Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 360435 times)

Bhishma Kukreti

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                            पटवारी जीक  चपड़ासी शराबै भट्टी पर झौळ किलै लगांदन ?
                                        चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
 
              जादातर कच्ची शराबै भट्टी पटवरी चौकी नजीक मिलदन अर बार बगत पर तुम तैं पटवारी जीक चपड़ासी जी कच्ची शराबै भट्टी पर झौळ लगांद मील जाल।
असल मा इखमा पटवार्युं  गढ़वाल प्रेम ही मुख्य कारण च कि पटवारी जीक  चपड़ासी शराबै भट्टी पर झौळ लगांदन।
                        उत्तरप्रदेश सरकारौं बगत बिटेन  गढ़वाली ग्रामीण क्षेत्र बिटेन मांग उठ कि गांवों विकासौ वास्ता कुटीर उद्योग ख्वाला , कुटीर उद्योग ख्वाला।  चूँकि गांऊं से लखनऊ दूर छौ त आवाज लखनऊ तलक नि पौंछदि छे।  हमर विधयाक बि जरा भुलमरा ही छ्या तो वो बी जनता की आवाज विधान सभा मा उठांद बिसर जांद छा सुबेर सबी विधायक सुचदा जरुर छ्या कि गढ़वाली गांवूं मा कुटीर उद्योग की बात उठाण पर विधान सभा क ऊंचा गौळ चढ़दा चढ़दा विधायक जीक सांस रुकी जांद छे त बिचारा बिसर जांद छा कि उ गढ़वाल का विधायक छन।  इन मा बि उत्तरप्रदेश का नेताओं अर विधायकों तैं पता ही नि चौल कि गढ़वाल का वासिन्दा कुटीर उद्योग की मांग करणा छन।
         डिमांड अर सप्लाईकु  एक रूल हूंद।  जख डिमांड होली तख कखि बिटेन बि कै ना कै रूप मा सप्लाई पौंछि जांद। गढ़वाल माँ शराब की मांग बढ़णी छे , कुटीर उद्यम खुलणो मांग जोरों से उठणी छे तो हमारा गढ़वाल प्रेमी , कर्मठ लघु उद्यम प्रेमियुं से गढ़वाल कु  दुःख नि दिखे ग्याई।  वुं बिचारोंन बगैर सरकारै मौ मदद से कच्ची शराब की भट्टी जगा जगा खोली दिने।  कच्चा माल तो गढ़वाल मा उपलब्ध छैंइ छौ अर सुप्त मांग (लेटेंट डिमांड ) तो छैंइ छौ त दे दना दन डाँडो अर गदनुं मां  गैरसरकारी कच्ची शराब की भट्टी खुली गेन।  हमर पटवारी बि जाणदा छा कि आयातित देसी दारु से गढ़वाल कु पैसा मैदानु मा जाणु च त सबि पटवार्युंन कच्ची शराब जन लघु उद्यम तैं परिश्रय दे अर  हरेक पट्टी मा जनसंख्या का हिसाब से कच्ची शराब की भट्टी खुलीं छन।  अब आप तैं घर बैठ्यां शराब बि मिल जांद अर कच्ची शराब उद्यम से जुड्यां लोगुं तैं रोजगार बि मिलद।  भौत हद तक कच्ची शराब की भट्टियुं से पलायन बि रुकणु च। यदि नारायण दत्त तिवाड़ी जी तैं मैदानी विकास पुरुष बुले जांद तो पटवार्युं तैं कुटीर उद्योग प्रोत्साहन कर्ता बुले जांद।  मेरी तो उत्तराखंड सरकार  से मांग च कि हरेक पटवारी चौकी तैं एक बड़ो पशस्ति पत्र जावो जैमा घोषणा ह्वावो कि हमारा पटवार्युं का   अथक परिश्रम से ही गढ़वाल मा कच्ची शराब कुटीर उद्योग फल अर फूल।  एक प्रशस्ति पत्र भविष्य मा पटवार्युं द्वारा कच्ची शराब विकास योजनाओ तैं बढ़ावा दीणो बान बि मिलण चयेंद।  हम सब तैं अपण पटवार्युं पर शत प्रतिशत भरोसा च कि भविष्य मा बि हरेक पटवारी कच्ची शराब कुटीर उद्योग विकास मा भरपूर सहयोग ही ना अपितु ये अमृत तुल्य उद्योग का वास्ता नया नया युवा उद्योगपति अर कर्मिक लाणो बान परिश्रम कारल।
             हमारा पटवारी कच्ची शराब बणाणो बान नया नया उद्योगपतियो तैं खुज्याणो पूरा प्रयत्न करणा रौंदन।  यही कारण च मजाल च कि कै बि क्षेत्र मा कच्ची शराब की कमी ह्वावो।  एक भट्टी बंद ह्वावो ना पटवारी जी का प्रत्साहन से दस भट्टी खुल जांदन।  भौत सि जगा तो पटवारी जीक चपड़ासी नया उद्यमियों अर कर्मिकों तैं कच्ची शराब बणानो प्रशिक्षण बि दीन्दन। यो अभिनव प्रयोग केवल गढ़वाल ही ना भारत का अन्य पिछड़ा इलाकों मा बि दिखे ग्याई कि पटवारी जीक चपड़ासी शराब बणानो गुरु जन प्रशिक्षण बि दीन्दन।  मेरी त राय च कि इन चपड़ास्युं तैं गुरु द्रोणाचार्य पुरुष्कार मिलण ही चयेंद। 
               पटवार्युं मानण च कि यदि ग्रामीण गढ़वाल मा शराब की भट्टी बंद ह्वे जाली तो बिजनौर अर देहरादून जिलौं बिटेन देसी दारु आण शुरू ह्वे जाली अर गढ़वाल कु  परिश्रम से कमायुं  या मनी ऑडर से अयूं पैसा मैदानी इलाकों मा चलि  जालु।  तो सरकार बि नि चांदी कि गढ़वाल का लघु उद्यम पर बुरु प्रभाव  पोड़.  यो ही कारण च कि कुछ गैरसामाजिक सरोकारी सामाजिक चिंतकों की बात सरकार कतै नि सुणदी। 
                कुछ पटवार्युं बुलण च बल अब समौ आइ गे कि गढ़वाल कच्ची शराब उद्यमियुं तैं रिसर्च अर डेवलपमेंट मा  निवेश करण चयेंद अर अपण कच्ची शराब की क्वालिटी व्हिस्की बरोबर करण चयेंद।  दिख्या तब क्या हूंद धौं हमर कच्ची शराब निर्माता पटवार्युं सलाह सुणद  छन कि ना ?



   Copyright@ Bhishma Kukreti  6 /2/2014

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

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                         हौंस आंद जब पटवारी बुलद बल वैन घ्वीडौ शिकार नि  चाख !

                                        चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )


                परार  या वांसे पैलाक छ्वीं छन।  उत्तरकाशी मा पटवार्युं तीन दिनौ सम्मलेन छौ।  श्याम दैं  भ्रातृ मिलन नाम की पार्टी होंदी छे।  पार्टी प्रायोजित होंदि छे।  कैदिन सड़कों ठेकेदारूं यूनियन पार्टी प्रायोजित करदी छे , हैंक दिन मनरेगा  ठेकेदार पार्टी स्पोंसर करदा छा।  वीं रात जंगळु ठेकेदारूंन पटवारी भ्रातृ सम्मेलन स्पोंसर कार।  उन त तहसीलदार , कानूनगो बि भ्रातृ सम्मलेन मा शामिल छा पर ऑफिसियली नि छा।

