Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 361238 times)

Bhishma Kukreti

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                                      न्यूज के नाम पर जोर से जड़  दे बाबा  एक थप्पड़ ! तू एक थप्पड़ मारेगा  ओ दस हजार   देगा !
                                                              हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )   

नौनु -पापा आप ममी की बात क्यों नहीं मान जाते ?
मि -अरे या क्वी बात ह्वे ?
घरवळि -तुम त जनमुं स्वार्थी छंवां , तुमन  हमर बात किलै मनण।  परिवारो नाम बडु ह्वे जाल तो तुमर नाक  नि कट जालु?
मि - ह्यां ! या उमर थप्पड़ मारणो च।  या उमर थप्पड़  खाणै नी च।
 नौनु - पर डैडी ! एक ही थपपड की तो बात है।  कोई लात घूंसे थोड़े खाने हैं।
घरवळि -हाँ ! थप्पड़ ही त खाण।  लोगुन त परिवारौ इज्जत बढ़ाणो बान गोळी बि खैन।  हम त केवल थप्पड़ खाणै बात करणा छंवां।
मि -अरे जब होश संभाळ त अफुसे से बड़ो थप्पड़ इ त खाणु रौं।
घरवळि -पर या थपपड़ अलग च।
मि - फिर स्कूलम , इंटर कॉलेज तक मास्टरुं थप्पड़ खाणु रौं।
घरवळि -हाँ पर देखो ये थप्पड़ अर वुं थप्पड़ूं मा भौत अंतर च।
मि -क्या अंतर च ?
घरवळि -देखो अचकाल तुम तैं क्वी पुछणु बि च
नौनु - मुहल्ला में कोई आपके बारे में कोई बहस करता है क्या ?
मि - ना , घौरम बि क्वी नि पुछणु च।
घरवळि -स्थानीय केबल टीवी वाळ तुमर खबर दिखाणु च क्या ?
मि -ना।
नौनु -कोई गढ़वाली पत्रिका आपके बारे में लिखते हैं ?
मि - ना ! क्वी बि पत्रिका म्यार बारा मा कुछ बि नि छापदी ।
घरवळि -गढ़वाली सामाजिक संस्थाएं अपण प्रोग्रैमों मा तुम तैं निमंत्रण भिजद छन क्या ?
मि -ना !
नौनु -मतलब साफ़ है यू आर आउट ऑफ न्यूज।यू आर टोटली इरिलेवेंट फॉर न्यूज।
घरवळि -अब त बस एकी तरकीब च कि स्पोंसर्ड थप्पड़ खावो अर न्यूज मा ऐ जावो।
मि - स्पोंसर्ड थप्पड़ खैक न्यूज मा आवो ?
घरवळि -हाँ अजकाल जब मीडिया तुम पर ध्यान नि द्याउ त अपण गाडी का शीशा फुड़वै द्यावो।  बस तुम न्यूज मा ऐ जैल्या।
मि -क्या न्यूज मा ऐ जैल्या ? न्यूज मा ऐ जैल्या   …
घरवळि -जब न्यूज मा नि रावो तो योगेन्द्र यादवक तरां अपण आदिम से अफु पर स्याही घुसवै  द्यावो अर फट फटाक न्यूज मा ऐ जावो।
मि - योगेन्द्र यादव क तरां अपण आदिम से अफु पर स्याही घुसवावो अर तड़ाक से न्यूज बण जावो ?
घरवळि -हाँ।
मि -पर
घरवळि -फिर जब न्यूज लायक कुछ नि ह्वावो तो अरविन्द केजरीवालौ तरां हर दुसर दिन थप्पड़ खावो अर न्यूज मा खबर बण जावो।
मि - पर थप्पड़ खैक न्यूज मा आण क्वी ऐथिकल बात त नी च ना ? थप्पड़ खैक समाचार बणन क्वी प्रशंसा की बात त नी च ना ?
नौनु-जब ऐथिक के ठेकेदार थप्पड़ खाकर ही न्यूज में रहते हों तो आपको थप्पड़ खाने में क्या ऐतराज है ?
घरवळि -हाँ , अपण नाम कमाणो बान तुम बि एक थप्पड़ खै ल्यावो।
मि -मतलब तुमन मि तैं थप्पड़ खलवाण बगैर नि मानण ?
घरवळि -हाँ ! हमन  त सौं घटीं छन कि जब तक तुम थप्पड़ नि खैल्या हमन अपण ब्रत नि तुड़ण।
मि - ठीक च! न्यूज मा रौणो बान मि थप्पड़ खाणो तयार छौं।
घरवळि -दैट्स अ स्पिरिट !
नौनु (फोन पर ) - हेलो केजरीवाल अंकल ! मेरे पापा भी थप्पड़ खाने को तैयार हैं।  प्लीज अरविन्द अंकल ! एक थप्पड़ मारने वाले को जल्दी भेज दीजिये। थैंक्स ! अच्छा !  थप्पड़ मारने वाला एक घंटे में पंहुच जाएगा।  हाँ हाँ !  थप्पड़ मारने के पूरे पैसे मिल जायेंगे।
घरवळि - द्याखो प्रोफेसनल थप्पड़ मारण वाळो इंतजाम बि ह्वै गे।
नौनु (मोबाईल पर ) - हेलो ! पुण्य प्रसून बाजपई अंकल ! पापा को थप्पड़ खाना है।  केजरीवाल अंकल ने थप्पड़ मारने वाले का इंतजाम कर दिया है।  आप दो चार चैनेलों से रिपोर्टर्स भेज दीजिये प्लीज। हाँ हाँ रिपोर्टरों को शाम की पार्टी और मेहनतताना पूरा मिलेगा।  थैंक यू !  बाजपई अंकल।

 

 Copyright@  Bhishma Kukreti  9 /4/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

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                             मत दान कर , तेरे पास है क्या जो तू दान कर रिया है ?

                                हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )   


