Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 359886 times)

Bhishma Kukreti

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 इन Like से भलो त 'Shit ! समझ में नहीं आया' ही ठीक च

                                  Like से Confuse -भीष्म कुकरेती
 

  जब बिटेन मि फेसबुक कु चौंतरा मा छ्वीं लगाणो तब बिटेन मि ए 'Like' से बड़ो परेशान छौं।  बिंगण इ मा नि आंद कि Like पर भरवस कौरुं कि नि कौरुं। जु मि Like पर भरवस करदो त म्यार पोस्टिंगुं तैं इथगा Like मिलण पर त मि तैं अब तलक गढवाली भाषा विकासौ बान  उत्तराखंड श्री अर पद्म श्री मील जाण चयाणों छौ।  अर Like पर भरवस नि करदो त फिर सवाल उठदो कि ड्यार बिटेन मेरि गंवाक बौ क  फोन किलै आण  कि हे भीषम ! फेसबुक मा त्यार चाण वाळ अडतालीस हजार एक सौ नौ ह्वे गेन। अर फिर बौन पूछ , "सूण तू त मेरि सौं घटणु छौ कि "हे बौ त्यार अलावा मि तैं क्वी Like नि करदो ". इथगा झूट बुल्दी हैं तू ?" अर जलन- इर्ष्या मा अब बौ म्यार फोन इ नि उठांदि।
Like की सत्यता परखणो बान मीन खोज खबर ल्याई त कुछ नया नया अनुबह्व ह्वेन।
जख तलक Like करण वाळु  प्रकार कु सवाल च अबि तलक मि तैं इथगा तरां 'लाइकेर' (Like करण वाळ ) मिलेन -
 
 निदिवा लाइकेर  - यूं  फेसबुक सदस्योंन  जिन्दगी मा अपण बुबा अर नौनु तैं तक आज तक Like नि कार।  यी कंजूस किस्मौ होंदन जु अपण दांतों लू (मैल ) बि कै तै नि द्वावन त Like क्या द्यावन !
ठसठस लाइकेर- इन लाइकेर फेसबुक मा Like तैं अमृत माणदन अर बड़ी मुश्किल से कै तैं Like करदन।
मूडी लाइकेर - इन सदस्य जब मूड आंद त जु बि पोस्टिंग दिखदन दे दनादन Like बटन दबै दींदन।  वै दिन Like का भूखा सदस्य घमंड मा ऑफलाइन मा तूफ़ान मचै दींदन।
गुटबाजी का  ग्रुप लाइकेर - फेस बुक मा बि औफ़लाइनौ तरां गुटबाजी चलदी अर अपण गुटों सदस्यों बेकार से बेकार ,फंडधुळि छुयुं तैं बि Like करणा रौंदन। अर दुसर गुट की भली ले पोस्टिंग पौढिक  बि Like नि करदन।
राजनैतिक लाइकेर - अचकाल ट्वीटर , फेस बुक मा राजनैतिक पार्युं लाइकेरूं पिपड़कारो लग्युं रौंद।  अचकाल इन नि दिखे जांद कि ये राजनैतिक नेता तैं कथगा वोट मिलेन अर यु चुनाव जीत च कि ना।  पण अचकाल प्रसिद्धि को माप तोल, मेजरमेंट   सोसल मीडिया मा Like की संख्या से हूंद।  एक जिला परिषद सदस्य फेसबुक का अपण Like संख्या से इथगा प्रेरित ह्वे कि वो विधान सभा चुनाव मा खड़ो ह्वे ग्यायि अर जब चुनाव रिजल्ट आई तो बिचारा की जमानत ही ज्फ्त ह्वे ग्यायी।  बाद मा पता चौल कि वैको विधान सभा क्षेत्र का असली वोटरों मादे  कैमा बि इंटरनेट सुविधा नि छे।  सि द्याखदी नरेंद्र मोदी चुनाव जीतो या नि जीतो फेसबुक -ट्वीटर मा Like संख्या हिसाबन अबि से भारत का प्रधान मंत्री बणी गे।
पेड लाइकेर - इ राजनैतिक अर उद्योग पतियों चालाकी या मार्केटिंग रणनीति च।  कुछ इन्टरनेट मार्केटिंग कंपन्युं ब्यापार इ या च कि फेस बुक -ट्वीटर अर ब्लौग का वास्ता Like संख्या बढ़ाण।  इन ब्यापारी साइटों तैं प्रति Like का हिसाब से फीस मिलदी। 
अळगसि याने कबि -कब्यारो लाइकेर - यि Like की अहमियत का बारा मा संवेदनशील नि छन बस कबि कब्यार कै पोस्ट तै Like कर  दींदन . वस्तुत: यी आदतन अळगसि होंदन अर Like करण मा बि सोचदन कि कु माउस पर हाथ लगाओं !
संटर्वा -बंटर्वा का लाइकेर - या कौम जादातर लेखक अर अभिव्यक्ति का अति भूखा किस्मौ लोगुंक च।  यी बार्टर सिधांत का मुताबिक़ वूंकी पोस्ट Like करदन जो यूंकि पोस्ट Like करदन।  यूंक सिधांत च एक हाथ दे दूसरे  हाथ से ले। आप यूँ तैं द्वी दैं Like कारो त यि आप तैं द्वी दैं Like कारल।  हिसाब किताब का मामला मा यी डेबिट -क्रेडिट का बारा मा अति होशियार होंदन ।
अहसानमंद लाइकेर -  फेसबुक या सोसल मीडिया मा यूँ तैं यदि आपन कबि Like कौरि द्यायि त यि जिन्दगी भर तुम तै Like करणा रौंदन।
मुखमुल्यजा  लाइकेर - अब फेस बुक मा जाण -पछ्याणक वाळ बि हूँदन त वूंकि पोस्ट तैं Like करण ही पोड़द।
विश्लेषक लाइकेर -यी पोस्ट तैं पैल पढ़दा छन अर तबि Like करदन।  पण या कौम बहुत कम संख्या मा च।
अपण सिद्धांत पर अडिग लाइकेर - यी कै सिद्धांत जन पर्यावरण वादी , साम्यवादी हूंदन अर केवल अपण सिद्धांतौ पोस्ट तैं Like करदन।
उत्तराखंड समस्या प्रेमी लाइकेर - यी जादातर प्रवासी हूंदन अर यकीनन यूंन ड्यार नि बौड़ण पण हर समय चांदन कि उत्तराखंड की समस्याओं पर ही बात ह्वावो।  बस जनि उत्तराखंड के समस्या को शीर्षक पोस्ट ह्वावो ना कि यी Like का बटन दबै दींदन।
उत्तराखंड विकासवादी लाइकेर - यी चांदन कि फेसबुक मा केवल उत्तराखंड को विकास की बात ह्वावो।  बस उत्तराखंड विकास की पोस्ट तै ही  Like करदन।
सुदि  -मुदि का लाइकेर - यी बस आदतन लाइकेर छन।   जरा आप पोस्ट कारो कि 'मुंबई के श्री गीताराम भट्ट की देहरादून में मृत्यु ' त यी फटाक से Like कर दींदन।  आज ही बालकृष्ण भट्ट जीन समाचार दे बल -"मंत्री हड़क सिंह की पार्टी में गोली चली " त दसियों Like की प्रतिक्रिया ऐ।
           मि तैं अनुभव च कि मि इना गढ़वळि मा लेख पोस्ट करदो कि आधा सेकंड मा Like ह्वे जांद जबकि लेख की हेडिंग पढ़ण मा द्वी सेकंड लगदन।  सुदि -मुदि का लाइकेर सबसे जादा खतरनाक हूंदन किलै कि लेखक तै पता ही नि चलदो कि पाठक क्या विषय पसंद करणा छन।
पण एक बात बथाओ नि मामा होण से बढ़िया त काणु मामा ही भलो लगुद।  ऊनि हम गढ़वळि लिख्वारुं तै क्वी पुछण वाळ त छ ना तो सुदि -मुदि की Like बि मिल जावो त हमकुण यो ही काफी च। 

Copyright@ Bhishma Kukreti  18 /9/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 
                     

Bhishma Kukreti

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                          पलायन रोका जाएगा  जन गम्भीर शब्दों , मुहावरों पर अब हौंस आंद

