Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 360198 times)

Bhishma Kukreti

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                                                   सि ऑर्गेनिक कुखुड़ भौति घमंडी ह्वे गेन  हाँ !

                                                        चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
 

[जगा- कनवेंसनल पोल्ट्री फ़ार्म , अर समणी ऑर्गेनिक केज फ्री मा कुखुडु डार (समूह ) ]


पौल्ट्री फ़ार्म कु एक कुखुड़ - अजकाल इ ऑर्गेनिक कुखुड़ भौति घमंडी ह्वे गेन  हाँ !
 पौल्ट्री फ़ार्म कु हैंक  कुखुड़ -हाँ यूंक घमंड देखिक त ज्यु बुल्यांद बल यूंका लेग-टंगड़ी  बगैर केमिकल लगैक बुकै जौं हाँ !
पैलु कुखुड़ - द्याख नि वा ऑर्गेनिक ख्वाळै  काळी मुर्गी पैल द्वी चार दिन मी पर लाइन मरणि राइ अर मी बि इख बिटेन वीं तैं मोडर्न प्रेम गीत सुणाणु रौ
दुसुर कुखुड़ -हाँ ! तब त तु मि तैं बि बिसर गे छै कि त्यार बि क्वी दगड़्या च !
पैलु कुखुड़ -सची ! आइ वाज इन डीप लव विद दैट ऑर्गेनिक हेन। 
दुसुर कुखुड़ -अब क्या ह्वे ?
पैलु कुखुड़ -सालि तै उखि ऑर्गेनिक मुर्गा मिल ग्याइ।  अब पता क्या बुलणि छे वा घमंडी मुर्गी ?
दुसुर कुखुड़ -क्या ?
पैलु कुखुड़ -हमर  अपण संस्कृति से बहुत प्रेम करदां  त मि कनवेंसनल मुर्गा दगड़ पल्लाबंद नि कौर सकुद।  अब वा वै ऑर्गेनिक मुर्गा की कलंगी पर फ़िदा च।  साली ! धोखेबाज !
दुसुर कुखुड़ -ह्याँ ! पण इख बिटेन हम कनवेंसनल  केज्ड मुर्गा खालि प्रेम गीत गै सकदां पण मुर्गी नि पै सकदा !
पैलु कुखुड़ -यू हमर मालिकौ भौत बड़ो अत्याचार च हां कि हम भैर ऑर्गेनिक मुर्ग्युं देखिक प्रेम गीत त गै सकदा पण कै बि मुर्गी से ब्यौ नि कौर सकदां.
दुसुर कुखुड़ -अरे वु हमर दगड़ पैदा हुयां ऑर्गेनिक मुर्गा हम तैं चिरड़ांद बि छन कि हम कनवेंसनल  केज्ड चिकन सब इकजनि   रंग का छंवां। 
पैलु कुखुड़ -हाँ यार ! हमर सबि अंडा अर चुजौं साइज -वेट -रंग एकि हूंद अर हम जवान कुखुडुं बि आकार , भार , रंग सब इकजसि हूंद  तबि त सि ऑर्गेनिक कुखुड़ हम तै चिढ़ान्दन कि वी केज्ड चिकेन डू नौट हैव वेरिएसन।
दुसुर कुखुड़ -अर उख ऑर्गेनिक कुखुड़ खाना मा नजर मारो त हरेक अंडा अलग दिखेंद , हरेक चूजा दूर से पछणे जांद अर जवान मुर्गी -मुर्गा बि आकार , भार , रंगमा अलग अलग हूंदन।
पैलु कुखुड़ -हां भै हमर इख इकसनि पन  से भौत बोरियत हूंद।
दुसुर कुखुड़ -अरे हमर त हौर बि बुरा हाल छन खाण -पीण -नयाण-धुयाण मा बि  रोज समानता च।  इख तलक कि रोज एकि फैक्ट्री क चिकेन फूड खै खैक बिखळाण ऐ जांद। अर अत्याचार या च कि  हम पर हर दुसुर दिन ज्वा दवा छिड़के जांद वांक गंध -बास बि इकसनि हूंद, हमर पोल्ट्रीफ़ार्म भितर तापमान बि एकसमान रौंद।   आइ ऐम फ्यड अप विद दिस मोनोटोनी !
पैलु कुखुड़ -अर ऊं ओरगेनिक कुखुड़ू मजा छन सुबेर उठिक पुंगडु  जांदन।  बनि बनि अनाज टीपि खांदन , अलग अलग ढंग का कीड़ -मक्वड़ खांदन। एक पुंगड़ बिटेन दुसुर पुंगड़ उडिक जांदन। अलग अलग  तापमान अर जलवायु का मजा लींदन।  अरे प्राकृतिक माटु मा रबोड़्यांदन अर भौं भौं किस्मौ बरखा मा नयांदन।  फिर अलग अलग बगतौ सुरजौ किरणु से विटामिन डी लींदन।  बीमारी होय तो प्राकृतिक दवाओं से उपचार होंद।
दुसुर कुखुड़ -अर हम तैं त इन्जेक्सनो से  सुख्यर रखे जांद।
पैलु कुखुड़ - तबि त वै छवाड़ो ऑर्गेनिक चूजा बि हमर समणी बडो रौब दाब दिखांदु .
दुसुर कुखुड़ -हां दिखाणि च यूंन घमंड ! पता च एक दैं हमर पौल्ट्री फ़ार्म की खिड़कि मा एक स्याळ नि ऐ छौ।
पैलु कुखुड़ -हाँ हाँ ! कुछ तो बुलणु छौ वु स्याळ !
दुसुर कुखुड़ -अरे वु स्याळ  बुलणु छौ बल सब्जी मंडी मा ऑर्गेनिक कुखुडुं कीमत हम कनवेंसनल या केज्ड कुखुड़ु से तीन गुना जादा च।
पैलु कुखुड़ -बतावो ! हम पर यु अत्याचार नी च कि ऑर्गेनिक कुखुडुं कीमत हम कनवेंसनल या केज्ड कुखुड़ु से तीन गुना जादा च।
दुसुर कुखुड़ -यि मनिख बेवकूफ होला क्या ?
पैलु कुखुड़ -बुल्दा त यि  इन छन बल मनिख सबसे दिमागदार जानवर च बल।
दुसुर कुखुड़ -त फिर ऑर्गेनिक कुखुडुं कीमत जादा किलै च ?
पैलु कुखुड़ -भै मीन सूण बल स्वास्थ्य का हिसाब से ऑर्गेनिक कुखुड़ बल जादा स्वास्थ्यवर्धक हूंदन  बल। 
दुसुर कुखुड़ -पण हमर स्वास्थ्य से मनिखुं क्या लीण दीण ?
पैलु कुखुड़ -वी त बुलणु छौं मि कि हम कुखुडुं स्वास्थ्य से मनिखुं तैं क्या लीण दीण ?
दुसुर कुखुड़ -अच्छा चल छोड़ यूं बेवकूफ मनिखुं छ्वीं।  वा ऑर्गेनिक ख्वाळै भूरिण  मुर्गी मि तैं दिखणि च जरा मि लाइन मारदु।  कुखडु कू कू … 
पैलु कुखुड़ -अरे ऑर्गेनिक ख्वाळै ललणि मुर्गी मि तै दिखणि च मी बि जरा लाइन मरदु।   कुखडु कू कू …



                                 
Copyright@ Bhishma Kukreti  29  /9/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]   

Bhishma Kukreti

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                                         वैबर्या पंचायत चुनाव अर आजs पंचायत राज चुनाव

