   

Bhishma Kukreti

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इ चबोड़ मा, हौंस इ हौंस मा


                                             ना ! ना ! नौनु पढ़ाणो ऑक्सफोर्ड कतै नि भिजण


                                                          चबोड्या: भीष्म कुकरेती

- ह्यां ! ऑक्सफोर्ड विश्विद्यालय  दुन्या मा एक सबसे पुराणों  विश्वविद्यालय च।

-सब  झूट बुल्दन बल ऑक्सफोर्ड विश्विद्यालय  दुनिया क सबसे पुराणि यूनिवर्सिटी च

- पूरा क पूरा सबूत छन  बल ईख सन 1096 से  पढ़ै हूंद

- काण्ड लगाण इन दुन्या क सबसे पुराणि  यूनिवर्सिटी पर . क्या कन  ?

-कन  क्या च मतलब? अरे अपण छौना तै ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी पढ़ाणो भिजण अर  क्या ?

-ह्यां पढ़ाणो भिजण या बिगाड़णो  भिजण ?

--त्यार बुलणो मतलब च कि ऑक्सफोर्ड विश्विद्यालय  माँ छोरा बिगचि जांदन ?

- हाँ  ! हौर क्या ?

- ओ हो ! जाणदि छे बल  यीं यूनिवर्सिटी क छात्रो मादे कथगा इ बड़ा बड़ा प्रसिद्ध लोग  ह्वेन।

- मै तै त  नि लगद बल या यूनिवर्सिटी  काबिल मनिख  बणै सकदी

-ऑक्सफोर्ड विश्विद्यालय  का पचास से जादा विद्यार्थ्युं  तै ओलम्पिक  मैडल मील

-क्या कुण ? कै एनजीओ क  नाम पर चोरी जारी करणो बान ओलम्पिक मैडल मील ह्वाल त कुज्याण।


- भागवान ! !  ऑक्सफोर्ड बिटेन नामी गिरामी लेखक पैदा ह्वेन .

- जरुर जाळी साजी का लेखक पैदा ह्वे हवाल जौन नकली सर्टिफिकेट  बणैक गोलमाल कौरि ह्वाल  जन ऑक्सफोर्ड का डिग्रीधारी अपण सलमान खुर्सीद क  एनजीओ मा लिखापढ़ी क गोरख धंधा ह्वाई .

-तू बि ना केजरीवाल जन नकारात्मक सोच कि ह्वे गे . ऑक्सफोर्ड विश्विद्यालय का कथगा इ छात्रो तै लेखन मा  पुरूस्कार मील

- हाँ मि बि चांदो कि गलत सलत ब्योरा लिखणो बान सलमान खुर्सीद आर लुईस खुर्सीद तै बि ज्ञानपीठ पुरूस्कार मिलण चएंद जां  से ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी क नाम हौर अग्वाड़ी बढ़ी जाओ .

 - ईं यूनिवर्सिटी का कथगा इ छात्र दुनिया का नामी गिरामी अर्थशास्त्री ह्वेन .आदम स्मिथ, अमर्त्य सेन , मनमोहन सिंग जन अर्थशास्त्री बि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का इ छात्र छया .

-हां इखमा द्वि राय नि ह्वे सकद  कि  ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी मा अर्थशास्त्र की पढै बढ़िया ढंग से हूंद . सलमान खुर्सीद क  एनजीओ घोटाला बि त  अर्थशास्त्र का कथगा इ नया नया सिद्धांत बथान्दो , इन घोटाला नई खोज च अर्थशास्त्र माँ

- मेरी ममी ! ऑक्सफोर्ड विश्विद्यालय का कथगा इ छात्र बड़ा बड़ा नाटककार , कलाकार ह्वेन

- छौना क बुबा जी ! तुम सै बुलणा छंवां ऑक्सफोर्ड विश्विद्यालय नाटककार बि पैदा करद . सि ऑक्सफोर्ड विश्विद्यालय का आभूषण छात्र अपणा सलमान खुर्सीद  यांको बडो बढ़िया संदेष्टि च,  उदाहरण  च बल ऑक्सफोर्डविश्विद्यालय माँ सलमान खुर्सीद जन बेशर्म नाटककार बि पैदा  हून्दन . 


- ह्यां मीन पता लगै याल बल इख बीस क्रिस्चियन सन्तुन पौढ़

-ना ना सब झूट च ऑक्सफोर्ड विश्विद्यालय बिटेन संत पैदा इ नि ह्वे सकदन .

- जु  सलमान खुर्सीद का ढोंग देखिक बुलण त मि बोलि सकुद कि इखाक संत  जरा सि भगार लगण  पर गुस्सा ह्वे जांदन , गुस्सा मा भगार लगाण वाळ कुणि बुल्दन बल एक दै फरुखाबाद आ त सै फिर दिखुद कि कनै फरुखाबाद बिटेन वापस बौडिक आन्द  धौं .इखाक संत जन सलमान खुर्सीद बुल्दो कि अब मि  पेन की  स्याई छोडिक खून से लिखुल

- ये निर्भागण  ! क्या बुलणि छे . जौं संतु क बात मीन कार कि  वो सचेकी महान संत ह्वेन .

- तो यांक मतबल च कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी क पढ्या लिख्याँ कों यो मतबल नी च कि वों सबि भला आदिम ह्वालो ही .

-हाँ

- तो फिर यु सलमान खुर्सीद किलै दलील दीणो  च बल चूंकि मि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी को छात्र छौं त मि विद्वान् छौं , चूंकि मि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी को छात्र छौं त  मि इमानदार छौं .चूंकि मि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी को छात्र छौं त मि पवित्र  छौं .

-ओहो एकाद छात्र उछ्यादी ह्वे सकदन . हम तै अपुण नौनु तै  ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी पढ़ाणो भिजण चयेंद .

-ये सलमान खुर्सीदक ढंग ढाळ से त मि बोलि सकुद बल जब ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी मा अमानत मा खयानत इ सिखण, लुच्चापन इ सिखण, बदमाशी इ सिखण त ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी इ क्या कखि बि किलै पढ़ाण  ?  पढ़ाई को मतलब च कि इमानदारी . अर इख त ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी को  महान , ब्रिलियंट  छात्र सलमान खुर्सीद की इमानदारी पर इ  चिन्ह लग्युं च ! 


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