                                          चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

 कुछ शब्द , मुहावरा , वाक्य बड़ा गम्भीर छा अर मनमा पवित्र छवि बणाँदा था। अब यूँ शब्दों कीमत घटि गे , अब यूं शब्दुं से घीण लगद , अब इन शब्द सुणिs उकै -उल्टि हूण बिसे जांद , इन शब्दों नाम सूणिs मन खट्टो ह्वे जांद। 
 एक जमानो  थौ जब देश का सरकारी दलौ  नेता अर मुख्य विरोधी दलौ  नेता कुछ ब्वालन धौं बल सरा भारत मा लोग चित्वळ ह्वे जांद था अर अब ? अब तआजौ नेता संयुक्त राष्ट्र संघ मा भारत तैं सबि राष्ट्रुं बुबा बि घोषित करि द्यावन त हम समजदवां यु नेता मजाक मा जोक्स सुणाणु होलु।  अब जब क्वी नेता मंदिर , मस्जिद जांद त हमर मनमा भक्ति भाव नि भर्यांद बल्कणम भगवान अर खुदा पर इ विश्वास ख़त्म ह्वे जांद।  अब नेता मन्दिर -मस्जिद पूजा वास्ता नि जांदन  पण पत्रकारों द्वारा अपण छवि मरोम्मत करणों बान जांद।
एक बगत थौ  जब क्वी नेता इफ्तार पार्टी दींद थौ त हम माणदा छा कि ये नेता की मनमा या धार्मिक  भावना च  ,"अल्लाहुमा इन्नि लका सुमतु वा अल्ला रिजकिका अफतारतु। याने हे अल्ला मीन यु  व्रत (रोजा ) त्यार बान धार अर त्यार आशीर्वाद से ही मि वर्त  तुड़णु छौं या तयार दियुं खाणक से वर्त ख़त्म करणु छौं " अर अब ? अब जनि समाचार आंद बल फलण नेता की आज इफ्तार पार्टी च त हमर दिमाग मा झट से विचार आंद बल यु नेता मुसलमानुं तैं शत प्रतिशत बेवकूफ बणाणो इफ्तार पार्टी दीणु च।  अर इन लगद कि इफ्तार पूजा मा यु नेता जरुर खुदा  से इन मंगणु होलु ,"हे खुदा यूँ मुसलमानुं तैं बेवकूफ बणा अर म्यार वोट बैंक बढ़ा । ". अब नेताओं की इफ्तार पार्टी राजनीतिक घोच -पेंच -डाव -पेंच 'को अश्त्र, नाटक , स्वांग ह्वे गे। इन मा नेताओं की इफ्तार पार्टी की गम्भीरता ही ख़त्म ह्वे।
एक शब्द च 'मुसलमानों का हितैसी।   जब बि क्वी नेता इन बुल्दु बल 'मि मुसलामानुं हितैषी छौं " त मि क्या सरा भारत समजद बल यु नेता मुसलमानुं तैं वोट देवी क मन्दिरौ  बान 'बली कु बुगठ्या' माणदु।
एक शब्द च 'सेक्युलर ' या  'धर्म निरपेक्ष ' । स्वतन्त्रता उपरान्त जथगा बेज्जती 'सेक्युलर ' या  'धर्म निरपेक्ष ' शब्द या सिद्धांत की ह्वाइ उथगा कै बि शब्द की नि ह्वाइ।  अब त अंगेजी शब्दकोश का संपादक , प्रकाशक  बि घंगतोळ ,  गलत फहमी मा छन कि सेक्युलर शब्द की परिभाषा क्या लिखे जावो। अंगेजी शब्दकोश का संपादकौ समज मा नि आंद कि इन्डियन मुस्लिम लीग एक सेक्युलर पोलिटिकल पार्टी माने जांद अर इन्डियन हिन्दू लीग नॉन सेक्युलर पार्टी माने जांद।  इंग्लिश इनसाइक्लोपीडिया का धुरंदर विद्वान् असमंजस्य मा बेहोश पड्या छन कि मायावती , नीतेश कुमार भौत सालुं तक भारतीय जनता पार्टी का बदौलत मुख्य मंत्री की कुर्सी कु  भगव्या डिसाण  मा फसोरिक पड्या  रैन अर तैबर तलक त भारतीय जनता पार्टी एक शसक्त सेक्युलर पार्टी छे अर जनि यी लोग भाजापा से अलग ह्वेन तनि भाजापा नॉन सेक्युलर पार्टी ह्वे जांद ? फारुख अब्दुला, ममता बनर्जी या करुणा  निधि का लोग जब तलक एन डी ए मा मंत्री रौंदन तब तलक भाजापा , शिव सेना, अकाली दल सेक्युलर पार्टी हूंदन  अर जनि फारुख अब्दुला, ममता बनर्जी या करुणा  निधि एन डी ए से भैर हॊन्दन तनि भाजापा , शिव सेना, अकाली दलनॉन सेक्युलर पार्टी ह्वे जांदन  ?
शब्द या वाक्य अब अर्थहीन  बि ह्वे गेन या बहुअर्थी ह्वे गेन।  राजनैतिक दलुं मा एक शब्द च या जुमला  च बल "हम सिद्धांतो की लड़ाई लड़  रहे हैं "। भारत वासी रौंका   धौंकि करणा छन कि कैकु सिद्धांत ? क्या च वू सिद्धांत ? वै  अणदिख्युं सिद्धांत कु उद्येश क्या च ? वु सिद्धांत कैकुण च ? कखम वु सिद्धांत लागू ह्वे ? अर जब क्वी राजनेता बयान दींदु बल "हम सिद्धांतो की लड़ाई लड़  रहे हैं " त जनता समजी जांद बल नेता जीs  बुलणो मतबल च बल "हम कुर्सी के छीना -झपटी की लड़ाई लड़  रहे हैं "।
 अब शब्दों  या वाक्यों अर्थ ही बदल गेन।  जब बि राजनैतिक पार्टी क्वी पार्टी बुल्दि बल हम 'गरीबों के लिए नई योजना लेकर आये हैं। "। त बुद्धिजीवी अर आम जनता समजी जांद कि अब भ्रष्टाचारी जानवरों  हेतु नयो बुग्याळ कु बन्दोबस्त ह्वे ग्याइ अर जरुर निकट भविष्य मा अब नया चारा घोटाला , नया कॉमन वेल्थ गेम घोटाला , न्यू टू जी घोटाला , लेटेस्ट अभिनव, नयो कोयला घोटाला समिण आलु।
इनि उत्तराखंड मा बि कुछ शब्द अब हंसांद छन जन कि बुले जांद बल हम उत्तराखंड का विकास करला त हम सौब समजी जांदा अब तेजी से जल , जमीन अर जंगल भैर वाळु तै बिचे  जालु।
एक शब्द पैल पीड़ा दायक शब्द माने जांद छौ अब यु शब्द लाफिंग गैसौ काम करदो अर चुंकि लोग मंहगाई का मारा हौंस नि सकदी त राजनेता ये शब्द से जनता तै हंसादन।  यु शब्द च "उत्तराखंड से पलायन रोका जाएगा। "। जब बि क्वी उत्तराखंड को मंत्री या मुख्यमंत्री
सौं घटुद  "उत्तराखंड से पलायन रोका जाएगा। ". त सबि जाण जांदन बल ये मंत्रीन या मुख्यमंत्रीन दिल्ली , गोवा , इलाहाबाद , मौरिसिस मा  रिजॉर्ट/होटल  खुलणो योजना बणै याल अर पहाड्युं तै अपण रिजॉर्ट/होटलम बैरा , भंडमजा  रखणो तैयारी कौरि आल। 
आज इनि भौत सा शब्दुं  , मुहावरौं  , जुमलौंक  सही अर्थ हर्चि  गेन अर यी शब्द अब राजनैतिक हथियार बणि गेन पण खुंडा हथियार ह्वे गेन। अब इन जुमला जोक्स -मजाक बणि गेन। अब यी शब्द हंसांद जादा छन। 


Copyright@ Bhishma Kukreti  19 /9/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 
                     

Bhishma Kukreti

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स्कूल -कौलेजौ ड्रेस मा  आप खुलेआम  छोरि छेड़ि सकदां !

                                         चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती


  भाइयो अर म्यार हौर्युं बैणियो !
कुछ अभिभावक अर राजनेता कुछ सामजिक कार्यकर्ताओं भकलौणम ऐक स्कूल अर कौलेजुं ड्रेस बंद कराण चाणा छन। यूंक बुलण च बल गरीबु बुबा कखन ड्रेस लाला ? जब सरकार   लैपटॉप बाँटि सकद त द्वी जोड़ि झुल्ला नि दे सकदि ?
 कल्पना कारदि बल स्कूलम या कॉलेजम ड्रेस कोड नि ह्वाल अर हम अपण अपण ड्रेस पैरिक कॉलेज औला त हम तै लगल बल हम अपण घौरम छंवां।  अरे हमर घौरौ माहौल इ जि ठीक होंद त फिर भारत का कुहाल किलै हूंद ? हम नि चांदा बल हमर कॉलेज या स्कूलुं माहौल बि हमर घौर जन ह्वावो।  इलै ड्रेस जरुरी च।
जरा घड्य़ावदि हमम कॉलेज -स्कूल ड्रेस नि ह्वालो त लोग -बाग़ रस्ता मा हमसे कनकै डौरल ?
हमारी ड्रेस देखिक त सरकारी -गैरसरकारी बस मा  जनान्युं अर बुड्यों सीट मा हम बेशरमी से बैठ सकदवां कि ना ? हमर ड्रेस देखिक इ त बस का पैसेंजर बुल्दन बल ," बैठण दया जखि बैठणा छन।  कख लगण यूं चिमुल्ठुं दगड़ !".  बगैर ड्रेस का हम जनान्युं अर बुड्यों सीट मा बैठला त क्वी बि हम तै दनकैक सीटुं से उठै दींदन।  ड्रेस हमकुण बेशरमी करणों तगमा च।
हमारी ड्रेस काबदौलत हम बेटिकट कखि बि बसुं -रेलुं से ऐ जै सकदां !
ड्रेस रौंदी त हम मेल ट्रेनुं मा स्लीपर क्लास मा कैक बि रिजर्ब सीट मा इन रौब -दाब से बैठ जांदा जन या सीट हमर ब्वे -बाबुन बणै ह्वावो अर हम तैं डौरौ मारन क्वी तू बि नि बोलि सकुद ! ड्रेस मा हम रेल मा कैकि बि बेटि -ब्वारि तैं ऊंक बुबा या ससुर -पति क समणि बेहयायि से घूर सक्दां ! ड्रेस हमकुण बेहयायि को पहचान पत्र च।
ड्रेस पैरीं रावो तो हम बिजली -पानी  बिल भरणो पंगत या रेल-सिनेमा का टिकेट पंगत मा खड़ हूणै जरूरत नि रौंदि।  ड्रेस अनुशासित अनुशासनहीनता को एक सर्टिफिकेट च। कॉलेज ड्रेस हमकुण  पंगत तोड़णो  लाइसेंस च। 
बगैर ड्रेस का यदि हम कैक बगीचा या किचेन गार्डेन से अमरुद -आम -लीची चोरि करदवां  त बगीचा मालिक पुलिस बुलै दींदन।  पण जब हम कॉलेज ड्रेस या स्कूल ड्रेस मा अमरुद -आम -लीची चोरि करदवां त बगीचा मालिक अपण कूण्यो कमरा पुटुक मुसदुळ  जन बैठ जांदो।   भ्रष्टाचार करणों बान राजनैतिक पार्टी की  सदस्यता एक अलिखित सुरक्षा किला  च  त विद्यार्थ्युं वास्ता कॉलेज ड्रेस चोरी -जारी करणों एक कवच -कुंडल च।
आप बगैर ड्रेस का कैं छोरि या ब्वारि तै छेड़िक दिखावो ज़रा ? पुलिस  सब्युं समिण  तुमर पैथरा हिसा लाठन सुजै देलि पण कॉलेज ड्रेस मा जब तुम कै जवान छोरि तै छ्याड़ो त पुलिस वाळ बि शिकायतकर्ता  से बुल्द बल जवानी दिनों मा छोरि नि छेड़न त नारायण दत्त जीक उमर मा छोरि छिड़ण  ? स्कूल -कौलेजौ ड्रेस से आप खुलेआम  छोरि छेड़ि सकदां !
इलै मेरी दरख्वास्त च कि स्कूल अर कॉलेज माँ ड्रेस बंद नि हूण चएंद !