                                                      चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती


             मि तैबरै बात करणु छौं जब हमर गाँ मा केवल ग्राम पंचायत छै अर तब हमर इख पंचायत राज नि ऐ थौ।
अहा तब बि हमर गाँ मा ग्राम पंचायतौ  चुनाव हूंद था अर अब बि पंचायत राजौ चुनाव हूंदन।  तब बि गौं लोगुं तै मुंडरु हूंद थौ आज बि मुंड फूटै से लोगुं तैं मुंडर हूंद।
पंचायत चुनाव  सुचना आवो  ना कि सरा गाँ सुंताळ मा चलि जांद छौ कि कै तैं पंच प्रधान बणौला ? आज बि पंचायत राज मा समस्या - पंच -प्रधान कै तैं चुनणौ की ही  च बस आयाम -डाइमेंनसन बदलि गेन।
जब वै बगत मि छ्वटु छौ अर हमर प्रजातंत्र बि ग्वाइ लगान्द लगान्द जवान हूण बिसे गे छौ त सरा गां परेशान रौंद छौ कि प्रजातंत्र तै जवान हूणों बान पंच -प्रधान कखन लौला  ? तब पंच -प्रधान बणणो क्वी तयार नि हूंद थौ। अर अब परेशानी या च कि  जौंक बुबाको जनम गां मा बि नि ह्वे वी बि विजय बहुगुणा   अर साकेत बहुगुणाक  तरां पंच -प्रधान -सरपंच -जिला परिषदौ चुनाव लड़णो मैदानी लठैतुं दगड़ ऐ जांदन। कोठी दिल्ली -देहरादून मा अर चुनाव लड़न गढ़वाल का गांवुं मा।
तब गां वाळ फिकर का मारा सींद नि छा , खांद नि  छया।  जब क्वी बि पंच -प्रधान बणणो तयार नि हूंद छौ त इकै आदिम तैं पंच बणणो बान लोग बारा बारा दिन ,छै छै राति वै मनिखौ चौक मा पड्याँ रौंद था अर तब तक डट्याँ रौंद था जब तलक वू मनिख पंच बणणो हाँ नि बोलि दयावो।  याने लोग हैंक तैं पंच बणाण मा एक द्वी  मैना व्यस्त रौंदा था।  लोगुंम द्वी मैना तक एकी काम रौंद छौ कि कनि कौरिक बि ग्राम प्रधान अर पंच मिल जावन !
अब बि परिस्थिति तकरीबन ऊनि च पण तरीका दुसर ह्वै गे। अब जब तलक चुनाव नि ह्वै जावन तब तलक हमर  चौक मा  चुनाव प्रत्यासी क लठैत मैदानी पिस्तौल लेक बैठ्या रौंदन अर हम  यूँ दिनु प्रर्त्यास्युं दियीं लठैत जेड सेक्युरिटी मा रौणो मजबूर रौंदा।
तब पंचैत मा माल -मलाई नि हुंदी छे त क्वी पंच -प्रधान बणणो तयार नि हूंद थौ अर सरा गां तैं पंच प्रधान बणाणो बान मेहनत करण पोड़द छे।
अब पंचैत मा इथगा माल -मलाई च कि दुधि बच्चा बि प्रधान बणणो बान पर्चा भौरिक ऐ जांद।  प्रवासी जु अपण ब्वे -बुबा मरण पर गां नि आंदन वो बि चुनाव लड़णो या चुनाव लड़वाणों बान गां ऐ जांदन।
हौर दिनों जै गां मा कवा बि नि दिखेंदा छा उख अचकाल चुनावी कवारौळी मचीं रौंदी , किलैकि समणी पर सब्युं तैं मनरेगा , जनरेगा अदि की मलाई  जि दिख्यांदी।
जख प्रेम की बंसुळी बजदी छे उख अब युद्ध की रणभेरी बजदी।
जख पैल पता इ नि चलदो छौ कि ये गां मा कथगा जाती छन उख अचकाल पंचैत चुनावुं  बगत एकि चुलखन्दो मा भाइ -भाइ अलग अलग पक्वड़ पाकंदन। अजकाल जाति नि बंटेंदन भयात बंटेदि। गुटबन्दी , जाती -बंदी आज चुनाव का जर -जेवर -जवाहरात -गहणा ह्वे गेन।
अजकाल पति अपण वाइफ़ पर बि बिश्वास नि करदो अर बुबा अपण नौनु पर भरवस नि करदो त कुंठित ह्वेका सबि दारु क तलौ मा डुबकी मारणा रौंदन।  दारु पर ही अब सब विश्वास करदन।  प्रत्यासी बि शराब पर विश्वास करदो कि वोटर शराब पेकि मेरि भकलौण मा आलु त वोटर बि शराब पर विश्वास करदो कि जु जादा शराब पिलालु वो ही ग्राम हितैषी होलु।  शराब भरोषा दिलाणो माध्यम ह्वे ग्यायि। 
 
पैल लोग पंच -प्रधान इलै बणदा छा कि सेवा करे जावो आज लोग पंच  -प्रधान इलै बणदन कि सरकारी योजना से मेवा खाए जावो।


Copyright@ Bhishma Kukreti  30  /9/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]

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                                                   खुंखार जानवर  किलै परेशान छन ?

                                                     चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती


(स्थान जंगळ मा एक कार्यालय  वार्षिक बैठक )
संस्थान प्रबन्धक -सबि सुणो मि तुम लोगुं से  परेशान छौं एक बि कर्मचारी अपण काम ठीक से नी करणु च।
सबि - नै  हम अपण काम  ढंग से ही करणा छंवा।
संस्थान प्रबन्धक - क्या रै गुरा ! त्वे पर त  कहावत बि बणी च बल सांप भैर कथगा बि ट्याड़ -बांग हिटो पण अपण दुंळ मा सीधो हिटदो पण तू त अपण गुरौदुंळम बि ट्याड़ -बांगु हिटण बिसे गे ?
गुरौ - अब तुम मि तैं लाल कृष्ण अडवाणी ड़्यार भिजल्या अर फिर उम्मीद करल्या कि मि अपण बिल मा सीधो हिटलो त इन कनकै ह्वे   सकुद?
संस्थान प्रबन्धक - किरम्वळो !  तुमन मेहनत करण छोड़ी आल। अब तुम निरपट अळगसी ह्वे गेवां।  पैल त बुले जांद छौ बल किरम्वळ अर म्वार -मधुमक्खी काडर बेस जानवर छन  ?
मधुमक्खी अर किरम्वळ-पैल हम तैं भरवस छौ कि हम जी तोड़ मेहनत करला त पार्टी टिकेट या राजकीय शहद मा भागीदार मीललि  त हम रात दिन मेहनत करदा छा।  पण जब हमन द्याख कि हमर छ्त्तौं /पेथणु  पर बंश परम्परा को ही राज होलु अर राजकीय शहद खाणो बणिया किस्मौ स्याळु तै मिलणु च अर हम तै शहद चखणो त राइ दूर दिखणो नि मिल्दो त हमन मेहनत करण छोड़ि आल।
संस्थान प्रबन्धक - क्या रै घड़ियाल ! तुम लोगुंन  नकली घड़ियाली अंसदरी /आंसू बगाण छोड़ी आल ?
घड़ियाल -अब जब भारतीय राजनैतिग्य लोग प्राकृतिक आपदा , आतंकवादी हमला मा मर्यां लोगुं बान नकली अंसदरी /आंसू बगाण मिसे गेन त हम घडियालुं आंसू ही सुख गेन।  हमर नकली आंसू त भारतीय राजनीतिज्ञ भारतीय गरीबुं गरीबी पर रूणो लीगेन त हमन अब घड़ियाली आंसू कखन बगाण  ?
संस्थान प्रबन्धक - क्या भै मूसो ! तुम तैं काम दे छौ कि कोयला आबंटन कार्यालय की सरकारी फ़ाइल कुतरो त तुम खाली हाथ अयाँ छंवां।
मूस /चूहा -अब हमन क्या ख़ाक सरकारी फाइल कुतरण ?  सरकारी महकमौं फ़ाइल त गायब छन।
संस्थान प्रबन्धक -झूट।  भारतक कै बि पुलिस स्टेसन मा फायल गायब हूणै ऍफ़आइआर नि लिखे गे !
मूस /चूहा - वी त भारतीय सर्वोच न्यायालय बि भारतीय सरकार से पुछणु च बल पैल त फ़ाइल कनकै हर्चिन अर हर्चि बि छन त पुलिसम शिकैत दर्ज किलै नि ह्वैं ?
संस्थान प्रबन्धक -हे भै घूणो-घुन  /टेरुंओ  ! तुम तैं काम दे छौ कि भारत मा फ़ैल जावो अर भारत का अनाज दाळ पर लग जावो पण तुमर ट्रैवेलिंग बिल  देखिक त लगणु च कि तुम इखि ऑफिसम सियां रौंदा ?
घूण /घुन /टेर - अब हम घूण /घुन /टेरुं तैं भारत मा अनाज बरबाद करणै जरुरत नी च। जब  फ़ूड कौर्पेरेसन ऑफ इंडिया  अनाज सड़ाणो /बरबाद करणों काम बखूबी करणु च त हम कीड़ों तै क्या जरुरत कि हम भारत मा अनाज बरबाद करवां ?
संस्थान प्रबन्धक -क्या रै सरसुवो/ खटमलो ! अर झांझ ( मच्छरों )! तुमकुण बोलि छौ बल भारतीय जेलुं मा जैक कैदियों खून चुसि लावो।  क्या ह्वाइ ?
सरसु /खटमल/झांझ/मच्छर - हम त भुखि मोर गेवां।  भारतीय जेलुं मा  अब चौटाला, लालू यादव , जगन्नाथ मिश्रा , कलमाड़ी जन असंख्य राजनीतिज्ञ ऐ गेन अर यूं राजनीतिज्ञों खलड़ /चमड़ी गैंडा से बि मोटी च त हमन इन कैदियुं खून कनकै चुसण ?
संस्थान प्रबन्धक - क्या भै भेड़ियों ! तुम कुण बोलि छौ  भला अदिमुं भेष मा सरा भारत मा फैलि जावो।
भेड़िया - उख भारत मा पैलि खूंखार डाकू , उच्चका , गुंडा , माफिया लोग नेताओं का भेष मा घुमणा छन त हमारि क्या विषात कि हम भेष बदली भला अदिमु स्वांग कौरवां ?
संस्थान प्रबन्धक - क्या रै गधा तुमर कम्युनिटी का  क्या हाल छन ?
गधा - हमर हाल बि ऊनि च जन भारतीय जनता का बुरा हाल छन। हम  मेहनत पूरो करदां फिर बि रोज हर समय मार खाणा छां


