Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 359093 times)

Bhishma Kukreti

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गढ़वाली हास्य-व्यंग्य

सौज सौजम मजाक-मसखरी

हौंस इ हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा


                                       युधिष्ठरो राजम   कुलिंदवास्युं (उत्तराखंड्यु  ) रथ-पथ की  आस



                                                            चबोड़्या-चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
 

(s =आधी अ )



 भारद्वाज ऋषि  - आवा-आवा बुढ़देव जी!

नारद- ऋषिश्रेष्ठ! तुमार पर्वत क्षेत्र  वाळुन मि तै कुज्याण किलै  नारद से बुढ़देव  नाम दे द्यायि धौं। सरा जम्बूद्वीपम मेखुण नारद बुल्दन पण तुमर तामस( टोंस नदी उपत्यका),, कालकूट (देहरादून),तंगण (उत्तरकाशी-चमोली ), भारद्वाज (टिहरी  एवं पौड़ी गढ़वाल),रंकु (पिथौरागढ़),  गोविषाण (अल्मोड़ा-नैनीताल ) अर गंगा द्वार (हरिद्वार)वळ सबि मेखुण बुढ़देव किलै बुल्दन?

भारद्वाज- हम पर्वतीय जन आदर दीणम कंजूस नि छंवा अब तुम सरीखा सूचना /रैबार दींदेर तैं मैदानी हिसाब से घ्यू नि दे सकदवां त हे ऋषिश्रेष्ठ हम कुलिन्दवासी (उत्तराखंड) तुम तै बुजुर्ग  दिबता  बोलि सकदवां कि ना?

बुढ़देव- हां भई पर्वतीय जन जो बि बुल्दन वो दिल से बोल्दन।

भारद्वाज- ऋषिश्रेष्ठ! आज कना बिटेन आणा छंवां?

 बुढ़देव- भारद्वाज जी! मि चक्रवर्ती सम्राट युधिष्ठर की राजधानी से आणु छौं।

भारद्वाज- चक्रवर्ती सम्राट तन-मन से कुशल छन? क्या अपण भारतम जन सेवावों अभियान चलाणा छन कि ना? किलैकि कुरुक्षेत्रजुधम अधिकाँश राजाओंन युधिष्ठर को समर्थन इ इलै कौर छौ कि युधिष्ठर सरा जम्बूद्वीप तैं एक आंखन द्याखाल।हालांकि विचित्र अर विशिष्ठ दुर्योधन महाराज प्रशासन को मामला मा कै बि तरां धर्मराज युधिष्ठर से कम नि छौ।   

 बुढ़देव- हां छवि को ही कमाल च बल  विचित्र अर विशिष्ठ दुर्योधन महाराज प्रशासन को मामला मा कै बि तरां धर्मराज युधिष्ठर से कम नि छौ। पण छवि को मामला मा युधिष्ठर दुर्योधन से भौत अग्वाड़ी रैन अर भारत का अधिसंख्य राजाओंन भले ही सैनिक दुर्योधन की सेना मा भेजिन पण दिल से वो लोग युधिष्ठर का दगड़ रैन अर निर्णायक समय पर सब्युंन युधिष्ठर को ही दगुड़ दे।

भारद्वाज- हां त हे सूचना वेग सारथी! महाराज  युधिष्ठर जन कल्याण का कार्य छवि अनुसार ही करना छन की ना?

बुढ़देव- हां अबि एक सप्ताह पैलि चक्रवर्ती सम्राट युधिष्ठर क राजदरबारम रथ-पथ योजनाओं वास्ता धन आबंटन ह्वे .

भारद्वाज-  अत उत्तम!  अति उत्तम! जरा बतावा त सै कि सम्राट युधिष्ठर को राजम रथ-पथ-धन  को कनो आबंटन ह्वे।   

 बुढ़देव- यद्यपि महाराज दुर्योधन अब यीं दुन्या मा नि छन पण ऊंका प्रशंसक त कम नि ह्वेन तो  महाराज दुर्योधन का प्रशंसकों क गणत,  सम्राट युधिष्ठर का आजौ प्रशंसकों अर चक्रवर्ती युधिष्ठर का सम्भावित प्रशंसकों गणत का हिसाबन समस्त भारतम  रथ-पथ को धन आबंटन ह्वे। 

भारद्वाज- जरा बिन्गाओ त सै, समझाओ त सै कि रथ-पथ विकास का वास्ता धन आबंटन कनों ह्वाई?

 बुढ़देव- जख जख सम्राट युधिष्ठर का प्रशंसक अधिक मात्रामा छन उख उख तो रथ -पथ का वास्ता धन आबंटन की अंदा  दुंद बरखा ह्वे, इख तलक कि यूं जगाओं मा   रथ निर्माण का सैकड़ो अणसाळ खोले जाला। 

भारद्वाज- चाहे सहृदय या कुटिल क्वी बि  राजा ह्वावो वो  अपण प्रशंसकों पैल ख्याल रखदो इ च। जरा अग्वाड़ी बथावो कि क्या ह्वाइ?

बुढ़देव- फिर राजा भीमसेन द्वारा संरक्षित क्षेत्र को बडो ध्यान रखे गे अर राजा भीमसेन द्वारा संरक्षित क्षेत्र तैं बि अगल्यार दिए गे।

भारद्वाज -  हां ,  यो तो सम्भावित ही छौ बल  राजा भीमसेन द्वारा संरक्षित क्षेत्र की क्वी अणदेखि नि कौर सकुद। फिर ?

 बुढ़देव- चूँकि राजा अर्जुन कुरु बंशी देस  आंतरिक सुरक्षा का जिम्मेदार छन तो यो दिखे गे कि जो बि  क्षेत्र राजा अर्जुन तैं प्यारा लगदन उख रथ-पथ धन आबंटन मा कमि नि ह्वावो।

भारद्वाज- वाह!  सम्राट क्वी बि ह्वावो जन कल्याण नीति सम्राट का खास आदमियों देखिक इ  बणदि। महाराजा दुर्योधन का राजम रथ-पथ योजना राजा दुशासन, राज कर्ण अर राजा शकुनी का प्रशसकों तै देखिक बणदि छे। और कुछ?

बुढ़देव- हाँ फिर जो बि योजना धन बचि गे छौ ओ राजा नकुल, राज सहदेव की इच्छा अर महारानी द्रौपदी की इच्छा अनुसार आबंटित करे गे।

भारद्वाज- वेदज्ञानी श्रेष्ठ! यांक मतबल च बल सम्राट , राजा क्वी बि ह्वावो जनकल्याण नीति क्षेत्रीय आवश्यकता का हिसाब से नि बणाये जांदन बल्कणम राजनैतिक लाभ अनुसार हि बणदन।

 बुढ़देव- मनु पुत्र!  तुम सही तत्व की बात करणा छंवा। महाराजा दुर्योधन को राज मा बि जनकल्याण नीति राजनीति प्रेरित होंदी छे त धर्मराज युधिष्ठर को नौ सालौ  राज साक्षी च बल धर्मराज युधिष्ठर की प्रत्येक जन कल्याणी योजना सरासर राजनीति प्रेरित रैन अर रथ-पथ धन आबंटन अर रथ-पथ विकास योजना सम्पूर्ण राजनीति प्रेरित छन। यांको  अर्थ च कि नृप क्वी बि ह्वावो नृपता एकी रौंद।   

भारद्वाज - तामस( टोंस नदी उपत्यका),, कालकूट (देहरादून),तंगण (उत्तरकाशी-चमोली ), भारद्वाज (टिहरी एवं पौड़ी गढ़वाल),रंकु (पिथौरागढ़), गोविषाण (अल्मोड़ा-नैनीताल ) अर गंगा द्वार (हरिद्वार) का वास्ता बि रथ-पथ धन आबंटन ह्वाइ कि ना?

