Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 359886 times)

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
 खस्सी बुगठ्याs  सुपिन !

चबोड़्या -चखन्योर्या - भीष्म कुकरेती


बुगठ्या  १- सूण ! तीन कबि मटन नाम बि सूण  ?
बुगठ्या २- ना भै ! पण ह्वाइ क्या च ?
बुगठ्या १- एक छ्वारा म्यार तरफ देखिक बुलणु छौ बल व्हट ए  मटन शॉप   !
बुगठ्या २-हां याद आयि ! मि जब छौनु छौ त कबि कबि हमर गोसी (मालिक ) अर गुस्याण बुल्दा त छया  बल अबि फसल कटण लैक नि ह्वै , मटन लैक नि ह्वै ! मि त कबि नि ग्यों मटनौ पुंगड़ उज्याड़ खाणों !
बुगठ्या १- पण वु छ्वारा बुलणु छौ बल व्हट  ए  मटन शॉप   !
बुगठ्या २-ये सूण यूं अजकालौ छ्वारों भकलौण मा नि आण हां !
बुगठ्या १- हाँ ! सै ब्वाल तीन बड़ा बदतमीज छन अचकालौ छ्वारा ! 
बुगठ्या २-उंह ! छोरि कम छन ! स्या  मलकिनै छोरि आँख कताड़ी  कन रौन्दि त्वै तैं घुरणी
बुगठ्या १- त्वै तैं हमेशा में से जौळ हूंदी , इर्ष्या हूंदी कि  सरा बखरोड़ा बखरी म्यार ऐथर पैथर सुंग सुंग करणा रौंदन !
बुगठ्या २-अरे मि मजाक करणु छौ पण मालिकै छोरि त्वै तै इना उना जपकाणि नि रौन्दि क्या ?
बुगठ्या १- अरे उन त मालिक अर मालिकण बि जपकाणा रौंदन।
बुगठ्या २-हां पण मालिका छोरी तेरी रान अर फट्टा पर इन हाथ फेरदी कि …
बुगठ्या १- त्वै तैं जळणो अलावा क्वी काम नी च। 
बुगठ्या २-हाँ ! पर दगड़म वा इन किलै बुल्दि कि यी रान फट्टी ही त मेरा गुलबन्द छन , सोना की चूड़ी छन , सुहाग की माळा छन।     
बुगठ्या १- पता नि किलै ? अर मालकण  बि इनि कुछ बोल्दि कि यी रान -फट्टी मेरी बेटी सुहाग की माळा छन।
बुगठ्या २-ये तू मालकण  अर वींक बेटि तैं सुदि नि जपकाण दिया कौर हाँ ! तंदला की बखरी इर्ष्या से जळ जांदन
बुगठ्या १- अब तुम सौब इनि जळणा रावो हां। 
बुगठ्या २-अरे हम नि दिखणा छां ! मालिक , मालकिन  अर बेटी त्वै पर कथगा मेहरबान छन !
बुगठ्या १- अरे वो में से बहुत प्यार जि करदन।
बुगठ्या २-हाँ वू त दिख्याणु च। इ सबि चारा , किनग्वडु पत्ता त्यारि समिण डाळदन।     
बुगठ्या १- प्यार से रै !
बुगठ्या २-हाँ ! इ लोग त्वै तैं इथगा खलांदन कि यीं छुटि उम्र मा तु खस्सी बुगठ्या ह्वे गे। खलै खलै त्वै तैं ज्वानि आण से पैलि खस्सी बुगठ्या बणै दे हां !
बुगठ्या १- मालिक परिवारौ प्यार च भै
बुगठ्या २-अरे हाँ !  पैल तेरि जगाम वो बुगठ्या नि छौ वै से बि इ सबि खूब प्यार करदा छा। 
बुगठ्या १- हाँ यार ! मालिक लोग वै बुगठ्या की क्या सेवा , टहल करदा छा हाँ ! मालिकन वै बुगठ्या रान -डौणि जपकांद जपकांद  बुल्दि छे बल तेरी रान त हमकुण द्वी जोड़ी नया नया  गद्दा -खंतुड़ छन। 
बुगठ्या २-अच्छा सूण  फिर एक दिन मालिक लोग वै बुगठ्या तैं पशु -मेला लीग छया ?
बुगठ्या १- हाँ ! लिजांद दैं मालकण अर मालिक इनि बुलणा छा बल चल बेटा पशु मेला दिखणौ जौंला ! अर मालकिन मालिक तै समजाणि छे कि बुच्चर का दगड़ ठीक से मोल -भाव करिन हाँ !
बुगठ्या २-इ पशु मेला क्या हूंद ?
बुगठ्या १- मि तैं त नि पता पण सूण च कि उख सर दुन्या क पशु आंदन अर नाच-गाण-खाण -पीण अर फिलम शो हूंद।
बुगठ्या २-अच्छा सूण ! यि बुच्चर क्या हॊन्द ?
बुगठ्या १- इनि ह्वाल जन कि हऴया , गुठळ , धनकुर्या , ग्वेर   
बुगठ्या २- अर इ मोल -भाव क्या हूंद।
बुगठ्या १- ह्वाल इनि जन कि तै बखर तै चारु दे , तै तैं मथि तर्फां बाँध , तै चिनख तैं फ़ुचि छोड़ दे
बुगठ्या २- अर सूण जु बि बुगठ्या पशु मेला  ग्यायि वु बौड़ि नि आंद , किलै ?
बुगठ्या १- सुणन मा आयि बल उख बुच्चर बुगठ्यों तैं कै अनजान मजेदार, स्वर्ग समान चारगाह ली जांद बल जख बिटेन बखर इना आण इ नि चांदन
बुगठ्या २- अरे मालिक -मालकण ऐ गेन।
मालिक (बुगठ्या १ तैं खुलद)    - चल म्यार बुगठ्या पशु मेला जौंला।
मालकण - सूणो ! बुच्चर का  दगड़  ठीक से मोल भाव करिन हां।  बेटीक  ब्यौवक जार -जेव्हरात सब लाण हाँ !
मालिक - हाँ भै हाँ ! इथगा बड़ो खस्सी बुगठ्या बणाइ तो बेटी ब्यौवक जेवर त आला ही ! अर सूण तै बुगठ्या २ तैं बुगठ्या एक  की जगा बांधी दे अर अब तै तैं चारा देकि  जल्दी खस्सी बणान हाँ !
बुगठ्या २ -(अपण मन मा ) म्यार दिन कब आल जब मि बि पशु -मेला जौंल अर उख बुच्चर दिखलु अर स्वर्ग समान चारगाह मा मजा करुल !