Copyright@ Bhishma Kukreti  20  /9/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 

Bhishma Kukreti

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                            सरादुं मा बि खीर नि मीललि त कुकरुंन रुण इ च !

                                     सरsद्या या पुड़क्या  बामण -भीष्म कुकरेती


दक्खण  गांवक कुकुर (हूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊउ ) -ये फलण गाँवों झबरा कुकुर !
दक्खण गांवक कुकुर (हूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊउ ) -ये अलण गांवौ रींडु कुकर !
फलण गांवक कुकुर -जै हड्डी ! जै हड्डी ! जै अंदड़ -पिंदड़  . हे दक्खण गांवक कुकुर ! भौत दिनु माँ अवाज निकाळ भै ?
अलण गांवक कुकुर -जै टंगड़ि , जै नाड़ि , जै कंदूड़ी ! आज क्या बात भै दुइ गांवक कुकरुं तैं 'कुकर्याट कौन्फ़ेरेन्स ' भट्याइ भै ? क्या उत्तराखंड सरकारन हौर  राज्यों से  बाघ बुलै ऐन क्या ? 
दक्खण गांवक कुकुर -नै नै रै नै ! उत्तराखंड सरकार त अजकाल आपदा पुनर्वसन मा व्यस्त च।  बाघुं फिकर त तब होंद जब मनिखुं पुटुक भर्युं ह्वावो !
फलण गांवक कुकुर -त फिर भेड़िया आण वळ छन ?
दक्खण गांवक कुकुर -नै भै नै ! भेड़िया त  अजकाल खादी झुला -टुपला पैरिक शहरुं मा नेता बण्या छन !
अलण गांवक कुकुर -अरे त क्या आफत आयि जो इमरजेंसी  मा 'कुकर्याट कौन्फ़ेरेन्स ' बुलाइ।
दक्खण गांवक कुकुर -अरे यु पुछण छौ बल यि श्राद्ध या सराद कै बीमारी नाम च ? अर सरादुं मौसम क्या हूंद ?
फलण  गांवक कुकुर - नाम सुण्यु त छ पण आज अचाणचक सरादुं याद किलै आयि भै ?
दक्खण गांवक कुकुर - अरे आज भौत सालुं बाद मि अपण बूडि ननि क हड्युं मा लिख्याँ संस्मरण पढ़णु छौ त उखमा सराद अर सरादुं मौसम पर छै अध्याय छन।
अलण गांवक कुकुर -हाँ भै तेरि बूडि ननि बामणु इख स्वान  छे त पढ़ीं लिखीं छे त वींन संस्मरण लिखण इ छौ।  हमर पूर्वज त विचारा अनपढुं कुकुर था त हम सुणि सुणयुं बथों याने लोक कथनों से काम चलौंदा।  पण अचकालै न्यू जनरेसन की कुकुर जात त बुल्दि बल लोक कथा -लोक गीत सब बकबास च।  अब क्या बुले जावो !
फलण गांवक कुकुर -भै लोक कथनुं पर विश्वास त करण इ  पोड़ल।  मि तैं मेरि ननिन सरादुं बारा मा बथै थौ अर मेरि ननि तैं वींक बूडि ननिन पित्री पक्ष का बारा मा   बतै थौ बल बर्सातौ आखिरी समौ पर यूं गाऊं मा मनिख सोळ दिन सराद पक्ष मनांद था।
दक्खण गांवक कुकुर - हाँ ! मेरि बूडि ननिन लिख्युं च बल जै दिन हमार दिमाग खराब (पूर्णमासी ) जादा हूंद अर जैदिन चिट्ट रात हूंद (औंस ) तक गां मा कै न कैं मौक इख सराद हूंद।
अलण गांवक कुकुर -अरे हमर लोक गीतुं मा बि च युं दिनों गढ़वाळि गाऊं मा कव्वा , कुकर अर बामणु मौज रौंद छे।
दक्खण गांवक कुकुर -मेरी बूडि ननिक संस्मरण मा लिख्युं च युं दिनों गाऊं माँ जख जावो मनिख कुत्तो तै भट्याणा रौंदा छा -लो - लो !आ आ !
फलण गांवक कुकुर - अरे हमर इख त एक बड़ी लोक कथा च जख मा विरतांत च बल युं दिनों जैं मौक इख सराद ह्वावो त उख दाळ , भात , गुदड़ि, लमेंडा-चाचिंडा -खीरा , मूळा पिंडाळु की भुजी , झुळी बणदि छे।     
दक्खण गांवक कुकुर -मेरी बूड ननि लिख्युं च बल झुळी अर खीर त सराद मा एक आवश्यक खाणक हूंद छा।
अलण गांवक कुकुर -हमर लोक गीत मा बथायुं च बल पैल पंडित पितृ पूजन करदो छौ अर फिर पत्तों मा कुकुर अर कव्वों कुण खाणक धरे जांद छौ अर कुत्ता -कव्वों तै खाणो निमंत्रण दिए जांद छौ।
दक्खण गांवक कुकुर - मेरी बूडि ननिन लिख्युं च युं सरादुं दिनों मनिख जन कुकुर बि शाकाहारी ह्वे जांद छौ।  अरे औंस आंद आंद कुत्तों यी हाल ह्वे जांद छ कि जादा खीर -झुळी खैक अपच ह्वे जांद छौ त कुत्तों तैं घास खाण पड़द छौ
फलण गांवक कुकुर -अरे बल ये बगत कुत्तों तै खाणकै कमी हूंद इ नि छे त किलै कुत्ता मर्यां गाय -बैल खावन भै ?
अलण गांवक कुकुर -मेरि ननि एक कहावत या लोकोक्ति बुल्दि छे बल जख अनाज जादा ह्वावो तो उख गोर भैंस नि कट्यांद  छा अर कुत्ता बि शाकाहारी ह्वे जांद छा।
दक्खण गांवक कुकुर - हां अब हमि तै देखि ल्यावो जब हमतैं  शाकाहारी भोजन नि मिल्दो त हम मूस , कवा बि नि छुड़दां !
फलण गांवक कुकुर -अरे पण हमन बि क्या करण पैल यूँ गढ़वाळि गाऊं मा मनिख रौंद था अर हम तै पाळदा छा , हम तैं सराद इ ना रोजाना खाणक मिल्दो छौ त हमर पुरखा सुखी छा।
दक्खण गांवक कुकुर -अरे अब त ये क्षेत्र मा यी हाल छन कि सालों क्वी मनिख , गौड़ -भैंस -बखर नि दिखेंदन।  सि द्वी मैना पैल म्यार नौनान एक मनिख द्याख त वु डौरन छळे ग्यायि।  वु त कव्वा काकान रख्वळी कार त तब वै तैं होश आयि।
अलण गांवक कुकुर -अरे वी मनिख ना ! वै तैं देखिक मया बुबा बि  छळे गै ।
फलण गांवक कुकुर - भई जु गणत करे जावो त दस साल पैल तक ये क्षेत्र मा हरेक  गां मा आठ दस मनिख छैं छया।
दक्खण गांवक कुकुर -मेरि बूडि ननिन  अपण संस्मरण मा लिख्युं च बल ये गां मा तीन सौ मनिख छा।  अर आज मीलों तलक आदिम नि दिखेंदन।  वींक लिख्युं च बल ये गां मा चार सौ करीब पालतू जानवर बि छा।  अर अब सब मनुष्य पलायन कौरिक पहाड़ छोडि चलि गेन ।
अलण गांवक कुकुर -छोड़ रै ये फादो से पलायन की बात म्यार बूड ददा , पड़ ददा मरदां बि बरड़ाणा  रैन बल पहाडुं से पलायन से कुत्तों बि नुक्सान हूण।
दक्खण गांवक कुकुर - पलायन का कारण ये से जादा नुक्सान क्या हूण कि हम कुत्तों तैं सरादुं समौ पर खीर नि मिल्दि
फलण गांवक कुकुर - यार या खीर हूंदी कन होलि ? सरादौ खीर चखणो ज्यू बुल्याणु च।
दक्खण गांवक कुकुर -मेरि बूड ननिक लिख्युं च बल दूध , गुड़ अर चौंळ से खीर बणदि छे।  ज्यू त म्यार बि …
अलण गांवक कुकुर -एक बात बताओ बल यी मनिख पित्री पक्ष मा सराद या मोरणों बाद तिरैं -बरखी किलै पुजदन ?
दक्खण गांवक कुकुर - जाँसे पितर लोग सोराग जावन , नरक नि जावन या भूत नि बौणन
फलण गांवक कुकुर -ये मनिख भूत किलै बणदन या नरक  किलै जांदन ?
दक्खण गांवक कुकुर - किलैकि मनिख पाप करदन त या त भूत बणदन या नरक जांदन
अलण गांवक कुकुर -यि मिनख पाप इ किलै करदन ?
गांवक कुकुर - किलै कि ऊंमा भारी  दिमाग च
दक्खण गांवक कुकुर -अच्छा हम कुकर अपण पुरखों वास्ता सराद या तिरैं -बरखी किलै नि करदां ?
अलण गांवक कुकुर - किलैकि हमम उथगा बड़ो दिमाग  /बुद्धि नी च त हम पाप नि करदां त हम तैं नरक या भूत योनि की चिंता नि होंदी।
फलण गांवक कुकुर -चलो भै फ़ोकट मा सरादुं की खीर की इच्छा भौत ह्वे गे। अब कुकर्याट कौन्फ़ेरेन्स बंद करे जाव।   जै बाघ सुरक्षा जतन !
दक्खण गांवक कुकुर - जै बाघ सुरक्षा जतन !
गांवक कुकुर -जै बाघ सुरक्षा जतन !





