Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 360198 times)

Bhishma Kukreti

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                                          1973 मा  रैबार अर   2013 मा  मैसेज

                                            चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
     

(s =आधी अ )

                                                         प्रेषक - त्यार बाडा
                                                         स्थान - ग्राम -गढ़पुर ,गढ़वाल
                                                        तिथि -१०/१०/१९७३
प्रिय भतीजो !
चरंजीव।  अत्र  कुशलम तत्रास्तु।   प्रथम स्वास्थ्य रक्षा बाद को अन्य कार्य।
तेरी दियीं चीज सबि भाना बिटेन मील गेन।
 सबसे कामै चीज त सिन्नर महाराष्ट्र की ऊँट  छाप बीड़ी बंडल छन , गोंदिया महाराष्ट्र की घ्वाड़ा छाप पेकि बिखळाण पोड़ि गे छे।
हमन दूर भद्वाड़ खेती करण छोड़ि ऐन त समय कटण कठण ह्वे गे छौ। तीन जु तास भेजिन वो सब्युं तैं त भौत  पसंद ऐन।  अब हम मर्दों तैं टाइम पास करण ह्वे जालो।
चाणा , लैचि त तू हमेशा भेजदि छौ अबै दै लैमचूस भेजिन त मि समजि ग्यों तेरि तनखा बढ़ी ही गे होलि।
भानाक ड्यार पौंछण से पैल मन्योडर मिल गे छौ।  उन त आशा जादा की छे पण चलो जीवन काटि ल्योला।
ए  साल  बरखा सामान्य ह्वे त मि भाना दगड़  थ्वड़ा -थ्वड़ा  चपड़ चूड़ा , मुंगरि - भट्टू खाजा , क्वादो चून, झंगोरा , गहथ त भेजणु  इ छौं अर जू भाना हां ब्वालल त तोर , उड़द , बड़ी , थ्वड़ा सि मूळाs  सुक्सा , जख्या -भंगुल बि भेजि देलु।
गूना  मा भिज्याँ गरम मसाला पूरो  साल चलि जाला।
बकै गूना बि आणु च वैक दगड़  कुछ हौर बि भेजि द्योलु।

त्यार बाडा!
 (दस्ती पत्र ) 
                                           सेंडर - MRs. किसमी नौट
                                            विलेज -गढ़पुर ,  गढ़वाल
                                             डेट - 10  /10/2013
रिस्पेक्टेड कक्या ससुर जी !
उन त मोबाइल पर आपक अर म्यार  ल्यंथी डिसकसन ह्वे इ गे छौ।  जस्ट रिमाइंड करणों बान इमेल करणु छौं।
भलो लग कि तुम नागराजा पुजणो  गां आणा छंवां।   डेफिनेटली वी श्यल हैव गुड टाइम।
इख कोटद्वार, ऋषिकेश या  देहरादून मा बि पहाड़ी क्वाद , झंगोरा मिलण बंद ह्वे ग्यायी त आप तख मुंबई बिटेन कर्नाटकी क्वादों, रायगढ़ कु झंग्वर , सतारा कु लुब्या, धुलिया  कु सूंट लाण नि बिसरेन।
अर मीन छै सात मैना ह्वे गेन बौड़्युं साग नि चाख   त तख मॉल बिटेन उड़द अर मूंग की बड़ी बि लयेन। अर  हाँ ! बल तख मुंबई मा लातूर महाराष्ट्र का बरामशा तिमल बि मिलदन त पक्याँ तिमलौ द्वी बौक्स लयेन।  पता नी कथगा साल ह्वे गेन धौं हमन तिमल नि चाखिन। अर महाबलेश्वर का पहाड़ी मूळा लाण नि बिसरेन !
रिसिकेश उतरिक हिमाचल स्टोर बिटेन हिमाचली उड़द , हिमाचली पहाड़ी तोर , हिमाचली रयांस, हिमाचली जख्या -भंगुल अर डंफू -बेरी आदि जु बि पहाड़ी भोज्य पदार्थ दिख्याल सि जरूर लयेन।
इख गां मा पोटेटो चिप्स , बीकानेरी नमकीन , नोड्युल , चौकलेट  आदि सब मील जालो।  शराब लाणै जरुरत नी च इख बजार मा  अधा रात मा बि शराब मील जांद।  मुर्गा , मच्छी , बखर  -सुंगर की शिकार सब गां मा उपलब्ध च त यांकि फिकर कतै नि कर्याँ।
ब्याळि इ आपक ट्रांसफर कर्याँ रुपया म्यार बैंक अकाउंट मा ट्रांसफर ह्वे गेन।
मर्द लोग त जुआ अर शराब से फ़ालतू समय काटि लींदन पण  हम जनान्युं तै समय कटण कठण ह्वे गे त आठ -दस जनान्युं लैक वीडिओ गेम्स बि लै ऐन।
सी यूं वेरी सून ऐट युवर ओन विलेज !
तुमारि डॉटर इन लॉ
किसमी नौट !


## दिस इमेल इज सेंट थ्रू ब्लैकबेरी।  गो फॉर ब्लैकबेरी !


 
Copyright@ Bhishma Kukreti  10  /10/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 


Bhishma Kukreti

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                                  गढ़वाळि भाषा त खज्जि वाळ लंडेर कुत्ति (स्ट्रीट डॉग ) च !

                                                      चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
     
(s =आधी अ )