             इम्पोर्टेड शराबौ  इंतजाम  कंट्री लिकर मैन्युफैक्चरर्स असोसिएसन (अनॉथराइज्ड ऐंड अनरजिस्टर्ड )  की तरफ से छौ।  वेजिटेरियन खाणा उत्तरकाशी पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन का तरफ से छौ त मटन -मच्छी का स्पौंसर छ्या वाइल्ड ऐंड रियर ऐनिमल प्रोटेक्सन संस्था।
दारु पीन्द दैं चखणा   बाइटिंग मा चार पांच जानवरुं घ्वीड़ , काखड़ , खरगोश , बणकुखड़ , शौल की सूकी शिकार , कळेजी फंफस आदि छौ।  जब वाइल्ड ऐंड रियर वाइल्ड संस्था स्पोंसर ह्वावो तो उख घर्या   जानवरुं शिकार हूणो मतलब ही नि छौ।
जमोला कु  पटवारीन एक मटन क्यूब चाख अर पूछी दे ," अरे या शिकार कुछ कुछ खट्टी च।  क्यांक शिकार च "
जमोला कु पटवारी की बात सुणन छौ कि उत्तरकाशी जिला का सबि पटवारी हंसण मिसे गेन।  इख तलक कि अनऑफिसियली अयाँ तहसीलदार अर कानूनगो बि हंसण बिसे गेन।
एक अनऑफिसियल गेस्ट कानूनगोन पुछि ," जमोला का पटवारी जी ! तुम तैं समज मा नि आयि कि या मटन की टुकड़ी कै जानवर की च ?"
जमोला का पटवारिन जबाब दे , " सची ! मीन या शिकार पैल दै खाइ। "
फिर जमोला का पटवारी तैं सबि तरां की इख तलक कि सुंगरौ शिकार खलाये गे।  पण गौ बुरी चीज च जु जमोला का पटवारी तैं पता चौल हो कि क्यांक शिकार च।
जमोला का  पटवारी तैं बताये गए कि क्वा शिकार घ्वीडै क च , क्वा काखड़ की  च , क्वा शौल की शिकार च अर क्वा खरगोश की च।
जमोला का पटवारीन सबी जंगली जानवरो शिकार चाखिक ब्वाल ," सबि शिकार त सवादि छन पण यूं जानवरुं तैं मरण त कानूनन अपराध च कि ना ?"
इन सूणिक सबी खत खत कौरिक हंसण बिसे गेन। पुछ्द पुछ्द पता चौल कि जमोला का यु पटवारी क़ानून को पक्की तरह से पालन करदो।
तहसीलदारन हंसद हंसद ब्वाल ," ये मेरि ब्वे ! तबि जमोला की रिपोर्ट च कि उख जंगली जानवरुं तादाद भौत बढ़ी गे।  इन पटवारी जख होलु तो जंगली जानवरुं तादाद बढणि च। "
            वीं रात पार्टी मा यीं बात की चर्चा हूणि राइ कि ये 2 G , कोलगेट का जमाना मा इन पटवारी बि छन जु अपण कार्य क्षेत्र मा जंगली जानवरुं शिकार नि हूण दीणा छन।  इन पटवारी पटवारी समाज मा अभिन्न प्रजाति का पटवारी माने जांदन अर इन पटवारी तैं म्यूजियम का पटवारी बुले जांद जो सिर्फ़ म्यूजियम लैक हूंद।  यदि गढ़वाल का सबि पटवारी जंगली जानवरुं रक्षा इनी करणा राला तो एक दिन गढ़वाल मा खाली जानवर ही राला अर सब लोग  मैदानु जोग ह्वे जाला। 
दुसर दिन जमोला का पटवारी तैं डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट का हाथों 'इमानदार पटवारी ' का प्रसस्ति पत्र दिए गे।  जमोला का पटवारी ये प्रसस्ति पत्र पैक जिंदगी मा पैल बार  खुस ह्वाइ अर वैन जब या खबर अपण परिवार तैं फोन पर सुणाइ तो सरा परिवार असीम दुःख से बेहोस ह्वे गे।
             जी हां यदि कै कुत्ता , शेर , स्याळ का गौळुन्द गळपट्टा ह्वावो कि यु कुत्ता , शेर या स्याळ शाकाहारी च तो क्या ह्वाल ? उनी कै पटवारी तैं 'इमानदारी ' का प्रसस्ति पत्र मिल जावो तो पटवारिक परिवारन बेहोस ही हूण. पटवारी ईमानदार च की  खबर या छवि माने पटवारी तैं लोग  घूस दीण बंद कौरि दीन्दन अर फोकट मा अपण काम   करांदन।  इन इमानदार पटवारी का परिवार तो रोज महान दुख का सागर मा बा काटद  (गोता लगांद  ) होला  कि ना ? जु पटवारी या नेता घूस नि ल्यावो वै तै दंतविहीन शेर बुले जांद।

            पटवारी समाज मा पटवारी की सबसे बड़ी बेइज्ज्ती तब हूंद जब वै तैं सरकार का तरफ बिटेन 'ईमानदार पटवारी ' कु प्रसस्ति पत्र दिए जावो।  यां से बड़ी बेज्ज्ती पटवारी समाज मा छैंइ नी  च।   कै पटवारी तैं मा बैणी गाळि द्यावो तो पटवारी तैं बुरु नि लगद पण जरा तुम ब्वालो कि पटवारी जी बहुत ही इमानदार छन तो पटवारी तुमर दांत तोड़ी द्यालो।  पटवारी की ईमानदार छवि माने पटवारी ही ना ब्लॉक  प्रमुख, कानूनगो ,  तहसीलदार का परिवार का वास्ता आर्थिक मंदी याने इकॉनोमिकल रिसेसन।
                    पोर प्रताप नगर तहसील मा भरपूर का पटवारी अर तहसीलदार मा झगड़ा ह्वे गे। असल मा झगड़ा यु छौ कि तहसीलदार तैं वै मैना केवल एक लाख मिलेन (अवश्य ही  घूस )।. जब कि तहसीलदार का रिकॉर्ड का हिसाब से तीन लाख मिलण चयेंद छा। तहसीलदार कु बुलण छौ कि बेइमानी का काम मा इमानदारी बरते जाण चयेंद।  तहसीलदारन सही बात बोलि कि बेइमानी का काम मा बि बेइमानी हूण मिसे जावो तो बेइमानु धर्म भ्रष्ट नि ह्वे जालु ? खैर भरपूर कु पटवारी नि मान कि वू बेईमानी का काम मा बि बेईमानी करणु च।   तहसीलदारन भरपूर कु पटवारी तैं धमकी दे दे" त्वै तैं देखि ल्योल कि ईमानदारी क्या हूंद अर बेईमानी क्या हूंद !". भरपुर का पटवारीन बि धमकी स्वीकार कार किलैकि क्षेत्रीय विधायक तो पटवारी कु साडो भाय छौ ," जु त्वै से ह्वे सकुद स्यु कौरी ले।  तू म्यार चुसणा बि नि उखाड़ सकदी। "
                 तहसीलदार बि पुरण जमानो कु थोकदारूं खानदान कु छौ। वू पैल दस दैं टिहरी गयाइ अर फिर छै दैं देहरादून ग्याई अर तिकड़म से भरपूर कु पटवारी कु वास्ता  मुख्यमंत्री द्वारा 'महान इमानदार पटवारी ' प्रसस्ति पत्र कु इंतजाम कौरिक ऐ गे।  प्रसस्ति पत्र की घोषणा हूण मा छै दिन रयां छा कि भरपूर का पटवारी तैं पता चल ग्याई कि वै तैं मुख्यमंत्री द्वारा 'महान इमानदार पटवारी ' प्रसस्ति पत्र मिलण वाळ च तो वु प्रतापनगर का तहसीलदार मा ग्याई पटवारीन दस अधिकार्युं समिण तहसीलदार का खुट मा मुंड धार।  तब जैक तहसीलदारन  सालों पुराणी एक बंद पडीं रिपोर्ट का हवाला दे कि चूँकि भरपूर का पटवारी पर भ्रस्टाचार कु एक केस चलणु च त पटवारी तैं ईमानदारी का प्रसस्ति पत्र नि दिए जावु।
                     पटवारी तैं खुलेआम भ्रस्ट ब्वालो तो वो खुस हूंद किलैकि भ्रस्ट छवि से जादा ऊपरी कमाई हूंद किन्तु यदि आप पटवारी तैं ईमानदार पटवारी बोलिल्या तो वो तुमर कुल्ली (मुंड कु एक भाग ) फोड़ी दयालो किलैकि ईमानदार छवि ऊपरी कमाई का स्रोत्र बंद करांदी। 


Copyright@ Bhishma Kukreti  7 /2/2014
*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

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                             क्वी बि नि चांदु कि पटवरी जी इमानदार ह्वावो !

