Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 361230 times)

Bhishma Kukreti

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                                         अबक चुनाव अर तबक चुनावुं मजा !

                                       हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

 
                               लोकसभा चुनाव मुंबई , 24 /4 /2014

ब्याळि मि वोट खतणो yane वोट दीणो ग्यों।  जी हां में सरीखा पढयूं -लिख्युं मनिखाकुण मुंबई मा वोट दीण खतण इ च।  तबि त इख वोट कम दींदन। यी लोग जु वोट नि दींदन चादन कि यूंक बांठक क्वी हैंक हौगीक ऐ जाव।
भौत साल ह्वे गे छा मीन लोकसभा चुनावु मा वोट नि खौत किलैकि द्वी दैं चुनावी मशीनरी म्यार नाम वोटर लिस्ट मा डाळद बिसर गे अर एक दै मि टूर पर चलि ग्यों ।
मि अर मेरी घरवळि तकरीबन कैजुवल सी अपण भाग्य -विधाता छंटणो  वोट दीणो रोड मा ऐवां पर रोड मा हमर स्वागत मा दूर तलक बि कैं  बि पपार्टीक कार्यकर्ता नि दिखेन बस एक जगा मा द्वी अलग अलग मेजूं मा अलग अलग पार्टयूँ उदासीन सि कार्यकर्ता बैठ्या छा।
मि पर्ची लीणो एक पार्टीक मेज मा ग्यों त खडु हुयुं स्थानीय कार्यकर्तान बोलि ," आपके यहां तो चुनाव आयोग द्वारा प्रिंटेड पर्ची हमने कल भिजवा दी थी। "
मि हैंक पार्टीक मेज मा ग्यों त वीं पार्टीक स्थानीय कार्यकर्तान बि इनि ब्वाल कि चुनाव आयोग द्वारा प्रेसित पर्ची त पौंछि गे होलि।
समज मा नि आयि कि लोग या टीवी वाळ बुलणा छन कि मोदी वेव या सुनामी चलणि च त फिर इख कार्यकर्ता उदासीन किलै होला ?
तब चुनाव केंद्र मा जांद एक हैंक वोटरन बताइ कि एक पार्टी तैं पूरा भरोसा च कि वीं पार्टीक जीत पक्की च तो कार्यकर्ता पृथ्वी राज चौहान की सेना का तरां युद्ध से पैलि  होटल मा बैठिक जीमण -जामण करणा छन।  त हैंक पार्टी तैं पूरो भरोसा च कि अबाकी दै वींन नि जितण त कार्यकर्ता दुःख दूर करणो जीमण -जामन करणो होटल जयां छन।
 मतलब अबै दैं  वोट दे त च पर कार्यकर्ताओं उदासीनता जोगेश्वरी मा दिखे अर यांसे मजा नि आयि।

                                          लोकसभा चुनाव 1980 मुंबई

तब जनता पार्टी की सरकार खतम ह्वे गे छे अर उत्तर -पश्चिम -मध्य भारत की जनता तै पैल बार लग कि यांसे बड़ो धोखा कुछ ह्वे इ नि सकुद।
तब मुंबई मा लोग वोट दीणो आंद छा , तब वोट खतणो शब्द डिक्सनरी मा नि ऐ छौ।
तब  हम द्वी झण बण ठणीक वोट दीणो बिल्डिंग से जनि भैर अवां कि गेट पर हि एक पार्टीक कार्यकर्तान म्यार एक बौंळ पकड़ अर हैंक पार्टीक जनानी कार्यकर्तान मेरि घरवळि बौंळ पकड़ अर जब तलक हम कुछ समजदा कि कार्यकर्ता हम तैं अपण अपण पार्टीक मेज का समिण ली गेन।  हमारी पर्ची दिए गे अर कार्यकर्ता हम तैं अलग अलग पकड़िक चुनाव केंद्र तक लीगिन।  हम तैं कार्यकर्ता इन लिजाणा छा जन बुल्यां गौड़ी तैं क्वी बिवरि मुलेक एक गाँवन हैंक गाँव खदेड़ीक , हांककर लिजाणु ह्वाऊ।
जब तक हम चुनाव केंद्र का पुटुक नि गेवां कार्यकर्ताऊंन हमतै नि छवाड़।  सबि वोटरूं ई हाल छा।
                                 उत्तर प्रदेश  विधानसभा चुनाव देहरादून , गुरुराम राय कॉलेज सन 1969
             यु समय छौ जब उत्तर प्रदेश मा कॉंग्रेस से लोग मुक्ति चाणा छा।  तब चुनाव केंद्र दूर दूर हूंद छा।  हम विद्यार्थी बि मास्टर रामस्वरूप का समर्थक छया।  किन्तु कॉंग्रेस कु उम्मेदवार वीवी शरण की विदेशी शराब की फैक्ट्री छे अर पैसा वाळ छौ।  रीठामंडी, भंडारी बाग़ , पथरी बाग़ से कॉंग्रेसी कार्यकर्ता तांगा या कुछ ख़ास लोगुं तैं जीप , कार या टेम्पो से वोटरूं तैं लाणा छा।  बिचारा मास्टर रामस्वरूप का कार्यकर्ता कॉलेज का गेट पर बुलणा छा - कॉंगेस की जीप   से आवो जावो वोट मास्टर जीको ही देवो।
हम विद्यार्थ्युं तैं वोटर लाण से ज्यादा तांगा , जीप , कार की सवारी करणै पड़ी छे।  तो हम कुछ दगड्या  रीठामंडी जैक जीप का समणि हल्ला करदा -कॉंग्रेस को वोट दो , कॉंग्रेस को वोट दो अर यांक ऐवज मा जीप ड्राइवर हम तैं जीप की सवारी कु अवसर दींदु छौ। इनि तांगा की सवारी का वास्ता कॉंग्रेस को वोट दो चिल्लाण पड़दो छौ।

                                       चुनाव केंद्र टंकाण स्कुल 1967
सन पूरी तरह से याद नी च पर इथगा पता च कि तब वन मंत्री जगमोहन सिंह नेगी का जी विरुद्ध कर्मभूमि का संपादक भैरव दत्त धुलिया जी पैलि बार खड़ा ह्वे छा। धूलिया जी पैल बार हारि छा दुसर बार जीति छा।
तब नेता वोटरूं पास कम आंद छा बल्कि नेता याने जगमोहन जी या धूलिया जीक भाषण सुणणो कुछ ख़ास लोग गांवुं से पैदल दस बीस मील जांद छा अर फिर गांव वाळ या क्षेत्र वळु तैं बतांदा छा कि नेता जीन क्या ब्वाल।  लोग तब झूठा से झूठा नेता जी तैं बि सच मनिख समझदा छा अर अब सच्चो मनिख मनमोहन सिंह तैं लोग झूठा समझदन जब सच्चा नेता मनमोहन जी बुल्दन कि मोदी लहर छैं इ नी च।
हम बच्चो कुण चुनाव खेल या मनोरंजन का साधन छौ।  जब कै पार्टी का कार्यकर्ता गाँव मा ऐक अपण पार्टीक प्रचार करदा छा तो हम वै स्लोगन या कविता गाणा आदि तैं रोज फेरी जन तब तक गान्दा छा जब तक हैंक पार्टीक कार्यकर्ता गाँव मा अपण नारा हम तैं नि सुणै जांद छौ।  हरेक नारा हमकुण फ़िल्मी गाणा छौ।
चुनावी पैम्पलेट हम स्कुल्यों कुण एक वरदान छौ।  तब पैम्फलेट एक ही साइड छपे जांद छौ अर चुनावी पैम्फलेट हमकुण रफ कॉपी काम आंद छौ . हमर काम छौ , चुनावी पैम्फ़लेटों तै बटोळण जांसे द्वी चार मैना वास्ता गणित का सवाल करणो बान रफ कागज ह्वे जावन .
चुनाव का दिन याने खौळ -म्याळाक दिन ।  मरद लोग सज -धजीक , धुयाँ कपड़ा अर जनानी बिखोत जन रंगीन धोती , जेवर पैरिक वोट दीणो चुनाव केंद्र जांद छा।  कुछ जनानी स्वाळ -पक्वड़  बणैक लिजांदी छे किलैकि दुसर गां बिटेन कैक बेटी , कैक नणद , जड़ज्यु , भूलि बि वोट दीणो आंद छा।
चुनाव केंद्र याने टंकाण स्कुलौ मैदान मा मेला जन माहौल हूंद छौ ।  मूंगफली अर जलेबी बि बिकदी छे।
ग्वील का  नंदा दत्त जी ढोल दमाऊ लेक चुनाव केंद्र आंद छा तो कुछ लोग पंडो बि नाचदा छा। पूरा माहौल खुसी अर त्यौहार का हूंद छौ।  तब चुनाव का मतबल ही त्यौहार हूंद छौ।



