Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 359179 times)

Bhishma Kukreti

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गढ़वाली हास्य-व्यंग्य

सौज सौजम मजाक-मसखरी 

हौंस इ हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा

 

                                     सामजिक कार्यकर्ता  की निसाणि 

 

 

                                       चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )

 

- गुरु अब तुमारो  इ  सहारा च।

-हैं ! पण त्य्रा त ब्वे बाब बच्यां छन।

-ना ना उन सारो मतबल नि च।

-तो ?

-मि एक गढ़वाळि सामाजिक कार्यकर्ता बणन चाणो छौं।

- पैल त सुण अब गढ़वळि सामाजिक कार्यकर्ता को रिवाज खतम ह्वे गे। अब जु तु बोललि कि तू गढ़वळि सामाजिक कार्यकर्ता छे त लोगुन  समजण तू नॉन सेकुलर आदिम छे।

-त ?

-अब उत्तराखंडी सामजिक कार्यकर्ताओं जमाना च।

-चलो ठीक च। गुरु !त मि तैं उत्तराखंडी सामाजिक  कार्यकर्ता बणणो गुर सिखावो

-  त पैल एक लेटर हेड छाप।

-पण सामाजिक  कार्यकर्ता अर लेटर हेड को क्या सम्बन्ध?

-जब तलक तीम अपण  क्वी संस्था नी ह्वावो त्वै तैं कैन उत्तराखंडी सामाजिक कार्यकर्ता नि बुलण।

-तो मि तैं पैल अपणि संस्था बणाण पोड़ल?

-  हां पण वांकुण पैल संस्था को नाम का लेटर हेड छापण पोड़ल

-संस्था पैल बणाण कि लेटर हेड पैल  छपाण?

-लेटर हेड पैल। संस्था त बणदि रालि।

-लेटर हेड छापिक क्या करण?

-  लेटर हेड छापिक पैलो काम क्या करण?

-उत्तराखंड का स्थानीय अखबारों मा खबर छपवाण कि मुंबई मा उत्तराखंड विकास का वास्ता एक हैंकि संस्था को जन्म ह्वे गे।

-पण जब संस्था नि बौण तो खबर कनकै छपवाण?

-संस्था बाद मा बणदि अर  खबर   पैलि। यो हि उत्तराखंडी सामाजिक अर सांस्कृतिक सामाजिक कार्यकर्ताओं को सासत्व नियम च।

- खबर मा क्या छपाण?

-खबर मा  छपवाण कि नव गठित फलां उत्तराखंडी सामाजिक संस्था खतम हुन्दि संस्कृति, भाषा बचाणो बान अर उत्तराखंड से पलायन रोकणों बान कृत संकल्प च।

-फिर?

-फिर इनि तेन चार दें स्थानीय अखबारों मा खबर आण चयांद कि तेरि संस्था संस्कृति, भाषा बचाणो अर   उत्तराखंड से पलायन रोकणों बान चिंतित च।

- और कुछ ?

-हां अजकाल फेस बुक को समौ बि तो संस्था नामौ एक अकाउंट खोलि दे अर सुबर शायम गुड मौर्निंग गुड नाईट की पोस्टिंग करदा जा।

-पहाड़ों का स्थानीय अखबारोंम  खबर छपाण अर फेस बुकम अकाउंट खुलण से क्या ह्वाल?

-   अरे सामाजिक कार्यकर्ता संसारम बात फैलि जालि तो सामाजिक संस्था त्वै तैं अपण कार्यकर्मों मा  बुलाला अर तू बगैर गयेळि कर्याँ यूं कार्यकर्मों मा शामिल हूंद जा।

- फिर?

-फिर क्या जब तू संस्थाओं कार्यकर्मोंम  रेगुलरली जाणु रैल तो फिर तू स्वत: ही सामाजिक कार्य करता माने  जैलि।

-  पण गुरु जी मि त  सचेकि सामाजिक कार्यकर्ता बणन चाणु छौं।

-हैं ! अछेकि सामाजिक कार्यकर्ता?

-हां! अछेकि सामाजिक कार्यकर्ता।

-तो भये ! कै अछेकि गुरु मा जा. मि त नकली सामजिक कार्यकर्ता बणणो  सलाह दींदो। असली सामजिक कार्यकर्ता क्या हुंदन मै नि पता।   

       

 

 

 Copyright @ Bhishma Kukreti   25 /3/2013

Bhishma Kukreti

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गढ़वाली हास्य-व्यंग्य

सौज सौजम मजाक-मसखरी 

हौंस इ हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा

 

                       चला गांवुं मा बसणो नलटण- नखरा (ढोंग ) करे  जावो

 

                                 चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )

 

 - भाइओ और बहिनों ! यो आपको सौभाग्य च बल जो आप एक ऐतिहासिक घड़ी का गवाह बणना छंवा अर वूंको दुर्भाग्य च जू आज  हमारो समारोह मा नि ऐन। आज हमारी  उत्तराखंड प्रवासी हितैसणी संस्था एक ऐतिहासिक समारोह करणी च । भाइओ और बहिनों आज हमारी संस्था का रत्न आप तै बथाला  कि आप लोगुं तैं गढ़वाल का वास्ता क्या क्या करण चयेंद ।  अब मि बड़बोला जी से  हथजुडै करदो बल वो आप तैं अड़ाणो कुछ शब्द ब्वालन।

-ये इना कंदूड़ लादि। अब ये बड़बोलान ऐड़ाण अर येन हम  दर्शकों कंदूड़ फुड़ण।

- मि कथगा इ प्रवासी संस्थाओंम बड़ा बड़ा पदों पर बिराजमान रौं त मि तैं अपण परिचय दीणै जरूरत नी च। आज हम एक नई अभिनव योजनाक खुलासा करण वाळ छंवा ज्वा  योजना पहाड़ी गावुं दशा अर दिशा ही बदल देलि। मेरि आप लोगुं तैं कड़ी चेतावनी च कि आप लोग अपणि संस्कृति बिसरणा छंवां अर एक दिन तुमारि संस्कृति अवहेलना प्रवृति से हमारि संस्कृति रसातल जिना चलि गे। खासकर इख प्रवासम हमर पहाड़ी बिठलर याने नौनि अर जनानी  पश्चिमी सभ्यता तै अपनाणा छन अर हमारि हजारों साल पुराणि पहाड़ी सभ्यता -संस्कृति को छ्त्यानाश करणा छन। मेरि कड़क सलाह च कि आप अपण बिठलरों कपड़ा पर ध्यान द्यावो कि वो पहाड़ी संस्कृति हिसाब से कपड़ा पैरन।

-ले सि दिखणि छे बड़बोला हम तैं अड़ाणु च अर अफु! सि पैलक मैना बमरोला जी  अपण नौनु लेकि बड़बोला कि ब्यौथा नौनि दिखणो गे छया तो पता च क्या हाल छन  बड़बोला जीक ड्यारम?

-क्या?

- अरे बेटि  स्लीवलेस टी शर्ट अर शॉर्ट लोवर गारमेंट पैरिक नौनाक समणी आयि अर ब्वै  मिसेज बड़बोला का तो नि पूछो की कथगा अधनंगी छे । 

-अच्छा चुप अब सुणदा बड़बोला जी अग्वाड़ी क्या बुलणा छन धौं!

-हाँ तो मि बडबोला तुम तैं फिर से चेतावनी दींदो कि तुम लोगुं लापरवाही से हमारि पहाड़ी संस्कृति रसातल चलि गे। खासकर बिठलरूं तैं  अपणी पारम्परिक संस्कृति पर ध्यान दीणै जरीरत च। अब मि उत्तराखंड में उद्योग लगाओं  का घनघोर आन्दोलनकारी श्री सटोरियाल जी से प्रार्थना करदो कि वो कुछ शब्दों मा उत्तराखंडम उद्योगों [पर अपणि राय द्यावन।

-मि  सटोरियाल छौं अर मि परिचय को मुहताज नि छौं किलैकि मि हरेक साल हरेक प्रवास्युं संस्था तैं चंदा दीणु इ रौंदु अर अब ...

-  हां सट्टा बजारम सट्टा खेलिक फैदा होलु तो   संस्थाउं  तैं कुत्ता जन रुटि दीणम तैको क्या जांदो।                                             

 -अबे चुप क्वी सुणल त ...सूण कि सटोरियाल क्या बुल्दो।

-दिख्युं आंख  क्या दिखण अर तप्युं घाम क्या तपण।

-मतबल?

-मतबल या च सटोरियालन यो हि बुलण कि हम तैं उत्तराखंड मा जैक  उद्योग लगाण  या ब्यापार करण चयेंद।

- सटोरियाल जीको  बि उत्तराखंडम ब्यापार छ कि ना ? 

-हाँ किलै ना! पौड़ी , गोपेश्वर ,  उत्तरकाशी अल्मोड़ा , पिथौरागढ़म  जु सट्टा चलांदन वो सटोरियाल जीक ही त एजेंट छन।

-जरा ठैर सुणदां कि स्यु सटोरियाल क्या बुल्दो धौं!

- हाँ तो मि सटोरियाल तुम तै धमकी दींदो कि तुम उख उत्तराखंडम ब्यापार खोलो। मि तैं खुसी च हम एक क्रांतिकारी योजना का आरम्भ करण वाळ छंवा पण योजना बथाण से  पैल  मि भाषा बचावो मूवमेंट का श्री भरमवाळ जी तैं हुकुम दींदो कि वो भाषा मुतालिक अपण विचार बथावन।

-यार तै  भरमवाळन भौत बोर करण।

-हां यार तैन अब रूण बल गढ़वाल अर कुमाऊं मा भाषा खतम ह्वे ग्याइ। अर तै भरमवाळक घौरम भाषा का क्या हाल छन?