Copyright@ Bhishma Kukreti 5 /9/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
 बैंक डकैती

                        चबोड़्या -चखन्योर्या - भीष्म कुकरेती

जगा - बैंक भितर
लोग -
एक नौनी कैशियर
कुछ ग्राह
तीन डाकू
डाकू सरदार  (पिस्तौल हवा मा दिखैक )-  चूंकि लंच टाइम च त कैशियर छोड़ि सब बैंक स्टाफ लंच करणों भैर जयां छन। तो जू बि छन वु सब भ्युं मुर्गा बणिक बैठ जावो।
द्वी डाकू मुर्गा बणदन- पुरण जमन मा यु मास्टर रै होलु।
डाकू सरदार - अबै तुम ना ! मीन बकैयुं कुण मुर्गा बणनो ब्वाल ! कैशियर अपण हथ अळग कौर अर मुर्गा बौण
(सबि ग्राहक मुर्गा बणदन )
एक डाकु - बॉस कैशियर जनानी च अर वा मुर्गा नि बौणि सकदी।
डाकु सरदार -सौरि मुर्गी बौण
कैशियर (हथ अळग करदी करदी ) -मिस्टर ठग
एक डाकु - सरदार ! पिस्तौल चला अर ईंक गुदल फोड़ दे।  हमकुण ठग बुलणि च।  हम क्वी वु सरकारी अधिकारी छंवां जु सरकार अर जनता तैं ठगणा छन।
कैशियर -सॉरी ! मिस्टर लुटेरा !
वी डाकु - सरदार चलाओ गोली।  हम क्वी सरकारी ठेकेदार, माफिया, नेता  छंवां जु देश लुठणा छंवां ?
कैशियर - सौरी ! मिस्टर डाकु
दुसर डाकु - उन त तू अंग्रेजी मा बचियाती है पण हम तैं हिंदी मा डाकू कर भट्याती है ?
कशियर ! सौरी !   मिस्टर  रौबर   !
डाकू सरदार - बोल।  जल्दी बोल हमन बैक रॉब करण।
कैशियर - बैंक रॉबरी त खतरनाक अर गैर कानूनी काम च।  बैंक लुटणो  सरल तरीका बि च जु कानूनन एकदम सही च।
एक डाकू - क्या ?
कैशियर सरकारी अर  सहकारी बैंकुं से लोन ल्यावो अर फकोरिक से जावो।
डाकू सरदार - हां ! हमन महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक स्कैम की वा खबर पौढ़ी छे जैमा बड़ा बड़ा नेताओं नाम आयुं छौ।  अर वीं खबर पौढिक त सरकारी बैंक से लोन ले छौ
कैशियर - तो क्या ! हम पर हमर जमीनों नीलामी नोटिस ऐ ग्यायि ! वांकी बान त हम बैंक रॉबरी करणा अयाँ छंवाँ
कैशियर - त   तुमन अपण असली जमीन गिरवी लेक कर्ज ले छौ ?
डाकु -हाँ !
कैशियर - तुमर लोन एजेंटन  नि बथाइ कि नकली कागज दिखैक बैंक बिटेन कर्ज लीण चयांद
डाकु सरदार - ना ! अच्छा अब छ्वीं लग गेन।  फटाफट जथगा बि कैश च हमर थैला पुटुक पांज  . ये डाकु नम्बर वन ! जा कैशियर की सहायता कौर अर थैला पुटुक पैसा भौर।
(एक डाकू थैला लेक कैशियर का पास जान्दो अर द्वी पैसा पंजणम व्यस्त ह्वे जांदन )
डाकु सरदार एक मुर्गा बण्यु जवान नौनु से - क्या बै ठीक से मुर्गा नि बण्यान्द त्वे से ?
नौनु -नै ! वो मोबाईल मा एक अर्जेंट मैसेज अयुं च त पढ़णो कोशिस करणु छौं।
डाकु सरदार -चल देख ले।
नौनु मोबाइल मा मैसेज पढ़दु अर जोर जोर से हंसण बिसे जांद।
डाकु सरदार -क्या बै किलै हंसणु छे ?
नौनु -फेस बुक मैसेज मा एक इन चित्र आयुं कि बरबस हंसी आणि च।
डाकु सरदार - जरा इना लादि मी बि दिखुद कि कनु चित्र च।
(नौनु मोबाइल लेक सरदारौ पास आंदु अर चित्र देखिक खत खत हंसण बिसे जांद )
डाकु सरदार -ये त्यार फेस बुक का फ्रेंड रंगीला छन जो इन बढिया मैसेज भिजदन।  हमर फेस बुकाक फ्रेंड बेकार छन।  जरा हौरि इनि चित्र त दिखादि।
(नौनु मोबाइल पर सरदार तै चित्र दिखांदु।  सरदार जोर जोर से हंसुद।  इन मा तिसर डाकु बि उखम आंदु अर मोबाइल का चित्र देखिक सरदारों दगड़ खत खत हंसण लगि जांद )
कैशियर का पास कु डाकु कैशियर से - ये त्यार मोबाइल पर बि फेस बुक का  मजेदार मैसेज आन्दन क्या ?
कैशियर - हाँ ! दिखौं क्या ?
डाकु -हाँ तू मोबाइल का मैसेज दिखा।  मि रुपया पांजदु
(कैशियर मोबाइल माँ मैसेज दिखांदी।  डाकु उत्तेजित ह्वे जांद।  वैक दांत सिल्ल  ह्वे जांदन )
वू डाकु अपण सरदार से  दांत कीटिक  बुलद - बौस ! अरे इखम तो  आवो क्या मैसेज छन।
(सरदार कैशियरौ पास आंद अर मोबाइल का चित्र दिखणम व्यस्त ह्वे जांद।  सरदार का भाव से लगद कि मैसेज उत्तेजक छ्या )
(उना नौनु तिसर डाकु तैं चित्र दिखाणम व्यस्त रौंद अर डाकु बेफिकर चित्र देखिक हंसणु रौंद )
इथगा मा पुलिस सायरन कि आवाज आंदी।
डाकु सरदार -ये मोबाइल मा को च वीडिओ गेम खिलणु ?
पुलिस इंस्पेक्टर  - अबे या आवाज वीडिओ गेम की नी च   या असली पुलिस कु सायरन च
सरदार - पण ?
पुलिस इंस्पेक्टर - हाँ कैशियरन मोबाइल से मेखुण मेसेज भेजि कि ….
     
 


Copyright@ Bhishma Kukreti 6/9/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
सुबेर सुबेर सकारात्मक समाचार पढ़णो ज्यू बुल्यांद !