Copyright@ Bhishma Kukreti  21 /9/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 

Bhishma Kukreti

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                                 गढ़वाली होटलचरितम

                                    ठकर्या : भीष्म कुकरेती


वेटर - ब्वालो ! कुछ अछेकि खाणक  चयाणु  च ?
ग्राहक -अरे होटलम  क्यांकुण आंदन ?
वेटर -नै भौत सा लोग माख मरणा बि आंदन !
ग्राहक -क्या यु होटल 'फ्ली हंटिंग' (मक्खियों का शिकार ) को इंतजाम बि करद ?
वेटर -साब मीन हिंदी मुहावरा प्रयोग  कार। आप सचमुच मा खाणा खाणौ अयाँ छा ? 
ग्राहक -हाँ !
वेटर -त ब्वाला ?
ग्राहक -पैल इन कौर यूं माखुं तैं भगा !
वेटर -साब जु तुमन सचेकि खाणा खौण त माख भगाये जाला निथर माखों दगड़ छ्वीं-बथ लगावा !
ग्राहक -अरे बोलि आल ना कि मि तैं भूक लगीं च।   .
वेटर (आवाज दींदु )-ये स्वीपर  ! टॉयलेट  करण छोड़ अर साबौ समणि माख भगा।
स्वीपर -साब आपन अछेकि इख भोजन करण ?
ग्राहक -क्या मतबल ?
स्वीपर - नै वू क्या च बल जादातर लोग माख भगै दींदन अर फिर बि खाणा नि खांदन ! त फिर मेरी मेनत  फ़ोकट मा बेकार चली जांद।
ग्राहक -अरे यि मेज अर टेबल तौळ किरम्वळ छन।  यूं तैं बि भगा।
वेटर  -साब आपन खाली चाय पीण या खाणक बि खाण ?
ग्राहक - अरे चाय पीणो  किरम्वळ भगाणों दगड़  क्या संबंध ?
वेटर -जु तुम चाय पेल्या त इनि पे ल्यावो।  इखमा किरम्वळ भगाणों जरूरत क्या च? एक चाय   बान फ़ोकट मा हम तै 'हिट'-फ्लिट' मारण पोड़ल ! 
ग्राहक -मीन ब्वाल  कि ना ? कि मैँ तैं जोर की भूक लगीं च।
वेटर -ये स्वीपर हिट -फ्लिट मारी दे रे !
ग्राहक -अरे या मेज त गंदी च।  मेज मा दाळ -सब्जी -कढ़ी  क सुक्याँ  पिंदका पड्याँ   छन। कै दिन बिटेन साफ़ नि कार या मेज ?
वेटर -मि तैं नि पता।   यु काम स्वीपर कु च।   (स्वीपर तैं आवाज दींदु ) स्वीपर !साब बुलणा छन बल मेज कथगा दिन बिटेन साफ़ नि कार !
स्वीपर की आवाज - अरे साब तै पूछ बल जु खाली ब्रेकफास्ट करण त फिर इथगा साफ़ सफै किलै चयाणि च ?
ग्राहक - भै ! मीन लंच करण
स्वीपर - ठीक च त गल्ला मा बैठ्यु गुन्दरु कुण बोलि दि बल फ्लिट बि मारि दे अर  मेज बि साफ़ कौरि दे।  मि टॉयलेट साफ़ करणु छौं।  दस  मिनट मा जात्र्युं बस ऐ जालि त मी तै वेटर बणण पोड़ल  !
वेटर -आप ऑर्डर द्यावो !
ग्राहक - तुमर इक स्वीपर बि वेटर ?
वेटर - वु  हमर गढ़वाल मा क्वी स्वीपर जातिक नि हूंद।
ग्राहक - फिर ? वो स्वीपर ?
वेटर - अहो ! वेटरगिरि क अलावा वु टॉयलेट साफ़ बि करदो अर द्वी चार रुपया जादा कमै लींदो ! वो वैक नाम हमन इनि स्वीपर धौर दे।
ग्राहक -अच्छा ! तुमर होटलक बोर्ड मा लिख्युं च बल 'एथनिक गढ़वाली कुइजिन  ' त जरा बता गढ़वाली व्यंजन मा क्या क्या च ?
वेटर -वेज कि नौन वेज ?
ग्राहक -द्वी चौलल ! पैल इन बथा नौन वेज मा क्या च ?
वेटर -मटन अफगानी , चिकेन कोल्हापुरी , आंध्रा अंडा करी , ओडियाई मटन फ्राई, हैदराबादी बिरयानी, चिकेन शंघाई , कम्बोडियाई  मटन राइस …….
ग्राहक -अर वेज मा
वेटर -पंजाबी आलू गोभी , कश्मीरी उड़द -राजमा , राजस्थानी पीली दाल , गुजराती उंधिया , बंगाली भात , मद्रासी सांभर, केरलाइट दही भात ….
ग्राहक -मिठै मा ?
वेटर -बंगाली रसगुल्ला , बीकानेर  का घेवर … …
ग्राहक -अरे पर मि त एथनिक गढ़वाली फ़ूड खाणो बान ये होटलमा औं !
वेटर -साब ! मीन अपण ददाजी मन सूण छौ कि कुछ गढ़वाली एथनिक फ़ूड हूंद छौ। अब हमर इख पहाड़ों मा गढ़वाली फ़ूड खाणो क्वी रिवाज नी च ।
ग्राहक -पण बोर्ड मा त लिख्युं च कि होटलम  'एथनिक गढ़वाली कुइजिन ' मीलल ?
वेटर - साब बोर्ड माँ लिख्युं की क्वी कीमत बि हूंदि क्या ?
ग्राहक -क्या मतलब ?
वेटर - सब जगा बोर्ड मा या दिवालुं मा लिख्युं रौंद बल 'यहाँ पेशाब करना मना है ' पण सबि बोर्ड तौळ या दीवाल मा इ पेशाब कौरदन।
ग्राहक -जरा मि तै अपण होटल मालिक से त मिलावो।
वेटर -मालिक त द्वी घंटा से पैल नि मिलि  सकदन ?
ग्राहक - किलै ?
वेटर - साब पैथर एक साऊथ इन्डियन होटलम खाणो खाणा जयां छन फिर खाणक खैक एक घंटा सींद बि छन।
ग्राहक - अरे तुमर मालिक अपण होटल छोड़ि दुसर होटलम खाणा खाणों जांद?
वेटर - वु क्या च मालिक तै गंदो वातावरण मा खाणक नि खयांद !
ग्राहक - इख पुण क्वी हौर अछु होटल बि च ?
वेटर - हां पैथर एक पंजाबी क पंजाबी होटल सबसे बढिया च।
ग्राहक - ठीक च मि उखि जांद।
वेटर - हे स्वीपर ! फ्लिट -हिट  रण दे रै , अर मेज साफ़ करणै बि जरूरत नी च।
स्वीपर - औ त जन रोज हूंद स्यु ग्राहक बि बगैर खयां चलि ग्यायि।
वेटर - अरे हम तै ले क्या ? बस का यात्री त झख मारिक हमर होटलम इ खाला कि ना ?