बुढ़देव- नही कुलश्रेष्ठ !  तामस( टोंस नदी उपत्यका), कालकूट (देहरादून),तंगण (उत्तरकाशी-चमोली ), भारद्वाज (टिहरी एवं पौड़ी गढ़वाल),रंकु (पिथौरागढ़), गोविषाण (अल्मोड़ा-नैनीताल ) अर गंगा द्वार (हरिद्वार) का वास्ता  रथ-पथ-विकास वास्ता  धन आबंटन नि ह्वाइ।

भारद्वाज- अच्छा तो  तामस( टोंस नदी उपत्यका),  कालकूट (देहरादून),तंगण (उत्तरकाशी-चमोली ), भारद्वाज (टिहरी एवं पौड़ी गढ़वाल),रंकु (पिथौरागढ़), गोविषाण (अल्मोड़ा-नैनीताल ) अर गंगा द्वार (हरिद्वार) का  प्रतिनिध्युंन या बात राजमहल बैठकमा चक्रवर्ती सम्राटका समणि  कुलुन्द क्षत्रं रथ-पथ विकास की बात नि उठाई?

 बुढ़देव- विद्वानश्रेष्ठ! कुणिन्द  या कुलिंद क्षेत्र का प्रतिनिधी कुणिन्द या कुलिंद क्षेत्र को जन कल्याण का वास्ता चिंतित नि दिखेंदन बल्कि यूँ तै यांकि चिंता रौन्दि कि कनै, कई बि तरीका से  सम्राट युधिष्ठर या राजा अर्जुन, भीमसेन, नकुल, सहदेव अर महारानी द्रौपदी को अक्षुण आशीर्वाद पाए जावो। 

भारद्वाज- ब्रह्मा पुत्र ! जब धर्मराज युधिष्ठर राजकीय  भ्रमण पर कुलिंद ऐ छाया तो ऊंन इख कालसीमा  कुलिंद वासियों (उत्तराखंड वासी ) तैं हृषिकेश से कर्णप्रयाग तलक आधुनिक रथ-पथ को आश्वासन दे छौ अर तुम बथाणा छंवां कि यीं रथ-पथ- योजना शोध -विचार विमर्श मा उत्तराखंड मा रथ-पथ की क्वी छ्वीं इ नि लगिन!

 बुढ़देव- हे ऋषिश्रेष्ठ! मीन बोलि ना! नृप महत्वपूर्ण नि होन्दि नृपता महत्वपूर्ण होंद अर नृपता सामरिक लाभ, सामयिक लाभ अर राजनैतिक लाभ को सेवक होंद।

भारद्वाज - हे! सरस्वती जिव्हा! भविष्य दृष्टा! तुम कुलिंद को भविष्य कै हिसाब से दिखदा?

 बुढ़देव- हे ब्रह्म ज्ञानी! जन महाराजा दुर्योधन का राज मा कुलिंद राज (उत्तराखंड) से  हर दिन सैकड़ों की संख्या मा कुलिंदवासी दुर्योधन की सेनामा प्रवेश वास्ता हस्तिनापुर जांदा छा वुनि भोळ बि चक्रवर्ती सम्राट युधिष्ठर की सेनामा प्रवेश वास्ता सैकड़ो कुलिंदवासी रोज कुलिंद छोड़िक हस्तिनापुर जाणा राला। अर यो हि हाल अभिमन्यु पुत्र को राज मा भि होलु।

 भारद्वाज - महामुनि ! क्या कलियुगमा यीं स्थिति मा क्वी  अंतर आलो।

 बुढ़देव- नही ऋषिराज! तुम्हारो सहोदर भृगु ऋषि की भृगुसंहिता अनुसार पर्वतीय जल अर पर्वतीय युवाओं का एकी गुण च बल पर्वतीय जल अर पर्वतीय युवा मैदानी धरती जिना  ही बौगल।     





  Copyright@ Bhishma Kukreti 27 /2/2013                     

Bhishma Kukreti

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गढ़वाली हास्य-व्यंग्य

सौज सौजम मजाक-मसखरी

हौंस इ हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा

 

                                         गुदुलखोर  (बुद्धिजीवी) बणणो बिगरौ     

 

                                                 चबोड़्या-चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
 

(s =आधी अ )

 

                 मै लगुद बल गुदुलखोर  (बुद्धिजीवी ) आखर इम्पोर्टेड शब्द च। किलैकि भारतम त   गुदुलखोर  (बुद्धिजीवी ) केवल बामण इ बौण सकद छा अर हौरि जात्युं लोग  गुदुलखोर (बुद्धिजीवी ) बणणो कोशिस करदा छा त वूं तैं जातिभैर करे जांदो छौ।

 जख तलक अंग्रेजूं सवाल च गुदलखोर माने  जो बुद्धि से जीविका कमाओ  पण हमर इख गुदलखोर माने जू दूसरों मगज खाऊ या जू दुसरो गुदल चाटदु या दुसरो दिमागों ऐसी तैसी करदो।

 

                                उन हरेक युगम गुदलखोर बणणो लतखोर हून्दन। अब जब मि  पढ़दो छौ त गुदलखोर लोग लम्बो कुरता अर सुलार पैरदा छा अर बीड़ी सुट्टा लगांदा छा। चूंकि सरकारी नौकरी करदा छा त ऊं तैं ना त ऑफिसम कुछ करण पोड़द छौ ना हि समाजम ऊंकुण कुछ काम हूंदो छौ। वै टैम परक गुदलखोर बैं हथन हि पाणि चयेन्द ( सूचि करण ) छा, बैं इ हथन खाणक खांदा छा अर बौंहड़ ही सींदा छा। यूं पर नग्यलु-नागराजा-नरसिंग-कैंतुरा दिवता नि आंदो छौ बल्कणम कार्ल मार्क्स, लेनिन, माओत्से तुंग को रण भूत लगदो छौ अर घड्यळम जगरी बामपंथी कथों जागर लगांदा छा। जु बामपंथी बुद्धिजीवी किसाण हूंदा छा वो हमेशा दें पाळि बल्द तै सोट्यूंन चुटदो छौ अर गऴया से गऴया बैं पाळि बल्द तैं कबि बि नि पिटदो छौ।

 
 
                                  वै बगत एक दें हमर गांमा एक जजमान नौनु पर  गुदुलखोर  बणनो बिगरौ लग अर एक गुरुन वै तैं बथै बल केवल गुदुल खाया कौर। अब जब भि गांमा पूजा क बान बखर या ढिबर कटे जावन तो वो बुद्धिजीवी बणनो ख्वावी  मुंडळि (शिरिण) की राड़ घाळि द्यावो। अब बथावदि जैं मुंडळि पर हजारों साल बिटेन सामाजिक अधिकार ह्वावो वीं मुंडळि पर क्वी राजपूत अधिकार जमाणों कोशिस कारल  तो क्या ह्वे सकुद छौ? वै राजपूत तैं गाँव से शहर भजण पोड़ अर फिर एक होटलम काम करण पोड़ चूंकि वै तैं गुदुल से प्रेम छौ त होटल मालिकन वै तैं शिकार (मटन) बणाणो जुमेवारी दे द्यायि अर आज वो गुदुलखोर प्रेमी प्रसिद्ध नौन वेज स्यफ च।

 
 
   मि जब पढै खतम करिक दिल्ली औं त में फर बि   गुदुलखोर  बणनो भूत लग अर गुरूजी सलाह से इंडिया कॉफ़ी हाउस जाण बिस्यो। उख पता चौल बल  गुदुलखोर बणणो बान खाणक नि खाण बल्कणम दिन भर चाय या काफी पीण चयेंद अर बामपंथी विचार लाणो बान सिगरेट पीण जरुरी च अर अति वामपंथी विचारों बान विदेशी ना सै देसी दारु जरूरी च। मीन दिन भर बीस कप चाय , चालीस सिगरेट अर रत्यां दारु पीण शुरू कार। आज मि शत प्रतिशत कैपिटिलिस्ट छौं पण म्यार  दिन भर बीस कप चाय , चालीस सिगरेट अर रत्यां दारु पीण बंद नि ह्वे अर गुदुलखोर (बुद्धिजीवी ) बणणो चक्करमा मि लतखोर या व्यसनी ह्वे ग्यों।

 

