Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 361076 times)

Bhishma Kukreti

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                             ट्रांसफर याने डंड्याणो (दंड ) एक नायब माध्यम !

                                    घपरोळया , हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती     
                   
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )


 ट्रांसफर सद्यनि बटें कै तैं उत्साहित करणो या डंड्याणो (दंड दीण ) नायब माध्यम च।

एक पार्टीक सरकार जांद अर हैंक पार्टीक सरकार आंद त थोक भावुं मा अधिकार्युं ट्रांसफर हूंद।  मतबल अधिकार्युं राजनीतिकरण हुयुं रौंद।  यदि सरकारी अधिकार्युं राजनीतिकरण नी बि हुयूं हो त ट्रांसफर नीति से चट्टेलिक  अधिकार्युं राजनीतिकरण करे जांद अर ट्रांसफर का बाद मुख्यमंत्री एक सर्कुलर बि भेजदु कि सबि अधिकार्युं तैं राजनैतिक दखलंदाजी से दूर रौण चयेंद।

अधिकार्युं ट्रांसफर या अधिकारी ट्रांसफर दुनिया तैं दिखाणो एक जरिया बि च कि सरकार चुस्त च।

कबि कै प्रदेश जन कि उत्तर प्रदेश मा अपराध बढ़ जावन अर प्रेस वाळ या विरोधी पार्टीक सियां नेता बिजी जावन तो मुख्यमंत्री थोक मा पुलिस कॉन्स्टेबलूँ ट्रांसफर करिक बतांद बल अब अपराध पर काबू पाये जाल याने अधिकार्युं ट्रांसफर सरकार का वास्ता छवि चमकाणो  पॉलिश  बि च। ट्रांसफर छवि मंजाणो पुत्या च , ट्रांसफर मंजन बि च।

कखि अपण पार्टीका कार्यकर्ताओं द्वारा जवानी का जोश माँ बलात्कार ह्वे जावो  तो सबसे पैल थाना कु सिपाही कु ट्रांसफर करे जांद अर जताए जांद कि सरकार की मंशा बलात्कार्युं तैं बचाणै नी च।  इनमा ट्रांसफर अपण गू हैंक पर चिपकाणो काम ऐ जांद।

जब उत्तराखंड उत्तरप्रदेश मा छौ तो पहाड़ी क्षेत्र अधिकार्युं तैं पनिशमेंट भुगणो बड़ो शांत क्षेत्र माने जांद छौ।  तब हत्या , बलात्कार , भ्रष्टाचार , स्त्री अत्याचार का दोषी कर्मिक या अधिकारी जौं पर कार्यालय या कोर्ट मा इन्क्वारी चलणि रौंद छे ऊं तैं डंड दीणो सरल तरीका छौ कि ऊंक ट्रांसफर पहाडूं मा करे जावो।

ट्रांसफर राजनीतिग्युं कुण राजनीतिक  चौसर  खिलणो एक तरीका च जखमा कर्मिक अर अधिकारी कौड़ी छन,  बट्टा छन ।

उत्तराखंड मा अध्यापकों ट्रांसफर कै बि सरकार का वास्ता गौळै हड्डी च।  अध्यापक नाराज ह्वे जावन तो शर्तिया सरकारी दल चुनाव हारी जांद।  इलैइ उत्तराखंड मा आज तक क्वी बि सरकार अध्यापकुं  वास्ता क्वी बि ट्रांसफर नीति लागू नि कौर साक।  पहाड़ों मा अध्यापक राजनीतिक कार्यकर्ताओं से अधिक कारगर छन। पहाड़ूं मा अध्यापक चिमल्ठूं पेथण छन अर चिमल्ठूं पेथण पर हथ लगाणो मतबल अफु तैं अफिक चिमल्ठूं से तड़कवाण !

अच्काल ट्रांसफर राजयपालों तैं दंगळयाणो एक जरिया बण गे।

यूपीए सरकार की मेहरबानी याने सोनिया गांधी परिवार का स्वामी भक्त नेता अर रिटायर्ड अधिकार्युं तैं  राज्यपाल बणये गे छौ पर यी लोग जब भाजपा का आणो बाद बि राज्यपाल की कुर्सी छुड़णो तयार नि ह्वेन तो भाजपा सरकारन सदाबहार ट्रांसफर नीति अपणै याने बड़ा प्रदेश का राज्यपाल कु ट्रांसफर मिजोरम जन प्रदेश मा करी दे। इनमा राज्यपाल  अपण बेज्जती समजिक राज्यपाल की गद्दी छोड़ी दींद या कमला बेनवाल जन हठी गुजारत बिटेन मिजोरम जाणो तयार बि ह्वे जांद।  खैर एबगतां राज्यपालुं  ट्रांसफर नीति राज्यपालों तैं रपटाणो नीति का अलावा कुछ नी च।

अजकाल ट्रांसफर डंड्याणो एक नायब तरीका च। 

Copyright@  Bhishma Kukreti  25 /8/ 2014     
*लेख में  घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं ।



 
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Bhishma Kukreti

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              बल ए साल बि गढ़वाळम गदन ऐन , भळक ऐन

                                  चबोड़्या - भीष्म कुकरेती

s - आधा अ

 बल टीवी मा द्याख बल हर सालों तरां ,

ए साल बि गढ़वाळम बादल फटिन जोर से सद्यनो तरां

बल टीवी वाळुंन पुरण क्लिपुं तैं नै हिसाब से बताइ कि  ढांगू -उदैपुर मा जोर का गदन ऐन मतबल   बाढ़ ऐ।

अखबारुं मा त ना पर फेसबुक मा द्याख बल लंगूर-ढांगू -उदैपुर मा कथगै जगा भळक ऐन मतबल भूस्खलन का पुराणी क्लिप ना असली चित्र देखिन।

मि नि जाणदु कि जान माल कु कथगा नुकसान ह्वे। अब जब सरकार इ नि बताली त मि तै सुपिन थुका आल कि म्यार गां मा क्या नुकसान ह्वे।

पर मि जाणदु छौं कि ये साल बि टीवी स्टूडियो मा पॉलिटीसयन, पत्रकार अर पर्यावरण वादी हिमालयी व्यवस्था का वास्ता रोला -पिटला अर  दण दण घड़ियाली आंसू अवश्य बगाला अर फिर हैंक साल की बाढ़ -भूस्खलन की जग्वाळ मा फसोरिक से जाला।

