Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 360435 times)

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
                      मि घूस नि लींदु, कृपया मुझे घूस देने की कोशिस ना करें
                                      चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

ब्याळि मि दिल्ली मा कै पछ्याणक वाळ तैं मिलणो राज्य पीडब्ल्यूडी दफ्तर  ग्यों।  मोबाइल नंबर नि छौ त फोन पर बात नि ह्वे साक।
मीन गेट पर पता लगाण चै कि म्यार पछ्याणक वाळो विभाग कु होलु।
म्यार पुछण से पैलि गेट मा बैठ्या द्वी मनिख एकदगड़ि बुलण बिसेन - साब ! हम तैं घूस दीणै कोशिस नि कारो हाँ।  हम इमानदार कर्मचारी छंवां।
मी - भई मिस्टर आनंदी लाल से मिलण छौ।
एक - आप भितर पूछो।
मि भितर ग्यों एक चपड़ासी जन मनिख दिख्यायि त मीन पूछ - भाई  साहेब ! आनंदी लाल जी कखम बैठद ह्वाल।
वु - श्रीमान जी मी घूस नि लींदु तो आप कृपया मि तैं घूस दीणै कोशिस नि करिन।
मि - मि ये ऑफिसम घूस दीणो नि आयुं छौं।  मि आनंदी लाल जी से मिलणो आयूं छौं।
वु - देखो मि फिर से बुलणु छौं कि मी घूस नि लींदु।
मि - पर साब मी घूस लीणो बात ही नि करणु छौं।  मी त आनंदी लाल जी से मिलण चाणु छौं।
वु - त आप पूछताछ काउंटर पर जावो।  मि तै किलै पुछणा छा ?
मि - पूछताछ काउंटर कख च ?
वु - देखो मि फिर से बुलणु छौं मि घूस नि लींदु।  आप स्वयम ही ढूंढो कि पूछ ताछ काउंटर कखम च।  मि त यि जाणदु कि मि घूस नि लींदु।
मि एक काउंटरम ग्यों अर मीन उखम  जनानि तैं पूछ - मैडम ! पूछताछ काउंटर कखम होलु ?
जनानि - प्लीज डोंट ट्राइ टु ब्राइब मि बिकॉज आइ डोंट टेक ब्राइब।
मि - मैडम मि ब्राइब नि छौं दीणु।  मि पुछणु छौं कि इनक्वारी काउंटर कखम च ?
जनानि - मि दुबर बुलणु छौं कि मि घूस नि लींदु।  आप हैंक काउंटर वाळ से पूछो।
मि जै बि काउंटरम ग्यों उख एकी जबाब मील कि मि घूस या ब्राइब नि लींदो।
कै तरह से मि तैं पूछ ताछ काउंटर मील।
मीन पूछ - साब आनंदी लाल जी कखम बैठदन ?
काउंटर वुमनन जबाब दे - इन्डियन पैनेल कोड xx yy, दिल्ली राज्य उपनियम del अर मुम्बई हाइ ऑर्डर 33333xx  का हिसाब से घूस दीण अर लीण गुनाह च तो कृपया आप मि तैं घूस नि देन।  मि घूस नि लींद।
मीन बोलि - मैडम मि घूस नि दीणु छौं।  मि पुछणु छौं कि मिस्टर आनंदी लाल कखम बैठदन ?
काउंटर वुमन - म्यार काम खुलासा करण च कि मि घूस नि लींदु।  द्याखो ये ऑफिसम चार आनंदी लाल छन।  तुम कौं आनंदी लाल की बात करणा छा ?
मि - जी वु पैंतालेस -पचास सालुं का होला।
काउंटर वुमन- द्याखो इंडियन पैनेल कोड का हिसाब से घूस दीण अर लीण गुनाह च।  मि घूस नि लींदु।  जी यां से पता नि लग सकद कि तुम कै आनंदी लाल जी से मिलण चाणा छा।
मि - क्वी त समाधान होलु ?
काउंटर वुमन- द्याखो इंडियन पैनेल कोड का हिसाब से घूस दीण अर लीण गुनाह च। मि आउट गोइंग रजिस्टर दिखुद हां।  एक आनंदी लाल जी अपण बेटीक केजी मा ऐडमिसन का वास्ता शिक्षा मंत्री मनीष शिसोदिया का जनता दरबार मा जयां छन।
मि -नै म्यार आनंदी लाल इथगा जवान नि ह्वे सकदन।
काउंटर वुमन- द्याखो नि आगाह करदु घूस दीण अर लीण गुनाह च। एक आनंदी लाल जी अपण नौनु तैं जल बोर्ड मा परमानेंट करणा गुहार लगाणा मुख्यमंत्री जनता दरबार जयां छन।
मि - नै म्यार आनंदी लाल जी इथगा बुड्या बि नि ह्वे सकदन।
काउंटर वुमन- देखो मी घूस नि लींदु।  तिसर आनंदी लाल पर्स्याक स्टिंग ऑपरेसन मा फंस्युं अपण स्याळ तैं छुड़ाणो कोर्ट जयां छन।
मि - जी म्यार आनंदी लाल कु स्याळ दिल्ली मा नि रौंद।
काउंटर वुमन- देखो मी घूस नि लींदु।  तो आपका आनंदी लाल दुसर मजिल कु चौथा खंड मा 36 नंबर की टेबल मा बैठदन।
मि आनंदी लाल जीक टेबल तक पौंछि ग्यों।
आनंदी लाल जीक समिण द्वी आदिम बैठ्या छा तो ऊन एक कुर्सी मा बैठणो इसारा कार।  मि बैठ ग्यों।
आनंदी लाल  - देखो मि घूस नि लींदु। आपन अपण अप्लिकेसन मा अठाणवे सर्टिफिकेट   संलग्न कर्याँ छन जब कि नियम अनुसार सौ सर्टिफिकेट आवश्यक छन।
अभ्यार्थी - पण साब यि द्वी सर्टिफिकेट मीलि नि सकदन।
आनंदी लाल - मी आप तैं बताइ दींदु कि मि घूस नि लींद।  सर्टिफिकेट पूरा नि हूण से मि आपकी फ़ाइल अग्वाड़ी नि बढ़ाई सकुद।  मि अबि लेखी दींदु कि मीन आपक काम समयनुसार कार अर जब आप पूरा सौ सर्टिफिकेट लै जैलि तो आपको काम ह्वे जालो।
अभ्यार्थी -पण यि द्वी सर्टिफिकेट  कनकैक लाणन   ?
आनंदी लाल - सॉरी सर ! मि घूस नि लींदु।  आप हमर हेड ऑफिसम जावो तो उख वो लोग बताइ सकदन कि …।
पैलो अभ्यार्थी चली जांद।
दुसर अभ्यार्थी - सर ! आपन  पचास सर्टिफिकेट लाणो बोलि छौ पण एक सर्टिफिकेट कम च।  आपका हेड ऑफिस मा बुलणा छन कि ये सर्टिफिकेट कु  प्रिस्क्राइब्ड फॉर्म आउट ऑफ प्रिंट च। अर तीन मैना बाद ही प्रिस्क्राइब्ड फॉर्म मील सकद।
आनंदी लाल - श्रीमान जी मि घूस नि लींदु।  सर्टिफिकेट तो प्रिस्क्राइब्ड फॉर्म मा ही चयांद।
दुसर अभ्यार्थी - सर क्वी समाधान ?
आनंदी लाल - कृपया मुझे घूस देने की कोशिस ना करें।  मी घूस नि लींदु।
दुसर अभ्यार्थी - सर मि घूस नि दीणु छौं।  मि त एक आम आदमी  की हैसयत से आपसे सहायता मांगणु छौं।
आनंदी लाल - ठीक च।  आम आदमी की सहायता करना हमारा कर्तव्य है। शायद एकाद प्रिस्क्राइब्ड फॉर्म हमर ऑफिस का समिण रद्दी वाळम  मील जाल।  सफाई कर्मचारी जब सफाई करदन तो वु  रद्दी वाळ भौत सा कागज बटोरि लींद।  मि घूस कतै नि लींद।
दुसर अभ्यार्थी - धन्यवाद।
दुसर अभ्यार्थी बि चलि जांद।
रामा रूमी का बाद मीन आनंदी लाल जी पूछ - यी क्या च जी ? हरेक बुलणु च मि घूस नि लीन्दु , कृपया मुझे घूस देने की कोशिस ना करें।
आनंदी लाल - वु क्या च सबी स्टिंग ऑपरेसन का डौरन बुलणा छन कि मि घूस नि लीन्दु , कृपया मुझे घूस देने की कोशिस ना करें।यदि कखि पकडे जौंला त हमम प्रूफ च कि हमन त बोली छौ कि हमें घूस देने की कोशिस ना करें।  इखमा अब घूस देने वाले की अधिक जुमेवारी हो जायेगी।
मि - यि रद्दी वाळम प्रिस्क्राइब्ड फॉर्म मिलणै वाळी बात असल मा क्या बात च ?
आनंदी लाल - हाँ रद्दी वाळ वै फॉर्म तैं तीस हजार मा ब्याचल।
मि - औ घूस अबि बि बंद नि ह्वे ?
आनंदी लाल - जब चाणक्य का टैम पर घूस बंद नि ह्वे छे तो अब क्या होलि। 