                           मि जब मुंबई औं त गुदुलखोर (बुद्धिजीवी ) बणनो भूत नि भाज। इख मुंबईम सरकारी नौकरी नि मील त मि तैं कामगति गुदुलखोर (बुद्धिजीवी ) बणण पोड़ याने प्राइवेट कंपनीम नौकरी करण पोड़। गुदुलखोर (बुद्धिजीवी ) बणनो चक्करम मि महान गुदुलखोर (बुद्धिजीवी ) कमलेश्वरs संपर्क मा औं अर मि  मातबर याने धनी लोगुं तैं गाळि दीण मिसे ग्यों। कमलेश्वर टाइम्स ऑफ इंडियामा नौकरि करदा छा , बड़ी तखा, बड़ी सहूलियत पण अपण कथाकार भक्तों कुण बुल्दा छा कि कथौंम सेठ, मातवरों तै खूब गाळी द्यायो अरकहानी मा आम आदमी की बात कौरिक 'सारिका ' पत्रिका तैं आम आदमी को पढ़ण लैक नि रण द्यावो। मी पर बि आम आदमी से लाड प्यार को लत लगी गे अर मि अपण सेल्स कौन्फेरेंन्सुं माँ अपण सेठक समणी कैप्टिलिज्म तै खूब गाळी दीण लगि ग्यों अर मि तैं नौकरी छुड़ण पोड़ अर उना सारिका पत्रिका सडकोम बिकण बंद ह्वे त कमलेश्वर तै बि नौकरि छुड़ण पोड़। मि नि जाणदो कि टाइम्स इंडिया छुड़णो बाद कमलेश्वर बामपंथी इ रैन कि ना पण मि दक्षिण पंथी ह्वे ग्यों। जु म्यार दगड्या गां मा गुदुलखोर (बुद्धिजीवी ) किसाण छा वूंन अब  दें पाळि बल्द तै पिटण छोड़िक बैं दें पाळि बल्द तै चुटण शुरू करी दे छौ।
 
     

                   मै पर गुदुलखोर (बुद्धिजीवी ) बणनों बिगरौ नि गे अर सामयिक गुदुलखोर (बुद्धिजीवी ) गुरु का बुलण से मि अब आम आदमी तै निस्क्रिष्ठ बुलदो अर खुलेआम लिखदो कि आम आदिमो तैं सब्सिडी दीण से ही भारत की आर्थिक दशा खराब होणि च। म्यार बुलण च बल जब तलक यी आम आदमी इंडियाम बच्यां राल तब तलक इंडिया मा इकोनोमिक रिवोल्युसन नि ह्वे सकुद। मि सामयिक गुदुलखोरूं (बुद्धिजीव्युं ) तरां अंबानी, जिंदल जन धन्ना सेठों आर्थिक गुनाहूं तै आर्थिक विकास की सीढ़ी बथांदु, उद्योग पत्युं भ्रष्ट तरीकों तै विकास को विटामिन बथांदु, उद्योग पत्युं द्वारा राजनैतिक लाभ तैं विकासs  बान गति वृद्धि को ख़ास लीवर बथान्दु  अर बेशर्मी से वकालत करदो कि जै प्रदेसम भ्रष्टाचार नी च वै प्रदेसम आर्थिक विकास नि ह्वे सकुद अर यांक बान मि पश्चिम बंगाल कु उदाहरण दॆन्दु कि चूँकि बामपंथी राज्नैतिग्य भर्स्ट नीयत का नी छया त वुख विकास नि ह्वे। अब मि सामयिक गुदुलखोरूं (बुद्धिजीव्युं ) तरां घूसखोरी, भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार, मंहगाई , तैं विकास हेतु आवश्यक दवा माणदु। विकास हेतु भ्रष्ट समाज की वकालत करण  ही अब गुदुलखोर (बुद्धिजीवी) की पछ्याणक बणि गे।           

         

 


Copyright@ Bhishma Kukreti 28 /2/2013

Bhishma Kukreti

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गढ़वाली हास्य-व्यंग्य

सौज सौजम मजाक-मसखरी

हौंस इ हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा

 

          मंगलेश डबराल पुष्पेश पन्त,  और शेखर पाठक के फोन कौन टेप कर रहा है ?
 
             

                                        चबोड़्या-चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
 

(s =आधी अ )

 

  मेरि घरवळिन ब्वाल," नाक कटि गे हमर  सरा मुहल्लामा।"

मीन बोलि," अरे अचकाल बेटि खुलेआल गुंडों दगड़ बि भाजि जावो ना तबि बि नाक नि कटेंदि त फिर अब क्यांक बान हमर नाक कटे?"
 
 घरवळिन ब्वाल," नाक अब बेटी -ब्वारिs भजण से नि  कटदि।"

मीन पूछ, तो फिर व्हाइ क्या च कि बात नाक तलक पौञ्चि गे."

" तुमर क्या तुम त सुबेर सुबेर ऑफिस चलि जांदा। मुहल्लामा मान सम्मान को जबाब त मि तै इ दीण पोड़द कि ना?"घरवळिs जबाब छौ।
 
 मीन पूछ," ह्यां ह्वाई क्या च ? जु हमर मान सम्मान कम ह्वे ?"

" काम वळि बाइ बुलणि छे कि अचकाल स्टेटस सिम्बल बदली गेन।"  घरवळिs जबाब छौ।

मीन पूछ,"अब नया स्टेटस सिम्बल क्या ऐ गे।"
 
" अब सि प्रेस लगाण वळु बि मुख नि लगांदु" घरवळिs जबाब छौ।

मीन पूछ," प्रेस लगाण वळु मुख नि  लगांदु मतबल?"

" इख तलक कि अंडा बिचण वाळ, भुजि बिचण वळि, रद्दी अखबार अर टीन डब्बा खरीदण वाळ बि हमर दगड़ ब्यापार करणम शरमांदन।" घरवळिs जबाब छौ।
 
" कनो यूंक क्वी उधार-पगाळ बच्युं च जो इ हमर दगड़ ब्यापार नि करण चांदन?" म्यार सवाल छौ

 घरवळिs ऊतर छौ," तुम तैं क्या पता कि हमर फोन टेप नि होण से मुहल्लामा हमर कथगा बेज्जती हुणि च।"

मीन पूछ," फोन टेप नि होणु च मतबल ?"

घरवळिन बोलि," जब बिटेन लोगुं पता चौल कि भाजापाई नेतओं जन कि अरुण जेटली  अर भौत सा उद्योगपत्युं फोन टेप हूणा छन त अब जैक फोन टेप नि हूणा छन वूंकी सोसल वैल्यू खतम इ समझो।"
 
मीन बोल," मेरी समज मा कुछ नि आणु।"

वींन चिरडेक बोलि," तुमको पता है मंगलेश डबराल पुष्पेश पन्त, प्रभात डबराल और शेखर पाठक  के फोन भी  उनके विरोधी टेप कर  रहे हैं। उनकी भी जासूसी हो रही है। " (जब बि वा भावनात्मक रूप से चिरड्याँदि वा हिंदी म बोलदि).
 
मीन ब्वाल," मि तै क्या पता?"

मेरि घरवळिन ब्वाल," वै दिन एकाक जणण्वणिम वा अलका डबराल कथगा जोर से घमंड से सुनाणि छे बल वींक जिठा जी प्रभात डबराल को फोन बि टेप हूणु च। वैदिन सौब वींकि छ्वी सुणना छया।"
 
मीन ब्वाल," हां इखमा क्या च! प्रभात डबराल सूचना विभाग म बड़ो अधिकारी छन तो ऊंका भौत सा विरोधी बि जरूरी होला जो ऊं पर जासूसी करणा होला।"

 मेरि घरवळिन  तून दीन्द बोलि," पता च देहरादूनम अपण नौनो ब्यौमा मिसेज मंगलेश डबराल हरेक पौण तै सुणाणि छे बल 'सौरी हाँ ! मै आपको फोन पर पर्सनली इनवाइट नहीं कर सकी क्योंकि हमारे फोन की जासूसी हो रही है'।"
 
मीन बोल," हाँ ह्वे सकुद च। मंगलेश जी हवाई हिंदी का इथगा बड़ा कवि . अंगरेजी का आर्ट क्रिटिक त ऊंका बि बिंडी विरोधी  ह्वे सकदन अर वो विरोधी मंगलेश डबराल जी की जासूसी करणा होला।"

वीन चिरड़ेक ब्वाल," तुम बि हिंदीम लिखदा त तुमर बि क्वी ना क्वी विरोधी होंद।"
 
मीन बुलंण चाहि," ह्यां .."