                           मि आज छै दिन उपरांत नेट  कम्पुटरौ अगनै बैठणु छौं।  अर अपण बाड़ि पऴयो खैक गढ़वाळि मा   रोजौ  तरां चबोड़्या -चखन्यौर्या लेख लिखणो यीं उमेद मा बैठु कि सैत च आज एकाद गढ़वाली म्यार लेखौ  एक लैन पौढ़ी ल्यालु ! मी तै अपण गढ़वाऴयूँ  पर पूरो भरोसा छ कि म्यार लेख क्वी बि गढ़वाली पूरो नि पौढ़ल।  हम गढ़वाळि लिख्वारुं तैं गढ़वाळि पाठकों से  नाउम्मीदी की पूरी उम्मेद रौंदि। फिर  भि कुज्याण किलै गढ़वाळि लिख्वार लिखणा  हि रौंदन  धौं ?
खैर मी बि आम जनता तरां तुम तैं अपण खैरि सुणाण बिसे ग्यों।  मि जाणदो छौं बल जन राजनैतिक नेता आम जनता की खैर सुणिक  बौग सारि द्यूंद ऊनि गढ़वाली पाठक बि गढ़वाळि लेख देखिक आँख मूंजि दींदु अर सभा सोसाइट्युं मा किराणु  रौंद कि गढ़वाळ मा बि लोक अपण आपसम गढ़वाळिम नि बचऴयांदन।  अर यूं रूंदौं तै जब मि पुछदु कि औरुं तो छ्वाड़ो , अपण लौड़ -बाळु बात त जाणि द्यावो , क्या तुम लगातार गढ़वाळि साहित्य बि पढ़दां ? त पता च अमूनन साबि गढ़वाऴयुं  एकी उत्तर  हूंद बल यार भीषम जी ! गढ़वाळि भाषा बि क्वी पढ़णो चीज च।
जरा गढ़वाली सामाजिक संस्थाओं का अध्यक्ष , महासचिओं तरफ ध्यान से द्याखो त सै !
हरेक गढ़वाली सामाजिक संस्थाउं विजन अर मिसन स्टेटमेंट मा गढ़वाळि संस्कृति अर गढ़वाळि भाषा बचाणो अर गढ़वाळि संस्कृति अर गढ़वाळि भाषा विकास करणै बात लिखीं रौंद।
हरेक गढ़वाली सामाजिक संस्थाउं सभा मा हरेक पदाधिकारी हाथी जन चिंघाड़दु कि हमर बच्चा गढ़वाळिम नि बचऴयांदन , हरेक पदाधिकारी बमब्याट करदो कि गढ़वाल का गांवुं मा बि गढ़वाळि बुस्याणि च पण  मिनट्स आफ मीटिंगुं का मिनट्स गढ़वाळि छोड़ि हिंदी अर अंग्रेजी मा लिखे जांद, जन कि " आज  की आम सभा में सभी सदस्यों ने गढ़वाली भाषा के ख़त्म होने के आसार पर भयंकर , घोर, घनघोर चिंता व्यक्त की. गढ़वाली के ख़त्म होने के अन्देसे से सभी सदस्य क्याऊं -क्याऊं जैसे रो रहे थे।  अंत में सभी सदस्यों ने समाज के सब तबके से आग्रह किया कि वे गढ़वाली भाषा के विकास के लिए काम करें।  "
मेकुण  भारत मा जगा जगा का गढ़वाली सामाजिक संस्थाउं बरसकुल  वार्षिक सोविनियरूं   मा लेख  आद्युं बान निमंत्रण आन्दन   पण इन नि आंद कि कृपया लेख केवल गढ़वाली भाषा में ही भेजिए।  अमूनन  गढ़वाली सामाजिक संस्थाउं बरसकुल  वार्षिक सोविनियरूं मा गढ़वाली भाषा विकास की बात हिंदी मा ही हूंद।  अमूनन   गढ़वाली सामाजिक संस्थाउं बरसकुल  वार्षिक सोविनियरूं मा गढ़वाळि भाषा  मा   लेख हूंद ही नि छन।
मीन "गढ़वाली मोरणि च" का बारा माँ  गढ़वाली सामाजिक संस्थाउं रुण -किराण सैकड़ो बार सूण पण एकाद संस्था जन कि गढ़वाल सभा देहरादून छोड़ि क्वी बि संस्था बच्चा -युवाओं तैं गढ़वाली सिखाणो बान कुछ बि प्रयास नि करदी।
यूँ गढ़वाली सामाजिक संस्थाउं बान गढ़वाळि भाषा इन ब्वे च जैं ब्वेक मोरणै इन्तजार जरूर होणु च पण ब्वेक बीमारी उपचारौ बान क्वै बि संस्था गंभीर नी च।  बीमार ब्वे  बारा मा बेटा जरूर  छ्वीं लगाणा छन," मा तै ग्लूकोज चयाणु च!  ब्वे तै फल चयाणा छन ! मा तै एक बोतल खून चयाणि च ! मा तै हरेक पुत्र से त्याग की आवश्यकता च ! आदि आदि। "
अर जब बुले जावो कि ," जरा अपण  ब्वे क बान एक बोतल खून द्याओ ! माँ का   न्याड़ -ध्वार ही रावो "
त एक पुत्र को जबाब हूँद ," भई खून ही जि दीण त मि हिंदी काकी अर अंग्रेजी आंटी तैं नि द्यूं ।?"
हैंक पुत्रो उत्तर हूंद , " मेरी पूरी इच्छा च बल मि ब्वे का पास रौं , ब्वे की देखभाल करूँ।   पण मि  हिंदी बोडी अर इंग्लिश बौ की  सेवा-टहल मा भौति व्यस्त छौं। "
सबि नौन हुंगारी पुजदन ," हाँ !  हमर बि हाल इनि छन।  हम सब हिंदी ताई अर इंग्लिश सिस्टर इन लौ की सर्विस मा व्यस्त छंवां।  हम सब्युंन सरकारम दरखास्त भेजि आल कि हमर ब्वेकि देख भालs बान डाक्टर , नर्स भेजि द्यावो ! "
हमारा सामाजिक कार्यकर्ता ही ना गढ़वाळि भाषाs  साहित्यकार बि अफु तैं अफिक बेवकूफ बणाणम  माहिर छन , अफिक अफु तैं मूर्ख बणाणम गुरु घंटाल  छन। 
जरा गढ़वाली भाषाs बान अति चिंतित सामाजिक कार्यकर्ता अर गढ़वाळि भाषाs  साहित्यकारूं कथनी  अर करनी मा फरक त द्याखो ! क्या आपन कै गढ़वाली सामाजिक कार्यकर्ताक या गढवाली भाषाs साहित्यकारौ शादी निमंत्रण पत्र  गढ़वाळि भाषा मा बि देखिन ?
अरे जब गढवाली भाषा का चिंतक  शादी का निमंत्रण पत्र भी  गढ़वाळि भाषा मा नि छापांदन तो मेरी समज से इन चिंतक अर साहित्यकार गढवाली भाषाs  बान केवल और केवल झूठी, केवल खोखली , रीति चिंता जतांदन।   हमारा इन सामाजिक कार्यकर्ता अर  गढ़वाळि भाषाs  साहित्यकार चिंतक सब झूठा छन , सबि फरेबी छन।
असल मा यूं सामाजिक कार्यकर्ता अर गढवाली भाषाsसाहित्यकारुं बान गढ़वाळि भाषा गली कूचा की बगैर मालिकौ  , बगैर सैण -मैसौ  खज्जि वाळ एक लंडेर कुत्ति च।  यी गढ़वाळि भाषाs चिंतक लंडेर कुत्ति की चिंता केवल सभा सोसाइटी की  सभाउं  मा ही दिखांदन अर असलियत मा  यीं गढ़वाळि भाषाs फरेबी , झूठा चिंतक अनाथ,  खज्जि वाळ लंडेर कुत्ति तै छो छो कौरिक दूर भगांदन। 





Copyright@ Bhishma Kukreti  16  /10/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 

Bhishma Kukreti

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                                                      फ़ाइव स्टार्या लव (प्रेम )

                                                    चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
     
(s =आधी अ= का , की ,  आदि )
     कुछ  इन बात ह्वेन कि जब हूण छौ तब म्यार दिल मा 'कुछ कुछ होता है ' जन कुछ नि ह्वे याने जब हूण छौ तब सरा सरैल मा किरम्वळु   सरसराट नि ह्वे। सैत च इलै इ मि कवि नि ह्वै सौक अर आप मेरी कवितौं से  बंचित रै गेन।
म्यार दिल मा 'कुछ कुछ होता है " हूण कनकै छौ ? जब मि दर्जा पांचम छौ कि एक दिन मास्टर जीन सरा क्लास तैं पूछि दे ," बथावा ! तुम तैं क्यां क्यां से प्रेम च ?"