Copyright@ Bhishma Kukreti  1/10/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]   

Bhishma Kukreti

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                                          गांधी जयंती च त  विरोधी नेताs   घौरन शराब मंगै दे !

                                                    चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती


मन्त्रीs घरवळि - सुणो ! भौत दिन ह्वे गेन दगड़म फिलम नि देखि !
मन्त्री  -त्वै तैं इन बात याद तबि आंदन जैदिन म्येखुण  एक घड़ी फुरसत नि रौंद।  पता च क्या च आज ?
घरवळि - क्या च ? मि तै क्या पता ? मि त वीमेन वेल्फियर  कामुं मा जि व्यस्त रौंद !
मन्त्री -आज गांधी जयन्ती च !
घरवळि (दांतुं तौळ जीब ) -  मेरि ब्वे मीन त आज सुंगरो शिकार मंगाईं च।
मन्त्री  -त क्या ह्वाइ ? आज म्यार बुबा क श्राद्ध थुका च जु ये घौरम शिकार नि बौणलि।
घरवळि - वौ आज त तुमकुण खाणै त राइ दूर बीड़ी पीणै फुरसत बि नि होलि ?
मन्त्री -खैर बीड़ी त मि कार मा इ पे लेलु।
घरवळि - अच्छा वो राजघाट पर कथगा बजि प्रोग्राम च ?
मन्त्री  -साढ़े आठ बजि अर मीन ठीक इख बिटेन आट बजे पैटण।
घरवळि - त पौणे आट बजे मि अपण मौसि जंवै बुलै द्युं ? वु फिर एक बलात्कार प्रयास मा फंसण वाळ च।
मन्त्री -अरे वैकुण  बोल अब जनान्युं हंटिंग  बंद कौर कुछ हौर चीजुं अयेड़ी ख्यालो !
घरवळि - अब रजवाड़ा खानदान कु च त अयेड़ी खिल्यां बगैर रै बि त नि सकुद ना !
मन्त्री  -वै तैं श्याम दै डिन्नर पर बुलै दे। डिन्नर टेबल मा सब बात ह्वे जालि।
घरवळि - त तुम अबि बिटेन अचकन -टुपला पैरिक तैयार ह्वे गेवां ?
मन्त्री -अरे कंस्टिट्वेंसी से म्यार घोर समर्थक  आणा छन। 
घरवळि - कु कु ?
मन्त्री  -एक त वु आणु च जैन म्यार बुलण पर विरोधी क टांग तोड़ी छे अर हैंक जैन अग्यो लगै  छौ।
घरवळि - अछा ! गाँधी समाधि बाद क्या प्रोग्राम च ?
मन्त्री -वैक बाद एक अन्तराष्ट्रीय संस्था क प्रोग्राम च उख 'आज भी सत्य का औचित्य है 'पर भाषण च
घरवळि - ये सत्य पर याद आयि ब्याळि  सीबीआई कोर्ट मा तुमर पेशी छे।  उख क्या ह्वाइ ?
मन्त्री  -मीन इन झूठ ब्वाल कि सीबीआई क्या स्कॉटलैंड वाळ बि हमर सर्वोच नेता पर हाथ नि लगै सकदन।
घरवळि - फिर वीं मीटिंगों बाद क्या प्रोग्राम च ?
मन्त्री -वीं मीटिंगों बाद मीन ' गांधी जी के लेखों में लुप्त होते जंगली जानवर और पक्षियों का सन्दर्भ ' पर भाषण दीणों जाण।
घरवळि - ये पक्षियों पर याद आई।  मौसी जंवै बान तीतर , बटेर अर मोर कु मटन मंगाण पोड़ल ! अर वु पुरण सप्लायर त अचकाल नेता ह्वे ग्यायि।
मन्त्री  -वो सेक्रेटरी बिटेन  हैंक नयो  सप्लायरो  फोन नम्बर ले ले।
घरवळि - फिर वांक बाद घौर ऐ जैल्या कि ?
मन्त्री -नै नै आज गांधी जयंती च त पैल एक जगा 'शराब की लत में डूबा भारत ' पर भाषण दीणों जाण अर अंत मा रात सात बजे  तलक 'धुम्रपान ख़त्म कैसे हो ' पर भौत ही बड़ी प्रदर्शनी च त मीन ही वांक उद्घाटन करण।
घरवळि - भौत बड़ी प्रदर्शनी ? क्या यीं प्रदर्शनी क स्पोंसर सरकार च ?
मन्त्री  -ना ना ! 'धुम्रपान ख़त्म कैसे हो' प्रदर्शनी क प्रायोजक दुनिया की सबसे जादा बिकण वाळ  सिगरेट  ब्रैंड च
घरवळि - ये मि त बिसरि  ग्यों . मौसी जंवै त एक ख़ास शराब पींदन अर आज त वाइन शौप बंद रौंदन।
मन्त्री -अरे पड़ोस मा म्यार घोर विरोधी नेता छन।  वूंक इखन वा ख़ास शराबै तीन बोतल मंगै दे।
घरवळि - हाँ बिचारा भला आदिम छन।  बार बगत पर हमर काम ऐ जांदन।

(इस लेख को वास्तविक बनाने की  कोशिस में यदि सच्ची घटना का जिक्र हो गया हो तो मुझे कतई माफ़ नही करना )
Copyright@ Bhishma Kukreti  2/10/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 

Bhishma Kukreti

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                              मंत्री जी पर बलात्कार कु केस चलणु  च पण मैनेजर स्वच्छ छवि कु इ चयांद !