                                        चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

                    उन त हरेक चांदु कि भारत मा , हमर इलाका मा भगत सिंग सरीखा जवान पैदा ह्वेन पण अपण ड्यार ना दुसरो ड्यार पैदा ह्वेन , दुसर गां मा भगत सिंग पैदा ह्वेन।  ऊनि सब चांदन कि सरकारी दफतरुं से भ्रस्टाचार खतम ह्वे जावो पण क्वी नि चांदु कि हमर पट्टी कु पटवारी इमानदार ह्वे जावु। इमानदार पटवारी  अफकुण बि नुकसानदायक हूंद त जनता का वास्ता बि हानिकारक या बरबादी कु एजेंट ह्वे जांद।   जैं पट्टी मा पटवारी इमानदार हूंद त समज ल्यावो वा पट्टी विकासका बान तरसण वाळ पट्टी च। अचकाल लोग अपण बेटी वीं पट्टी मा दींदी नि छन जैं पट्टी मा पटवारी घूस नि खावु।  भारत मा बि द्याखो त बंगाल मा कम्युनिष्ट नेता अर ऊंक कार्यकर्ता सबसे अधिक इमानदार कौम माने जांद अर विकास का मामला मा बंगाल की हालात ममता बनर्जी का काल मा बि  बुरा ही ना बहुत बदतर छन. जख बेइमान नेता अर ऑफिसर जादा छन तख ही विकास हूंद अर जनता तैं फैदा हूंद।  उनी जैं पट्टी मा  पटवारी , प्रधान , ब्लॉक प्रमुख , ब्लॉक अधिकारी जथका जादा बेइमान हूंदन वीं पट्टी मा मनरेगा , बनरेगा , कुज्याण-कनरेगा  आदि योजना बड़ी भंयकर गति से चलणा रौंदन।  सरकारी पैसा पट्टी मा तबि जादा आंद जब पटवारी बेइमान ह्वावो।

        अब द्याखदि डक्खु दा तैं रात निंद नि आदि छे कि बेटिक ब्यौ कनकै करे जावो।  पुरण दिन हूंद त भयात साथ दींदी अर बेटिक ब्यौ ह्वै जांद।  डक्खु दा तैं पता छौ कि यीं बीमारी की दवा असपतालुं मा नि मिलण।  डक्खु दा उठ अर पटवारी मा सलाह लीणो चली गे।  पटवारी भलो आदिम छौ केवल पांच सौ रुपया की पिठै मा पटवारी जीन डक्खु दा तैं सलाह दे कि एक बड़ी दुकान खोल।  जी हां डक्खु दान दुकान खोलि अर बड़ी धूम धाम से बेटीक ब्यौ करी।  इखमा प्रधान जीकी बि बड़ी कृपा छे। दुकान का वास्ता सरकारी लोन पास कराणों  ठेका पटवारी जीन खुद ले छौ त पंदरा दिन मा डक्खु दाक इख दुकानि नाम पर राशन, तेल , लूण , गूड , कपड़ा लता सब पौंछि गे अर बेटी ब्यौ भली तरां से निभ गे । अब इन मा क्या डक्खु दा ब्वालल कि हमर पट्टी मा इमानदार पटवारी आण चयेंद ?
                     सि बनवारी काका की ही बात ले ल्यावो।  एक मैना बाद ससुराल बिटेन बेटी अपण एक बर्षकुल  नौनु लेकि मैत आणि छे अर बनवारी काका की दिल की   इच्छा छे कि पैल पैलाक नाती आणो खुसी मा झलसा करे जावो कुछ चखळा -पखळी करे जाव।  पण बिचारा बीपीएल सर्टिफिकेट से काम चलाणा छन तो इथगा बड़ी चखळा -पखळी बीपीएल स्कीम से त संभव नि छौ।  पैल जब बि इन समस्या ह्वावो तो लोग पुछेर या जागरी मा जांद छा।  अब लोग इन आर्थिक समस्या निदान का वास्ता प्रधानम जांदन।  प्रधानी  जीन सब गणत कार त प्रधानी  जीक समझ मा नि आयी कि बीपीएल मा इन क्वा स्कीम ह्वे सकद जखमा लोन बि मिल जावो अर लोन बि वापस नि बौड़ाण पड़ो।  प्रधानी  जी क मालिक याने पति  विकास प्रेमी  मनिख  छन। प्रधानी जीक पति अर बनवारी काका पटवारी जीक चौकी पटवारी जी से सलाह लीणो पौंछि गेन।  पटवारी जी बि ये भारत से गरीबी दूर करण मा विश्वास करदन अर गरीबी उन्मूलन का वास्ता सब तरह से कार्यरत रौंदन।  ऊन सलाह दे कि बनवारी काका तैं नाती आणो खुसी मा चखळा -पखळी करणो वास्ता मुर्गी पालन करण चयेंद। याने कि मुर्गी पालन का वास्ता लोन बैंक से लीण चयेंद। जैक ममा कृष्ण वै तैं क्यांक घाटो।  जब प्रधानी कु पति अर पटवारी जीक हाथ बनवारी काका कु मथि छौ त बीस दिन मा बनवारी तैं मुर्गी पालन का वास्ता दस हजार रुपया कु बैंक लोन मिल ग्याई।  पांच हजार रुपया प्रधान , पटवारी , बैंक अधिकार्युं मुगदान मा गे अर पट्ट गौणिक पांच हजार रुपया बनवारी काकाक हाथ मा ऐन।  पांच हजार रुपया भौत हूँदन चखळा -पखळी करणो वास्ता। बनवारी काकाक समदि बि खुस अर पटवारी -प्रधान बि खुस।  द्वी तीन मैना बाद रिकॉर्ड मा बनवारी काका का मुर्गी कै अनजान रोग से मोरी गेन अर बनवारी काकाक लोन माफ़ बि  ह्वे गे। अब इन मा क्या बनवारी काका पैरवी कारल  कि पटवारी ईमानदार ह्वावन ?
                    अब सि द्याखदि ! गां मा भौत दिनु से लोग चाणा छा कि नागर्जा मंदिर दूर च त एकाद मंदिर गांक  न्याड़ ध्वार ह्वे जावो त जरा हफ्ता मा कीरतन वगैरा ही करे जावु।  प्रधान जी अपण गांवक समस्या लेक पटवारी जी मा गेन कि जनता कु भारी दबाब च कि गां मा मंदिर चिणे जाव।  पटवारी जीन प्रधान जी तैं याद दिलाइ कि अचकाल सार्वजनिक शौचालय की योजना जल्दी पास हूणा छन।  तय ह्वाइ कि पैसा सार्वजनिक शौचालय का स्वीकृत करे जावन पण असल माँ मंदिर बणाए जालु।  पण फिर पटवारी जीन प्रधान जी तै सावधान कार कि यदि एक मंदिर चिणे जाल तो वै मंदिर मा आप हरिजन लोगुं तैं आण से नि रोक सकदा।  फिर पटवारी जीन ही समस्या निदान कार अर सलाह दे कि गां मा द्वी सार्वजनिक शौचालय की योजना का वास्ता पैसा मांगे जाय।  बस कुछ दिनु मा द्वी शौचालय योजना स्वीकृत ह्वे गे।  तो एक मंदिर बिठणम चिणे गे अर हैंक मंदिर हरिजनु ख्वाळम चिणे गे।  अब बीच गां मा द्वी मंदिर छन लोग बाग़ भक्ति रस मा नयाणा छन -धुयाणा छन।  वो अलग बात च कि विधान सभा मा मुख्यमंत्री बड़ा जोर शोर से बुलणा छन कि फलां गां मा , अलां गां मा इथगा शौचालय चिणे गेन। 
         या बात क़ाग़जुं मा ही भलि लगदी कि लोग घूसखोरी नि चांदन।  वास्तव मा घूसखोरी कि शुरुवात तो जनता ही करदी।  हमर पट्टी मा त क्वी नि चांदो कि पटवारी इमानदार ह्वावो।  पटवारी इमानदार ह्वे जालो तो हम तैं मनरेगा -जनरेगा मा बगैर हथोड़ा चलायां, बगैर काम कर्या सौ रुपया  ध्याड़ी  कु द्यालु ? हमर गाँव वाळु बुलण च बल प्रधान अर पटवारी जथगा भ्रस्ट होला उथगा ही जादा हमर क्षेत्र मा विकास का वास्ता पैसा आलु।  एक दै क्षेत्र मा आवो त सै पैसा फिर दिखे जाल  कि कैन कथगा खाइ !