Copyright@ Bhishma Kukreti  22 /9/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]   

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                                   उजड़्यूं कूड़ अर प्रवासी वार्ता


                                  कंदूर्या : भीष्म कुकरेती           


उजड़्यूं कूड़ (हैंसिक )-क्या छै भै हर्कैक , फर्कैक म्यार मलवा -गार -माटु , मलवा मा जम्याँ घास-कंसिलो बुट्या   दिखणु ?
प्रवासी -हैं क्वा च ?
उजड़्यूं कूड़-अरे क्वा च क्या , त्यार पुरखों उजड़्यूं कूड़ अर कु !
प्रवासी -अच्छा !
उजड़्यूं कूड़-इन बता तू इन आश्चर्य अर निराशा मा क्या खुज्याणु छे ?
प्रवासी -नै उ मुंडळो सिलेटी पत्थर,  सड्यां ही सै बौळि, कड़ी , पटला कुछ  नि दिखेणु च !
उजड़्यूं कूड़-हा ! हा ! जर , जोरु अर जमीन जैमा रौंद जर , जोरु अर जमीन पर हक वैकु हूंद। त्यार गांवक ही लोग मुंडळो सिलेटी पत्थर अर दार उठै लीगेन।
प्रवासी -पण   …?
उजड़्यूं कूड़ (हौंसिक )-पण क्या चालीस साल परांत याद आयि त्वै कि गां मा बि क्वी कूड़ छौ ?
प्रवासी -तू बि इख गां वाळु तरां चिरड़ाणि छे। तेरि  याद रोज आंद।
उजड़्यूं कूड़ (व्यंग्य  अर करुण मिश्रित भाव ) -तुम प्रवासी अपुण  कूड़ों याद त करदा छा पण कूड़ नि छंवै सकदां हैं ? 
प्रवासी (हर्युं जुवारी भौण मा ) -नै नै चांद त मि बि छौ कि अपुड़ कूड़ छौं पण  … !
उजड़्यूं कूड़ (रोस मा )-पण क्या जब तु पच्चीस सालु छौ त तेरि ब्वेन रैबार नि भेजि छौ बल कूड़ छाण ?
प्रवासी (आंख्युं मा भितर पाणि )  -हाँ इच्छा त इन छै कि कूड़ इ नि छौं बल्कणम चौक बि ठीक करि द्यूं !
उजड़्यूं कूड़ (कौतुहल भाव )-तो कैन रोकि छौ ?
प्रवासी (गर्व का भाव ) -वु भाइ तब पढ़णु छौ अर वैकि कॉलेज की फीस अर आइ इ ऐस कोचिंग की फीस इथगा छे कि त्वे तैं छंवाण क्या मि ड्यार बि नि ऐ सकदु छौ।   
उजड़्यूं कूड़-त त्यार भै आइ इ ऐस बौण च ?
प्रवासी (घमंड का भाव ) -आइ इ ऐस त नि बौण साक पण एक चपड़ासि भाई सीधा सेक्सन ऑफिसर ह्वे जावो त बड़ी बात छे कि ना ?
उजड़्यूं कूड़-त वैक बाद छैं लींद ?
प्रवासी (करुण अर अफु पर ही  गुस्सा का भाव ) -कनकै छैं लींद।  ब्यौ नि कार ?
उजड़्यूं कूड़-तो ?
प्रवासी (चिरड़ेक )   -तो क्या ब्यावक कर्जा उतारद उतारद कै गैणा रात खुलि गेन।
उजड़्यूं कूड़-जब ब्यावक कर्जा उतर गे त फिर कूड़ छाण छौ कि ना ?
प्रवासी (गुस्सा मा ) -अरे तब तलक त्यार (कूड़ो ) अंजर पिंजर इथगा ढीला ह्वे गे छा कि क्या बोलु !
उजड़्यूं कूड़-त करज पात ले लींदु !
प्रवासी (गुस्सा मा ) -कर्ज पात ! पैल त वैबरी करज पात सरलता से नि मिलदु छौ अर मिल बि ग्यायि तो इथगा पुन्यात नि छौ कि कर्ज बौड़े दींद।
उजड़्यूं कूड़-पण इथगा बि त कमजोरी नि छै कि कूड़ नि छंये जावो !
प्रवासी -अरे बुन्न सरल च।  जब अफु पर बितदि त तब पता चलदो।  उना बच्चा बि ह्वे गे छा अर ऊं तै अंग्रेजी स्कूल मा भर्ती करै दे।  .
उजड़्यूं कूड़ (कौतुहल भाव )-तो ?
प्रवासी (औसंद /परिश्रम का भाव ) -तो क्या ! अब हम द्वि झण अंग्रेजी त जाणदा नि छा त बच्चों बान टयूसन अर कोचिंग क्लासौ खर्चा उठाणो बान मि एक दुकानिम स्याम दै काम बि करण लगि ग्यों।
उजड़्यूं कूड़-अरे पर त्यार भाइ बि त छयो ?
प्रवासी (घंगतोळ )- हां  ….
उजड़्यूं कूड़-क्या हां ?
प्रवासी (अफ़सोस आर घमंड का मिश्रित भाव ) -अब वु ऑफिसर ह्वे गे छौ त वो अर वैक परिवार विशेस याने इलिट क्लास की दौड़ दौड़न लगी गेन अर ऊंकुण  घौरक कूड़ छाण  एक नगण्य बात ह्वे गे।   
उजड़्यूं कूड़-अरे त तीन अपण भाइ तै समझाण त छौ कि ना ? कि आखिर पुरखों चिण्यु कूड़ च।
प्रवासी -इन च गांव वाळ बि में से इनि बात करणा छा कि आखिर पुरखों चिण्यु कूड़ छौ त उजड़ण नि चयांद।
उजड़्यूं कूड़-हां ठीक त बुलणा छया।
प्रवासी (उत्तेजित भाव )  -ह्यां पण एक बात बतादि बल पैल इहलोक सुदारण  चयांद कि परलोक ?
उजड़्यूं कूड़ (कुछ देर सोचिक अर अध्यापकी भाव ))- भै पैल त इहलोक ही ठीक करण चयेंद।  परलोक याने दुसर लोक कैन द्याख ?
प्रवासी (हौर बि उत्तेजित भाव ) -बस हम प्रवास्युं कुण द्वी रस्ता छन कि यदि हम गांवक कूड़ आदि सैंकण मा लगदां त हमर  परदेश मा वर्तमान  खराब हूंद अर परदेश मा वर्तमान सुधारदवां त भूतकाल उजड़दु च।
उजड़्यूं कूड़ (खिसयानी हंसी )-त तुम द्वी भायुंन अपण पुरखों लगायुं मकान उजड़ण द्याइ ! पुरखों खेतुं तै बांज हूण दे ?
प्रवासी (भग्नाशा भाव ) - धन को हिसाब से हम कमजोर छंवां त हम वर्तमान ही सुधार सकदवां।  भूतकाल  संबाळणो हमर बसै बात नी  च। 
उजड़्यूं कूड़ (चिरड़ेक )   -अरे पर फिर बीच मा इन अवसर बि त ऐ होलु कि जब तुम अपण उजड़दा कूड़ो मरम्मत कौर सकदा छा ?
प्रवासी (चिरड़ेक )   -फिर बच्चों उच्च शिक्षा को बोझ इथगा भारी छौ कि मि दिल्ली मा एक कमरा-किचन  लैक जगा तक नि ले सौक त कूड़ क्या छाण छौ।  अर जब बि कूड़ छाणो इच्छा ह्वे त विकल्प  एकि छौ या तो पैसा बच्चों शिक्षा पर लगौं  या कूड़ छाण पर !
उजड़्यूं कूड़-अब त तू रिटायर ह्वे त अब इख गां मा बसण चाणु ह्वेल हैं ?
प्रवासी (निराशा भाव ) -इच्छा त हम द्वि झणु छे बल रिटायरमेंट का बाद गाँव मा बसी जांदा पर अब कुछ नि ह्वे सकुद।
उजड़्यूं कूड़-किलै अब क्या च त्यार बच्चा त सेटल ह्वेइ गे ह्वाल ?
प्रवासी -हाँ।  द्वी अच्छी नौकरी पर छन दुयुंक ब्वारि नौकरी करदन।
उजड़्यूं(कौतुहल भाव ) -कूड़-औ त अब ?
प्रवासी -एक नौनु हैदराबाद नौकरी करदु , वैक एक बच्चा च त मि वैक दगड़ रौंद।
उजड़्यूं कूड़-औ ! अर हैंको ?
प्रवासी -हैंक नौन चंडीगढ़ अर वैक  बि बच्चा छुट छन त वूंक दगड़ मेरि घरवळि रौंदि।  बस द्वी तीन सालम छुट्युं मा हम द्वी झण एक दुसरौ सूरत दिखदवां।
उजड़्यूं कूड़ (उत्साह मा )-त इन बथादि तु गां इथगा सालुं बाद किलै ऐ ? क्या मि तैं छाणो विचार ?
प्रवासी -ना
उजड़्यूं कूड़ (निराशा भाव )-तो ?
प्रवासी -वु क्या च म्यार चंडीगढ़ वाळ नौनो प्रमोसन हि नि हूणु  च त गणत मा पुछेरन ब्वाल बल कै असंतुष्ट पुरखा की हंत्या दोष लग्युं च
उजड़्यूं कूड़ (हैंसिक )-त तु असंतुष्ट पुरखा की हंत्या पुजणो आयुं छै ?
प्रवासी -हाँ !
उजड़्यूं कूड़ (जोर से हौंसिक )-वाह ! पुरखों बणयूं  कूड़ छांद नि छंवां अर पुरखों हंत्या  पुजै खूब होणि च। 
प्रवासी - तु जन बि समज ! कै तैं नि पड़ीं कि  हम प्रवासी एक इन समस्या मा घिर्यां रौंदा कि इना जौंदा त उना बिगड़दु अर उना ध्यान दींदा त इना उजड़ जांद।   


Copyright@ Bhishma Kukreti  23/9/2013

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                                                    हेयर स्टाइल

                                            चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

             