Copyright@ Bhishma Kukreti  12 /1/2014

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
                        मंत्री त आंद जांद रौंदन पण प्रशासनिक सेवा  अटल रौंदि

                                  चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       


(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

              राज्य शिक्षा मंत्री घ्याळ दा आज एकाद घंटा कुण खाली छा याने प्राइवेट सेक्रेटरी या चीफ एज्युकेशन सेक्रेटरी बिहीन छया।  घ्याळ दा तैं समज मा ऐ गे कि मंत्र्युं हालात बद्रीनाथ जी जन च। गढ़वा राजा बद्रीनाथ का नाम से राज करदा छा।  सब सुकर्म या कुकर्म बद्रीनाथ जीक नाम से ही हूंद छा अर बिचारा बद्रीनाथ जी सिर्फ पत्थर बौणिक  कुकर्म देख सकद छा अर कुछ कौर नि सकद छा।  अबौ समौ पर बि मंत्री असल मा एक मूकदर्शी हूंद अर चलदी तो प्रशासनिक अधिकार्युं  की ही च।
 घ्याळ दाक प्राइवेट सेक्रेटरी माणावाल जी अर चीफ एज्युकेशन सेक्रेटरी रावत जी , एज्युकेशन सेक्रेटरी कौशिक जी , परमानेन्ट अंडर सेक्रेटरी चड्ढा जी अर डेप्युटी सेक्रेटरी सबि राज्य चीफ सेक्रेटरी द्वारा बुलाईं मीटिंग मा जयां छया।
यदि सेक्रेटरी नि ह्वावन तो मंत्री बैशाखियुं बगैर डूंड मनिख ह्वे जांद।  सेक्रटरी नि ह्वावन तो मिनिस्टर लकवा मार्युं मनुष्य जन ह्वे जांद।
घ्याळ दा अपण ऑफिस मा बैठ्याँ छा अर मेज मा एज्युकेशन मिनिस्टर की कार्य दैनंदनी याने डायरी पड़ीं छे। यद्यपि डायरी एज्युकेशन मिनिस्टर की च पण डायरी भरणो काम मंत्री जीक प्राइवेट सेक्रटरी करद। या डायरी  हर समय माणावाल जीक  रौंद। जल्दी बाजी मा आज माणावाल जी यीं डायरी मिनिस्टर साब की मेज मा छोड़ी चलि गेन।
घ्याळ दा मा करणो कुछ नि छौ त डायरी दिखण लगी गेन।  अगला एक साल तक का वास्ता मंत्री जीक हरेक  दिन का अप्वाइंटमेंट छौ।
डायरी दिखद दिखद घ्याळ दा तैं एक कागज मील डायरी पर चिपकायुं छौ। लेटर हेड  इन्डियन ऐडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस ऐसोसिएसन लखनऊ कु छौ।  अर शीर्षक छौ प्रशासनिक अधिकार्युं वास्ता अमर नियम।  तारीख 22 दिसंबर 1997।  .
प्रशासनिक अधिकार्युं वास्ता अमर नियम इन छा -
१- मंत्री आंद छन जांद छन।  औसतन एक मंत्री विभाग मा अठारा मैना कुण ही रौंद।
२- प्रशासनिक अधिकार्युं मुख्य जुम्मेदारी च कि मंत्री लोग विभाग का बजट अपण मर्जी से खर्च नि कारन।  मतबल प्रशासनिक अधिकारीक कर्तव्य च कि मंत्री तैं खर्च करण से रुकण।  इखमा मंत्री तैं मानसिक परेशानी हूणी ह्वावो तो हूण द्यावो।
३- मंत्री  तैं हर समय, प्रत्येक पल  मानशिक परेसानी मा रौण चयेंद ; आतंकित रौण चयेंद, मंत्री का आस पास -हर बगत  अफरा तफरी को माहौल  हूण  चयेंद।  राजनीतिज्ञ पैनिक अवस्था पसंद करदन ।  राजनीतिज्ञ अफरा तफरा से प्यार करदन। राजनीतिज्ञ हर समय क्रियाशील रौण चांदु। आतंकित अवस्था या अफरा तफरी की  स्थिति याने पैनिक सिचुएसन  से रणजीतिग्य क्रियाशील रौंद।  राजनीतिज्ञ इन क्रियाशीलता तैं अपण सफलता समजद।
 ४-जब भी क्वी मंत्री कुछ भी चाहे सही बात बि ब्वालो  तो भी प्रशासनिक अधिकारी तैं पैल ना बुलण चयेंद।  मंत्री की जायज मांग  पर भी बहस करण चयेंद। . आखिर विधायक  क्वी जनता का चुन्यूं प्रतिनिधि छैंइ नी च। वै तैं त राजनीतिक दल चयन करद याने मनोनीत करद अर जनता राजनीतिक दलों द्वारा मनोनीत सदस्यों मादे कै एक कु चयन करद।
५- कै बि विधान सभा मा सौ विधायकों मादे कम से कम पचास सरकारी दल का हूँदन। यूं पचास मादे पंद्रा विधायक इथगा बुड्या अर मुर्ख हूंदन कि अपण गां क्या अपण परिवार मा बि मुखिया पद लैक नि रै जांदन। पचास विधयकों मादे पंद्रा विधयाक जवान अर अनुभवहीन हूंदन।  पांचेक  विधायक त इन हूँदन जौं तैं खौड़ सुरणै बि तमीज नि हूंद।  बस पचास विधयकों मादे दस या बारा ही मंत्री बणन लैक हूँदन।  पण राजनीतिक दलों मा चुनाव जितणो ध्येय का कारण क्वी बि मंत्री बौण जांद।
६- याने मंत्री बणणो बान क्वी प्रोपर सेलेक्सन प्रोसेस अर प्रशिक्षण नि हूंद।  प्रजातांत्रिक व्यवस्था मा क्वी  बि मोळ माटौ मादेव मंत्री बणी जांद।
७- - याने कि मंत्री बणणो चुनाव प्रक्रिया ही गलत च तो हम प्रशासनिक अधिकार्युं प्रमुख कर्तव्य च कि इन लियाकत हीन मंत्र्युं से सही निर्णय लिवावां याने निर्णय हमारो हो अर ठप्पा योगयताहीन मंत्री को हो। राजा महानंद ह्वावो या चन्द्रगुप्त मौर्य ह्वावो निर्णय तो प्रधान आमात्य  राक्षस या महा आमात्य चाणक्य को ही हूण चयेंद।
 शिक्षा मंत्री घ्याळ दा प्रशासनिक अधिकार्युं वास्ता अमर नियम पौढिक आश्चर्य चकित ह्वे गेन कि आम लोग तो सुचदन कि मंत्री काम करदन जब कि काम क्वी हौरी करदन। 




   Copyright@ Bhishma Kukreti  13 /1/2014


[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 
                   

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
                           जनता दरबार मा मुख्यमंत्री डाळ मा