मि नि जाणदु कि ढांगू -उदैपुर वाळुं तै बाढ़ - भूस्खलन का अंदाजा पैलि लगि गे छौ कि ना।

किन्तु एक बात  त अवश्य ह्वे होलि कि दिल्ली मा अबै दै  कॉंग्रेसन भाजपा सरकार तैं  उनि गाळी दे होलि जन पोर -परार भाजपान कॉंग्रेस सरकार तैं निठल्ला आपदा प्रबंधन कमिसन का वास्ता दे छौ। कॉंग्रेसन भाजपा की तरां अभियोग लगै होलु कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक सफेद हाथी च।  अभियोग मा कॉंग्रेस का गाळयूं शब्द वी ही रै होला जु पोर -परार भाजपा का गाळयूं मा शब्द रयोग ह्वे होला।

मुख्यमंत्री न अवश्य ही दुःख जतै होलु अर टीवी मा बयान दे होलु कि प्रभावितों तैं हर सम्भव सहायता दिए जाली। अखबार सरकार का विरुद्ध ज्यादा नि ल्याखन की चिंता मुख्यमंत्री तैं ज्यादा ह्वे होलि तो अखबारुं मुख बंद करणो वास्ता अखबारुं तैं सरकारी विज्ञापन याने मुख्यमंत्रीक मुखड़ा दिखाण वाळ विज्ञापनुं भेंट दिए गे होलि।

इख तक कि भूतपूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणान बि बाढ़ -भूस्खलन पर  सोनिया जी अर राहुल गांधी जीs  तर्फ़ान अत्यंत चिंता व्यक्त करि होलि।

जन कि हूंद च   कि यमकेश्वर क्षेत्र की विधायिका श्रीमती बड़थ्वाल , विरोधी दल की द्वी और नेत्यांणी श्रीमती कैंतुरा अर श्रीमती बिष्ट ये मामला मा उदासीन ही रै होला।

मि नि जाणदु कि जौंक चौक बगी होलु वूंक  चौक का वास्ता सरकारी अनुदान मीलल कि ना किंतु भौत  सा ग्राम प्रधानुं ये साल नया नया चौक अवश्य बौणल।

मि क्या जनता बि नि जाणदि कि जौंक सनी/गौशाला  उजड़ी होलि वूंक सनिक /गौशालाक क्या ह्वालु किन्तु सब तैं पता च कि भौत सा पंचायत सदस्यों नई छनि /सन्नी /गौशाला सत -प्रतिशत चिणे जालि।

कै तैं नि पता कि जौंक कूड़ उजड़ वूं तैं सरकार क्या मुवावजा द्याली पर सब तैं पुरू भरवस च कि ये साल ब्लॉक प्रमुखुं नई चकाचक कोठी देहरादून या कोटद्वार मा अवश्य बणन।

प्रवासी संस्थौन अपण अपण लियाकत से चंदा भिजण।

बस कुछ दिन बाद सब्युंन दिवाळी -बग्वाळी -मकरैणी - बिखोत का त्यौहारुं मा बौगे जाण अर फिर तबि खौंळेण /आश्चर्य चकित हूण  हैंक साल फिर कै हैंक जगा बाढ़ आली , भूस्खलन होलु।

रघुकुल रीति सदा चली आई का हम शिष्य छंवां  हमन   तबि बिजण जब हमर नुक्सान ह्वे जालु वै से पैल हमन सियुं रौण !

Copyright@  Bhishma Kukreti  27  /8/ 2014     
*लेख में  घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं ।



 
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Bhishma Kukreti

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                                 नेता कु पशुचरित्र   भाग - 1

                      चबोड़्या , चखन्यौर्या - भीष्म कुकरेती

s = अधा अ

ब्याळि मि अपण नातिक स्कूल ग्यों तो द्याख कि मास्टर जीन एक ऐनिमल किंगडम याने जानवरूं साम्राज्य कु बोर्ड टंग्युं छौ और मुख्य बोर्ड पर शीर्षक लिख्युं छौ नेताचारितम् याने नेताओं के मुख्य गुण और जानवरों के गुण !

मास्टरजी पढ़ाना छया -

नेता बणनो वास्ता मनुष्य तैं जानवरूं कु चरित्र अंगीकार करण आवश्यक हूंद।

गैंडा जन खलड़ी  - नेता की खाल गैंडा जन  म्वाट खलड़ो हूण जरूरी च कि जनता कथगा बि रोये -पीटे नेताजी की सेहत पर फरक नि पड़न चयेंद।  उ नेता नी च जु जनता का दुःख से दुखी ह्वे जावु।

बेशरम लोमड़ी /स्याळ - चालाकी मा नेताओं तैं स्याळ से बि अग्वाड़ी हूण चयेंद। दुसरौ याने म्वारुं  जमायुं शहद कु छत्ता पर अपण अधिकार करण मा कबि बि नि शर्माण चयेंद।

बिरळि - शांत अर ठंडो मिजाज सिखण हो त बिरळ से सिखण चयेंद , कथगा बि अभियोग लग जावन तो भी नरसिम्हा राव या मनमोहन सिंह जीक तरां शांत रौण चयेंद।

बिरळि अपण बच्चों तैं सात घौर दिखांदी - नेताओं तैं बि अपण द्वी नम्बरो कमाई कबि बि एक जगा मा या एक फॉरेन बैंक मा नि रखण चयेंद अपितु बेनामी चल अथवा अचल सम्पति तैं बराबर बदलण चयेंद।  हालांकि इन सुणन मा आयि बल अच्काल बल सहारा चिट फंड ,  श्रद्धा चिट फंड जन कम्पनी नेताओं बेनामी धन तैं इना ऊना घुमाणा रौंदन।

कळजिंड/ कोयल - कोयल अपण अंडा कवाक घोल मा धरदी याने अपण बोझ दुसरौ पीठ मा या काँध मा डळण सिखण   हो तो कोयल से या नारायण दत्त तिवाड़ी से सिखण चयेंद।