                                                       चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
                      अजकाल उत्तराखंडी सोसल मीडिया ग्रुपुं से सुबेर सुबेर समाचार आणो सिलसिला बि शुरू ह्वे ग्यायि। खबर दीण , रंत रैबार भिजण भलो मनिखों काम च।
पण अचकाल चाहे समाचार अखबारों मा ह्वावो , टेलीविजन मा ह्वावो या सोसल मीडिया मा ह्वावो।  कख्याक बि समाचार सुबेर सुबेर पढ़ण लैक नि रौंदन।
         सुबेर सुबेर इना दाता से याने भगवान से सब्युं सुरक्षा बान प्रार्थना रौंद करणु त उना ऐफ़ ऐम रेडिओ मा सुबेर सुबेरा मुख्य समाचार  सुण्यादि बल ब्याळि रात फलां मन्दिर से चोर मन्दिर की करोड़ो की सम्पति चूरे लीगेन अर स्थानीय लोगुं चोरी शक पुजारी अर  नेताओं पर च !   इन समाचार सूणिक  भगवान से रक्षा कवच कनै मांगे जावो ?
  कनि कौरिक दिल समजै -बुजैक प्रार्थना अगनै बढांदु कि कि हे  धनवन्तरी ! हे अश्वनी कुमारो ! हमर परिवार तैं विभिन्न रोगों से दूर रखेन ! त टेलीविजन ब्रेकिंग न्यूज ! ब्रेकिंग न्यूज की गूँज कंदुडुं मा आंद बल बजार मा मिलावटी दवाइयोँ धंधा  जोरों से चलणु च।  अब इन दिलगुदाज (ह्रदय विदारक ) खबर सूणिक प्रार्थना करणों ज्यू कैक बुल्यालो ?
               खैर प्रार्थना कौरिक फलाहार का वास्ता फल पर  जांदि कि टेलीविजन पर फिर से ब्रेकिंग न्यूज की गूँज आँदि बल दर्शको ! सावधान ! फलों पर हाथ बि नि लगैन।  फलों के  के अन्दर पकाने के लिए , रंग के लिए इंजेक्सन से जहर भर रहे हैं।  इन जहरीली खबर सूणि फल देखिक ही ज्यू सूख जांद।
         इना स्वास्थ्य रक्षा बान सुबेर सुबेर दूधौ गिलास हथ पर लींदु , एक घूंट जनि पींदु कि  नौनु अखबार बांचदो अर खबर सुणांदु कि सरा भारत मा मिलावटी दूध को व्यापार अपण चरम सीमा पर च।  मिलावटी दूध को समाचार सुणि गौळुन्दक   दूध उल्टी   ह्वेक भैर ऐ जांदो।
                    बेटी कॉलेज जाणै तयार होंदि कि टीवी मा समाचार सुणेद  बल भारत मा  ब्याळिरात हरेक राज्य मा बलात्कार की घटना ह्वेन।  भारत मा   बलात्कार के घटनाओं मा आशातीत वृद्धि हूणी च अर अब त शिक्षकों अर  मा छौंपा दौड़ (होड़ , प्रतियोगिता ) लगीं च कि कु जादा बलात्कार कारल ! सुबेर सुबेर इन दिल्सोख्ता (दग्ध हृदय ) खबर सुणिक कु ब्वे -बाब बेटियुं तै कॉलेज भिजण मा उत्साह दिखालु।  सुबेर सुबेर  की निरुत्साही खबर पौढिक  सरा दिन बेटी की चिंता ही लगीं राली कि ना ?
          बेरोजगार बेटा सुबेर सुबेर अंग्रेजी अखबार मा रोजगार खुज्याणो बान अखबार खुल्दो तो  अखबारम पैलो पेजौ हेडिंग " भारत में कम्पनियां रोज हजारों की संख्या  में अपने कर्मचारियों को बर्खास्त कर रही हैं " पौढिक  निरुत्साहित होलु कि ना ? वै तैं क्या अपण भविष्य उज्ज्वल दिख्याल ?
   पैलि  सुबेर सुबेर टेलीविजन , अखबारों अर सोसल मीडिया मा नकारात्मक खबर सुणिक , पौढ़ीक सरा दिन भर मन नकारात्मक दिशा मा इ घुमणु रौंद।
 अब इन्टरनेट पर सोसल मीडिया मा बि नकारात्मक खबर पढ़णो मिल्द त दिल खट्टो ही हूंद।
मि सकारात्मक समाचारों जग्वाळ मा रौंद बल सकारात्मक समाचारों से सरा दिन भर उत्साह रालो,  कुछ करणों इच्छा होलि।
दिख्या कबि त इन दिन आलो कि अखबारों पैल पेज मा सकारात्मक खबरूं से भर्युं रालो। 
 




Copyright@ Bhishma Kukreti 7/9/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 



Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
भगवान अर मैनेजर इकजनि हूंदन

                                    चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

                             खुदा पर जौंक एकाधिकार च या भगवान पर जौंक पूरो अधिकार च वूंन कतै नि मनण बल भगवान एक होशियार , चतुर , व्यवहारकुशल , निपुण प्रबंधक च।  पण जरा विवेचना कारो त सै तुम बि बुलिल बल ईश्वर बेमिसाल मैनेजर, बेमिसाल व्यवस्थापक या अनुपम प्रबंधक च। 
             अनूठा प्रबन्धक वी हूंद जब बि संस्थान मा क्वी भलो काम होउ प्रशंसा पावो अर संस्थान मा गलत ह्वावो त दंड क्रमिक तैं मीलो।  जब बि संस्थान मा भलो काम हूंद त गुणगान कार्मिकों नि होंद बलकणम वाह -वाही या प्रशंसा प्रबन्धक की होंदी।  अर संस्थान मा चोरी , अग्यौ आदि कुछ गलत ह्वे जावो त कर्मिकों तैं हर्जाना भोरण पोड़द।   गलत काम,  घटना की जुमेवारी प्रबन्धक नि लीन्दो पण छुटि छुटि भली बातौ फैदा /क्रेडिट लीण मा प्रबन्धक अग्वाड़ी रौंद।
            इनि भगवान बि प्रबन्धक च।  अब द्याखो ना ! उत्तराखंड मा बरखा से इथगा बड़ो खंड -मंड ह्वे त  खडं -मंड की सारि जुमेवारी मनिखों पर आयि कि पर्यावरण की अनदेखी , नियमों का  उल्लंघन से उत्तराखंड मा इथगा बड़ी आपदा आयि। उत्तराखंड मा आपदा -विपदा -संकट को भगार मनुष्यों का कुकर्मो पर लगाये गे।
             अर जब इथगा जोरौ भळक  आण पर, रगड़ -बगड़  हूण पर बि मुख्य केदार नाथ बचि गे त बुले गे "ईश्वर   सब  कुछ दिखुद अर ईश्वर की कृपा से मुख्य अर मूल मंदिर बचि गे !". मन्दिर बचि गे त प्रशंसा भगवान की ! अर उजड़ -बिजड़ ह्वाइ त दोष मनुष्यों पर ! कैन बि वै या वूं मनुष्यों बड़ाई नि कार जौन सैकड़ों साल पैल केदार नाथ मन्दिर की इन जगा मा स्थापना करि छे कि जो मन्दिर भयानक से भयनक बाढ़ मा बि बचि जांद ! यो इ  त चतुर प्रबन्धक की खूबी हूंद कि जब बि प्रशंसा बंट्याणो छ्वीं ह्वावो त मैनेजर सबसे अग्वाड़ि हूंद अर जब गाळि खाणो बगत आंदो त व्यवस्थापक मीलों -कोसों दूर अदिखौ  रौंद।
  भलो काम ह्वै ग्यायि त बुले जांद खुदा  मेहरबान च अर काम बिगड़ि ग्यायि त बुले जांद -"क्या कन तैक करम हि फुट्याँ छन ! या तैन मनिखन जरुर पूरब जनम मा पाप करि होला "
  कैं बि संस्था मा कर्मिक  काम करदो अर प्रमोसन नि मिलद त बुले जांद ,"व्यवस्थापक तेरी परीक्षा लीणु च !" अर आम जीवन मा बि सुण्याद इ च कि भगवान परीक्षा लीणु च।"
 जरा संस्थानों मा जावदि कर्मिकों तैं ऊंका उत्तरदायित्व क्या छन का बारा मा रोज भाषण दिये जांदन पण मुख्य प्रबंधक की क्या जुमेवारी होंद या छ पर कबि बि कुछ नि बुले जांद।
इथगा धर्मों का सैकड़ों शास्त्र या धर्म -किताब छन।  कखिम बि कै बि धर्म किताब मा ' ईश्वर की क्या क्या जुम्मेदारी छन' पर कैन बि कुछ नि ल्याख । 
संस्थाओं मा कर्मिक नियमों हिसाब से काम करणा रौंदन अर साल भर का बाद अपण अपण कर्म पत्री पर्सनल विभाग तैं दींदन फिर वेतन वृद्धि या पदोन्नति को गुप्त, रहस्यात्मक हथियार या फल तो मुख्य प्रबन्धक को ही हाथ मा हूंद कि ना ?
इनि बुले जांद बल "हे मनुष्य ! तू कर्म करदा जा।  फल की चिंता नि कौर। " . अर फल नामक गुप्त भेंट त केवल ईश्वर का ही पास हूंद कि ना ?
भगवान एक जगा मा बैठिक सब कुछ जाणदो अर चालाक व्यवस्थापक बि अपण जासूसों बल पर संस्था के हरेक कार्यविधि की जानकारी पाणु रौंद।
म्यार त बुलण  च बल तुम तैं कामयाब मैनेजर बणन त भगवान का गुणों अनुसरण , अनुकरण , नकल , देखा-देखि कारो त तुम एक सफल मैनेजर बणि जैल्या !
अब द्याखो ना जु तुम तैं यु लेख पसंद आलो त तुमन बुलण "! ओ मा  गॉड ! भीष्म इज गॉड गिफ्टेड राइटर !"
अर लेख पसंद नि आयि त तुमन बुलण बल ये भीषम तैं लिखणै तमीज नी च !
 