घरवळिन तून दीन्द बोलि," पता च वैदिन नरेंद्र सिंह नेगी सम्मान समारोहमा मिसेज पुष्पेश पन्त बथांद नि थकणि छे कि पुष्पेश जीक फोन टेप हूणु च।"

 मीन समजाई," अचकाल टी. वी.  चैनलों म विशषज्ञों बीच बड़ी गळा-काट    प्रतियोगिता चलणी च त क्वि हैंको विशेषग्य पुष्पेश जीक जासूसी कराणु होलु।"

 घरवळिन  फिर से तून दीन्द बोलि," इख तलक कि मिसेज शेखर पाठक  मल्ला ताल को एक समारोह मा पाणि पिलाण वाळम बि बुलणि छे बल शेखर जीक फोन टेप होणु च।"

मीन ब्वाल," अरे शेखर जी सामाजिक कार्यकर्ता बि छन त ह्वे गे होलु क्वी विरोधी जो ऊंकी जासूसी करणु ह्वालु। अचकाल फोन -जासूसी भौत सौंग  अर सस्ती जि ह्वे गे।"

 घरवळिन चिरड़ेक ब्वाल," तो फिर हमारी जासूसी क्यों नही हो रही है? क्यों नही कोई हमारा फोन टेप कर रहा?"

मीन जबाब दे," अब मि  क्या बथौं बल हमर फोन किलै टेप नि होणा छन? छ क्या च मीम जो म्यार फोन टेप ह्वावो?"     

  घरवळिन आदेस दे "तुम इन कारो गृह मंत्री शिंदे तै चिठ्ठी ल्याखो कि हमर फोन किलै टेप नि हूणा छन ."

मीन बोल ," ह्यां गृह मंत्री खुण चिट्ठी यांकुण भिजे जांद  कि म्यार फोन टेप किलै होणु च ना कि हमर फोन किलै टेप नि हूणा छन"

  घरवळिन आदेस दे," अबि जावो अर कैं जासूसी कम्पनी कुणि ब्वालो कि हमर फोन टेप कारो।"

मीन ब्वाल," पण अपण फोन अफिक टेप कराण?"

वींको जबाब छौ," अब जब हमारी इथगा औकात नी च कि क्वी हमारो फोन टेप कारो तो मुहल्ला मा औकात  दिखाणो बाण अफिक अपण फोन टेप कराण इ पोड़ल। जावो अबी जावो .."

अर  कें   जासूसी कंपनी खोज मा छौं जो म्यार फोन टेप करी साको।   


           

 

Copyright@ Bhishma Kukreti 3 /3/2013

[सूचना यह लेख  काल्पनिक है ]

Bhishma Kukreti

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गढ़वाली हास्य-व्यंग्य

सौज सौजम मजाक-मसखरी

हौंस इ हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा


                                       दांत मंजाणो  कु  ब्रैंड लौं ?


                            चबोड़्या-चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
 

(s =आधी अ )


घरवळिन रुस्वड़ बिटेन धै लगैक ब्वाल।" सुणो! तुम दूध लीणों जाणा छंवां तो  जरा दुकान बिटेन 'अक्का' ब्रैंड को टूथ पेस्ट लै आवो! अक्का इ लैन हां। 'क्योंकि बहू  ने सास बनना है ' सीरियल  की खास बड़ी जवान बहू  अक्का  टूथ पेस्ट की ही वकालात करदी।

बेडरूम  बिटेन ब्वेकि धै सुण्याइ," नै नै ! अक्का टूथ पेस्ट ये घरम आयि त मीन आन जल छोड़ी दीण।  पता च 'क्योंकि बहू ने सास बनना है ' सीरियल की खास बड़ी जवान बहू बड़ी दुत्ति च वा त अपण सासु तै मुरिंड बिटेन धकल्याणै कथगा कोशिस करणी रौंदी। वीं दुत्ति भकलौण्युमा कतै नि आण। तू इन कौर दुक्का  टूथ पेस्ट लै आ। 'क्योंकि सास बहू को चैन नही लेने देगी ' की भिभड़ट्या सास की पहली पसंद 'दुक्का ' टूथ पाउडर च।   


वै इ  बेड रूम बिटेन अवाज दे," सूण! दुक्का  टूथ पेस्ट नि लै दुक्का टूथ पेस्टम हिल्दा दांतों तैं ठीक पकड़णै तागत नी च। तू इन कौर  'तिक्का' टूथ पेस्ट लै। 'ससुरजी की बहू' सीरियल को मुरदार  ससुर 'तिक्का'  टूथ पेस्ट से ही अपण नकली दांत मजांदो"

घरवळिन रुस्वड़क दरवजम ऐक ब्वाल," जो ये घरम 'दुक्का' पेस्ट आयि त मीन नास्ता क्या लंच बि नि बणान। याद च तुम तै कि कन 'क्योंकि सास बहू को चैन नही लेने देगी ' की भिभड़ट्या सास 'दुक्का' टूथ पेस्ट को विज्ञापन मा बुल्दि," यदि आप चाहते हैं कि आपकी अड़ियल से अड़ियल बहू आपके कब्जे में रहे तो सुबह शाम 'दुक्का' टूथ पाउडर प्रयोग करें।

मीन ब्वाल," तो बुबा जीक पसंदीदा 'तिक्का' टूथ पेस्ट लयों?

 उना ब्वेक आवाज आयि," ये बुड्या क त दिमाग खराब हुयुं च। अरे हमर घरम 'तिक्का' टूथ पेस्ट आलो त मेरि दगड्याणि मि तैं बुड्या समजण बिसे जाला। द्याख नि च टी वी मा 'तिक्का' टूथ पेस्ट को विज्ञापन - बूढ़े से बूढ़े दांतों की रक्षा करता है 'तिक्का " टूथ पेस्ट'"

बड़ो  नौनो अवाज आइ,' डैड! आज मेरी नई गर्ल फ्रेंड आणि च त 'चुम्मा अप' टूथ पेस्ट लयावो। वीं तैं वो ही छोरा पसंद छन जो ' चुम्मा -अप' पेस्ट प्रयोग करदन।

ब्वेक अवाज आइ।" हाँ 'चुम्मा -अप ' टूथ पेस्ट से मी तै क्वी ऐतराज नी च।"

बाबक आवाज आइ," ये ! जू म्यार दगड्यो तै पता चौलल बल तेरि दादि चुम्मा -अप' पेस्ट करदी त दगड्योन मै तै चिरडाण ,बुड्ढ़ी घोड़ी लाल लगाम'. ये घरम 'चुम्मा -अप' पेस्ट  आलो तो मीन फिर से सिगरेट पीण शुरू कौरि दीण"

कणसो नौनोन  धै लगाइ," पापा आज मेरि पुराणि गर्ल फ्रेंड आणि च अर वा वै इ नौनो दगड़ करदी जो 'लव बाइट' टूथ पेस्ट से दांत मंजांदन। आप 'लव बाइट' टूथ पेस्ट जरूर लैन "

मेरि घरवळीन बोलि," चलो  'लव बाइट' टूथ पेस्ट इ लै आवो। मेरी सहेली बुल्दन बल 'लव बाइट' टूथ पेस्ट जवान मानसिकता की निसानी च "

 बड़ो नौनन भैर ऐक ब्वाल," नो नो ! माइ दिस  न्यू गर्ल फ्रेंड हेट्स'लव बाइट' टूथ पेस्ट ."

 घरवळिन ब्वाल," ठीक च ! मेखुण 'अक्का' ब्रैंड को टूथ पेस्ट लै आवो"

ब्वेन आदेस दे।" मी तै त 'दुक्का' पेस्ट इ चयाणु च"

बुबाक बुलण छौ," तो फिर त मि तै केवल 'तिक्का' टूथ पेस्ट ला"

बड़ो नौनन धमकी दे," जु 'चुम्मा अप' टूथ पेस्ट नि आल त मीन कॉलेज जाण बंद करी दिण"

कणसु नौनोक अल्टिमेटम छौ," तो जु 'लव बाइट' टूथ पेस्ट नि आलो तो मीन औड़ि  औड़ि  कैक फेल ह्वे  जाण"

मी  दुकान बिटेन सब्युं कुण वूंकी पसंदै टूथ पेस्ट लैक औउं।

इथगा मा घरवळिन पूछ," दूध किलै नि लाया?"

मीन ब्वाल," या तो दूध प्यावो या अपण अपण पसंदीदा टूथ पेस्ट से दांत मंजावो"

सब्युंक एकी दगड़ आवाज आइ," हम तै अपण पसंदों टूथ पेस्ट चयाणों च ना कि दूध" 

                       

         

  Copyright@ Bhishma Kukreti 5 /3/2013

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गढ़वाली हास्य-व्यंग्य

सौज सौजम मजाक-मसखरी

हौंस इ हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा

 

                                बहुपति वाद के समर्थन  की आवश्यकता क्यो ?