कर्रें - जब बि नेता विरोधी पार्टी का हूंद व या वा कर्रें तरां कर्र -कर्र करद।

कुत्ता - नेता तैं अपण कुर्सी का आस पास कै हैंक नेता तैं द्याख ना कि खदुळ कुत्ता का तरां भुकण शुरू कर दीण चयेंद।

कळु /तोता - चुनाव का टैम पर अच्छे दिन आएंगे की एकी रट अर चुनाव जितणो बाद रटण चयेंद अच्छे दिन लाणो वास्ता दस साल बि कम पोड़ल।

कळु /तोता - कळु तैं सूंघीक पता चल जांद कि कख फल पक्याँ छन ऊनि नेता तैं बि पता चलण चयेंद कि कख मलाई या चंदा मिलणु च।

गरुड़ - कुर्सी पर दूर से नजर पड़नै गुण गरुड़ से सिखण आवश्यक च।

चिंचुड़ - याने जनता कु खून चुस्वा

सरसु याने खटमल - शोषण करणै बड़ी सक्यात

गू खवा सुंगर - सुंगर टट्टी खाण से परेज नि करदु अर नेता शौचालय साफ़ करणो ठेका से घूस लीणम परेज नि करद।

बांदर -नकलची ! दुसरों नारा तैं अपण नारा बतैक भाषण दीण।

बकै दुसर दिन भाग 2 मा .......

Copyright@  Bhishma Kukreti  28  /8/ 2014     
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Bhishma Kukreti

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                 अरी पहाड़ी नारी ! तू मेरी सौतन री !

                  चबोड़ ?  चखन्यौ ?   - भीष्म कुकरेती

s = अधा अ

 मि तैं तुम मिसेज अबोध बंधु बहुगुणा , श्रीमती डंडरियाल , श्रीमती रघुवीर सिंह अयाल , श्रीमती केशवान , श्रीमती असवाल , मिसेज पराशर गौड़ , श्रीमती विनोद जेठुरी , मिसेज जगमोहन जयाड़ा , मिसेज बालकृष्ण भट्ट , श्रीमती राजेन्द्र सिंग फरियादी या मिसेज गीतेश नेगी कुछ बि बोलि सकदां पर मि ढोल बजैक , तुरही फूंकिक , डौंर बजैक , थाळी छणकैक , कंटर पीटिक ऐड़ैक , बीच बजार मा धै लगैक बुलणु छौं बल स्या पहाड़ी औरत मेरी सौतन ,  सौत च।

 तैं पहाड़ की जनानीन  मि तैं वै दिन से इ जलाण -कुढ़ाण शुरू कौर आल छौ जैदिन बटे मी तैं यी याने म्यरो हजबैंड जी  ब्यौ बाद पहाड़ से दिल्ली लेकि ऐ छा। यी कवि हृदयी त नि छन बल्कण मा बकळि जिकुड़ी का छन पर असल मा  गढ़वाली कवि छन। 

सुहाग रातक दुसर सुबेर यी मि तैं  लेकी  दिल्ली ऐ गे छा अर यूंन तब अंदो आंद 'पहाड़  की नार की द्वी साल बाद सुहाग रात ' पर बड़ी हाहाकारी कविता लेखिक छ्पवै छे अर तब से मेरी समज मा ऐ गे पहाड़ की नारी मेरी सौत री !

दुसर कविता मा यूंन पहाड़ की नारी ठंड मा , ऐड़ी मा सुबेर सुबेर मुंहअंधेरे उठिक जंदर पीसण , घाम आण पर घमघम कुटणो वर्णन करी छौ अर पहाड़ की नारी की असह्य कठण जिंदगी वर्णन से एक कवि सम्मेलन मा श्रोताओं तैं रुलै छौ अर इथगा बढ़िया असलियतबादी कविता से अपण दगड्या कवियों तैं जळै छौ। पर म्यार कजे की कविनजर मे पर नि पौड़ी कि मी बि त प्रवास मा पैल यूंक भाइ पढ़ै वास्ता फिर अपण बच्चों की खातिर दिल्ली मा 4 डिग्री की ठंड ह्वेन या ह्वेन 44 डिग्री को उमळतो मि   सुबेर 4 बजी बिजिक कामधाम मा लग जांद छौ।  म्यार सुकुमार हृदयी कजे तैं  मेरी मेनत , परिवार का वास्ता शरीर खपाई की जिंदगी मा कुछ बि करुणा नि दिखे बस पहाड़ी नारी की एवरेस्ट की ऊकाळ वळि जिंदगी दिखे अर युंकुंण त जन बुल्यां प्रवासी नारी राजसी ठाठ करदारी नारी ह्वावु।

मेरा यूँ हृदय विदारकी कवि पति  तैं पहाड़ की नारीक लखड़ निड़ाण से लेकि लखड़ों बोझ से पिलसीं -पिल्चीं   जिंदगी अवश्य दिख्याई किन्तु इतना दशाब्द्यूं मा इन नि दिखे कि यूंकि धर्मपत्नी बि  मिट्टी तेल लीणो बान चार चार घंटा राशनै दुकान मा हर हफ्ता खड़ी रैंदी . नारी पीड़ा प्रेमी मेरो कवि हज्बैंड यदि एक कविता मेरी परेशानी पर बि लेखी लींद  तो मि कबि बि नि सोचदु की पहाड़ी  नारी मेरी सौत च।

पहाड़ की नारी को मैत नि जै सकणो असमर्थता पर तो मेरा कवि पतिन करुण रस मा डुबाइं -भिगाइं खंड काव्य लेखिक जयश्री सम्मान प्राप्त कार किंतु अपण घौरम अपण पत्नी का वूं रिसदा घावूं तैं दिखद , महसूस करदा बिसर गेन जु घाव यूंक पत्नी तैं पिछला बीस साल से पहाड़ नि जै सकणो असमर्थता से पैदा ह्वेन।  वाह हे गढ़वाली कवि ! पहाड़ की नारी का मैत प्रेम माँ तो  , टीस ,  असह्य करुणा किंतु  प्रवासी नारी ज्वा मैत से बिमुख करे गे वींक मैतै  खुद पर एक बि आंसू ना ?  पहाड़ी नारी की खुद की कीमत बेशकीमती हीरा  अर प्रवासी नारी का आंसू की क्वी कीमत ना ? वाह रे गढ़वाली का सुनामधन्य कवि !