-क्या?

- जरा तैक फ्लैटम जैलि तो तैक परिवार वाळ गढ़वाळी तो छोड़ हिंदी मा बि नि बचऴयांदन। सौब अंग्रेजीम ही बचऴयांदन।ले तै तैं आधा घंटा ह्वे गेन भाषण दीनद  अर  अबि बि तैक  रूण बंद नि ह्वाइ कि उख गढ़वाळ -कुमाऊं मा गढ़वाली अर कुमाउनी भाषा निबटणि च। अरे स्यु भरमवाळ को भाषण खतम हुण वाळ च।

-हां तो मि गढ़वाली -कुमाउंनी भाषा प्रेमी भरमवाळ  आप लोगुं तैं उत्तराखंड माँ की सौं दींदो कि तुम केवल अपणि बोलि मा हि बातचीत करील्या। अब मि संस्था को अध्यक्ष श्री फुन्द्यानाथ  जी से रिक्वैस्ट करदो कि वो हमारि इन्नोवेटिव प्लानिंग का बारा मा आप तैं इंट्रोड्यूस करावन।

- धन्यवाद भरमवाळ जी ! मैं फुन्द्यानाथ   तैं तुम सबी लोग जाणदा इ छंवा। मीन दसियों संस्था खड़ी करिन अर हरेक मा मि अध्यक्ष ही रौं। हमारो ग्रामीण उत्तराखंड को दुर्भाग्य च बल उख से पलायन होणु च अर हम प्रवास्युं को  परम कर्तव्य च बल हम पहाड़ों से  पलायन रोकणो बान कुछ करवां। इलै हमारि उत्तराखंड प्रवासी हितैसणी संस्था पहाड़ी  गाँवो से पलायन  रोको अभियान चलाण वाळ च। हमारि संस्था का पदाधिकारी  बीस दिनों की पहाड़ों में  भ्रमण यात्रा पर जाणा छंवां। उख हम  लोगों   मध्य चेतना फैलौला कि वो गांव मा हि रावन अर हमारी आपसे बि गुजारिस च कि  आप  बि रिटायरमेंट का पश्चात  गांवों मा बसों। यीं गांवों में बसों चेतना यात्रा पर करीब दस लाख खर्च आलो अर हमारि संस्था ये खर्चा उठालि। आवो आप  प्रण  करें कि आप रिटायरमेंट का बाद गाँव में बसें।

-जी मि एक दर्शक छौं अर ग्रेजुएसन करिक अबि गौं से इख औं। मि गाँवो से पलायन  रोको अभियान मुतालिक एक द्वी सवाल पुछण चाणो छौं।

-हां   हाँ पूछो !

-जी बड़बोला जीन कुछ साल पैलि अपणि गौं जमीन बेचि आल छे। भरमवाळ जी , फुन्द्यानाथ जी अर सटोरियाल जीका गौंका   कूड़ खंद्वार हुयां छन। तुम सब्युं नौन्याळ विदेशों मा नौकरि करणा छन। तुम चार्युं मादे क्वी अपण गां नि जांदा तो  फिर तुम कै मुखान गाँवो से पलायन  रोको अभियान चलाणा छंवां?

-बस इन पहाड़ियों में यही जंगलीपन और नासमझी है कि ये भले काम की प्रशंसा  कर ही नही सकते। मुझे सूचित करते प्रसन्नता हो रही है कि पांच दिन बाद  हमारा दल गाँवो से पलायन  रोको व गाँव में ही बसों अभियान की शुरुवात देहरादून से करेगा। हमारा दल देहरादून , ऋषिकेश, नैनीताल , अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ में इस अभियान को चलाएंगे। चूँकि कुछ लोग व्यवधान की मनशा से ही यहाँ आये हैं तो   मै संस्था का अध्यक्ष अब इस गाँवो से पलायन  रोको अभियान समारोह के समापन की घोषणा करता हूँ। .     

 

     

     

 

Copyright @ Bhishma Kukreti   26  /3/2013

 

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गढ़वाली हास्य -व्यंग्य

सौज सौज मा मजाक मसखरी

हौंस ,चबोड़ , चखन्यौ

 

                              द  बर्निंग इस्यूज ऑफ माइ विलेज   याने म्यार  गौंकी जळणवाळ समस्या 

 


                                चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )

 

  हेड मास्टर जी कुणि मथि बिटेन अंग्रेजी मा आदेस आयि बल स्कूल्यों से दि बर्निंग इस्यूज ऑफ माइ विलेज पर स्थानीय भाषा मा निबन्ध लिखवावो। हेड मास्टर जीन दि बर्निंग इस्यूज ऑफ माइ विलेज को अनुवाद (गां की जळणवाळ समस्या ) करिक स्कूल्यों तैं निबन्ध लिखणो ब्वाल। म्यार स्कूलम जै नौनु तैं पैलो नम्बर मील वैक निबन्ध इन छौ।

           

                                  म्यार  गौंकी जळणवाळ समस्या

             

 

                                           चूंकि भारत एक कृषि प्रधान देश च तो इख गां छन अर म्यार गां बि एक गां च। चूंकि म्यार गां एक पहाड़ी गां च तो इख जलण मुतालिक भौत सि समस्या , तखलीफ़, कठण परिस्थिति छन। सबसे पैल जळण वाळ समस्याओं मादे एक हैंक से जऴतमारि समस्या च। इख सबी हैंकाक प्रोग्रेस, उन्नति से हरदम जळणा रौंदन। माना कि मि अछो नम्बरों मा पास हूं तो हम जब ख़ुशी मा  पैण / मिठे बांटणो जांदा तो सबि जौळ जांदन मि कनै पास होऊं अर ऊंक नौनु किलै पास नि ह्वाइ। इलै अब हमर गां मा पैणु बंटण बंद ह्वे गे।  चचा भतिजो नौकरी लगण से जऴदो,भतिजु चचा क पेन्सन आण से जल्दो, ब्वारि सासु स्वस्थ स्वास्थ्य से जऴदि तों ख़ास पीठि भाइ दुसर भाइक बीपीओ (गरीबी रेखा से तौळ )  सर्टिफिकेट देखिक  जऴद।  एक हैंकाक उन्नति से जळणो कारण सब्युं जिकुड़िम बणाक लगीं रौंद,  सबि  मनोरोगी हुयां छन। सरकार कुछ नि  करणि च, पटवरि अर प्रधान बि सिंयां छन वूं तै टैम इ नी कि जळणै बिमारी कम करणों  गां माँ एक वैदो इंतजाम करि द्यावन। नेता लोग बि चुनावुं टैम पर आश्वासनों क्वाथ पिलान्दन कि चुनाव जितणो बाद  जऴतमारि, इर्ष्या, जलनखोरी बीमारी हेतु हरेक गां मा एक वैद भिजे  जालो पण इन सुणण माँ आंदो कि उख राजधानी मा  कोशियारी जी रमेश निशंक जी से जळणा रौंदन तो खंडूरी जी कोशियारी जी से जळदन, सतपाल महाराज जी हड़क सिंग जी से जळदन, हरीश रावत जी  विजय बहुगुणा जी  से इर्ष्या करदन  तो इनमा जलन खोरि अर इर्ष्या बीमारी दूर करणों सरा बजेट नेताओं जळन/असूया  खतम करण माँ खर्च ह्वे जांदो तो गांवो बाण इर्ष्या खत्म करणों कुछ बजेट इ नि आणु च।                             

 