                                                  चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

[ कौन्फेरेंस हाल , अंडाकार मेज , मेज का चारों और नौकरी बान अयाँ प्रार्थी (अप्लिकेंट्स )। समिण पर द्वी कुर्सी मा एक नामी गिरामी नेता जी अर वूंक घरवळि)
नेता जी - प्रिय प्रार्थियो ! जन कि तुम जाणदा छां कि   मि नामी गिरामी संसद सदस्य छौं. या मेरी घरवळि मिसेज नेता जी छन।  मेरि घरवळि क अपण ब्यापार च। मि सिर्फ अपण घरवळि मदद का वास्त इख आयुं छौं।
मिसेज नेता जी- ये साल हमर ब्यापार सौ करोड़ पर पौंछि गे पण साल द्वी सालम पांच हजार करोड़ कु ह्वे जालो।  मि तैं ये ब्यापार चलाणों बान कर्मठ अर इमानदार मैनेजर चयाणु च।
नेता जी -आप सब  प्रिलिमिनरी सलेक्सनमाँ सलेक्ट हुयां छा।  अब ग्रुप डिसकसन मा जु बि पास होलु वु मनैजेर बणये जालु।
नेता जी - हाँ जी ! कंडीडेट नम्बर वन ! तुमन अपण प्रार्थना पत्र मा ल्याख कि तुमन गुस्सा मा एक सरकारी क्लर्क तैं थप्पड़ मार , भई हम तैं इन मैनेजर नि चयांद जु सरकारी क्लर्क तैं थप्पड़ मारो।
प्रार्थी नम्बर १  -पण साब तुमर  ख़ास समर्थक विधायकन त कथगा दैं सरकारी मुलाजिमों तैं पीट
नेता जी -देखो ! राजनीति अलग बात च अर ब्यापार अलग बात च।  हम तैं इन मैनेजर नि चयाणु च जु अपण इमोसन्स काबु नि कौर साक।
नेता जी - कंडीडेट नम्बर टू ! तुमम मैनेजरों सब गुण छन।  पण तुम पर अभियोग चलणु च बल तुमन एक क्रेडिट सोसाइटी बणाइ अर लोन अपण रिश्तेदारूं मा बाँटी दे ?
प्रार्थी नम्बर २ -वु सर ! मि तबारी महराष्ट्र कु एक मंत्री चमचा छौ अर देखादेखी मीन बि लोन अपण रिश्तेदारूं मा बाँटी दे।  मंत्री जी महाराष्ट्र कोपरेटिव बैंक घोटाला मा फंस्यां छन।
नेता जी -देखो ! मंत्री जी कुछ बि कारन वूंकुण  न्यायपालिका च पण हम दागी मनिख तैं अपण ब्यापारो मैनेजर नि बणै सकदवां।
नेता जी  -कंडीडेट नम्बर थ्री ! तुम मैनैजर लायक छंवां पण ये मेरि ब्वे ! तुम पर त घूस लीणों आरोप च अर कोर्टम मुकदमा चलणु च।
प्रार्थी नम्बर ३  -जी वो गलती से एक स्टिंग ओपरेसन मा पकड़े ग्यों।
नेता जी -नै नै हम तै अपण बिजिनेस का वास्ता घूस खवा मैनैजर कतै नी चयाणु च।
नेता जी -कंडीडेट नम्बर चार हैं तुम पर त डकैती केस चलणु च। तुमारी त शरम बि हरची गे की एक डकैत हमर ब्यापार कु मैनैजर बौणल ?
प्रार्थी नम्बर ४ -पर सर ! आप पर त चार डकैती केस चलणा छन अर आप संसद सदस्य छन तो ?
नेता जी -चुप कर ! संसद को काम अलग हूंद अर प्राइवेट बिजिनेस अलग हूंद।
नेता जी -ओह काबिल कंडीडेट मिल गे।  पण पण… ……
प्रार्थी नम्बर ५  -सर ! वैदिन ब्यौ मा  दारु जरा जादा ह्वे गे छे त एक नौनि की साड़ी उतार दे छे।
नेता जी -यू हरामी ! त्वै तै हिम्मत कनकै ह्वे अप्लिकेसन दीणै ? भंगुल पियुं च म्यार कि बलात्कार का केस मा फंस्यां आदिम तैं मि अपण बिजिनेस मैनैजर बणौल  ?
प्रार्थी नम्बर५  -पण सर आप पर बि बलात्कार का चार केस चलणा छन फिर बि आप 'स्त्री  सुरक्षा 'संसदीय कमेटी का सदस्य छन कि ना ?
नेता जी -शट अप ! डोंट टीच मी व्हट इज पार्लियामेंट !
नेता जी -अरे वाह ! मिल ग्याइ ! मिल ग्याइ ! कंडीडेट नम्बर सिक्स ! त्यार सब गुण मैनेजर लायक छन अर त्वे पर क्वी बि अभियोग नी च।
प्रार्थी नम्बर ६  -पण ! माइ डियर संसद सदस्य वी औल  रिजेक्ट यु कम्प्लीटली !
नेता जी -क्या मतलब ?
साबि कंडीडेट -हम तुम्हे रिजेक्ट करते हैं।  वाह ! संसद सदस्य जी तुम पर  जघन्य अपराधों के मुकदमा चल रहे हैं।  तुम दागी पुरुष तो संसद सदस्य बने रह सकते हो।  पर तुम्हे अपने ब्यापार के लिए केवल और केवल स्वच्छ छवि , बेदाग़ प्रबंधक चाहिए ? शेम औन यू !ऐसा तुम देस के लिए क्यों नही सोचते हो कि देस को भी बेदागी संसद सदस्य मिले ? शेम औन यू




(मैंने कोशिस  थी कि इस व्यंग्य लेख में केवल सत्य बात लिखूं।  यदि गलती से मिस्टेक में मैंने कल्पना प्रयोग किया हो तो मुझे माफ़ नही करना )

Copyright@ Bhishma Kukreti  3/10/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]   

Bhishma Kukreti

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                                               कोका कोला द्वारा  जल जीरा की बेज्जती !

                                                 चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

कोका कोला -हटो ! हटो ! मि ऐ ग्यों ! मि ऐ ग्यों ! भैर जावो।  भैर ह्वे जावो।
 जल जीरा -क्या च यु  त्यार बुबाक फ्रिज  च जु बेज्जती करणु छे अर   बुलणु छे -हटो ! हटो
कोका कोला -देख दुकान्युं मा जु बि फ्रिज छन वो सब म्यार मालिकाक छन।
 जल जीरा -सूण यु  घौर च समझे।  क्वी दुकान नी च जु तू इथगा रौब से बात कौर !
कोका कोला -देख मि तुम सरीखा छुट मुट ड्रिंकुं दगड़ बात नि करदो।  आइ फील इंसल्ट  इन टाकिंग विद यु टाइनी ब्रैंड
 जल जीरा -ये जादा अंग्रेजी नि झाड़ हाँ ! मि संस्कृत मा बुलण बिस्योल त फिर त्यार मुख पर ताळु  जालु
कोका कोला -सुण बै जल जीरा ! क्या औकात च तेरि जु मेरि दगड़ बात कौर ? फिर जख तलक संस्कृत को सवाल च- इण्डिया मा कु समझद संस्कृत ?
 जल जीरा -ठीक च ठीक च।  पण म्यार दगड़ इज्जत से बात कौर। 
कोका कोला -तेरी इज्जत क्या च हैं ?
 जल जीरा - मी भारत मा द्वी हजार साल से छौं।
कोका कोला -तो ?
 जल जीरा -कम च कि मि भारत  घरों मा द्वी हजार साल से आयुर्वेदिक पेय छौं।
कोका कोला -अबै जब इंडिया मा आयुर्वेद  ही अपण महत्व की लड़ाई  लड़णम नाकामयाब  च त ते सरीखा पेय की क्या औकात ?
 जल जीरा -ये औकात पर नि जा हां !
कोका कोला -किलै नि बतौं त्वे तैं तेरि औकात।  ऐक्स्पाइरी डेट निकळ ग्यायि अर अबि तलक सि फ़्रिजौ कूण्या पर अनाथ जन पड्यूं छे।
 जल जीरा -ये अनाथ नि बोल हाँ म्यार बिरतांत ढाई हजार साल पैलाक चरक संहिता मा बि च हां
कोका कोला -अबै आज की बात कौर कु पुछद त्वै सरीका ड्रिंक तैं। कथगा भारतीय चरक संहिता बारा मा जाणदन ?
 जल जीरा -पण यु त तू बि जाणदि कि रियलिटी मा मीमा त्वे से जादा  स्वास्थ्यवर्धक इंग्रेडिएंट छन। 
कोका कोला -ठीक च कि त्वैमा हेल्दी इंग्रेडिएंट छन पण लोग त यी समझदन कि ओनली कोका कोला इज  ''रियल थिंग ' अर बाकि सब बेकार छन।
 जल जीरा -अरे कै झूट तैं हजार दैं दुरावो। रिपीट कारो त वु झूट सच ह्वे जांद अर लोगुं तैं सच झूठ लगण बिसे जांद।
कोका कोला -यही तो मार्केटिंग है !
 जल जीरा -हाँ मार्केटिंग पावर का बल पर ही तो तू अब हम सरीखा स्वास्थ्यवर्धक पेयुं /ड्रिंकुं तैं हीन समजदी।
कोका कोला -ओ बेवकूफ ! ओल्ड रग ! मि त्वै तैं हीन नि समजदु बलकणम भारतीय त्वै सरीखा पारम्परिक , काम का  पेय पदार्थ तैं हेय दृष्टि से दिखदन।
 जल जीरा -वी त रुण च कि भारतीय मानिक चलणा छन कि जो बि इम्पोर्टेड चीज च वो अमृत च अर जो बि भारतीय चीज च वो दकियासूनी च।
कोका कोला -अर इन्डियन त्वै तैं महत्वपूर्ण स्वास्थ्य वर्धक पेय समझ बि ल्यावन त क्या ह्वे जालो ?
 जल जीरा -अरे रिसर्च अर डेवलपमेंट से मि तैं बोटलिंग लैक बणांदा अर मार्केटिंग करदा त जल जीरा की पूछ कोका कोला से जादा हूंदी
कोका कोला -क्या त्वै तैं पक्को विश्वास च कि भारतीय अपण पारम्परिक खाद्य पदार्थों पर अन्वेषण कारल ?अर कामौ पारम्परिक पदार्थों तैं बचाला ?
 जल जीरा -वी त रुण च कि अशोक महान का बाद भारतीय समाज निर्माणकारी समाज छोड़िक बिचौलिया समाज ह्वे ग्यायि।
कोका कोला -यां पर आइ एग्री विद यु कि भारतीय समाज लौह अयस्क निर्यात करण मा विश्वास करदो अर  वै माटु से लोहा बणाण मा विश्वास नि करदो।
 जल जीरा - ट्रेडिंग संस्कृति मा त इनि ह्वाल.
कोका कोला -तो फिर किलै मेरी समणी इथगा अक्कड़ दिखाणि छे ?
 जल जीरा -अब त अक्कड़ बि खतम ह्वै  गे।  किलैकि भारतीय हम तैं कूण्या मा बि जगा नि दींदन ।