मीन अपण एक फीटो हाथ चार फिटो कौरिक हाथ उठै दे।  मास्टर जीन कबि म्यार उठ्युं हथ नि देखि छौ त वो खुश  ह्वेन कि चलो देर से ही सही वूंक शिष्य जबाब दीण लैक ह्वे गे।
मास्टर जीन उत्साहित ह्वेक पूछ , " कै से प्रेम च ?"
मीन बि अति उत्साहित ह्वेक इन ब्वाल जन बुल्यां मि हुमायूं का बुबाs नाम बथाणु हों धौं ," भद्रावती से !"
जबाब बिलकुल सै छौ पण मास्टर जीन मि तैं पिटण शुरू कौर दे अर दगड़म इन इन गाळि बि देन कि कन कन गळदिवा बि शरमै जावो।
ड्यार औं त ब्वेन बि मार।  ब्वेन इथगा चूट कि मारखवा -उज्याड़ो गोरूं तैं बि इन नि चुटे जांद।
असल मा भद्रावती मास्टर जीक  बेटी छे। 
फिर मि तैं कबि प्रेम नि ह्वे।  जनि प्रेम का कीड़ा दिल मा अंडा द्यायो कि मार की याद विषैली कीटनाशक दवा मा बदल जांद। अर प्रेम कीड़ा उखमी दम तोडि दींद।
खैर मि बि कॉंग्रेसी प्रवक्ता ह्वे ग्यों।  बात पूछे जांद  कि   कोयला घोटालामा प्रधान मंत्री अर सोनिया गांधी को क्या रोल च ? त कोंग्रेसी प्रवक्ताs जबाब हूंद बल नरेन्द्र मोदी धार्मिक तनाव फैलाणु च।
बात छे 'फ़ाइव स्टार लव' की अर मि छ्वीं लगाण बिसे ग्यों बल मीन भरीं जवानी मा प्रेम किलै नि कार ?
असल मा हर युग  मा प्रेम प्रदर्शन का अलग अलग चिन्ह होंदन ,  हरेक युग का मोहबत्त दर्शाणो अलग प्रतीक हूंदन।
मि जब प्रेम मा फंसणो उमर मा छौ त प्रेम प्रदर्शनौ चिन्ह, मोहब्बत का सूचक , लव -सिम्बल छौ ," फ़ाइव स्टार चौकलेट "।  बस आप छोरी तैं " फ़ाइव स्टार चौकलेट " पकड़ावो अर जु छोरिन " फ़ाइव स्टार चौकलेट " पकड़ी दे तो आप छोरिक 'औथोराईज्ड लवर ' माने जैल्या।  अर जु नौनिंन " फ़ाइव स्टार चौकलेट " नि पकड़ त आप तैं हैंक नौनि खुज्याण पोड़ल।
                                          इनि मि जब जवान छौ त म्यार मुहल्ला मा अफवाह  ना बलकणम  सही खबर फैल  गे बल मोहनन ब्याळि द्वी " फ़ाइव स्टार चौकलेट " खरीदेन।  अब जब तलवार भैर आवो तो वा घाव कारल ही का सिद्धांत अनुसार जब मोहनन " फ़ाइव स्टार चौकलेट " खरीद तो यह सर्वविदित छौ कि वैन कै ना कै नौनि  तैं प्रेम प्रद्रश्नौ बान भेंट करण ही च !
                                         मोहनक " फ़ाइव स्टार चौकलेट " खरीदण से मुहल्ला मा भ्यूंचळ/भूचाल ऐ गे।  चार पांच किसमुं लोगुं निसिणि ह्वे गे याने निंद  हराम ह्वे गे।  पन्दरा साल से बड़ी नौन्युं ब्वे बाबुं त निंद , हगण -मुतण , खाण -पीण -सीण सब बंद ह्वे गे।  मुहल्ला का औथराईज्ड प्रेमी अपण प्रेमिका द्वारा मोहनs हाथ से " फ़ाइव स्टार चौकलेट " स्वीकारोक्ति की शंका से ससंकित ह्वे गेन अर यूंक निंद हर्ची गे छे अर यी एक हफ्ता तलक कॉलेज नि गेन।  प्रेम मा फंसणो बान जु युवा वर्ग लाइन मा छा वो बि ससंकित ह्वे गेन कि कखि मोहन वींइ नौनि तै " फ़ाइव स्टार चौकलेट " नि दे द्यावो जैं नौनि पर 'वुड बि लवर ' की टक छे।  सबि जवान नौनि अलग अलग कारणों से ससंकित छे अर यूंकि बि भूख -तीस हर्चिं छे कि कखि मोहनन " फ़ाइव स्टार चौकलेट " वीं तैं इ पकड़ै दे या" फ़ाइव स्टार चौकलेट " नि पकड़ाई तो क्या ह्वाल ? मुहल्ला का सामजिक कार्यकर्ता जो देहरादून मा अपसंस्कृति आण से दुखी छा ऊं तैं संस्कृति बचाणों बान मुहल्ला मा पदयात्रा निकाळणो अवसर मिल गे छौ।
                            मोहन द्वारा " फ़ाइव स्टार चौकलेट " ख़रीदण से   मुहल्ला मा नौन्युं ब्वे-बाब-भाई  सबसे जादा क्रियाशील ह्वे गे छया अर सबि अपण नौन्युं  जासूसी करण बिसे गेन।  अपण नौन्युं जासूसी करण से ब्वे बाबुं तैं अपण नौन्युं की ही ना दूसरों नौन्युं बि भेद  पता चौलिन  अर अधिकतर ब्वे बाब आत्म हत्या करणों जगा खुज्याण बिसे गे छा कि पैरेंटिंग/बच्चों पालन पोषण को  अर्थ केवल पढ़ाण -लिखाण इ आवश्यक  नी च बलकणम बच्चों मानसिक विकास का भी ध्यान रखण उथगा ही आवश्यक च। भौत सि नौन्युंन अपण ब्वे बाबुं खूब मार बि खाइ , कुछ नौन्युं भायुंन बाह्य शक्त्युं बल पर ऊं नौनुं पिटै बि कराइ जौनं वूँकि बैण्युं तैं " फ़ाइव स्टार चौकलेट " दे छौ।  कुछ इन बि ह्वाइ कि इना बैणि प्रेमी मार खाणु अर उना भाइ बि कै नौनी तैं " फ़ाइव स्टार चौकलेट "दीणो जुरम मा मार खाणु छौ।  पुरुष प्रभुत्व समाज मा भाइ त अफु कैं बि नौनि तैं  " फ़ाइव स्टार चौकलेट " भेंट करण तैं गुनाह नि मानदा छा पण कदापि नि चांदा छा कि वूँकि  बैणि  कैमांगन " फ़ाइव स्टार चौकलेट " ल्यावो।
            वुड बि लवर (भविष्य का प्रेमी ) बि रात दिन जासूसी मा लग्याँ रैन।
               कृयाशील सामजिक कार्यकर्ता बि एक हफ्ता तलक अपसंस्कृति का बचाव मा अति -कृयाशील रैन पण एक हफ्ता तलक पता नि चौल कि मोहनन " फ़ाइव स्टार चौकलेट " कैं नौनि तैं दे  कैतैं पता नि चौल कि मोहन की प्रेमिका क्वा च ?
            ये प्रकरण से मेरी बि पोल खुलि गे।  चूँकि सरा मुहल्ला का लोग जासूस बणि गे छा त सब्युं तैं पता लगि गे कि मि प्रेम का मामला मा सचेकि 'ब्रह्मचारी ' छौं।  अर जब सब थकि गेन त मुहल्ला का ब्वे बाबुन में से प्रार्थना कार " भलो जवान आदिम !  मोहन से पूछ
कि वैकि " फ़ाइव स्टार चौकलेटी प्रेमिका " क्वा च ?"
            मि मुहल्ला का प्रतिनिधि बौणिक मोहनम ग्यों।  एक घंटा तक इना -उना छ्वीं लगणा रैन अर अंत मा मीन पूछ ," मोहन यार ! तू एक हफ्ता पैल " फ़ाइव स्टार चौकलेट " खरीदीक लै छौ।  तीन वा " फ़ाइव स्टार चौकलेट " कै तै दे ?"
मोहन न ब्वाल , "" फ़ाइव स्टार चौकलेट " मीन अफिक खाइ "
मीन खौंळेक पूछ ," तीन अफिक " फ़ाइव स्टार चौकलेट " खाइ ?  फ़ाइव स्टार चौकलेट " नौनुं खाणै चीज च क्या ?"
मोहन न भेद ख्वाल , " मि पता लगाण चाणो छौ कि " फ़ाइव स्टार चौकलेट " मा छ क्या च कि " फ़ाइव स्टार चौकलेट " प्रेम चिन्ह , लव सिम्बल बौण ?"
         



 

Copyright@ Bhishma Kukreti  17  /10/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 

Bhishma Kukreti

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                                       प्रिंस राहुल गांधी बड़ा चबोड़्या -चखन्यौर्या नेता छन
                                        यह लेख भारत के महान हास्य कलाकार स्व महमूद को समर्पित है !