             मेरि ददी बुल्दि बल ददी क ददि समौ पर आग रंगुड़ तौळ  दबाये जांदी छे अर गां वळ एक हैंकाक  ड्यारन छिलों से आग बाळि  लांदा छा या आग मांगि लांदा छा तो कथगा बि झड़ी-बरखा ह्वावो आग जळाणो समस्या कबि नि आन्दि छे। फिर हमन प्रवासी भाईओं मंगन  जाण कि रंगुड़ तौळ आग बचाण असभ्य लोगुं काम च तो हम अब सभ्य ह्वे गेवां अर अब हम रंगुड़ से परेज करदां। चूंकि प्रवासियोंन ही बथाई बल अग्य्लु कबासलो से आग जगाण आदि वास्युं या जाहिलों काम होंद त कुज्याण कथगा साल पैलि हमन अज्ञल माटो तौळ खड्यार ऐ छौ। फिर हम तैं  प्रवास्युंन सिखाइ कि दियासळाइ से ही आग जळाण  चयेंद तो हम दियासळाइ से आग जळाण मिसे गेवां। फिर हमन खेती पाती बंद करी तो भ्युंळ निबटेन, दगड़म रौउ पाणि सुखण से हमर इख क्याड़/छिलों निर्माण ही बंद ह्वे ग्याइ। मि तो जणदो बि नि छौं बल क्याड़। छिल्लों या तुर्क्यड़ो से एक हैंकाक इखन आग जळाये जान्दि छे। मि दियासळाइ युग को छौं। कुछ साल पैलि हम  सहकारी/सहयोग की भावना से  एक हैंक तै दियासळाइ दीन्दा छा। पण फिर हमर गौंका प्रवास्युंन बथाइ बल सहकारिता या कोपरेसन गरीबी की निसाणि च।  हम तैं बेइमान, भ्रष्ट, बलात्कारी ब्वालो तो भी हम तैं बुरु नि लगुद पण जरा क्वी गरीब बोलि द्यावो तो हमर जिकुड़िम अग्यौ, जळन्त, ह्वे जांदो अर मन मा बणाङ्क लगी जांद। हमन गरीबी मिठाणो कुछ नि कार पण गरीबी की सबि निसाणि मिटै देन। सहकारिता, सहयोग गरीबी की सबसे बड़ी निसाणि/पछ्याणक च तो हमन एक हैंक से सहयोग , सहकारिता इ गाँव  से भगै दे अर जथगा बि ह्वावो हम एक हैंक से असहयोग करण मा शहरी लोगुं से बि अग्वाडि ह्वे गेंवा।   कथगा बि आवश्यकता ह्वावो, कथगा बि जरूरी ह्वावो  अब हम एक हैंक तैं  दियासळाइ नि दींदा ना ही कैमांगन दियासळाइ मंगदा। यां से मेरो गां मा ज्वलंत समस्या पैदा ह्वे गे। अब जब हमम दियासळाइ तिल्ली खतम ह्वे जावन या  दियासळाइ बरसात मा या पाणि मा सिल्ली ह्वे जावो तो हम अपण ब्वाडा -काका-भाई -भतीजों से  दियासळाइ नि मांग सकदा। जु  क्वी कैमा दियासळाइ  मांगो तो वै तैं सुणण पडुद -अच्छा इथगा गरीबी ऐ गे जो दियासळाइ मंगण पड़नो च।   अर इन मा कथगा दें हम बगैर  आग जळयां खाजा-भुज्यां बुख़ण बुकैक रात कटदां। यो दूसरों दियासळाइ से आग नि जळाणै समस्या बड़ी भंयकर ज्वलंत समस्या ह्वे गे अर सरकारी अधिकारी, नेता लोग , मंत्री लोग गांवों मा यीं आग  जळाणै समस्या को क्वी  समाधान नि खुजयाणा  छन । ग्राम प्रधानन सांस्कृतिक मंत्री जी कुणि चिट्ठी भि भ्याज पण संस्कृति मंत्री जीन ब्वाल कि या समस्या सामजिक समानता मंत्री जिक च तो सामजिक समानता मंत्री न ल्याख कि चूंकि इखमा दियासळाइ शब्द च तो या समस्या वन मंत्री क च; वन मंत्री को लिखण छौ कि  दियासळाइ बंटणो काम सार्वजानिक वितरण विभागों क च तो सार्वजनिक वितरण विभागों चिट्ठी आई कि हम राशन बंटदा दियासळाइ नि बंटदा। सो अबि बि हमर गां मा आग जळाणै समस्या जन्या कि तनी च अर सरकार कुछ नि करणी च।

                 

    फिर चूंकि अब अपण डाळ बूट कटणो बि वन विभाग से स्वीकृति लीण पड़दि अर हम तैं गैस सिलेंडरों मा ही खाणों बणान पोड़दो पण गैस को बुरा हाल छन।इलै हम तै रात अपण डाळ कटण पोड़दन। फिर जब हम चुलू जगांदा तो आग की धुंवा देखिक ग्राम प्रधान ऐ जांदो कि तुम लखड कखन लयां। फिर हर रोज ग्राम प्रधानो कफनो कुणि कुछ ना कुछ भिजण पड़द। अपण डाऴ ह्वैक बि हम अपण लखड़ नि जळै  सकदा यां बड़ी ज्वलंत समस्या क्या ह्वे सकदी?

             

          पैल जब हम तै गरीबी से शरम  नि छे तो  हम सहकारिता का हिसाबंन जब बणाङ्क लगदि  छे तो सरा गां का लोग संजैत बौणक   बणाङ्क बुझाणो  जांदा छा पण अब संजैत काम करण हमन बंद करि देन तो बणाक हमर मकान का न्याड़ -ध्वार तलक ऐ जान्दि अर या सरकार च कि कुछ नि करदी। बणांक गांकी बड़ी ज्वलंत या फौरेस्ट फाइर इज बर्निंग इ।

  अत: मथि लिख्यां से साबित होंद कि एक हैंक से जळण, कै हैंक मांगन आग जळाणो दियासळाइ नि मांगण, आग  जळाणो बान अफुम लखड़ ह्वैक बि जळाणो बान  प्रयोग नि करे सकण अर बणांक हमारो गौन्की ज्वलंत समस्या छन।                     

 

Copyright @ Bhishma Kukreti   28 /3/2013

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गढ़वाली हास्य -व्यंग्य

सौज सौज मा मजाक मसखरी

हौंस,चबोड़,चखन्यौ

                                       

                             आधार कार्ड मिलण: साहसिक, रोमांचकारी किस्सा           

                                     

                                       चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )

 

                   जब पैल पैल आधार कार्ड बणनो बात शुरू ह्वे तो मजाक का रूप मा शुरू ह्वे। सब्युन ब्वाल बल नेता लोगुन पैसा खाणों बान एक हैंकि  बुग्याळ की रचना कार। जैदिन राजस्थान मा मनमोहन सिंह जी अर सोनिया जीन आधार कार्ड बांटिन आधार कार्ड की बात मजाक से अफवा मा बदल गे अर  गैस सिलिंडरों दाम  बढ़ण से त अफवा बजार मा उच्छाला ऐ गे। रुस्वड़ बिटेन प्रेस्सर कुकर की सीटी मा, धुंवा माँ   आधार कार्ड का बारा मा अफवाओं की ही छ्वीं लगदी छे। तैबरि तलक हमर परिवार आधार कार्ड तै मजाक कार्ड ही मांणदों छौ।फिर जब जोर की अफवा आइ बल बुजर्गों आधार कार्ड से मोफत मा राशन, इख तलक कि बुड्यों तैं पेन्सन पट्टा बि मीलल तों बगैर आधार कार्ड को रौण असह्य ह्वे गे। मुहल्ला का रस्तों पर लोग दिखाण बिसे गेन,"  ओ फार द्याखो तै मा आधार कार्ड ऐ गे तबि तो छाती बटन खोलि , छाती चौड़ी कौरि जाणों च।" अच्काल जो बि रस्तों माँ रौब से चल्दो तो लोग समजि जांदन कि तैन आधार कार्डो फॉर्म भौरि आल। रासनक दूकान मा जु बि  बिंडी ज़ोर से हल्ला करदो  तो दुकान दार अंदाज लगै दीन्दो कि यु रासन कार्ड धारक ही ना आधार कार्ड धारक बि च।

     

                  हमर बिल्डिंग मा जब बि क्वी परिवार पसीना मा लत पथ , भूक से परेशान पण मुख पर जीत को उत्साह ,आंखों मा मालिकाना घमंड की चमक  खुटोंम कुछ प्राप्ति को रगर्याट,   गेट  भितर आवो तो सब बिल्डिंग वाळ समजि लीन्दन बल स्यु परिवार आधार कार्ड को फॉर्म भौरिक ऐ ग्याइ। वीं रात यु परिवार भैर बिटेन खाणों मंगांद तो जैमा आधार कार्ड भरणो रसीद च वो एकाधिकार खतम हूणों जलन का बशीभूत अर हौरि परिवार हीन  भावना से ओत प्रोत ह्वेका  बरजात जन बगैर छौंक्यां खाणा खांदन।

     हम मरद जो दिन माँ नौकरी करदां वूं तै बिल्डिंग मा अर मुहल्ला मा नयो सामाजिक जाति बणनै खबर रात अपण जनान्युं से चलद। मि तैं अर म्यार नौनु तै ब्वे अर घरवळि  से पता चौल बल अब हम निखालिस पहाड़ी ब्राह्मण नि रै गेवां बल्कणम अब हम निम्न वर्ग  का नागरिक ह्वे गेवां। मुंबई मा हम कथगा इ दै निम्न  श्रेणी नागरिकों श्रेणी मा अवां धौं  -जब हमम रासन कार्ड निछौ, जब हमम दूधो कार्ड नि छौ, जब हमम गैस को कार्ड नि छौ। जब हमम वोटिंग कार्ड नि छौ, जब हमम पासपोर्ट नि छौ तों बगत बगत पर हम बिल्डिंग मा निम्न श्रेणी  गणत मा आवां।               

  आधार कार्ड की रसीद नि होण से हम बीच मा फिर से दलित ह्वे गे छया। मुहल्ला का रस्ता मा हमर परिवार मुंड तौळ कौरिक चलदा छा किलैकि हमम आधार कार्ड फॉर्म भरणो रसीद नि छे।  अब शरम से भैर आणो एकि विकल्प छौ कि हम बि आधार कार्ड बणौवां।

   

                   आधार कार्ड बणानम  सबसे पैलि परेशानी या आयि कि आधार कार्ड का फॉर्म कख मिल्दन? जौंक कार्ड भरे गे छा ऊंमा गेवां तो कैन हम तै अळगसि, नालायक की पदवी दे। कैन डराइ बल आधार कार्ड इन सुदि नि मिल्दन। कैन बथै बल  कि वो तो  कै  नगर सेवकको  पछ्याणक से फॉर्म ल्है छ्याइ   पण  कैन बि नि बताइ कि आधार कार्डो फॉर्म कख मिल्दन। क्वी बि आधार कार्ड होल्डर नि चांदो छौ कि दुसर बि आधार कार्ड का मालिक बौणो।

 हमर मुहल्ला मा एक चणा बिचण वाळ च जो अघोसित पूछ ताछ केंद्र च। वै चणा वाळन पचास रुपया मा बथाइ बल एक म्युनिस्पल स्कूलम फॉर्म मिल्दन। उन वैमा फॉर्म छया जो वो पांच सौ रुपया फी फॉर्म दीणो तयार छौ। पण पांच सौ प्रति फॉर्म हमर बजेट से भैर छौ। हां वैन मै पर इथ्गा मेहरवानी जरूर कार बल जु बथाइ कि फॉर्म लीणों रासन कार्ड जरूर लिजाण।