ब्याळि हमर गांवक स्कूलम मास्टर जीक मूड ठीक नि छौ त मासाबन स्कूल्यौं तैं 'मतदाता' पर निबंध लिखणो दे दे। हरेक स्कुल्यान अलग अलग विचार लेखिन अर यूंक  विचार इन छन।
मतदान  एक मौसमी घटना च अर अचाणचक एक आम मनिख /मनख्याणि अति महत्व पूर्ण ह्वे जांद। उन उ मनिख आम ही हूंद किन्तु वै /वीं तैं मतदान का मौसमम अहसास दिलाये जांद कि चिंता नि कौर, तू अब आत्महत्या नि कौर , तू महत्वपूर्ण ह्वे गे।  अर यदि तीन आत्महत्या करण ही च त मतदान का बाद ही आत्महत्या कौर।  इलै भारत मा चुनाव का टैम आत्महत्या नि हूंदन। उन बकै दिन मनिख बिचारो सरकारी दान लीणु रौंद बस मतदान का ही दिन वै/वीं तैं अहसास हूंद कि वु  /वा बि दान दीण लैक च।
मतदान मा द्वी शब्द छन।  एक च मत याने वोट।  हैंक शब्द च दान। यु मतदान शब्द बि मुकदान ही च।  मुकदान कैको मरणो बाद दिए जांद। चुनाव प्रक्रियुं  मा जब प्रजातंत्र की पूरी ऐसी तैसी ह्वे जांद , जब प्रजातंत्र की धज्जी उड़ जान्दन , जब प्रजातंत्र की मूल भावना खतम
ह्वे जांदन , जब चुनाव आचार संहिता की डंडलि सजी जांद तब अंत मा मतदान का दिन हूंद। इलै मुकदान अर मतदान मा साम्यता च।  मुकदान मनिखौ डंडलि सज्याणो बाद हूंद अर  धुर्या नेताओं जन आजम खान , इमरान मसूद , अमित शाह द्वारा प्रजातंत्र की खुले आम हत्या का बाद मतदान हूंद।
मतदाता याने वोटर।  चुनावुं बगत जै ऐरा -गैरा -नत्थू खैरा का आस पास नेताओं की भीड़ हो तो समज ल्यावो वो ऐरा -गैरा -नत्थू खैरा ही मतदाता च।
जै निरीह जानवर तैं नेता लोग बेवजह अपण कंधा या जीप मा बिठान्दन तो समझो कि वु मतदाता च।
मतदाता बि कथगा ही किस्मौ हूंदन।
एक उ हूंदन  जु कैमांगन कुछ नि लीन्दन  अर अपण आत्मा की आवाज से मतदान करदन। नारायण दत्त तिवाड़ी जन नेताओं बुलण च बल इन पुण्यात्मा कम ही मिल्दन।
कुछ हूंदन जु जैक खांदन वै तैं ही वोट दीन्दन।  बकौल डा रमेश निशंक  अर सुरेन्द्र नेगी बुल्दन बल अब इन मतदाता अब उत्तराखंड  मा नि मिल्दन।
कुछ मतदाता इन हूंदन जु हरेक पार्टी का इख बोटी , रान , शराब उड़ैक ऐ जांदन , उख आश्वासन देक ऐ जांदन पर वोट कै हौर तैं दे दीन्दन। साकेत बहुगुणा का अनुसार टिहरी चुनाव क्षेत्र  मा हरेक मतदाता कॉंग्रेस का बुगठ्या चटकै जांदन पर वोट भाजपा तैं देक आंदन।
कुछ मतदाता बेबस हूंदन वो भौत सी परिस्थिति का कारण मतदान नि कर सकदन।
कुछ क्या  जादातर मतदाता परबसी मतदाता हूंदन।  यी कामका , ईमानदार नेता तैं वोट दीण चांदन पर धार्मिक फतवा , जातीय डंडा , क्षेत्रीय स्वार्थ , माफियाओं की धमकी का वजह  से एक ख़ास नेता तैं वोट दीणो मजबूर हूंदन। यी असल मा बंधुवा मतदाता छन।
कुछ ऐंठदार मतदाता छन जो वोट दीण अपण तौहीन समजदन।
मतदाता की पूछ केवल मतदान तक ही हूंद अर  एक बात सत्य च कि हरेक मतदाता चुनाव बाद निरसे जांद अर अगला चुनाव आण तक रोज निरस्याणु रौंद , अगला पांच सालुं तक रुणु रौंद।


Copyright@  Bhishma Kukreti  10 /4/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

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                            राहुल गांधी अर  साकेत बहुगुणा की आपसम छ्वीं बत्था

                                       हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )   

अब जब टिहरी क्षेत्र से कॉंग्रेसौ टिकेट हेमवती नंदन राज्य कु राजकुमार तैं मील गे तो अवश्य ही कॉंग्रेसौ महाराजा राहुल गांधी की हेमवती नंदन राज्य कु राजकुमार साकेत बहुगुणा से अवश्य ह्वेइ होलि।  मीन अंथाज लगाइ कि महाराजा राहुल अर राजकुमार साकेत का मध्य क्या छ्वीं लग होलि।
राहुल गांधी -हेलो राजकुमार साकेत ! क्या हाल छन ?
साकेत बहुगुणा -महाराजा , चक्रवर्ती सम्राट की जय हो ! सब आपकी मेहरबानी सरकार। आपकी मेहरबानी से बाबा जी , बुआ जी  सब आनंद मा छन , रंगत मा छन।
राहुल गांधी -राजकुमार साकेत ! मी चुनाव की बात करणु छौं।
साकेत बहुगुणा -हाँ , सम्राट !  अब टिहरी जाणो तयारी करणु छौं।
राहुल गांधी -हेमवती नंदन धरोहर का  प्रिंस ! त्यार विरुद्ध नरेंद्र मोदीन कैतै खड़ु कार ?
साकेत बहुगुणा -सरकार इख बिटेन टिहरी रियासत का महाराजा, टिहरी का भूतपूर्व सांसद मानवेन्द्र शाह की पौत्र पत्नी ,  महारानी राज्य लक्ष्मी शाह नरेंद्र मोदी की पार्टी से खड़ी च।
राहुल गांधी -विजय पुत्र ! या महारानी नरेंद्र मोदी की च्वाइस च या भाजपा की च्वाइस ?
साकेत बहुगुणा -महाराज ! या जिताऊ कंडिडेट की च्वाइस च।
राहुल गांधी -अच्छा , नरेंद्र मोदी त बुल्द कि परिवार वाद बुरु च। फिर टिहरी रियासत
साकेत बहुगुणा -युवर मेजेस्टी ! ये नरेंद्र मोदीक बात नि  कारो।  अभियोग लगाण त वैक काम च।
राहुल गांधी -राजकुमार !  कुछ चुनावी रणनीति बि बणाइ कि ना ?
साकेत बहुगुणा -हे सम्राट ! हरेक भाषण मा मि बारा दैं नरेंद्र मोदी तैं गाळी द्योलु , आठ   दैं मुस्लिम मतदाताओं तैं डरौलु अर आठ  दैं राहुल गांधी की जय हो , युवा नेता राहुल गांधी बुलल।
राहुल गांधी -प्रिंस ! इन नि लगणु च कि मुस्लिम मतदाताओं तैं डराणै बात कम हूणि च ?
साकेत बहुगुणा -हे गांधी परिवार का सूर्य ! इख मुस्लिम मतदाता छैंइ नीन।
राहुल गांधी -पर फिर बि कॉंग्रेस नीति अनुसार भाषणु मा नरेंद्र मोदी तैं गाळी अर मुस्लिम मतदाताओं तैं भयभीत कराण मा अनुपात बराबर हूण चयेंद।
साकेत बहुगुणा -सम्राट ! ठीक च मि दस दैं नरेंद्र मोदी तैं गाळी द्योलु , दस दैं मुसलमानुं तैं डरौंलु अर बारा दैं राहुल गांधी जी प्रशंसा गीत गौलु।
राहुल गांधी -राजकुमार ! अब अनुपात ठीक बैठणु च।
साकेत बहुगुणा -सलाह का वास्ता धन्यवाद महाराज !
राहुल गांधी -अच्छा , सूचना का अधिकार की बात ?
साकेत बहुगुणा -युवर मैजेस्टी ! उत्तराखंड मा सूचना का अधिकार स्लोगन चुनावुं मा  नि बिकुद ।
राहुल गांधी -महान हेमवती नंदन के महान पौत्र ! उत्तराखंड मा सूचना अधिकार कु झुनझुना किलै नि  बजद ?
साकेत बहुगुणा -हरेकाक रिस्तेदार सचिवालय मा छन तो तकरीबन सब सूचना लोगुं तक पौंछ हि जांद।
राहुल गांधी -प्रिंस ! अच्छा मनरेगा की खिल्वणि त बजैल कि ना ?
साकेत बहुगुणा -चक्रवर्ती सम्राट ! मनरेगा की खिल्वणि अब पुरण पोड़ गे।
राहुल गांधी -अच्छा तो फ़ूड सेक्युरिटी बिल की बात कारो
साकेत बहुगुणा -हिज हाइनेस ! लोग फ़ूड सेक्युरिटी का अर्थ नया नया खाद्यान भंडार चिणन   समझणा छन।
राहुल गांधी -राजकुमार ! तो जनता तैं बिंगावो की फ़ूड बिल क्या च ?
साकेत बहुगुणा - क्षमा कीजिये महाराज ! जब मेरी समज मा नि आणु च कि यु फूड बिल क्या बला च त मि लोगुं तैं क्या समझाऊं ?
राहुल गांधी -समज मा त मेरि बि नि आयि कि यु फ़ूड सेक्युरिटी बिल क्यांक दवा च पर फिर बि मि बौंळ बिटैक भाषण दींदु  छौं कि ना की हम तुम्हारे लिए फ़ूड बिल लाये है ?
साकेत बहुगुणा -ठीक च सरकार ! मि फ़ूड सेक्युरिटी बिल की बात ऊनि करुल जन दादा जी इलाहाबाद मा गरीबी हटाओ की बात करदा छा।
राहुल गांधी -दैट्स कॉंग्रेसी स्पिरिट !
साकेत बहुगुणा -थैंक यू हिज हाइनेस !
राहुल गांधी - हे विजय पुत्र ! तो फिर तुम जनता तैं कनकै बौगैल्या (झांसा से शांत ) ?
साकेत बहुगुणा -युवर मैजेस्टी ! बिजीं जनता याने जागृत जनता तै बौगाये जांद। सियीं जनता तैं बौगाणे जरूरत ही नी च।
राहुल गांधी - टिहरी मा सियीं जनता ?
साकेत बहुगुणा - यस ! हिज हाइनेस ! जब जनता भूतपूर्व महाराजा तैं हर बार संसद मा भिजदी , जब जनता गढ़वाल से बेपरवाह विजय बहुगुणा तैं संसद मा भिजदी , गढ़वाल का दुःख सुख से अनजान राज्य लक्ष्मी तैं संसद मा भिजदी तो अवश्य ही या जनता सियीं जनता च।
राहुल गांधी - अच्छा जितणो चांस छन  की ना ?
साकेत बहुगुणा - हिज हाइनेस ! ये बगत ना सै तो 2019 मा जितलु , निथर 2024 मा त जितुल ही।
राहुल गांधी - दैट्स वेरी गुड स्पिरिट।  मी बि 2024 मा प्रधान मंत्री बणणो तैयारी करणु छौं।