                                                  चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
     
(s =आधी अ= क , का , की ,  आदि )
                अचकाल पोलिटिकल सरकस को सीधा प्रसारण से एक फैदा या च कि हम पोलिटिकल सर्कस  कॉमेडियनुं करतब वैबरि देख सकदवां।  ब्याळि  द्वी पोलिटिकल कॉमेडियनुं  तमशs दिखण मा मजा आयि।  एक त लालकृष्ण अडवाणीs  बुलण बल "मि तै नरेन्द्र मोदीs  प्रधान मंत्री बणनम ख़ुशी होलि !"। ये पोलिटिकल जोकर याने  राजनैतिक विदूषक तैं क्वी पुछण वाळ बि नी च  बल ये भै जब त्वे तैं ख़ुशी ही हूण छे त तीन वै बगत इथगा बड़ो स्वांग किलै कार जै बगत नरेन्द्र मोदी तैं BJP प्रधान मंत्री प्रत्यासी बणाणो घोषणा करणि छे।?
अचकाल बीजेपी अर कौंग्रेस की नौटंकी मा कॉमेडियन किरदारुं भरमार ह्वे गे जु मंहगाई -भ्रष्टाचार , अनाचार से त्रस्त जनता तैं अपण बयानों से हंसाणा छन।
                         अर दुसर मजा तब आयि जब कॉंग्रेसी शहजादा याने राहुल गांधी मध्य प्रदेश का शहडल शहरम  पांचेक हजार लोगुं की मेगा रैली (महा सभा ) मा भाषण दीणा छा।  यी पत्रकार बि बड़ा मजाकिया छन।  गढवाल सभा देहरादून सभा मा जब पांच छै हजार लोग कट्ठा हूंदन त ये प्रोग्राम तैं सांस्कृतिक कार्यकर्म बुलदन अर नेशनल चैनेल त छ्वाड़ो स्टेट लेवल चैनेलुं मा बि खबर नि  आंद।  जब कि  कॉंग्रेसी प्रिंस की सभा मा जब जोर जबरदस्ती कौरिक कॉंग्रेसी चार -पांच हजार की भीड़ कठा करदन त राष्ट्रीय ही ना अंतर्राष्ट्रीय स्तर का भारतीय टीवी चैनेल इन सभाओं तैं 'प्रिंस की मैगा रैली'  नाम दींदन !
                          ब्याळि कॉंग्रेसी प्रिंस राहुल गांधीन चार -पांच हजार लोगुं महा रैली मा ब्वाल बल यूनिसेफ की एक रिपोर्ट मुताबिक़ मध्य प्रदेश मा भोजन का मामला मा उथगा ही गरीब च जथगा अफ्रीकी देसुं मा गरीबी च।  ठीक अर सही बात च , सत्य बचन च कि मध्य प्रदेशम आज बि लोगुं तैं द्वी बगतौ भोजन नि मिलद।  हरेक भारतीय प्रिंस राहुल गांधी दगड़ सहमत च बल मध्य प्रदेश का BJP नेताओं तै  अंज्वळि /चुलु भर पाणि मा डूबिक मोरि जाण चयेंद।
 गूणी अपण पूँछ त नि दिखद अर बांदरौ कुणी ब्वाद बल तैको  पूँछ लम्बू च. हमारा देश का अघोषित  प्रिंस राहुल गांधी को मजाक त द्याखो कि मध्य प्रदेश मा गरीबी का वास्ता  प्रिंस राहुल बीजेपी पर  भगार , लांछन , आरोप लगाणा छन पण प्रिंस राहुल गांधी अपण पैथर सेक्युलरिज्म का फितनाअंगेज ,  धर्म निरपरेक्ष का फित्ना -ए -रोजगार (प्रेयसी ) दिग्विजय सिंह तैं दिखण  बिसरी गे जो 1993 -2003 तक याने दस साल तलक मध्य प्रदेश का तख्ते -ताउस मा बैठ्याँ छया।   ग्रेट कॉमेडियन प्रिंस गांधी भूली गेन बल मध्य प्रदेश मा बीजेपी राज से पैल कौंग्रेस को ही राज छौ अर भूख -गरीबी तब मध्य प्रदेश मा आज से जादा ही छे।  हरेक भारतीय प्रिंस राहुल गांधी दगड़ सहमत च बल मध्य प्रदेश का BJP नेताओं तै  अंज्वळि /चुल्लु  भर पाणि मा डूबिक मोरि जाण चयेंद।  ये हिसाब से त राजकुमार राहुल गांधी तैं धर्म निरपेक्ष का महान पैरवीकार दिग्विजय सिंह तैं बि चुल्लु भर पानी दिखाण चएंद।
               क्या प्रिंस राहुल गांधी भूतकाल मा कौंग्रेस का कुकर्म (भूख -गरीबी हटाणो  मामला मा ) से पल्ला झाड़ण चाणा छन ? यदि प्रिंस राहुल गांधी कौंग्रेस का भुतकालौ कुकर्मुं से पल्ला झाड़ण चाणा छन त जो बि शहजादा-ए-आजम राहुल गांधी आज बुलणा छन वो केवल एक , मजाक,  मसकरी , चबोड़ , चखन्यौ ही च जन कि  कुछ दशक पैल राजकुमार की दादी  जी यानी महारानी इंदिरा गाँधीन 'गरीबी हटावो ' नारा देकि कार छौ।
 अजीम शहजादा राहुल गांधीन जब ब्वाल बल विरोधी पार्टी विकास याने रोड की बात करणा छन अर विकास से भोजन नि मिलद।   अदाकार प्रिंस राहुल की यीं अदाकारी से मि तैं बड़ी हौंस आई।  कौंग्रेस का शम -ए -आलामताब (सूर्य ) राहुल गांधीक बुलण च बल सडक की बात
नि करण बलकणम लोगुं तैं भोजन दीणो बात करण चएंद , लोगुं तैं रोजगार दीणो बात करण चयेंद।  या तो राजकुमार राहुल दार्शनिक ह्वे गेन या प्रिंस एक जोकर याने विदूषक ह्वे गेन या नरेन्द्र मोदीs  कारण बौळे गेन।  विदूषक राजकुमार को बुलण च बल सडक या अन्य -निर्माण कार्य की जगह भूख की बात करे जावो। अब ये नया जमानो को प्रिंस नीरो तै कु बताल कि जु तुमारी खाद्य सुरक्षा योजना मा एक रुपया मा ग्युं चौंळ की बात हूणी च उखमा एक रुपया त चयाणु च कि ना ? अर यु रुपया तबी गरीबुं तैं नसीब होलु जब सडक जन सार्वजनिक निर्माण कार्य होला।  मनरेगा आदि योजना तबी सफल होला जब लोगुं तैं सार्वजनिक निर्माण कार्यों से काम मीलल।  कॉमेडियन प्रिंस राहुल गाँधी तैं समझण चयेंद कि सार्वजानिक निर्माण जथगा जादा होला उथगा ही जादा गरीब तबका तैं मजदूरी मीलली। 
       फिर जादातर लबबन्द , लबबस्ता , चुप, मौन रौण वाळ राजपुत्र राहुल गांधीs एक हैंकि बड़ी मजाकिया बात बोलि दे अर या चबोड्या -चखन्योर्या , मजाकिया बात राजा दिग्विजय सिंह अर महाराजा ज्योतिराय सिंधिया का समणि ही ब्वाल।   शहजादा राहुल गांधीs बुलण च बल लोकसभा मा या विधान सभा मा आम तबका का लोग आण चएंदन।  कौंग्रेस पार्टी का महानायक से इथगा बड़ी मजाक की उम्मीद तो कॉंग्रेस्युं तै बि नि रै होलि ! यदि यीं सदी की सबसे बड़ी चबोड़ , सबसे बड़ी मजाक या च कि कौंग्रेस का नूरअफजा , कौंग्रेस का नुरानी शंहशाह , कौंग्रेस का नूरेलऐन , कौंग्रेस का नूरेनजर, नैयिरे आजम  राहुल गांधी बुलणा छन बल विधान सभा /लोक सभा मा आम आदम्युं तै लाये जालु।  क्या यो बयान यीं सदी को सबसे बड़ो हास्यास्पद बयान नी च ? वाह शहजादे राहुल गांधी ! तुम कॉंग्रेसी मध्य प्रदेश मा कौंग्रेस की कमान भूतपूर्व महाराजा  ग्वालियर नरेश ज्योतिर्मय सिंधिया तैं दींदा ,भूतपूर्व राजा दिग्विजय तैं अपण खासम खास बणौदा; राजा वीर भद्र सिंह तैं हिमाचल प्रदेश की गद्दी दींदा , भूतपूर्व महाराजा   अमरेन्द्र सिंह तैं पंजाब का मुख्यमंत्री बणौन्दा अर फिर बोल्दा कि लोक सभा अर विधान सभा मा आम मनिखुं भागीदारी हूण चयेंद ?
 वाह हे कौंग्रेस का पेशरौ (पथप्रदर्शक ) राहुल गांधी ! जब तुम हेमवती नन्दन बहुगुणा का नन्दन विजय बहुगुणा तैं टिहरी से लोक सभा सदस्य बणौन्दा अर फिर उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बणौन्दा। फिर हेमवती नन्दन बहुगुणा का नन्दन का नन्दन साकेत बहुगुणा तैं ही टिहरी लोक सभा का टिकेट दींदा तो क्या जनता तैं नि लगद कि कौंग्रेस मा आम जनता की क्वी औकात ही नी च।  जब कौंग्रेस भूतपूर्व लोक सभा सदस्य स्वर्गीय दाजीसाहेब चौहाण का सुपुत्र पृथवी राज चौहाण तैं पैल लोक सभा सदस्य बणये जांद अर फिर मुख्य मंत्री ; जब राजेश पायलेट का सुपुत्र तैं केन्द्रीय मंत्री बणये जांद ;  जब भूतपूर्व लोक सभा सदस्य  उमा शंकर दीक्षित की पुत्रवधू  शीला दीक्षित तै मुख्य मंत्री बणये जावो अर उमा शंकर दीक्षित का  नाती संदीप दीक्षित तै लोक सभा का टिकेट दिए जावो ; लोक सभा सदस्य मुरली देवड़ा तैं राज्य सभा का सदस्य बणये जावो अर ऊंक नौनु मिलिंद देवड़ा तैं लोक सभा सदस्य बणये जावो तो कौंग्रेस की नीयत अर नियति का बाराम पता लग जांद कि राजनीति मा पांच हजार लोगुं मैगा रैली /महासभा मा बुलणो  बात कुछ हौर हूंदन अर असलियत मा बात -बथा कुछ हौरि हूँदन !



Copyright@ Bhishma Kukreti  18/10/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]   

Bhishma Kukreti

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                                            काश ! मि  एक टन लोहा कु  सुपिन देख सकुद  !