                 तो मि दुसर दिन  कोलम्बस बौणि  म्युनिस्पल स्कूल खुजणो सुबर सुबर मय रासन कार्ड घर  बिटेन दही -गुड़ खैक ग्यों। मि बीसेक आदिम्युं तै पुछिक कै बि तरां से रिबड़ राबिड़िक  वीं स्कूल पौन्छु। आज पता चौल कि मुंबई मा कोचिंग क्लास , प्राइवेट टयूटरो पता लगाण सरल च पण  म्युनिस्पल स्कूल खुज्याण भौति कठण च।

       

          स्कूल भीतर  जाण तो कठण छौ किलैकि उख भैर मील तलक तीन लैन लगीँ छे। मीन द्वी तीन आदिमों  तै पूछ बल यी केकि लैन छन तो सब्युंन ब्वाल इनक्वारी से पता लगाओ। अब मीन इनक्वारी क पता पूछ तो पता इ नि चौल कि कख बिटेन इनक्वारी करे जावो। वो तो भलो ह्वाइ जो उपुण एक दलाल घुमणु छौ वेन दस रुपया मा इथगा बथाइ बल इनक्वारी पंगत क्वा च। मि इनक्वारी  लंगत्यार मा खड़ो ह्वे ग्यों। स्याम चार बजि मि इनक्वारी काउन्टर तलक पौन्छु अर वैन बथाइ कि रासन कार्ड दिखाण से फॉर्म मीलल अर फिर फॉर्म मा जो बि लिख्युं च वै हिसाब से कागज पत्र लाओ। उखमि जाण बल  सुबर आठ बजे से नौ बजेक बीच ब्वार अर भुप्यारो (बुधबार अर  गुरु वार ) कुण केवल कुल जमा पांच  सौ फॉर्म ही बंटे जांदन।

           

   जन जन दिन बितणा छया हमारि सामाजिक स्तर /पदवी मा निरंतर गिरावट आणि छे। स्टॉक मार्किट या सट्टा बजारम नुक्सान बर्दास्त ह्वे जांद पण सामजिक स्तर मा गिरावट सबसे जादा असह्य  होंद। ब्वार आण तलक सरा परिवारम बड़ी उक्रांत -उठापोड़ राइ। खैर ब्वार आइ अर मि दही -गुड़ खैक फॉर्म लीणो छै बजी सुबेर म्युनिस्पल स्कूल ग्यों तों पाइ कि लोग द्वी बजे रात से ही लैन लगैक खड़ा छा। खैर मी बि स्कूल से एक मील दूर तक जयीं लैनम लगी ग्यों। उन हम सब्युं तै पूरो भरवस छौ कि आज तो फॉर्म मिलण से राइ पण क्वि बि रणछोड़ दास बणनों तयार नि छौ अर सबि क्वीनम लग्युं गुड़ चाटणो जन कोशिस मा लैनम खड़ा रौंवां। सवा आठ से पंगत अगनै  सरकण लगि तो हम आस्तिक ह्वेका भगवान पर विश्वास करण मिसे गेवां।  पण ठीक  नौ बजे हल्ला से जाण बल  फॉर्म खतम ह्वे गेन , हमर भगवान पर  विश्वास खतम ह्वे ग्याइ अर हम सौब फिर से नास्तिक ह्वे गेवां।   

    भुप्यार रात मि  चटै, पाणि बोतल  अर द्वी परोठा लेक स्कूल औं तो उख पैलि लोग लैन मा चटै लेक पोड्या छया। कुछ जो अग्वाड़ि दस बजे ही ऐ गे छया वो से गे छ्या। मीन बि लैन मा चटै बिछै अर पोडि ग्यों।  कार्डन वर्ग अंतर खतम करी दे छौ। सबि वर्गों लोग लैन मा पोड्या छा। जौमां टैबलेट , आइ पैड या स्मार्ट फोन छौ वो  व्यस्त छया।

    सुबेर तलक कथगा इ दै ऊंग आयि नींद खुल कि क्वी पैथरौ में से  अगनै नि ई जावो। अदनिंद  मा बार बार आधार कार्डो सुपिन आंदो छौ अर कार्ड नि मिलणो सुपिन आंदो छौ तो मि  बर्र करिक  बिजि जांदो छौ अर हरेक इनि बार बार बर्र बर्र करिक बिजणा छा। सैत च जौंकि पियिं छे वूंकि नींद नि बिजणि छे। सुबेर सबि कोशिस मा लग्यां छा कि झाड़ा पिसाब रोके जावो। स्कूलम भैराक लोग झाड़ा पिसाब नि करी सकदा छा तो लोग अपण अग्वाड़ी -पैथर का आदिम से मिन्नत अर आज्ञा लेकि दूर  कखि झाड़ा पिसाब करी आणा छा। मीन झाड़ा त रोकि दे पण पिसाब पर मेरो बस नि चौल अर  मि  अपण ऐथर पैथर वाळु  से आज्ञा लेकि पेशाब्  कौरि औं। अफवा गरम  छे कि आज बस तीन सौ फौरम बंटल तो इन बि अफवा उड़ कि आज फौर्मुंन नि बंट्याण। कुछ लोग बस मुंह जवानी लड़णा छ्याइ। समय छौ कि अग्वाड़ी नि बढ़णो छौ अर पैथर लाइन छे कि कम नि होणि छे, बढ़दि जाणि छे।             

 खैर कै बि तरां सवा आठ बजे हलचल शुरू ह्वे अर फॉर्म बंट्याण शुरू ह्वेन। उचमुचि, उक्रांत, प्रतीक्षा से मन विचलित छौ अर कखि आज फॉर्म नि मिलल को नकारात्मक अंदेसा से ब्लड प्रेशर कम हूणु छौ , शरीर सुन्न होणु छौ। खैर मि मंथर चाल से खिड़कीम पौंछि ग्यों अर भगवान  अशीम अनुकम्पा से मि आधार कार्डक फॉर्म मिलि गेन। खुसी ? इंदिरा गांधी तै बंगलादेशऐ लड़ाई  जितणो उथगा  खुसी नि ह्वे होलि जथगा खुसि मैं तैं आधार कार्ड क फॉर्म मिलण पर ह्वै।   

          जनि मि फॉर्म लेक बिल्डिंग मा औं कि कुछ लोगुं तै भनक लगि गे कि मि आधार कार्डो फॉर्म लीणों जयुं छौ तो कुछ लोग मै पर रूसे क्या भड़कि गेन कि मीन ऊं तैं किलै नि भट्याइ। मीन त ना पर ब्वैन ऊं तैं याद दिलाइ कि ऊंन बि वोटर कार्ड या वरिष्ठ नागरिक कार्ड बणान्द दै  हम तैं नि भटे छौ। 

   अब बिल्डिंग मा हम सरयूळ बामण त ना पण पुड़क्या बामणु पदवी पर ऐ गे छया। ब्वैन ब्वाल बल हम अब मुहल्ला मा मुख दिखाण लैक ह्वे गेवां।

पैल हमन फौर्मुं फोटोकॉपी बणाइ।बड़ी तरकीब, धैर्य  से हमन फोटोकापी को फॉर्म भौर फिर हमन एकैक करीक असली फॉर्म भौर। जब सौब फॉर्म भरे गेन  तो मि स्कूल ग्यों अर मीन दलाल तै बीस रुपया देकि पता लगाइ कि कु दिन फौरम जमा करणों च।

 फिर मि चटै, पाणि बोतल अर परोठा लेक द्वी बजि रात स्कूलम ग्यों। रात भर उखि पड्यु रौं। सुबेर मेरि जगा लीणों म्यार बडों नौनु आइ। मि घौर औं। फिर नौ बजे हम सबि परिवार वळा  अपण जगा मा गेवां। तीन बजि हमर नम्बर आइ। उन तो सब काम लाइन से हूणु छौ पण बीच बीच मा भारतीय संस्कृति का दर्शन बि हूणु छौ याने जौन इकै हजार फॉर्म पर अतिरिक्त सेवा कर दे वो बगैर लाइन का ही भितर जाणा छया।

भितर कम्प्यूटर मा हमन हेरकान ठीक से जांच कार कि सूचना ठीक से भरीं च कि ना। फिर म्यार हथों छाप कम्प्यूटर पर  लिए गे अर आखिरैं अंगूठा का छाप लिए गे।

 आखिर हम तै एकै रसीद मील कि हमन सरकारी स्तर पर आधार कार्ड भोरि आल।

  जब हम स्कूल से  आधार कार्ड भरणो  रसीद  लेकि भैर अवां तो हम तै लग बल हमन जग जीती आल।

बिल्डिंग मा जौं जौं मा आधार  कार्डो रसीद छे ऊंन हम तै वधाई दे अर 'आधार कार्ड इन पेंडिंग क्लब' माँ शामिल कार अर मीन ऊं तैं खुसी मा दारु पार्टी द्यायि तो ब्वैन अर घरवळिन जनान्युं तै केक पार्टी दे अर बच्चों मा चौकलेट बांटे गे।           

 

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गढ़वाली हास्य -व्यंग्य

सौज सौज मा मजाक मसखरी

हौंस,चबोड़,चखन्यौ

 

                                      बिमारि  छुट्टी लीणों ब्यूंत


                                      चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
 (s = आधी अ )


  कैजुअल या बिमारी लीण एक कौंळ च, कला च, तकनीक च, ब्यूंत च।

अब द्याखो ना आजक दिन भौत गरम  च पण मी तै जड्डू लगणु च। अर आज ऑफिस  जाणो ज्यू बि नी बुल्याणु च अर ना ही तबियत जाण लैक च।  त इन मा बिमारी छुट्टी लीण जरूरी च।