**यदि मिस्टेक से उपरोक्त वार्तालाप सही हो तो उसमे मेरी कोई मिस्टेक ना मानी जाय।

Copyright@  Bhishma Kukreti  11 /4/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

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                                    चुनावमा गढ़वाळम  ऊँट कै हौड़ (करवट)  बैठल ?

                                      हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )   


 अचकाल 2014 का लोकसभा चुनाव का वास्ता ओपिनियन पोल वाळ , अखबारुं बड़ा बड़ा नामी राजनैतिक विश्लेषक , टीवी मा टिप्पणी दीण वाळ टिप्पणीकार रोज फोन करणा रौंदन ," भीषम जी !  बताना पौड़ी गढ़वाल में ऊँट किस करवट बैठेगा ?" या "कुकरेती जी गढ़वाल में कॉंग्रेस का ऊँट किस करवट बैठने वाला है ?"
पैल उन त मि मुंबई मा बैठिक बतै दींदु छौ कि कॉंग्रेस का ऊँट कना करवट ल्यालु अर भाजपा का ऊँट कै छ्वाड़ करवट ले सकुद।  पण जब बिटेन भुवन चन्द्र खंडूरी चुनाव हार तो मि समजी ग्यों कि इख मुंबई से पता लगाण कठण च कि भाजपा कु ऊँट कै हौड़ बैठल अर कॉंग्रेस कु ऊँट कना लमलेट ह्वालु।  फिर अब त एक नै ऊँट याने आप पार्टीक ऊँट बि ऐ ग्यायि तो ऊँटुं हौड़ (करवट ) लीणो ढंग-ढाळ  इ बदल गे।  इन मा मि ग्राउंड रियलिटी  जाणनो बान गढ़वाल चली ग्यों।
पैल मि  गढ़वाळ ग्यों तो कॉंग्रेस का अर भाजपा द्वी पार्टयूं ऊँट मिल गेन।   द्वी ऊंट   शंड -मुशंड हाथी अर सांड जन वजनदार छा।    कॉंग्रेसी ऊँट पिछ्ला दस सालुं से केंद्रीय चारागाह मा दिन रात चारा खाणु छौ त वैन म्वाट हूणी छौ अर भाजपा का ऊँट पिछ्ला पांच सालुं से राज्य चारागाह मा बैठिक चरबी बढाणु छौ तो वी बि मस्त सांड जन म्वाट हुयुं छौ।
 द्वी ऊँट शंड -मुशंड हाथी जन पड़्यां क्या फकोरिक सियां छा।
कॉंग्रेसी ऊँट अजीब सि हालात मा सियुं छौ।  साफ़ छौ कि यु कॉंग्रेसी ऊँट किम कर्तव्य ? की सोच का कारण सियुं छौ। पता इ नि लगणु छौ कि कॉंग्रेसी ऊँट कै करवट मा सियुं छौ अर अब कै हौड़ फरकल।
मीन कॉंग्रेसी ऊँट तैं बिजाळ अर पूछ ," अरे कॉंग्रेसी ऊँट ! चुनाव बगत च अर तु सियुं छे ?"
कॉंग्रेसी ऊँट को जबाब छौ ," क्या करण ? सतपाल महाराज से उम्मीद छे कि कॉंग्रेस भाजपा तैं टफ फाइट द्याला अर अल्लाह -हो -अकबर का चेला जय श्री राम का चोला पैरण मिसे जावो तो कॉंग्रेस की हार हूणी च त इन मा मीन सीण नी च त क्या करण ?"
मीन ब्वाल ," मतबल तीन सोचि याल कि कॉंग्रेस की हार पक्की च। "
कॉंग्रेसी ऊँट कु उत्तर छौ ," मीन क्या सोचि याल।  राहुल बाबान बि मानि याल कि हार तो पक्की च।  इन मा जब मीन मन मा हार मानि याल तो किलै फ़ोकट मा कुछ करे जावो। किस किसको रोएँ , आराम बड़ी चीज है , मुंह ढक के सोइये।  अर अबि तलक निर्णय बि नि ह्वे कि कॉंग्रेसी उम्मेदवार कु जि छन "
मीन कॉंग्रेसी ऊँट तैं पूछ ," त इन त बता कि तू किस करवट बैठेगा ?"
कॉंग्रेसी ऊँटन ब्वाल ," कुछ समज मा नी आणु च कि जब हार पक्की हो तो कना  करवट बदलण। "
मीन सियुं शंड -मुशंड भाजपाई ऊँट तैं बिजाळ अर प्रश्न कार ," ये भै भाजपाई ऊँट तू किलै फकोरिक , बेखबर , निश्चिन्त सियुं छे ?"
भाजपाई ऊँटौ उत्तर छौ ," जब मोदी लहर च , जब ओपिनियन पोल बुलणा छन कि हमन हंड्रेड पर्सेंट जितण इ च त मिन  सुखानंद मा नींद नि लीण त क्या करण ? जब जीत पक्की हो तो मेहनत करण बेवकूफी च। "
मीन ब्वाल ," आडवाणी जीन बोली बि च कि कखि भाजपा ओवर कॉन्फिडेंस मा पैथर नि रै जावु। "
भाजपाई ऊटन जबाब दे ," बुड्याक त दिमाग खराब हुयुं च।  फ्रस्ट्रेसन मा कुछ बि बुलणु रौंद , बखणु रौंद।  जा कै हैंक पार्टीक ऊँट मा जावो।  मि तैं डिस्टर्ब नि कारो।  मि तैं सीण द्या।"
मीन पूछ ,"  हे भाजपाई ऊँट इन त बता कि तू किस करवट बैठेने वाला है ?"
भाजपाई ऊँट को जबाब छौ ," मी त सत्ता पक्ष की दिसा मा बैठण वाळ छौ। "
इथगा मा रेडियो से समाचार आइ ," कॉंग्रेस ने टिहरी चुनाव क्षेत्र से साकेत बहुगुणा , पौड़ी क्षेत्र से हड़क सिंग रावत और हरिद्वार क्षेत्र से रेणुका रावत को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। "
द्वी ऊँट चड़म खड़ ह्वे गेन अर भागण बिसे गेन।
मीन पूछ ," अरे द्वी किलै भागणा छंवां ?"
भाजपा ऊँट कु जबाब छौ ," अब  मि तैं हार कु डौर सताणु च त मि जनता की नबज टटोळणो  जाणु छौं कि जनता कु ऊँट कै हौड़ फरकल धौं (किस करवट बैठेगा )."
कॉंग्रेसी ऊँट कु उत्तर छौ ," मि तै इन लगणु च की हम बि जीत सकदा।  मी बि वोटरूं मंशा जाणनो  जनता का बीच  जाणु छौं कि वोटरुं  ऊँट कै हौड़ फरकल धौं (किस करवट बैठेगा )."
द्वी ऊँट भाजि गेन।
मीन द्याख कि तीन सुक्यां ऊँट कड़कड़ा ह्वेक खड़ा छा।  यूं ऊँटुं पर ना सान छे ना बाच छे।  बस यि खड़ा छा।
मीन एक तैं पूछ बल यी कैक ऊँट छन अर इन किलै खड़ा छन ?
वैक जबाब छौ ,"यी असल मा काठक नकली ऊँट छन। "
मीन पूछ ," कैक छन यी नकली ऊँट ?"
वैक उत्तर छौ ," एक ऊँट उत्तराखंड क्रांति दल (ऐरी ग्रुप ), एक ऊंट उक्रांद (पंवार ग्रुप ) अर तिसरु ऊँट उक्रांद (दिवाकर भट्ट ग्रुप ) का नकली ऊंट छन। "
मीन पूछ ," अर आम आदमी  पार्टीक ऊँट कख च ?"
वैन ब्वाल ," आप पार्टीम ऊँट नी च।  आप पार्टीम मुसक्या चोर याने चौंर्या स्याळ च। "
 पाठको मि तैं त पता नि चौल कि गढ़वाळम चुनावी ऊँट कै हौड़ (करवट ) फरकल।  क्या आप बतै सकदा कि ऊँट किस करवट बैठेगा ?