Copyright@ Bhishma Kukreti 8 /9/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 



Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
 चीनौ अतिक्रमण से  आश्चर्य किलै ?

                        चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती


                अचकाल मीडिया अर संसद मा भारत मा चीनी सेना को अतिक्रमण की छ्वीं लगणी छन अर उत्तराखंड इन्टरनेट सोसल मीडिया मा बि श्री राम चमोली जन संवेदनशील लोगुंन बि यीं बात पर चर्चा कार बल चीन  हमर धरती या लाइन ऑफ ऐक्सेप्टेड कंट्रोलक  उल्लंघन करणु च।
 मि तैं ये समौ पर भारतौ वाड सरकाण पर आश्चर्य नि ह्वे।   जी हां मि नि खौंऴयोँ बल भारत की सीमाओं पर चीन   अतिक्रमण करणु च।  या पकिस्तान लाइन ऑफ कंट्रोल को उल्लंघन करणु च।
ये ही समौ पर मियामार या बर्मा बि आँख घुराणु च।
येइ बगत नेपाल बि चीनौ दगड़ सांठ गाँठ करणों बान अलग पक्वड़ पकाणु च !
श्री लंका अर मालदीवो बि ज्यू खयाणु च बल भारत तैं नीचा दिखाये ही जावो !
जु भितरै बात समणि आलि त हम तै पता  जालो कि कखि ना कखि अमेरिका , ब्रिटेन , फ्रांस , जापान बि हम तैं आँख दिखाणा होला अर भौत सि  तिराणा बि होला। 
अर सब खौंऴयाणा छन कि इन किलै ?  जब कि खौंळेणै बाति नी च।
जरा भारत का इतिहास द्याखो त सै।  जरा भारत पर अतिक्रमण या आक्रमण के तिथियों तैं याद कारो त सै त हम पौंला कि भारतम येबरि   इन वातावरण बण्यु च कि जु चाहो हम तैं दनकै सकुद च , हमर सीमा पर आक्रमण सकुद च।
जरा सिकंदर को आक्रमण याद त कारो कि वै समौ कु वातावरण अर आज कु वातावरण अर सिकंदरौ आक्रमणौ समौ मा कुछ बि अंतर नि च।  सिकंदर का समौ पर  क्षत्रप आपस मा कुत्ता -बिरळु  तरां लड़णा छया अर जब क्षत्रप या क्षेत्रीय शक्तियाँ आपस मा एक नि छया।  जब भारत की क्षेत्रीय शक्तियाँ आपस मा गुत्थम -गुत्था ह्वाला त चीन -पाकिस्तान क्या मालदीव बि अतिक्रमण की स्वाचाल कि ना ? आज भारत मा हरेक प्रादेशिक अर ब्लॉक स्तर कि क्षेत्रीय शक्तियां केवल अपण राजनैतिक स्वार्थ का खातिर क्षेत्रीय अस्मिता की बात करणी छन अर देश को हित की अनदेखी करणा छन तो चीन हमारी सीमा पर अतिक्रमण करणु च त इखमा आश्चर्य किलै ? चीन बि जाणदु च बल जब बि कै देश की क्षेत्रीय शक्ति स्वार्थी ह्वे जावन अर जनहित की जगा राजनैतिक हित महत्वपूर्ण ह्वे जावन तो वो देश रक्षा मामला मा अति हीण ह्वे जांदो।
जरा अशोक का बाद या गुप्त काल का बाद को भारतौ  इतिहास याद त कारो तो वै इतिहास मा द्वी ख़ास बात ह्वेन ! एक क्षेत्रीय शक्ति अर विभिन्न धार्मिक शक्तियाँ अति महत्वाकांक्षी अर निम्न स्तरीय स्वार्थी ह्वे गे छ्या अर विदेशी अतिक्रमण का  वास्ता समतल जमीन तैयार करणा छ्या। अशोक का बाद केन्द्रीय शक्ति नाम की कैं बि  शक्ति को नामोनिशान नि छयो।  फिर एक विशेष बात हौरि छे कि मौर्य काल या गुप्त काल मा भारत मा जो निर्माणशाला बणी छे वो बंद हूंद गेन अर भारतीय आर्थिक परिवेश माँ केवल ट्रेडर्स , बणिया , बिचौलिया ही रै गे छया अर ट्रेडिंग , बिचौलियापन निर्माण तै पैथर धकेलदु।  अशोक आर फिर गुप्त  काल का बाद बणियागिरी या ट्रेडिंग अगनै आयि अर निर्माणशाला  या अणसाळ खतम हूंद गेन  अर यां से बाह्य ताकतों तैं भारत पर आक्रमण को मौक़ा मील। 
हूण -शक को आक्रमण अर भारत की धरती पर राज करणों एकि कारण छौ क्षेत्रीय अर धार्मिक शक्ति स्वार्थी ह्वे गे छ्या अर निर्माणशालाओं  को खात्मा हूणु छौ , निर्माण शालाओं की जगा ट्रेडिंग प्रवृति भारत मा फैली गे छे.
फिर मोहमद गौरी , मुहमद गजनी या बाबर को आक्रमण का समौ पर बि भारत मा क्षेत्रीय शक्तियों को हद से जादा स्वार्थी हूण अर केन्द्रीय शक्ति मा जबरदस्त ह्रास हूण , निर्माण की अहमियत खतम हूण -निर्माण की जगा ट्रेडिंग को महत्व हूण की परिस्थिति  छे। 
अंग्रेजुं क भारत मा राज आणो  पैथर बि क्षेत्रीय शक्तियों को अति स्वार्थी हूण अर केन्द्रीय शक्ति की अवहेलना त छैं इ छे दगड़म ट्रेडिंग समाज को बि अंग्रेजों तै शत प्रतिशत सहयोग छौ।
  आज बि भारत मा अति स्वार्थी क्षेत्रीय राजनैतिक शक्तियाँ ,  धार्मिक शक्तियों मा अति स्वार्थ अर निर्माण की जगा ट्रेडिंग तैं महत्व की परिस्थिति छन तो चीन यदि अतिक्रमण क्या आक्रमण बि कारल त इखमा आश्चर्य करणै क्वी बात नी  च .
यदि चीन को अतिक्रमण रुकण त पैल भारत मा विषैली , स्वार्थी क्षेत्रीय शक्तियों पर लगाम लगण चयेंद अर ट्रेडिंग की प्रवृति छोड़िक निर्माण की प्रवृति तैं प्रश्रय मिलण चयेंद , 