                                                  चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
     
(s =आधी अ  = क , का , की ,  आदि )


घरवळि -तुम से बढ़िया त वी ठीक छौ।  सुपिन देखिक विधायक , नगर सेवकुं पास त जांद छौ !
मि - हैं ! क्वा च उ निर्भागि जै तैं ब्यौवक तीस साल बाद बि याद करणि छे ?
घरवळि -निर्भागी छौ या सुभागि छौ वु सुपिन त दिखुद  त छौ. तुम त देशौ कुण एक मुठि  लोखरौ  सुपिन बि नि देख सकदां !
मि - ओहो !  कै देशभक्तौ बात हूणि च ?
म्यार नौनु -पापा देहरादून में नही हैं  वो पागल अंकल , जो नास्ते  में सपना देखते हैं और फिर सारे दिन नगर सेवकों , मेयर , विधयाकों, सरकारी  अधिकारियों के पास जाते हैं !
मि - और फिर सभी से कहते हैं कि छाया पुजै करवा दो तो बद्रीनाथ में नारियल के पेड़ अपने आप उग आयेंगे , भूत पुजै करवाओगे तो तुंगनाथ में काजू के जंगल पैदा हो जायेंगे
नौनु -हाँ
मि - अर मेकुण बुलणु छौ सय्यद पुजै कारो त मुंबई मा चीड़ पैदा ह्वे जालो।
नौनु -नाना जी ममी  की शादी उसी पागल अंकल से करवा रहे थे।
मि -त शादी किलै नि ह्वाइ ?
नानु -पागल अंकल ने  ममी से कहा कि पहले अन्छेरी पुजाइ होनी चाहिए जिससे ममी के एक साथ  छै बच्चे पैदा हो सकें। नानी ने शादी से मना कर दिया कि मेरी बेटी गर्भवती अवस्था में छै बच्चों को कैसे जनक्यायेगी !
मि - आहा आहा ! छै बच्चा इकदगड़ी !
घरवळि -अरे वू देस का खातिर सुपिन दिखुद।  तुम से त गढवाल का खातिर एक लोखरौ खपटणौ सुपिन बि नि दिखे सक्यांद !
मि - अरे सुपिन देखिक बि देस की सेवा हूंद क्या ?
घरवळि -जु तुम बि शोभन सरकार का तरां सुपिन दिखदा  कि तुमर गांवक मन्दिर तौळ हजारों  टन सोना छुप्युं च।
मि - त सुपिन देखिक क्या ह्वे जांद ?
घरवळि -फिर तुम अपण सुपिनौ बात यमकेश्वर क्षेत्र की विधायिका श्रीमती विजया बड़थ्वाळ से करदा।
मि - त क्या विजया बड़थ्वाळ बौ  मेरि बात पर विश्वास करदी ?
घरवळि -किलै नि करदी।  तुमर माँ  अर विजया दीदी क सासू  एकी जातिक छन त विजया दीदी तैं तुमर बातुं पर विश्वास करण हि पोड़द कि जसपुरम मन्दिर तौळ  हजारों  टन सोना छुप्युं च।
मि - विजया बड़थ्वाळ भौज  को विश्वास करण से क्या ह्वे जांद।
घरवळि -विजया बड़थ्वाळ दीदी तुम तैं केन्द्रीय खाद्य मंत्रीम ली जान्दी अर तुम अपण सुपिनौ बात खाद्य मंत्री से करदा।
मि - सोना को खाद्य मंत्रालय से क्या संबंध ?
घरवळि -फिर केन्द्रीय खाद्य मंत्री आर्कियोलौजिकल सर्वे वाळु तै जसपुरौ मन्दिर की खुदाई का आदेस  दींदा।
मि - ह्याँ पण आर्कियोलौजिकल सर्वे वाळ इनि सुदि खुदाइ नि करदन।
घरवळि -फिर सुपिन की बात अर आर्कियोलौजिकल सर्वे वाळु खुदाई की बात मीडिया तै बताये जांदी।
मि - ह्यां पण मीडिया इन बातों पर ध्यान नि दींद , मीडिया त पता लगांदु कि आज आशाराम बापून कथगा दै पिशाब कार या जेलम लालू प्रसाद यादव आज बै हौड़ फरक च कि ना ! मीडियाम कख च इथगा बगत ?
घरवळि -मीडिया हजार टन सोनाs   बात तै इथगा सेन्सेनाइज करी दींदु कि दुनिया का लोग बि मानी लीन्दा कि जसपुरम हजार टन सोना मील गे।
मि - ह्यां पण इन मा त जग हंसाई ही होंदी कि ना ?
घरवळि -फिर जसपुर वाळ टीवी कैमरों समणि  आपस मा लड़दा कि सोना कैक च !
मि - ह्यां पण …. …
घरवळि -बहुगुणा लोग लड़दा कि चूंकि मन्दिर का पुजारी बहुगुणा छन तो हजार टन सोना पर अधिकार बहुगुणाओं क च।
मि - अरे पण ….
घरवळि -जखमोला लड़दा कि चूंकि मन्दिर जखमोलाओं पुंगड़ो मथि च त सोना पर हक जखमोलाऊं को ही च।
मि -ए इ मेरि ब्वे ….
घरवळि -कुकरेती लड़दा कि चूंकि कुकरेती जसपुर का प्राचीन वासिन्दा छन त सोना पर अधिकार कुकरेत्यूं क च
मि - ओहो !
घरवळि -ग्वील का कुकरेती ही ना समस्त भारत का कुकरेती जसपुर ऐ जांदा कि चूंकि मन्दिर छै सौ साल पुराणो च त सोना पर हरेक कुकरेती को हक च।
मि - उफ ….
घरवळि -शिल्पकार बुल्दा चूंकि मन्दिर ऊंका पुरखोंन चीण त शिल्पकार ही हजार टन सोना का हकदार छन। 
मि - हक की बात त तब होलि कि जब सोना मीलो।
घरवळि -फिर योजना आयोग सभी प्रदेशों तैं निर्देश दींदो  कि हरेक प्रदेश मा हर विभाग मा एक सुपिन दिखण वाळ साधु तैं नौकरी दिए जावो जो सुपिन देखिक बतालो कि प्रदेस मा क्वा क्व़ा योजना चलण चयेंदन ।
मि - क्या बुलणि छे तू ?
घरवळि -यां से मुसलमान भड़की जांदा त सुपिन दिखण वाळ पोस्ट कुछ सीट मुस्लिम औल्याओं वास्ता बि रिजर्ब करे जांद।
मि - मेरी भागवान हम इकीसवीं सदी मा छवां ना कि अग्यारवीं सदी मा कि जब मन्दिर पुजारी बुल्दा छा कि सोमनाथ मन्दिर की रक्षा सेना ना भगवान शिव कारल !
घरवळि -पण इकीसवीं सदी मा ही त साधुक  सुपिन देखिक  उन्नाव का  डुआंडला गांवमा   आर्केओलोजी सर्वे का वैज्ञानिक खुदाइ करणा छन कि ना ?
मि - सूण यदि उख खुदाई से सोना मिल बि गे तो बि मि सुपिन जन बातों पर विश्वास नि करलो।
घरवळि -तुम से त अपण परिवारों समृधि अर प्रसिद्धि की पड़ी ही नी च।
मि - किलै नी पड़ी च पण समृधि अर प्रसिद्धि पाणों वास्ता बि वैज्ञानिक अर तार्किक सोच का सहारा ही आवश्यक च ।
घरवळि -यां !  हमर बान एक दैं लोखरौ खपटणौ  सुपिन द्याखो त सै !




Copyright@ Bhishma Kukreti  19/10/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 

Bhishma Kukreti

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                                               दिल्ली बीजेपी टीम मा सबकुछ ठीक ठाक च ?