Copyright@  Bhishma Kukreti  13 /4/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

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                   आज फिर से उत्तराखंड आंदोलन की अत्यंत आवश्यकता च

                                     विमर्श :भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

जब उत्तराखंड राज्य बौण अर इख मुंबई मा बि नौ नवम्बरो खुण जलसा ह्वेन। स्व . गुसाईं जीन एक जलसा मा भाषण दीणो निमंत्रण दे बि छौ त मीन गुसाईं जीमा बोलि छौ - उत्तराखंड भौत जल्दी मील गे अर आबि त उत्तराखंड आंदोलन तै अगनै जाण चयेणु छौ।
 मीन एक लेख लेखि छौ कि उत्तराखंड राज्य बणनो बाद उत्तराखंड आंदोलन की हौर ज्यादा जरूरत ह्वे गे  तो चूँकि लेख  गढ़वाली भाषा मा छौ तो वै लेख संपादकन बि नि बाँचि होलु  अर मै नि लगद कि कै  पाठकन बि पौढ़ ह्वा धौं।
म्यार बुलण छौ कि उत्तराखंड आंदोलन केवल राज्य प्राप्ति साधन नी च अपितु राज्य मा बहु उद्द्येशीय कार्य प्राप्ति साधन च अर यूं कार्यों तैं पूरो करणो एक ही साधन च उत्तराखंड आंदोलन।
आज फिर से उत्तराखंड आंदोलन की अत्यंत आवश्यकता च।
जी हाँ मि ढोल बजैक , रौंटळ बजैक , जंघड़ ठोकिक बुलणु छौं कि आज 2014 मा उत्तराखंड आंदोलन की बड़ी आवश्यकता च।
भारत स्वतंत्र ह्वै अर भारत आंदोलन समाप्त ह्वे गे जब कि भारत आंदोलन की आवश्यकता आज जादा ह्वै गे।
कॉंग्रेस्युंन क्या कार कि संविधान लागू कार अर जू आंदोलन का मुख्य उद्द्येस्य छा वूं उदेस्य पूर्ति की जुम्मेवारी संविधान तैं दे द्याई अर स्वतंत्रता का साठ पैंसठ साल बाद बि भारत भारत नी च।  संविधान अर बजट निर्जीव डंडा छन यूंसे भारत नि बौण सकुद।  भारत बणाणो वास्ता ज़िंदा भावना चएंदी जो कि भारत आंदोलन मा ही मिलदी।  जब बि भारत मा क्वी सामजिक बीमारी भगाणो बात ह्वे होलि त नेतौंन एक नया नियम भारत तैं दे दयाई।  बीमारी त नि भागि उलटा नया नियम से एक नई बीमारी जि ऐ गे।
भ्रस्टाचार एक सामजिक अर मानवीय बीमारी च अर हमर नेताओँन संविधानिक नियम बणैक भ्रस्टाचार पर लगाम लगाणो कोसिस करणो स्वांग कार अर भ्रस्टाचार दुगणो हूंद गे।  इनि बलात्कार का बि हाल छन।  बलात्कार एक शारीरिक , मानवीय अर सामजिक बीमारी च त हमर नेता संविधान का नियमुं से बलात्कार रुकणो बात करणा छन।
सामजिक चेतना की हर समय भारत तैं जरूरत हूंदी।  हमर नेताओंन हर छै सौ (600 ) मनिखों पैथर एक NGO भारत तैं दे द्याई अर कुज्याण सामजिक चेतना कख हर्ची गे धौं !
इनि उत्तराखंड बणनो बाद उत्तराखंड आंदोलन खतम ह्वै गे अर उत्तराखंड अब उ उत्तराखंड नि बौण जांक कल्पना या योजना आंदोलन का बगत करे गे छे।
सुचे गे छौ कि जल , जमीन अर जंगळ कु समुचित उपयोग से पहाड़ों से पलायन रुकल किन्तु क्वी सामाजिक आंदोलन नि हूण से समाजन जल , जमीन अर जंगळ की जुमेवारी सरकारी उत्तरदायित्व मानि आल तो पलायन दुगणा -तिगुणा दर से हूँणु  च। . समाजन पल्ला झाडी आल अर पलायन की जुमेवारी से दूर ह्वे गे।
शिक्षा का कुहाल छन किन्तु सामाजिक आंदोलन नि हूण से शिक्षा अब कुमचयर पोड़ी च।
मैदानी मानसिकता विकास का पैमानों पर भारी च अर हमन  सड़क , बिजली , पाणि  नळको तैं विकास मानि आल अर उत्पादक शीलता  तैं खाड जोग करी आल।  उत्तराखंड सामाजिक आंदोलन ज़िंदा हूंद तो विकास का पैमाना /तराजू उत्पादक शीलता हूंद।
पर्यटन क्रान्ति अब केवल सरकार पर निर्भर ह्वे गे अर  जनता तैं पर्यटन की पडीं बि नी च तो इन माँ क्या उत्तराखंड आंदोलन की आवश्यकता नी च ?
सब परेशान छन कि गूणी -बांदर अर सुंगरुँ से कृषि काम पहाडूं मा खतम ह्वे गे।  तो भई एक बात बतावो कि सरकार पर दबाब कु बणालु ? केवल समाज ही सरकार पर दबाब बणालु , किन्तु समग्र उत्तराखंड अान्दोलन नि हूण से जंगली जानवरुं समस्या जख्याकि तखि च। 
इनि दसियों सवाल छन जो सामजिक चेतना से ही संभव छन।  किन्तु क्वी समग्र पहाड़ी आंदोलन नि हूण से सबि सवाल तो उखी छन अर जबाबुं हरचंत हुयुं च।
आज फिर से समग्र उत्तराखंड आंदोलन की आवश्यकता च।

 Copyright@  Bhishma Kukreti  18  /4/2014
 

Bhishma Kukreti

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                                         कृपया मुझे मारने की धमकी अवश्य दें !