 

                                चबोड़्या-चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
 

(s =आधी अ )

 

     अचकाल जखि जावो तखि आर्थिक मंदी, रिसेसन की इ छ्वीं लगणा छन। वैदिन वैको नौनु गुणछ लग अर भौत देर तलक रूणु रयो। मीन नौनो बुबा तै पूछ भै ये नौनु तै चुप करावो। नौनो बुबाक जबाब छौ बल यीं मंदी की भंयकर मारम कनै चुप करौं। यू  विदेशी चौकलेटs बान रुणु च जब आर्थिक स्तिथि उच्छाला पर छे त हमन ये  तै विदेशी चौकलेट पर ढबै दे अर अब मंदी की मारमा मि विदेशी चौकलेट मुल्याण (खरीदण) लैक नि छौं। 

     आर्थिक मंदी की मार का कुछ चिन्ह छन जन कि द्रोणाचार्य अपण नौनु अश्वथामा तै दूधो जगा  चूनो पाणि पिलान्दो छौ तो वांको अर्थ च महाभारत का वै ख़ास समौ पर आर्थिक मंदी को जोर छौ। मनमोहन सिंह जी अर पी चिदम्बर जी तै महाभारत पड़ण चयेंद बल कनै वै काल मा आर्थिक मंदी खतम ह्वे।उन त भाजापा वळुन  त बुलण बल जब पांडु की जगा धृतराष्ट्र हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठ तबी उख आर्थिक मंदी खतम ह्वे।

     जब क्वी पैल कुत्ता पळण शान समझदो ह्वावो अर अब कुत्ता इलै बिचणु  ह्वावो बल कुत्तों से मनिखों पर कथगा इ बीमारी  ह्वे जांदन तो समझि ल्यावो आर्थिक मंदी चलणि च।

       जब क्वी पैल हर दिन अलग अलग ब्रैंड की कारमा ऑफिस जावो अर अब मुहल्ला मा संजैत/सामुहिक कार पूल की बात कारो तो समजी ल्यावो आर्थिक मंदी मातबर लोगुं तै बि सताणि  च।

  जब क्वी  दाड़ि बणाणो रोज हेयर कटिंग सलून जांदो ह्वावो अर अब अफिक दाड़ी बणावो अर अपण काम अफिक करणों भाषण दीणु रावो त समजी ल्यावो जिलामा आर्थिक मंदी को हज्या फैल्युं च।

   जब कैं कंपनी को मालिक या  डाइरेक्टर हवाई जाज छोड़िक अपण मुलाजिमो दगड़ रेल से यात्रा कारो त समजी ल्यावो प्रदेसम आर्थिक मंदी को मैस्वाग लग्युं च।

    जब गां मा पैल क्वी खाणा खाणों  बाद दस दें जोर की डन्कार मारदो ह्वावो अर अचकाल  खाणा खाणों बाद मुख चुर्याणु ह्वावो तो समजी ल्यावो देसम ग्रामीण आर्थिक मंदी को बथौं चलणु च।

     जब गां मा पैल क्वी कुत्ता तै खाणों खाणों बान  भट्यान्द दै जोर से धै लगांदो ह्वावो ," ये टौमी आ भात खाणों आ" अर  अचकाल चुपकैक कुत्ता तै बासि  तिबासि खाणक खलावो त इखमा समजण चयेंद कि ग्रामीण आर्थिक मंदी की मार चलणी च।

 पैल जब क्वी ऑफिसम ऐक कोंटीनेंटल ब्रेक फास्ट का फायदा  बथांद नि अघावो अर अब भारतीय  नास्ता की भरपूर प्रशंसा करदो दिख्यावो तो इखम  द्वी राय नि ह्वे सकदन  कि मंदी को चक्रवात चलणु च।

    जब क्वी बीड़ी सुट्टा लगांद दें बीड़ी  बांटी पीणों बात करदो दिख्यावो तो समजि ल्यावो देसम आर्थिक मंदी को प्रवेश ह्वे गे।

    जब क्वी अपण नौनी-नौनु तै कोचिंग क्लास भिजणो जगा अफु पढ़ाण बिसे जावो त समजि ल्यावो शिक्षा व्यापार मा बि मंदी को ब्लैक बोर्ड ऐ  गे।

   जब जादातर लोग अखबार बंचणो पुस्तकालय जावन तो समजी ल्यावो आर्थिक मंदी को बुखार उतरणम देर च।

जब नौनि या जनानि कृतिरिम सुन्दरता की ना प्राकृतिक सुन्दरता की प्रशंसा करण बिसे जावन तो शर्तिया आर्थिक मंदी को प्रकोप देस पर फैल्युं च।

जब देसम सांझा चुल्हा का इतिहास पर बहस हूण लगि जावो तो समजि ल्यावो आर्थिक मंदी की तैंची असहनीय ह्वे गे।

 जब भारत जन देसम विचारक , पत्रकार , नेता एक पतिवाद की बुराई अर बहुपति वाद का फायदा खुज्याण बिसे जावन तो  समजि ल्यावो अमेरिका अर यूरोपमा आर्थिक मंदी अवश्य ही खतरनाक स्तिथि मा च।   

   

 

 

Copyright@ Bhishma Kukreti 6 /3/2013

 

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गढ़वाली हास्य-व्यंग्य

सौज सौजम मजाक-मसखरी

हौंस इ हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा

 

                                     महेंद्र सिंग   धोनीन क्लार्क मा  क्या ब्वाल ?
 
 

                                                      चबोड़्या-चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
 

(s =आधी अ )
 
 

" हेलो ! धोनी ! मि ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट कैप्टेन क्लार्क बुलणु छौं।"

 " ओ गुड इवनिंग क्लार्क! यो तेरि आवाज तै क्या ह्वाइ? इन लगणु जन बुल्यां तु बीमार ह्वे गे।"
 
" अरे अबि अबि मीन नेट पर ऑस्ट्रेलियन अखबार पढ़ी।"

" अर अखबार पौढिक  त्यार ज्यु बुल्याणु होलु कि अब्याक अबि क्रिकेट कैप्टेंसी ही ना क्रिकेट खिलण इ छोड़ि द्युं।"

" हाँ भै! धोनी !म्यार ज्यू बुल्याणु च ....। अरे हेराल्ड सन अखबारौ पत्रकारन लेखि कि आज ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट की मौत ह्वे गे। अब इन मा कै बि ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटरक ज्यू क्रिकेट मा कनकै लगि सकुद?"
 
' हां हूंद च। जब मेरि टीम ऑस्ट्रेलियाम हारि तो इन्डियन प्रेसन बि इनि कुछ लेखि छौ। वै बगत म्यार बि ज्यू बुल्याइ बल क्रिकेट छोड़ि ' मलाया की शराब  की एजेंसी ले ल्यूं। अर अब यी अखबारनबीस बुलणा छन बल धोनी जन कैप्टेन आज तलक यीं दुन्याम पैदा इ नि ह्वे।"
 
" ये  धोनी ! पता च जौन कबि क्लब क्रिकेट नि ख्याल वो लिखणा छन कि मि तैं  अर वाटसन या वार्नर तैं स्पिन कन खिलण चयेंद। कन ऑफ स्पिन तैं स्पिन होण से पैलि इ खिलण चयेंद "

" हां भै क्लार्क! इनि होंद जब मेरि टीम तुम ऑस्ट्रेलियन टीम से हारि छे त जौंन गिल्लि डंडा तक नि ख्याल वो हम तै अखबार से नसीहत दीणा छया बल फास्ट बौल कन खिलण, उछ्ल्दि गिंदी पर मिडल बैट कनो अडाण अर बाउंसर पर हुक कनो मारण।"
 
 " अर हाँ धोनी! यू नो ! जौन भारत कबि नि द्याख, जौन कबि नि द्याख कि मार्चम हैदराबादम कनि गरमी, तैंची अर उमस होंद वो लिखणा छन बल म्यार फास्ट बौलर पैटीनसन तै डेढ़ सौ किलोमीटर प्रति घंटा रफ्तार से गिंदी चुलाण चयेंद।"
 