Copyright@  Bhishma Kukreti  25/4/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]

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Bhishma Kukreti

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                      नरेंद्र मोदी बड़ा चबोड़्या (मजक्या ) इ नी च बल्कण मा  जनता तैं बेवकूफ बि समजद

                                   हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )


                    हालांकि, क्वी क्या माँ -बेटा -बहिन यानी कॉंग्रेस बि मेरि बात से सहमत नि ह्वाल कि चुनाव पूर हूण से पैलि ही भाजपा का ह्वे गे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भौत बड़ो मजाकिया च, चर्चरो  चबोड़्या च , बरबरो  चखन्यौर्या च। नरेंद्र मोदी से बड़ो धृष्ट मजाकिया आज हिन्दुस्तान मा नि मील सकद . उन नेताओं तैं सिखाये बि जांद कि स्पीच मा कुछ ह्यूमर , कुछ व्यंग्य लाओ।  किन्तु मोदीन अपण  सख्शियत को प्रचार ही इन कार कि ह्यूमर , हंसी नरेंद्र मोदीक आसपास बि नि आंद।  इख तलक कि शहजादा , इटली का पिज्जा , माँ बेटा आदि ह्यूमर का शब्द असल मा जहर या प्वॉइजनास ह्वे जांदन।  अर लालू प्रसादन या कपिल सिब्बलन मि  तैं कोर्ट मा लीजाण कि भीष्म कुकरेती बुलणु च बल नरेंद्र मोदी एक मजाकिया , चबोड़्या , चखन्यौर्या व्यक्ति बि च।  पर मि सही बुलणु छौं कि नरेंद्र मोदी मजाक करदो , हंसी उड़ान्द।
         फिर बैल गौड़ीक  ऐण /पांस देखिक गौड़ीक बौड़ ह्वाल कि बछरी होलि जन भविष्यवाणी करण वाळ भाजपा नेताओंन मि तैं राष्ट्रद्रोही घोषित कर दीण , भाजपा नेता गिरिराज सिंगन त मी तैं पाकिस्तान पौंछे दीण जब यूँ भजापियों तै पता चौलल कि भीष्म कुकरेती खुलेआम हिमालय की चोटी से ढोल बजैक धै लगाणु छौं कि  भारत की जनता तैं मूर्ख समजण अर हिन्दुस्तान्यूं तै बेवकूफ बणाण वाळ फैक्टर्युं मालिक सोनिया गांधी अर राहुल गांधी का एकमेव गुरु नरेंद्र मोदी च।  जी हाँ मि लेखकीय संविधान की कसम खैक बुलणु छौं कि नरेंद्र मोदी राहुल गांधी  अर सोनिया गांधीक गुरु च।
                           नरेंद्र मोदीक सबसे बड़ो मजाक उत्तराखंड अर अमृतसर पर्यटन विकास हेतु केंद्र तैं जुम्मेवार ठहराण

                       ब्याळि नरेंद्र मोदी अमृतसर मा मजाक करणु छौ, ब्याळि २५/ ४/२०१४ दिन एक चुनावी सभा मा नरेंद्र मोदी एक भद्दा , गंदा , डर्टी जोक सुणानु छौ कि केंद्रीय नीतियों याने माँ -बेटा -बहिन का कारण अमृतसर एक संसार प्रसिद्द शहर नि बौण सकणु च।  नरेंद्र मोदिन फिर एक  हैंक बीभत्स मजाक कार कि अमृतसर मा गंदगी , मलमूत्र इना ऊना बगद च अर अमृतसर की गंदगी की सारि जुमेवारी केंद्रीय सरकार की च।
इनि मजाक नरेंद्र मोदीन देहरादून मा बि कार कि उत्तराखंड संसार प्रसिद्ध  पर्यटन स्थल बौण सकद अर उत्तराखंड की बेबसी (प्रसिद्ध पर्यटक स्थल नि बणनु च ) का ठीकरा नरेंद्र मोदीन कॉंग्रेसी सरकार का माथा पर फोड़ी दे कि यदि केंद्र मा भाजपा सरकार हूंद तो उत्तराखंड स्विट्जरलैंड से बि अधिक प्रसिद्ध टूरिस्ट डेस्टिनेसन ह्वे जांद।

  नरेंद्र मोदी का बयान कि केंद्रीय सरकार की अदूरदृष्टि से अमृतसर पर्यटक स्थल नि बौण अर भारत मा गंदगी च जासे विदेशी पर्यटक भारत नि  आंदन या उत्तराखंड विश्व ख्याति पर्यटक स्थल बौण सकुद जन व्याख्यान से साफ़ पता चलद कि नरेंद्र मोदी एक तरफ माँ -बेटा -बहिन का बहाना से भारतीयुं से मजाक करद अर तुर्रा या च कि या तो नरेंद्र मोदी भारतीयों तैं महामूर्ख समजद या नरेंद्र मोदी इन भाषणो से हिन्दुस्तान्यूं तैं बेवकूफ बणाणो कोशिस करणु च।
 हे भै नरेंद्र ! जरा इन बतादि कि अमृतसर , देहरादून , रिलीफ रोड अहमदाबाद , जुवापुर अहमदाबाद ; स्टेसन रोड अर  जेल रोड इंदौर , देहरादून का मोतीबजार मा गू - मूताक नदी बगणा छन तो  यीं गंदगी की जम्मेवारी क्या केंद्रीय सरकार की च ? अमृतसर , अहमदबाद , इंदौर या देहरादून (जख  भाजपा सरकार छे )  मा क्या साफ़ सफाई करवाणो वास्ता मनमोहन सिंगन केंद्रीय दस्ता भिजण ? सफाई को काम सर्वथा राज्य सरकार कु  च तो मिस्टर वेटिंग इन  प्राइम मनिस्टर नरेंद्र मोदी ! कृपया इन तो बताओ कि अमृतसर की खस्ता हालत का वास्ता प्रकाश सिंग बादल जुमेवार च कि ना ? प्रधान मंत्री की कुर्सी दौड़ मा सबसे अग्वाड़ी खड़ हुयुं श्रीमान नरेंद्र मोदी जरा जबाब तो द्याओ कि इंदौर की गंदगी का वास्ता शिवराज चौहान जुमेवार होलु कि राहुल गांधी ?
भये मोदी अपण भाजपा का पूठक गू कृपया राहुल गांधी पूठ पर नि लपोड़ भाइ याने केंद्रीय सरकार पर बेकार का लांछन नि लगावो।  जनता सब जानती है कि सफाई की जुम्मेवारी राज्य सरकार की च।  तो नरेंद्र भाई बंद करो ये भ्रम की दूकान , अपण जीब सील दो कि साफ़ सफाई केंद्र की जम्मेदारी च।
   फिर अमृतसर या उत्तराखंड एक विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल नि बौण साक तो वांक उत्तरदायित्व केंद्रीय सरकार से ज्यादा राज्य सरकार की हूंद।
 जनता तैं भाषणो घुट्टी पिलैक बेहोस करण वाळ गुज्जु भाई ! जरा प्रकाश सिंह बादल से ही पूछ लींदा कि अकाली -भाजपा सरकारन अमृतसर तैं खूबसूरत पर्यटक स्थल बणानो बान क्या क्या योजना बणैन अर माँ -बेटा -बहिनन यूँ योजनाओ तैं रुकणो बान क्या रोड़ा अटकैन ? कमजोरी अकाली -भाजपा सरकारी की और नरेंद्र भाई तुम तो लांछन माँ -बेटा-बहिन  पर लगाणा छंवां।  पर्यटन का भयंकर पुजारी नरेंद मोदी ! क्या यु जनता तैं मूर्ख बणाणो काम नी  च ?
उत्तराखंड मा यदि पर्यटन उथगा नि फूल फल जथगा कि ह्वे सकुद छौ तो सबसे भाजपा सरकार ही सबसे बड़ी गुनहगार च।  नारयण दत्त तिवारीन एक भौत ही बढ़िया टूरिज्म रोड मैप तयार कौर छौ किन्तु निशंक या बीसी खंडूरी तैं पूछो कि उत्तराखंड एक विश्व प्रसिद्ध पर्यटक क्षेत्र किलै नि बौण ? जु जबाब निशंक अर खंडूरी तैं दीण चयाणु छौ वो प्रश्न नरेंद्र मोदी माँ -बेटा -बहिन से पुछणु च कि उत्तराखंड टूरिज्म को  इथगा विकास किलै नि ह्वै।  नरेंद्र मोदी ! पंजाब अर उत्तराखंड का मनिख बि अन्न ही खांदन अर जनता  तुम सरीखा अर माँ -बेटा -बहिन का बेवकूफ बणानो टुटब्यागों , आंटी -खाटीयूं तैं समजदी च।    कृपया अब तो आप लोग समझदार बणो।  अर फिर यदि तुम होशियार छंवां तो यांक मतबल यु कतै नी च कि समिण वाळ चतुर नि होलु।