                            चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

                   राजनीति अर मार्केटिंग इकसनि सि हूंदन।  किलैकि राजनीति बि पॉलिटिकल मार्केटिंग ही च। राजनीति मा  मार्केटिंग मा कुछ करण उथगा महत्वपूर्ण नि होंद जथगा कि लोगुं तैं दिखेण कि क्या होणु च।  राजनीति अर मार्केटिंग मा काम दिखेण बड़ी बात च अर हूण नि हूण उथगा महत्वपूर्ण नी  च। ये तैं मार्केटिंग मा न्यूज बणन बुले जांद।  विज्ञापन जथगा जादा न्यूज बणो उथगा ही विज्ञापन सफल माने जांद।  राजनीति मा बि न्यूज बणन जादा महत्वपूर्ण च।
                      एक दैं लालू प्रसाद की हरेक बात न्यूज बणी जांद छे।  लालू यादव आज एक हरिजन बच्चा का बाळ काटणा छन अर गांऊं मा  साफ़ सफाई आंदोलन चलाणा छन , लालू यादव छट पूजा कन करणा छन आदि हिंदी लैंड का वास्ता राष्ट्रीय न्यूज हूंदी छे। टीवी चैनेल इक तलक दिखांद छा कि लालू यादव माछुं तैं कै तरां से चारा दींदन।
     कुछ दिन पैल नरेंद्र मोदी का विषय समाचार आकर्षण छौ अचकाल आम आदमी पार्टी की न्यूज पत्रकारुं चेहता समाचार विषय  च ।
 केजरीवाल ऐंड कम्पनी न ब्वाल बल हम इनक्लूजिव पॉलिटिक्स मा विश्वास करदवां याने जनता फस्ट अर जनता का वास्ता काम बाद मा ।अर केजरीवाल की पार्टी क्या करणी च वो महत्वपूर्ण नी च महत्वपूर्ण च कि संवाददाता अर लोग सुचणा छन कि जनता दरबार आम आदमी पार्टी न ख्वाज, जन बुल्यां जनता दरबार की इजाद केजरीवालन करी हो ।
इनी मार्केटिंग मा कथगा दै ह्वे।  भौत साल पैल गोदरेज न विज्ञापन दे कि हमर फ्रिज मा पफ नामक एक वस्तु च जो फ्रिज मा ठंडी लांद। गोदरेजन पफ कु इथगा विज्ञापन कार कि ग्राहक दुकानदारों से पुछद छा कि हौर फ्रिज याने केल्विनेटर अर ऑलविन, वोल्टाज  या जेनिथ मा पफ छह कि ना ? दुकानदार ग्राहकुं  तैं दिखांद दिखांद , समजान्द समजान्द थकी जांद छौ कि पफ सब्युं मा च पण ग्राहकुं तैं भरवस नि हूंद छौ कि केल्विनेटर अर ऑलविन या जेनिथ फ्रिजुं मा बि  पफ हूंद। पफ विज्ञापन का चक्कर मा गोदरेज की  विक्री केल्विनेटर फ्रिज से भौत अधिक बढ़ी गए।  अंत मा ऑल्विन फ्रिज तैं विज्ञापन करण पोड़ कि हमर फ्रिज मा पफ त तबी बिटेन च जब बिटेन ऑलविन कु जन्म ह्वे।  वोल्टाज तैं बि बताण पोड़ कि पफ माने इन्सुलेटर।  वास्तव मा पफ एक इन्सुलेटिंग  वस्तु कु नाम च जु रेफ्रिजिरेसन मा हर जगा लगद अर रेफ्रिजिरसन प्रक्रिया का वास्ता आवश्यक मटीरियल च।  पफ का बगैर इन्सुलेशन ह्वे इ नि सकद।  पण गोदरेजन इन विज्ञापन अर इथगा जोर से विज्ञापन कार कि लोगुं तैं लग कि गोदरेजन ही पफ की खोज कार अर पफ केवल गोदरेज फ्रिजुं मा ही लगाये जांद।  याने आप तैं न्यूज क्रिएट करण पड़द।
इनी तब माइक्रोवन नयो नयो अयाँ द्वी तीन साल ह्वे छौ।  केनस्टार अर BPL ही मुख्य माइक्रोवेवओवन ब्रैंड छा।  जब कोरियन ब्रैंड LG भारत मा माइक्रोवेव ओवन लेक आयी तो LGन जोरों से बिज्ञापन कार कि हमर माइक्रोवेव ओवन मा हेल्थ वेव च।  असल मा माइक्रोवेव ओवन मा खाणो पकाणो बान तेल या घी माध्यम की जरूरत ही नि पड़द तो वै हिसाब से LGन विज्ञापनो मा दावा कार कि ऊंक माइक्रोवेव ओवन मा हेल्थ वेव च। विज्ञापन इथगा प्रभावकारी छा कि केनस्टार का पुराणा ग्राहक बि केनस्टार वाळूं से पुछदा छा कि हमर माइक्रोवेव ओवन माँ बि हेल्थ वेव लगावो।  केनस्टार वाळ सब्युं तैं बतांद बतांद थक जांद छा कि दुनिया मा अलग से क्वी हेल्थ वेव नि हूंद पण ग्राहकूं तैं भरवस नि हूंद छौ कि अलग से हेल्थ वेव नि हूंद।
इनी हाल आज राजनीतिक पार्ट्यूं च।  केजरीवाल कम्पनी अर टीवी चैनेलुंन इन प्रचारित कार कि जन बुल्यां स्टिंग ओप्रेसन से भ्रस्टाचार्युं तैं पकडणो शुरुवात आम आदमी पार्टीन करी हो।  इन लगणु च जन बुल्यां शिकायत फोन लाइन आम पार्टी आदमी पार्टिन इजाद कार हो। भारत मा हरेक जिला मा भ्रस्टाचार निरोधक सेवा च जो आपक शिकायत से भ्रष्ट कर्मचारी तैं पकड़नो बान जाळ बिछन्दी।
इनी मुख्य मंत्री को जनता दरबार बि च।  सबसे प्रभावशाली जनता दरबार नरेंद्र मोदी को माने जांद जो तकनीकी अर प्रशाशनिक मामला मा अत्याधिक सफल जनता दरबार च।  नरेंद्र मोदी क जनता दरबार 2003 से चलणु च। भारत का अधिकतर मुख्यमंत्री जनता दरबार लगांदन।  मुख्यमंत्री या क्वी बि नेता दरबार अपण फायदा बान बि लगांद कि जांसे वु जनता कि नब्ज बि टटोळना रावन।  इंदिरा गांधी जनता दरबार लगांदी छे और त छ्वाड़ो उत्तराखंड का आयातित मुख्यमंत्री बि जनता दरबार लगांदन।
लेकिन केजरीवाल ऐंड कम्पनी   तैं जनसम्पर्क विधि का मामला मा  सौ मादे द्वी सौ अंक मिलण चएंदन अर मीडिया तैं जु न्यूज नी च वै तैं ब्रेकिंग न्यूज बणै दीन्दन वै मीडिया तैं सौ मादे माइनस सौ नंबर मिलण चएंदन।
अब त पुराणा मुख्यमंत्र्युं तैं जनता दरबार इन लगाण पोड़ल कि मुख्यमंत्री डाळ मा ह्वावो अर जनता तौळ जांसे या न्यूज ब्रेकिंग न्यूज बणी जावो।  पुराणा मुख्यमंत्र्युं तैं अब इन टुटब्याग खुज्याण पोड़ल कि जनता दरबार जनता का वास्ता ना अपितु टीवी चैनेलुं टीआरपी बढ़ाणो बान ब्रेकिंग न्यूज बणी जावो। 



Copyright@ Bhishma Kukreti  14 /1/2014

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
                           पटवार्युं कुछ किस्सा

                          चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

                  पटवार्युं बाराम जख जावो तख कुछ ना कुछ किस्सा मीलि जाला ।  आज बि पटवारी हमर समाजौ  कुण  आवश्यक अर महत्वपूर्ण बीमारी च।  सयेद बि नी च अर फिकेंद बि नी च। समाज पटवारी तैं भ्याळ जोग करण चांद अर सरकार चांदी बल बजट ह्वावो तो हरेक गां मा एक पटवारी चौकी खुले जावो।
                        पुरण जमानो ना म्यार जमानो मा बि पटवारी चपड़ासी कु रुतबा डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर  से जादा छौ।  नाक से अधिक महत्व नाक का बाळ होंदन ।
              चपड़सी जी क लाठ  छुम छुम आवाज करदो छौ।  लाठ पर बंध्यां जौं घुंघरू आवाज से नचणा ज्यु बुल्याण चैंद छौ वु घुँघर लोगुं तैं डरांदा छा।
लोग बुल्दा बि छा हमर गां मा ज्यूंरा भेजि देन पण पटवारी जीक चपड़ासी जी तैं नि भेजिन।  ज्यूंरा त एक मनिख उठैक लिजालो पण पटवारी चपड़ासी खेत -पुंगड़ अर इज्ज्त ली जांदो छौ।  पटवारी चपड़ासी की भली सूरत बि डरांदी छे।  सुल्तानु डाकू से लोग इथगा नि डरदा छा जथगा पटवारी क चपड़ासी से डरदा छा।
               एक दैं बल हमर गां मा पटवारी जीक चपड़ासी हर हफ्ता भामा दाजिक इक  आणु राइ।  ना तो पटवारी जीक चपड़ासी जीन बवाल ना ही भामा दाजिन ब्वाल कि पटवारी जीक चपड़ासी जी बार बार किलै आणा छन। गां वाळ परेशान छा।  परेशानी बात ही छे।  कैक इक यमराज आवु अर कैक जान नि लीजावो इन ह्वैइ नि सकद ऊनि कैक इक पटवारी जीक चपड़ासी जी इथगा दिन आवन अर कूड़ी पुंगड़ी नीलाम नि ह्वावो इन नि ह्वे सकुद छौ। लोगुंक  समज मा नि आणु छौ कि भामा दाजीक क्वा पुंगड़ी नीलाम होलि धौं । खैर  जौंक टक्क भामा दाजीक स्यारुं पर छे ऊन पटवारी चौकी जाण शुरू कार पर तबी बि पता नि चौल कि भामा दाजीक क्वा पुंगड़ी नीलाम हूणी च।  आखिरैं जब पता चौल कि भामा दाजीक पुंगड़ी नीलाम नि हूणि च त सरा गां वाळ निरसे गेन।  करुण रस का  रसिया बि दुखी ह्वेन अर इर्स्या  से पैदा हुयुं रस का जळतमार रसिया बि निरसे गेन कि भामा दाजिक पुंगड़ी नीलाम नि होणि च।  असल मा पटवारी जीक चपड़ासी जीक डूंडो स्याळ छौ अर भामा दाजिक बबराट से भरपूर स्याळि छे।  भामा दाजिक ससुर जी बेटिक हजार रुपया मांगणा छा अर चपड़ासी जीक ससुर जी पांच सौ रुपया से अळग एक धेला  बि दीणो तयार नि छा।  अर चपड़ासी जी निगोसिएशन का वास्ता भामा दाजिक ड्यार आंद छा।  अंत मा इथगा निगोसिएशन का बाद भामा दाजिक कामगति स्याळि क कीमत सात सौ रुपया फिक्स ह्वे अर पटवारी जीक चपड़ासी भामा दाजिक साडो भाइ बणी गेन।  गां वाळ खुस ह्वे गेन कि अब पटवारी जीक चपड़ासी हमर बि रिस्तेदार ह्वे गेन।  पण गां वाळु कुण  या खुसी जादा दिन नि रै।  अब भामा दाजी कै तैं बि चपड़ासी जीक नाम से डराइ दींद छा।  जब तलक पटवारी जीक चपड़ासी नौकरी पर रैन भामा दाजिक बि अडगैं (क्षेत्र ) मा रौब रैन।  तब बुले जांद छौ कि राजा का कुत्ता का साडो भाइ हूण बि बड़ी बात हूंद।
     अजकाल बुले जांद कि पुलिस वाळ अपण टारगेट पूर करणो बान गुनाहगारों तैं त नि पकडदी पर बेगुनाहों तैं पकडदी।  या बात ब्रिटिश काल मा पटवार्युं पर बि लागु हूँद छौ।  स्वतंत्रता आंदोलन का बगत मथिन बिटेन पटवार्युं कुण अंग्रेज साबुं ऑर्डर आंद छौ कि ये मैना इथगा कॉंग्रेसी पकड़ण जरुरी च तो पटवारी लोग कै तैं बि कॉंग्रेसी बतैक पकड़ लींद छा।  वै बगत बि पहाड़ का कॉंग्रेसी शहरूं मा आंदोलन करदा छा जन कि उत्तराखंड क्रांति दल या परिवर्तन पार्टी ग्रामीण कृषि विकास का आंदोलन देहरादून का घंटा घर का तौळ चलांदन।  हमर क्षेत्र मा पटवारी जी तैं खुज्याण से बि कॉंग्रेसी नि मिलेन त पटवारी जीन दसेक इन लोग पकडिन जु हौळ लगाणा छया अर सब तैं पौड़ी लीगेन।  यूं हळयों पर ब्रिटिश सरकार का विरुद्ध साहित्य बँटणो , कुप्रचारो अभियोग लगायुं छौ।  पौड़ी मा  मजिस्ट्रेट साबन कैदियों तैं पूछ कि तुम ब्रिटिश राज का विरुद्ध छवां तो तब सबि  कैदियूं तैं पता चौल कि गुरख्याणि ख़तम ह्वे गे।
          अबि हमर छ्वाड़ एक घटना ह्वे गे एक पटवारी शिल्पकार छा।  असलम पटवारी या पुलिसमैन की जात नियुक्ति का बगत ही हूंद बाकि तो पटवारी या पुलिस की जात नि हूंद।  हां त एक आदिमन चिरडेक पटवारी चौकी म ऐक पटवारी तैं गाळि देदेन।  पटवारी वै आदिम तैं लेक लैंसडाउन ली गे  अर वैपर जातिगत   शब्दों गाळि दीणो अभियोग मा बंद करै दे।  मजिस्ट्रेट का समिण पता चौल कि अभियुक्त बि शिल्पकार छौ।  राज कैक बि ह्वावो पटवारी अर पुलिस कु काम बेग़ुनाहूं तैं पकड़नो बि च।