Copyright@ Bhishma Kukreti 9 /9/2013

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
  किडनी ब्रदर
               
                 अ.- भीष्म कुकरेती

(द्वी डाक्टर एक बेहोस मरीजs बेड  समणि )
डाक्टर 1 (मरीजौ पुटुक जपकांद -जपकांद )   -ओ इखमि चीरा लगाण  रालो।  मांस गदगदो च अर जादा बि च।
डाक्टर 2 - चीरा जरा जादा लम्बो लगै हाँ ! जां से घाव भर्याणम जादा दिन लगन !
डाक्टर 1 - तुम पर  पूरी बणिया बुद्धि च।  जख इंजिनियर समाधान  वास्ता छवटु से छवटु  खुज्यांदन  उख डाक्टर समाधान का वास्ता लम्बु से लम्बु रस्ता खुज्यांदन।  इलै डाक्टरों कमै इंजीनियरों से जादा च।
डाक्टर -2 - हाँ वू क्या च मि ब्यापार करण चाणु छौ अर बुबा जी मि तैं डाक्टर बणाण चाणा छा।   इलै मीन यु नर्सिंग होम खोलि।
डाक्टर 1 -वा भलो ! भलो !
मरीज - जरा इन सुणो !
डाक्टर 1 -हैं ! तुम  कनकै बिज्याँ छंवाँ  ?
डाक्टर -2 - चिंता नि कारो ! बस गिणदा -गिणदा तुम से जैल्या।  बेहोशी  दवा अपण काम करणी होलि। 
मरीज - पण सुबेर बिटेन बेहोश करणों क्वी नि आयि।
डाक्टर 1 -मि अनेस्थिया वाळ तैं भटयांदु !
डाक्टर -2 - सर ! आप महान छन जु आप किडनी दान दीणा छन
मरीज - पण मि त अपेंडिक्सौ ओपरेसन कराणों भर्ती हों !
डाक्टर 1 -डाक्टर साब आप बढ़िया  मजाक करदन हाँ ! अपेंडिक्स ! (रिपोर्ट दिखद ) ! अपेंडिक्स ? अच्छा तुम पोड़ि जावो।  अनेस्थिया वाळ ऐ ग्यायि।   
(द्वी डाक्टर एक कूण्या मा जांदन )
डाक्टर 1 - दा ल्या ! मरीज ऐ छौ अपेंडिक्स निकाळणो अर हम त किडनी निकालण वाळ छया   
डाक्टर 2 -यां पण हम दुयुं तै अपेंडिक्स निकाळणो क्वी अनुभव नी च ! मीन त डाक्टरी पढै बगत बि कबि अपेंडिक्स नि द्याख !
डाक्टर 1  - त क्या   ह्वाइ ! गूगल सर्च कब काम आलो !
डाक्टर 2 -ठीक च मि गूगल सर्च करदो तू वै तैं बेहोश कौर
डाक्टर 1 -मि तैं अनेस्थिया दीण त नि आंद।  निन्दै गोऴयुं से काम चलाण पोड़ल।
डाक्टर 2 - अरे सूण ! हमन दुसर कमरा क मरीज तैं बचन दियुं च बल वै तै नै किडनी मील जालि।  त ?
डाक्टर 1 - हाँ त ! अपेंडिक्स क दगड़ किडनी बि भैर गाडण।  तो निन्दै गोळी जादा खिलै हाँ ! 
( द्वी डाक्टर औपरेसन करदन )
 (मरीजौ डिसचार्ज हूणों दिन )
मरीज -जुगराज रयां डाक्टर साब !
डाक्टर 1 - अरे नै धन्यवाद त हम तुम तै द्योंला
मरीज - किलै ?
डाक्टर 2 - भै ओपरेसनौ बगत तुम बड़ा शांत जि छया। 
मरीज - मि भौति हळकु महसूस करणु छौं।
डाक्टर 1 - ये भै इथगा बड़ु अपेंडिक्स शरीर से जु अलग ह्वै !
मरीज - नै मि वाँ से जादा हळकु महसूस करणु छौं।
डाक्टर 2 - हमर फीस भारो त तुम हौर बि हळका महसूस करिल्या !
मरीज - एक बात बताओ तुम पागल लोगुं इलाज करदां ?
डाक्टर 1 - कनो ?
मरीज - वो दुसर कमरा को मरीज रोज मि तैं किडनी ब्रदर ! किडनी ब्रदर कौरिक भट्याणु रौंद !
डाक्टर 2 - हाँ वो जरा पागल ही च।
मरीज - अब बताओ !  मेरि  अपण एकि किडनी   काम करदी अर म्यार दिमाग खराब हुयुं च कि मि अपण वा किडनी बि कै तैं दान दे द्यूं ? भूखु बि कबि  जीमणो न्यूत ( भोज आमंत्रण )  दींदु  ?
डाक्टर 1 - क्या ? तुमर एकि किडनी काम करदी ?
मरीज- हाँ ! हैंकि किडनी त कबि कबि ही  काम करदी।
डाक्टर २- नर्स ! तै मरीज को हिसाब   जल्दी जल्दी कौर  अर जल्दी जल्दी फीस लेक रवाना कौर ! हौर बि मरीज छन !