                                                चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
     
(s =आधी अ  = क , का , की ,  आदि )
दिल्ली रास्ट्रीय स्वयंसंघ शाखा नेताs  घरवळि-मीडिया मैनेजरन बोलि बल टीम मा अब सब ठीक ठाक च !
दिल्ली रास्ट्रीय स्वयंसंघ शाखा नेता- पण मीडिया मैनेजर इथगा स्पष्ट अर विश्वास से इन कनै बोलि सकुद कि टीम मा सब ठीक ठाक च।
नेताs  घरवळि- अरे सब्युंन मीडिया मैनेजर तैं स्पस्ट अर अति विश्वास मा बुलद द्याख।
RSS  नेता -पण विजय गोयल हर्षवर्धन तै दिखण त सै वैक नाम बि नि सूण सकुद।
नेताs  घरवळि-पण विजय गोयल त क्रिकेट टीम मा नी च।
RSS  नेता -तू कैं टीमै बात कारणि छे ?
नेताs  घरवळि-मि क्रिकेट टीमौ छवी लगाणु छौं।
RSS  नेता -ये मेरी ब्वे मीन समज तू दिल्ली की बीजेपी टीम की बात करणी छे।
नेताs  घरवळि-मि तैं विश्वास च कि इथगा बड़ी हार का बाद बि धोनी अर इशांत शर्मा का रिश्ता बड़ा मजबूत ही होला।
RSS  नेता -मि तैं पूरो भरोषा च कि द्वी हार का बाद बीजेपी का मोहन सिंह बिष्ट पृथ्वी राज साहनी की टांग खैंचल अर योगेन्द्र चंदोलिया मोहन सिंह बिष्ट तैं चैन से नि बैठण द्याल !
नेताs  घरवळि- मेरो आत्म विश्वास सातवाँ आसमान मा च कि धोनी , इशांत शर्मा , सुरेश रैना , विराट कोहली एक साथ बैठिक ऑस्ट्रेलिया तै हराणों पूरी योजना बणाल।
RSS  नेता -मि तैं बि पूरो विश्वास च बल आण वाळ विधान सभा चुनाव मा विजय गोयल हर्ष वर्धन का समर्थकुं तै हराणों योजना बणाल अर हर्षवर्धन विजय गोयल का समर्थकों जमानत जफ्त कराणों फूल प्रूफ प्लानिंग कारल।
नेताs  घरवळि-अब हरेक टीम सदस्य एक दुसरो दगड़ सकारात्मक संवाद कारल।
RSS  नेता -मि जाणदो छौं सबि महा सचिव रमेश विधुड़ी , श्रीमती सिखा राय अर जय प्रकाश हर समय आपस मा केवल नकारात्मक अर चुनाव हरणा  छंवीं ही लगाला
नेताs  घरवळि-अब हरेक टीम सदस्य हरेक मीटिंग मा शिरकत कारल अर टीम भावना तैं बढ़ाणा जतन कारल।
RSS  नेता -अब दिल्ली बीजेपी टीम का हरेक सदस्य पार्टी मीटिंग मा टीम भावना छोड़िक  केवल अपण अपण स्वार्थ साधन का ही जतन कारल।
नेताs  घरवळि-अब हरेक क्रिकेट टीम सदस्य का पास मैच  जितणो बान साफ़ साफ़ रणनीति  अर स्पष्ट उत्तरदायित्व होलु
RSS  नेता -दिल्ली बीजेपी का हरेक ग्रुप इन जतन कारल कि विरोधी ग्रुप तैं क्वी उत्तरदायित्व ही नि मीलो !
नेताs  घरवळि-हरेक टीम  सदस्य प्रोड्क्टिविटी बढ़ाळ 
RSS  नेता -हरेक नेता विरोधी ग्रुप तैं नॉन प्रोडक्टिव बणाल।
नेताs  घरवळि-हरेक टीम सदस्य प्रभावीशाली नेतृत्व द्याल।   
RSS  नेता -हरेक टीम सदस्य अपण पार्टी मा विरोधी ग्रुप का  नेतृत्व तै प्रभावहीन बणाळ  अर हरेक सदस्य अपण पार्टी  की कमजोरी कौंग्रेस तैं बताल।
नेताs  घरवळि-अब हरेक सीनियर  क्रिकेट टीम सदस्य जूनियर सदस्यों विकास का बारा मा स्वाचल ।
RSS  नेता -हरेक बुजुर्ग नेता युवाउं  तै आण से रोकल। हरेक बुजुर्ग नेता लाल कृष्ण अडवाणी जन पिचाणवे साल मा मुख्यमंत्री बणणो बान तिकड़म लड़ाल।     
नेताs  घरवळि-मि तैं अब पूरो भरवस च कि हमारी संगठित क्रिकेट टीम दुनिया की कै बि टीम तैं हरै द्याली।
RSS  नेता -मी तैं इ ना हरेक तैं पूरो विश्वास च कि दिल्ली मा कुल कलह का वजै से बीजेपी कौंग्रेस त छवाड़ो आम आदमी पार्टी तैं बि नि हरै सकद।



Copyright@ Bhishma Kukreti  20/10/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]

Bhishma Kukreti

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ब्याळि  कोटद्वार से ड्यार आंद दै मेरि सासुन द्वी थैला प्याजौ हथ पर दींद ब्वाल ,"जवैं ! एक थैला पर छुट छुट प्याज छन , रस्ता मा कुछ चीज खरीदणो  या गाँव मा दान -दुख्यरूं मा बंटणो काम आला। "
जेठु जीन ब्वाल ," दुसर थैला पर बड़ा बड़ा प्याज छन वो जु तुमर जमीनौ दाखिलख़ारिज का कागजात ठीक करणों काम आला। "
स्याळ बस मा बैठाणो आयि।  टिकेट लेकि जनि बसs ड्वार पर अवां तनि कन्डक्टरन ब्वाल ,"सीट त क्वी खालि नी च !"
म्यार स्याळन अपण थैलाउन्दन एक बड़ो प्याजौ दाण कन्डक्टरs हाथ मा दे त कन्डक्टरन ब्वाल ,"अग्वाडि से  द्वी लाइन पैथर बैठ जावो।  "
स्याळ मि तै बस मा बिठै चलि ग्यायि।  तबी एक  अखबार बिचण वाळै  आवाज आयि ,"आज की ताजा खबर आज की ताजा खबर -चीन से प्याज नकेल संधि ! आज की ताजा खबर -चीन से प्याज नकेल संधि !"
मीन औंळा  बरोबर प्याज देकि अखबार खरीद।  अखबार मा खबर बाँचि जखमा लिख्युं छौ बल चीन मा प्रधान मंत्रीs स्वागत प्याजौ माळाउं  से ह्वे।  प्रधान मंत्रीन चीनी प्रधान मंत्री द्वारा दियुं राजकीय भोज मा प्याज खाण से मना करि दे।  प्रधान मंत्री बुलण छौ बल जब म्यार देसम गरीबुं तै प्याज नसीब नि होणु च त वो प्याज कनकै खै सकदन ! भारतीय  प्रधान मंत्रीन चीनी प्रधान मंत्रीs समिण कसम खैन बल जब तलक गरीबुं तै भारत मा प्याज नसीब नि होलु तब तक वो बिन-प्याजौ खाणौ खाला।  आज देर रात चीन अर भारत का मध्य एक संधि पर हस्ताक्षर ह्वेन।  प्याज -नकेल संधि का अनुसार चीन भारत तैं प्याजौ बिचौलियों तै साधणौ बान एक लाख नकेल द्यालो अर नकेलूं बदल भारत एक लाख टन लौह अयस्क (आयरन ओर ) द्यालो।  भारत का प्रधान मंत्रीन प्रसन्नता व्यक्त कार बल चीनी नकेल  भारत में बिचौलियों के नाक में डाले जायेंगे जिससे प्याज के दाम घट जायेंगे।  उन यीं बिचौलिया नकेल की तकनीक भारत मा चाण्यकन इजाद करि छे अर अशोक का वकत, बौद्ध भिक्षु  यीं बिचौलिया -नकेल तकनीक तै चीन लीगि छा।  अशोक का बाद अब फिर से भारतम बिचौलिया -नकेल तकनीक को प्रयोग दिखणौ मीलल। अखबारम  एक समाचार छौ कि गढवाल का गाऊंमा ये साल प्रवासी घुघत्युं आण कम ह्वे गेन  पण दिल्ली , ड्याराडूण   अर कोटद्वार जन जगा का प्रवासी हफ्ता हफ्ता गाँव आणा छन अर अपण स्यारों मा प्याज लगाणो इंतजाम करणा छन। आखिर प्याज प्रवास्युं तै गढ़वाळ बौडाणम  कामयाब ह्वे गे।
बसौ कन्डक्टर वूं तैं इ बैठणो जगा दीणु छौ जु कन्डक्टर तैं घूसमा प्याजै दाणि दीणु छौ।
बस चलण बिस्यायि त कन्डक्टरन जोर से वैधानिक चेतावनी दे ,"  व्यक्तिगत प्याजौ सुरक्षा की जुमेवारी पसेंजरों की अपणी च।  सरकार कनि  बि प्याजै चोरी जुम्मेवारी नि लींदी"
गूमखाळ से तौळ बस रुक अर  कन्डक्टरन धै लगाइ," शोभन सरकार का मन्दिर ऐ ग्यायि जैन प्याज चढ़ाणाइ वो प्याज चढे ल्यावो। "
मन्दिर क्या छौ एक झुपड़ा छौ।  उखम ज़िंदा शोभन सरकार की मजार छे अऱ भक्त लोग बड़ा बड़ा प्याज पुजारी तैं दीणा छा दगड़म एक पता लिख्युं पोस्ट कार्ड बि पुजारी तैं दीणा छा।
मीन बि चार बड़ा बड़ा प्याज पुजारी तैं देन अर अपण पता लिख्युं पोस्ट कार्ड पुजारी जी तैं दे।  पुजारिन आशीर्वाद दींद ब्वाल ," द्याखो भक्त ! उन्नाव का बाबा शोभन सरकार तुमर बाबत सुपिन द्याखल कि तुमर कै पुंगड़म सोना होलु अर फिर हम पोस्ट कार्ड से  सूचित करि द्योल्या कि तुम तैं कै पुंगड़म सोना मीलल। "
बस गूम खाळ आयि।  उख एक हौकर चिल्लाणु छौ ," बगैर प्याजौ छोला दस रुपया प्लेट ! प्याज समेत छोला चालीस रुप्या प्लेट !"
गूमखाळम एक होटल वाळ अर एक ग्राहकम हाथापाइ हूणि छे।  ग्राहकs  बुलण छौ बल सुंगरौ शिकारमा प्याज छैं इ नि छौ अर होटल वाळ बुलणु छौ कि मीन  सुंगरौ शिकार भुटद दै पाकिस्तानी प्याज डाळि छौ अब पाकिस्तानी प्याज से प्याजै गंध नि आन्दि त म्यार क्या दोष ?
मी घौर पौंछु त थ्वड़ा देरम स्कूल्या बच्चा मि तै दिखणो  ऐगेन।  मीन मुंबई से लयां चौकलेट बच्चों तैं दीणों बान भैर निकाळेन अर सबि बच्चोंन एक साथ ब्वाल ," दादा जी !बाडा जी ! हमे चौकलेट नही एक एक दाना प्याज दीकिये प्लीज !" 