                                      हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

अचकाल आम आदमी पार्टी का बुरा हाल छन।  आप पार्टी से ज्यादा आजम खान अर अमित शाह चर्चा मा छन।  जख कुछ दिन पैल केजरीवाल ऐंड कंपनी ज़रा टीवी   न्यूज खै जांद छे उख अचकाल अाजम खान अर अमित शाह टीवी चैनलों टीआरपी बढ़ाना छन।

मि सुचणु छौ बल  अाजम खान अर अमित शाह द्वारा सोसल मीडिया कु वाइरल न्यूज  , टीवी न्यूज अर अखबारुं खबरूं पर भयंकर अतिक्रमण से कुमार विश्वास का त भौत बुरा हाल होला।  मीन घड़याई कुमार विश्वास ब्रेकिंग न्यूज बणनो बान क्या क्या करणा होला।
एकान पूछ ," कुमार जी क्या हाल छन ?
कुमार विश्वास "सर जी ! बुरा हाल छन।  दिन बुरा चलणा छन। "
"कनो जितणो थ्वड़ा बि आस नि रै गे ?" कुमार विश्वास से सवाल छौ।
कुमार कु जबाब छौ ," ओहो ! कु वेवकूफ अमेठी मा जितणो ऐ छौ ?"
प्रश्न -"तो तुम अमेठी मा जितणो भावना से नि ऐ छया ?"
कुमार विश्वास - ना , इख तक कि केजरीवाल जी बि वनारस जितणो मनशा से थ्वड़ा अयाँ छन। "
प्रश्न - तो ?
कुमार विश्वास - हम त टीवी न्यूज बणना बान चुनाव लड़ना छंवां।
प्रश्न - त रूणा किलै छंवां ?
कुमार विश्वास - अमेठी मा हम तैं क्वी बि न्यूज कवरेज नी दीणु च।
प्रश्न - त कुछ टुटब्याग कारो , कुछ ऊट -खाटी कारो।
कुमार विश्वास - टुटब्याग कार किलै नि छन पर कुछ  असर ही नि हूणु च।
प्रश्न - क्या क्या टोटका करिन ?
कुमार -विश्वास - अरे वैदिन मीन मुंड फुड़वाइ अर मुंड फुंडनो क्लिप सोसल मीडिया मा डाळ कि लोगुं सहानुभूति मीलली ।  तो पता च क्या क्या कमेंट्स ऐन ?
प्रश्न -क्या ?
कुमार -विश्वास -अरे ऊँ कमेंट्स पौढ़िक कॉंग्रेसी नेता दिग्विजय सिंग जीक फोन आई।
प्रश्न -हैं ?दिग्गी बाबुक फोन आयि ? क्या बुलणा छा ?
कुमार -विश्वास -दिग्गी बाबुन पूछ कि मुंड फुड़णो नाटक कु डाइरेक्टर क्वा च ?
प्रश्न -मुंड फुड़णो नाटक कु डाइरेक्टर क्वा च ? क्या मतबल ?
कुमार -विश्वास -दिग्गी बाबू मध्य प्रदेश मा कॉंग्रेस्युं मुंड फुडण चाणा छन कि मध्य प्रदेश बिटेन कॉंग्रेस्युं कुछ त न्यूज आवो ।
प्रश्न -त तुमन दिग्गी बाबु तैं मुंड फुड़ण वाळ नाटको डायरेक्टरों नाम बथाइ च कि ना ? 
कुमार -विश्वास -यां मि इख अमेठी मा चुनाव लौड़ कि मध्य प्रदेश  मा कॉंग्रेस्युं कुण नाटक कौरुं ?
प्रश्न -अच्छा त अपण विरोध मा काळा झंडा दिखवावो अर टीवी वाळु तैं बथावदी कि द्याखो कॉंग्रेसी डौर गेन अर म्यार विरुद्ध झंडा दिखाणा छन।
कुमार -विश्वास -ये नाटक पर केजरीवाल जीक प्रभुत्व याने एकाधिकार च। हमन मीडिया मा न्यूज मा रौणो कुण काम बंट्या छन।
प्रश्न -अच्छा ?
कुमार -विश्वास -हाँ , केजरीवाल जी थप्पड़ बि खाला अर अपण विरोध मा झंडा बि दिखाला।
प्रश्न -औ ! त प्रेस कॉन्फ्रेंस मा टोपी ही उछवाल्या।
कुमार -विश्वास -प्रेस कॉन्फ्रैंस मा अपण टोपी अफिक उछवाळणो ठेका तो प्रशांत भूषण तैं मिल्युं च।  अर फिर टीवी अर मीडिया वाळ प्रेस कोन्फेरेंस मा अपर टोपी अफिक उछळवाणै न्यूज नि दिखाँदन ।
प्रश्न -ओहो यी त बुरा हाल छन।
कुमार -विश्वास -हाँ कुछ समझ मा नि आणु च कि न्यूज की चीज कनै बणे जाव।
प्रश्न -तो प्रियंका बड्रा पर अभियोग ही लगै द्यावो कि कुमार विश्वास को मारने की साजिस रची जा रही है।
कुमार -विश्वास -हाँ यी टुटब्याग बि आजमाई याल पर टीवी पत्रकार दोस्त बुलणा छन कि यीं न्यूज दिखाण से ऊंक टीआरपी बढ़णो जगा लोग टीवी दिखण बंद करणा छन। 
प्रश्न -तो अब क्या करिल्या ?
कुमार -विश्वास -अब क्या करण ? चुनाव लड़न पर ही ध्यान द्योल्या अर बकै त हम तैं कुछ नि आंद। 



Copyright@  Bhishma Kukreti  19 /4/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

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                                          चखुली समिण घासक  रूण अर अपण व्यथा लगाण

                                                      विमर्श -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )


घास की एक तिरण - ए गौरैया चखुलि ! आज दौड़ कना ?
गौरैया - ह्याँ मि अब पहाड़ छुड़णु छौं।
घास की एक तिरण - हे चखुलि भूलि ! तू त भागवान छे जु मैदानुं जिना जाणि छे।  क्वा च ऊख ?
गौरैया -सबि रिस्तेदार त मैदानुं मा छन।
घास की एक तिरण -रिस्तेदार त म्यार बि भौत छन।  पर छ्वारा -छापर का क्वी रिस्तेदार नि हूंद।  ज्यू त म्यार बि बुल्यांद कि मी बि मैदान भाजि जौं।
गौरैया -त्यार कारण त मि अब पहाड़ छुड़णु छौं।   पैल गां बिटेन मनिख पहाड़ छोड़िक मैदान भागिन त मेंकुण खाणै कमी ह्वे।  त मि  त्यार आस पास का कीड़ा -मकौड़ों पर निर्भर ह्वे ग्यों।  मीन स्वाच कि त्यार आस पास का कीड़ा अर बीज खैक जिंदगी बितै द्योल।
घास की एक तिरण -यां चांद त मि बि छौ कि तु रैलि त म्यार आस पास का कीड़ा -मकौड़ा में से दूर राला।
गौरैया -हाँ पर अब  त्यार बुट्या ही नि छन तो कीड़ -मकोड्वोंन कखन हूण ?
घास की एक तिरण -पर इखमा मेरि क्या गलती।  मेरी त जनरेसन ही खतम हूणी च अर तू में पर दोष लगाणी छे।
गौरैया -त जनरेसन किलै नि बचाणि छे ?
घास की एक तिरण - अरे पैलाकि सि बात थुका रईं च कि मनिख मि तैं कटद छा त मेरी ट्रिमिंग अफिक ह्वे जांदी छे , जानवर चरदा छा त ट्रिमिंग का अलावा हम तैं मोळ मिल जांद छौ।  फिर कथगा ही झाडी छे तो भूमि मा जल स्तर मथि रौंद छौ।  गोरुं अर तुम सरीखा चखुलूँ परताप हमर बीज इना ऊना बिखर जांद छा तो हमारा  खूब मजा रौंद छा।  हम मनिख , लुखंदर अर पालतू जानवरूं , घ्वीड़ -काखडू परताप खूब फलणा - फुलणा रौंद छा।
गौरैया -अरे त अब बि फूलो फलो अर हम चखुलुं तैं बि बचाओ।
घास की एक तिरण -ह्यां पण हम घास परिवारुं तैं बचणो सब अवसर ही खतम ह्वे गेन
गौरैया -पर ?
घास की एक तिरण -पर क्या ? मथि डांडूं मा कुंळै फलणा - फुलणा छन अर अब सि कुंळै तौळ तक ऐ गेन। जन जन कुंळै बढ़दा गेन त जमीन मा अम्ल -एसिड बड़द गे अर हम घासुं खज्यात आंद गे।  फिर चीड़ों जंगळ मा चीड़ूं पत्तों तौळ इन किरम्वऴ पैदा ह्वे जांदन कि हमर पैदा हूण मुस्किल ह्वे जांद।  इन मा हमर जिंदगी ही खतरा मा पोड़ि गे।  कुंळैउंन बांज मारि देन अर घास बि निबट गे। 
गौरैया -हम चखुलों कुण किरम्वळ त ठीक छौ पर हम उथगा ठंड मा नि रै सकदां।  त घाटयूँ मा फबो अर हम तैं बि फबण द्यावो।
घास की एक तिरण -घाट्युं मा स्यु लैन्टीना नि फैली गे ?
गौरैया -ये मेरि ब्वे ! नि कौर तैं असुण्या लैन्टिना की बात।  ना त हम पहाड़ी चखुल तैक बीज खै सकदां अर ना ही लैन्टिना पर पळण वाळ कीड़ खै सकदा।  मि त बुल्दु ईं लैन्टिना की जात ही खतम ह्वे जांद ना !
घास की एक तिरण -अरे लैन्टिना की जात क्या खतम होलि। लैन्टिनांन त हम घासक  जड़ नास , कुल नास करी आल।
गौरैया -ह्यां पण इन बिजोग किलै पोड़ ?
घास की एक तिरण -अब जब मनिख गां मा नि छन अर जु छैं बि छन वु खेती करदा नि छन तो लैन्टिना तैं बढन से क्वी रुक्दो बि नी च अर यांसे लैन्टिना दिन रात चौगणी दर से बढणु च अर हमर खज्यात आणि च।
गौरैया -पर किलै ?
घास की एक तिरण -अरे यी निर्भागी लैन्टिना भूमि मा क्षार पैदा करदो अर हम क्या भौत सा झाड़्यूं विकास रोकि द्यून्द।  अर फिर लैन्टिना बढ़ण से भूमि मा पाणि स्तर बि कम ह्वे जांद अर इन मा सैकड़ों घास अर वृक्ष जमण बंद ह्वे गेन।
गौरैया -हां भै ! छ तो यु लैन्टिना खराब इ च। अब त लैन्टिना तौळ बाग़ अर सुंगर लुकिक रौंदन।
घास की एक तिरण -अर बाग़ या सुंगरुं से हमर ज्यादा कुछ फायदा नी च।
गौरैया -त अब तुम घास या झाड़ी क्या सुचणा छा। कुछ उम्मीद ?
घास की एक तिरण -बस जनरेसन खतम हूणै प्रतीक्षा करणा छंवां ।




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                                           समाजवादी साम्यवाद अर नरेंद्र मोदी

                                      हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )


सन 2014 कु लोकसभा चुनाव अपणा आप मा एक अतुलनीय , एक आश्चर्यजनक , अभिनव , अजीव सि चुनाव सिद्ध हूणु च।
सन 1971 या सन 1977 मा इंदिरा गांधी सरा चुनाव की केंद्र बिंदु छे किलैकि वा सरकार मा छे पर सन 2014 का जन नि छे जख विरोधी दल कु नेता नरेंद मोदी केंद्र बिंदु च याने चुनाव की धुरी नरेंद्र मोदी च।
ये 2014 का चुनाव मा पार्टी इन समझणा छन कि वूंकी पार्टी  अफ़ग़ानिस्तान की क्रिकेट टीम च अर नरेंद्र मोदी अजेय भारतीय क्रिकेट टीम च  !
आरएसएस संस्था तब इथगा मुखर रूप मा राजनैतिक काम नि करदी छे किन्तु इंदिरा गांधी तब बि सब जगा आरएसएस की भयंकर तरह से आलोचना करदी छे।  मीन सन 73 -74 मा देहरादून की एक सभा मा इंदिरा गांधीक मुखन सुणी कि आरएसएस भारत का वास्ता नुकसानदेय च।  मीन अपण दगड्यों तैं पूछ बल यु आरएसएस क्या बला च तो पता चौल कि आरएसएस जनसंघ की ब्वे च।  तब जनसंघ से  (उत्तराखंड का प्रथम मुख्यमंत्री ) नित्या  नन्द स्वामी चुनाव लड़दु छौ अर हारदु छौ।  किन्तु इंदिरा गांधीन देहरादून वाळु तैं आरएसएस की डौर अवश्य दिखै छौ। हम गढवाळयूं तैं कॉंग्रेस का अलावा क्वी हौर पार्टीका बारा मा पता बि नि छौ   किन्तु इंदिरा भक्ति मा मी बि आरएसएस विरोधी ह्वे गे छौ। याने इंदिरा गांधी एक इन संस्था का बारा मा डरांदि छे , जैंक बारा मा हम सरीखा युवाऊँ तै डरांदि छे जैक बारा मा हम नि जाणदा छा। हाँ इंदिरा गांधी इन भेड़िया से सचेत रौणै बात करदी छे जै भेड़िया तैं हमन नि देखि छौ।
आज आरएसएस भौत ताकतवर संस्था ह्वै गे तो हरेक पार्टी आरएसएस की आलोचना से  अपण मेनिफेस्टो का पेज भरणी च।
यु चुनाव एक अजीव चुनाव च अर आश्चर्यचकित करदो।
जख राहुल गांधी या सोनिया गांधी तैं अपण दस सालुं शासन का गुणगान करण चयेंद छौ यी द्वी आसाम मा बुलणा छन कि गुजरात मा कुछ नि ह्वै।
जख राहुल गांधी तैं लखनऊ चुनावी सभा मा उत्तर प्रदेश की बदहाली का वास्ता मुलायम सिंह अर मायावती की कटु आलोचना करण चयाणी छे तो राहुल गांधी बुलद बल उत्तर प्रदेश मा गुजरात मॉडल नि चौल सकुद।
मुलायम सिंह तैं बताण चयेणु छौ कि उत्तर प्रदेश मा लौ ऐंड ऑर्डर ठीक च कि ना किन्तु मुलायम सिंह मैनपुरी की चुनावी भाषणो मा फुंकार मारद कि मि तैं सन 2002 मा नरेंद्र मोदीन दंगा पीड़ित मुसलमानु सेवा करणो इजाजत नि दे।
मायावतीन मजा से भाजपा का काँध मा राज्य सुख पायी किन्तु अब बुलणी च कि नरेंद्र मोदी एक नॉन सेक्युलर पार्टी च।  मायवती बगैर नरेंद्र मोदी तैं गाळी दियाँ अपण भाषण ख़तम नि कौर सकदी।  वींक चौललि त मायवती उत्तर प्रदेश की बदहाली का वास्ता नरेंद्र मोदी पर भगार लगै द्याली।
अखिलेश यादव का उत्तर प्रदेश मा मोटर सड़कु इथगा बुरा हाल छन कि झाँसी से कानपुर पौंछद -पौंछद हिचकोलों से कमर अकड़ जांद अर अखिलेश यादव नरेंद्र मोदी पर भगार लगांद कि गुजरात मा चिपळी सड़क अदानी अर अम्बानी का वास्ता बणी छन।
ममता बनर्जी तैं बंगाल की बुरी हालत का वास्ता बामपंथी विचारधारा तैं गाळी दीण चयेंद पर वा बि गुजरात मॉडल की आलोचना मा अपण भाषण खत्म करदि। इनि हाल जयललिता का छन।
नीतीश कुमार अर लालू यादव या केजरीवाल का निशाना पर केवल नरेंद्र मोदी च।  जु नरेंद्र मोदी विरोधी दल कु नेता च , सबि राजनैतिक दल भारत की भविष्य की बदहाली का वास्ता नरेंद्र मोदी तैं जुमेवार ठहराणा  छन अर गाळी दीणा छन।
एक टैम छौ जब चुनावुं मा भारत मा स्वतंत्र पार्टी अर जनसंघ सरीखी पूंजीपति आर्थिक नीति क समर्थक दल बि साम्यवाद या समाजवाद की पूजा करदा छा अर बुल्दा छा कि हम तैं बोट द्यावो अर तुमर क्षेत्र मा हम समाजवाद लाणो वास्ता कोका कोला की फैक्ट्री लगौला अर अमेरिकन एक्स्प्रेस बैंक की शाखा खुलला। तब हरेक बीमारी की दवा समाजवाद छौ। तब हरेक सुख की सीढ़ी साम्यवाद विचारधारा छे।
आज 2014 का चुनाव मा हरेक दर्द कु कारण नरेंद्र मोदी च अर हरेक मरज कु समाधान बि नरेंद्र मोदी च। 
क्या या स्थिति भारतीय प्रजातंत्र का स्वास्थ्य  का वास्ता ठीक च ? कदापि नही ! व्यक्ति परक विचारधारा प्रजातंत्र का वास्ता बिलकुल बि लाभदायक नी च।  किन्तु भाजपा की मजबूरी च कि 2014 का चुनाव तैं भाजपान व्यक्तिकेंद्रित बणाइ अर बकै सबि राजनीतिक दलूँ कमजोरी च कि वो व्यक्तिकेंद्रित  चुनावी रणनीति तैं समर्थन ही नि दीणा छन अपितु व्यक्तिकेंद्रित चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा बि ह्वै गेन।