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 


Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
                 एक्सचेंज ऑफर : आत्मा दे दो ! बेशर्मी-बदकारी  ले लो !
                    चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

आत्मा खरीददार - आत्मा ब्याचो  ,  जु चावो स्यु ले ल्यावो !
एक कूड़  बिटेक आवाज - ये फंड जा ये  मुहल्ला   बिटेन ! एक चीज बचीं च वा बि बेचीं द्योल्या क्या !
आत्मा खरीददार- ठीक च मि हैंको ख्वाळ जांदो।
आत्मा खरीददार- एक्सचेंज ऑफर ! आत्मा ब्याचो , जू चावो स्यु ले ल्यावो !
एक कूड़ बिटें आवाज - ये भाग ये शहर बिटेन ! बाकि त सबी चीज बैंकम गिरबी छन।  अपण बुलणो  बड़ी मुश्किल से त आत्मा बचीं च वै बि नि रालि त हम क्या करला ?
आत्मा खरीददार- ठीक च मि कै महानगर जांदो।
आत्मा खरीददार - एक्सचेंज ऑफर ! आत्मा ब्याचो  ,  जु चावो स्यु ले ल्यावो !
एक कूड़ बिटेन आवाज - ए इना आ।  पण लुकिक आ !
आत्मा खरीददार -ब्वालो ?
आत्मा बिचण वाळ -आत्मा क बदल तू क्या सकदी ?
आत्मा खरीददार -जु ब्वालो ! धन दौलत , गुण , चरित्र आदि
आत्मा बिचण वाळ -क्या आत्मा बदल बेशर्मी, बदकारी  मिल जालि ?
आत्मा खरीददार -हाँ किलै ना ? बेशर्मी-बदकारी का दगड़ शरमदार दिख्याणो ढोंग -स्वांग  क्वालिटी फ्री !
आत्मा बिचण वाळ - आत्मा की जगा अपण दोष दुसर पर लगाणो गुण मिल जाला।
आत्मा खरीददार -अवश्य ! अपण पूठाक गू दुसर पर लगाण का गुणौ दगड़ अफु तैं पाक साफ़ सिद्ध करणों  गुण फ्री !
आत्मा बिचण वाळ -आत्मा का एक्सचेंज मा कै तैं बार बार धोका दीणों  चरित्र मिल जालो । 
आत्मा खरीददार -आत्मा का रदोबदल का बदल बार बार धोका दीणो गुण का दगड़्या दगड़ झूट तैं सच अर सच तैं झूट साबित करणों कौंळ -कला मुफ्त !
आत्मा बिचण वाळ -आत्मा का बदल मा जातीय दंगा करवैक अपुण गौळुन्द   धर्मनिरपेक्ष  को तगमा लगैक घुमणौ  चरित्र मिल जालो ?
आत्मा खरीददार -द ब्वालो ! जातीय दंगा करैक धर्मनिरपेक्ष ही ना  अल्प संख्यकों मसीहा बणणो गुण का साथ साथ महान राष्ट्रवादी का ढोंग करणों  गुण मोफत मा मिल जाल !
आत्मा बिचण वाळ -आत्मा का विनियम मा अपण दाग छुपाणो बान  संसद नि चलण दीणो गुण मील जाल ?
आत्मा खरीददार -हाँ किलै ना ? आत्मा का ऐवज मा  संसद माँ गतिरोध पैदा करणों गुण को साथ अपण पार्टी मीटिंग मा हो -हल्ला करणों गुण फ्री !
आत्मा बिचण वाळ -आत्मा का बदल अपण विरोधी तैं चित्त करणौ  गुण मिल जाल ?
आत्मा खरीददार -अरे जब बेशर्मी , बदकारी , बदचलनी गुण ऐ जावन  त अपण विरोधी तैं चित्त करणौ  गुण, कुर्सी प्रेम अफिक आई जांदन। 
आत्मा बिचण वाळ -अच्छा सूण ! कुकर्मो तैं छुपाणो गुण मील जाला ? वू क्या च अजकाल नारायण दत्त तिवारी  हड़क सिंग प्रकरण से सबि डर्यां छन ना !
आत्मा खरीददार - तुम क्या राजनेता छंवां ?
आत्मा बिचण वाळ - हाँ ! मि मंत्री छौं
 आत्मा खरीददार - मि तुमर आत्मा नि ले सकुद
आत्मा बिचण वाळ- किलै ? राजनेता की आत्मा मा क्या खराबी च
आत्मा खरीददार -अरे मि शैतान छौं अर अब भलो मनुष्य बणणो बान एक भलो मनुष्य की आत्मा की खोज मा छौं।  अब राजनेता अर शैतान माँ क्या फरक च ?
आत्मा बिचण वाळ - नै नै ! मीन त अपण आत्मा त वै दिन ही बेचीं दे छे जै दिन मि राजनीति मा औं !
शैतान -त फिर कैकि आत्मा बिचणाइ ?
आत्मा बिचण वाळ - वु क्या च मि अपण नौनु तैं राजनीति मा लाण चाणु छौं त पैल वैकि आत्मा बिचण पोड़ल कि ना ?
शैतान - चलो दिखावो कि वैकि आत्मा मा मनुष्य का कथगा गुण छन।  वै हिसाब से ही तुम तैं आत्मा का दाम मीलल।
 आत्मा बिचण वाळ - ठीक च तु भोळ श्याम ऐ जा।  असल मा अबि म्यार नौनु बलात्कार का केस मा जेल मा च।  भोळ जेल से छूटिक आणु च।
शैतान - वै तैं आत्मा बिचणै जरुरात नी च वो पैलि शैतानो राजा हैवान च।  मि कखि हौर जगा जांदो।
शैतान -  शुद्ध साफ़ आत्मा ब्याचो  ,  जु चावो स्यु ले ल्यावो !


Copyright@ Bhishma Kukreti  13 /9/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 


Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
                                 नांगमुंड्याs  /गंजा कु दुःख