इनि कथगा इ मजाक ब्याळि 25/4/2014 का दिन अमृतसर मा नरेंद्र मोदीन कार।  पंजाब मा नशाखोरी च अर पाकिस्तान से भारी मात्रा मा नशीला पदार्थ अांद।  यांक चिंता नरेंद्र मोदीन कार।  तो जनाब मोदी साहेब ! पंजाब मा नशीला पदार्थ नि आवन का वास्ता पंजाब सरकार की क्या जुम्मेवारी च ?क्या यांक वास्ता बि केवल अर केवल माँ -बेटा -बहिन ही जुम्मेवार छन ? क्या  पंजाब मा नशीला पदार्थों खुलेआम सुलभ्यता का वास्ता अकाली दल का बाप -बेटा उत्तरदायी नि छन ?
नरेंद्र भाई !  जनता तैं बेवकूफ बणाण बंद कारो।  जनता गूंगी ह्वे सकद किन्तु बेवकूफ नी च जनता सब जानती है कि पंजाब मा नशीला पदार्थों कारोबार अर गुजरात मा द्वी नंबर की शराब का कारोबार बगैर मुख्यमंत्री की जानकारी का ह्वैइ नि सकद।  अर यदि पंजाब का मुख्यमंत्री तैं पता नी च कि पंजाब मा नशा का कारोबार कनकै चलणु च अर गुजरात को विकास पुरुष तैं नी पता कि गुजरात मा शराब की होम डेलिवरी कै तरह से हूंद तो इन मुख्यमंत्र्युं तै इस्तीफा दे दीण चयेंद इन अज्ञान्यूं तैं  एक सेकंड का वास्ता बि मुख्यमंत्री की कुर्सी परबैठणो क्वी अधिकार नी च।
पाठको आप ही फैसला कारो क्या नरेंद्र मोदी भद्दा मजाक नही कर रहे हैं ? क्या विकास पुरुष हमें माँ -बेटा -बहिन के बहाने बेवकूफ नहीं बना रहे हैं ?

Copyright@  Bhishma Kukreti  26/4/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

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                      ये भै !  वियतनाम द्वारा  45 फार्मेस्युटिकल कंपन्यूँ दवै पर रोक लग गे  !

                                 हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

                  अचकाल चुनावी गर्मी मा अर्ध श्रृंगारिक चकलस चलणि छन शहजादा अर शहजादी यशोदाबेन अर स्नूपगेट की छ्वीं बड़ी रसीली मिजाज मा जनता तै सुणाना छन त मौत  सौदागर का परम हितैसी योग गुरु हनीमून का उद्धरणों से श्रृंगार रस पैदा करणा छन अर वेटिंग इन   डिपुटी  मिनिस्टर कॉंग्रेस तैं धमकी दीणु च कि यदि कॉंग्रेसी चुप नि होला त कॉंग्रेसी नेताओं की रखैलुं  नाम ट्वीटरे जाल याने इंटरनेट मा नेताओं का रखैलूँ नाम प्रचारित करे जाल।
             जब राजनैतिक दिवालियापन ऐ इ ग्यायि  त देस की जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाणो बान, जनता तैं अळजाणो बान हिन्दुस्तानी नेता इन कुकर्म करणा छन।
           जख बहस का केंद्र हूण चयाणु छौ कि क्या कारण च कि वियतनाम देसन 45 भारतीय दवै कंपन्यूँ दवैऊं पर रोक किलै लगाइ त ऊख कॉंग्रेस अर भाजपा बेकार , खन्नु खरपट पर बहस करणा छन।
                 वियतनाम द्वारा भारतीय फार्मेस्युटिकल कंपन्यूँ मेडिसिन्स पर रोक चिंता कु  विषय च , चुनावी चिंतन का विषय च।  ना कि यशोदा बेन पर चक्क्लस।
                      वियतनाम द्वारा इंडियन ड्रग्स बैन करण हमर एक्सपोर्ट इंस्पेक्सन , ड्रग एनालिसिस, ड्रग्स पास करण जन सवालों पर सवाल उठांद। . भारत कु निर्यात , भारत कु कॉमर्स , भारत मा हेल्थ स्टैंडर्ड जन विषयुं पर चुनावी सभाओं मा चिंतन हूण चयेणु च।
          वियतनामान यूँ 45 भारतीय कंपन्यूँ पर नोट टु स्टैण्डर्ड क्वालिटी (NSQ ) कु बड़ो अभियोग लगाइ याने कि यूं भारतीय कंपन्यूँ दवा दोयम क्वालिटी का छन।
              या रोक बतांदी कि भारत देस  निर्यात मा बि असावधानी बरतदु।  जख हमर  शीर्षस्थ नेतृत्व तैं चिंतित हूण चयेणुं छौ ऊख सिरमौरी नेता श्रृंगार रस से लत -पत कविता गाणा छन।  जख इन जयुं बित्युं नेताओं तैं एक अंज्वळि पाणि मा डूब जाण छौ यी नेता रति कालीन कवितौं मा लीन छन।
            वियतनाम द्वारा यी बताण कि भारतीय दवा नोट टु स्टैण्डर्ड क्वालिटी (NSQ )निर्माण करणा छन यू बथाणु च कि  Drug Controller General of India (DCGI ) सियुं च अर यी कंपनी दोयम स्टैंडर्ड /क्वालिटी की दवै बणैक भारतीयों स्वास्थ्य से खूनी  खिलवाड़ करणा छन।  सिरमौरी नेताऊँ तैं यां पर बहस करण छे कि भारत मा क्वालिटी ड्रग्स कनकै निर्मित हो तो दिमाग से दिवालिया शीर्षस्थ नेतृत्व ड्रग्स क्वालिटी पर बहस करणै जगा एक दुसरो पूठ पर कथगा गू च पर चर्चा करण मा व्यस्त छन।  यूँ कुर्सी का चोरुं तैं पड़ीं बि नी च कि  जनता खराब गुणवत्ता की दवाओं से हौर बि बीमार हूणी च।  यी बेईमान , बदमाश , बदचलन , बदखोर नेता तो दोयम दवा बणाण वळि कंपन्यूँ से चंदा लेकि कुकरलीला करणा छन याने असली मुद्दा छोड़िक कुकरूं तरां एक दुसर पर भुकणा छन अर यूं लुच्चा , लफंगा नेताओं , लालची नेताओं कुकुरलीला का मध्य अति चिंताजनक स्थिति पर कैक बि ध्यान नी जाणु च।
Drug Controller General of India (DCGI ) तैं जबाब दीण पोड़ल कि आखिर यी कंपनी दोयम स्टैंडर्ड की दवा निर्माण कनकै करणा छन ?
यूं बदमाश दवा कंपन्यूं तैं क्या पुछण यि त अंडर द टेबल नेताओं अर अधिकार्युं से डील करिक भारतीयों स्वास्थ्य से खुलेआम खिलवाड़ करणा छन।
अब त जनता तैं ही इन अंहिसावादी डंडा की  रचना करण पोड़ल जु यूँ बदमाश नेताओं , अधिकार्युं अर यूं कंपन्यूँ मालिकों की ऐसी तैसी कार।
जनता ही  यूँ चोरुं ,डाकु ,  लुच्चों , लफंगों की बदमाशी दूर सकद।

Copyright@  Bhishma Kukreti  27/4/2014

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]

Bhishma Kukreti

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                                झुपड़ा  जळणो दुःख जरुर च पण आग तापणो ख़ुशी क्या कम हूंद ?