Copyright@  Bhishma Kukreti  22/4/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]


Bhishma Kukreti

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                                  प्रियंका वाड्रा  जी  ! इनि  दुःख त जयद्रथ पत्नी दुशाला तैं बि ह्वै छौ

                                          हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )


भारत  एक  अति विशेष देस च।  इख जब युद्ध मा कुछ नि चलद त भावनाओं का तीर आखरी हथियार चलाये जांदन।  क्वी रखड़ि पैरान्दु त क्वी कुछ हौर भावनाओं से काम चलांदु।
अबारी सन 2014 का  सभा चुनाव की शुरुवात विकास जन विषय से शुरू ह्वे अर अंत धार्मिक उन्माद अर व्यक्तिगत छींटा कशी से समाप्त हूण वाळ च।  चुनाव आंद आंद विकास खड्डा जोग ह्वे गे , भ्रस्टाचार ढैपरम से गे , आम जनता की समस्या कुज्याण कख हर्ची गेन धौं !
अब त व्यक्तिगत लांछनाओं से वोटरूं पुटुक भरणै आश्वासन दियाणा छन।
इनि एक लांछन नरेंद्र मोदीन गांधी परिवार की बेटी प्रियंका वाड्रा  का हजबैंड राबर्ट बाड्रा पर लगै दे कि एक लाख की मूल धन राशि से 300 करोड़ रुपया करणो बान RSVP योजना बौण, R से राहुल , S से सोनिया , V से वाड्रा अर P से प्रियंका।
अर यांपर गांधी परिवार की शहजादी प्रियंका वाड्रा भावनात्मक रूप से आहत ह्वे गे कि राबर्ट वाड्रा का भ्रस्टाचारी कार्य तो राजकीय पाप च अर ये राजकीय पाप तैं चुनावी मुद्दा नि बणाये जाण चयेंद।  प्रियंका वाड्राक बुलण च कि यि व्यक्तिगत आक्षेप छन।
प्रियंका वाड्रा सही बुलणि च कि वाड्रा विर्तांत एक व्यक्तिगत वृतांत च।
त हे राजकुमारी ! जब एक साल पैल बिटेन दिग्विजय सिंह नरेंद्र मोदी की पत्नी कख च ? नरेंद्र मोदीन अपण पत्नी छोड़ीं च जन भगार लगैन तो क्या यी अभियोग व्यक्तिगत अभियोग नि छ्याई जु अब प्रियंका वाड्रा RSVP, जीजाजी शब्दों से चिड़नि च ?
हे नेहरू -गांधी परिवार की लाड़ली ! जब राहुल गांधीन नरेंद्र मोदी की पत्नी प्रकरण की बात चुनावी सभाऊँ मा उठाइ तो क्वी कॉंग्रेसी प्रियंका वाड्रा से  पूछन त सही कि क्या मोदी पत्नी प्रकरण व्यक्तिगत लांछन नि छौ ?
हे नेहरू खानदान की प्रिया प्रियंका वाड्रा ! कॉंग्रेसन भारत मा उद्यम बढ़ाणो बान अलग अलग समय पर विभिन्न उद्योगपतियों तैं जगा अर टैक्स रियायत दे।  इख तक कि कॉंग्रेसन कोयला उत्पादन बढ़ाणो बान मुफ्त मा कोयला खान उद्योगपतियों तै देन (मि बुल्दु कि नीति का हिसाब से यु कुछ हद तलक सही कदम छौ )। किन्तु हे मिसेज वाड्रा ! जब राहुल गांधी बि अरविन्द केजरीवाल की सकासौरी मा अदानी -मोदी प्रकरण तै हथियार बणाला तो चुनावी दंगल मा नरेंद्र मोदी सरीखा घाघ राजनेता राहुल गांधी तैं  वाड्रा रूपी पटकनी तो  द्याल कि ना ? केजरीवाल तो नया राजनेता च तो वु कै बि उद्योगपति तैं टारगेट बणै सकुद , किन्तु कॉंग्रेस इन नि बोलि सकिद कि गुजरात मा अदानी -अंबानी तैं महत्व मिलणु च।
त प्रियंका वाड्रा जी ! जब आप सर्वोच्च परिवार का छंवां तो छवि का मामला मा नेहरू-गांधी -वाड्रा परिवार तैं ध्यान दीण ही पोड़ल कि नेहरू परिवार पर रति भर भी दाग नि लग।  यदि भारत की जनता (विरोधी दल समेत ) नेहरू -गांधी परिवार की इज्जत करदि तो या जनता अपेक्षा भि करदि कि राबर्ट वाड्रा -जमीन घोटाला (?) जन प्रकरण नि ह्वावन।  मिसेज वाड्रा जी ! जनता नेहरू -गांधी परिवार से छुट से छुट दाग की बि अपेक्षा नि करदि।
उन मिसेज वाड्रा ! महाभारत मा बि इनि एक धुर्या -लोभी जंवाई छौ।  वु छ्याइ सिंधु नरेश जयद्रथ।  सिंधु नरेश जयद्रथ कौरबुं जीजा याने दुस्साला कु पति छौ।  जयद्रथ द्वारा अपण जेठूं  पत्नी द्रौपदी हरण से बि कौरव बंश की नाक कटी छे अर मृत अभिमन्यु तै लत्याणो पाप कर्म बि जयद्रथन करि छौ अर अर्जुनन जयद्रथ तै मारी छौ।
जयद्रथ का पाप कर्मों की सजा केवल जयद्रथ तैं हि नि मील छौ अपितु दुस्साला तैं बि दुःख भोगण पोड़ छौ। जयद्रथ का पापकर्मों से धृतराष्ट्र अर गांधारी बि बार बार दुखी ह्वे छा।
तो प्रियंका वाड्रा जी ! तुम सरीखा शिखर मा बैठ्याँ  परिवार से भारत की जनता गुजारिस करदि कि जयद्रथ का पापुं दोष भीम या अर्जुन पर नि लगावो अपितु जयद्रथ तैं पाप करण से रोको। 