मीन घरवळि  बोलि," सूण ! तू जरा बौसs कुण फोन करी दे बल मी बीमार छौं।"

  घरवळि न उत्तर दे," तुम जाणदा छां बल तुमर  बौस बडो उन च। वो मी फर विश्वास नि करदो।"

मीन बोलि," और बि बिजोग पड्यु च। बौस में फर त रती भर बि विश्वास नि करदो। त्वै तैं फोन करण पोड़ल।"

"ह्यां! बौस तुमार च तुम फोन कारो।"घरवळिक खरखरो  जबाब छौ।

मीन बोलि,"  देख मि बिमार छौं तू इ फोन कौर। हां! जरा नम्रता से , सौजमा फोन कौर।"

वींन चिरड़ेक ब्वाल," द्याखो तुमार बौसक दगड़ विनम्रता से बात ह्वे इ नि सकदी। तुमर बौस बड़ो खड़खड़ो (कठोर)  च। "

मीन बिंगाइ," ह्या बौस इथगा खराब नी च। वो क्या च अचकाल जु चावो वो ही वाइरल फीवर, सोर थ्रोट का नाम से रोज सिक लीव लीणों च। अर कबि कबि यि हाल छन कि बौस तैं अपण बाथरुमौ दरवज अफिक खुलण पोड़द। दिल से बौस बड़ो मयळ मनिख च। "

घरवळि न बौस जन टोनम ब्वाल," जब वो इथगा इ मयळ च तो तुमि फोन कारो ना अर तुमि सूणों सुबेर सुबेर वैकि फटकार  । में से नि होंद यु ऊटपटांगो काम।"

मीन जबाब दे ," ह्यां फोन करण क्वी ऊटपटांगो काम नि हूंद। मि जादा नि बोल सकणु छौ तो जरा त्वीइ फोन कर। मि जू काम पर ग्याइ तो समजि ले मीन मोरि जाण।"

वींको जबाब छौ," अर ऑफिस नि जैल्या तो बौसन तुम अछेकि मार दीण। यां फोन करण मा तुम इथगा किलै डरणा छंवां ? "

मीन बोल," मि छौं डरणु कि तु छे डरणि?"

वीन ब्वाल," अरे क्या गुरा लग्युं च? बीमार तुम ! बौस तुमर  अर बुलणा छा कि मि डरणु छौं।"

मीन बोल," ह्यां पत्नी धर्म बि क्वी बात होंदी।"

वींन पूछ," जरा बथावदी कि पत्नी धर्म क्या हूंद?"

मीन बिंगाइ," जब बि पति बीमार ह्वावो तो  घरवळि तैं कड़क बौसौ कुण फोन करण चयेंद अर पति की जगा पत्नी तैं बौस की डांट फटकार सुणण  चयेंद।"

पत्नी न बोलि," द्याखो ब्यौ बगत सात फेरा लींद दें पंडित जीन बौस कुण फोन करणै बात नि कौरि छे हां!"

मीन पुऴयाणो भौणम ब्वाल," ह्यां जरा बौसौ खुण फोन कौरि दे।"

वींन ब्वाल," सीधा खड़ा ह्वावो अर अफिक फोन कारो अर बौसकी झिड़कि अफिक खावो। अपण काम अफिक करण चयेंद।"

मीन ब्वाल, "ठीक च। मि ही फोन करदो अर जु ह्वाल मी ही भुगतुल।"

मीन बौसौ कुण फोन नि कार किलैकि भोळ मीन बौसौ  कुण बुलण बल फोन अर मोबाइल सबि जाम छ्या।             

 



Copyright @ Bhishma Kukreti   2 /4/2013

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गढ़वाली हास्य -व्यंग्य
सौज सौज मा मजाक मसखरी
हौंस,चबोड़,चखन्यौ
सौज सौज मा गंभीर छ्वीं
                          भारतौ इंडियानिजेसन अर इंडियौ  भारतीयकरण
 
                                    चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )

   मि, तुम अर हम सबि विरोधाभाषम जिन्दगी काटदवां तो हमर करतब बि विरोधाभाषी होंदन।
अब द्याखो ना कुछ हिन्दू संगठन ऍफ़ ऐम हुसैन की सरस्वती देवी कि अध -नांगि चित्र देखिक  बितकि गेन बल हमारि देवी नंगी कनै ह्वे सकदी! जब कि यी नादान हिंदु संगठन बिसरि गेन बल जु बि निखालिस हिंदु-बौद्ध -जैन चित्र या ऐतिहासिक इमारतों -भवनों माँ देवी दिवतौं चित्र छन वो सब नंगी या अधनंगी छन। हमर देवी -दिवतौंन झुला -लारा -कपड़ा तो मुग़ल काल का चिरकारों बदौलत पैर या नामी चित्रकार रवि वर्मा का वजै से हमार देवी दिवतौंन कपड़ा पैरिन। मुग़ल या राजपूत शैली की पेंटिंग/चित्रों देखिक अज्ञानी हिंदु संगठन बेवकूफी मा  ऍफ़ ऐम हुसैन का विरोध करण बिसेन निथर सही माने मा  ऍफ़ ऐम हुसैनन त हिंदुस्थानी देवी सरस्वती (जैं तैं पुराणि पेंटिंगों मा मुसलमानी कपड़ा पैरे गे छा) को जम्बूद्वीपीकरण करि छौ। भारत या जम्बूद्वीप का देवी दिवता अळगौ गात का कपड़ा नि पैरदा छा।
  अचकाल का  कलेंडरों मा हमर देवी पैरदन अर बिलौज ब्रिटिश संस्कृति की दें च ना की भारतीय संस्कृति की पछ्याणक अर बिचारा  ऍफ़ ऐम हुसैन तैं असली जम्बुद्वीपी  संस्कृति  दिखाणो ऐवज मा  देश निकाळा  भुगतण पोड़। जो इंडियानिजेसन को भारतीयकरण करणों छौ वैन हिंदुओं मार खाइ।
असल मा आज भारत मा क्षेत्रीय संस्कृति (कलाएं -आर्ट ) को भारतीयकरण होणु च अर भैर देसुं संस्कृति को इंडियानिजेसन होणु च।
सम्बत /शक पैथर चलि गेन  अर सन/इशवी का कलेंडर आज इंडियानिजेसन का बदौलत हम तै  दिन, बार साल की जानकारी दीणु च। छ कै  कट्टरपंथी संगठन मा इथगा  तागत जो सम्बत या शक कलेंडर की हिमायत कारो?
आज पानी पूरी-गोल गप्पा, मेधू बड़ा, डोसा, इडली ,  साम्भर जन क्षेत्रीय खाणों (खाण्क संस्कृति अंग होंद ) भारतीयकरण ह्वे ग्यायि अर दगड़म तन्दूरी रुटि, तन्दूरी चिकन, दाल मखनी को भी हिन्दुस्तानिकरण ह्वे इ ग्यायि।
जल जीरा अब आर्कियोलौजिकल सर्वे वाळु  कुण खोज का विषय ह्वे गे तो कोला जन पेय पदार्थों सम्पूर्ण ढंग से इंडियानिजेसन ह्वे ग्याइ  तो ब्रेड बटर बि अब इन्डियन फोक फ़ूड मा गणे जांदो।
 कबि गढ़वाल मा ढोल बजाण पर बड़ो बबाल ह्वे  होलु पण आज तो ढोल भारतीय संस्कृति की असली पछ्याणक च। एक समौ पर ढोल यवन संस्कृति क पछ्याणक छौ पण फिर ढोल  को भी  हिन्दुस्तानीकरण ह्वे जन नथुली -फूल आदि को हिन्दुस्तानिकरण सत्रहवीं सदी मा ह्वे।  एक बगत छौ जब नथुली-नाकौ फूल मुसलमानी संस्कृति को द्योतक छौ तो आज हिंदुवों मा नथुली-नाकौ फूल सुहाग को परिचायक  च।
भारत मा चौपाल संस्कृति अबि बि च पण अब फेस बुक कल्चर को इंडियानिजेसन ह्वे ग्याइ  अर चौपाल तैं ऑफ लाइन फेस बुक बुल्याणो समौ ऐ गे।
 पैल जब बि भारतीय किसान का चित्र (इमेज ) पैदा करण ह्वावो तो किसाण तैं अदा धोती अर अळग नंगी दिखांदा छा इन्डियन फार्मर को  इंडियानिजेसन ह्वे ग्यायि अब किसान पेंटिंगो मा जीन अर टी शर्ट  मा  दिखाए जांद। कुछ समौ बाद क्वी बामपंथी या क्वी मुसलमान पेंटर इन्डियन फार्मर तै अदा धोती अर मथिन नंगी दिखालो तो बजरंग दल या कट्टर हिंदु वै पेंटर तै जरूर देस निकाला कारल। टी शर्ट अर जीन्स  को  इंडियानिजेसन ह्वे गे। अचकाल मुसलमान नौनी टी शर्ट अर जीन्स माँ ऑफिसम काम करदी मीलि जांदन  अर ड्यार जांद दें बुर्का पैरदन  पण जो क्वी पेंटर अपण पेंटिंग मा कै मुसलमानी नौनी तैं जीन्स -टी शर्ट मा दिखालो तो कट्टर पंथी मुसलमान हड़ताल करण मा पैथर नि राला। वो अलग बात च कि यी कट्टर पंथी मुसलमान अफु हडताल मा या मोर्चा मा जीन्स -टी शर्ट पैरिक ही शरीक ह्वाला।
 भारतम जनानी  पंजाबी ड्रेस को भारतीयकरण ह्वे ग्यायि अब जनानी पंजाबी ड्रेस हिन्दू संस्कृति क ख़ास पछ्याणक च पण असल मा जनानी पंजाबी ड्रेस मुग़ल काल की ही देन  च। हम ब्यौ छोड़िक अब पगड़ी नि  पैरदा पण पगड़ी हमारि आन शान का वास्ता जूमला बि च जन कि पगड़ी  उछालना अदि। वा अलग बात च एक समौ मा इस्लामिक राज मा पगड़ी को हिन्दुस्तानीकरण ह्वे छौ।
अचकाल भारतीय फिल्म अर विज्ञापन  भारतीयकरण अर  इंडियानिजेसन का मुख्य माध्यम छन। पैल मुखजवानी माध्यम हिन्दुस्तानीकरण करदो छौ।
अर संस्कृति मा विरोधाभास या च बल हम एक तरफ संस्कृति बचाणो बात करदां अर दगड़म अफु संस्कृति बि तोड़दवां। हम संस्कृति तैं मुर्दा पथर माणदवां,  जब कि संस्कृति बगदी नदी च , बगदी हवा च।       