                                   हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

मि -हैं ! क्या तू यीं उमर मा मांगळ लगाण सिखणि छे ?
घरवळि  -जै जस दीना यूरोपियन कमिसन येssssss
मि -यां क्या बात कि तीन आज तक कबि बि मांगळ नि लगाइ अर आज तू मांगळ लगाणी छे ?
घरवळि  -जै जस दीना यूरोपियन यूनियन येsssss
मि -ह्याँ कैक ब्यावक बान मांगळु प्रैक्टिस करणी छे ?
घरवळि  -जै जस दीना यूरोपियन इम्पोर्ट पॉलिसी येssss
मि -ह्यां यी कैं भौणक मांगळ च ?
घरवळि  -जै जस दीना इंडियन अल्फांसो मैंगो येssss
मि -मेरी माँ उत्तर तो दो !
घरवळि  -जै जस दीना रत्नागिरी को हापूस येssss
मि -व्हाट इज दिस हैपनिंग ?
घरवळि  -पता च यूरोपियन यूनियनन  भारतीय आमुं आयत पर रोक लगै आल।
मि -क्या ?
घरवळि  -हाँ ये साल भारत यूरोप तैं आम निर्यात नि कौर सकुद।
मि -किलै ?
घरवळि  - भारत का आमुं दगड़ कुछ कीड़ा बि चल जांदन जु यूरोप मा अधिक नुकसानदायक हून्दन।
मि -त इखमा खुस हूणै बात क्या च।  इखमा त रूणै बात च कि अब भारतीय आमुं निर्यात यूरोप मा नि होलु।
घरवळि  -नै नै मि त भौत खुस छौं।  मि त पुळयाणु छौं कि अब भारत से आम एक्सपोर्ट नि ह्वाल। 
मि -ह्याँ पण पता च यूरोप हमकुण भौत बड़ो बजार च।
घरवळि  -मी त प्रसन्न छौं।
मि -पता च यूरोप तैं मैंगो एक्सपोर्ट से भारत तैं फॉरेन करेंसी मिल्दी छे अर मैंगो ऐक्स्पोर्टरु मा जोश  रौंद छौ।
घरवळि  -पर मैंगो एक्सपोर्ट से हम आम आदम्युं जोश  तो जमींदोज ह्वे जांद छौ
मि -पर आमुं निर्यात से मैंगो ग्रोवेर्स याने किसान उमंग मा रौंद छा।
घरवळि  -किन्तु हम सरीखा लोगुं उमंग पैदा ही नि हूंद छौ।
मि -ह्यां पण।
घरवळि  - भौत सालुं से तुमन रत्नागिरी का हापुस याने अल्फांसो बि खायी ?
मि -खायी ? पता नी कुज्यणि कथगा साल हमन त अल्फांसो द्याख बि नी च।
घरवळि  -हमन  गुजरात को केसरी आम बि चाख ?
मि -चखण त राइ दूर भौत साल बिटेन गुजरात केसरी आम की सुगंध बि नि सूंघ।
घरवळि  -अर उत्तर प्रदेश का दशहरा , लंगड़ा आम ?
मि -मि त बिसर ग्यों कि भारत मा दशहरा -लंगड़ा आम बि पैदा हूंद।
घरवळि  -किलै ?
मि -अरे अल्फांसो , केसरी या दशहरा आम इथगा मैंगा हूंदन की यूं सवादी किन्तु  मंहगा आम खौंला तो फिर हम खाणक खाण लैक बि नि रौंला।
घरवळि  -मतबल हम बेसवादी आमुं से आमुं सीजन काडदा कि ना ?
मि -हाँ।
घरवळि  -अर अब जब अल्फांसो जन आम निर्यात ही नि होला तो अफिक सवादी आमुं कीमत कम ह्वे जाल अर ज्यादा नासै एकाद दाणी त चाखि ल्योला कि ना ?
मि -हाँ , यदि यूरोप भारतीय आम निर्यात नि ह्वाल तो यूँ आमुं कीमत कम  हूण लाजमी च तो शायद इस साल हम भी अल्फांसो जैसे आम चूस सकेंगे।
घरवळि  -बस अल्फांसो , दशहरा जन आम सस्ता ह्वे जाल अर यूँ खाणो आस मा खुस हूणु छौ , पुळयाणु छौं ,   प्रसन्न हूणु छौं।
मि -हा हा हा हा हा …… हा हा हा हा …।
घरवळि  -हैं तुम यी पागल जन किलै हंसणा छंवां ?
मि -इ त इनि च जन बर्फीली रात मा कै गरीब की झोपड़ी जळणु हो  अर वैक परिवार खुस ह्वावु कि आज एक रात त आग तापणो त मील गे।


Copyright@  Bhishma Kukreti  29/4/2014
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*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

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                                 पौड़ी संसदीय सीट से चुनाव कु जितणु च ?

                               हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )


 पौड़ी बिटेन संपादक जीक फोन ऐ बल -भीषम जी ! जरा एक चरबरा लेख पौड़ी संसदीय सीट बिटेन कु चुनाव जितणु च पर चौड़ भ्याजो।
छ ना बड़ी अजीब बात कि पौड़ी कु समाचार पत्र मुंबई वाळ कुण बुनु च कि पौड़ी बिटेन कु जितणु च पर अचकाल इनि हूणु च मुंबई क्या न्यू आर्क मा बैठिक नामी पत्रकार दार्जिलिंग या बाड़मेर मा कु चुनाव जीतल पर विश्लेषण करणा छन।
मीन अपण क्षेत्र मा ग्रामीण पत्रकार संघ (बड़थ्वाल गुट ) कु महामंत्री नंदा दत्त बड़थ्वाल तैं फोन कार अर पूछ - भैजि ये चुनाव मा कु जितणु च ?
नंदा दत्त बड़थ्वाल - भै भीषम ! बस द्वी चार घंटा रुक जा।  मि श्याम तक बतै द्योल कि कु जितणु च।
मि - हैं अबि रिसर्च अर अनैलिसिस पूर नि ह्वे।
नंदा दत्त बड़थ्वाल - नै रै रिसर्च अर एनैलिसिस त वै दिन ही पुरि ह्वे गे छै जैदिन चुनाव तारीख डिकेलयर ह्वे छौ।  बस मि द्वी फोन की इंतजारी मा छौं।
मि -क्या मतलब ? फोन की इंतजारी मा ? फोन आण से चुनाव जीतल प्रश्न कनकै हल ह्वे जाल ?
नंदा दत्त बड़थ्वाल - इन च आज या तो कॉंग्रेस वाळ या भाजपा वाळ मेरी कीमत दे द्याल तो मि उत्तराखंड कु एक पत्र मा , दिल्ली कु एक राष्ट्रीय पत्र मा खबर छ्पवै द्योलु अर एक टीवी चैनेल मा ऐनेलिसिसका साथ  सिद्ध करी द्योल कि क्वा पार्टी जितणि च।
मि - कीमत ?
नंदा दत्त बड़थ्वाल - हाँ यदि कॉंग्रेस वाळ पचास हजार दे द्याल तो मी स्टेटिस्टिक्स का साथ बतौल  कि कॉंग्रेस कै कै क्षेत्र मा स्ट्रॉन्ग च अर कथगा वोट कॉंग्रेस तैं मिलणा छन।
मि - अच्छा ?
नंदा दत्त बड़थ्वाल -  जु  भाजपा कॉंग्रेस से पैल पचास हजार  दे द्याली त मि वूं ई डाटाऊं  से सिद्ध कर द्योल कि भाजपा किलै जितणि च। बस आज कै ना कै पार्टीक फोन आण वाळ च।  तू स्याम दैं फोन कौर तो मि बतै द्योल कि क्वा पार्टी जितणि च। 
मि - पर उन ऑफ द रिकॉर्ड बतावो त सै कि को जितणु च ?
नंदा दत्त बड़थ्वाल - सच्ची बताउं त पता इ नि लगणु च कि को जितणु च।
मीन डबरालस्यूं मा अति ग्रामीण पत्रकार संघ (बिष्ट ग्रुप ) कु चेयरमैन सुरेन्द्र बिष्ट तैं फोन कार अर पूछ - मामा जी ! ये चुनाव मा पौड़ी से कु जितणु च ?
सुरेन्द्र बिष्ट - साले सब चोर हैं।  सबकी जमानत जब्त हो जायेगी।
मि -सबकी जमानत जब्त हो जाएगी ?
सुरेन्द्र बिष्ट - हाँ साले कोई भी फोन नही कर रहा है।  ना कॉंग्रेस वाले ना भाजपा वाले।
मि - ना कॉंग्रेस वाले ना भाजपा वाले फोन नहीं कर रहे हैं कु  मतलब ?
सुरेन्द्र बिष्ट - अरे चुनाव से पैल द्वी पार्टीक ऐजेंटुंन आश्वासन दे छौ कि  'यह पार्टी जीत रही है ' का हरेक न्यूज छपण पर पचास पचास हजार रुपया मीलल पर अबि तलक कै हरामीक फोन नि आयि।
मि -मामा जी ! त आपि ऐजेँटूँ तैं फोन कौरदि.
सुरेन्द्र बिष्ट - साला सुदन लाल टमटा ने भाँचि मार दी होगी।  भाजपाक ऐजेंट बुलणा छन कि ये चुनाव मा मोदी पर इथगा खर्च ह्वे गे कि पेड  न्यूज का वास्ता बजट ही नी रयुं च।  इनि कॉंग्रेस का एजेंट बुलणा छन कि सोनिया अर राहुलक रैल्युं वास्ता ही बजट नी च त पेड  न्यूज का वास्ता बजट कखन लाण। पर मै लगद बजट उजट कुछ नी च साले सुदन लाल टमटा ने भाँचि मार दी होगी।
मि - चलो ऑफ द रिकॉर्ड त बताओ कि क्वा जितणु च।
सुरेन्द्र बिष्ट -यार भणजो कुछ पता इ नि चलणु च कि जनता कै तैं वोट दीण वाळ च। पर साले सुदन लाल टमटा को मै नईं छोड़ूंगा , मै भी अपने बाप का नही जो टमटा के पत्रकार संगठन को खतम नही करूंगा।
मीन अति ग्रामीण पत्रकार संघ (टमटा ग्रुप ) कु महासचिव सुदन लाल टमटा तैं फोन कार। उदयपुर पट्टिक  सुदन लाल टमटा . सुरेन्द्र बिष्ट अर मि दगडि पड़दा छा।  सुदन लाल रिस्ता मा म्यार काका लगद।
मि - ये सुदन काका ! ये बगत चुनाव मा क्वा पार्टी जितणि  च ?
सुदन लाल टमटा - भाड़ में जाय चुनाव , भाड़ में जाएँ पार्टिया।   आग लगे इन अखबारों पर।
मि - कनो  क्या ह्वाइ ?
सुदन लाल टमटा - अरे सुरेन्द्रन कॉंग्रेस अर भाजपा का ऐजेंटूँ से "पार्टी की जीत पक्की" की न्यूज छपण पर पचास हजार की बात करि छे।  मीन कंपीटीसन मा बीस हजार रुपया की बोली लगै दे पर बिघन ह्वे गे।
मि -क्या ?
सुदन लाल टमटा - अरे पैलक चुनावुं मा अखबार वाळुं दगड़ अग्रीमेंट हूंद छौ कि पार्टीक न्यूज छपण पर फिफ्टी फिफ्टी पर्सेंट बांटे जाल।  चुनावुं मा हम बि कमान्द छा अर अखबार वाळ बि कमान्द छा।
मि - अब क्या ह्वे ग्यायि ?
सुदन लाल टमटा -अरे साले अखबार वाले बदमाशी कर रहे हैं।
मि -क्या बदमाशी ?
सुदन लाल - अरे अब बीच चुनाव का बीच मा अखबार वाळ बुलणा छन कि हरेक न्यूज छपणा वास्ता चालीस चालीस हजार रुपया पैल भ्याजो।  अब क्या कौर मि ? ठेका बीस हजार मा हुँयुं च अर अखबार वाळ बुलणा छन कि चालीस हजार प्रति न्यूज लाओ।
मि - पार्टीका एजेंटों से बात कारो।
सुदन लाल - अरे द्वी पार्टीका ऐजेंट धमकी दीणा छन कि बीस बीस हजार मा न्यूज नि छपौल त वो मेरो पत्रकार संघ की सदस्य्ता ही खतम करै द्याला।  यु सीजन तो लॉस कु सीजन च।
 मि -हाँ त्यार तो बड़ो नुक्सान ह्वे जाल।
सुदन लाल टमटा -पर खुसी च कि सुरेन्द्र बिष्ट बि नी कमाणु च।
मि -बाइ द वे , जितणु को च ?
सुदन लाल टमटा - पता इ नि लगणु च कि जनता कु रुझान कना च।


Copyright@  Bhishma Kukreti  3 /5//2014
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*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]

Bhishma Kukreti

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                               लोकसभा  चुनाव मा गढवाळम जनता क्या सूचणि च ?

                                     हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

मीन लेख तयार करण छौ कि 2014 कु लोकसभा चुनाव मा गढ़वाळम जनता क्या सुचणि च।  मुंबई मा बैठिक फोन से सब सूचना मील जांद तो अब मुंबई से जनता की राय पता लगाण सरल ह्वे गे।
मीन अपण गां मा भरोसा काका उर्फ़ ग्राम प्रधान तैं फोन पर पूछ ," प्रधान काका समनिन ! मि भीषम बुलणु छौ। "
भरोसा काका उर्फ़ ग्राम प्रधान- बोल ! क्वा पुंगड़ी बिचणाई ?"
मि -काका पुंगड़ि नि बिचणाई। "
 भरोसा काका उर्फ़ ग्राम प्रधान- हैं ? प्रवास्युंक फोन इ पुंगड़ि बिचणो आंदन।  अच्छा बोल क्या काम च ?
मि - वु लोकसभा चुनावुं क्या हाल छन ?
म्यार इन पुछ्ण छौ कि द्वी मिनट तक भरोसा काका उर्फ़ ग्राम प्रधान काका इन इन गाळी दीणा रैन कि यदि बीसी खंडूरी अर हड़क सिंग रावत सुणदा तो ऊंन सद्यानौ कुण चुनाव लड़न छोड़ि दीण छौ।
अंत मा भरोसा काका उर्फ़ ग्राम प्रधानन ब्वाल - म्वाड मोरल ऊंक ,ऐंसू चुनाव मा उठ्यां ले छन भोळ नि रैन चुनाव लड़न लैक।
मि -काका ह्वे क्या च ?
भरोसा काका उर्फ़ ग्राम प्रधान- अरे सरा क्षेत्र मा नाक कटि गे।
मि -नाक कटि गे ?
भरोसा काका उर्फ़ ग्राम प्रधान- हाँ मुख दिखाण लैक नि छौं।
मि - ह्वाइ क्या च ?
भरोसा काका उर्फ़ ग्राम प्रधान - अरे इन पूछ कि यूँ बदज़ातुं कारण क्या नि ह्वाइ।
मि - क्या ?
भरोसा काका उर्फ़ ग्राम प्रधान- बेटीक मांगण माघम  करण छे त मीन स्वाच जब बैशाखम चुनाव आणा इ छन तो मीन बेटीक मांगण बैशाखम रखी दे।
मि - तो ?
भरोसा काका उर्फ़ ग्राम प्रधान- तो क्या ? अब पैलाक तरां त छ ना कि मेमानो तैं पूड़ी परसाद खलाओ अर मांगण -सगाई करी द्यावो
मि -हाँ अब त सगाई बि ब्यावो तरां हूंद।
भरोसा काका उर्फ़ ग्राम प्रधान- अब  ब्वोलाक तर्फ़ान बारा आदिम पौण छा अर म्यार तरफ बिटेन बीसेक आदिम छा।  तो बतीस आदिम्युं कुण बारा बोतल व्हिस्की काफी छे।
मि - तो कोटद्वार बिटेन मंगै होलि ?
भरोसा काका उर्फ़ ग्राम प्रधान- सूण त सै यूँ हरामियूंन मि तैं कन धोका दे।
मि -कौं हरामियूंन ?
भरोसा काका उर्फ़ ग्राम प्रधान- और कु , कॉंग्रेसी अर भाजपा वाळुन  धोका कौर दे
मि - सगाई मा भाजपा अर कॉंग्रेसी बि बुलायां छा क्या ?
भरोसा काका उर्फ़ ग्राम प्रधान- अरे नै भै।  कॉंग्रेसी एजेंटन बोलि छौ कि दस बोतल व्हिस्की सगाई दिन भेजी द्याल अर भाजपा का एजेंटन बि बोल छौ कि दस बोतल सगाई दिन पौंछ जाल।
मि - तो ?
 भरोसा काका उर्फ़ ग्राम प्रधान-तो क्या ! मेमान ऐ गे छा , बागदान ह्वे गे छौ , चखणा तयार छौ पर कै हरामीक शराब नि पौंछ। 
मि - अच्छा ?
 भरोसा काका उर्फ़ ग्राम प्रधान- रात नौ बजी गे पर व्हिस्की नि पौंछ।  मि द्वी पार्टी क एजेंटो तै फोन करद करद थकी ग्यों।  दुयुंक उत्तर छौ व्हिस्की बोतल पौंछण वाळ छन।
मि - त व्हिस्की पौंच च कि ना ?
 भरोसा काका उर्फ़ ग्राम प्रधान- कख दस बजी तक नि पौंछ त फिर उ उदय रामक नौनु नी च रिटायर्ड फौजी।  वैमाँगन पांच बोतल पांच पांच सौ रुपया मा खरीद तो इज्जत बची गे।  वैमा स्टॉक नि रौंद छौ त मी कखि जोग नि रौंद छौ।
मि - पर सगाई तो भली भाँती तरां से निभी गे ना ?
 भरोसा काका उर्फ़ ग्राम प्रधान- अरे पर क्षेत्र मा बेज्जती त ह्वे गे ना ?
मि - क्यांक बेज्जती ?
 भरोसा काका उर्फ़ ग्राम प्रधान- कि प्रधान ह्वेक अर चुनावुं बगत प्रधान तैं सगाई मा अपण पैसोंन शराब खरीदण पोड़।
मि - हाँ या बात त बेज्जती की ही च कि प्रधान ह्वेक बि चुनावs  टाइम पर शराब खरीदण पोड।
भौत  देर तलक काका भाजपा अर कॉंग्रेस तैं गाळी दीणु राइ।  कै तरां से मीन पिंड छुड़ाई।
मीन गां मा भीम सिंग दादा तैं फोन लगाई कि असल बात क्या च।
भीम सिंग - अरे बात क्या च बल  भरोसा काका हर चुनाव माँ कॉंग्रेस अर भाजपा दुयुंक  दारु घटकै जांद छौ अर वोट उक्रांद तैं दिलांदु छौ तो ये बगत कॉंग्रेसी एजेंट अर भाजपा एजेंटन भरोसा काका से बदला ले आल।