***  भोळ कुछ हौर किस्सा



Copyright@ Bhishma Kukreti  23  /1/2014

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 



Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
              दुसरौ  मुन्नि बदनाम नि कारो , तुमर घौरम बि मुन्नि बैठीं   च

                          चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

               अचकाल राजनीतिज्ञों मा टीवी समिण दुसरौ मुन्नि (नीयत या राजनैतिक , सरकारी कार्य ) तैं बदनाम करणो रोग बिंडी लग गे।  अपण पूठक  गुवक थड़का त दिखद नि छन दुसरो मुख पर लग्युं सुक्युं माटु  पर बड़ो हो हल्ला करणा रौंदन।
           अब द्याखो ना ! राजनीति तैं बदलणो बान हाई स्टैण्डर्ड की बात करण वाळ आम आदमी पार्टी बि ऊनि करतब करण बिस्याणि च जन सबि राजनैतिक पार्टी करदा छा। ठीक च दिल्ली का न्याय मंत्री सोमनाथ भारतीन क्वी इथगा बड़ो सामजिक गुनाह नि कार पण संवैधानिक गुनाह तो उंसे ह्वैइ गे कि ना ? तो हाइ स्टैंडर्ड का हिसाब से आम आदमी  पार्टी तैं कुछ तो करण ही पोडल कि ना ? दूसरौ मुन्नी तैं बदनाम त आप पार्टी बि करणि च अर अपण घौरम बैठी अपण मुन्नी तैं नि दिखणा छंन।
        एक बेवकूफी करण वाळ पार्टी च भाजापा ज्वा आम आदमी  पार्टी की मुन्नी ( राजनैतिक कार्य ) तैं बदनाम करणो बान धरना आदि करणी च।  अब मेरी समज मा आइ कि दिल्ली वाळुन भाजापा पर झाडु किलै लगाइ।  दिल्ली की भाजापा लोगुं नबज पछ्याणनम नाकाब पार्टी च। एबगत आम आदमी पार्टी की आग जळणी  च अर तुम धरना देकि वीं आग मा धरना रूपी घी ना पेट्रोल डळणा छंवां ? मि त मुंबई मा बैठिक बि बताइ सकदु कि यद्यपि सोमनाथ भारती  संवैधानिक हिसाब से दोषी ह्वे सकदन किन्तु जनता की नजरों मा सोमनाथ भारती  रॉबिनहुड छन.   अर इन मा भाजापा वाळ सोमनाथ भारती का विरोध करणा छन तो अपणो ही नुकसान करणा छन।  कबि कबि विरोध नि करण भौत बड़ो विरोध हूंद।  आम आदमी पार्टी तो चांदी च कि भाजपा विरोध कार अर आम आदमी पार्टी की घर बैठ पब्लिसिटी ह्वावो।
            अर भाजपा की राज्य सरकारों  , नगर निगमों , पंचायतों मा सैकड़ों सोमनाथ बैठ्या छन फिर इन माँ सोमनाथ का विरोध कौरिक क्या मीलल ? अपण घौरम बदनाम मुन्नी बैठीं च अर दूसरौ मुन्नी तैं बदनाम करण कखक न्याय निसाब  च भै ?
          कॉंग्रेस तो बिदूषक जन नाटक करणी च।  खुद मुन्नियों जन्मदात्री ह्वैक दुसरौं मुन्नियों तैं बदनाम करण केवल एक विदूषक ही कौर सकुद।
                दूसरौ मुन्नी तैं बदनाम करण पर याद आयि कि जब 1977 मा जनता दल की सरकार आयि तो कुछ नेता इंदिरा गांधी की बात ही नि करदा छा।  किन्तु कुछ चरण सिंग जन नेता इंदिरा गांधी पैथर लत्था लेक पड़ी गेन अर यूँ नेताओंन इंदिरा गांधी तैं जेल मा बंद करी दे।  रातों रात इंदिरा गांधी का इमेरजेंसी पाप धुली  गेन अर इंदिरा गांधी को पुनर्जन्म ह्वे गे।  वा वैदिन से दुबर रानी बौण गे।  कबि कबि कैक अत्याधिक विरोध बि नुकसानदेय हूंद।  असल मा इंदिरा गांधी क बात नि करण ही मा जनता दल को फायदा छौ किन्तु जब राजनीतिज्ञ जनता की नबज पछ्याणनम गलती करदन तो इंदिरा गांधी जन विरोधी तैं ऑक्सीजन दीन्दन। ये मामला मा इंदिरा गांधी होसियार छे।  दुबर सरकार मा आणो बाद इंदिरा गांधीन जनता सरकार की बात ही नि कार अर यांसे जनता दल इरेलिवेंट साबित ह्वै गे।
     आज नरेंद्र मोदी की प्रसिद्धि, जन झुकाव, लोकप्रियता  का पैथर भाजापा कु हाथ एक रति भर बि नी  च।  सन 2002 से लेक आज सुबेर तलक क्वी दिन इन नि गे होलु जैदिन कै राष्ट्रीय नेतान नरेंद्र मोदी की काट नि कौर होलि।  अर राष्ट्रीय स्तर पर रोज नरेंद्र मोदी की आलोचनान  नरेंद्र मोदी तैं अंतराष्ट्रीय नेता बणै दे।  दुसरै मुन्नी तैं बदनाम करणो चक्कर मा दुसरै मुन्नी पॉपुलर बि ह्वे जांद , यु दिखणाइ तो नरेंद्र मोदीक पॉपुलरिटी ग्राफ देखि ल्यावो।
 इनी आम आदमी पार्टीक पॉपुलरिटी बि , लोकप्रियता बि च।  भाजापा अर कॉंग्रेस द्वारा आप पार्टी की अनावश्यक आलोचना से आम आदमी पार्टी तैं भौत फैदा ह्वे।
राजनीति मा दूसरौ मुन्नी तैं बदनाम करण जरुरी च पण इथगा बि बदनाम नि करण चयांद कि दूसरौ मुन्नी बदनाम हूणो जगा लोकप्रिय ही ह्वे जावो।  नरेंद्र मोदी अर आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता मा विरोधियों द्वारा आलोचना कु हाथ जादा च।
तो ध्यान दीण चयेंद  कि दुसरै मुन्नी तैं बदनाम करणो चक्कर मा  कखि  लोग तुमर मुन्नी तैं ही नि भूल जावन हाँ !





Copyright@ Bhishma Kukreti  25  /1/2014

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
           राहुल जी ! जनसम्पर्क से कुछ नि ह्वाइ त विज्ञापन जि क्या मुखड़ि लाल कारल ?