Copyright@ Bhishma Kukreti  4 /10/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 


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                                             इंस्पेक्टर ! मेरी इज्जत -आबरू हर्चिगे  …. FIR …

                                               चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती


नेता -इंस्पेक्टर ! कैन बताइ बल पुलिस चौकी इखमी च  ?
पटवारी - जी ! या पटवारी चौकी च। क्या काम च ?
नेता -मेरी इज्जत -आबरू हर्चि गे वांक FIR दर्ज कराण छे।
पटवारी - अच्छा ! नाम ?
नेता -मि  क्षेत्र कु विधायक छौं !
पटवारी - एक मिनट …. एक मिनट ! अरे !  म्यार त काम ह्वै गे।
नेता -कनु क्या काम ह्वे गे ?
पटवारी -वु क्या च।   कुछ दिन पैल क्षेत्र की जनतान शिकायत  याने FIR दर्ज करै छे कि वूंक विधायक पिछ्ला साढ़े चार  साल से हर्च्युं च।
नेता -पण मीन कै बि समाचार टीवी चैनेल मा अपण हरचणो खबर नि देखि।
पटवारी -ये क्षेत्र का बारा मा अखबार  तलक समाचार नि छ्पांदन त टीवी चैनेल क्या खबर दिखाला ?
नेता -आश्चर्य च कि संवाददाता ये क्षेत्र मा नि आंदन ?
पटवारी - जै क्षेत्र मा सडक नि ह्वावन उख …
नेता -हाँ  बात सै च।  मि तैं बि दस इम्पोर्टेड कारु हूणै बाद बि  पिनस मा आण पोड़
पटवारी - ब्वालो।  तुमर परमानेंट एड्रेस क्या च ?
नेता -विधायक निवास , प्रदेश राजधानी।
पटवारी -विधयाक निवास अर परमानेंट एड्रेस ? इख तुमर गांवक पता बथावो।
नेता  -एक मिनट हाँ ! मि अपण गांवक एड्रेस भूलि -बिसरि ग्यों।  मि अपण सेक्रेटरी तैं पूछिक बतांदु हां !
पटवारी -हां क्या चीज हर्चीं च ?
नेता -अरे मेरी इज्जत -आबरू हर्चि ग्यायि।
पटवारी -तुम तैं पक्को विश्वास च कि तुमम इज्जत -आबरू छैंछे ?
नेता -हाँ पांच साल पैल लोग इज्जत करदा छा।
पटवारी -नै नै ! लोग त डौरौ मारन राजू भैया  जन नेताओंक  बि इज्जत करदन।
नेता -नै न्है ! सची मा लोग भला आदिम बोलिक मेरी इज्जत करदा छा अर सब लोग आदर सत्कार से गंड गंड म्यार खुटम पड़दा छा।
पटवारी -यांक मतबल च पांच साल पैलि तुमम इज्जत -आबरू -सम्मान छैंछे।
नेता -हाँ बिलकुल मि एक इज्जतदार , सम्मानीय नेता छौ।
पटवारी -तुम तैं कनकै पता चौल कि तुमर इज्जत -आबरू -सम्मान हर्चि गे।
नेता -इक आण से पैल मीन एक मार्केटिंग एजेंसी से सर्वेक्षण करवै छौ त सर्वेक्षण से ही  मि तै पता चौल बल इख अब म्यार  क्वी इज्जत -आबरू -सम्मान नि रै गे ।
पटवारी -फिर ?
नेता -फिर मीन अपण स्याळ , नौनु ,  भणजा  भेजिन त ऊंन बि पता लगाइ बल अब मेरी क्वी इज्जत नी बचीं च।
पटवारी -अच्छा फिर ?
नेता -फिर अब जब विधयाक बणणो बान मि पर्चा भरणों औं त लोग सिवा लगाणो जगा , प्रणाम करणों जगा म्यार मुखुंद थुकणा छन।  फूलूं माळा जगा जुतुं माळा पैराणा छन अर …
पटवारी -अर क्या ?
नेता -अर  गुलाब जल की जगा गू -मूतौ छिड़काव  करणा छन।
पटवारी -हाँ फिर तो सचमुच तुमारी इज्जत -आबरू -सम्मान हर्चि गे।
नेता -हाँ !
पटवारी -अच्छा तुम इन बताओ तुम तैं कै पर शक च ?
नेता -अब कै पर शक हूण ?
पटवारी -जन कि कै विरोधी नेतान तुमर इज्जत -आबरू -सम्मान चुरै दे ह्वावु ?
नेता -अब मि साढ़े चार साल से इख आयि नि छौ त मि तै पता इ नी कि म्यार विरोधी को च ?
पटवारी -समर्थकुं पर शक ?
नेता -विधयाक बणणो बाद पैल पैल समर्थक म्यार विधायक निवास मा आंद छा पण मीन एक खूखार डाकु अर एक हत्यारा गुंडा तैं बौडी गार्ड अर सेक्युरिटी गार्ड बणाइ त समर्थकुंन बि मि तैं मिलण बंद करि दे।
पटवारी -तुम तैं अपण रिश्तेदारुं पर शक ?
नेता -नौट ऐट आल !
पटवारी -अच्छा तुमर परिवार अर रिश्तेदारुं पर क्वी भगार , लांछन , अभियोग ?
नेता -बताण जरुरी च
पटवारी -हाँ तबि त मि पता लगौल कि तुमर सम्मान कैन चुराइ ?
नेता -मेरी घरवळि पर शौचालय , अनाथालय , देवालय घोटाला अभियोग कोर्ट मा चलणु च , बेटा पर बलात्कार का चार केस, भाणजा पर ट्रांसफर -प्रोमोसन घूस केस , जीजा अर जंवै  पर आदिवास्युं जमीन हड़पणो केस , ससुर पर डकैती , स्याळ पर क्षेत्रीय खेल घोटाला केस , कक्या ससुर पर चीटिंग केस , कक्या सासु पर बहू बीटिंग केस , भतीजो पर दंगा फैलाणो …आरोप सब कोर्ट मा चलणा छन।
पटवारी -बस बस ! मि तुमर FIR त नि दर्ज कौर सकुद पण तुम तैं द्वी जघन्य हत्याओं केस मा बंद करणु छौं।
नेता -क्या ?
पटवारी -हाँ मि तुम तैं जन विश्वास -हत्या अर अपण स्वयम की इज्जत -आबरू -सम्मान की  ह्त्या कु  जुर्म मा कैद  करणु छौं।