हे कवि माराज ! पहाड़ की अनपढ़ नारी जब पटवारी का खसरा मा अंगूठा लगान्दी तो तुम अपणी  कविता मा दुनिया की सब स्कूलों तैं जमींदस्त करणै वकालात करदा छया किन्तु दिल्ली मा चालीस साल रैक बि मि अबि बि सरकारी कागजुं मा अंगूठा हि लगांदु किंतु आपन कबि नि स्वाच कि मी बि एक अनपढ़ नारी छौं ? क्या आप तैं ख़याल  बि आयि कि खाली पहाड़ ही ना इख दिल्ली मा बि में सरीखा अनपढ़ नारी छन ?

अबि तुमर एक खंड काव्य प्रकाशित ह्वे जैक नाम च 'एकुलास कु बुढ़ापा '।  इ खंडकाव्य पर आप तैं उत्तराखंड कवि शिरोमणि पुरूस्कार बि मील।  ये खंड काव्य मा तुमन पहाड़ मा एक इन बुडड़ी वर्णन कार ज्वा पहाड़ का एक गां मा कथगा इ सालुं से शहर मा रौण वाळ नाती नतिण्यूं  जग्वाळ मा बैठीं च। पर हे पहाड़ नारी प्रेमी कबि मेरि जग्वाळ पर बि त कलम चलाओ कि मि दिल्ली मा रौंद बि दिल्ली मा रौण वाळ अपण नाती नतिण्यूं द्वी साल शकल दिखण से बेजार छौं।   मेरी क़ुदसा पर कलम चलाण मा तुमतै किलै शरम लगदि ?

पहाड़ी नारी तो सौभाग्यवती च कि वींक दुखों पर कलम चलाण वाळ गढ़वाळ मा बि छन अर प्रवास मा बि छन किन्तु मै सरीखा बेबस प्रवासी जनानी पर जब प्रवासी साहित्यकार ही कलम नि चालांदन तो गढ़वाल का साहित्यकार किलै प्रवासी जनानी तैं याद कारल ?

रामु का बुबा जी ! पहाड़ की श्यामु ब्वे पर त तुम खूब कलम चलाणा रौंदा तो  तुमर काखमा बैठीं  रामु की मा तैं बि साहित्य मा भूलां -बिसरां  कबि कब्यार जगा दिलावो ना ! मी बि त गढ़वाली नार छौं !

Copyright@  Bhishma Kukreti  29 /8/ 2014     
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Bhishma Kukreti

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                                  चबोड़ इ चबोड़ मा पूंजीवाद  पर पथर्यौ

                                            चबोड़्या  : भीष्म कुकरेती

s = अधा अ

 अजकाल मोदीजी जपान जयां छन तो क्वी  बि भारतीय इन नि बुलणु च बल ये नरेंद्र भाई ! तू जपान जाणि छे त जपान्यूं कुण क्या लीगी /क्या लिजाणी छे  ? बल्कण मा हरेक भारतीय नरेंद्र मोदी से पुछणु च बल ये भै जपान से क्या क्या अर कथगा लैल ? अर लैल बि त केँ कीमत पर लैली ?

अब द्याखो ना भुंदरा बौन सीतारामन भुलि द्वारा मोदीजी कुण रैबार भ्याज बल जिठा जी  जपान जाणा छन त जरा मेकुण अच्छा दिन जरूर लैन।  मिन बि दिखण कि यि अच्छा दिन हूंद क्या च !

सीतारामन भुलिन पूछ - हे दीदी त्यार हिसाब से अच्छा दिन कन होलु ?

भुंदरा बौ- म्यार हिसाब से अच्छा दिन वो च जैदिन भारतीय उद्योग अपण लाभ का वास्ता चीज बस्तर निर्माण करणो जगा हम भारतीयों असली जरुरात पूरी करणो बान निर्माण कारन।

सुंदरा बौ पैथर किलै रौंदी वीं बौन सुषमा स्वराज कुण ब्वाल बल ही ब्वारी तै नरेंद्रौ कुण बोलि बल जरा थ्वड़ा भौत अच्छा दिन मेकुण बि लये सुणन मा आई कि जपानीज अच्छा दिन चीन या कोरिया से बढ़िया क्वालिटी का हून्दन।

सुषमा स्वराज -आपका हिसाब से अच्छा दिन क्या हून्दन ?

सुंदरा बौ- यां म्यार दिखण से त जब भारत मा लाभ कमाणो अनावश्यक प्रतियोगिता की जगा जनसेवा मा प्रतियोगिता शुरू ह्वे जावो तो अच्छा दिन बुले जाल।

नूरजहाँ  काकिन बि नजमा हुतुल्ला  से ब्वाल बल ये खाला ! जरा अच्छा दिन अफु अफीकुण ना  हमकुण बि मगै दे।

नजमा हुतुल्ला- अच्छा दिन से क्या मतबल ?

नूरजहाँ -निर्माण मा अनावश्यक वेस्टेज नि हो तो वो मेकुण अच्छा दिन छन।

परमीत कौर किलै पैथर रौंदी।  परमीत कौर बि  अच्छा दिन  वास्ता गुण्छ लग गे। हरसिमरत कौरन पूछ कि अच्छा दिन से क्या मतबल ?

परमीत कौर- भै जब  वातावरण शुद्धि अर विकास आपस मा युद्ध ना एक हैंक तैं सहयोग द्यावन तो  ही अच्छा दिन आला।

मिसेज डिसूजा न रैबार भेज कि जब उद्यमी तकनीक हथ्याणो बान प्रतियोगिता करण छोड़िक गरीबी हटाणो प्रतियोगिता कारन तो ही भारत का वास्ता अच्छा दिन ह्वाल।

यी सौब रैबार अमित शाह का द्वारा जब नरेंद्र मोदी मा पौंछिन तो नरेंद्र मोदी कुछ देरौ कुण अचेत ह्वे गेन।

होश मा आणो उपरान्त नरेंद्र मोदीक मुख बिटेन शब्द निकळेन - इंडिया कु कुछ नि ह्वै सकुद।  जापान पूंजीवाद कु सबसे बड़ी खदान च अर हम भारतीय जपान से पूंजीवाद विरोधी चकमक पत्थर की आस लगौला तो कनकै अच्छा दिन आला ?