Copyright@ Bhishma Kukreti  8 /2/2014
*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

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                    जैं पुंगड़ी बान मुकदमा लौड़  त वा पुंगड़ी  पटवारी अर वकीलुं मुकदान लग !
                     
                                        चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )


               कति बुल्दन बल पटवारी ही असल प्रधान मंत्री च त कति बुल्दन बल पटवारी -पुलिस नि ह्वावो तो लड़ै ह्वैइ नि सकद।   आपस मा लड़दा इ इलै छन कि  बिघन ह्वै बि जाल त गां का सयाणा अर जणगर समाळि लेला।  निथर बात समाळणो कुण   पटवारी त छैं छन।
                   अब इनी ह्वै।   दर्शनु काका अर शेर  सिंग बाडा अलग गाँव का एकी ग्राम सभा का छा अर दुयुंन तिसर गां मा जमीन क्या एकै दौळ खरीद अर दुयुंक वाड एकी छौ।  अब ये  नरभागी लटमुंडळय़ा   वाड पर ही कुज्याण क्या कांड लगिन  कि एक दिन यु दर्शनु काकाक छ्वाड़ खसिक  जा अर हैंक दिन शेर काकाक छ्वाड़ फाळ मार द्यावु।  कुछ दिन तलक वाडु फुटबाल बण्युं  राइ अर वाड कु प्लेइंग ग्राउंड छौ केवल एक बालिस्त।  एक बालिस्त मा इ यु वाड कबि ये छ्वाड़ सरक जा कबि वै छ्वाड़ सरक जावो।  अब तलक खेल शतरंज कु खेल  जन चलणु राइ।  शतरंज मा द्वी खिलाड़ी आपस मा बचऴयांद नि छन बस गोट्यूं  तैं  उना सरकाणा रौंदन।  कुछ दिन वाड  इना उना सरकणु राइ अर फिर दर्शनु काका अर शेर  सिंग खेल से ऊबी गेन , बोर ह्वे  गेन । वाड सरकाणो खेल मा चीयर गर्ल्स ऐ गेन अर चीयरिंग खेल से यु खेल श्रीमती  दर्शन लाल अर श्रीमती शेर सिंह मा गाऴयुं कब्बाली मुकाबला मा बदली गे।  लोग बतांदन बल इन नया गाळि सुणणो असमान मा दिवता बि आण बिसे गेन।  मिसेज दर्शन लाल अर मिसेज  शेर सिंह का भारी भारी स्लीजिंग अर गाऴयुं से बि वाडु एक जगा मा नि आयीं।   स्लीजिंग अर गाऴयुं से बी जब वाडक सरकण बंद नि ह्वे त थर्ड अम्पायर की आवश्यकता पोड़ गे।  थर्ड अम्पायर माने तिनि गांवक सयाणा लोग।  सयाणा लोगुंन भौत दै टीवी रिप्ले द्याख याने बूड बुड्यो राय ले अर राय दे पण वाडु छौ कि वैक सरकण बंद नि ह्वे।  उलटां अब वाडक प्लेइंग फील्ड एक बालिस्त से बढ़िक एक हाथ दर्शनु काकाक  तरफ अर एक हाथ शेर  सिंग बाडाक तरफ बढ़ी गे।
  उन बीच मा थर्ड अम्पायरों सलाह पर दर्शनु काका अर शेर  सिंग बाडा ग्विल्ल अर नर्सिंग कु थौळ मा बि गेन पण ना त  दर्शनु काकाक लौड़ -गौड़ मरिन ना ही  शेर  सिंग बाडाक लौड़ -गौर मरिन।  यांसे दर्शनु काका तैं पूरो भरवस ह्वे ग्याई कि वाडु सरकाणो बदमाशी शेर  सिंग बाडा से शुरू ह्वे अर शेर सिंग बाड़ा तैं शत प्रतिशत विश्वास ह्वे गे दर्शनु काकान ही वाड सरकाई।
              दान सयाणो कु आर्बिरेटरी ऑर्डर (बीच बचाव कु आदेस ) तैं द्वी मानणो क्वी तयार नि छौ।  पुंगड हळयांद दैं , बीज बूंद दै , धाण करद दैं, फसल कटै हूंद दैं स्लेजिंग अर गाऴयुं   कब्बाली   चलदी छे।  अबि तलक सब  झगड़ा अंहिसा सिद्धांतों पर ही चलणु राइ।
वाडु इना उना सरकणु राइ स्लेजिंग अर गाऴयुं  कब्बाली चलणु राइ पण तीन साल का बाद भि बैर नि ह्वे छौ।  चूँकि ग्राम सभा एकि छे त जगी -ब्यौ -तिरैं बरिख मा द्वी दर्शनु काका अर शेर  सिंग आपस मा बचळे बि जांद छा।  शेर सिंह बाडाक बेटि ब्यौ मा दर्शनु काकान भुजी बणाइ , परसाद बि खैंड। इनि जब   दर्शनु काकाक कूड़ चिण्याइ तो शेर सिंग बाडान अपण पांति मा पत्थर बि सारिन।
            चौथु साल गाळि बि थक गे छा तो दर्शनु काका अर  शेर सिंग बाड़ा अपण अपण पुंगड़म  एक हैंक तै देखिक बौंळ बिटाण मिसे गे छा।  पुंगड़ तक बौंळ  बिटाण त ठीक छौ किलैकि  वां से गां गौळ याने समाज पर जादा फरक नि पोड़द।  पण अब धीरे धीरे या बौंळ बिटै सार्वजनिक जगाऊं पर बि हूण बिसे गए तो अनुभवी लोगुंन राय दे कि पटवारी मा जाण ठीक रालो।  यद्यपि कुछ दान बुड्योंन दुयुं तैं सलाह बि द्याई कि झगड़ा करदा रावो , रोज एक हैंक तैं मा -बैणि गाळी दींद जावो पण पटवारी मुख नि द्याखो। इन मा पांच साल बीती गेन अर वाडक सरकणो प्लेइंग फील्ड एक गज इना अर एक गज उना फैली गे।  अब चूँकि वाड हद से जादा सरकण मिसे गे तो द्वी दगड़ी पटवारी मा गेन।  गांवक हिसाब से पटवारी दुयुंक दुरौ रिस्तेदार बि ह्वैइ  गे  छौ .
                पटवारी अर पंडित मा जाण तो दक्षिणा लिजाण ही पोड़ अर द्वी एकै घंटी घी बि ली गे छा।  पटवारिन ब्वाल कि वै तैं असलियत समजणो बान  पुंगड़  दिखणो आण पोड़ल।  द्वी निरसेक घौर आइ गेन।  अब बि अनुभवी दान बुड्योंन दुयुं तैं सलाह बि द्याई कि पटवारी नि बुलावो, नि बुलावो।  पण होनी तैं कु टाळ सकद।
           एक दिन पटवारी चपड़ासी दर्शनु काका अर शेर  सिंग बाडाक ड्यार रैबार याने सरकारी सूचना दीणो आयी कि परस्यूं पटवारी जी मौक़ा (झगड़ा की जगह ) पर आणा छन।  आंद दै पटवारीक चपड़ासी खाली छौ पण जांद दैं पटवारी जीक द्वी हतुं मा घीयक परोठी अर मुंड मा द्वी घौरक ज्यूड़ -कील कु भार छौ।  एक बालिस्त जमीन कु झगड़ा अब अपण पैंचु (उधार ) उगाण कग गे छौ।
 पटवारी जीन मौक़ा पर गस्त लगाइ।  दुयुंक बात सूण अर फैसला सुणाइ कि अब हैंक दिन खसरा (जमीनो रिकॉर्ड ) देखिक ही फैसला करे जालु।  मौक़ा पर आंद दै पटवारी अर पटवारी खाली छा।  पर मौक़ा दिखणो बाद पटवारी का द्वि हतुं पर घीयक परोठी छे अर पटवारी जीक चपड़ासी क मुंड मा द्वी निसुड़ छा।
 कुछ दिनों बाद फिर पटवारी चपड़ासी जीक सूचना दीणो खाली हाथ ऐन अर जांद दैं द्वी जगा बिटेन मण भर दाळ ली गेन।
पटवारी जी खसरा लेक मौकाए बारदात पर ऐन।  खसरा मा नक्सा देखिक पटवारी जीक समज मा नि आयि कि  फैसला क्या हूण चयेंद।  खसरा सन साठ कु पैमाइस कु छौ अर वाड तो छ्वाड़ो नक्सा मा पुंगड़ो स्तिथि ही अजीब छे . पटवारी जीन ब्वाल कि सन साठ कु खसरा से काम नि चलणु च त सन चालीस कु खसरा दिखण पोड़ल।  चूँकि पुरण खसरा दिखण पोड़ल अर पुरण खसरा तैं खुज्याण   बहुत ही कठण च।  पटवारीन दुयुं तैं अलग अलग दिन सन चालीस कु खसरा दिखणो भट्याइ।  आज  दर्शनु काका अर शेर  सिंग बाडा पटवारी जी तैं छुड़णो पटवारी चौकी गेन।   दर्शनु काकाक मुंड मा हौळ ज्यू छौ त र शेर  सिंग बाडाक मुंड मा जोळ -ज्यू छौ। द्वी  घीयक परोठी चपड़ासी जीक हथों मा बिराजमान छे।
   दर्शनु काका अर शेर  सिंग बाडा अलग अलग दिन पुरण खसरा खुज्याणो गेन अर वां से पैल अपण अपण गौड़ी बेचिक पटवारी चौकी गेन।
अब हर मैना पटवारी जी खसरा दिखैक दर्शनु काका हक मा फैसला कारन तो शेर सिंग बाडा  नि मानो अर यदि फैसला शर सिंग बाडाक हक मा हो दर्शनु काकातैं अमान्य ह्वे जावो।  द्वी साल तक पटवारी चौकी मा खसरा कु खेल चलणु राइ अर ये दौरान दर्शनु काकक तीन दुधाळ गौड़ी बिकी गेन अर शेर सिंग बाडाकी द्वी भैंस बिकि गेन।  पटवारी जी घूस खांद थकी गेन।  पटवारी जीन एक दिन दुयुं तैं सलाह दे कि. " में से तुमर फैसला नि ह्वे सकद।   तुम कोर्ट मा जावो।"