Copyright@  Bhishma Kukreti  23/4/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]

Bhishma Kukreti

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                                     गढ़वाल मॉडल गुजरात मॉडल से अधिक कामयाब मॉडल च

                                         हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

घरवळि-मीन जब ब्वे से तुमर बाबत बात करी छे त ब्वेन बोलि छौ कि तुमन बार बगत पर धोखा दीण। आज ब्वे की बात सही सिद्ध हूणि च।
मि -क्या ?
घरवळि-हां ! जब बुबा जी तैं पता चौल कि मेरि मनशा तुमर दगड़ ब्यौ करणै च तो पता बुबाजीन क्या बोलि छौ ?
मि -क्या बोलि छौ ?
घरवळि-कि यु इन बल्द लगद जु उन टैम पर त खूब मेहनत करद बस दैं लगांद दैं गळया ह्वे जांद। बुबा जी हंड्रेड पर्सेंट सही था। तुमर दगड़ ब्यौ करिक पछताणु छौं
मि -ये मेरि ब्वे ! ब्यौवक सिल्वर जुबली फाइव स्टार होटलम सेलिब्रेट करणो बाद पछताणि छे ?
घरवळि-हाँ जैंकि बैक तुमर जन होलु वींन मोरद दैं बि पछताण।
मि -त्वै तैं क्यांक पछतावा च ?
घरवळि-जब तुम देहरादून नगरपालिका चुनाव मा भंडारी बिटेन खड़ा ह्वे छा तो मीन सलाह दे छे कि द्वी तीन सिम्पण्या मुसलमान बच्चा पीट द्यावो अर ब्वालो कि मुसलमान सीम्प नि पुंजदन। पर तुमन मानवीयता का नाम पर द्वी चार सिम्पण्या  मुसलमान बच्चा नि पीटेन अर चुनाव हारी गेवां।
मि -बच्चों तैं पिटण क्वी अच्छी बात च क्या ? अर फिर सब्युंका बच्चा त सिम्पण्या हूंदन।
घरवळि-हाँ पर तुमर दगड्या पुरुषोत्तमन द्वी सिम्पण्या मुसलमान बच्चौ पिटाई कार अर तीन शिल्पकार बच्चोंक सीम्प पूंज अर नगर सेवक बणी गे।
मि -पर ऊ काम सामाजिक दृष्टि से बहुत ही बुरु काम छौ।
घरवळि-अब पिछला तीन साल से मि बुलणु छौ कि सोसल मीडिया मा गढ़वाल डेवलपमेंट मॉडल  तैं अपण नाम से प्रसिद्द कारों , फेमस कारो पर तुमन  मेरि बात पर ध्यान नि दे।
मि -ह्याँ पर   …।
घरवळि-सि नरेंद्र मोदीन गुजरात मॉडल तैं प्रसिद्द कार अर प्रधान मंत्री क उम्मीदवार बणी गे।  तुम बि अपण नाम से गढ़वाल मॉडल तैं प्रसिद्द करदा तो अवश्य ही तुम कॉंग्रेस का प्रधान मंत्री का उम्मीदवार ह्वे जाँदा।
मि -ह्याँ पर जब क्वी पूछद कि यु गढ़वाल मॉडल क्या च तो मि क्या जबाब दींदु ?
घरवळि-तो कौन से नरेंद्र मोदी बताणु च कि गुजरात मॉडल क्या च।  मोदी बि त बस गुजरात मॉडल , गुजरात मॉडल की रट लगाणु च कि ना ? अर विरोधी बि बगैर जाण्या गुजरात मॉडल की कटु आलोचना करणा छन।
मि -ह्यां पर क्वी पूछ द्याल   कि हे भीसम ! गढ़वाल मॉडल मा आय याने इनकम का क्या साधन होला ? तो मि क्या जबाब दींदु ? बता जरा गढ़वाल मॉडल मा इनकम का क्या साधन होला ?
घरवळि-यूरी डाडूस , हंट , फेरली आदि का नाम लेकि बोलि दींदा कि गढ़वाल मॉडल मा इनकम का वास्ता ईटी माध्यम सबसे प्रभावकारी माध्यम च।
मि -ईएमटी ? यु क्या च ?
घरवळि-इलेक्ट्रॉनिक मनी ट्रांसफर ।
मि -मतलब ?
घरवळि-मन्योडर इकॉनोमी कु मॉडर्न नाम च ईएमटी याने इलेक्ट्रॉनिक मनी ट्रांसफर।
मि -तो गढ़वाल मॉडल मा इंडिया की इनकम ईएमटी याने इलेक्ट्रॉनिक मनी ट्रांसफर से होली।  किन्तु रोजगार ?
घरवळि-गढ़वाल मॉडल मा हरेक भारतीय तैं पढ़ाई का तुरंत बाद कम से कम दस सालो कुण विदेसुं मा नौकरी करण कम्पलसरी करे जाला।
मि -मतलब पलायन कम्पलसरी ह्वे जाल।
घरवळि-हाँ अकॉर्डिंग टु गढ़वाल मॉडल ऑफ ग्रोथ भारत से पलायन ही भारत मा आर्थिक क्रान्ति लाली।
मि -पर भारत से पलायन का वास्ता शिक्षा प्रबंधन भी आवश्यक च कि ना ?
घरवळि- गढ़वाल मॉडल अनुसार भारत मा शिक्षा का स्टैंडर्ड इथगा हीन करे जाल कि गरीब से गरीब ब्वे -बाब अपण बच्चों तैं भारत मा नि पढ़ाला अर हरेक भारतीय बच्चा केवल विदेसुं मा शिक्षा प्राप्त कारल।
मि -पर्यावरण  का विषय मा गढ़वाल मॉडल क्या बुल्दु ?
घरवळि-कृषि अर पशुपालन पर तुरंत सदा का वास्ता रोक याने बैन लग जालो तो भारत स्वयमेव एक बड़ो जंगल ह्वे जाल।
मि -तो फिर अनाज सप्लाई ?
घरवळि-अनाज इम्पोर्ट होलु।  अरे जब भारत मा लोग हि नि राला त अनाज या अन्य खाद्य पदार्थुं जरूरत ही नि पोड़ली।
मि -स्वास्थ्य योजना का क्या होलु ?
घरवळि-घड्यळ ,  अठवाड़ , मंत्र , तंत्र , बहुत पूजै , मसाण पूजा तैं प्रोत्साहन दिए जाल।
मि - खेल नीति ?
घरवळि-हिन्दू मुसलमानु दंगा , जातिवादी दंगा हे हमारा स्पोर्ट्स होला।
मि -आनंद का वास्ता योग क्या करे जाल ?
घरवळि-एक दूसर से ईर्ष्या , जल्थमारी ,  क्रोध से लोग आनंद प्राप्त कारल।
मि -विदेश नीति ?
घरवळि-दे दे बाबा सुई तागा तू इ छे म्यार बोइ  बाबा का जाप  ही हमारी विदेश नीति होली।
मि -रक्षा नीति ?
घरवळि-मार हम तैं , जथगा पिटणै पीट हम तैं।
मि -आंतरिक सुरक्षा ?
घरवळि-हरेक बाहुबली तैं सांसद , विधायक , नगरसेवक या ग्राम प्रधान की गद्दी दिए जाली अर चोर को सिपाही बना दिया जाएगा त आंतरिक सुरक्षा अफिक सुधर जाली।
भौत देर तक हम द्वी झणुक गढ़वाल मॉडल पर विचार विमर्श ह्वे अर सन 2019 का लोकसभा चुनाव मा मि गढ़वाल मॉडल का नाम पर प्रधान मंत्री क उम्मेदवार बणणु छौं।
क्या आप भी गढ़वाल मॉडल को समर्थन देंगे ?

Copyright@  Bhishma Kukreti  24/4/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी 

 

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