Copyright@  Bhishma Kukreti  31  /8/ 2014     
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                         बहू  को कत्ल करने के सौ सरल तरीके

                               चबोड़्या - भीष्म कुकरेती

परस्यूं मि गौं जाणु छौं त मीन ड्यार सब्युं कुण रैबार भेजी याल छौ कि मि ड्यार आणु छौं त कै तैं कुछ चयेणु हो त बतै देन।

गां बटें सुंदरा बौक फोन आई," ये भीषम ! जरा बम्बै बिटेन एक नकचुंडी लये। "

मीन पूछ - पर नकचुंडी त गढ़वाळ मा इ मिल्दन तो मुम्बै बिटेन नकचुंडी ?

बौक जबाब छौ -मीन सरा कोटद्वार बजार ढूंढ वा नकचुंडी नि मील ज्वा मि तैं चयाणी छे।

मि - क्वी ख़ास नकचुंडी चयाणि च क्या ?

सुंदरा बौ -हाँ ! मीन पता लगै याल बल स्या ख़ास नकचुंडी बम्बै मा कालबादेवी बजारम 'टीवी सीरियल प्रोडक्ट सप्लायर ' दुकानिम मिलदी।

मि - यां पर यीं नकचुंडिक नाम क्या च ?

सुंदरा बौ - नकचुंडिक नाम त मि नि बोल सकुद पर 'खत्ता धरेन तैं सासुक " टीवी सीरियल मा वा हरामखोर , बदजात ,  पातर खलनायिका किरतुली नी च ? वा जब बि अपण ससुर या कक्या ससुर तैं डरांदि तो ख़ास 'नकचुंडी' दिखैक डरांदि।  मीन बि अपण ससुर जी अर कक्या ससुर जी तैं बि नकचुंडी दिखै दिखैक डराण। वीं हरामखोर , बदजात , पातर वळि नकचुंडी लाण नि बिसरी हाँ !

सतपुळी बटें छमनाक फोन आयि - अब इख गढ़वाळम  इन क्वी चीज नी च जू बम्बै मिल्द हो अर इख नि मिल्दी हो।  पर एक उ रुमाल इख नि मिल्द।  पता च मि कन रुमाल की बात करणु छौं ?

मि - ना ये छमना।

छमना - अरे 'कर देंगे कभी भी बहू का  कतल ' टीवी सीरियल नी च ?

मि - मि इ सासु -ब्वारी सीरियल नि दिखुद।

छमना - हैं ! सीरियल नि दिखदा त मुंबई मा झख मारणा  छवां ?

मि -अच्छा लाण क्या च ?

छमना - यां उनि रुमाल लाण जन   'कर देंगे कभी भी बहू का  कतल 'सीरियल की खलनायिका हर समय एक ख़ास रुमाल लेकि अपण नणदक गौळ दबाणै फिराक मा रौंदि।  मि तैं वु हत्यारा रुमाल भौत पसंद च। मि वै रुमाल से अपण बौ तैं डरौंलु।

गुदमा काकीक फोन आइ अर बुलण मिस्याई - बल ये भीषम ! जरा एक विशेष बिछुवा लए।  छ त बिछुवा च पर दिख्यांणम   यु बिछुवा खतरनाक बिषैला  सांप दिखेंद  बस द्वी जोड़ी बिषैला सम्पोला छाप बिछुवा लये।

मि -विषैला सम्पोला छाप बिछुवा ?

गुदमा काकी - हाँ ' कक्या ससुर को जीने नहीं देंगे " सीरियल नी च ? उखमा वा खलनायिका नी च ? वा कमीनी, कुत्ती , खबेशण  खलनायिका बिषैला सम्पोला छाप बिछुवा पैरिक अपण सासु अर कक्या सासु की हत्या की साजिस रचदी।  वु सीरियल त उथ्गा प्रसिद्द नि ह्वे पर वींक डरौण्या बिछुवा इख भौत प्रसिद्ध ह्वे गेन।  बस द्वी जोड़ी वीं कमीनी खलनायिका ब्रैंड बिछुवा लाण नि बिसरी हाँ।

चण्डिका ब्वारिक फोन आयि - ये जी ! जब बम्बै बिटेन घौर आणा इ छंवां तो जरा चार पांच किस्मौ दसेक बंडल वैम्पिस  (खलनायिका ) बिंदी लयेन।

मि -वैम्पिस  (खलनायिका ) बिंदी ?

चण्डिका ब्वारी - हाँ अच्काल हरेक टीवी सीरियल मा वैम्प याने खलनायिका किसिम किसिम की भयानक सकल की बिंदी पैरदन जन की सांप की सकल की , बिच्छू जन बिंदी , खूंखार घड़ियाल जन बिंदी , दहाड़ता ड्रैगन जन बिंदी।  अर यूँ वैम्पिस छाप बिंद्यूं प्रचलन भौत बढ़ी गे ।  अचकाल वैम्पिस बिंदी नि लगावो तो गाँव मा लोग समजदन कि या जनानी फ़ूहड़ , गंवार जनानी च।

बरमी  बोडिक फोन आयि - ये भीखम  !   जरा मेकुण चार जोड़ी धगुल लये।

मि - कै तरां क धगुल ? जखमा गणेश जी , विष्णु जी , नंदा देवी की मूर्ति गड़ीं ह्वावन ?

बरमी बोडी - इथगा साल बम्बै मा रैक बि तु लाटा का लाटु इ रै।  अरे अच्काल भगवानुं मूर्ति वाळ धगुल बि क्वी पैरदु क्या ?

मि - तो ?