द्वी कोर्ट गेन।  दस  सालम दुयंक स्यार बिकेन पण फैसला नि आयी।  दुयुंक नौन पढ़ाई छोड़िक दिल्ली मा  होटलु मा नौकरी करण लगिन।  फिर शेर सिंग बाडा दुनिया से दूर गे, बोडी बि गे , दर्शनु काका  अर काकीक बि गेन।  आज गां मा खेती बंद ह्वे गे पण अबि तक कोर्ट कु फैसला नि आयी कि कु सही छौ।


*  सत्य घटनाओं पर आधारित

 


Copyright@ Bhishma Kukreti  9  /2/2014
*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 



Bhishma Kukreti

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                                               पुलिस याने पकड्वा जीजा

                                        चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )


                मैदानी गाउँ मा बच्चों तैं डरांदन कि से जा निथर गब्बर सिंग ऐ जाल।  शहरुं   बच्चों तैं डराये जांद  बेटा से जा या  भितर ऐ जा निथर पुलिस आली अर कै बि गुनाह मा पकड़ी ली जाली।
                 गढ़वाल का गाँव आज बि सुरक्षित माने जांदन किलैकि गाँवु मा पुलिस नि पाये जांद। जन कि क्वी गोर मरि जांद त गरुड़ , चिलंग , कवा , स्याळ ऐ जांदन ऊनि जनि जख पुलिस चौकी खुलि ना कि चोर , जेबकतरा, भौं भौं  अपराधी अपण बिजिनेस करणो ऐ जांदन।  चोर , अपराधी बि जाणदा छन कि जख पुलिस चौकी नि  ह्वावो उख माल मसाला बि नि हूंद अर पकड़े गे त लोगुं से छुड़ण मुस्किल हूंद जबकि पुलिस से छुड़ण भौत सौंग हूंद।  व्यंग्यकार घोंघी का अनुसार पुलिस कु अर्थ   हूंद सिविल आर्मी  बड़ो  अनसिविल हूंद अर पुलिस चौकी माने हिटलर स्थली।
           गढ़वालम  पुरण जमानो मा बच्चों तैं डराये जांद छौ - से जा , भितर ऐ जा निथर पकड्वा ऐ जाल।  हमर मानस चित्र मा पकड्वा छवि आंदि  छे कि बड़ो पग्गड़ वाळ जु कै तैं बि सुद्दी -मुदी उठैक लीजान्द। अब त बुले जांद  पुलिस मायने पकड्वा जीजा याने उ जीजा जु बेग़ुनाहूं तैं पकड़ी लीजांद।   हाँ भै हां ! पुलिस माने जीजा।   तुम चाहे रपट लिखाणो पकड्वा चौकी याने पुलिस चौकी   जावो तो तुमर स्वागत हूंद - क्यों बै साले रपट लिखवाने आया है ? अपने संदूक को ताला लगाते तेरी माँ मर गयी थी।  पुलिस वाळ यदि 'साला' शब्द इस्तेमाल नि करद त समझो कि वु औन ड्यूटी नी च। ऑन ड्यूटी पुलिस वाळ की पैचाण बर्दी से नि हूंद बल्कि हरेक वाक्य मा ''साला शब्द अर हर दुसर वाक्य कि तुझे पुलिस वाले के डंडे की कीमत का पता नही है'' से हूंद । डंडा अर साला शब्द ही ऑन ड्यूटी पुलिस वाळक पछ्याणक च।  पुलिस स्टेसन मा रपट लिखवाण वाळ अर अभियुक्त द्वी पुलिस वाळ का साला हूँदन तबि त रपट लिखवाण वाळ अर गुनाहगार द्वी पकड्वा जीजा  तैं जीजाभेंट दीन्दन जै तैं कजीरवाल जन अरबिंद नेता भ्रस्टाचार बुल्दन जब कि पुलिस वाळ अर  नागरिक घूस तैं शिष्टाचार बुल्दन।  अब जीजा तैं गिफ्ट या भेंट दीण त हिंदुस्तानी  संस्कृति को अभिन्न अंग च।  ये मामला मा पुलिस सेकुलर च पुलिस वाळ हमेशा सेकुलर हूंद अब चाहे मुसलमान ह्वावो, हिन्दू, आदि वासी या दलित ह्वाव पुलिस वाळ सब तैं 'साला ' बुल्द अर हरेक 'साले' से रेट का ही हिसाब से ही जीजाभेंट लींदु।  जब भारत सरकार का गृह मंत्री सुशील शिंदे साबन राज्य सरकारूं तैं ल्याख कि अल्प संख्यकों तैं अनावश्यक तंग नि करे जावो तो शिंदे साब की हिदायत से भाजापा से जादा पुलिस वाळ शिंदे साब पर नराज ह्वेन। पुलिस वाळ 'साला ' शब्द बुलण माँ अर जीजाभेंट लीण मा क्वी भेदभाव ही नि करदन तो शिंदे साब तैं इन हिदायत दीणै जरूरत क्या छे ? बणाक की ताप-तपन-गर्मी मुसलमान या हिन्दू पर एकसमान लगद उनी पुलिस की ताप बि हरेक भारतवासी पर एकजनि लगद।  जीजाभेंट लीणो   मामला मा पुलिस क्वी जातीय या धार्मिक भेदभाव नि करदी।
            पुलिस वाळ अर कुंजड़ा (सब्जी बिचण वाळ ) इकसनी हूँदन।  सब्जी सौड़ जा , गळ जा पर सब्जी बिचण वाळ या कुंजड़ा अपण सब्जीक  दाम कम नि करद , कथगा बि रिसेसन ह्वावो पुलिस वाळ अपण फिकस्ड रेट से कम जीजाभेंट नि लींदु।  पुलिस वाळु बुलण च एक दैं जीजाभेंट का रेट कम करे जावन तो रेट अळग लाण मा ननि ददि याद ऐ जांद।  फिर घौरम घरवळी या भैर नाजायज  प्रेमिका हर मैना जेवहरातुं   मांग करणा  रौंदन अर रिसेसन का पीरियड मा बि सोना का रेट कम नि हूँदन त बिचारा पुलिस वाळ जीजाभेंट का रेट कम कनकै  कौर सकुद ? तुमि बतावो !