                                चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती


 अब जब पारिवारिक चरित्र अग्वाड़ि ऐइ जांद !
जब जवानी मा क्वी गंजा ह्वे जांद त इनि बुले जांद बल तैक इक गंजा हूण खानदानी गुण।  च पुरण जमन मा टुपला  पगड़ी होंदि छे त गंजा हूणो दुःख पता नि चलदो छौ।   तब बनि  बनि टुपला  पगड़ी पैर ल्यावो अर गंजापन ढकि ल्यावो।  अब इन नि च अब त एक बि बाळ झौड़ो ना कि आस पड़ोसी तै पता चल जांद अर पड़ोसी ब अपण चौक  बालकोनी मा  नै तरां क बाळ दिखदन त  बुल्दन ," यी बाळु  गुच्छा कुछ कनफणि सि किसमौ च।  जरुर क्वी गंजा हूणु च। "
 फिर जब झुर मुर बरखा होंदि छे त पता हि नि चलदो कि झुर मुर बरखा हूणि च।  बरखा बूंद बाळु मा पड़दा छा।   जब गंजा ह्वे जावो त झुर -मुर बरखा बि तड़क्वणि लगदन।
जख मुख धूणमा एक गिलास पाणि लगद अर   गंजा ह्वे जावो त मुख धूणमा  डेढ़ गिलास पाणि लगण बिसे जांद।
इंटरव्यू दीणो जावो त गंजा देखिक गेट पराकु चपड़ासी बि बुलण लग जांदो  बल "साब वैकेन्सी  इनर्जेटिक , यंग नौन्याळु कुण च।  हम तै इथगा अनुभवी आदिमै जरूरत नी च। "
गंजा देखिक अपण क्लास कि छोरि बि 'जी जी ' करिक बात करदन अर कबि कबी त "अंकल अंकल जरा अपण नोट्स दें जरा … " करिक भट्यांदि।
गौं  मुहल्ला की बौ  बि गंजा द्यूर की छौं बरतदन जन बुल्या जिठा जी या मम्या ससुर ह्वावो !
शादी शुदा गंजा   की जनानी का आस पास  जवान छ्वारा म्वार /भौंरों की डार (झुण्ड )  मा घुमणा रौंदन। अर हर समय वींकि सहायता वास्ता खड़ा रौंदन। 
कति छ्वारा त गंजा की घरवळि तैं गंजा का ही समणि सलाह दींदन ," भाभी  जी ! अंकल को च्यवनप्राश  के अलावा दूध में इनर्जी टैबलेट जरुर देते रहिये। " बिचारो गंजा परेशान रौंद कि   छ्वारों कुण वैकि घरवळि अबि तलक भाभी च अर वु अंकल ह्वे ग्यायि।
गंजा का बच्चा बि बिचारा परेशान रौंदन जब शादी ब्यौ पार्टी मा लोग वूं बच्चों तैं गंजा का समणि हि पुछदन कि "क्या बात तुमर पिताजी नि ऐन जु तुम लोग अपण ब्वाडा क दगड़ अयां छा ?"
मि खुद तीस सालम गंजा ह्वे गे छौ त मि तैं पता ही नी च कि कंघी , खुशबूदार हेयर ऑइल अर शैम्पू मा कथगा वैज्ञानिक विकास ह्वे गे।
कबि समौ रालो त मि तुम तैं बथौलु कि गंजा तैं ईं निर्दयी दुनिया मा क्या क्या भुगतण पड़द।   






Copyright@ Bhishma Kukreti  14 /9/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 





Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
                             मकान मालिक -किरायेदार संवाद

                             चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती


किरायेदार - मेरि तुमर विज्ञापन मा रूचि च जै मा तुमन अपण टू बेड रूम हाल किराया पर दीणो जिकर  कार।
मकान मालिक - अछा ! विज्ञापन मा रूचि च त विज्ञापनै कटिंग त तुमम होलि ना ?
किरायेदार -हाँ
मकान मालिक -त विज्ञापन द्याखो अर रूचि पूरि कर ल्यावो।
किरायेदार -नै नै मि तै टू बेड रूम हाल मा रूचि च।
मकान मालिक -ओ त इन ब्वालो कि तुम तैं टू बेड रूम हाल मा रूचि च  !
किरायेदार -हाँ मि तैं ….
मकान मालिक -एक बात बताओ उत्तरकाशी मा मकान बणाणो बैंक लोन नि मील जु मकान किराया पर चयाणु च।
किरायेदार -नै मेरि देहरादून मा बड़ी कोठी च।  मि सरकारी ट्रांसफर पर देहरादून अयुं छौं।
मकान मालिक -देखो ! जु तुम प्रोबेसन पर अंयाँ छा त डिपोजिट एक लाख रुपया , प्रमोसन पर अयाँ छा त डिपोजिट डेढ़ लाख रूप्या अर जु पनिशमेंट पर अयाँ छंवा त डिपोजिट अपराध का हिसाब से अलग अलग च।
किरायेदार -मि कार्यालय नौनी तैं छिड़णो अपराध मा पनिशमेंट पर अयुं छौं।
मकान मालिक -खाली नौनि छिड़णो कि बलात्कार करणो बि ?
किरायेदार -नै वीं छोरिन बलात्कार की कोशिस की शिकैत बि करि छे पण साबन बोलि कि इथगा कर्मचार्युं होंद बलात्कार की कोशिस नि ह्वे सकद त केस मा सिर्फ नौनि छिड़णो शिकैत दर्ज ह्वे।
मकान मालिक -नौनि तैं तंग करणों पनिशमेंट च त द्वी लाख डिपोजिट च।  बस द्वी लाख भरो  अर भोळ बिटेन ऐ जावो। 
किरायेदार -ठीक च जरा मि दिखण चांदो।
मकान मालिक -अरे मी पर भरवस नि च ?
किरायेदार -नै नै ! भर्वस त च पण मि दिखण चांदो कि रूम कन छन।
मकान मालिक -रूम कन छन।  मतबल ? हम पहाड़ी छंवां त रूम बि हमन ऊनि बणैन जन मैदानी हिस्सों मा बणदन।  हम अपण रीती रिवाज तुड़ण मा एक प्रतिशत की भी कमी नि करदा।   
किरायेदार -नै पर रूम मि तै पसंद बि आण चएंद।
मकान मालिक -आपकी पसंद क्या च ?
किरायेदार -जगा लम्बो -चौड़ याने स्पेसियस हूणि चएंद कि ना ?
मकान मालिक -तुम रूम क्रिकेट खिलणा लीणा छा कि रौणो लीणा छा ? टू बेड रूम हाल मा जथगा जगा होंदी  उथगा ही च। 
किरायेदार -अच्छा बेड रूम मा खिड़की बि च ?
मकान मालिक -नै ! मीन खिड़की इलै नि लगाइ कि क्वी किरायेदार कखि पड़ोस्यूं बेटी -ब्वार्युं पर नजर नि मार साक।
किरायेदार -क्या बेड रूम बगैर खिडक्युंक छन त मि   तैं इन रूम नि चयाणा छन।
मकान मालिक -मजाक करणु छौं।  हरेक रूम मा खिड़की छन।
किरायेदार -रूम कथगा बड़ा छन ?
मकान मालिक -एक रूम किचन से बडो च त बाथरूम किचन से छ्वटो च पण द्वी आदिम दगड़ी झुल्ला ध्वे सक्दन।
किरायेदार -अर रौणो कमरा ?
मकान मालिक -रौणों कमरा ? मतबल ?
किरायेदार -लिविंग रूम ?
मकान मालिक -अरे तुम चावो त बाथरूम मा बि रै सकदा।  मि तैं क्या च ?
किरायेदार -म्यार मतबल असली रूम ?
मकान मालिक -असली रूम ? सब असली सीमेंट -गारा से बण्या छन।
किरायेदार -म्यार मतबल च मुख्य बेड रूम कथगा बड़ो च /
मकान मालिक -मुख्य बेड रूम हैंको रूम , किचेन , बाथरूम अर हौल तैं हर समौ टच करणु रौंद याने छूणु  रौंद।
किरायेदार -अछा आस पड़ोस कन छन ?
मकान मालिक -उन त कुछ साल पैल जब इन्डियन कल्चर नि ऐ छौ त ठीकि छौ पण अब बदलाव ऐ ग्यायि।
किरायेदार -कन बदलाव ?
मकान मालिक -हर साल कथगा इ अपण किरायेदारो बेटी लेक भाग जांदन या किरायेदार कैकि बेटि ब्वारि लेकि भाग जांदन। अर जु भाग नि सकदन वूं माँ लडै -झगड़ा हूणु रौंद।  बकै तुम  पुलिस चौकी जैक पता लगै ल्यावो।
किरायेदार -नै नै ! मी तै यांसे क्वी फरक नि पड़दों कि कु कैकि बेटी भगांदु।
मकान मालिक -हां तुम तै क्या।  सरकार पर हि जब फरक नि पड़णु च त ….
किरायेदार -अच्छा कूड़ा उठाण वाळ रोज आंदन कि ना ?
मकान मालिक -सुणो ! सि गंगा जि इख बिटेन कथगा दूर च ?
किरायेदार -होलि क्वी बीसेक हाथ दूर !
मकान मालिक -त कचरा सीधा अफिक गंगा जी मा नि चुलै सकदा क्या ?जु कचरा उठाण वाळै जरूरत पोड़ल ?
किरायेदार -हाँ।  या मौलिक सोच त मेरो मगज मा आयि नि च कि पैल गंगा जी पाप धूंदी छे अर अब कचरा साफ़ करदी।
मकान मालिक - हाँ अब समझी गेवां ना कि …
किरायेदार -ठीक च त मि भोळ बिटेन ऐ जौलु
मकान मालिक -मीन यु रूम सुबेरि किराया पर दे आल।
किरायेदार -अरे पर इथगा देर बिटेन तुमन बताइ इ नि कि तुमन रोम किराए पर दे आल
मकान मालिक -तुमन बि कख पूछ कि रूम खालि च कि ना? तुमन त शुरुवात  इ मा पूछ कि तुम तै रूम मा रूचि च।