बरमी बोडी -अरे अजकाल तो रावण , कंस,  महिसासुर , कैंटो  जन असुरों मूर्ति वाळ धगुलुं  रिवाज चल्युं च।  द्याख नी तीन ' कहाँ की सास और कहाँ की बहू ", 'काण्ड लगे इस सास पर ", 'कितनी बुरु मेरी सास , कितनी फितना मेरी बहू " जन सीरियल जखमा सबि खलनायक आर  खलनायिका रागसूं मूर्ति वळ धगुल पैरदन? मेकुण बि चार जोड़ी रागसुं मूर्ति जड़्यां धगुल लये। बिसर ना हाँ ! अर एक बि दिव्ता मूर्ति जड़्यां धगुल नि लै हाँ।

धुपणि ब्वारी अबि बि म्यार दगड़ बचळयाण मा शर्मांद च त धुपणि ब्वारिक SMS आयि - जिठा जी ! जरा " सास को तंग करने के सौ तरीके " किताब लयेन।

मीन वै जमानै आठ पास रघुनथि ददि कुण फोन कार - ये ददि यि क्या हूणु च।  सब खलनायक या खलनायिकौं  झुल्ला , जेवरात मंगाणा छन ? यि क्या भंगुल जमणु च।

रघुनथि ददिन जबाब दे - अरे अजकाल टीवी सीरियलुं मा पारिवारिक घात -प्रतिघात , पीठ पर छुर्रा भुकणो जन कथा चलणा छन तो यी कथाकार सीरयलुं मा खलनायक खलनायिकाकी पोजिसनिंग लार्जर दैन लाइफ दिखाणा छन तो अब खलनायक -खलनायिकाओं द्वारा पैर्युं लत्ता -कपड़ा , जर -जेव्हरात आम जनता मा प्रसिद्ध हूणि च। अच्छा सूण अच्छु ह्वे तीन इ फोन कौर दे।  मि त्वैकुण फोन करण इ वाळ छौ। एक किताब लये।

मि - विष्णु सहस्त्र नामा कि शिवचालीसा ?

रघुनथि ददि - ना ना सि किताब त अब आउट ऑफ डेटेड ह्वै गेन।  मेकुण ' बहू  को कत्ल करने के सौ सरल तरीके   " किताब लये जरा।  सुणनम आइ कि बड़ी रोचक  किताब च।

 

Copyright@  Bhishma Kukreti  1 /9/ 2014     
*लेख में  घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं ।

 
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             क्या राहुल गांधी तैं सार्वजनिक रूप से गळया बौड़ (सुस्त बछड़ा ) बुलण ठीक च ?

 

                             चबोड़्या - भीष्म कुकरेती

  इंडियन एक्स्प्रेस मा एक न्यूज आई बल दिग्गी बाबून बोली बल राहुल गांधी तैं कौंग्रेसौ भाग बदलणो वास्ता मीडिया मा दिखेण चयेंद , इन लगण चयेंद कि राहुल बाबा कुछ बुलणु च। वर्तमान चमचाधिराज मधुसूदन मिस्त्रीन जबाब मा बोलि बल कौंग्रेसी नेतौं सणि सार्वजनिक जगा त छवाड़ो  सुपिन मा बि नेहरू खानदान का बारा मा इन नि बुलण चयेंद।

मीन स्वाच  कि यदि जु कॉंग्रेस मा कॉंग्रेस्यूं तैं नेहरू -गांधी याने  राजकीय परिवार का बाराम सार्वजनिक रूप से बुलणो खुली छूट होंदी , बीच चौक मा भर्तस्ना करणो आजादी हूंदी , चौबट मा सार्वजनिक आलोचना की स्वतंत्रता हूँदि तो क्या हूंद ?

मनमोहन सिंह हल्ला कौरिक सोनिया जी से बुल्दा - बल सोनिया जी ! तै राहुल बौड़ो कुछ कारो।  चुप बैठ्युं च।  चुप बैठणो ठेकेदारी त मै तैं मिलीं च अर चुप स्यु बौड़ बैठ्युं च।

सोनिया - हे भगवान ! मेरी त मवासी घाम लग गे।  जब ये नर्भागी बछड़ा का कुतकी मारणो दिन छा , एक फाँगि से हैंकि फाँगि मा फाळ मारणो समय छौ स्यु घाम तपणु च।  जपानीज कंसल्टेंट तैं भट्यावो।

कपिल सिब्बल - जपानीज कंस्लटेंटुन खन्नु खरपट्ट करण ? हमन तै अळगसी तैं राजस्थान -मध्य प्रदेसौ चुनावुं मा इनर्जी टैबलेट याने ऊर्जा  गोळी खलैन तो   ……

सोनिया गांधी - तो तैन भाजपा का कील ज्यूड़ तोड़ि देन क्या ?

कपिल सिब्बल -क्यांक भाजपा का कील ज्यूड़ तुडिन ?

सोनिया - तो ?

कपिल सिब्बल - अरे स्यु निर्भागी मुसदुंळ लुकी गे।  मुसदुंळ बटें रीता जोशी बहुगुणा , साकेत बहुगुणा जन मूसूं सिकैत आई बल स्यु राहुल त हमारी ही नकल  करण लग गे अर किर्र किर्र किराणु च।

सोनिया गांधी - यां कुछ तो कारो ! मेरी मवासिक क्या ह्वाल ?

मनीष तिवाड़ी - ये गळया  बौड़क  कुछ नि ह्वे सकुद।

सोनिया - कनो ?

मनीष तिवाड़ी - हमन कथगा दैं तै गळया  बौड़क काँध मा गौळ डाळ पर मजाल च कि तैपर कुछ फरक पौड़ी हो धौं !

सोनिया गांधी -ह्यां ह्वाइ क्या च ?

मनीष तिवाड़ी - हूण क्या छौ।  पिछ्ला दस -ग्यारा सालुंम बारा गौळ  सौड़ि गेन पर यी राहुल बौड़ मा ज्यु धरदां तो यु बौड़ स्यूं ज्यूक भ्यूं बैठ जांद।

सोनिया गांधी - तो कुछ हौर करदा !

पी चिदंबरम - कार किलै नी च।

सोनिया - क्या कार ?

पी चिदंबरम - हमन जब द्याख कि जनि राहुलक काँध मा चुनावी ज्यु धार तो स्यु बौड़ झम बैठ जावु तो हमन तैक खुंटों पर भाषणु छलपटी लगैन कि स्यु गळया बौड़ भ्यूं नि बैठो।

सोनिया गांधी - तो खुटुं पर छिलपटुं लगण से तैन कथगा पुंगड़ु  हौळ लगाइ ?