Copyright@ Bhishma Kukreti  5 /10/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]   

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                                         कुपोषण का प्रति सहानुभूति -सांत्वना का छै बूँद आंसू

                                               चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
कुपोषण ( जोर जोर से किरांद/ रूणु ) च )-  ये ब्वे !  अब मीन नि बचण ! अब सरा भारत  से  म्यार सुफड़ा हूण वाळ च।  अच्छा भारत मा ना सै पण गुजरात मा मेरी चिता जरुर जगण वाळ च।
एक आवाज -हैं ! ये कुपोषण जु तू हमेशा अट्टाहासी हंसी हँसदो छौ अर आज ह्यळि गाडि गाडिक मृत्यु -सूचक रुण रूणु छे ?
कुपोषण (और जोर से किरांद)- हां भारत मा म्यार  दिन बस खतम हूण इ वाळ च! मेरि डंडलि (अर्थी ) सजण इ वाळ च।  अब मीन नि बचण !  हे ब्वै ! जथुग खाण छौ मीन सि ख़याल अब मेरि निखणि हूणि वाळ च।   औ ! मेकुण  झ्यार (भयंकर बीमारी ) ऐ ग्यायि , ह्ज्या जन बीमारी ऐ ग्याइ !
वै आवाज - हे भै मालन्युट्रिरेसन ! तू तो हमेशा यमराज जन निडर , निश्चिंत , रागस जन निर्द्वंद रौंद थौ अर आज इन रूणु छे जन बुल्यां  ज्युंरा त्यार समणी बैठ्युं ह्वावो !
 कुपोषण (बदहवासी मा हौर जोर से कष्टदायक रुण )- हां  मौत समणि दिख्यांदि त  यमराज बि रुण बिसे जांद।
हैंकि आवाज - अरे  तलक तू बतैल ना , हम तैं कनकै पता चलण कि ह्वाइ क्या च ?
मालन्युट्रिरेसन (बौऴयांद /पागलपन मा उठा पोड़ी करद -करद ) - हाँ जै पर बितदी वी जाणदु कि क्या ह्वाइ !
बच्चों पालन पोषण मा असावधानी (प्यार से कुपोषण तैं एक जगा मा बिठांदु ) -ये म्यार प्रिय से प्रिय भाणजो !  ह्वेक बता कि क्या ह्वाइ। म्यार हूंद त्वै तैं किलै लग बल  तेरि मौत अति नजीक च ?
कुपोषण - बच्चों पालन पोषण मा असावधानी मामा ! आज गुजरात  कंट्रोलर ऑफ ऑडिट जनरल याने कैग की रिपोर्ट आयि बल गुजरात मा हर तिसुर बच्चा कुपोषण कु शिकार च।
 बच्चों पालन पोषण मा असावधानी (ढाढस का भाव मा )- प्रिय भणजु ! पैल त भारत मा सरकारी रिपोर्ट से सरकार  निंद कबि नि बिजद। अर गलती से मिस्टेक ह्वे बि जावो अर सरकारी तन्त्र चेति बि जावो त मि छौं ना ! अरे जब तलक ब्वै बाब अपण बच्चों स्वास्थ्य का प्रति असावधान रालो तब तलक त्वै पर  भारत मा  क्वी लात नि मार सकुद।  अब उठ अर भैर जा खेल अर चट से  हजार -द्वी हजार बच्चों तैं मारिक आ।
मालन्युट्रिरेसन ( जोर जोर से  रुंद रुंद ) -पण कैग रिपोर्ट से लोग  अपण बच्चों पोषक तत्वों प्रति सजग ह्वै ग्यायि त फिर म्यार क्या ह्वालु ?
भारतीय सामजिक विन्यास (कुपोषण कु पीठ मलासदु ) हे म्यार घिरळु ! ये म्यार भतिजु ! जब तलक मि छौं त भारत मा समाज मा बालिकाओं प्रति भेद भाव अवश्य ज़िंदा रालु त क्या च तू लाखों बच्चियों तैं एक साल ना त पांच साल की आयु मा भी मारि सकद कि ना ?
कुपोषण (फिर जोर से रूंद )- काका ! अर जु कखि भारतीय अपण बेट्युं तैं महत्व   दीण हरु कौर द्याल तो ?
गलत विश्वास  (कुपोषण क आंसु पुंजद - पुंजद ) ये ल्वाळ कुपोषण  ! जब तलक भारतीय म्यार कारण सांस्कृतिक विरासत पर चिपकणै आदत नि छ्वाड़ल या स्वास्थ्य संबंधी अंधविश्वास नि छ्वाड़ल तब तलक क्वी बि त्यार बाल बि बांका नि कौर सकुद। 
स्वास्थ्य संबंधी अंध विश्वास (सांत्वना दींद)  हाँ हे भुला ! म्यार रौंद रौंद त भारतीय गर्भवती स्त्रियों तैं पूरो भरपेट अर पौष्टिक भोजन दीण से त राइ।  जब तलक मेरी हकूमत भारत मा च तब तलक भारत मा सैकड़ों स्वास्थ्य संबंधी अंध विश्वास राल अर इन तेरो यानी कुपोषण को भी राज दगड़ मा चलणु रालु।
मालन्युट्रिरेसन (अपण छाती पीट पीटिक रूंद )- अर कखि भारतीयों मा चेतना ऐ ग्यायि तो ? फिर मि त कखि जोग नि रौलु ?
पुरुष मानसिकता (कुपोषण कु बिखर्यां बाळ ठीक करद -करद ) - ये म्यार लाटो ! म्यार अधिपत्य जब तलक रालो त त्यार बि राज रालु। देख जब तलक ब्वेऊंक/माऊंक बच्चों लालन पोषण पर अधिपत्य नि ह्वावो तो समजि ले कि त्यार क्वी कुछ नि बिगाड़ सकुद।
कुपोषण (इन किरांद  आग मा जळणु ह्वावो ) -अर अब जब जनानी बि नौकरी करण लगि गेन त जनानी अपण बच्चों भोजन मा पोषक तत्वों पर  देला कि ना ?
सामाजिक मजबूरी (मालन्युट्रिरेसनक  धूंद -धूंद )- बेटा ! चिंता नि कौर।  जख ब्वे बाब द्वी नौकरी करदन उख बच्चों मा जंक फ़ूड , आलतू -फालतू खाणो आदत बढ़दी, कुटैमौ खाणा खाणै आदत बि बढ़दि।
 मालन्युट्रिरेसन- (जोर की चिल्लाहट ) -पण जब पैसा ऐ जांद तो ….
अप्रभावकारी शिक्षा (कुपोषणक मुंड मलासद -मलासद ) - कुछ नि हूंण ।  ,  मन से डौर निकाळ फेंक।  म्यार रौंद रौंद ये भारत मा कुछ नि ह्वै सकद।
कुपोषण (फिर ऐड़ाट -भुभ्याट करद )-   अर भारतीय सरकार त गरीबी हटाण चाणि च।
राजनैतिक गुळादंगी -पैंतराबाजी (मालन्युट्रिरेसन तैं दुधारी पिलांद )- ब्यटा ! जब तलक म्यार राज च तो भारत से गरीबी त नि हट सकद।  देख गुजरात की सरकार विरुद्ध कैग की रिपोर्ट आइ  तो कौंग्रेस -भाजपा मा  प्रत्यारोप का बम चलण शुरू ह्वे गेन  अर ये चकर मा मूल विषय याने कुपोषण जन संवेदनशील की बात कखि नि हूण।  कुपोषण ख़तम करणै  जगह भाजपा वाळुन  राहुल गांधी पर लांछन लगाण कि राहुल भारतीय परोंठा की जगा इटालियन पिजा खांद अर कॉंग्रेसियुंन  पर भगार लगाण कि भले ही मोदी भारत को  प्रधान मंत्री क ख्वाब दिखणु च पण अबि बि गुजराती फाफड़ा खांद अर मद्रासी इडली डोसा  नि खांद। भारतीय जनता पार्टी का नेता नीतीश कुमार पर भगार लगाला कि बिहार मा पांच साल से तौळक  80  % बच्चा कुपोषण  का शिकार छन।   फिर बिहार का जनता दल युनाइटेड का नेता बिहार मा कुपोषण का क्या हाल छन की बात छोड़िक   नरेन्द्र मोदी पर लांछन-भगार लगाला कि चूंकि नरेन्द्र मोदी धर्मनिरपेक्ष नी च तो मध्य प्रदेश मा 60 % बच्चा कुपोषण से अंडरवेट  (उम्र का लियाज से कम वजन ) छन।  कौंग्रेस राष्ट्रीय स्वयं संघ पर लांछन लगालि बल चूँकि भारत मा हिन्दू वादी तागत बढ़णि च त  पंजाब, हरियाणा अर जम्मू -कश्मीर मा नौनी कम पैदा हूणा छन। बस एकाद दिन मा  कुपोषण की बहस नरेन्द्र मोदी सेक्युलर च कि ना अर राहुल गांधी मा नेतृत्व का गुण छन कि ना पर अटक जालि अर तू मजा से अपण राज्य फैलाव मा लगि जैलि।
कुपोषण (हंसी खुसी पंड़ो नचण लग जांद ) - अरे हां जब तलक भारत मा राजनैतिक गुळादंगी -पैंतराबाजी राली म्यार क्वी कुछ नि बिगाड़ सकुद।  जै जै बोलो राजनैतिक गुळादंगी की -जय हो राजनैतिक पैंतराबाजी की !
भारतीय न्याय पद्धति -खामोश !  ! मि ज़िंदा छौं अर क्रियाशील बि छौं।
( एकदम सन्नाटा )