Copyright@ Bhishma Kukreti  16 /9/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
विकल्पमुखी सासु
                         चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
 
सासु -ए  जवैं ! खाणक मा क्या खैल्या ? भात कि झंग्वर ?
जवैं -भात चौलल !
सासु -वो कन बिसरंत ह्वाइ ! घौरम चौंळ त कुट्यां इ नीन !
जवैं - ठीक च झंग्वर इ चल जाल !
सासु -बड़ दाणु  झंग्वर या छुट दाणु  झंग्वर बणाण ?
जवैं -बड़ दाणु  झंग्वर!
सासु -ये बुरळ पोड़ि गेन  यिं स्मृति पर ! झंग्वरक त एक बि दाणि नी च ड्यारम।  कौणि चौललि ?
जवैं -हाँ !
सासु -अछा कम पीलि कौणि या चिट्ट पीली कौणि ?
जवैं -कम पीलि कौणि?
सासु -गुरा लग जैन ये दिमाग पर कि मि भूलि ग्यों बल  हमर पुंगडुं मा त चिट्ट पीली कौणि ही होंदी।
जवैं -ठीक च चिट्ट पीली कौणि ही पकै ल्यावो।
सासु -अच्छा ! साग मा थिंच्युं साग कि बगैर थिंच्युं साग बणाण ?
जवैं -जन तुमर मरजी।
सासु -अच्छा ! तुम तै थिंच्वणि  मूळाक पसंद च कि अलुक ?
जवैं -अलुक थिंच्वणि।
सासु - फिर से भुल्मार ह्वे गै।  चार मैना ह्वे गेन मीन अलुक दाणि बि नि देख।
जवैं -त मूळाs   थिंच्वणि बणै ल्यावो
सासु -अच्छा मूळा  थिंच्वणि बणाण त मूळा घिंडक बड़ा हूण चएंदन कि मध्यम आकार का या छ्वटि घिंडकि ?
जवैं -बड़ा घिंडक।
सासु -पण ये मेरी स्मरण शक्ति तै क्या बिजोग पड़ी गे।  ये साल त बड़ा क्या !  मध्यम आकार का घिंडक बि नि ह्वेन !
जवैं -त छवटा घिंडकुं  थिंच्वणि बणै द्याओ।
सासु -अच्छा मूळा कौंळ (कौली - कच्चा ) हूण चएंदन कि कबास्यला  ?
जवैं -मूळा कौंळ हूण चएंद।
सासु - पण अबारि त पूषौ मैना च त खडर्यां  मूळान कबास्यला ही हूण। 
जवैं -ठीक च कबास्यला मूळा थिंच्वणि इ पकाओ।
सासु - अच्छा ! थिंच्वणि मा हौर  धणिया पतौं मसल डळण कि ना ?
जवैं -हाँ हौर  धणिया पतौं मसल डाळि द्यावो।
सासु -पण हौर  धणिया त ये बगत हूंदी नि छन।
जवैं -जु बि मसल च स्यु डाळि द्यावो।  दुफरा ढ़ळि  ग्यायि अबि तुमन यु निश्चय नि कार कि क्या खाणो बणाण !
(एक  घंटा बाद )
सासु -ये जंवै तुम तै त निंद आणि च ?
जवैं -हां !
सासु -या निंद पळेक (परिश्रम से  , थकावट से  )  च, आदतन निंद च या भूकन निंद आणि च।
जवैं -भूकान निंद आणि च 
सासु -अच्छा त तुम रुटि अर लूण  खै लेल्या ?
जवैं -हाँ
सासु -लूण मा मुर्या डळण कि … ?
जवैं -कुछ नि बणावो।  मि अपण गां जाणु छौं बस !
सासु -कै रस्ता जैल्या ? सैणु रस्ता , जंगळ या धारो रस्ता ?
जवैं -मि कै बि रस्ता चलि जौल बस मि इख से भैर जाण चाणु छौं।
सासु -अच्छा सूणो इ जवैं ! तुमर ससुर जी तुमर ड्यार सुखी छन ? द्वी साल ह्वे गेन लड़की ड्यार पड़्या छन। 
जवैं -हाँ सुखी छन !
सासु -क्वी बेटिक इख सुखी बि रै सकुद ?
जवैं -मि अब इखम नि रै सकणु छौं।  मि  भागणु छौं
सासु -तुम कन भागिक जैल्या ? जन बाघ गौड़ि  पैथर भागद या जन गौड़ि बाघ से बचणो बान भागदि  ?
जवैं -जन एक जवैं विकल्पमुखी सासु से जान छुड़ै भागदु।
सासु - ए जवैं !  तुम त इन भागी गेवां जन बुल्यां चिमल्ठुं पेथण फुचि गे हों धौं।  जांद जांद इन बतैक जावो कि विकल्पमुखी सासु आकार  मा कान होंदी -लम्बी कि नाटि या मध्यम उंचाई की ?


Copyright@ Bhishma Kukreti  17 /9/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22