@अग्वाड़ी का अँकु मा पुलिस पुराण पर अन्य लेख ....



Copyright@ Bhishma Kukreti  10  /2/2014
*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

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                                      ब्यौ -बरात्यूंक  भिन्न भिन्न नचाड़

                                     चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

              जब बिटेन ब्यौ संस्था अस्तित्व मा आयि तब बिटेन ब्यौ मा बरात , नाच, गान ब्यौवक आवश्यक अंग ह्वे गेन। खुजनेर अबि बि बरमंड फुड़णा  रौंदन कि ब्यौ -बरात से नाच -गान शैली परिष्कृत ह्वे कि नाच गान से ब्यौ -बरात शैली परिष्कृत ह्वे ! हाँ  बात सै च कि ब्यौ -बरात कु नाम ल्यावो तो नाच -गाण आयि जांद।
 अचकाल न्युतेरुं दिन  अर बरात जांद -आंद दैं घराती -बराती नि नाचन तो वु ब्यौ नि माने जांद वू ब्यौ कोर्ट मैरिज माने जांद।  जै ब्यौ मा नाच गाण नि ह्वावन वु  ब्यौ इन लगद जन बगैर सिंदूर भरीं मांग की अर बगैर आभूषण पैरीं स्वागवंती नार; बगैर बयार कु बसंत !

ब्यौ बरातुं मा भौं भौं किस्मौ नचाड़ हूँदन -
महावीर नचाड़ - ब्यौ बरात मा  इन नचाड़ बि हूँदन जु शुरू से लेक आखरी तलक नचणा रौंदन।  यी नाच वृत्त से भैर नि आंदन।  जब तलक वादक वाद्य बंद नि कारल यूंकि मुंडी , हथ या टंगड़ी हिलणी रौंदन।
भिभरट्या या भभताट्या  नचाड़ - यी जब नाचद छन तो इन लगद जन यी नाचणो नि अयां छन बल्कि नचण वाळु तैं तितर बितर करणा अयां छन।
लत्तिबाज नचाड या पत्यड्या -पतेड़ डांसर - यूं तैं नाच नि आंद बस यी कबि इना लत्ति -लात चलांदन त कबि उना हाथ-पात  चलांदन। कति बार दुसर डांसरूं  खुट पत्यड़णा रौंदन।   अन्य नचाड़ यूंक हाल चाल  देखिक अपण नाच -दायरा  अलग करी दीन्दन पण यी लत्तिबाज या पत्यड्या -पतेड़ नचाड हमेशा  अन्य नचाडुं दायरा पुटुक ही आणा रौंदन। 
स्टाइलबाज नचाड़ - यी स्टाइल मा रौंदन अर दुसर तैं दिखाणो बान ही नाचदन।  नचद दैं स्टाइलबाज नचाडुं  नजर वै या वीं पर हूंद जै तैं यी या या प्रभावित करण चांदन।  बीच मा यूंक कंघी  अपण बुलबुलों या धमेली घुमणि रौंद।  कति नृत्यागना बार बार लिपस्टिक लगाणी रौंदि।
पेटेंट या मोनोटोनस अथवा इकजनि नचाड़ - बैंड वाळ क्वी बि संगीत बजावन मोनोटोनस या इकजनि नचाड़ गरुड़ जन हाथ फफतान्दन या पंडो जन क्वी डांस करणा रौंदन। यी मोनोटोनस नचाड़ "ले जायेंगे , ले जायेंगे दुल्हनिया ले जायेंगे " या 'ले चला अपना कफन का सामान ले चला पर इकजनि डांस करणा रौंदन।
ससुरास से प्रभावित नचाड़ -  कुछ इन नचाड़ हूंदन जु सिरफ अपण जड़ज्यु , स्याळि या वाइफ का बुल्युं मानिक नाच करदन।
ठसठस नचाड़ -इन नचाड़ तबि नाचदन जब यूंकि पूजा अर्चना करे जावो।  बगैर रिक्वेस्ट या प्रार्थना का यी नचाड़ नि नाचदन।
पेयर या जोड़ीदार नचाड़ - यी हर समय विपरीत लिंग (बौ , स्याळि , वाइफ या जीजा अथवा द्यूर ) खुज्यांदन अर बगैर जोड़ी का पेयर या जोड़ीदार नचाडुं खुट पर लछम्वड़ ह्वे जांद।
ल्हतम्वड्या नचाड़ - यी इन नचदन जन बुल्यां यूं पर लकवा मारी गए हो अर ल्हतम्वड्या नचाडुं बॉडी लैंग्वेज देखिक अन्य नाचाडुं तैं निंद   आण बिसे जांद।
अहंकारी नचाड़ - यी नचाड़ अफु से पद या पैसा मा बड़ लोगुं ब्यौ मा नचदन पण अफु से पद या पैसा मा छुट  लोगुं ब्यौ मा नि नचण अपण बेज्जती समजदन  ।
डरख्वा नचाड़ - यी नचाड़ नचण त चांद छन पण अपण वाइफ से भौत   डरदन अर जब तलक वाइफ आँख्युं -आंख्युं मा आदेस नि द्याली यी डरख्वा नचाड़ नि नचदन।
धुत्त नचाड़ - यी नचाड़ जब तक आधा बोतल नि घटकांदन तब तलक यूँ पर नृत्य दिवता नि आंदो। अधिकतर इ  शराबी नचाड़ सामूहिक नाच गान की खुसी मा बाधक ही हूंदन।  घराती हर समय परमेश्वर से प्रार्थना करणा रौंदन कि यूँ पर नृत्य दिवता नि चौढ़ !
जणगरा नृत्यकार या नृत्यांगना - यी ट्यून का हिसाब से नचदन।

 

Copyright@ Bhishma Kukreti  18 /2/2014
*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

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                             ब्यौ -बरातुं , सभा-सोसाइट्यूं दरोड्या (शराबी )
 