परसि सरा क्रिकेट दुनिया का लोगुन चेम्पियन क्रिकेट लीग या चेम्पियन बेटिंग -सट्टा कु खेल मा महेन्द्र सिंह धोनीक नयो हेयर स्टाइल देखि अर ब्याळि  हेयर कटिंग सैलूनुं मा कुर्च्याट मची गे।  दिल्ली -मुंबई मा नाईयुं से भीड़ नि सम्बऴयाणि छे त भौत सि जगा पुलिस बुलाण पोड़।  अब जवान छ्वारों बात त वाजिब च भै गली या बस मा छोर्युं तै इम्प्रेस करण त नया नया हेयर स्टाइल हूणि चयेंदन।  छोरि तै पटाणों तरीकों मादे एक तरीका लेटेस्ट हेयर स्टाइल बि च।
कांड त तब लगिन जब लखनऊ मा   नरायण दत्त  का दगड्या   अर च्याला  हेयर कटिंग सैलून मा गेन ।  नाइ बुलणा छा कि महेंद्र सिंह धोनी का नयो स्टाइलौ बान बाळ हूण चयेंदन त नारायण दत्त तिवाड़ी का दगड्यों -च्यालों बुलण छौ  बल तुम चाहे गधौं पूछौ बाळ लावो पण हम तै धोनी स्टाइल की विग पैनावो।  आज रात हमन रेड लाइट  एरिया मा जवान नारायण दत्त जीक  दगड़ गस्त मा जाण।
बात कखन से कख पौंछि जांदि।  अब द्याखो ना -बाळु हेयर स्टाइल पर बात आई त मि नारायण दत्त  की जवानी अर रंगरगीलियुं पर पौंछि ग्यों।  परसि बुड्या जब लखनौ मा अनाउन्सर  नौनि गल्वड़  पर हाथ रगोंड़णु छौ त रंगीला बुड्या तैं एक पत्रकारन पुछि दे बल "बुड्या जी ! मर्दौ छाती क बाळ से मरदों तागत का पता चलद पण तुमर छाती पर त एक बि बाळ नीन फिर बि तुम बेशरम मर्दागनी मा सब्युं पड़ददा छंवा ?  इन कनकैक ? "
  बेहया -बिलंच बुड्याs  जबाब छौ ," गुर्रिल्ला सबसे ताकतवर दुपाया जानवर माने जांद।  वैक सरा सरैल पर बाळ हूंदन पण छाती पर एक बि बाळ नि होंदन। "
पैल अणब्यवा नौनि तैं अपण ब्वे दगड़ जाण मा नि हिचकान्दि छे , किलैकि तब नौनि अर नौनि ब्वे की उम्र मा  साफ़ अंतर पता चौल जांद छौ। अचकाल अणब्यवा नौनि अपण ब्वे  याने  ममी दगड़ नि जांदन किलैकि पार्टी -सार्टी या सडकों मा यवा छ्वारा नौनि तैं छोड़िक ब्वे तैं  प्रपोज करण बिसे जांदन।  अर जब छ्वारों तै बताये जांद बल या नौनि नी च बलकणम  नौनि ब्वे च त युवा बोल्दु बल ," आंटी ! आपका हेयर स्टाइल अर फेसिया लिफ्टिंग से आपकी उमर का पता ही नहीं चलता !"
कवियों बान त नायिका का बाळ हमेशा ही प्रेरणा स्रोत्र रैन।  जब घुंघरऴया बाळु स्टाइल छौ त नौनि घुंघरऴया बाळ करणों बान नयांदी नि छे अर बाळ कड़कड़ ह्वेक घुंघरऴया ह्वे जांद छा।
हमर जवानी की उमर मा देहरादून का हरेक हेयर कटिंग सैलून मा देव आनन्द की फोटो लगी रौंद छे किलैकि हेयर स्टाइल का मामला मा केवल देव आनन्द ही इन छौ जैकि युवा नकल करदो छौ । किलै ? ये भै देव आनन्द की हेयर स्टाइल पर युवती अर युवती की मा -नानि जि मरदा छा  !
फिर वै बगत ही युवत्युं अर जवान ब्वेयुं क एक ही इच्छा होंदी छे कि कै बि तरां साधना कट बाळ बणये जावन।  किलै ? ये भै जवान अर बुड्या सबि साधना कट पसंद करदा छा।
देहरादून मा बाळु कटिंग से पता चल जान्दो कि स्यु इन्डियन मिलिट्री अकैडमी कु कैडेट च। 
एक समौ छौ खिलाड़ी छुट छुट बाळ रखदा छा अर हिप्पी लम्बा बाळ रखदा छा अब खिलाड़ी लम्बा बाळ रखदन अर हिप्पी गंजा रौंदन या छुट छुट बाळ रखदन।
हेयर स्टाइल कबि बि अपण इच्छानुसार नि अपनाए जांद बलकणम दुसर तै क्या पसंद च को हिसाब से हेयर स्टाइल 'चूज'(Choose )  करे जांद।
अजकाल नाइ परेशान छन।  किलै ? किलैकि हर शुक्रवार की फिल्म हिट  हूणै हिसाब से युवा अपण हेयर स्टाइल   बदलदो।  फिर फेसबुक मा क्वी नै हेयर स्टाइल हिट ह्वे ग्याई त छ्वारा नाइ से वै हेयर स्टाइल की मांग करदन।
अजकाल मुंबई मा डीआइजी कल्चर (डबल इनकम ग्रुप याने द्वी झण नौकरी करदन ) आण से छोरि /जनानी बौब कट हेयर स्टाइल पसंद करदन  किलैकि बौब कट हेयर स्टाइल मा तुम रोज बाळु तैं ध्वे सकदां।  निथर बिचारा बाळ ऐतवार की जग्वाळ करदा छा कि पैलक हफ्ता जु मैल छूटी नि छौ वु मैल ये संडे कुण धुएं जालो।
पण बौब कट से अब जनान्युं मा एक मर्दाना पन  ऐ गे अर कवियों वास्ता प्रेरणा की सप्लाई कम ह्वे गे।  खासकर नेट का गढवाली कवियों तै अब बौब कट बाळु से क्वी नई प्रेरणा नि मिलणि च तबि त सौ साल पुराणा -घिस्यां पिट्याँ प्रतीकों से ही यि तथाकथित आधुनिक गढ़वाली  कवि श्रृंगार या करुण रस की  बासी कविता रचण मा मगन छन।
इन बुले जांद बल बाळ अर हेयर स्टाइल तुमर आंतरिक गुणु प्रतीक या परिचायक हूंदन पण अब हेयर स्टाइल से गुण पता नि चलद। हेयर स्टाइल अब अपण गुण दिखाणो माध्यम नी च बलकणम दुसर तै क्या पसंद च दिखाणो माध्यम ह्वे गे।
पैलाक जमाना मा विग लगाण मा शरम लगदी छे अब जु विग नि लगांदन वी शर्मांदन अर अपण बाळु तै केश कर्तनालय  या ब्यूटी पार्लर जैक इन बणादन कि असली बाळ विग जन दिख्यावन।  हमर हंसी अर बाळ अब सब नकली ह्वे गेन।
पैल इन दिखे जांद छौ कि तैक या तैंको  मुंड पुटुक क्या भर्युं च. याने दिमाग अर वुद्धि की मांग जादा छे।  अब इन दिखे जांद कि तैक या तैंको  मुंड मा क्या धर्युं च याने बाळ कु स्टाइल कन च।  याने अब हम वुद्धि से जादा छद्म , नाटकबाजी महत्व दींदा।
अचकाल हेयर स्टाइल आपकी भाषा /बुलणो ढंग मा शामिल ह्वे गे।  बाळ अब भावना जताणो माध्यम बि ह्वे गे।
हेयर स्टाइल आज इनि आवश्यक च जन पैंट - शर्ट या साड़ी -बिलौज -सैंडल -पर्स !

Copyright@ Bhishma Kukreti  24 /9/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]   

Bhishma Kukreti

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                                         ह्यां  ! बुर्का अर गोळ टुपला मंगै द्यावो !