  " क्लार्क ! हूंद च। जब मेरी टीम ऑस्ट्रेलियाम हारणि छे त इन्डियन मीडिया भारतीय पाठकों तैं सिखाणों छौ कि ऑस्ट्रेलिया की आबो हवा मा कन खिलण चयेंद।"

 " धोनी !पता च एक ऑस्ट्रेलियाई अखबारन ल्याख कि  ऑस्ट्रेलियाई टीम म कुरकरा बिस्किट जन बि जान नी च।"

" हूंद च हूंद च ! रे क्लार्क ! जब मेरि टीम ऑस्ट्रेलियाम हारणि छे तो कथगा इ नौसिखिया पत्रकारुन ल्याख बल भारतीय टीम बालू का टीला है जो एक फास्ट गेंद से ढह जाती है।अर अब वो ही पत्रकार लिखणा छन बल भारतीय क्रिकेट टीम चीन की दीवार है जिसे भेदना किसी के बस में नही है। " 

" धोनी ! गजब त तब ह्वाइ जब एक पत्रकार लिखणु च बल क्लार्क ऑस्ट्रेलियन टीम की फिकर से जादा विज्ञापन की फिकर मा लग्युं रौंद।"

 " ओहो क्लार्क ! यो इ होंद जब मेरि टीम ऑस्ट्रेलिया से हरणि छे तों पत्रकार लिखणा छा बल चूंकि धोनी को ध्यान विज्ञापन बटोळण पर हि रौंद ना कि इन्डियन क्रिकेट टीम तै समाळणम तो भारतीय टीम हरणि च ।"


  " धोनी ! हद त या च बल कथगा इ कमेंटेटर  बुलणा छन बल ऑस्ट्रेलियाई टीम मा एका नी च , यूनिटी की भारी कमी च।"

" क्लार्क ! रुणै जरूरत नी च जब टीम हार्दि च तो लोगुं तै तागत मा बि  कमजोरी दिखेंद।" 

 

 

 " यां  हे धोनी ! कथगा इ पुराणा क्रिकेटर लिखणा छन बल क्लार्क मा कैप्टेंसी का एक बि गुण नि छन अर मेरि निर्णय शक्ति पर शक करणा छन।"         

 

  " अरे क्लार्क भुला! वो इनि होंद। जब मेरि टीम ऑस्ट्रेलियाम हारी छे तो कथगा इ पत्रकार अर मोहिन्दर अमरनाथ अर वैक दिल्ली का दगड्या जन कि  कीर्ति आजाद, अशोक मल्होत्रा जनोंन बोलि बल महेंद्र सिंह धोनी तै कैप्टेंसी छोड़ि दीण चयेंद।"


 " यार धोनी !  इन मा कैप्टेंसी कनै करे जावो?"

" डियर क्लार्क ! म्यार त एकी सिद्धांत च  बल   आज हार तो भोळ जीत बि होलि  ही।"

     
 
 

 

 

 

 Copyright@ Bhishma Kukreti 7 /3/2013

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Let Me Also Distribute Cinema Awards
                            A Satire by Bhishma Kukreti

 [Satire on Film/Cinema Awards; Satire by Garhwali writer on Film/Cinema Awards;Satire by Uttarakhandi  writer on Film/Cinema Awards;Satire by migrated Uttarakhandi writer on Film/Cinema Awards;Satire by migrated Garhwali  writer on Film/Cinema Awards;Satire by Mid Himalyan   writer on Film/Cinema Awards;Satire by Himalayan writer on Film/Cinema Awards;Satire by North Indian  writer on Film/Cinema Awards;Satire by Indian writer on Film/Cinema Awards;Satire by South Asian  writer on Film/Cinema Awards;Satire by Asian   writer on Film/Cinema Awards;Satire by Oriental writer on Film/Cinema Awards]

My Uttarakhandi friend who is staying in the highest most tower of Mumbai was telling me , “Bhishm ! Now I am tired of distributing a bundle of pencils, a few note books to a few poor students in social functions of Uttarakhandi organizations.”
 
I said , “ Yeh! It is computer era”

Without any pause he cried,” Oh ! No I am not thinking to help Uttarakhandi students by distributing them computers.”

“ Oh! I thought that ..” I answered

“ Now I am thinking that the social organizations should distribute Uttarakhandi Cine awards” he said

I supported his views and said,” Yes! For last twenty years after Jagwal released , our social organizations were ignoring cine artists, cine workers of Uttarakhand film, audio industry “

“ From your youth, you are always silly in thinking. “ he shouted on me

“ But you only told ..” I argued

He made me understand,” He Lata (dull or fool) by birth , Bhisham ! I am not talking to give recognition to the cine artists”

Confusingly I asked, “ But I think the award distribution means offering Uttarakhandi Cine Artists their dues of recognition”

He explained whisperingly,” I am not saying that the cine artists get due recognition and respects . I mean I should also distribute cine awards .”

I was more confused

He cleared , "See! In Delhi and north, Purnendu Chauhan, Vipin panwar, Vivel Patwal, Manu , Chandrkant Negi, Neerakj Rawat will get good name after YU Cine Awards . Here in Mumbai, Rajeshwar Uniyal , Raman Kukreti, Raturi Ji Maharaj , Mahipal singh Negi, Dinesh Bisht and company will create very good image when Uttaranchal Vichar Manch concludes the Cine Awards . I am sure , after two awards, every Uttarakhandi social organization will run for organizing Cine Awards “
 
He paused for my support and I supported him by not asking question.

He said, “ It means there will be “Cine Award Ka Mausam” and I should also take benefit of this Cine Award mausam “

I wanted to listen more from him . He said,” what you do , post a press release that I shall be distributing Uttarakhandi Awards in the function.”

I watched his enthusiasm .

He said, “ Send press release at least in fifty newspapers of Uttarakhand that I am distributing Cine awards”

I asked, “ Which is the social organization ?”

"Kisee ko bhi pata lenge “ he explained

I asked ,” What will be venue of Award Ceremony ?”

He told,” Don’t worry”

I asked, “ What will be date?”
 
He said,” It does not matter.”

I was trying to understand,”

He said ,” Just you send the press release that I shall distribute the Uttarakhandi Cine Awards in a function of a very famous Uttarakhandi social organization. I want that before other social workers release their press release I should get fame because of Cine Award Mausam”

He explained again,” isko kahte Hain bahti ganga men Hat dhona “



Copyright@ Bhishma Kukreti
-- [This write was written on 6/4/2010]

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गढ़वाली हास्य-व्यंग्य

सौज सौजम मजाक-मसखरी 

हौंस इ हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा

 

                                  यु राजा भैया  क्वा च ?

 

                                 चबोड़्या-चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
 

(s =आधी अ )
 
  अचकाल मीडिया मा राजा भैया  को नाम की छ्वीं ख़ूब हूणि छन। पण फिर बि कथगा इ लोग पुछणा रौंदन बल यो राजा भया को च ?

असलम राजा भैया  एक व्यक्ति नी च। राजा भैया  त एक चरित्र च, एक विशेषण को नाम च , एक गुण च, एक खासियत को नाम राजा भैया च।

राजा भैया सावन्तवाद की एक अभेद्य कुलाड़ी च जु   जो खुले आम  से  प्रजातंत्र तै काटणु च 

  राजा भैया प्रजातंत्र पर लग्युं एक बदनुमा दाग च, धब्बा च जो बतान्दो प्रजातंत्र कथगा मैलो ह्वे गे।

 राजा भैया इन अमर चरित्र च जै पर अंकार (क्रोध में दी गयी बददुवा) को कुछ असर नि होंद।
 
राजा भैया अंगर्याळ (बर्रा) च जो नियमों तै  तड़कांदो नी च बलकणम नियमों की धज्जी उड़ान्दो।

राजा भैया अंग्यार (विषैला पेड़ ) च जो आज प्रजातंत्र रुपी जंगल मा फैल्युं च । 

राजा भैया अंदाचन्दी (उलझन, अधेड़बुन) को नाम च कि क्या राजा भैया अर वैका सरपरस्त जन कि मुलायम सिंह सचमुच मा प्रजातंत्र का रक्षक या खेत्रपाल छन?
 