                                    चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

भारत मा कखि बि जावो ब्यौ -बरातुं , सभा-सोसाइट्यूं मा दारु पार्टी मा मेमानुं तैं दारु पिलाण  सामान्य संस्कृति ह्वे गे।
अकेला दारु पीण अर भीड़ मा दारु घटकाण मा फरक ऐ जांद।   ब्यौ -बरातुं , सभा-सोसाइट्यूं विशेष दरोड्या हूंदन -
जनमु भूखो - पार्टी मा  द्वी चार  दरोड्या इन मीलि जांदन जु सटासट , फटाफट दारु इन घटकांदन जन बुल्यां यूँन दारु पेयी नि ह्वेलि अर पता नि भोळ प्रलय आदि कि फिर यूँ तैं दारु नसीब होंद च कि ना !
सिमसिम दरोड्या - यी   बड़ा मजे से मजा मजा मा चुस्की   ले लेक दारु पींदन। या नसल भौत कम मिल्दी।
चखणाबाज  - यी दारु त जथगा प्याला स्यो अलग बात च पण यूं चखणा  प्रेम्युं  तैं  आस पास खूब चखणा दिखेण चयेंद। कम चखणा से यूंक मूड खराब ह्वे जांद। चखणाबाज हर समय चखणा मंगणा रौंदन।
भक्त दरोड्या - कुछ दरोड्या भक्त किस्मौ हूंदन जु दारु पीण  पैल दारु इना उना छिड़कदन  . कुछ बड़ बड़ कौरिक कुछ मंतर पढ़दन अर तब जैक मुख पर दारु लगांदन।
भड़काण वाळ - यी दरोड्या कै एक तैं टारगेट बणै दीन्दन अर वै तैं भड़कैक पार्टीक सत्यानास करी दीन्दन।
झगड़ालु दरोड्या - यी दरोड्या मुख पर दारु पैथर लगांदु झगड़ा पैल शुरू कौर दींद। दारु पेक भंगस करण ही यूंक काम हूंद
धुत्त - दारु पचि ना पचि यी तब तलक पीणा रौंदन जब तलक यी धुत्त नि ह्वे जावन।
उल्टी करण वाळ - यूँ तैं दारु पचदी नी च पण यूँकुण   दारु पीण आवश्यक हूंद अर फिर यी  उल्टी करीक माहौल खराब करदन।
तोड़ -फोड़ू या गिलास फोड्या दरोड्या - यूँ तैं देखिक भगवान बि डरद।  गुस्सा आयी ना कि गिलास फुड़ण शुरू कौर दीन्दन।  यूँ तैं प्लास्टिक का गिलास ही दिए जांदन । 
हंसदर्या - द्वी घूट दारु जावो ना कि यूं पर हंसणो रोग लग जांद।
रुँदा - कुछ दरोड्या रुंद बि छन।
क्या बुन्या -क्या कन्या - यी बौऴया   दरोड्या  कुछ बि बुलणा रौंदन अर कुछ बि करणा रौंदन।
बड़बोला - यी दरोड्या दारु पीणो बाद बड़ी बड़ी बात करदन अर हरेक तैं बड़ा बड़ा आश्वासन  दीणा रौंदन।
बिचकीं छ्वीं प्रेमी - कति दरोड्यों  पर बिचकीं छ्वींलगाण , गंदा गंदा जोक्स सुणाण  अर सुणणो  रौळ -बौळ चढ़ जांद।
दार्शनिक दरोड्या - इन दरोड्या पीणो बाद दर्शन शास्त्र की ऐसी तैसी करण लग जान्दन।
लीक पर केंद्रित - कत्युं पर एक विषय पर रफत लग जांद अर सब्युं तैं या  तो बोर करदन या  मनोरंजन करदन।
जोकर - भौत सा दरोड्या  उल जलूल हरकतों से लोगुंक मनोरंजन करदन
फ्वीं फ्वीं करण वाळ - यी दरोड्या पार्टी मा  मेज-कुर्सी, गीत -संगीत , मेहमानुं तमीज दारु या चखणा से खुस नि रौंदन अर हरेक बात की काट -आलोचना करणा रौंदन।
बकै कन तरां का हौर दरोड्या हूंदन तुमि बतावो !



Copyright@ Bhishma Kukreti  20 /2/2014
*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

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                                     चलो दंगऴयौ करणो बान सांसद बणे जाव !
 
                                     चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

म्यार धनी दगड्या पौस एरिया मा तीसवीं मंजिल मा रौंद अर कार पार्किंग बावनवां  मंजिल पर करद ,
ब्याळी  मि अपण रिच फ्रेंड तैं मिलणो ग्यों।
मिल्दु इ बुलण बिस्यायि - मि सुचणु छौं सांसद ही बण जांदु !
मि -कनो भ्रष्टाचार मिटाणो बिचार च ?
धनी दगड्या-न्है ! न्है ! भ्रष्टाचार मिटाणो ठेका त राहुल गांधीन लियाल।
मि -तो विदेसूं से ब्लैक मनी वापस बौड़ाणो मनशा च क्या ?
धनी दगड्या-विदेसूं से ब्लैक मनी वापस बौड़ाणो पर  बाबा रामदेव , अडवाणी अर नरेंद्र मोदी कौंक  एकाधिकार च।
मि -तो क्या मुसलमान भाइयों दसा सुधारणो बान सांसद बणना छंवां ?
धनी दगड्या-अरे सेक्युलर पार्ट्यूं हूंद मुसलमान हित कु टेंडर खुल्दु ही नी  च। मुसलमान हित कु  खरीदी आदेस औंटोमेटिकली सेक्युलर पार्ट्यूं तैं मील जांद।
मि -भारत से आतंकवाद खतम करणो बान संसद भवन जाण चाणा छा ?
धनी दगड्या- जय ललितान नै परिभाषा गढ़ याल तो आतंकवाद खतम करणो काम मि तैं नि मील सकद।
मि -सांसद बणिक  हिन्दू -मुस्लिम दंगा खतम कराणों विचार त नी च ?
धनी दगड्या- हिन्दु  -मुस्लिम  एकता का असली अघोषित प्रभारी त मुलायम सिंग अर भाजापा वाळ छन तो उख मेरि दाळ नि गळण।
मि -तो नई ढंग कि कनफणि सी राजनीति करणो बान संसद भवन की हवा खाण चाणा छंवां ?
धनी दगड्या-नई ढंग कि कनफणि सी राजनीति करण पर त कजीर फिंकण  वाळ   याने केजरीवाल कु कब्जा ह्वे गे।
मि -तो क्या तुम बगैर उद्यम का गरीबी दूर करणो फ़िराक मा त नि छंवां ?
धनी दगड्या- बगैर उद्यम का गरीबी दूर करणो विचार पर साम्यवादी अर ममता बनर्जी कु कॉपीराइट च।
मि -फिर तुम सांसद किलै बणन चाणा छंवां ?
धनी दगड्या-जब कुछ काम नि हो तो संसद मा फ़कोरिक सीणो बान मि सांसद बणन चाणु छौ। अर कबि मोबाइल मा बिचकीं (पोर्नो ) फिल्म दिखुल …
मि -हैं ! सीणो बान संसद भवन ?
धनी दगड्या-किलै संसद कु टीवी प्रसारण मा  नि दिखदी कि भौत सा सांसद सीणा रौंदन।
मि -खैर ! कुछ हौर काम ?
धनी दगड्या-हां जब बोर ह्वे जौल त हो हल्ला मचौल , दंगऴयो करुल। 
मि -ए मेरि ब्वे !
धनी दगड्या-फिर जब दंगळयो से पुटुक  नि   भर्याल तो कुर्सी तुड़ल , माइक तुड़ल।
मि -औउ त तुम  दंगऴयो करणो बान सांसद बणन चांदवा ?
धनी दगड्या-हाँ  दिल बहलाणो बान कबि कबि संसद मा पेश बिल फड़लु , जी बुल्याल त अधनंगी ह्वे जौल , कबि कबि संसद महासचिव से हाथापाई करुल , मार्शल  तैं पिटुल ....
मि -मार्शल तैं पिटला ? संसद महासचिव से हाथापाई करिल्या ?
धनी दगड्या-हाँ ! अर जब भौत बोर ह्वे जौल त मिर्च क बुक्की संसद मा उडॉल .... 
मि -प्रजातंत्र मा इन कुकरतब  ठीक छन  ?
धनी दगड्या-भाई इन  करतब त मि डेमोक्रेसी बचाणो बान ही त करुल !