मोअली - केक हौळ लगाइ।  तैन छिलपट अर ज्यू इ तोड़ि देन अर उख्मी बीच पुंगड़ मां बैठि गे। झूठ बुलणु हूं त शीला दीक्षित बैणि तैं पूछी ल्यावदी।

सोनिया - ये दीदी  क्या क्या ह्वे ?

शीला - मीन दिल्ली वळु तैं धाद लगैक बुलै छौ कि हमर बछड़ा हौळ लगाण लैक ह्वे गे तो एक हाल देखिक लोग भाजी गेन।  मै नि लगद राहुल बछड़ा कबि हळ्या बल्द बौणल।

सोनिया - खड़गे जी तुम क्या बुलणा छंवां ?

खड़गे - मीन क्या बुलण ?    बुलणम बि शरम लगदी . वु आण नी च कि दुसरौ कालु हंसावु अर अपण कालु रुलावु।

सोनिया गांधी - ह्यां ह्वाइ क्या च ?

खड़गे - हूण क्या छौ।  तै दिन संसदौ चौक मा सँजैत दैं लगणी छे।  सबी पार्टयूँ बौड़ , ढांग बल्द , गौड़ी -बाछी सब दैं लगैक अपर अपर फसल मांडणा छया अर हमर बछड़ा बीच चौक मा सियुं छौ .

सोनिया - तो क्या करे जावु ?

मोतीलाल बोरा - अब त प्रिंयका तै ट्राई करणो समय ऐ गे।

सोनिया (गुस्सा मा )- क्याssss ?

सबि - नै नै हम खुंडु उस्तरा से दाढ़ी बणै ल्योला अर गळया बौड़ से भद्वाड़ बै ल्योला। 

Copyright@  Bhishma Kukreti  2  /9/ 2014     
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                  भाजपा की  दुमुख्या गुरौ वळि राजनीति

                               चबोड़्या :  भीष्म कुकरेती

कॉंग्रेस की पंचमुखी राजनीति अर संगठन का इकदगड़ी सोनिया मुखी अर राहुल मुखी हूण पर त भाजपा का नेता तेजाबी हमला करदन किंतु अपर द्विमुखी चालचलन पर चुप्पी ले लीन्दन- गूणी अपण पूछ त दिखुद नी च पर बांदरौ कुण ब्वाद बल तै बाँदरौ पूच लम्बू च ।  अब द्याखो ना परसिपुण जुलाइ -अगस्त 2014 मा स्थानीय चुनाव ह्वेन तो पौड़ी मा बि पंचायत अध्यक्ष का चुनाव ह्वेन।  पौड़ी जिला पंचायत अध्यक्ष पद ये बगत जन्यान्यु कुण आरक्षित छे तो बिचारा सबि लालू प्रसादुंन अपण अपण राबड़ी देव्युं तैं अध्यक्ष पद का वास्ता खड़ी करी देन।  कॉंग्रेस की राबड़ी याने उत्तराखंड का मंत्री हड़क सिंह रावत की राबड़ी देवी याने श्रीमती दीपा रावत जीती गे अर भाजपा की राबड़ी देवी याने हिमानी नेगी याने  भूतपूर्ब पंचायत अध्यक्ष केशर सिंह नेगी की धर्मपत्नी चुनाव हारि गे। पढ़न मा त समाचार बड़ो सरल दिख्याणु च किंतु समाचार इथगा सरल नी च।

सवाल च भाजपा की राबड़ी देवी उर्फ़ हिमानी नेगी छ क्वा च अर यदि भाजपा न हिमानी नेगी तैं पौड़ी जिला पंचायत अध्यक्ष पद का टिकेट दे तो वै पर किलै इन बुल्याणु च बल भाजपा बि दुमुख्या गुरौ की राजनीति चलांदी।

भूतपूर्ब पंचायत अध्यक्ष केशर सिंह नेगी की धर्मपत्नी हिमानी नेगी तैं भाजपा द्वारा टिकेट दीणो साफ़ अर्थ च बल भाजपा  नेता गढ़वालम शराब को बढदो चलन पर हजारों टन का आंसू केवल दिखाणो बौगाँदन निथर असलियत या च कि भाजपा का बड़ा पदाधिकारियों तैं पड़ीं बि नी च कि गढ़वाल मा शराबौ प्रचलन कम हो।  भाजपा का पदाधिकार्युं तैं गढ़वाळम बढदो शराबौ  रिवाज से यदि इथगा चिंता इ जि हूंदी तो पौड़ी जिला पंचायत अध्यक्ष पद का टिकेट श्रीमती हिमानी नेगी तैं कतै नि दींदा। भाजपा सिर्फ दिखावा करदी , भाजपा का नेता बस स्वांग याने नाटक करदन कि गढ़वाळम शराब से युवा शक्तिहीन हूणा छन , शराब से युवा कांतिहीन हूणा छन।  भाजपा द्वारा मीरा रतूड़ी अर सुधा सती तै दरकिनार करिक हिमानी नेगी याने  केशर सिंह नेगी की धर्मपत्नी तैं टिकेट मिलणो साफ़ अर्थ च कि भाजपा तो शराब की समर्थक च।

भाजपा जोरो से भोंपू बजांदी , तुरही बजान्दी , ढोल बजान्दी कि हम साफ़ सुथरी राजनीति मा विश्वास करदा किन्तु केशर सिंह नेगी की धर्मपत्नी हिमानी नेगी तैं पौड़ी  पंचायत अध्यक्ष पद दीणो साफ़ मतबल च , मीनिंग च बल भाजपा की साफ़ सुथरी राजनीति से क्वी लीण -दीण नी च बस बुलणो को हि नारा च कि भाजपा भारत मा साफ़ सुथरी राजनीति लाणो तयारी करणी च।  वास्तव म त व्यवहारिक धरातल मा भाजपा रसूक, तिकड़म  की ही राजनीति की चेली ,  शिष्या च।

भाजपा जोरों से बयानबाजी करदी बल भाजपा हमेशा अपण कैडर का हितैषी च पर मीरा रतूड़ी अर सुधा सती तैं छोड़िक हिमानी नेगी तैं भाजपा का टिकेट मिलणो सही अर्थ च कि भाजपा मा  कार्यकर्ताओं  की ना अपितु तिकड़मी नेताओं की ही चलदी जन कॉंग्रेस मा नेताओं का रिश्तेदारुं की ही चलदी।