                                  भीष्म कुकरेती       



               अचकाल लोकसभा चुनावुं  कारण सब पर विज्ञापन कु  काल भैरव लग्युं च।  क्वी राजनीतिज्ञ अपण मुख पर रंगुड़ लपोड़ीक कैमरा समिण आणा छन , क्वी नेता चूना पोतिक फोटो खैंचाणा छन।  क्वी मुख्यमंत्री  उत्तरप्रदेश का लोगुं तैं बताणु च बल उत्तरप्रदेश मा ताजमहल च , क्वी विज्ञापन मा बुलणु च बल मि युवा छौं।  जैमा जथगा सरकारी पैसा छन वो उथगा जोरुं से बताणु च हम कै से कम नि छंवां।  बाकी चंदा का पैसा से विज्ञापनाहुति  दीणा छन।
  चुनाव मौसम आण से पैल एक मौसम आंद 'प्री इलेक्सन सीजन ' याने विज्ञापन मौसम।  अजकाल विज्ञापन बंगाल का काळु जादू ह्वे गेन अर सब राजनीतिज्ञ भूली गेन , बिसरी गेन कि  इण्डिया शाइनिंग  कन भद पिटी छे अर बिचारा लाल कृष्ण अडवाणी अबी तलक ' मिनिस्टर इन वेटिंग ' का वेटिंग रूम  मा वेट करणा छन।
                   खौंळेणे बात या च ज्वा राजनीतिक  छवि जनसम्पर्क से हासिल हूंदी वीं छवि पाणो बान पोलिटिकल पार्टी विज्ञापन का सहारा लीणा छन।  जनसम्पर्क छोड़िक विज्ञापन करण इन च जन फुल्टा भौरिक भात से पुटुक  नि भर्यायी  त फुल्टा चाटिक क्या होलु ?
इख तलक कि व्यापार मा बि विज्ञापन छवि बणाणो अंतिम हथियार माने जांद।
           अजकाल राहुल गांधी तैं युवा नेता घोषित करणो विज्ञापन टीवी चैनेलों मा अर आउट डोअर मीडिया मा जोर शोरुं से चलणा छन।  जु विज्ञापन का विद्वान या अनुभवी छन वू बतै सकदन कि यी विज्ञापन सबूत च क्वी ब्रैंड (कांग्रेस ) अंतिम लड़ाइ का हथियार लेक मैदान मा ऐ गे।  राजनीति मा इन विज्ञापन तबि आंदन जब मौत समणि ह्वावो।  क्वी बि कुमारी   मायावती से नि सिखणु च कि वा प्रेस से बि दूर रौंद पण फिर बि वा अपण वोटरोंकी  राणी च।  मायावती विज्ञापन का सहारा से ऐंच  नि आयी।  केजरीवाल विज्ञापन से इथगा कम समय मा इथगा प्रभावशाली नि बौण बल्कि जनसम्पर्कीय विधि से प्रभावशाली बौण ।
  राजनीतिक पार्टी वाळु तैं समजण चयेंद कि जख विज्ञापन पेन किलर जन थोड़ा देरा कुण कामयाब ह्वे सकद पण विज्ञापन पेन अव्वाइडर या पेन हीलर नी च। उख  जनसम्पर्क पेन अव्वाइडर अर पेन हीलर च।
 फिर विज्ञापनो मा विषय या हेडलाइन तैं जनसम्पर्कीय विषय बणये जांद।
  अचकाल एक विज्ञापन च नरेंद्र मोदी कु जु सरदार पटेल की मूर्ति का वास्ता खेती का लोखरौ  औजार की मांग करणु च।  कॉंग्रेस का नेताओं तैं पता नि चौल कि यी विज्ञपान जनसम्पर्कीय विषय खड़ो करद।  यु सरदार पटेल की मूर्ति कु विज्ञापन एक बहस शुरू करद जब कि राहुल गांधी कु विज्ञापन बहस बंद करदु। जनसम्पर्कीय  विज्ञापन से ब्रैंड का विषय मा लोग बात करदन अर विज्ञापनी विषय का विज्ञापन से लोग ब्रैंड का विषय मा बात करण बंद करी दीन्दन।
          जु विज्ञापन ब्रैंड का प्रति समाचार पैदा कारो तो वो विज्ञापन प्रभावशाली हूंद।  राहुल गांधी कु विज्ञपान वास्तव मा समाचार ही नी  च। इनी मुलायम कु शहजादा अखिलेश कु विज्ञापन च जु समाचार ही नि बणनु च तो इन विज्ञापन क्याक कामौक ?
विज्ञापन वास्तव मा विश्वास लैक नि होंदन या  विश्वास खतम करदन जब कि जनसम्पर्क या जनसम्पर्कीय आधारित विज्ञापन विश्वास या प्रतिष्ठा बढ़ान्द।
विज्ञापन कै बि ब्रैंड कु निर्वाह वाहन या रखरखाव (मेंटेन ) कु एक जरिया च. जनसम्पर्कीय विज्ञापन या जनसम्पर्क कु काम विश्वास अर प्रतिष्ठा बड़ांद तो राजनेतिक विज्ञापनो मा इन तत्व ह्वावन जो विश्वास का तरफ ढळक्यां ह्वावन।

 विज्ञापन हवा कु चलण च जब कि जनसम्पर्क सूर्य च।
विज्ञापन शब्दुं खेल मने जांद जब कि जनसम्पर्क एक दृश्य पैदा करद।
विज्ञापन रिखड़ा छन तो जनसम्पर्क एक खाका हूंद।
 विज्ञापन सब जगा पौंछद पण जनसम्पर्क काम का ही ग्राहकूं तक पौंछद अर जु बिंडी अटकदू वू खन्नु फटकदू।  विज्ञापन ध्यानविहीन हूंद  त ध्यानविहीन प्रभाव डाळदु जब कि जनसम्पर्क पट्ट उखि असर डाळदु  जख जरूरत च।
विज्ञापन बरखा च अर जनसम्पर्क कूल च।
विज्ञापन स्वमुखी या स्वचिंता मुखी हूंद जब कि जनसम्पर्क परमुखी या परचिंता मुखी हूंद।
विज्ञापन मर्युं याने उदासीन हूंद अर जनसम्पर्क जीवंत हूंद।
विज्ञापन मैंगू हूंद अर जनसम्पर्क सस्तु हूंद।
विज्ञापन नकल हूंद अर जनसम्पर्क मौलिक हूंद।
विज्ञापन अविश्वास पैदा करद जब कि जनसम्पर्क विश्वास पैदा करद।
विज्ञापन मजका हूंद अर जनसम्पर्क गम्भीर हूंद।
विज्ञापन मरम्मत कु काम करद जब कि जनसम्पर्क छवि निर्माण करद ।
विज्ञापन तैं  चौड़ बिसर जांदन जब कि जनसम्पर्क यादगार हूंद।
 
जनसंपर्क तैं विज्ञापन  जरूरत नि होंदी जब कि विज्ञापन तैं जनसम्पर्क की जरूरत हूंद। 
विज्ञपान उयाद नौनु च जब कि जनसम्पर्क कमाऊ नौनु च
जनसम्पर्क समाचार पैदा करद विज्ञापन समाचार खतम करद

Copyright@ Bhishma Kukreti  29 /1/2014

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 


Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
              भैरों ! मुख्यमंत्री पद पर मीन बि दावा ठोकि याल !