Copyright@ Bhishma Kukreti  21 /2/2014
*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

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                      पुलिस थाणा याने रुस्वड़ जख खाण पीणै बथ हूँदन
                                 चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

पुलिस थाणा कुछ ना एक  रुस्वड़  च जख खाण पीणै की ही बात हूंदन।
क्वी  जेबकतरा पुलिस स्टेसन से भैर आंद त भैर दूर वैक दगड्या पुछद ,"कथगा खाइ अर कखम खाइ ?" कखम खाई माने कैं  जगा मार पोड।
जेबकतरा कु कथगा तरां का जबाब हूँदन -
अरे  आज त लात बि खैन , पुठों मा डंडा बि खैन। साला हवलदार पूरो माल बि खै गे अर मार खाण से बचणो बान इंस्पेकटर तैं बि खलाण पोड़।
नै ! आज मार त नि खाइ पण जथगा कमाइ नि ह्वे वै से जादा पुलिस अर कोर्ट का नुमाइंदा खै गेन।
इनी आम जनता से पुलिस थाणा बारा मा बात कारो तो जनता बुल्दी बल थाणा ! चाय मा जथगा शक्कर डाळो  चाय उथगा मिठी हूंद।  इनी पुलिस स्टेसन मा रुप्या खलावो अर बलात्कार केस से बरी ह्वे जावो। हवालात की हवा खाण मुहावरा बि आम जनता मा मशहूर च याने पुलिस स्टेसन अवश्य ही रुस्वड़ च जख पुलिस की लात , घूँसा , डंडा खाये जांदन अर पुलिस की लात , घूँसा , डंडा कम मात्रा मा खाये जावन यांक वास्ता पुलिस वाळ या ऊंक बच्चों का वास्ता मिठै खलाये जांद। सबि वकील (कपिल सिब्बल अर अरूण जेटली छोड़िक ) बुल्दन बल बेईमान पुलिस की बात त जाण द्यावो ईमानदार पुलिस बि खांदी (घूस ) च बस खलाण आण चयेंद।
पुलिस स्टेसन मा पुलिस वाळु दगड़ निगोसिएशन इन हूंद -
साब आप चिंता नि कारो तै अभियुक्त तैं छोड़ी द्यावो अर बाल बच्चों कुण  मिठै  ल्यावो।
भौत सा जुर्म जब बड़ो हूंद अर जब हवलदार से मिठै खलाणै बात हूंद त हवलदार बुलद ," हरामजादा ! बूढ़े बाप  को मारता है और   केवल मिठाइ खिलाने की बात करता है !" इन मा फिर पुलिस  तैं मटन मच्छी खलाणो बात हूंदी। पुलिस तैं खलाणो निगोसिएशन चाय से शुरू हूंद अर फ़ार्म हाउस मा पार्टी तक पौंछद।  चाय माने सौ पचास रुपया अर फ़ार्म हाउस पार्टी माने लाखों रुपया।
जुर्म बि सीजन का हिसाब से घटद बढ़द छन अर जब जुर्म मा रिसेसन हूंद तो पुलिस वाळ इन छ्वीं लगांदन --
कोर्ट  परिसर मा एक पुलिस चौकी कु पुलिस वाळ - धंधा कन चलणु च ?
हैंक पुलिस चौकी कु पुलिस वाळ- ख़ाक चलणु च ! अरे अजकाल तो चाय कु बि वांदा हुयुं च।  पता नि अचकाल जेबकतरा बि हड़ताल पर किलै जयां छन धौं ।  त्यार क्य़ा हाल छन ?
पैल पुलिस चौकी कु पुलिस वाळ - हूं उन त रिसेसन ही चलणु च पण कॉलेज नजीक हूण से गांजा चरस कु धंधा से गुजारा करणा छंवां।  अचकाल एक साल ह्वे गे क्वी कतल नि ह्वे।  वाइफ बुलणि छे पुलिस की नौकरी से  बढ़िया त महात्मा गिरी ही ठीक च जख खुले आम चढ़ावा आंद.
हैंक पुलिस चौकी कु पुलिस वाळ- धंधा इन चौपट हुयुं च कि छै मैना से अपण नौनु तैं रोज बौगांदु कि बस जनि क्वी कतल को केस चौकी मा आलु त्वैकुण नई   मोटर साइकल लौलु ! रोज पुछणु रौंद कि कब कतल ह्वाल ?
पुलिस वाळ ख़ास चौकी मा पोस्टिंग का वास्ता मथिन तक मिठै भिजवान्द अर फिर रोज चौकीम बैठिक अपराध्युं से मिठै लीणु रौंद। 
 
पुलिस स्टेसन मा मार खाण अर घूस खलाण की ही बात हूँदन बस



Copyright@ Bhishma Kukreti  23 /2/2014
*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 


Bhishma Kukreti

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              मि तैं ग्राम प्रधान बणावो: म्यार विकास का 14  सूत्री कार्यक्रम

                            चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

 अब लोकसभा चुनाव नजीक आणा छन अर गढ़वाल मा पंचायत चुनाव की खबर च।
तो मी बि चाणु छौं कि ग्राम प्रधान बणी जौं।  म्यार विकास का 20 सूत्री कार्यक्रम इ छन -
१- मनरेगा जन प्रोग्रैम मा म्यार पूरो परिवार सम्म्लित ह्वे जालो।
२- गाँव का लँडेर -लफंगा जु बची गेन ऊंक नाम बि मनरेगा प्रोग्राम मा शामिल ह्वे जाल।
३- कोटद्वार -ऋषिकेश मा एक एक सलाहकार बिठाये जाल जु हमर गाँव का बच्चों  की अंग्रेजी स्कूल मा भर्ती करणो इंतजाम कारल।
४- देहरादून , ऋषिकेश , कोटद्वारम स्कुल्या बच्चों कुण ग्राम  सभा की तरफ से होस्टल का इंतजाम करे जालु जां से ग्राम वासियों तैं अपण बच्चों तैं अंग्रेजी स्कूल मा भर्ती करण मा कठिनाई नि ह्वावु।
५-गाँव से पलायन करण वाळु तैं इंसेंटिव  याने प्रोत्साहन दिए जाल।  ग्राम वासी द्वारा पलायन करणो पांच साल बाद तक प्रवासी ग्राम वासी का डाळ -बूटों की देखरेख ग्राम सभा कारली .
 ६- गां मा मकान चिणणो बान शहरुं से  या नेपाल से प्रशिक्षित कर्मिक बुलाये जाल अर गां मा कैक बि काम हो यूं कर्मिकों तैं ग्राम पंचायत भंवन मा ठहराणो मुफ्त इंतजाम कराये जाल
 ७-हमारी  ग्राम सभा नेपाल , उत्तर प्रदेश अथवा बिहार का कुछ ग्राम सभाओं दगड़ शासकीय इकरारनामा कारली जां से हमर ग्राम सभा तैं प्रशिक्षित कर्मिक प्राइयरिटी पर मीलन।
८- हमर नजीक का हाई स्कूल , इंटर कॉलेज मा वै इ मास्टर -मास्ट्रयाणी तैं आणै इजाजत होलि जु हमर बच्चों तैं बेखटक नकल करण द्याल।
९- लैंटीना तैं हम रोकी नि सकदा तो हम लैटिना विकास का वास्ता ही काम करला।
१० - जु खेती कारल वै पर टैक्स लगी जालु
११- गूणी -बांदर अर सुंगरुं वास्ता गां मा ही रौणै चिड़ियाघर जन आधुनिक व्यवस्था होली।
१२ - गां का नजीक बजार मा विदेशी शराब की दूकान खुलणो बान संघर्ष अर आंदोलन करे जाल।
१३- चूंकि डाकटर गां मा आणो तयार नि छन तो थैला छाप डाकटरो तैं मान्यता दिए जाली।
१४- दुसर गां वाळ से पाणी झगड़ा चलणु ही राल जांसे ग्रामीण लोक मनोरजन सुरक्षित रावो।



Copyright@ Bhishma Kukreti  25 /2/2014
*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

 

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