Copyright@ Bhishma Kukreti  7  /10/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 

Bhishma Kukreti

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                                                 शौचालय की सोचनीय सोच
 
                                              चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती

 
 जैदिन बिटेन नरेन्द्र मोदीन भाषण मा ब्वाल बल पहले शौचालय फिर  देवालय वैदिन बिटेन म्यार गां मा बि बबाल ह्वे गे।  सरा गां शौचमय ह्वे गे।
हर समय गां बिटेन शौच अर शौचालय संबंधी फोन आणा रौंदन।  गां मा गूणी -बांदर -सुंगरूं , पलायन समस्या अफिक ख़तम ह्वे गे अर अब म्यार गां मा शौच समस्या सोचनीय ह्वे गे। सचिमा ! सबि शौच या शौचालय का बारा मा सुचणा छन।  लगद सरा गां शौचालय ह्वे गे धौं !
म्यार भतिजौ फोन आयि ," दादा जी ! जरा शौचालय  पर एक निबन्ध सुणावो  ना !"
मीन पूछ , " शौचालय पर निबन्ध ?"
नाती - हाँ दादा जी ! मास्टर जीन 'शौचालय' पर निबन्ध लिखणो होम वर्क दियुं च।
मि -अच्छा ! तीन कुछ त सोचि होलु कि क्या लिखण ?
नाती - हाँ शुरुवाती लाइन तक त मीन लेखि आल कि " यों तो भारत में कई किस्म के आलय  हैं जैसे विद्यालय , औषधालय , चिकित्सालय , धर्मशालय , केश कर्तनालय , वैश्यालय , न्यायालय आदि।
मि - अरे देवालय बि त च !
नाती -ना ना ! मास्टर जी भैरों गढ़ का पुजार्युं नौन  डोबरियाल छन अर उंकी ब्वे माबगढ़ मन्दिर का पुजारी की  बेटी कुकरेतण च त मास्टर जीन बोलि बल जु नौनु शौचालय  देवालय तैं ज्वाड़ल वैकि खैर नी च। 
मि -शौचालय बारा मा क्या क्या जानकारी चयाणि च ?
नाती - बस आप जरा इतिहास बतै द्यावो बकै मि नागराजा मन्दिर देखिक लेखि द्योल कि शौचालय कन होंद।
मीन नाती तैं शौचालय को संक्षिप्त इतिहास बताइ।
नाती -थैंक यू दादा जी ! पता च आज निबन्ध क्लास का बाद मास्टर जी हम तैं सिलोगी लिजाणा छन।
मि - किलै ? उख कैको शौचालय च ? सब त जंगळ जांदन।
नाती - नै नै उख अंग्रेजुं बणइं फारेस्ट चौकी च त उख बल शौचालय बि बण्युं  च।
मि - हाँ ! हाँ ! अंग्रेजुंन सन 1880 मा  जंग्लातौ  देखरेखौ बान फारेस्ट चौकी बणै छे अर सन   1897 मा प्राइमरी स्कूल स्थापित करि  छे।
नाती फोन कट त बोडी फोन ऐ गे।
बोडी -भीखम ! सूण  वो इन सुणण मा आयि बल गां मा चार सार्वजनिक शौचालय बणण वाळ छन।  तो तू मेकुण शौचालय बान विशेष जुत्त भेजि दे।
मि -शौचालयौ बान विशेष जुत्त?
बोडी - हाँ ! साबि बुना छन बल सार्वजनिक शौचालय च जरूर उख गू-मूताक  किचापिच हूणि च वांक बान सबि विशेष जुत्त मंगाणा छन।
बोडि फोन कट कि मामाकोट बिटेन मोहन मामा क फोन ऐ गे।  मोहन मामा  प्रधान च।
मोहन मामा -यार भीषम ! जब बिटेन नरेन्द्र मोदीक बयान आयि कि पहले शौचालय फिर देवालय त सबि गां वाळ पैथर पोड़ि गेन कि शौचालय बणाओ !
मि - हां त शौचालय बणान मा क्या ऐतराज ?
मोहन मामा - ऐतराज कुछ नी च।  पण इन बता कि शौचालयकु भैरौ  डिजाइन शिवाला जन हूण चएंद या दुर्गा मन्दिर जन या  मस्जिद जन या चर्च जन या जन कै हैंक देवालय जन हूण चएंद ?
मि -मामा जी शौचालय कु डिजाइन साधारण मकान जन हि हूंद।
मोहन मामा - अच्छा ? त  शौचालय  कु  भैरौ डिजाइन ग्राम पंचायत जन ही बणै  दींदा।
मि - हाँ !
मोहन मामा - वो जय राम रमेश अर मोदीक बयान सुणिक  सबि बुलणा छन शौचालय देवालय जन ही हूण चएंदन।   त  सूण शौचालय क भैर  नंदी बैल , देवी वाहन शेर या सरस्वती क वाहन हंस की मूर्ति लगण चएंद कि कै हैंको जानवर की मूर्ति ?
मि - मामा जी ! कबज राक्षस की मूर्ति लगावो।
मोहन मामा - हाँ या ठीक च।  सूण ! जरा कबज राक्षस की फोटो भेजी दे जरा।  फोटो जल्दी भेजी हाँ !
मोहन मामा क फोन बंद ह्वे त ब्लॉक प्रमुखक फोन ऐ गे। रिश्ता मा ब्लॉक प्रमुख भतिजु  लगद पण हम द्वी दगड़ि  स्कूलम छया त दोस्ती कु रिश्ता च ।
ब्लॉक प्रमुख -भीषम ! देहरादूनम त्यार साडू भाइ रौंद ना ?
मि - हां तो ?
ब्लॉक प्रमुख - त जरा ऊंकुण बोलिक  जमीन का मोल भाव करै दे। देहरादून मा एक बंगला  बणाणो बिचार च।
मि -क्या बात ? देहरादून मा बंगलो ?
ब्लॉक प्रमुख - हां जब ब्लॉक का हरेक गां मा द्वी -चार सरकारी सार्वजनिक शौचालय बौणल  त एक बंगला जोग कमाई त होलि कि ना ?
मि - औ ! जय राम रमेश अर नरेन्द्र मोदीन सच ही ब्वाल  बल शौचालय देवालय जन हि छन।  कैकुण शौचालय अर कैकुण  धन कमाउआलय  !