राजा भैया प्रजातंत्र पर पड्युं अंस्याळि (घाव पर पड़े छोटे कीड़े) च जो प्रजातंत्र तै दर्द दीन्दो।

 राजा भैया नेताओं की अकमोड़्या (घमंडी ) वृति को नाम च जो प्रजातंत्र तै अपण हिसाब से अपण फैदा बाण मुड़णा छन।
 
  राजा भैया अफखवा अर अकाळि (अधिक खाने वाला) को नाम च।           

 राजा भैया अकुळु (ओछा) को नाम च।

राजा भैया का काम अकुळयाट (क्षुद्र ) का छ्न।

राजा भैया नाम को अर्थ  हूंद छकटो (मौकापरस्त), छकटणों (ठग )।
 
 राजा भैया नाम माने प्रजातंत्र का समणि छिंजरोळु (अड़चन) ।

  राजा भैया  प्रजातंत्र का एक  जखम को ही नाम च।

 राजा भैया दूसरो हक्क जोर ,जबरदस्ती  से हथ्याणो गुण को नाम च।

 राजा भैया का कोंडा माँ कर्या काम प्रजातंत्र पर झपकताळ च।

 राजा भैया माने सच तैं झुट्याण अर झूट तै सच साबित करण।

राजा भैया माने प्रजातंत्र पर एक डाम।

 राजा भैया मने प्रजातंत्र तै  ढ़ांटण (ठगना) ।

राजा भैया जन राजनीतिज्ञों से जनता मा ताड़ीफाड़ी (वेचैनी) तो हुन्दि च पण कौरि कुछ नि सकदी।

 राजा भैया प्रजातांत्रिक मूल्योंमा आयुं  ओछापन  की निशाणी च।

राजा भैया ढुढ्यार (खोखली) होन्दि राजनीति को नाम च।

 राजा भैया अपराधजगत अर राजनीति को मिळवाको नाम च।

  राजा भैया न्यायिक व्यवस्था न्याय दीणम  देरी को नाम च।

राजा भैया माने वोटरों समणी दैंत अर राक्षस मादे एक तै विधान सभा या संसद म भिजणो नाम च।

राजा भैया अपराध्युं द्वारा प्रजातंत्र पर एक चमकताळ, धमकताळ, घमकताळ , खैड़ा लगाण  को नाम  च।     

 

Copyright @ Bhishma Kukreti 10 /3/2013

 

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गढ़वाली हास्य-व्यंग्य

सौज सौजम मजाक-मसखरी 

हौंस इ हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा

 

                              बजरंग दल की चेतावनी  -वलेंटाइन डे क जगा लवर डे नि मनाण दिए जालि 

 

                                चबोड़्या-चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती

(s =आधी अ )

 

 गढ़वार्ता (१० फरवरी  २०७५, देहरादून, पीटीआई   )---

 

            बजरंग दल का देहरादून का प्रधान  मदन कौशलन  देहरादून का घंटाघरम एक आम सभा मा चेतावनी द्यायि बल हम हिन्दू  समाजम अपसंस्कृति कतै बर्दास्त नि करला अर जो भी लोग पन्दरा फरवरी कुणि 'लवर्स  डे' माणालो बजरंग दल वूंको खुले आम विरोध कारल। मदन  कौशलन अपण गरमागरम भाषण मा  भारतीय लोक संस्कृति मा  गिरावट पर चिंता व्यक्त करदा  ब्वाल  हिन्दू समाज लोक त्यौहार 'वेलेंटाइन डे' तै छोड़िक  अमेरिका को त्यौहार 'लवर्स डे' मनाण मिसे गेन जो देस अर समाज का वास्ता बड़ो खरनाक अर हानिकारक च।मदन  कौशलन  गुस्सा अर रोस भरे शब्दों मा  उत्तराखंड पुलिस अर पटवार्युं  तै आगाह कार यदि उत्तराखंडम पन्दरा फरवरी कुणि 'लवर्स डे ' मनाणो'  सार्वजनिक पार्क अर बगीचा खोले जाला तो बजरंग दल का कार्यकर्ता विरोध कारल अर यां से  यदि क़ानून व्यवस्था बिगड़लि तो सरकार ही जुमेवार होलि। ये मौक़ा पर 'लवर्स डे' का कार्ड्स फुके गेन  अर 'लवर्स डे' का विरोध मा नारा बि लगिन। बजरंग दल अर अन्य धार्मिक संस्था 'लवर्स डे' प्रचलन तै रुकणो बाण वेलेंटाइन डे का खूब प्रचार प्रसार करणा छन। नरेंद्र सिंह नेगी (जूनियर ) अर गोपाल बाबू गोस्वामी (जूनियर ) का 'वेलेंटाइन डे ' का ऐल्बम पिछ्ला दस साल से क्वी खरीदणों तैयार नी च जब कि गजेन्द्र राणा (जूनियर ) अर फौजी पांडे (जूनियर ) का 'लवर्स डे' का बीसियों कैसेट की मांग दिनों दिन बढ़णि च। नरेंद्र सिंह नेगी (जूनियर ) अर गोपाल बाबू गोस्वामी (जूनियर)  दुयुंन अपसंस्कृति का गानों को प्रचलन पर चिंता व्यक्त करी। बजरंग दलन एक निर्णय ल्यायि बल नरेंद्र सिंह नेगी (जूनियर ) अर गोपाल बाबू गोस्वामी (जूनियर ) का 'वेलेंटाइन डे ' का ऐल्बम पहाड़ों अर मैदानों मा घर घर मुफ्त मा बाँटे जाला अर भारतीय लोक संस्कृति को प्रतीक  'वेलेंटाइन डे ' तैं कै बि कौरिक ज़िंदा रखे जालो। जगह जगह बजरंग दल का कार्यकर्ता 'वेलेंटाइन डे ' का दिन प्रेमी-प्रेमिकाओं अर जौन घर से भागिक शादी कार वूंको सार्वजनिक सभाओं मा सम्मान कारलि। मनोज कौशलन सभी लोगों तै आवाहन कार कि श्रधा भक्ति से 'वेलेंटाइन डे'  मनायें                       

 

   शिव सेना 'वेलेंटाइन डे' का कार्ड मोफत मा बांटलि ----

सांध्य मुंबई टाइम्स ( १० फरवरी २०७५, अपणों सम्वाददाता)- शिव सेना भारतीय लोक संस्कृति मा  विदेसी संकृति जन कि  'लवर्स डे सेलिब्रेसन' के प्रवेस से अत्यंत चिंतित छ। शिव सेना का नेता खंडोबा बाघमारेन सम्वाददाताओं से बचऴयांद बोलि बल लोग 'वेलेंटाइन डे' जन त्यौहार की अवहेलना कौरिक विदेसी 'लवर्स डे' मनाणा छन। शिव सेना महाराष्ट्रम 'वेलेंटाइन डे' तै संरक्षित करणों बाण हरेक महाराष्ट्रियन तै  'वेलेंटाइन डे' का पांच पांच कार्ड मुफ्त द्याली। अर बाघमारेन यी बि ब्वाल कि महाराष्ट्र मा 'लवर्स डे' का एक बि कार्ड नि बिचण दिए जाला। पुलिस सूत्रोंन बथाइ बल 'लवर्स डे' पर क़ानून व्यवस्था का वास्ता पी.ए. सी . की कई अतिरिक्त टुकड़ियां मुंबई अर पूना जन शहरों मा तैनात करे गेन।


एक धार्मिक दलन गर्ल्स कौलेज का समणी 'लवर्स डे का विरोध मा धरना दे --


मंगलोर टाइम्स (मंगलोर , १ ६ फरवरी)- एक  गैर हिन्दू संगठन का कार्यकर्ताओंन 'लवर्स डे' का विरोधमा स्थानीय गर्ल्स कॉलेज का समणी धरना दे। संगठन का नेताओंन खेद जताई कि जवान नौनी अपण संस्कृति 'वेलेंटाइन डे' मनाण छोड़िक विदेसी संस्कृति पर चिपकणा छन   '  कार्यकर्ताओं न 'लवर्स डे' कप प्रतीक चिन्ह हृदय को पुतला फूकी।


 हैदराबादम  'लवर्स डे' का दिन सार्वजनिक पार्क बंद करे गेन  ---       

 