Copyright@  Bhishma Kukreti  5 /5//2014
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[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]
                               

Bhishma Kukreti

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                   गढवाळम शराब का मामला मा जनता कॉंग्रेस अर भाजपा दुयुं से भौत इ  नाराज च

                                   हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

 (पौड़ी ) हमर संबाददाता कुबोलिकन खबर देकि शराब विषय लेकि उत्तराखंड जनता सभी राजनैतिक दलों से भौत इ गुस्सा च अर ह्वे सकद च कि यांक असर चुनावुं पर बि दिखणो अवश्य मीलल।
हमर टिहरी ग्रामीण रिपोर्टर खन्नु खरपटन गांवुं मा घूमिक पता लगाइ तो पाइ कि जनता मा आक्रोश का वजै से लोगुन झंग्वर नि बोयी।
          इख तलक कि पौड़ी संसदीय सीट का झंग्वर बूण वाळुक बुलण च कि चूँकि कॉंग्रेसी ऐजेंटुन चुनाव से पैल आश्वासन दे छौकि ठीक चुनाव तिथि घोषित हूण पर हळयों वास्ता व्हिस्की पौंछि जालि।  पर कॉंग्रेस ऐजेँटुं द्वारा गांवु मा शराब नि पौंछाण से हळया बीमार पौड़ी गेन।  वास्तव मा अब गढवाळम क्वी बि हळया बगैर शराब पियां एक सी बि बै नि सकुद , यदि हळया बगैर शराब पियां हौळ लगांद तो वैक सांस फूलि जांद।  कॉंग्रेसी ऐजेँटुं शराब बितरण कु आश्वाशन का कारण लोगुन शराब का स्टॉक नि कार अर बार बगत पर कॉंग्रेसी एजेंट बुलणा छन कि  सतपाल महाराज का ऐजेँटुंन मुफ्त मा शराब देणो आश्वाशन दे छौ ना कि हड़क सिंग का लोगुंन। यांसे जु लोग कॉंग्रेस की शराब की आस मा छया वु निरास हुयां छन।  सतपाल महाराज का चमचा बुलणा छन कि चूँकि सतपाल जी चुनाव नी लड़णा छन तो शराब बितरण क्यांक ?  चुनावुं टैम पर मुफ्त की शराब नि मिलण से जनता मा हाहाकार मच्युं च।  लोगुं बुलण च कि चुनावुं मा मुफ्त मा शराब नी मीलली तो कब मीलली ? जन आक्रोश का यी हाल छन कि लोग कॉंग्रेसी एजेंटो चुनावी सभा मा नि जाणा छन अर यांसे भ्रम फ़ैलणु च कि लोग राहुल गांधी तैं प्रधान मंत्री बणाणो विरोध मा छन।  शायद चुनाव से द्वी चार दिन पैलि सब जगा शराब की खेप पौंचि जालि तो कॉंग्रेस की हालत मा सुधार होलु।
हरिद्वार अर टिहरी संसदीय क्षेत्र मा भाजपा की हालत हारणै जन हुईं च।  लोग बुलण बिसे गेन कि इख मोदी लहर छैं इ नी च।
          असल मा क्या हरिद्वार क्या पहाड़ ! बामण अब  बगैर शराबौ आचमन लियां अर बगैर शराबौ कुळळा कर्या पूजा पाठ नि करदन अर बगैर शराब पियां बामणु गिच से एक बि श्लोक नि आंदन।  चुनाव से पैल भाजपा का एजेंटोंन प्रॉमिसरी नोट भेजि छौ कि पंडितों तैं मुफ्त शराब बांटणो जिम्मा भाजपा कु रालु अर यांसे जजमान दारु नि लाणा छन।  अब शराब पियां बगैर बामण हिट नि सकदन अर मेन टैम पर भाजपा वाळुन शराब नि भेजि तो सब जगा शादी ब्यौ , तिरैं -बरखी की तिथि अग्वाड़ी बढ़ए गेन।  पंडित लोग शराब नि मिलण से भाजपा से नराज छन अर द्वारिका का शंकराचार्य का पास जाणा छन कि नरेंद्र मोदी की घोर आलोचना करे जाव। सुणण मा आई कि द्वारिका पीठ का शंकराचार्य उत्तराखंड का बामणु दुःख से अत्यंत दुखी छन। 

  चमोली कु संवाददाता बिंडि-बेकार-बोल  का अनुसार सरा उत्तराखंड मा मास्टर बि नाराज छन। अघोषित परम्परा का अनुसार चुनावुं मा हरक पार्टी शराब बाँटदी छे किन्तु ये चुनाव मा मोदी समर्थन लहर या मोदी विरोधी लहर का कारण हरेक पार्टी चुनावका पारम्परिक हथियार चलाण बिसरी गे अर क्वी बि पार्टी मास्टरुं तै चुनाव बगत बि मुफ्त मा शराब बितरित नी करणी च जांसे मास्टर लोग अति कुपित छन अर यांक असर अवश्य ही वोटिंग पर पड़न वाळ च।
ये चुनाव मा शराब की नदी की जगा आश्वासनों गदन बगण से आम जनता निरास च कि बकै समय तो आनंद नि मिल्दो पर चुनावुं बगत मुफ्त की शराब से ले आनंद मिल्दो छौ सि बि राजनीतिक पार्टयूंन ये बगत नि दे। .
ये चुनाव मा मुफ्त की शराब नि बंटण से गैम्बलिंग अर पिंक इंडस्ट्री (शिकार ) पर बहुत बड़ो धक्का लग।  अनुमान च कि गैम्बलिंग इंडस्ट्री अर पिंक इंडस्ट्री मा रिसेसन/मंदी   आण से इंटरनटेनमेंट इंडस्ट्री तै भौत नुक्सान हूण वाळ च।  पोटेंशियल चीफ मिनिस्टर सतपाल महाराजन वायदा कार कि चुनावुं पश्चात गैम्बलिंग अर पिंक इंडस्ट्री (शिकार ) तैं इंसेंटिव दिए जाल जांसे इंटरनटेनमेंट इंडस्ट्री मा वृद्धि होली।  इनि आजका मुख्यमंत्रीन बि भीतरी भीतर आश्वासन दे कि गैम्बलिंग अर पिंक इंडस्ट्री (शिकार ) माँ सुधार का वास्ता उत्तराखंड सरकार प्रतिबद्ध च ।