Copyright @ Bhishma Kukreti   3 /4/2013

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गढ़वाली हास्य -व्यंग्य
सौज सौज मा मजाक मसखरी
हौंस,चबोड़,चखन्यौ
सौज सौज मा गंभीर छ्वीं
                                                            क्रिक्यट्याण   
                                                   
                                               चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )
  घौरम गां मा कूड़ौ  मरम्मतौ  बान  मुंडळ उफराण छौ अर चिणन छौ। कुछ पट्टी बौळि  बि सौड़ि गे छा तो हम तै अपण पुंगड़ौ  तूण, स्याळ   अर  गींठी डाळ कटवाण छौ जांकुणि प्रधान -पटवरिम  अर्जी दियीं छे। मीन घड़ी द्याख अर समजी ग्यों कि उख गां मा काकिन गौड़ बि पिजै ह्वाल अर अब दुफरा  तलक फ्री ह्वेलि। मीन इख मुंबई बिटेन काकि कुणि फोन कार।
"  समनन काकि मि भीषम बुलणु छौं।"
काकिन फोन पर इ भूकि पे आशीर्वाद दे अर ब्वाल," अछा जल्दी बोल। क्या काम च ?"
मीन ब्वाल," वो तुणी, स्याळो डाळु   क्या ह्वे। अर्जी स्वीकृति ऐ च कि ना?"
 काकिन ब्वाल," कख आयि मीन प्रधानौ मुग्दान मा  घीयक डब्बा बि चढै  आल अर पटवरि तिरैं खुणी अग्रिम दक्षिणा बि दि याल। इन कौर तू  ही जौं जौं तैं ठेका दियां छन अर परधान पटवरि कुण फोन कौर। में कुण प्रवचन मा जाणों देर ह्वे गे।"
मीन पूछ," क्यांक प्रवचन?"
काकिन जबाब दे," अरे  वो विर्तिवान  पन्डि जी नी छा ! कृपाराम पन्डि जी! अब वून  भागवतौ प्रवचन दीण  बंद करी आयि। बस अब तो वो अपण ड्यारम रोज इथरां क्रिकेट भजनावली अर क्रिक्यट कथावली सुणान्दन। हम सौब जनानी  रोज उख जैक क्रिक्यटावली सुणदां। सरा आस पास का जनान्यु पिपड़कारो लग्युं रौंद। पन्डित्याणि बुलण से लगद बल दक्षिणा खूब मिलणि च अर वूंन ड्याराडूणम जगा बि लि आल। अच्छा मि फोन बंद करणु छौं बकै रात बात करी।"
मीन ब्वाल," तो मि क्रिक्यटावली खतम हूणो  बाद फोन करदो।"
काकिक जबाब छौ," ना ना घाम अछल्याण तलक मीम टैम नी च।"
  मीन पूछ," पण काकि हमन त्यार काम  करणो  बान एक बिहारी धर्युं च फिर केको काम?"
काकिन उत्तरम ब्वाल," भै वू क्या च अगिल मैना   पट्टी  वीमेन क्रिक्यट प्रीमियर लीग च तो मि तैं श्याम दें क्रिकेट प्रैक्टिस मा जाण पोड़द। मी टीम को फ़ास्ट बौलर छौं।"
काकिन फोन काटि दे।
मीन अपण बाल सहपाठी प्रधान दादा कुण फोन मिलायि," गऴथि दा नमस्कार।मी मुंबई बिटेन भीषम बुलणु छौं।"
प्रधान दादान ब्वाल," अबे कथगा दै बोलि याल कि अब मि प्रधान ह्वे ग्यों तो म्यार स्कूलों नाम गजा नन्द से भटाया कौर।"
मीन बोल," बचपन की आदत नि जांदी दादा। अछा सूण वो डाळ कटवाणो स्वीकृति को क्या ह्वाइ?"
प्रधान दान  जबाब दे," हां तेरि काकिक घी बि पौंछि गे अर मास्टर जी त्यार  तरफान चार बोतळ व्हिस्की बि दे गे छा पण अचकाल मीम क्या क्षेत्र का कै बि  प्रधानम टैम नि च"
मीन पूछ," क्या सरा अडगैं वळा (क्षेत्र वाले ) सहकारी बागवानी वास्ता तैयार ह्वे  गेन अर अपण क्षेत्र का सबि गावूं  मा बगीचा लगणा छन? जो सबि गांवक प्रधान व्यस्त ह्वे गेन!"
प्रधान दादान उत्तर दे," ना रै ना ! बगीचा क्या हमन गूणी बांदरों कुण लगाण?"
मीन पूछ," तो क्या सरा  अडगैं वळा छ्वट़ा छ्वटा डाम बणाना छन जो सबि प्रधान व्यस्त ह्वे गेन?"
प्रधान भैजि क जबाब छौ," मै जणि त्यार दिमाग खराब ह्वे   ग्यायि धौं ! अबै जख कूड़ ऐथरा  सग्वड़म   साग भुजि जगा सरा साल  भर मळसु (खर पतवार ) फुळणु ह्वावो उख डाम -कूल को क्या काम?"
फिर मीन पूछ," तो क्या क्वी कॉलेज या बडो सरकारी अस्पताल खुलणो बान सबि ग्राम प्रधान व्यस्त छन?"
 प्रधानन चिरड़ेक ब्वाल," अबै भीषम ! अब सामाजिक हित का काम सरकार करदी। समाजन अब सामाजिक काम करण बंद करी आल।"
मीन पूछ," तो फिर तुम प्रधान लोक व्यस्त किलै छंवा?"
प्रधान दा को खुलासा छौ," वो क्या च अगलि मैना हमर पट्टी  मा तीस दिनों तीन तीन क्रिक्यट  प्रीमियर लीग टूर्नामेंट हूणा छन। सुबेर प्रौढ़ क्रिक्यट प्रीमियर लीग, दिन मा यूथ क्रिक्यट प्रीमियर लीग अर श्याम दें वीमन क्रिक्यट प्रीमियर लीग  टूर्नामेंट छन। अर हम सौब पंच प्रधान  पट्टी क्रिक्यट प्रीमियर लीग को प्रशासन मा व्यस्त छंवां  "
मीन  ब्वाल," तो  एक मैना बाद फोन कौरुं कि डाळ कटणो स्वीकृति क्या ह्वाइ?"
प्रधानन बोलि," ना ना फिर  दुसर मैना परगना (पट्टियों मिलैक एक यूनिट )स्तर पर तीन तीन  क्रिक्यट प्रीमियर लीग टूर्नामेंट उरायाँ छन तो हम सौब पंच , सरपंच अर प्रधान लोग तीन मैना तलक व्यस्त छंवां।"
प्रधान दान फोन काटि दे।
हमन गुन्दरू तै  पत्थर, माटु आदि ठेका दियुं छौ मीन स्वाच वै तैं फोन करे जावो। मीन फोन मिलायि अर ब्वाल," यो गुन्दरू ! मि मुंबई बिटेन भीषम बुलणु छौं।"
गुन्दरूक जबाब छौं," ओ काका नमस्कार। जल्दी बोल मीमा एक सेकंड को बी टैम नी च ."
मीन ब्वाल," क्या ह्वाइ ?"
वैको जबाब छौ," इन च इना द्वी मैना मा छै छै  क्रिक्यट प्रीमियर लीग टूर्नामेंट हूणा छन अर मी तैं पिच बणाण से लेकि खिलाड्यु  ड्रेस जूतों ठेका मिल्युं च तो चार मैना तलक मीमा क्या कै बि कारीगरम टैम नी च। त्यार कूड़ ये साल तो ना दुसर साल हि चिणे जालो।'
गुन्दरून फोन काटि दे
मीन स्वाच चलो पटवरी से डाळ कटणो स्वीकृति बात करे जावो। मीन फोन लगाई पटवरी तै परिचय द्यायि।
 पटवरीन ब्वाल," वो मास्टर जी से व्हिस्की बोतल मिलि गे छा। पण इना छै छै क्रिक्यट प्रीमियर लीग टूर्नामेंट हूणा छन तो लॉ एंड ऑर्डर संभाळणो  बान हम पटवरी -कानूनगो सौब  व्यस्त छंवां। तुमर  काम अब अगला सीजन मा ही होलु" पटवरीन बि फोन काटि दे।
मि  समजि ग्यों सरा क्षेत्र मा क्रिक्यटाण  सौरीं (फैली  ) च तो इ साल हमर कूड़ो मरम्मत हूण  मुस्किल इ च।             
         
     
                   

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गढ़वाली हास्य -व्यंग्य
सौज सौज मा मजाक मसखरी
हौंस,चबोड़,चखन्यौ
सौज सौज मा गंभीर छ्वीं
                               नाइट वाचमैन जब  यमराज ह्वे जांद