 
 Copyright@ Bhishma Kukreti  23/10/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...] 
 
 

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                            कब पता लगद कि तुम सुंगर जन म्वाट ह्वे गेवां ?

                                  चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
     
(s =आधी अ  = क , का , की ,  आदि )


जु बि म्वाट हूंदन उं तैं पैल पैल पता इ नि लगद बल वु म्वाट हूणा छन। कुछ टिप्स छन जो बतांदन बल तुम सुंगर जन म्वाट ह्वे गेवां।
जब परिवार मा लोग जन कि तुमर मां या घरवाळि वाशिंग मशीन तैं तुमर पैंट छ्वटि हूणै  गाळि दीण मिसे जावन त समजी ल्यावो तुम गौल  जन म्वाट ह्वे गेवां।
जब बि तुम कै कोल्ड ड्रिंक हाउस मा जावो अर दूकानदार पूछों ,"साब डाइट कोला दूं ?" तो मतबल च तुम गैबण भैंसौ तरां म्वाट ह्वे गेवां।
जब बि तुम  सिनेमा टिकेट खरीदो अर हर समय तुम तै सबसे अग्वाड़ी सीट ही मील।
जब ट्रेन  यात्रा मा  अस्सी सालौ बुड्या तुम तैं अपण लोवर बर्थ ऑफ़र करणा रावन।
जब तुम तैं एक्सरसाइज वीडिओ दिखदि नींद ऐ जावो।
जब तुम तै लोग 'हाउ टु रिड्यूस वेट इन अ वीक ' 'एक हफ्ते में वजन कम करें ' जन किताब भेंट मा दीण बिसे जावन तो इकमा सुचणै बात नि च कि तुमर वजन बढ़ी गे।
जब तुम तै बड़ो लम्बो ऐना से डौर लगण मिसे जावो।
जब तुमर अलमारी मा वजन कम करणों किताबुं कटघळ  लग  जावो।
जब मेडिकल स्टोर वाळ तुम तैं बगैर पुछ्याँ अफिक डाइट पिल दीण बिसे जावो।
जब तुम तै डाइट पिल पर ही भरवस उठि जावो। 
जब तुम इनशर्ट कि जगा शर्ट आउट मा भैर जाण पसंद करदवां।
चमड़ा बेल्ट की जगा तुम तैं इलास्टिक की बेल्ट पसंद आंदी।
जब तुम तै 'लो कैलोरी ' लो फैट ' या 'लो 'शब्दों से चिढ़ ह्वे जावो।
जब तुम तैं एक्सरसाइज साइकल देखिक ही उचिमुचि हूण बिसे जावो।
जब तुम वेइंग मसीन मा वेट करद दै आँख बंद कौरि दींदा।
जब तुम चार दिन केवल पाणि पींदा अर तब बि वजन बढ़ी जांद
जब तुम तै रोजा रमजान या व्रत सब बकबास लगदन।
जब तुम तै हरेक मैना मा नया नया जुराब खरीदण पड़दन।
जब तुम तै हर मैना नै नै पैंट -शर्ट सिलाण  पोड़द। 



 
 Copyright@ Bhishma Kukreti  24/10/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]   

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                              परम पूजनीय काला बजारिया जी से प्रार्थना

                                 चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
     
(s =आधी अ  = क , का , की ,  आदि )
 परम पूजनीय कला बजारिया जी !
सादर प्रणाम।  आशा ही ना परम विश्वास च तुमर धंधा दिन दुगण -रात चौगुण बढ़णु होलु।
                               हे चुनावुं  टैम पर का हमारा ब्वे बाब ! उन त तुम तैं काला बजारी रुकणो मै  बेशरम नेता तै क्वी अधिकार नी च किलै कि तुमर चंदा, सहायता  बगैर मि चुनाव जीति इ नि सकुद पण हे परमेश्वर जी ! जरा ध्यान तो द्यावो कि चुनाव समणि च अर या बेवकूफ जनता विरोधी दल अर मीडिया का भकलौण मा ऐक रोज पुछणि च बल "सरकार ! तुम   प्याज के दाम कब कम करोगे?  प्याज के दाम कब कम करोगे?"
                    प्रात: स्मरणीय , समांतर भारतीय अर्थ व्यवस्थाs  क्षेत्रपति जी ! आपको बकुळ - गाढ़ा मुनाफ़ा गवाह च बल पिछ्ला पांच सालों मा तुमन जब बि कै बि अनाज  की कमी ह्वे त तुमन जमाखोरी अर काळाबजारी से हर समय करोड़ो रुप्या कमाई अर   मीन मंत्री हूंद बि जनता तै त्राहि त्राहि माम करद द्याख पण हे परम पिता ! मि जाणि बूजिक कर्तव्य विमुख ह्वेक तुमर गोडानुं की रक्षा मा तत्पर रौं।  बजार मा जब बि खाद्य पदार्थों की  कमे ह्वे अर खाद्य पदार्थों भाव सातवाँ असमान पर पौंचिन त मीन जमाखोरी या कालाबाजारी पर एक शब्द नि ब्वाल बलकणम  मीन मंत्री ह्वेक झूट ब्वाल कि फलण अनाज को उत्पादन मा कमी अर ब्राजील -चिली देस की राजनैतिक स्थिति का  कारण फलण अनाज की कीमत बढ़णि च। यद्यपि ब्राजील -चिली से वै खाद्य पदार्थ  को क्वी लीण -दीण नि थौ फिर बि तुम तै बचाणो बान मीन असत्य की परिकाष्ठा भी पार कार ! अब चूंकि मि चुनावी युद्ध मा प्याज की अथा कीमत वृद्धि का तीरों से घायल हूणु छौं त मि तुम तैं भरवस दिलांदु कि चुनाव जितणो परांत हम भौत सा इन योजना लौला जां से तुम तै जमाखोरी से मुनाफा कमाणों सैकड़ों अवसर मीलल।  .  तुम से हथजुड़ै च बल बस तुम थ्वड़ा दिनुं कुण प्याजौ कीमत कम कौरि द्यावो ! 
                     हे होर्डरूं  नेता जी ! आप तैं पता च कि हम तुम पर कुछ भी कड़ी कार्यवाही नि कौर सकदां त यांक मतबल यु त नी च कि तुम ऐन चुनाव बगत पर ही प्याज की इथगा कीमत बढ़ावो ! हम देस नाशकों का बि कुछ सिद्धांत हूंद छन कि ना ?
       हे हमर अन्नदाता कालाबजारी जी ! यी ठीक च पिछ्ला चुनाव मा जब विरोधी दलुं सरकार छे अर तुमन इनि बेअन्था प्याजौ  कीमत बढै छौ त हमर दल की सरकार आयि पण यो खटकरम एबरी त नि कारो ! क्या हमन तुम तै हर समय सीमाहीन मुनाफ़ा नि कमाण दे ? कि तुम ऐन चुनाव टैम पर बि प्याजौ दाम कम नि करणा छंवां।  क्या विरोधी दल तुम तै जादा मुनाफ़ा कमाण देलु ?
         हे देस की अर्थ व्यवस्था की असली नकेल धारी ! हम सत्ता धारी नेताओं पर कुछ रहम कारो ! हम सत्ता धारी , सत्ता लोलुप नेताओं पर दया कारो ! अर प्याज का दाम घटावो प्लीज !
          हे समानांतर अर्थ व्यवस्था का व्यवस्थापक ! ठीक च हम नेता तुम सरीखा मानव हंता कालाबजारियों का ही टुकडों पर पऴदां अर मि जाणदो छौं कि तुम व्यापारी जै दल तै चैल्या वो  सरकार इ बणालु।  तो मि यीं आशा मा तुमर खुटम मुंड धौरिक प्रार्थना करणु छौं कि अब की दैं बि हम तै सरकार बणाण द्यावा अर तुमसे  गुजारिस करदु कि प्याजौ दाम कम कारो ! तुम हम तैं बचावो हम तुम तैं बचौला सिद्धांत की कसम!  चुनाव जितण द्यावो फिर हम तुम तैं खाद्य पदार्थ ही ना न्यूक्लियर प्लांट कम्पोनेंट का वितरक भि बणै द्योला ! बस अर्ज च कि तुम प्याज का दाम कम करि द्यावो !
           हे काला बजारिया जी ! तुम मि तैं बीच बजार मा जुते द्यावो पण प्याज की कीमत कम करी द्यावो !
      मेरि बेशर्मी से तुम तैं फैदा दियां की  कसम ! जरा प्याज का दाम कम करि द्यावो। 
हे जमाखोर जी ! मी आपसे रहम की भीख मांगणु छौं कि हम पर दया दृष्टि डाळो   अर प्याज का दाम कम कारो !
हे ब्लैकमार्किट किंग ! हे करुणा  सागर ! हम पर करुणा की बरखा कारो अर प्याज का दाम कम कारो !
आपक परमानेंट सर्वेंट ! प्याज का दाम हूणों आशा मा !
आपका गुलाम -एक नेता