Copyright@ Bhishma Kukreti  8 /10/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 
                           

Bhishma Kukreti

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                                           चिठि मा लेखि दियां  बल जुपिटर क्या चीज ?

                                              चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
     

(s =आधी अ )

 ब्याळि  जनि टीवी चैनलों मा कौंग्रेस कुंवर राहुल गांधी क भाषण प्रसारित ह्वे कि किताबुं दुकान्युं मा भौतिक शास्त्र किताबुं खरीद बढ़ी गे।   बजार मा भौतिक शास्त्र की किताबुं हर्चंत ह्वे गे अर सामान्य ज्ञान की किताबुं खपत बढ़ी गे।
मीन एक भाजापाs नेता पूछ ," कख भागणा छा  ? क्या पैथर खदुळ कुत्ता पड़्यां छन जु  हवा की गति दगड़ छौंपा दौड़ करणा छां ?"
भाजापाs प्रवक्तान  भगद भगद जबाब दे ," मि फीजिक्सs  किताब खरीदणो जाणु छौं। "
मीन पूछ ," किलै ?  जवानी मा दस पास नि कार त बुढ़ापा मा दस पास करणाइ क्या ?"
भाजपा प्रवक्तान जबाब मा ब्वाल ," ना ना जुपिटर की क्या वेलोसिटी हूंद पता लगाणो बान किताब खरीदणो जाणु छौं । "
मीन ब्वाल ," जुपिटर की वेलोसिटी 45300 कीलोमीटर  प्रति घंटा च। "
भाजपा प्रवक्ता उखमि खड़ो ह्वेक भाषण दीण बिसे गे ," भाइयो ! राहुल गांधी दलितों को  कमजोर बनाने पर तुले हैं। NDAक  सरकारौ बगत हमारा दलित अध्यक्ष बंगारू लक्षमण जीन बोलि छौ बल दलितों तैं 45301  किलोमीटर प्रति घंटा भागण चयेंद अर राहुल गांधी आज बुलणा छन कि दलितों तैं 45300 कीलोमीटर  प्रति घंटा ही भगण चयेंद।  राहुल गांधी चांद ही नीन कि दलित और तेजि से दौड़ लगावन। यो दलितों अपमान च। "
इना भाजपा प्रवक्ता दलितों वेलोसिटी कम करणों बान राहुल गांधी पर भगार , लांछन , आरोप -प्रत्यारोप का बम ग्वाळा  छुड़णा छा उना एक कॉंग्रेसी नेता मुंड मा फ़ूड  सेक्युरिटी की  फाइलुं फंची  लेकि लचकद लचकद भागणै स्वांग करणा छा।
मीन पूछ ," कख जाणा छंवां ?"
कॉंग्रेसी प्रवक्तान गुस्सा मा ब्वाल ," मि चलणु नि छौं बलकणम भागणु छौं "
.मीन ब्वाल , " चलो बतावा कि  बुढ़ापा मा केकि रेस मा शामिल हूणा छंवाँ। "
कॉंग्रेसी प्रवक्तान जबाब मा ब्वाल ," मि भौतिक शास्त्र की किताब खरीदणो जाणु छौं  ."
मि -हैं  बुढापा मा भौतिक शास्त्र की किताब ?"
कॉंग्रेसी प्रवक्ता - हां वू जुपिटर का बारा मा पता लगाण कि यु  जहाज भारत मा कब आयि ?"
मि - जुपिटर हवाई जहाज नी च बलकणम वृहस्पति ग्रह च।
कॉंग्रेसी - ये मेरि ब्वे ! अर या वेलोसिटी क्या हूंद ?
मि - वेलोसिटी माने गति , स्पीड।
कॉंग्रेसी - अरे पण कु बताल कि वृहस्पति ग्रह की गति से दलित  विकासौ क्या संबंध ?
मि -वृहस्पति ग्रह की गति सबि ग्रहों मा सबसे जादा च।
कॉंग्रेसी बजार जाणो जगा अपण ड्यार जिना भगण बिसे गे।
मीन पूछ -क्या ह्वाइ ? ड्यार जिना भगण बिसे गेवां?
कॉंग्रेसी -अरे ,  अपण मुसदुंळ  पुटुक बैठ जांदु।   हाई कमांड वाळ बि कनफणि सि  अजीब भाषा प्रयोग करदन कि हम जनता तैं समझै इ नि सकदां कि नेता जीन क्या ब्वाल ? उल्टां हम तै जनता का बीच रक्षात्मक मुद्रा मा जाण पोड़द।
इना कॉंग्रेसी नेता डौरन अपण मुसदुंळ जीना ग्यायि कि उना बिटेन एक स्थानीय असली बाबा साहेब  आंबेडकर  पार्टी कु  दलित नेता भागद भादग आइ ।
मीन पूछ - क्या तुम बि भौतिक शास्त्रौ किताब खरीदणो जाणा छंवां ?
असली बाबा साहेब आंबेडकर पार्टी नेता - नै नै म्यार पैथर 'बिलकुल असली बाबा साहेब आंबेडकर पार्टी' , 'सत्य मा असली बाबा साहेब आंबेडकर पार्टी', 'नित्य और एकी असली बाबा साहेब आंबेडकर पार्टी', 'भविष्य की असली असली बाबा साहेब आंबेडकर पार्टी' का दलित नेता थमळि लेकि मि तैं कच्याणा आणा छन।
मि - किलै ?
असली बाबा साहेब आंबेडकर पार्टी नेता- मीन बयान दे कि दलितों तैं चंद्रमा की गति से भगण चयेंद।
मि - तो ?
असली बाबा साहेब आंबेडकर पार्टी नेता- तो क्या ! हरेक बाबा साहेब अम्बेडकरी पार्टी का अलग अलग विचार छन।  एक पार्टीक बुलण  च बल दलितों तैं मंगल की गति से भगण चयेंद , त हैंक दलित पार्टी बुलणि च दलितों तैं बुद्ध ग्रह की गति से दौड़ण चएंद त क्वी शुक्र की गतिक समर्थन मा कुलाड़ी पैन्याणु च।
 सबि दलित नेता एक हैंकाक पैथर हथियार लेक दौड़णा छया अर धै लगाणा छया " हमे चंद्रमा की गति चाहिए ', "नहीं हमें मंगल की गति चाहिए ", बकबास दलितों को बुद्ध ग्रह  की गति से भागना चाहिए ", " सरासर झूठ ! हमे शनि की गति से  चाहिए। "……
एक दलित शौचालय की सीढ़ी मा कुछ लिखणु छौ।
मीन पूछ - ये भै तुम  क्या लिखणा छंवां ?
दलितन राहुल गांधी कुण लिखिं चिट्ठी दिखाई।  चिट्ठी मा लिख्युं छौ -
धतूरा को बीज , कुंवर जी धतूरा को बीज 
चिठि  माँ लेखि दियां कुंवर जी , जुपिटर क्या चीज , जुपिटर क्या चीज?
धतूरा को बीज , कुंवर जी ! धतूरा को बीज
चिठि  माँ लेखि दियां कुंवर जी, वेलोसिटी क्या चीज. क्या चीज ?
नेताओं का  वायदा , कुंवर जी नेताओं का वायदा !
चिठि मा लेखि दियां कुंवर जी, दलितों तैं जुपिटर वेलोसिटी से क्या फायदा , वेलोसिटी से क्या फायदा ?
तमाकुs  कु खिकराण  , कुंवर जी   तमाकुs  खिकराण
चिठि मा लेखि दियां कुंवर जी, दलितुंन  या वेलोसिटी कखन लाण ,कखन लाण ?
गधौं को किराण  , कुंवर जी   गधौं को किराण 
दालितुन या वेलोसिटी  कनकै लाण , कुंवर जी या वेलोसिटी कनकै लाण, कनकै लाण ?
शादी ह्वे , ह्वे पाणि पिठाइ, कुंवर जी पाणि पिठाइ
चिठि मा लेखि दियां नेहरु जीन  अर इंदिरा जीन  या वेलोसिटी किलै लुकाइ , दलितुं से या वेलोसिटी किलै लुकाइ ?


Copyright@ Bhishma Kukreti  9  /10/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]   

 

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