                        चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

घरवळि - इ राम दा ! तुम से त वी ठीक छौ जु अबि बी दावा ठुकणु रौंद।
मि - ह्याँ क्वा च वु जु ब्यावो चालीस  मकरैणी बरतणो बाद बि त्वै याद आणु च।
नौनु -अरे पापा वो नही हैँ देहरादून में दावाठोकु अंकल जिन्होंने पार साल घंटा घर पर दावा ठोक  दिया था कि कत्यूरी युग में यह जमीन हमारी थी तो घंटाघर भी हमारा है।
मि -वो जु हर साल कै ना कै बहाना से दावा ठोक द्यून्द।  परार वैन खुड़बुड़ा मुहल्ला  पर दावा ठ्वाक कि यीं जमीन तैं   मोरद दैं प्रद्युम्न शाहन म्यार पड़दादा तैं दे छौ।
नौनु - हाँ वही दावाठोकु अंकल !
मि - तो क्या ?
नौनु - ममी के  साथ उन्ही दावाठोकु अंकल की शादी की बात चली थी।
मि - फिर रुक किलै च ?
नौनु - बात चल ही रही थी कि दावाठोकु अंकल ने नाना जी के चौक पर दावा ठोक  दिया कि मुग़ल काल में यह जमीन उनके झड़दादा के पड़दादा के नाना के पास थी।
घरवळि -हां पर बिचारु अपण अधिकारुं चिंताकार त छ। एक तुम छंवां कि अयूं अवसर तैं बि नि पछ्याँणना छंवां !
मि - अवसर ? क्या अयुं च ?
घरवळि -सरा दुनिया तैं पता च कि विजय जिठा जीन मुख्यमंत्री कुर्सी छोड़ याल।
मि - अरे इखम क्यांक अवसर ?
घरवळि -किलै तुम मुख्यमंत्री दावा नि ठोक सकदवां क्या ?
मि - मि ?
घरवळि -हां ! वु जरा सोनिया जिठाण मा अर राहुल भतीजो मा रैबार त भ्याजो कि तुम बि लैन मा छंवां। ,
मि - अरे मि  महाराष्ट्र मा रौंद अर म्यार गढ़वाल से क्वी लीण दीण बि नि रै गे त मि कनकै उत्तराखंड कु मुख्यमंत्री बौण सकुद ?
घरवळि -कनो नित्यानंद स्वामी त हरियाणा कु छया कि ना ?
मि - हां पण उंक पढ़ै लिखै सब देहरादून मा ह्वे अर वू पक्का देहरादुन्या छा। जब कि मि पुरो मुम्बईकर छौं।
घरवळि -तो अपण भुवन चन्द्र खंडूड़ी ज्योर बि त पक्का नॉन उत्तराखंडी ह्वे गे छा फिर बि सांसद बणिन कि ना अर फिर मुख्यमंत्री बणिन कि ना ?
मि - ऊंक बात अलग च वो आर्मी मा छा तो  .......
घरवळि -तो क्या ? जु पक्का नॉन उत्तराखंडी बणणो बाद बि  सांसद बणये जै  सकदन अर मुख्यमंत्री बणये जै सकदन तो तुम किलै ना ?
मि - ह्यां खंडूड़ी जी बड़ा खानदान से तालुकात रखदन।  श्रीनगर गढ़वाल राजाका मंत्री खानदान का अलावा टिहरी रियासत का बड़ा ठेकेदार घना नंद खंडूरी परिवार से तालुकात रखदन भुवन खंडूड़ी जी।
घरवळि -त क्या ह्वाई जब ऊं  बिमुख प्रवासी तैं उत्तराखंड कु सांसद अर मुख्यमंत्री बणये जै सकदन तो तुम सरीखा प्रवासी बि मुख्यमंत्री बौण सकदन।
मि - ह्यां पण इथगा सालुं से म्यार त गढ़वाल त छोड़ो देहरादून बि जाण नि ह्वे तो मि कनकै उत्तराखंड कु मुख्यमंत्री ह्वे सकुद ?
घरवळि -त विजय बहुगुणा जिठा जी गढ़वाल आंद जांद छा क्या जु वूं तैं टिहरी क्षेत्र से सांसद कु टिकेट मील ?
मि - वूंक बात अलग छे।
घरवळि -क्या अलग छे ? जब वु इख मुंबई मा जज छा तो कै उत्तराखंडी तैं कबि मिलदा छा क्या ?
मि - अरे भै जज तैं हमेशा जाती -कुल -क्षेत्रवाद से दूर रौण पड़द।
घरवळि -हाँ चलो वीं बात तैं मि मानी लींदु पण या बात सै च कि विजय बहुगुणा तैं गढ़वाल का बारा मा इथगा ही जानकारी छे जथगा हमर नौनु तैं।  फिर बि वूं जिठा जी तैं टिहरी क्षेत्र से सांसद कु टिकेट मील च कि ना ? फिर तुम मुख्यमंत्री किलै नि बौण सकदां ?
मि - ह्यां विजय भैजी हेमवती नंदन जीक नौनु छन तो पिता का नाम कु कुछ ना कुछ फायदा मिलण ही चयांद कि ना ?
घरवळि -हाँ जन जै तैं टिहरी की स्पेलिंग बि नि पता वै साकेत बहुगुणा तैं बि सांसद कु टिकेट मील च कि ना ? फिर तुमर त जनम , शिक्षा दीक्षा गढ़वाल मा ह्वे तो तुम बि सोनिया जिठाण अर राहुल भतीजो मा रैबार भ्याजो याने दावा ठोंक द्यावो कि तुम बि मुख्यमंत्री का रेस मा छंवां।
मि - ओहो मुख्यमंत्री कु चुनाव विधायक करदन ना कि सोनिया गांधी या राहुल गांधी।
घरवळि -सूणो तुम बि ना नेताओं तरां मि तैं बेवकूफ बणाणा छंवां कि मुख्यमंत्रीक चुनाव विधायक करदन।
मि - क्या मतबल ?
घरवळि -मतबल या च कि यदि कॉंग्रेसी विधायक ही मुख्यमंत्री का चुनाव करदा तो विजय बहुगुणा जेठ जी या महाराष्ट्र मा पृथ्वी राज चौहाण  ये जनम तो छ्वाड़ो सात जनम मा बि मुख्यमंत्री नि बौण सकद छा।
मि - बात त सै च।  पण ?
घरवळि -पण कुछ ना  तुम अब दिल्ली जावो अर कै बि तरां से राहुल गांधी का चमचों का चमचा बौण जावो
मि - अरे एक दिन मा यु काम कनकै होलु ?
घरवळि -मि आजौ कुण थुका बुलणु छौं।
मि - तो ?
घरवळि -अब जु बि कॉंग्रेसी उत्तराखंड कु मुख्यमंत्री बौणल वै तैं विधायकोंन चैन से त रौण नि दीण तो फिर साल भर मा मुख्यमंत्री पद खाली ह्वेइ जाल तो तुम फिर दौड़ मा शामिल ह्वै जैन।
मि - पण अबि क्या करण ?
घरवळि - अबि दिल्ली का अखबारूं मा समाचार फैलावा कि राहुल गांधी का खसम ख़ास  भीष्म कुकरेती बि मुख्यमंत्री की दौड़ मा शामिल च।

Copyright@ Bhishma Kukreti  1/2/2014

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 


Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
           हरीश रावत जी ! कथगा दिन रैल्या ? कतगौँ तैं कथगा खलैल्या ?

                      चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )


           चलो भलो ह्वाइ  उत्तराखंड बिटेन आयातित मुख्यमंत्री गेन अर  ख़ास कॉंग्रेसी फैक्ट्री मा ढळयां   देसी मुख्यमंत्री रावत जी ऐ गेन।  हमन त सोची आल छौ कि हरीश  रावत जीन सद्यनि चीफ मिनिस्टर इन वेटिंग ही रौण।
वधाई कि कॉंग्रेस हाई कमांडन आखिर एक सन ऑफ स्वाइल तैं मुख्यमंत्री बणै दे !
                   उत्तराखंड मा कबि बि सवाल यु नि पूछे जांद कि मुख्यमंत्री क्या कारल ? सवाल यु पूछे जांद कि यु मुख्यमंत्री कथगा दिन कुर्सी बचैक रै सकद।  उत्तराखंड कु मुख्यमंत्री को एक ही काम हूंद कि जादा से जादा अपण कुरसी बचैक राखो बाकी जख तलक उत्तराखंड का वास्ता कुछ विकास करणों सवाल च तो हमम बद्रीनाथ जी , केदारनाथ जी , बागेश्वर जी , जागेश्वर जी,  जन देव दिवता छन तो विकास ह्वैइ जालु   निथर चीन की डौर से ह्वैइ जाल।
         हरीश रावत मंत्री मंडल गठन ह्वै ग्यायी अर जु मंत्री बहुगुणा सरकार मा मंत्री छया वी जन्या का तन ही छन। याने बोतल पुराणी ,शराब बि पुराणी, ढक्कणी बि  पुराणी  अर केवल लेबल बदले गे।  पैल शराब कु लेबल छौ मिसऐडमिनिस्ट्रेड बाई विजय बहुगुणा अब होलु ऐडमिनिस्ट्रेड बाई हरीश रावत।
                 हरीश  रावत या उत्तराखंड का हरेक मुख्यमंत्री कु पैलो काम हूंद कि लॉ ऐंड ऑर्डर तैं स्थिर करण. जबकि लॉ ऐड  ऑर्डर का वास्ता हमम बद्रीनाथ जी , केदारनाथ जी , बागेश्वर जी , जागेश्वर जी,  गंगा -जमुना जन देव दिवता छैं इ छन फिर गोरिल -ग्विल्ल दिवता न्याय करणा ही रौंदन त उत्तराखंड का कै बि मुख्यमंत्री तैं जनता का वास्ता लॉ ऐड ऑर्डर की कभी भी चिंता नि राइ बल्कि ऊँ तैं अपण पार्टी मा अपण विरुद्ध विरोधियों द्वारा मचायुं लॉलेसनेस अर ऑर्डरलेसनेस की चिंता सदा समिण राइ।  अर हरेश रावत जीक समिण बि हमेशा कॉंग्रेस कु अंदर घमासान की लड़ाई तैं थमथ्याणो प्राथमिकता ही रौण।  जन कि विजय बहुगुणा सदा ही त्रस्त रैन कि कुज्याण कब हरीश रावत का अग्नि बाण चौलल , कुज्याण कब हड़क सिंह जीक तीर चौलल, कुज्याण कब इंदिरा हृदियेश कु जादू चलल , कुज्याण कब  सतपाल महाराज का नारायण बाण चौलल अर कब हाई कमांड कु न्यूक्लियर बम चौलल धौं। जब तक हरीश रावत उत्तराखंड का मुख्यमंत्री राल तब तलक उंकी प्राथमिकता पार्टी का भीतर बबंडर तैं थमण रालो ना कि उत्तराखंड जु कबि अपराध मुक्त क्षेत्र छौ अर अब अपराराध्युं बणी गे।
               ममता बनर्जी तैं हमेशा लेफ्ट पार्टी कु भय रौंद ,  जय ललिता तैं करुणानिधि कि डौर , अखिलेश यादव तैं मायावती कु भय ,  प्रकाश सिंग बादल  तैं अमरिंदर सिंग से डौर लगणु रौंद।  पण हरीश रावत जी भागयशाली मुख्यमंत्री छन कि यूँ तैं भारतीय जनता पार्टी कु विरोध नि झेलण पोडण बस कॉंग्रेसी नेताओं कु विरोध ही झेलण। हरीश जी क समिण उत्तराखंड मा  नाकाबिल विरोधी पार्टी च तो भारतीय जनता पार्टी का  विरोध कु सवाल ही नि हूंद।
   उत्तराखंड कु मुख्यमंत्री समिण पहाड़ अर पहाड़ीयूं कि समस्या नि रालि किलैकि पहाड़ी जनमजात सहनशील जात च अर पहाड़ी से पहाड़ मा कुछ नि होंद तो उ दिल्ली -मुम्बई सरक जांद पण अपण मुख्यमंत्री कुण  समस्या खडु नि करद  तो हरीश रावत का समिण पहाड़ विकास समस्या कबि बि नि राली।
                हरीश रावत जीक समिण बड़ी समस्या राली कि भूतपूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा जु बि योजना - प्रायोजना घोषित करीं छन वू तैं कनकौरिक बंद करे जावु अर अपण नाम कमाणो बान कथगा हजार नई रावत ब्रैंडेड योजना घोसित करे जावो।  उत्तराखण्ड मा रिवाज बणी गे कि पुरण योजनाओं तैं ठंडा  बस्तों माँ बंद करण अर रोज नई नई अपण नाम से योजना लाण।
मीन ब्याळी गां मा फोन पर कथगा ही लोगुं से बात कार तो हरेक ससंकित छौ कि क्या फलण योजना त बंद नि ह्वे जाली ? गाँव वाळु बुलण छौ बल नारयण दत्त तिवाड़ीन जु योजना चलैन वू खंडूड़ी , निशंकन बंद करीन , निशंकन जु योजना बणैन वू खंडूड़ी अर बहुगुणान बंद करीन त अब हरिस रावत कु एकी प्रमुख काम रालु जौं जौं योजनाओं तैं तिवाड़ी , खंडूड़ी , निशंकन , बहुगुणान शुरू कार वूं तैं बंद कराण।  उत्तराखंड का मुख्यमंत्रीक एकी काम हूंद योजनाओं मा कंटीन्यूटी खतम करण। 
            हरीश रावत कु सबसे बड़ो काम ब्वालो या समस्या ब्वालो वू या च कि कै कै कॉंग्रेसी तैं लाल बत्ती अर राज्य मंत्री कु दर्जा दिए जावो।  जांद जांद बहुगुणा त थोक का भाव पर लाल बत्ती बांटीक चली गेन अब हरीश रावत जी पता नि कखन हौर संस्थान लाला अर लाल बत्ती बाँटल धौं ?
 हरीश रावत जी कु काम बस यु ही राल कि दिखणा रावन कि बगैर नाम गंदो हुयां कॉंग्रेसी, सामजिक कार्यकर्ता अर प्रशासनिक अधिकारी कथगा खाला। 
उन देहरादून तो उत्तराखंड की द्वितीय राजधानी  च उत्तराखंड की असली राजधानी त  दिल्ली च।  तो हम तैं दिखण पोड़ल कि रावत जी तैं द्वितीय राजधानी का दौरा करणों समय मिल्दो च कि ना ?