                                              चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
 
घरवळि - छि ! तुम से तो वी भलो छौ पण मीनि  बोलि दे छौ।
मि -अरे कु ?
घरवळि - बुबाजी अर ब्वे त तयार छा …
मि -तेरी ममी कैकि बात करणि च ?
नौनु -डैडी ! ममी के मायके के बगल वाले मुहल्ले में नहीं है वो पागल अंकल ?
मि -हाँ जु वु दिन मा छै सात दैं झुल्ला बदल्दो !
नौनु -हाँ
मि -त क्या ह्वे ग्यायि वै तैं ?
नौनु -उसको कुछ नही हुआ।  ममी की शादी की बात उन अंकल से भी चली थी
मि -त फिर ब्यौ किलै नि ह्वै ?
नौनु -ममी को ओ अंकल पसंद नही आये। 
घरवळि - पण अब सुचणु छौं वी ठीक छौ।  जरा झलक्या (अर्ध पागल ) छौ पण मौक़ा देखिक झुल्ला त बदल्दो छौ।  अब तक हमर ड्यार द्वी  बुरखा अर द्वी चार गोळ टुपलौंन ऐ जाण छौ।
मि -ह्यां ! क्या बुलणि छे ! हमर ड्यार बुर्का अर गोळ टुपला ? क्यांकुण ?
घरवळि - तुमन त खाली सवाल ही करण।  तुम तैं क्या पता मुहल्ला सोसाइटी मा हमर क्या बेज्जती हूणि  च !
मि -बेज्जती हूणि च ? हमर त बेटि बि नी च कि ज्वा कैक दगड़ भाजि जावो त बेज्जती ह्वे जावो। 
घरवळि - अब बेटि दस दैं बि भाजि जावो त बेज्जती नि होन्दि।  अब त जैं बेटिक ब्याय फ्रेंड नि ह्वावन वूं ब्वे -बुबा क बेज्जती हूंदी !
मि -त फिर क्यांक बेज्जती ?
घरवळि - अबि तलक हमर इख बुर्खा अर गोळ टुपला नि ऐन। 
मि -अरे पण बुर्खा अर गोळ टुपला नि आण से क्यांक बेज्जती ?
घरवळि - सरा मुहल्ला मा अर सोसाइटी मा बात फैलि ग्यायि कि हम धर्म निरपेक्ष नि छंवां अर लोग बुलण बिसे गेन कि हम नॉन -सेक्युलर छंवां। 
मि -अरे हम सेक्युलर नि छंवाँ से क्या मतबल ? मीन आज तलक सुपिन मा बि दुसर धर्मौ काट नि कार , आलोचना नि कार।
घरवळि - हाँ पण हमर ड्यार बुरखा अर गोळ टुपला त नी च ना ?
मि -ठीक से त बिंगा कि बुरखा अर गोळ टुपलौ चक्कर क्या च ?
घरवळि - उ नीं अपण विनय भटियार ?
मि -हां जु हमर मुहल्ला का आल इंडिया विश्व हिन्दू वर्ल्ड का अध्यक्ष छन। जु भाषण दीणु रौंद कि इंडिया तैं हिन्दू नेसन डिक्लेयर कारो। अर सन तिराणबे माँ हिन्दू -मुस्लिम दंगा मा यूँ पर कोर्ट मा केश चलणु च।   
घरवळि - वू बि अब सेक्युलर ह्वे गेन।
मि -क्या विनय भटियार बि अब धर्म निरपरेक्ष ह्वे ग्यायी , जु कबि सेक्युलर हूण मा बेज्जती समझदो छौ वू  निरपरेक्ष ह्वे ग्यायि ?
घरवळि - हाँ नितरसि मिसेज विनय भटियार खुले आम बुरखा पैरिक भुजि लीणो जि ग्यायि अर सरा मुहल्ला वाळुन विनय भटियार तै सेक्युलर घोषित करी दे। 
मि -क्या ?
घरवळि - हां अर परसि विनय भटियार गोळ टुपला पैरिक मन्दिर गेन त मुहल्ला मुस्लिम मजलिसन उर्दू अर हिंदी मा पर्चा बांटिन कि विनय भटियार सेक्युलर छन।
मि -हैं ? मुस्लिम मजलिस अब सेक्युलर अर नॉन सेक्युलर को सर्टिफिकेट दीण बिसे गे ?
घरवळि - अर वू नीन  अपण सुंगर कट्वा मिस्टर खटिक लाल चौधरी ?
मि -हाँ !
घरवळि - वूं तैं बि मुहल्ला इस्लामिक ब्रदर हुडन सेक्युलर घोषित कौरि आल।  मुहल्ला मा मुहल्ला इस्लामिक ब्रदर हुड का चार बैनर लग्यां छन कि सुंगर कट्वा मिस्टर खटिक लाल सेक्युलर छन। 
मि -मिस्टर र खटिक लाल अब सुंगरू शिकार नि बिचदन ?
घरवळि - नै नै ! उंकी वाइफ़ अब सुबेर श्याम बुरखा मा बजार जांदी अर मिस्टर खटिक लाल गोळ टुपला पैरिक सुंगर कटदन अर बिचदन।
मि -बुरखा अर गोळ टुपला ?
घरवळि - हां अजकाल मुहल्ला मा सब तै सेक्युलर हूणों दौंरा पड़्यु च।
मि -पण सेक्युलर हूणों बान बुरखा अर गोळ टुपला ?
घरवळि - सूणों तुम मेखुण  द्वी बुरखा अर अफकुण द्वी गोळ टुपला लया बस !
मि -अरे पण !
घरवळि - मि नि जाणदो बस।  हम तैं बि अब सेक्युलर बणण।  अर सेक्युलर बणण कुण बुरखा अर गोळ टुपला पैरण जरूरी च।
मि -मतबल सरा मुहल्ला मा सेक्युलर बणणो फैसन चलणु च।
घरवळि - हाँ ! जा तुम अबि बजार जावो अर मेखुण  द्वी बुरखा अर अफकुण द्वी गोळ टुपला लया।
मि -ठीक च बजार जांदु अर बुर्का अर गोळ टुपला लै आंदु।
घरवळि - अच्छा सूणो रस्ता मा कॉंग्रेसी नेता दिगविजय सिंह फैन्स क्लब च ना !
मि -हां
घरवळि - उख बुर्का अर टुपला दिखैन अर द्वी सौ रूप्या देक एक बडो सेक्युलर हूणों सर्टिफिकेट बि लयेन जै तैं हम अपण ड्रवाइंग  टांगी द्योला।
मि -ठीक च।  अजकाल दिग्विजय सिंह जी को सेक्युलर हूणों सर्टिफिकेट ही वैलिड सर्टिफिकेट च। 
घरवळि - अर बगल हि मा  नीतेश कुमार फैन्स क्लब च उख द्वी सौ रूप्या करै दें देन। नीतेश कुमार फैन्स क्लब मुहल्ला मा उर्दू मा पर्चा बांटी द्याला कि हम सेक्युलर परिवार छंवां। अर वांक बगल मा अखिलेश फैन्स क्लब च उख तीन सौ रूप्या दे देन वो मुहल्ला मा चार बैनर लगै द्याला कि हम धर्म निर्परेक्ष छंवाँ।
मि -और कुछ ?
घरवळि - हाँ यी द्वी नमकीन का पैकेट छन यूं तैं कचरा पेटी मा फेंकि देन
मि -नमकीन ! अर कचरा पेटी मा फिंकण ?
घरवळि - हाँ वो मिसेज अनवर अलीन अपण ड्यार नमकीन बणैन अर मी तै देक चलि ग्यायि।
मि - पण नमकीन कचरा पेटी मा फिंकण  ?
घरवळि -   सेक्युलर बणणो मतबल यु त नी च  जु मि मुसलमानौ घौरौ बण्यु नमकीन खौलु  ? 

Copyright@ Bhishma Kukreti  25 /9/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 

Bhishma Kukreti

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                              लालू जी !  हमे तो दाग और दागी नेता अच्छे लगते हैं !

                                       चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती




आदरणीय चारा खाउ यादव जी !
द्वि दम्पति तै दंडवत।
अब त तुम नि बोलि सकदां बल कौंग्रेस दोस्ती नि निभांदि।  अब त साफ च बल हम कॉंग्रेसी दोस्तुं बान संविधान की दुहाई लेकि ही संबिधान की धज्जियां उडौंदा अर वै संविधान की धारा , नियम , उपनियम को छंतळ लेक हम दुश्मनु  दांत  तुड़ण मा सदा अग्वाड़ी रौंदवा।  द्याख नि तुमन चौटाला  परिवार कन जेल मा च अर आप , मुलायम भुला क्या सुंदर सत्ता की देऴयूं मा दंगऴयाट -भंगऴयाट करणा छंवां !  या च हमर दोस्तुं दगड़ौ दगुड़ -निभाई अर दुश्मनु दगड़ -चाकु दिखाइ।
  सि परस्युं तीस सितम्बरौ कुण न्यायालयन सजा सुणाणि च अर तुमकुण  सजा हूणि च।  हम कॉंग्रेस्युं तै बड़ो बुरु लगणु छौ कि  लोकनायक जय प्रकाश नारायण को भ्रष्टाचार विरोधी क्रांति से उपज्यूं महान धर्म निर्परेक्ष , महान  समाजवादी मुखौटा धारी , महान राजनैतिक चालबाज -मुखौटाबाज, धोखेबाज धुर्तुं राजा ,  दागी नेताऊं सरताज लालू प्रसाद यादव जेल जालु! बस हमन संविधान की मौलिक बातुं पर लात लगाइ अर ताबड़तोड़ ऑर्डिनेंस मसौदा तैयार करिक महामहिम रास्ट्रपति म भेजि दे। अब ये ऑर्डिनेंस का बल पर आप सरीखा भ्रष्ट ,  लफंगा , आळी -जाळी अभियुक्त , बलात्कार , चोरी , डकैती , रंगदारी मा सजा का हकदार या सजा याफ्ता नेता खुलेआम चुनाव लड़ सकदन।
असल मा हम कौंग्रेस्युं तैं दाग अच्छे लगते हैं और दागदार नेता जो हमें समर्थन करते हैं और भी अच्छे लगते हैं।
विरोधी पार्टी या वुद्धिजीव्युं तै बकबास करण द्यावो कि हम संविधान की रक्षा जगा संविधान को भतियाभंद करणा छंवां।
लालू जी ! तुम त जाणदा ही छंवां नेहरु -गांधी परिवार तैं संविधान की छीछ्लेदारी करण मा बडो मजा आंद।  खासकर दागी नेताओं तै.  जब न्यायालय अभियुक्त घोषित करदो त हम कॉंग्रेसि खासकर नेहरु -गांधी परिवार तैं बुरु लगद।  किलैकि हमे तो दाग और दागी नेता अच्छे लगते हैं।   अब द्याखो  हमारी विचारी इंदिरा गांधी तैं अलाहाबाद हाई कोर्टन अभियुक्त घोषित कार त हमारी लोकतंत्र की महान रक्षिका  नेत्री इंदिरा गांधीन इमरजेंसी लगै दे। किलैकि नेहरु -गांधी परिवार तैं  दाग और दागी नेता अच्छे लगते हैं।
अब एक बात बथावो जब  हमर लोक अर लोकतंत्र रक्षक सरकार तैं दागी अर दागी नेता समर्थन दींदन त हमर बि कर्तब्य च कि ना कि हम दागी नेताओं की रक्षा बान लोकतंत्र की ऐसी -तैसी कौंरा ! जब दाग अर दागी हमर सरकार का खम्भा ह्वावन त हमर भि धर्म च कि हम दागी , अभियुक्त नेताओं तैं संविधान की आग से बचौवाँ।
लालू जी ! तुम बि जाणदा कि आम जनता याने हमर वोटर हमर दाग अर दागी नेता प्रेम का विरुद्ध कुछ नि कौर सकदन।
अब द्याखो ना ! तब जब उत्तर प्रदेश मा चुनाव ह्वेन त मुलायम सिंह जी पर अभियोग छौ अर मायावती बैणि पर बि अभियोग चलणु छौ त जनता का पास भेड़िया अर लकड़बघा मादे एक तैं चुनणौ विकल्प छौ।  एक दागी नेता को विल्कप दुसर दागी नेता ह्वावो त जनता तैं क्वी ना क्वी धुर्या को चुनाव करण ही पोड़ल कि ना ?
अब द्याखो ना जब हमन हिमांचल मा भ्रस्टाचार मा लिप्त धुमाल को विकल्प भ्रष्टाचार को अभियुक्त वीर भद्र सिंह दे तो जनता मा एक धुर्या छोडि दुसर रागस ही विल्कप छौ त एक दागी नि जीतल तो दुसर दागी ही जीतल कि ना ?
अब सब बुलणा छा कि डा रमेश निशंक भ्रष्ट च, भ्रष्ट च त हमन उत्तराखंड को मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा तै बणै दे। दागी को विकल्प दागी ही भलो हूंद, किलैकि  दागी राज्नैतिग्य का समणी स्वच्छ छवि को नेता जीति इ नि सकुद इलै  त हम कॉंग्रेस्युं तै दागी अर दाग भला लगदन।
अब चुनाव नजीक छन त जनता मा छवि बणाणो बान नाटक त करणी पोड़ल त हम एक भ्रष्टाचार उन्मूलन बिल लोकसभा मा लौंला त तुम अपण तिकडम , धूर्तता , चालबाजी से ये बिल तैं राज्य सभा मा पास नि हूण देन हाँ !
आपकु ही
इंदिरा गांधी भक्त जु संविधान को इस्तेमाल संविधान की धज्जी उड़ान, संविधान तैं ही  आधार बणैक  संविधान को चिंथड़ा -चिंथड़ा करण मा विश्वास करदो !