 इनाडू ( हैदराबाद, १६ फरवरी) कानों व्यवस्था का ख्याल रखदा हैदराबाद की पुलिसन 'लवर्स डे ' का दिन सभी सार्वजनिक पार्क बंद रखिन जां से पार्कों मा प्रेमी-प्रेमिका नि ऐ साकन।होटलों खासकर जख डांस अर म्यूजिक को प्रोग्रैम छौ वख पुलिस को भारी बन्दोबस्त छौ। पुलिस कमिश्नर न बोलि कि 'लवर्स डे' को दिन छिट पुट घटना छोड़िक वातावरण शांत राई। ज्ञात हो कि ऐतियात का तौर पर 'लवर्स डे' को  एक दिन पैलि  पुलिसन 'लवर्स डे' विरोधी संगठनो नेताओं तै बंद करी दे छौ।

           

 

 देहरादून , रन्त रैबार गढवाली दैनिक (१६ फरवरी २०७५ ) की एक खबर जै  पर कैकि नजर नि गे-----

स्वामी नवअग्निवेश न एक इंटरव्यू मा बोली बल यी धार्मिक संगठन का नेताओं की समझ माँ संस्कृति क बारा म गलत धारणा छन। यी धार्मिक संगठन समझदन कि जन बुल्यां संस्कृति एक तालाब ह्वावो जब कि संस्कृति एक बगदी नदी होंद  जखमा  रोज बदलाव हूणु रौंद। स्वामी अग्निवेशन उदाहरण  दे बल जन कि हिन्दुओं सुहाग की निसाणि भारतमा सतरहवीं सदी मा भारत आयि। इनि वेलेंटाइन डे बि भारतीय संस्कृति को अंग नि छौ पण आज सन  २०७५मा भारतीय संस्कृति को प्रतीक माने जांद।     

 

 Copyright @ Bhishma Kukreti 11 /3/2013

Bhishma Kukreti

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गढ़वाली हास्य-व्यंग्य

सौज सौजम मजाक-मसखरी 

हौंस इ हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा



                                                     गढ़वळि  संस्कृति दर्शन



                                                       चबोड़्या-चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ )   



मास्टर जी - तो बच्चो! अपण स्कूलों नाम बथावो!

स्कुल्या- सर ! हमर स्कूलों नाम न्यू  व्हार्टनी स्कूल, न्यू जर्सी ,  यूनाइटेड स्टेट्स औफ़ अमेरिका च।

मास्टर जी - भलो भलो ! तो बथावो आज क्या दिन च?

स्कुल्या- आज शुकार  च 

मास्टर जी- अर शुकारो कुण दुफरा  परांत हम लोग क्या करदां?

स्कुल्या- आज हम एकैक कौरिक अपण नेटिव प्लेस याने पैत्रिक अर मात्रि भूमि  का बाराम एक हैंको तैं बथौंदा।

मास्टर जी - किलै?

स्कुल्या -जां से हम तैं दुन्या का भौं भौं जगाक भूगोल अर संस्कृतिs बारम सही जानकारी मिल जावो।

मस्टर जी-  भलो ! भलो !  हाँ तो आज अपण मात्रि  भूमि  को बारामा बथाणो कैकि पांति (बारी ) च ?

 एक स्कुल्या  - जी मेरो।

मास्टर जी - तेरो नाम क्या च।

स्कुल्या - जी  रितेश गढ़वाली।

सबि स्कुल्या - तैकुण  प्यार से हम तै   रीठु बुल्दां

मास्टर जी - तो रीठू ! तेरी मातृभूमि नाम क्या च?

 रीठु - जी गढ़वाल, हिमालय , इंडिया

मास्टर जी -तो बथा तुमर इख  क्या क्या हूंद।

 रीठु- जी हमर इख कुछ नी हूंद बस  हिसर, काफळ , किनगोड़ा, बेडू , तिमल, बंजण . बंजणो ठंडो ठंडो पाणि, क्या-कुंळै बग्वान।

मास्टर जी - दैट्स इंट्रेस्टिंग। अग्वाड़ी

  रीठु -फ्युंळि बि होंद  पर या जवान होणि रौन्दि होणि रौन्दि ।   

मास्टर जी- अच्छा ! फ्युंळि जवान बि होंदी

 रीठु - जी अर फिर वा कै जवान छ्वारा दगड़ , प्यार करदी अर द्वी आड़ा तिरछा कुज्याण कै भौणम पहाड़ोम गाड गदनोम   नाचणी रौन्दि।उख हरेक को काम प्रेम करण च अर पहाड़ोंम नाचण -गाण इ च।

मास्टर जी - जरा गढ़वाळs   सोसल लाइफ़  का बाराम बथादी

 रीठु- जी उख  सौब पलायन का रूण रूंदन अर काम क्वी नि करदो।कबि कबि क्वी जनानी पाणी बंठा उठैक लान्दि 

मास्टर जी -दैट्स इंट्रेस्टिंग। हौर!

  रीठु - उख डाकु घवाड़ाम बैठिक डाका डाऴदन अर पुलिस त ना पर फ्युंळि प्रेमी डाकुओं नाश करदो।

मास्टर जी - वोह ! उख अर डाकु ?

रीठु - जी हाँ वो लोग पहाड़ी रास्तों पर घवाड़ा इन भगांदन जन मेरो बुबा जी इख मर्सडीज भगांदन।

मास्टर जी - सोसाइटी बाराम कुछ हौरि जानकारी?

 रीठु -जी उख  गढ़वालम लोगुं तैं हंसाणो बान  भौं अलग इ जात होंदि।

  मास्टर जी - अच्छा ! 

रीठु - हाँ जी यी लोग उल जलूल हरकत कौरिक . दारु पेकि, कैकि चोरि कौरिक लोगुं तै हंसाणो कोशिस करदन पण लोग छन कि हंसदी नि छन।

मास्टर जी - या क्वा जात च?

  रीठु - जी क्वी यूं तैं  कॉमेडियन बुल्दो त क्वी हास्य कलाकार।

मास्टर जी - अच्छा ! उख समाज मा शान्ति ही रौन्दि बुरा लोग नि होंदन?

रीठु -जी हमर गढ़वालमा गब्बर सिंग, लाला, मोगेम्बो, मोना  डार्लिंग को बौस जन बुरा लोग समाज का बुरा लोग होंदन यी लोग भौत इ बुरा होंदन।

मास्टर जी - अर तुमर गढवाल की संस्कृति?

 रीठु - जी ब्वाल च कि ना बेबगत गाणा गाण अर कैं बि भौणम नचण।

मास्टर जी - रीतेस अलाइस रीठु ! तू कबि गढ़वाल बि गे , कबि पहाड़ बि गे?

रीठु - ना मास्टर  जी! मि कबि गढ़वाल नि ग्यों। हां अपुण ब्वे बुबों दगड़ हिमाचल प्रदेश,  कश्मीर , ऊटी जन पहाड़ी जगों मा जरूर ग्यों।

मास्टर जी- तेरा  पैरेंट्स त्वै तैं गढ़वाल किलै नि लीगेन?

 रीठु - जी म्यार बुबा जी बुल्दन बल म्यार  ददा जी भौत साल पैल दिल्ली ऐ छया अर म्यार बुबा जीन गाँव कबि नि देखि। बुबा जी बुल्दन बल उख हमर गां मा हमर पैत्रिक कूड़ खंद्वार  ह्वे गे होला त उख जैक क्या करण?

मास्टर जी -रितेस गढ़वाली ! त्वे तैं गढ़वाल की या जानकारी  कखन मील ?

 रीठु - जी  गढ़वाली फिल्म अर गढ़वाली म्यूजिक ऐल्बमुं से मि तैं गढ़वाल का बाराम या जानकारी मील।

मास्टर जी -बच्चो तुमन रितेस गढ़वाली की बातों क्या अर्थ निकाळ?

एक बच्चा - कि रीठु तैं अपण नेटिव प्लेस का बारम कुछ नि पता।

दुसर बच्चा- कि  रीठुन जो बि ब्वाल वो सब झूट च कोइ बि फिल्मों से अपण समाज, संस्कृति का बाराम सही जानकारी हासिल नि कौर सकुद।

मास्टर जी - अर अपण संस्कृति कु बाराम ज्ञान कु दे सकुद?

सबि बच्चा- संस्कृति ज्ञान दीणै जुमेवारी पेरेंट्स की होंदी ना कि फिल्मों की ।   

     

 


Copyright @ Bhishma Kukreti 12 /3/2013

 

 

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