Copyright@ Bhishma Kukreti  2/2/2014

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
            नेतास्य  भाग्यम, इलेक्सन रिजल्टम गौड बि न जानति , कुतो राजनीतिज्ञम !

                                     चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

घरवळि - तुम से भलो त वी ठीक छौ जु  नयो फ्रंट बणान्द छौ
मि -  यु सौभागयशाली  कु च भै ?
घरवळि - कबि ध्यान दींदा त पता चल जांद कि उ को च।
मि -  कुज्याण क्या बुलणि छे धौं.
नौनु - पापा वो नही हैं देहरादून  में विवेक खंडूरी के मुहल्ले में जो   साल नई संस्था खड़ी करते है और  समाचार पत्रों में खबर छपवा  देते हैं कि  प्रवासी गढ़वालियों की एकता के लिए नई संस्था बन गयी है।
मि - हाँ हाँ ! जो प्रवासी गढ़वाली एकता का बिगुल  बजाता रहता है और बिगुल की जगह बांसुरी साथ में रखता है। पण वैसे म्यार क्या लीण दीण ?
घरवळि - वू बिचारु नौकरी करदो करदो बि साल भर मा एक नई एकता संस्था खोली दींदु छौ।
मि -  तो ?
घरवळि -तो क्या ! अजकाल तुम घौरम खाली बि बैठ्या छंवां त कुछ त कारो।
मि -अब क्या करण ?
घरवळि -एकाद पोलिटिकल फ्रंट ही खोली द्यावदी।
मि -  कन एकाद फ्रंट ही खोली ल्यावदी ?
घरवळि -जन मुलायम सिंगन फ्रंट ख्वाल , जन देवी गौड़ा अर नितीश कुमारन ख्वाल अर जयललिता अर कम्युनिस्ट पार्टिन अलग  फ्रंट ख्वाल।
मि -  ह्यां पण वु लोग प्रधान मंत्री बणन चाणा छन तो फ्रंट खुलणा छन। 
घरवळि -त तुम किलै ना प्रधान मंत्रीक दौड़ मा शामिल ह्वे जांदा ?
मि -  प्रधान मंत्रीक दौड़ मा शामिल ह्वे जांदा ?
घरवळि -हाँ
मि -  प्रधान मंत्री पद पाण क्वी खाणै चीज च ?
घरवळि -खाणै चीज नी  च पण पाणै चीज त छैं च.
मि -  अरे पर प्रधान मंत्री पद का वास्ता कुछ योगयता बि त हूण चयेंद।
घरवळि -जन कि ?
मि -  जन कि अपण नीतेश  जी छन जो ये ब्रह्मांड  का सबसे बड़ा सेक्युलर नेता छन। तो ऊंको हक प्रधान मंत्री पद पर स्वत: ही बणद।
घरवळि -क्यांक सेक्युलर छन ? ता जिंदगी भाजापा की खुकलिउंद सत्ता की खीर घुळणा रैन अर बुड्यांद दैं याद आयी बल भाजापा त नॉन सेल्युलर पार्टी च। 
मि -  मायावती बैणि त सेक्युलर च कि ना तबि त भाजापा तैं सत्ता से दूर करणो बान कॉंग्रेस तैं समर्थन दींदी।
घरवळि -हां भाजापा का पिनस पर बैठिक ज्वा मुख्यमंत्री भवन जावु वीं तैं बि पैथरां याद आंद बल भाजापा त राजनैतिक अछूतण  च अर अछूतण तैं सत्ता का करीब नि आण दिए चयेंद।
मि -  अपण जय ललिता बि  त महान सेक्युलर च।  तबि त वा बि एक फ्रंट बणाणि च।
घरवळि -अच्छा ! अर जब जरुरत पड़दि त भाजापा का ड्यार स्वाळ -पक्वड़ खैक ऐ जांदी अर अब सेक्युलर कु चदरु ढिकांण लीणि च। 
मि -  नै नै !  कम्युनिस्ट पार्टिन जय ललिता तैं सेक्युलर पार्टीक सर्टिफिकेट दियाल।
घरवळि -किलै ना ! अब कम्युनिस्टों मा एकी काम त रयुं च पार्ट्यूं तैं सेक्युलर अर नॉन सेक्युलरौ  सर्टिफिकेट बँटणो , जन केजरीवालम इमानदारिक सर्टिफिकेट बंटणो काम च।
मि -  अर अपण मुलयम सिंग जी बि सेक्युलर छन तो स्वमेव प्रधान मंत्री लैक छन।
घरवळि -हाँ वु त मुजफरनगर का दंगा साबित करदन कि मुलायम सिंग कथगा बड़ो सेक्युलर छन।
मि -  त्यार बुलणो अर्थ क्या च ?
घरवळि -द्याखो यूं सब पार्ट्यूंन प्रधान मंत्री पद कु मजाक बणै याल। यूंन प्रधान मंत्री पद तैं सेक्युलर -नॉन सेक्युलरौ  जाळ फँसाइ इ याल तो तुम बि प्रधान मंत्री की दौड़ मा शामिल ह्वे जावो।
मि -  मतबल ?
घरवळि -मतबल एक फिफ्थ -सिक्ष्त फ्रंट घोषित करी द्यावो अर  इलेक्सन रिजल्ट  की प्रतीक्षा कारो।
मि -  तीतैं उम्मीद च कि  …।
घरवळि -हाँ नेतास्य  भाग्यम , इलेक्सन रिजल्टम गौड बि न जानति , कुतो राजनीतिज्ञम !
मि -  ठीक च मि फिफ्थ फ्रंट की घोषणा कौरी दींदु अर ह्वे सकद च कि केजरीवाल जन भाग जगी जावन   …।


Copyright@ Bhishma Kukreti  3/2/2014

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
                                       जब पटवरी जी तैं पटवर्यूंन  जुत्याइ

                                   चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )


                    पटवरी जी ही  गाउँक ब्यवस्था  असली मालिक हूंद। सरा व्यवस्था पटवरी जीक बस्ता मा रौंद , इलै भू स्वामियों वास्ता पटवारी ही  असली मुख्यमंत्री अर परधानमंत्री च अर पटवरी जीक बस्ता ही संसद अर न्यायालय च।
           अबि कुछ दिन पैल कैन मि तैं कलाल घाटी कु किस्सा सुणाइ।  कलाल घाटी कोटद्वार का काखम च। भाभर भूखंड मा रिटायरमेंट पर जाण वाळ पटवरी तैं भिजे जांद कि अगर कमाण मा कुछ कमि  रै गे हो तो इख पूरी करी द्यावु अर रिटायरमेंट का दिन मजा से कटि जावन।   उख गलती से एक जवान  पटवारी जी आइगेन। बामण ह्वेक बि परम्परा तोडु छौ जब कि बामण परम्परा तबि तुड़दु जब वै तैं कुछ फायदा ह्वावु।  वै से पैलाक पटवारी चूंकि रिटायरमेंट का बगत कलालघाटी आंद छा तो क छुट से छुट   काम का वास्ता छै छै दैं पिठै लगवांद छा।  जन कि तुम तैं अपण जमीनो खसरा दिखण तो पटवारी चौकी मा  जांदो जांद पटवरी जी पर पैल कोरी पिठै लगाण पड़द।  कोरी पिठै नि लग़ त रिटायरमेंट का नजीक बैठ्याँ पटवरी जी तैं झाड़ा लग जांद अर पटवारी जी झाड़ा करणो कोटद्वार जिना  चलण शुरू करी दींद छौ। कोरी पिठै लग जावो तो पटवारी जी चौकी मा ही बैठ्या मिल जांदन।  फिर खसरा नि मिल्दो।  खसरा  (भू रिकॉर्ड ) खुज्याणो बान पटवारी जीपर पंद्यरि  लाल पिठै लगाण पोड़द।  खसरा मील बी जावो तो कब्जादारौ पेज खुज्याणो बान हल्दीक पिठै लगाण पोडद अर अंत मा कब्जादारौ  पेज दिखाणो बान चंदन लगाण पोडद।  हर स्टेप पर एक पिठै।  अर अब त मनरेगा कुनरेगा जन कथगा ही परेशानी ह्वे गेन तो पिठाइयो किसम बि बढ़ी गेन। अर हर स्टेप की पिठाई दगड़ चपड़ासी जीक कफन बि लगाण पोड़द।  एक त पटवारी जीक चपड़ासी नंदी बैल जन हूंद जै तैं छुयां बगैर शिवलिंग का दर्शन होइ नि सकदन।  गढ़वाल मा पिठै पटवारी जी तैं लगद।  चपड़ासी जी तैं पिठै बर्ज्य च।  चपड़ासी जीक कफन लगद।  असल मा यि शब्द बि  हमर सामाजिक ब्यव्स्था का इतिहास बथान्दन।  जब अंग्रेजोंन पटवारी चौकी  खुलेन त पैल पैल  पटवारी  बड़ी जातीक बामण बणिन जौं  तैं जादा संस्कृत आदि छे अर चपड़ासी छुट जातिक बामण।  जब क्वी मुर्दा फ़ुक्यावो या तिरैं बरिख ह्वावो तो बड़ा बामण याने गुरु तैं पिठै लगद पण दुसर छुट सहयोगी बामण तैं कटड़ दिए जांद अर मुगदान दिए जांद।  तो या सामजिक ब्यवस्था  पटवारी चौकी मा बि आयि अर पटवारी जी याने बड़ो बामण तैं त पिठै लगाये जांद अर चपड़ासी याने छुट जातिक बामण कु कफन लगाये जांद।  आज बि जब खांद पींद घौरौक मनिख तैं बीपीएल (गरीबी रेखा से तौळ ) कार्ड मिलद त पूछे जांद - "बीपीएल कार्ड बणाण मा पटवारी तैं कथगा पिठै लग अर चपड़ासीक कफन कथगा लग ?" या इन शब्द हुँदैन कि पटवारी जी तैं पिठै लगाणो बाद चपड़ासीक कफन अवश्य लगैन हाँ !
                 हाँ तो कलाल घाटी चौकी मा बड़ो शहर से पढ्युं लिख्युं बामण ( सर्टिफिकेट मा कम पढ्युं -लिख्युं ) आइ गे अर यु आधुनिक बामण परम्परा तोडू छौ।  जब कि बामणु कुण मनुस्मिृति मा नियम छन कि परम्परा निर्भाह करण चयेंद अर जब कुछ फायदा ह्वाओ तब ही परम्परा तोड़ण चयेंद जन कि अकबर बादशाह का दरबार मा बामण तैं नौकरी मील जावो तो बामणु द्वारा अकबर या औरंगजेव म्लेच्छ श्रेणी माँ नि गणे जांद छा अर नौकरी नि मील तो यी बादशाह म्लेच्छ ही माने  जांद छा।
 हाँ तो कलाल घाटी चौकी मा यु नै बामण जातिक पटवारी परम्परा तोडू छौ येन घूस लीण बंद नि कार पण पिठै लगवाण बंद करी दे।  क्वी बि काम ह्वावो तो सीधा रेट बतांदो छौ अर अपण कीसा कताड़ी दींद छौ।  कलाल घाटी का लोग बुल्दन बल इन इमानदार पटवारी सदियों माँ ही पैदा हूँदन।  पटवारी जी एक दैं फिक्स रेट कौरी  दींदु छौ अर फिर रेट का हिसाब से पूरो  काम करी दींद छौ।  अर एक दै रेट फिक्स तो समझो काम पूरो।  अब लोग पिठैक पुड़की लेक पटवारी चौकी नि आंद छा किलैकि आधुनिक बामण पटवारी सीधा घूस लींद छा अर पिठैक नाम से चिढ़दा छ।
           एक दिन एक आदिम खाली खसरा दिखणो आयी तो परम्परा तोडू पटवारीन खसरा दिखणो सौ रुपया की बाजिब मांग करी दे अर इखिमा चपड़ासी जीक बान कफन बि  शामिल छौ। वै आदिमन अपण कीसौन्दन सौ रुप्या गाड अर पटवारी जीक कताड्यूं कीसाउंद डाळी दे कि एक पुलिस वाळ आयि अर वैन पटवारी जी तैं सौ रुपया घूस लींद पकड़ दे।
 पटवारी जी तैं नजीकौ पुलिस चौकी लिजाये गे।  पुलिस चौकिक थाणेदारन किस्सा सूण अर थाणेदार बेहोस ह्वे गेन।  बेहोसी इथगा जोर की छे कि पाणी छींटा मारण से बि बेहोसी दूर नि ह्वे तो थाणेदार जी तैं एक पवा देसी दारु पिलाये गए तो ऊंक बेहोसी दूर ह्वे।  होस मा आंद ही थानेदारन पटवारी पर लात मार कि," साले तीन उत्तराखंड कु नाम गंदु करी दे।  ईं सूचना सुणिक मध्य प्रदेस या उत्तरप्रदेश का पटवारी क्या ब्वालल कि उत्तराखंड मा इथगा छुटि घूस लिए जांद?"
थाणेदारन न्याड़ ध्वारक पटवारी बुलैन तो लालढांग , कोटद्वार , देवी रोड , इख तलक कि दुगड्डा का पटवारी बि  पुलिस चौकी पौंछि गेन।  हरेक पटवारी आवो अर रस्ता मा पड्यू सुक्युं जुत  या चप्पल तैं पाणी मा भिगाओ अर पटवारी तैं जूते द्यावो।  जुत्यान्द जुत्यान्द हरेक पटवारी बुल्दु छौ -
"साले तूने घूस लेकर सारे उत्तराखंड का नाम गंदा कर  दिया।  उत्तराखंड देव भूमि है और यहाँ कोई घूस नही लेता है।  "
" अबै शरम नि आयि त्वै तैं सौ रुपया घूस लींद।  हमर बि रेट कम करवै देन तीन।  हमर चौकी मा त  चपडासिक कफन लगांणो रेट कम से कम द्वी सौ रुपया छन ।"
" अबै तेरो को किसने बोला था कि तू पिठाई /टीका लेना बंद कर। "
सौ रुपया की घूस छे तो एफआईआर लिखण बि बेज्जती छे।
इथगा मा गाँवाळ बि ऐ गेन अर वूंन पटवारी जीक पैरवी करण शुरू कौरि दे।
सबि गांवाळुन थानेदार अर अन्य पटवार्युं से विनती याने प्रार्थना कार कि पटवारी जी का विरुद्ध  एफआईआर दर्ज नि हूण चयेंद।
जन कि नियम च कि बामणों बुबा मोर या ब्वे मोर तो जजमानुं तैं ही तिरैं -बरखी खर्च उठाण पोड़द।  ऊनि पुलिस चौकी मा बि ह्वाइ।  पटवारी तैं छुडाणो बान गांवाळु तैं तीन खसि बुगठ्यों बलि चढ़ाण पोड अर बीस बोतल बिदेसी दारु से चौकी धूण पोड़।  पुलिस वाळु पाणि पिठै बि ह्वेइ ।
सब्युं समिण परम्परा तोडू पटवारिन कसम खैन कि आज से वो कबि बि घूस नि लयालु अर केवल पिठै ही लगवाल। 



 Copyright@ Bhishma Kukreti  5 /2/2014

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22