Copyright@ Bhishma Kukreti  25/10/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]   

Bhishma Kukreti

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                                  प्याज से इन्द्रासन तैं खतरा

                                 चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
     
(s =आधी अ  = क , का , की ,  आदि )
 इंद्र परेशान छौ , इंद्र की नींद -भूख -तीस हर्चीं छे , इंद्र असंमजस्य मा छौ बल यु हूणु क्या च किलै इन्द्रासन इथगा जोरूं से हिलणु च।  अब त भारत मा ना तो ऋषि मुनि , ना ही क्वी मानव-दानव  अर ना ही क्वी राजा तपस्या करद कि इन्द्रासन इथगा हिलो ! अब त तपस्या तैं  अंधविश्वास माने जांद त इन्द्रासन हिलणों क्वी समस्या ही नि छे पण फिर बि इन्द्रासन हिलणु छौ जन बुल्यां क्वी दिवता या मानव  इंद्र तैं धकेक इन्द्रासन पर बैठण इ वाळ च।
 इंद्र चिंतित छौ त  जन कि भारत मा नेताओं तैं ऐन चुनावों टैम पर मुसलमान अर गरीब याद औंदन ऊनि चिंता का क्षणों मा भगवानो अर देवी -दिवतौं तै बुढ़देव (नारद ) याद औंद त इन्द्रन  बुढ़ देव बुलैन।  इन्द्रन  बुढ़देव (नारद ) से इन्द्रासन हिलणों कारण पूछ। बुढ़देव (नारद ) तैं भौत दिनों से जुकाम चलणों छौ त पृथ्वी मा क्या क्या होणु च की आत्म शक्ति से जानकारी प्राप्त करणम कठिनाई होणि छे।  बुढ़देव (नारद )न जबाब दे बल  हे इंद्र  क्वीन क्वी  च जो पृथ्वी लोक मा भगवान बौणि गे।  मि तै लगणु च क्वी ये मानव या दानव  तै लोग इथगा याद करणा छन कि यो  भगवान बणन ही वाळ च।  इंद्र की सलाह पर बुढ़देव (नारद ) भारत ऐन कि   को च जो भगवान बणनो तैयारी मा च।
 बुढ़देव (नारद ) गरीबुं इख गेन त ऊंन पायीं बल गरीब हर समय क्या सुपिन मा बि बरड़ाणु रौंद कि पैल बीस रुटि अर एक प्याज मा हमर दस मनिखों परिवारों गुजर बसर ह्वे जांद छौ अब योजना आयोग का दियां छबीस रुप्या मा एक दाणि प्याज बड़ी मुस्किल से मिलद त समज मा नि आणु कि छबीस रुप्या मा एक दाणि प्याज ल्युं कि आटु ल्यूं ? बुढ़देवन पता लगाइ बल भारत मा क्वी इन गरीब नी च जु दिन मा बीस दैं प्याज अर मंहगाई नाम नि ल्यावो ! बुढ़देवन गरीबुं बार बार भगवान की जगा प्याज अर मंहगाई तै याद करण से इन्द्रासन हिलणु च बुढ़देवन स्वाच कि गरीबुं की हाय अर याद से इन्द्रासन अवश्य हिल्दु पण गरीबुं हाय अर याद मा इथगा शक्ति कबि नि रै कि  इन्द्रासन से इंद्र हटै दिए जावो।
बुढ़देव निम्न मध्यम वर्ग का ड्यार सर्वे वास्ता गेन त उख बि प्याज अर मंहगाई की ही चर्चा छे।  योजना आयोग का हिसबन यि लोग यद्यपि निम्न मध्यम वर्ग मा आंदन पण प्याज अर मंहगाई कारण यि लोग गरीबुं श्रेणी मा शामिल ह्वे गेन।  अब यी लोग श्याम प्रार्थना करदन बल हे प्रभु आप प्याज का रूप मा हमर ड्यार आवो ! निम्न मध्यम वर्ग का वास्ता प्याज एक दुर्लभ वस्तु ह्वे गे।  निम्न मध्यम वर्ग का बच्चा बच्चा अब प्याज की ही प्रार्थना करदन कि हे प्याज ! तु हफ्ता मा ना सै त एक मैना मा हम तै दर्शन त दे दे  !
 बुढ़देव  मध्यम मध्यम वर्ग का ड्यार गेन त बुढ़देवन पायि कि यद्यपि मध्यम मध्यम वर्ग का इख प्याज कांच की बरोऴयूं मा ड्र्वाइंग रूम मा धर्युं मिल्द।  पण  मध्यम मध्यम वर्ग प्याज कांच की बरोऴयूं मा ड्र्वाइंग रूम मा इलै नि धर्दु कि वो प्याज खाण लैक छन बल्कणम लोगुं तै जताणो बान ड्र्वाइंग रूम धरे जांद कि वो मध्यम मध्यम वर्ग का छन।
उच्च मध्यम वर्ग अर सौकर  वर्ग अब अपण  ड्र्वाइंग रूम मा लाख लाख रुपयों की कला/आर्टफुल चीज नि धर्दन बल्कि अब यी लोग प्याज का बनि बनि दाण अपण ड्र्वाइंग रूम मा सजैक लोगुं तै भरवस दिलांदन कि यी लोग सौकार छन,  सेठ छन।  अब यी लोग प्याज पार्टी कर्दन। युंकुण प्याज पार्टी माने फ़ाइव स्टार पार्टी !
नेताओं कुण त प्याज एक पहेली बणी गे।  विरोधी नेता ह्वावो या सरकारी दल का नेता ह्वावो वो हर समय प्याज को ही स्मरण करदो।  पैल गरीबी अर मुसलमान चुनावी मुद्दा हूंद छौ अब प्याज चुनावी मुद्दा ह्वे गे।
बुढ़देवन द्याख कि पैल भारत मा भगवानौ कसम खाए जांद छौ अब हर धर्म का मनष्य इन कसम खांद  , " प्याज की सौं मीन झूट नि ब्वाल ! " या "झूट बुलल त मी पर प्याज की मंहगाई लग जैन !"
प्रेमिका अब प्रेमी से जेवरात की मांग नि करदी अपितु एक प्याज की मांग करदी।
कवि अर लिख्वारुंन अब प्याज तै अपण प्रतीकों मा शामिल करि ऐन अब हरेक कवि अर लेखक प्याज का नया नया उपमान खुज्याण मा व्यस्त च।
होटलुं मा अब बोर्ड लगी गेन " कृपया मुफ्त में प्याज मांगकर शर्मिन्दा ना करें " या "हमारे यहाँ प्याज की कोइ रेसिपी नही बनती " या " दो हजार रूपये के ऊपर वाले बिल पर एक प्याज का दाना मुफ्त दिया जाएगा। "।
आजकल प्याज तुलना कु  चिन्ह बणि गे।  अब अखबारों मा खबर आंद बल गेंहूँ प्याज से आधा दाम पर , जौ प्याज से डेढ़ गुना दाम पर !  सोना प्याज से चालीस गुना दाम पर ! अब प्याज असल मा करेंसी जन ह्वे ग्यायि।
बिचौलियोंन अब अपण पूजा गृह से लक्ष्मी फोटो उतार आलिन अब लक्ष्मी जगा 'प्याज बाबा' की पूजा हूँदी।   अब भारत मा नया मन्दिर केवल 'प्याज बाबा ' का ही बणदन। 
प्याज उत्पादक बि प्याज पूजा करद अर 'प्याज बाबा ' से पुछद ," बल हे प्याज बाबा ! बजार मा प्याज का दाम चार सौ -छै सौ गुणा बढ़ी गेन पण हम तै त दाम उथगा ही मिलणा छन जथगा एक साल पैल मिलदा छा।  प्याज बाबा ! हम किसानो बि कुछ ख़याल कारो !"
बुढ़देवन अपण प्रिलिमिनरी रिपोर्ट इंद्र तैं भेजि कि चूँकि भारत मा  हरेक भारतवासी हर पल प्याज को ही स्मरण करद त प्याज भगवान  समान  ह्वे गे इलै इन्द्रासन इथगा जोर से हिलणु च।
 यांक बाद नारद जी इन भोजनालय खुज्याण लगि गेन जख दाळ -भुजि मा प्याज को छौंका लगद ह्वावो !




Copyright@ Bhishma Kukreti  26/10/2013



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]

 

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