Copyright@ Bhishma Kukreti  26 /9/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]   

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                                      चलो देहरादून तैं  सेंटर ऑफ़ आइडियाज की राजधानी बणौला !

                                                        चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती


घरवळि- आज क्या छंवां इखुल्या -इखुलि बात करणा , पुळयाणा (खुश हूण ) , दुखी हूणा , हंसणा  …।
मि -  कुछ ना ! आज एक बिलकुल विचार आई बल
घरवळि-छ्वाड़ो तुम उत्तराखंड के लिख्वारुंम द्वी इ विचार आंदन  कि पहाड़ों से पलायन हो रहा है , और गाँवों में  शराब आम बात हो गयी है।
मि -  नै नै !
घरवळि-सूणों तुम प्रवासी छंवां त तुम  अफु त टुंड ह्वेक दारु पींदा अर दगड़म ह्यळि गडणा रौंदा बल पहाड़ शराब मा डूबि ग्यायि। 
मि -   नो नो दिस टाइम
घरवळि-दिस टाइम और ओल्ड टाइम ! यू हिपोक्रेट माइग्रेटेड गढ़वालीज थिंक अबाउट माइग्रेसन शुड बि स्टौप्ड।  अर जब गां मा कैक दाड़ी -मूछ आयि ना कि वैतैं लेकि दिल्ली -मुंबई ऐ जांदवा !
मि -  नै नै ये बगत बहुत नयो विचार आयुं च।
घरवळि-जरा सुणावो त सै कि कै द्वी सौ साल पुरण विचार तैं तुम न्यू आइडिया बुलणा  धौं !
मि -  म्यार विचार च बल देहरादून तैं सेंटर ऑफ़ आइडियाज   की राजधानी बणण  चयेंद।
घरवळि-यु सेंटर ऑफ़ आइडियाज कु विचार छ क्या च?
मि -  देख पैल पेरिस तैं सेंटर ऑफ़ आइडियाज की राजधानी बुले जांद थौ।
घरवळि-तो ?
मि -  पण अब पेरिस मा नया आइडियौं कमि आण बिसे गे अर सैत च लन्दन तैं सेंटर ऑफ़ आइडियाज की राजधानी क खिताब मील जावो !
घरवळि-तो ?
मि -  त म्यार विचार च कि लन्दन से पैल अगल्वार मारे जाव अर देहरादून तैं सेंटर ऑफ़ आइडियाज की राजधानी बणये जावु !
घरवळि-सेंटर ऑफ़ आइडियाज की राजधानी बान क्या क्या करण पोड़ द ?
मि -  सेंटर ऑफ़ आइडियाज की राजधानी का लोग आउट ऑफ बौक्स याने अपण सीमा से भैर इनक्रोचमेंट करिक  सुचदन
घरवळि-अरे वाह ! देहरादून मा हरेक  नागरिक अपण सीमा से भैर का बारा मा इ  सुचदन। हरेक घर , हरेक दुकान , हरेक बिल्डिंग सरकारी जमीन मा इनक्रोचमेंट करणी ही रौंद कि ना ? यांक मतबल च सचमुच मा देहरादून वाळ आउट ऑफ बौक्स याने अपण सीमा से भैर इनक्रोचमेंट करणों बान ही सुचणा रौंदन। 
मि -  ओहो मेरो मतलब सरकारी जमीन को इनक्रोचमेंट से नि छौ बलकणम नया नया आइडिया से छौ।
घरवळि-अच्छा ! त जब अपण नरायण  जीन एक नौन्युं दलाल तैं लाल बत्ती अधिकार देन त क्या वो नयो आइडिया नि थौ  ?
मि - अरे इन आइडिया ना।
घरवळि-त कन  आइडिया ?
मि -  जन कि एफल टावर बणाण !
घरवळि-यी पश्चमी देश हमेशा से भारतs  दगड़ पक्षपात करदन।  हमर देहरादून मा हजारों कचरा का ऐफल टावर छन  त देहरादून सही माने मा सेंटर ऑफ़ आइडियाज की राजधानी ह्वे कि ना ?
मि -  ओहो सिन ना ! जख विचारक नदी छाल पर कुर्सी मा बैठिक बड़ा बड़ा विचार -विमर्श करदन। 
घरवळि-यी पश्चमी लोग सरासर हमारी अवहेलना करदन।  हमर देहरादून मा नदी नि ह्वावन पण नदी जन गंदा- गू -मूत से भर्याँ सैकड़ों खुला नाळा  छन जौंक किनारा पर , चाय-फलाहार ,  खाण पीणै सैकड़ो  दुकान छन अर हम नागरिक ख़ुशी ख़ुशी गू -मूत से भर्याँ गंदा खुला नाळो किनारा खाणों चीज बि खांदवाँ अर दगड़म भारत मा गिरती स्वास्थ्य सुवधाओं पर घंटो बहस बि गंदा, खुला नाळो किनारा नि करदा क्या ?
मि -  ओहो मेरो मतबल नई तकनीक खुज्याण अर वै तैं व्यवहारिक रूप दीण से च। 
घरवळि-नई तकनीक का मामला मा  बि हमर देहरादून अन्तराष्ट्रीय स्तर पर अग्वाड़ी च। हमारा राजनेता , सरकारी अधिकारी , ठेकेदार घूस लीणो अर ब्लैक मनी छुपाणो बान इन इन तकनीक इस्तेमाल करदन कि पेरिस का विचारक त हमर समणि पाणि भौरल !
मि -  ह्यां म्यार मतबल शिक्षा से बि छौ।
घरवळि-अरे देहरादून त शिक्षा का मामला मा हमेशा से अग्वाड़ि छौ अर आज बि च। देहरादून मा जथगा स्कूल छन वां से दस गुणा कोचिंग  सेंटर छन।  देहरादून मा जथगा छात्र छन उथगा प्राइवेट ट्यूटर बि छन अब यां से जादा देहरादून शिक्षा मामला मा क्या कौर सकुद ?
मि -  ओहो आधुनिक संस्कृति बि सेंटर ऑफ़ आइडियाज की राजधानी का वास्ता जरूरी हूंद।
घरवळि-इखमा क्या च आज हरेक गढवाळिन अपण संस्कृति छोड़ि याल त यांसे बिंडी आधुनिक संस्कृति क्या हूंद ?फिर अब जरा रात विर्त कारुं मा क्या क्या हूंद इ बताणो जरुरत च क्या ?
मि -  भै कै बि शहर तैं सेंटर ऑफ़ आइडियाज की राजधानी बणणो बान शहर मा सुरक्षित जीवन जरुरी च।
घरवळि-अब क्वी हमर इम्पोर्टेड मुख्य मंत्री विजय बहुगुणा जीक सल्ला मशबरा मानन  अर छै बजे सौब अपण कार्यालय बंद कौरिक ड्यार ऐ जावन त देहरादून से बढ़िया सुरक्षित जगा दुनिया मा कखि नी च। 
मि -  तू बि ना मजाक करण पर ऐ गे !
घरवळि-अरे मुंबई मा रौंदा अर देहरादून का बारा मा सुचदा त मीन मजाक नि करण त क्या करण ?
मि -  ह्यां पण मुंबई वाळ हम तैं मुंबई का कख समजदन !
घरवळि-त  देहरादून वाळ त क्या तुमर गां जसपुर वाळ बि तुम तैं जसपुरौ कख माणदन ?
मि -  इख वाळ हम तैं गैर महाराष्ट्री समजदन अर उख उत्तराखंडी हम तैं गैर उत्तराखंडी माणदन।   त इनमा क्या करे जावो ?
घरवळि-कुछ ना,  अपण रोजी रोटी कमाणम व्यस्त रावो अर क्या !




Copyright@ Bhishma Kukreti  27 /9/2013



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