                                     चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )
घरवळि बुलण मिस्याइ,"तुमर दगड़ रैक क्या पाइ? तुम से बढ़िया तो वी ठीक छौ पण बुबा जीन बोलि बल वो गाळिदिवा छौ।"
मीन पूछ ," अरे आज किलै वु  गाळिदिवा किलै याद आइ।"
 घरवळिन रहस्य ख्वाल," अजकाल गाळि दीणो जुग  ऐ गे तो तुम से तो अपण बच्चों तै   गाळि नि दियान्दि तो तुम कै हैंक तैं क्या गाळि देल्या!"
मीन पूछ," ह्यां गाळि देकि क्या ह्वे जांदो?"
  घरवळिन ब्वाल," अब मनोरी ज्योर ग्राम प्रधान होंदा . तुम ग्राम प्रधान बणदा बणदा रै जांदा अर फिर तुम रोज मनोरी ज्योर पर भगार कम लगांदा अर बीच संजैत  चौकम गाऴयूं बमगोळा  चुलाणा  रौंदा।"
मीन ब्वाल," कुजाण क्या बुलणी छे धौं!"
वींन धुन मा ब्वाल," तुम मनोरी ज्योरू बौ सूनी तैं सुणान्दा बल वा सूनी त सलाणी (दक्षिण पौड़ी गढ़वाल का )नी च वा त रमोल्ट्या (उत्तरकाशी का ) च अर इन मा मनोरी ज्योरू ख़ास चमचा चिरड़े जांदा।"
मीन ,टोक "पण .."
घरवळि बुल्दि गे," वो मनोरी ज्योरू का चमचा तुमकुण मौत का सौदागर करिक भटयाँदा अर तुम इथगा गुस्सा  होंदा कि .."
मीन पूछ," अरे पण मेखुण क्वी मौत का सौदागर किलै बुल्दा?"
वींन  ब्वाल," किलै कि तुमन कथगा इ चिनख अर कुखुड़ मारि छा।"
मीन बोलि," पण .."
  घरवळि बुलण शुरू कार," मौत का सौदागर से तुम तै गुस्सा ऐ जांदा अर तुम मनोरी ज्योरू कुण कमीना , कुत्ता बुल्दां।"
 मीन बोल," कुत्ता , कमीना ?"
घरवळिन अगनै ब्वाल," फिर जब मनोरी ज्योरू जीब अयीं होन्दि तो तुम मनोरी ज्योरू खुण मौनी बाबा , गूंगा , सिल्युं जिबड़ वाळ कुत्ता बुल्दा।"
मीन ब्वाल।" सिल्युं जिबडौ कुत्ता?"
वीनं ब्वाल," हाँ कुत्ता , स्याळ आदि।"
मीन पूछ," तो मनोरी बादा तै गुस्सा नि आलो?"
घरवळिन ब्वाल, "वूं तैं त ना पण चमचों पर आग लगी जान्दि अर वो तुम तै खुले आम बदसूरत, बदखोर, बदतमीज बुलण बिसे जांदा।"
मीन पूछ," फिर ?"
वीनं ब्वाल, फिर तुम मनोरी ज्योरू तैं सूनी बौ का नाइट वाचमैन,  की उपाधि  दे दींदा।"
मीन ब्वाल,' ये मेरी ब्वै?"
 घरवळिन ब्वाल," फिर मनोरी ज्योरू पंच तुम तै सुंगर , स्याळ, कमीना, यमराज की उपाधि दींदा।"
मीन ब्वाल," इन मा तो ...?"
  वीनं ब्वाल," इन मा तुम मनोरी ज्योरू तैं जनखा , छक्का , करिक भट्यान्दा। फिर पंचायतम  , पंद्यरम , पुंगड़म, चौबटम, बीच रस्ताम, चौकम, भीड़म (दीवाल) गां मा सबि जगा  गाळी -गलौज चलणी रौन्दि  "
मीन ब्वाल," अरे जब द्वी बड़ा लोग आपस मा खुले आम अपशब्द, अशिष्ट  का उपयोग कारल  तो समाज मा गंदगी फैलली कि ना?"
  घरवळिन ब्वाल," हाँ  बड़ा लोग जन व्यवहार करदन  तो समाज बि ऊनि व्यवहार करण बिसे जांद।"
मीन पूछ," पण या गाळि बात तू आज किलै करणी छे?"
वीनं रहस्य ख्वाल," अरे अचकाल जु कौंग्रेस अर भाजपा मा अपशब्दों प्रतियोगिता चलणी च तो वां से अवश्य लगद कि अब समाज मा अपशब्दों बाढ़ आण वाळ च।"
                 


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गढ़वाली हास्य -व्यंग्य
सौज सौज मा मजाक मसखरी
हौंस,चबोड़,चखन्यौ
सौज सौज मा गंभीर छ्वीं
                               चलो ! प्रधान मंत्री पदौ  दौड़ मा शामिल हूंला           

                                       चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )

 घरवळिन हुकुम दींद बोलि," तुम लोक सभा चुनौ लड़ो अर प्रधान पंत्री पदौ दौड़ मा शामिल ह्वे जावो।"
मीन बोलि," क्या ? कन कन घ्वाड़ा खेत रै गेन त ते डूंडी क्या बिसात?"
घरवळिन ब्वाल," नै नै ! तुम तैं दौड़म शामिल हुणि पोड़ल। द्याख नी कथगा छन दौड़ मा। इन लगणु च भाजापा या कौंग्रेस तै बहुमत नि मिलण तो क्वी तिसरि पार्टी को  ही प्रधान मंत्री बौणल।  "
मीन ब्वाल," क्या नवीन पटनायक अफु छोड़िक मे तैं समर्थन द्यालो?"
"हां उन त नवीन पटनायक ठंडो दिमागौ च , होशियार च कि अबि तलक भ्रष्टाचार का तगमा धारी नि ह्वाइ तो वो प्रधान मंत्री लैक च  पण जै तैं उड़िया नि आवो वै तैं हिंदी क्या आलि अर हिंदी बुलण नि आलि तो समजि  ल्यावो उ प्रधान मंत्री नि ह्वे सकुद। वैन तुम तै समर्थन दे दीण  "घरवळिक बोल छा।
मीन ब्वाल," चलो माना कि नवीन पटनायक  मै तै समर्थन दे भि द्याव तो ममता बनर्जी बैणि? क्या वा लैक नि च "
  घरवळिन समजाइ ," उन तो ममता बनर्जी प्रधान मंत्री लैक च, वींक बंगाल मा चलदी बि च। पुराणा खयालात की च कि गरीबों तै कुछ द्यावो पण इन नि बथावो कि पैसा धेला आल कखन?  पण वींको मिजाज कैको समज मा नि आंदो ! तो कौंग्रेस , भाजापा या समाजवादी पार्टी वळुन वीं तै समर्थन तो  नि दीण उल्टां वींको घोर विरोध करण । वीन  तुम तै समर्थन दे ही दीण।"
मीन अपण विचार बथैन," ओहो ममता बैणि अर नवीन भुला समर्थन दे बि द्याला तो अपण लालू प्रसाद यादव! लालू की टक तो प्रधान मंत्री कुर्सी पर कथगा दशवीं से च।"
घरवळिन निर्णय सुणाइ," लालू प्रसाद प्रधान मंत्री पद का लैक त छन अर पद का बान  कुछ बि कौरि सकदन,  कुछ बि तिकड़म भिडै  सकदन  पण चारा घोटाला को धब्बा अर मुलायम सिंह यादवन ऊं तैं प्रधान मंत्री पद का जिना दिखण बि नि दीण।"
मीन संशय से ब्वाल," तो नितीश कुमार क्या दौड़ मा शामिल नि होला?"
 घरवळिन म्यार संशय मिटै," देखो जु नीतेश कुमार तैं प्रधान मंत्री बणनो बान भाजापा क समर्थन की जरूरत ह्वावो तो नरेंद्र मोदी जन भाजापाइ नीतेश कुमार तैं प्रधान मंत्री बणान से त राइ। जख तलक कौंग्रेस को   समर्थन को सवाल च तो मुलायम सिंह यादव , पाशवान  अर लालू प्रसाद अफिक द्याखाल कि नीतेश कुमार प्रधान मंत्री कुर्सी से दूर ही रावन।"
मीन अपण मंतव्य समिण कार," तो जया ललिता  भुलि बि त प्रधान मंत्री पद का वास्ता दावा ठोक सकदी।"
  घरवळिन पत्रकारों तरां गणत कार अर ब्वाल," ठीक च माना कि जया ललिता भुलि  पर भ्रष्टाचार का कुछ केसेज छन पण जया ललिता  प्रधान मंत्री लैक छें च। पण ना तो भाजापा ना ही कौंग्रेस जया ललिता  पर भरवस करदी तो इन मा जया ललिता इ ना डीमके का कै नेता क प्रधान मंत्री बणनों क्वी चांस नी छन।"
मीन कुछ याद करिक ब्वाल," अर वो अपणा चंद्रा बाबू नायडू बि त प्राइम मिनिस्टरौ रेस मा छन।"
  घरवळिन ब्वाल," चन्द्रा बाबू नायडू बि प्रधान मंत्री लैक छन पण चूँकि ना ही भाजापा अर ना ही कौंग्रेस चालि कि नायडू पीऐम की कुर्सी मा बैठु तो मैं नि लगद चन्द्रा बाबू नायडू से डरणै जरूरत च।"
मीन तर्क दे," अर शरद पवार पैथर थ्वडा   राला?"
  घरवळिन अपण तर्क दे," असल मा शरद पंवार पर क्वी बि राजनीतिग्य भरवस नि करदो तो समजि ल्यावो कि शरद पंवार प्रधान मंत्री कुर्सी दौड़ मा छें इ नि छन।"
  मीन ब्वाल," त्वै तैं पूरो भरवस च कि अबै दें क्वी अनजान चेहरा ही प्रधान मंत्री बौणल?"
   घरवळिन विश्ववास पूर्वक ब्वाल," हाँ  अबै दें कै डार्क हौर्सन ही प्रधान मंत्री बणन।"
मीन पूछ," तो त्यार  हिसाब से कख बिटेन  लोक सभा को चुनाव लड़न चयेंद?"
वींको बुलण छौ," जितण तो तुमन छ नी च तो कखि  बिटेन नी च। लोक सभा  चुनाव लड़णो  मतबल डार्क हौर्स की प्रतियोगिता मा शामिल होण। ह्वे सकुद च क्वी आधुनिक  हुमायूं तुम पर मेहरबान ह्वे जावो अर तुम तै एक दिनौ कुणि प्रधान मंत्री बणै द्यावो।"
   