Copyright@  Bhishma Kukreti  6  /5//2014
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*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]

Bhishma Kukreti

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                                  कुछ चुनावी समाचार जौं पर पत्रकारुं नजर नि पोड़ि

                                हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

  ये 2014 कु लोकसभा चुनाव मा हिंदी बुलण वाळ क्षेत्र मा बस द्वीइ समाचार बंचणो -दिखणो मीलेन - एक नरेंद्र मोदिन कै विरोधी नेता क खलड़ उतार अर कैकि खूंखार भाषा मा  मजाक उड़ाई या कै विरोधी नेतान नरेंद्र मोदीक बोटी काट , कै विरोधी नेतान नरेंद्र मोदी तैं जघन्य हत्यारा बताई आदि आदि।
जब कि असलमा कथगा इ इन समाचार छया जौंन समाचार माध्यमो की सुर्खी बणन छे।
 जन कि राहुल गांधीन एक जन सभा मा बोलिकि " कॉंग्रेस हमेशा से अपण परम्परा पर चलदी अर परम्परा कतै नि छोड़दि , द्याखो ना मेरी दादी इंदिरा बि बुल्दी छे कि "गरीबी हटाओ ", म्यार बुबा जी बि किड़कताळी मारदा छा कि "गरीबी  को स्वयमेव हटना चाहिए ", मेरी ब्वै बि भाषण मा बुल्दी कि " गुजरात मा अबि बि गरीबी च ", मेरि बैणि बि रुंदी  कि ," अमेठी अर रायबरेली मा राज्य सरकारों की बजह से गरीबी है " अर मी बि गुस्सा मा मरद दैं मूसौ तरां किराणु छौ कि ," गरीबी को इस देस से भगाना पड़ेगा और मोदी ऐसा नही चाहते हैं। "
एक चुनावी सभा मा माला राज्य लक्ष्मी शाह गे तो उख वीन बोलि ," ठीक च यदि ससुर जी याने बुल्दां बद्रीनाथ श्री मानवेन्द्र शाह जीन 1980 क चुनाव मा आश्वासन दे छौ कि वै  गाँव मा सड़क आली तो मि आश्वाशन दींदु कि हम राजघराना का छंवां तो कभी भी अपण दियुं बचन नि तुड़दा अर मि ना सै तो मेरी राजकुमारी जब लोक सभा सदस्य बौणलि तो अवश्य ही वै गाँव मा सड़क ऐ जालि। "
 साकेत बहुगुणान एक चुनावी सभा मा भाषण देन ," ये क्षेत्र मा विज्ञान कॉलेज कु आश्वासन सन 1977 कु चुनाव मा म्यार ददा जी स्व हेमवती नंदन बहुगुणान दे छौ।  चूँकि वै बगत दादाजी जनता पार्टी मा छा तो ये क्षेत्र मा विज्ञान कॉलेज खुलणा जुमेवारी जनता पार्टीक च ना कि कॉंग्रेस की। "
सतपाल महाराजन एक सभा मा ब्वाल ," मीन जू बि आश्वासन दे छा वु ये हिसाब से दे छा कि मि केंद्र मा मंत्री बणुल , चूँकि कॉंग्रेसन मी तैं मंत्री नि बणाई तो आप सब कॉंग्रेस से प्रश्न कारा कि सतपाल महराजन अपण आश्वासन किलै पूर नि करिन ?अर मी बि सोनिया मैडम से प्रश्न करदु कि मीन किलै आश्वासन दे छा ? "
भुवन चन्द्र खंडूड़ीन एक चुनाव सभा मा भाषण दे ," ठीक च मीन भौत साल पैल आश्वासन दे छौ कि धुमाकोट मा पर्यटन बढ़ाणो बान एक भव्य मंदिर बौणल।  तब भाजपा  क मेनिफेस्टो मा मंदिर  विषय छौ।  आज मंदिर हमर मेनोफेस्टो मा 41 वां पेज मा च अर शौचालय देवालय से अग्वाड़ी च।  तो मि अबै दैं आश्वासन दींदु कि धुमाकोट में  शौचालय नही बल्कि पूरे  धुमाकोट को  शौचालय बना दिया जाएगा। "
कोशियारी हरेक सभा मा बुलणा रौंदन कि चूँकि राज्यसभा मा ऊंकी सीट ठीक जेटली का पैथर च तो टीवी कैमरा का डौरान वु संसद मा फकोरिक से नि सकदन।  कृपया मुझे लोकसभा में भेजिए जहां मै मजे से पिछली सीट में ठीक से सो सकूँ। "

इनि बहुत सा समाचार छन जौं पर पत्रकारुं नजर नि पोड़ि।



Copyright@  Bhishma Kukreti  7/5//2014
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*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

Bhishma Kukreti

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                           केजरीवाल को चिर्री लगी , जेटली को गर्मी लगी तो मीडिया क्या करे ?

                                       विचार -विमर्श -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

ब्याळि (८ /५/२०१४)  बनारसौ दिन छौ।
ब्याळि बनारस्यूं दिन छौ।
कल  काशी मा बगैर दिन बारौ कुम्भ छौ याने राजनीतिक कुम्भ छौ।
ब्याळि बगैर बातौ त ना पर बीजेपी तैं अपण बल बताणो दिन छौ।
ब्याळि भाजपान बनारस मा विरोध धरना दे कि बनारस  अधिकारिन भाजपा याने मोदी तैं मीटिंग करणै, गंगा  आरती मा शामिल हूणो इजाजत किलै नि दे।
ब्याळि मोदीक दिन छौ। सुबेर बिटेन -अधा रात तलक टीवी चैनलूं मा केवल अर केवल एकी खबर छे कि कााशी विश्वविद्यालयs समिण बीजेपी का एयर कंडीसनरी नेता अर जमीनी नेता धरना दीणा छन अर चार बजी ग्रामीण बनारस मा नरेंद्र मोदीन माँ -बेटा अर ऊंक थाली का चट्टा -बटौं तैं गाळी दीण अर फिर छै बजी भाजपा दफ्तर दिखणो जाण याने अठारा -बीस घंटा टीवी चैनलूं मा एकी न्यूज छे - नरेंद्र मोदी - नरेंद्र मोदी।
पर ये दौरान धरना मा अरुण जेटली पर गर्मी लग गे।  बिचारन हमेशा ही वातानुकूलित जगा मा धरना दीणो नाटक -स्वांग करी छौ पैल दैं चवालीस डिग्री की गर्मी -लू लग अर जेटली तै समज मा आई कि किलै भाजपा वाळ वै तैं लोकसभा टिकट नि दींदन। भलो ह्वे कि पास मा इंडिया टीवी की वैन छे जखम जैक अरुण जेटलीन अपण गर्मी उतार।  निथर त गर्मी से अरुण जेटली उखमी बेहोश हूण वाळ छौ।  मीडियान या खबर दबै दे या दबाणो कोशिस कार।  बात बि सै च जब जननेता तें गर्मी नि सयावो तो मीडिया बि क्या कौर सकुद छौ। अर उन बि बीजेपी का कार्यकर्ता या जनता जेटली कु थोबड़ा दिखणो थुका अयाँ छा।  सुणन मा आयि कि अरुण जेटलीन बनारस को तापमान बढ़णो अभियोग समाजवादी पार्टी अर बनारसौ डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट पर लगाइ अर अपण विरोध दर्ज बि कराइ।
बुरु तो यादव कुंवर अर राजा अखिलेश यादव तैं बि लग कि मीडिया वाळ झूट किलै बुलणा छन कि बनारस मा हजारों या लाखों लोग मोदी की एक झलक दिखणो सड़क पर अयां छा।
बुरु तो यादव सम्राट मुलायम सिंग तै बि लग कि मुसलमान किलै नरेंद्र मोदी तैं दिखणो ऐन।  यादव सम्राट अर चुनावी बैंक मा मुस्लिम -यादव बैंक अकाउंट-धारक मुलायम सिंग यादवन नरेंद्र मोदी पर वोट बैंक की राजनीती करणो अभियोग लगै दे।
बुरु तो कॉंग्रेस तैं बि लग कि हमर राजकुमार तैं दिखणो बान मनिख तो छोड़ी कुकुर अर माख बि नि आंदन अर मोदी की एक झलक पाणो लोग किलै पागल हुयाँ छन। अर टीवी शो मा पागलपन की दशा मा कॉंग्रेसी प्रवक्ता अंट -शंट , बगैर तर्क का पागलपन कु बीमार बौळया  जन बकबास करणा छा।  सन 1969 से मि कॉंग्रेसी नेताओं बयान पढ़णु या सुणणु या दिखणु छौं किन्तु इन पागल जन बयान मीन कॉंग्रेस्यूं मान कबि ना पौढ़ , सूण या देख।  एक हूंद कुतर्क अर एक हूंद मार खैक बौळयाण । ब्याळि   टीवी चैनलुं मा कॉंग्रेसी इन बौळयाणा जन बुल्यां कैन कुकुर तैं पीटी दे हो अर वु  कुत्ता   खदुळ कुत्ता ह्वे गे हो।
मयावती तो डंडा खईं सर्पणी जन फुंकार मारणी छे। वींक ईर्ष्या या छे कि नरेंद्र मोदी अफु तैं पिछड़ाजातिक किलै बताणु च अर फिर गंगा आरती की बात किलै करणु च। मायावती कु दुःख समझ मा आंद बि च कि वा समझदी कि पिछड़ाजाति तैं बेवकूफ बणाणो एकाअधिकार तो केवल अर केवल मायावती तैं च अर नरेंद्र मोदी बि जब जातीय हिसाब से कमजोर तबका तैं बेवकूफ बणाण मा सफल ह्वे जावु तो मायावती तैं जलन हूण स्वाभाविक च।
सबसे बुरा हाल तो अपण झाडूबाज , सब पर कजीर लगाण वाळ अरविन्द केजरीवाल कु छौ। नरेंद्र मोदी तैं टीवी मा अधिक से अधिक कवरेज से केजरीवाल पर सबसे ज्यादा मिर्च लग , सबसे ज्यादा चिर्री लग।   बनारस मा अरविन्द केजरीवाल  हरेक टीवी पत्रकार का पास जाणु छौ अर बुलणु छौ कि नरेंद्र मोदी नाटक करणु च पर कै बि टीवी वाळन  दस सेकंड से ज्यादा फूटेज अरविन्द केजरीवाल तैं नि दे।  अब केजरीवाल की समझ मा आयि कि टीवी वाळ बि पुलिस वाळु तरां , वैश्यवृति तरां , राजनीतिकों तरां कैक नि हूंदन।  टीवी वाळ वै तैं दिखांदन जै से टीआरपी बढ़द। 
जनता कु क्या हाल च ? जनता तो बिचारी आसा मा च फिर "अब की बार" हो या "बार बार सबकी कॉंग्रेस" हो !


Copyright@  Bhishma Kukreti  9/5//2014
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*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]

Bhishma Kukreti

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                     खंडूड़ी जी ! हड़क सिंग जी !  गंगा जी मा फाळ मारणो (आत्महत्या ) इच्छा त ह्वे इ होलि   ?

                                  हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती       
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

 अब त गढवाळम चुनाव खत्म ह्वे गेन तो हमर नेता मे जनरल खंडूड़ी अर हड़क सिंग वै वै समय तैं समळणा होला जब चुनाव बगत पर दुयुं तैं आत्म हत्या करणो ज्यू बुले होलु।

मेजर जनरल (रि ) खंडूड़ी ! जरा बतावो त सै ये चुनाव (2014 , लोकसभा ) बगत कति दै आपक आत्महत्या करणै इच्छा ह्वे ?
हड़क सिंग जी मि तैं पूरा विश्वास च कि आप तैं बि भौत दै फांस खाणो ज्यू बुले होलु।  सिंग जी ! इन त बतावो कि कथगा दैं आत्महत्या करणो ज्यु बुल्याइ ?
हे पाठक आप ही बतावो कि दुयुं तैं 2014 का लोकसभा चुनाव लड़द दैं  फांस खाण , गंगा जी मा फाळ मारनो इच्छा तो अवश्य ही होइ होलि कि ना ?
क्या जब जनरल खंडूड़ीन दिन भर पहाड़ों से पलायन समस्या पर बेवकूफ , मुर्ख बणाणो भाषण दे होलु अर रात मा यखुली ह्वेक आत्मचिंतन करी होलु कि उत्तराखंड बणनो बाद द्वी तीन दै भाजपा  सरकार छे अर भाजपा पौड़ी गढ़वाल क्षेत्र  पलायन समस्या पर क्वी ठोस नीति नि बणै साक तो अवश्य ही बिपिन चन्द्र खंडूड़ी तेन पंखा पर लटकीक आत्महत्या करणो इच्छा नि ह्वे होलि ?
जब हड़क सिंग जी चुनाव मा दिन भर जनता तैं मुर्ख बणाण वाळ अस्वासन दे देक थकी गे  होला तो एकांत का क्षणों मा हड़क सिंग जीन स्व-विश्लेषण करी हॉल कि उत्तराखंड मा वो बि कॉंग्रेसी सरकार मा मंत्री रयां छन अर ग्रामीण क्षेत्र की जनसंख्या दिनों दिन कम होणी च तो अवश्य ही हड़क सिंग जी तैं चुल्लू भर पाणी मा डूबिक सुसाइड करणो ज्यु बुले होलु कि ना ?
जब दुयुंन आत्मचिंतन से पै होलु कि उंकी सरकारन पहाड़ समस्या का एक बि समाधान नि दे तो अवश्य ही दुयुं तैं डाळ पर ज्यूड लगैक फांस खाणो ज्यु त जरूर ह्वे होलु कि ना ?
जब खंडूड़ी जी अर हड़क सिंग जीन इखुल्या -यखुली सोची होल कि उत्तराखंड की पहाड़ी जनता तैं उत्तराखंड बणनो बाद बि रोजगार का वास्ता मैदानों तरफ भागण पोड़द तो आत्म ग्लानि मा दुयुं तै पहाड़ की चोटी से कुद्दी मारिक अपण जीवन  खतम करणो इच्छा बलवती ह्वे होलि कि ना ?
जब हड़क सिंग जी अर खंडूड़ी जीन ख़याल कौर होलु कि हमर दुयुंक पार्टीन जनता का सपना का चकनाचूर कार तो दुयुं तैं कै बड़ो ढुंग पर कपाळ फोड़िक मरणो इच्छा तो होइ होलि कि ना ?
जब दुयुं विचार करि होलु कि पहाड़ो मा अब शिक्षा को मतलब कुछ रै इ नि गे तो क्या दुयुं तै अफु तै अफिक खड्यारणो ज्यु नि बुले होलु ?
जब दुयुंन चुनावी भ्रमण मा पै होलु कि पहाड़ों मा कृषि भूमि मा फसल की जगा लैन्टीना (कुर्री ) अर मळसु जाम्युं च तो अवश्य ही दुयुं तैं अपण नस काटिक खुदकशी करणो ज्यू  बुले होलु कि  ना ?
उत्तराखंड आंदोलन मा सुचे गे छौ कि पहाड़ो मा बागवानी उद्यम फलल -फूलल अर जब पिछ्ला चौदा सालुं मा कुछ नि ह्वे तो आत्मग्लानि मा हड़क सिंग अर खंडूड़ी कु अफु पर अफिक आग लगैक अपणि इहलीला समाप्त करणो ज्यु नि बुले होलु ?
जब दुयुंन आत्म विशलेषण करी होलु अर देखि होलु कि ना तो कॉंग्रेस अर ना ही भाजपा सरकारुंन उत्तराखंड तै पर्यटन उद्यम का वास्ता क्वी नया कारगर विकल्प दे तो अवश्य ही हड़क सिंग अर खंडूड़ी द्वी खुदकशी का वास्ता मूस मारणो जहर ढूंढणो इना ऊना भटकी होला कि ना ?
इनि कथगा ही क्षण ऐ होला जब हड़क सिंग अर खंडूड़ी अपणी नाकामयाबी से हताश ह्वेक आत्म हत्या जन पाप करणो तयार ह्वे होला।
मेरी उत्तराखंड राज्य से गुजारिस च कि खंडूड़ी अर हड़क सिंग का चौतरफा , चौबीस घंटा चौकीदार लगै दिए जावन जाँसे यी द्वी आत्मचिंतन का बाद खुदकशी , आत्महत्या या सुसाइड नि करी द्यावन किलैकि नेता  जनता तै त बेवकूफ बणै सकुद पर अपणी आत्मा तै मूर्ख नि बणै सकुद।


Copyright@  Bhishma Kukreti  10/5//2014
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*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले द्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक द्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ] 

 

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