     


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गढ़वाली हास्य -व्यंग्य
सौज सौज मा मजाक मसखरी
हौंस,चबोड़,चखन्यौ
सौज सौज मा गंभीर छ्वीं
                      मंहगाई कम करणौ कुछ ब्यूंत -तरकीब 
                               
                           चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )

              मंहगाई आज क्या प्रजातंत्र माँ सरकार बदली दींदि। याद च एक दें बढ्या प्याज का दामोंन कथगा इ राज्यों मा भाजापाई सरकार ही बदल दे अर उन राज्यों मा कौंग्रेस की सरकार बणिन।  अचकाल बि मनमोहन सिंघै  सरकार की सबसे बिंडी  काट इलै होन्दि बल या सरकार  मंहगाई पर नकेल नि लगै सकणि च।    ब्याळि  परसि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को गवर्नर डी सुब्बा राव को बयान आइ बल ग्रामीण क्षेत्रों मा लोगुं आय बढ़ी गे अर लोग स्वास्थ्यवर्धक खाणक जन की प्रोटीनयुक्त, चर्बी युक्त , खाण गीजि गेन तो मंहगाई बढ़णि च।
डी सुबारव को हिसाबं मंहगाई घटाणौ  तरकीव  तरीका इन  छन -
  सबसे पैल  त भारत मा ग्रामीण क्या शहरों मा बि गरीबों आय कम करे जावो किलैकि यी असुण्या गरीबुं जनि इनकम बढ़दि इ लोग मंहगाई बढाई दिन्दन अर यां से विजय मलया सरीखा सेठों तै बड़ी परेशानी होंद अर ओ अपण अहम तुष्टि संतुष्टि बान अनाप सनाप खेलों मा पैसा लगाण से वंचित रै जान्दन।
अब जब डी सुब्बा राव सरीखा अर्थशास्त्री बुलणा छन बल ग्रामीण आय बढ़ण से अर गरीबुं इनकम बढ़ण से मंहगाई बढ़णि च तो सबसे उचित काम यो ही च बल कि कै बि तरां से गरीबों अर ग्रीमीण आय पर रोक लागाये जावो।  भारत सरकार अर राज्य सरकारों मा एक अलग मंत्रालय खोले जावो जैक नाम हूण चयेंद गरीबुं कमै रोको  मंत्रालय। गरीबुं कमै रोको मंत्रालय सीधा प्रधान मंत्री अर मुख्य मंत्री का तौऴ हूण जरूरी च जां से एक बी गरीब की कमै नि बढ़। गरीबुं कमै रोको मंत्रालय तैं ग्राम स्तर पर युद्ध स्तर पर गरीबुं कमै कम करणों बान काम करण चयेंद। गरीबुं कमै रोको मंत्रालय तैं गरीबों इनकम कम करणों बान संबैधानिक ताकत अर संरक्षण  मिलण जरोरी च। जै बि गां मा एक बि गरीब की इनकम बढ़ो तो उखक  ग्राम प्रधान पर  क्वी बि चुनाव लड़णो आजीवन पाबंदी लगण जरूरी होण चयेंद। जै बि जिला मा एक बि गरीब या ग्रामीण की कमै बढ़ो तो जिलाधिकारी, मंडल अधिकारी की नौकरी तुरंत खतम करे जाण चयेंद। ब्लॉक ,तहसील अर जिला स्तर पर अधिकार्युं तैं गरीबुं इनकम कम करणों प्रेरणा अर प्रोत्साहनो वास्ता भौं भौं किस्मौ पुरुष्कार दिये जाण चयेंद।
                        मैं नि लगुद रिजर्व बैंक गवनर से बडो क्वी सरकारी अधिकारी ह्वालो जो अर्थशास्त्र को इथगा बडो ज्ञानी ह्वालो। यांक मतबल च हम भारतीयों तैं मंहगाई रोकणो बान डी सुब्बाराव की  बात पर विचार  करण आवश्यक च,  डी सुब्बाराव की  बात मनण जरूरी च , डी सुब्बाराव की  बात पर अमल करण  अत्यावश्यक  च। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सुब्बाराव को बुलंण च बल आम लोग अब आलु पालु (अनाज ) खाण छोड़िक अंडा , प्रोटीनयुक्त भोजन, मीट , दाल ,साक भाजी, फल वगैरा खाण लगी गेन तो यांसे बि मंहगाई  बढ़णि च। बात तो सुब्बा राव की सै च बल जब कि सेहतमन्द  खाणक जन कि  अंडा , प्रोटीनयुक्त भोजन, मीट , दाल ,साक भाजी, फल वगैरा खाणों अधिकार  केवल अमीरों को छौ तो जब आम आदिम स्वास्थ्यवर्धक, आयु वर्धक खाणों खाल तो अमीर लोगुं वास्ता फोकट मा मंहगाई तो बढ़लि ही। तो इख पर महान अर्थ शास्त्री सुब्बा राव की बातों तैं हरेक नागरिक तैं खासकर गरीब नागरिक तैं  ध्यान दीण पोड़ल कि सेहतमंद, स्वास्थ्यवर्धक खाणक/भोजन /डाईट खाण बंद करी द्यावन जां से कि अमीरों बान मंहगाई नि बढ़ो। मि तो बुल्दो कि सरकार तैं तुरंत एक अध्यादेस लाण चयेंद अर आम आदमियों तैं अंडा , प्रोटीनयुक्त भोजन, मीट , दाल ,दूध , साक भाजी, फल वगैरा खाणों अधिकार खतम करे जावो। संविधान मा बदलाव लाये जाव कि यदि क्वी बि आम आदिम अंडा , प्रोटीनयुक्त भोजन, मीट , दाल ,साक भाजी, दूध,  फल वगैरा खाणक खाण  पाये गे तो वै तै तुरंत गैरजमानती न्याय संहिता का तहत  गिरफ्तार करे जावो अर  तुरंत दस साल की बमुशकत जेल की सजा दिए जावो। दुकानदारों कुण नियम बणाये जावो कि वों आम आदमियों तैं अंडा , प्रोटीनयुक्त भोजन, मीट ,दूध,  दाल ,साक भाजी, फल वगैरा बिचण बंद करी द्यावन अर जो बि दुकानदार आम आदमियों तैं  अंडा , प्रोटीनयुक्त भोजन, मीट , दाल ,दूध ,साक भाजी, फल वगैरा ब्याचो वै तैं तुरंत पांच साल की कठिन जेल की सजा सुणाये जावो। हरेक दुकान का समणि  बोर्ड लग्युं हूण चयेंद---- संवैधानिक चेतावनी -आम आदमियों को अंडा , प्रोटीनयुक्त भोजन, मीट , दाल ,साक भाजी, दूध, फल खाने की मनाही है। यदि   आम आदमी स्वास्थ्यवर्धक भोजन, दूध  या फल आदि अंडा , प्रोटीनयुक्त भोजन, मीट , दाल ,साक भाजी, फल वगैरासंग्रह करते या खाते पाया जाएगा तो  दस साल की सजा होगी। 
     दगड़म सरकार तैं टेलीविजन अर अन्य माध्यमों से  केंद्र अर राज्य सरकार को संगठित अर जोर का अभियान चलाण चयेंद  जामा आम आदमियों से अपील करे जावो कि मंहगाई रोकणो बान  कृपया स्वास्थवर्धक भोजन ना करें। आम आदमियों को स्वास्थ्यवर्धक खाणक खाण  देशद्रोह माने जाण चयेंद।   स्वास्थ्यवर्धक भोजन, दूध  या फल आदि अंडा , प्रोटीनयुक्त भोजन, मीट , दाल ,साक भाजी, फल वगैरा स्वास्थ्यवर्धक भोजन, दूध  या फल आदि अंडा , प्रोटीनयुक्त भोजन, मीट , दाल ,साक भाजी, फल वगैरा
  मेरि समज से बि मंहगाई रोकणो बान पैल त गरीब अर ग्रामीणों आय पर तुरंत रोक लगण जरूरी च अर दगड़म आम अदिमियों  पर दूध , दही, फल, दाल,अंडा , प्रोटीनयुक्त भोजन, मीट , दाल ,साक भाजी, फल वगैरा संग्रह अर खरीदी पर भी तुरंत रोक लगण चयेंद। अर जु बि आम आदमियों को समर्थन कारो वै तैं देशद्रोह का ऐवज मा जेल हूण चयेंद।
चूंकि सरकार अर नेता मंहगाई तो नि रोक सकदन तो मंहगाई रोकणों बान आम आदमियों तैं ही त्याग करिक देश बचाण जरूरी च। 


           


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