अब आपन पुछण बल मि हिमानी नेगी से इथगा किलै चिरड्याणु छौं ? नै नै हिमानी नेगी का गोरुंन ना तो म्यार उज्याड़ खाइ ना हि भूतपूर्ब पंचायत अध्यक्ष केशर सिंह नेगी की धर्मपत्नी हिमानी नेगन म्यार वाड सरकाई। म्यार हिमानी नेगी से क्वी बैर दोष नी च।

जब आप तैं पता चौलल कि हिमानी नेगी क्वा च तो आप बि बुलीला बल भाजपा गढ़वाळम  शराब का बढ़दा उपयोग पर जब चिंता जताँदी तो वो केवल एक ढोंग च , ढकोसला च बस।

जब आप तैं पता चौलल कि हिमानी नेगी कैकि राबड़ी देवी च तो आप बि सहमत ह्वै जैल्या कि भाजपा की साफ़ सुथरी राजनीति कु हल्ला सिर्फ दिखावा च , एक छद्म प्रचार च।

हिमानी नेगी भूतपूर्व पौड़ी पंचायत अध्यक्ष केशर सिंह नेगी की पत्नी च। 

अर केशर सिंह नेगी शराब का कई ठेकाउं मालिक छन अर केशर सिंग जीक कई समर्थकों का पास बि शराब का ठेका छन।
तो अब आप ही न्याय -निसाब कारो की भाजपा की असली चेहरा क्या च ?
आप बि अब बोलली कि न कि भाजपा की  राजनीति दुमुख्या गुरौ वळि राजनीतिच।

             


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                               दाऊद इब्राहिमौ धमकी भर्युं फोन

                            चबोड़्या , चखन्यौर्या : भीष्म कुकरेती

ब्याळि ऑफिसम बैठ्युं छौ कि फोन आयि अर ऑपरेटरन बोलि - डी कंपनी बिटेन फोन च।

उख बिटेन फोन आयि - मि डी कम्पनी बटें छोटा मुर्गा  बुलणु छौं . मि बरीक आलू कु  बड़ा भाई छौं ।

मि - डी कम्पनी ? पर इन नामौ त हमर क्वी डीलर नी च।  डीलरशिप चयाणी च त हमर एरिया सेल्स मैनेजर से बात कारो।

छोटा मुर्गा - ओए ! मि कराची  की डी कम्पनी से बुलणु छौं।

मि - मि एक्सपोर्ट नि दिखुद।

छोटा मुर्गा - मै भाई वाळ डी कम्पनी याने सर दाऊद इब्राहिम वळि डी कंपनी बिटेन बुलणु छौं।

अद्बुदेड़ लौकी - ओए मि अद्बुदेड़ लौकी बुलणु छौं, म्वाटो  पिंडाळु कु काका ।  ले डॉन भाई से बात कौर। ले दाऊद भाई याने डॉन भाई से बात कौर।

दाऊद इब्राहिम - मिन सूण बल तीन सब्युं बारा मा ल्याख।  याने सोनिया गांधी , राहुल गांधी , लालकृष्ण आडवाणी का बारा मा ल्याख।  इख तलक कि अजित पंवार पर बि ल्याख। म्यार बारा मा कबि नि ल्याख।

मि - पर गढ़वाळि मा दाऊद भाई का बारा मा लेखी बि ल्योलु तो बि कैन नि पढ़ण।

दाऊद इब्राहिम - अब पौढ़ल !

मि -किलै ?

दाऊद इब्राहिम -जख विकास उख हमर डी कम्पनी। उख तुमर उत्तराखंड मा लैंड माफिया , सैंड माफिया , फारेस्ट माफिया, शराब माफिया छन तो ऊँ तैं ओर्गेनाइज्ड ढंग से चलाणो वास्ता मेरी कंपनी याने डी कम्पनी की भौत आवश्यकता पोड़ी गे।

मि - कनो उख नेताओं की कमी थुडा च कि  ....

दाऊद इब्राहिम - तू म्यार बारा मा लेख कि मि उत्तराखंड का तरफ आणु छौं।

मि -मि अर दाऊद इब्राहिम का बारा मा लिखुल ?

दाऊद इब्राहिम -त्यार त छैल बि ल्याखल।  म्यार बारा मा नि लेखलि त मि त्यार पैथर खुंडु उस्तरा लगै द्योलु हाँ।

मि -क्या ?

दाऊद इब्राहिम -हाँ।  मि सरा मुंबई तैं कंट्रोल करदु। अगर तू म्यार बारा मा नि लिखली त मि अधकचा लिम्बु तैं तेरी सुपारी दे द्यूलु।
मि -शादी ब्यौं मा सुपारी दिए जांदी।

दाऊद इब्राहिम -देख मि इख कराची से सरा मुंबई कंट्रोल करदु। मुंबई मा रौण मुस्किल कौर द्योलु।
मि -बहुत सा पुलिस ऑफिसर म्यार दोस्त छन।

दाऊद इब्राहिम -पुलिस ऑफिसरूं बदली त मी इ करांदु । जै पुलिस ऑफिसर तैं चौं मि लगै सकुद, जै तैं चौं मि निकळवै सकुद अर जैक चौं मि बदली करै सकुद।
मि -पुलिस ऑफिसरूं बदली आदि की पावर तो गृह मंत्री का हाथ माँ हूँद।

दाऊद इब्राहिम -देख मुंबई तैं कंट्रोल करद ना कि होम मिनिस्टर।  तू म्यार बारा मा लेख कि मि अब उत्तराखंड पर अधिकार करण वाळ छौं।  मेरी समणि कैकि नि चलदी , होम मिनिस्टर की बि ना !
मि -बेकार की बात नि कौर कि कराची से मुंबई कंट्रोल हूणु हो।

दाऊद इब्राहिम -तीन दिखणाइ मेरि  तागत।  अबि दिखांदु मि त्वै तैं अपण तागत।
मि -जा बै जा।  इस्लामाबाद , कराची वाळु धमकी मा मि नि आंदु।

दाऊद इब्राहिम - देख मि आज  दक्षिण मुंबई की बिजली गोल करणु छौं. फिर देख तू मेरी सक्यात कि मि कराची से क्या कौर सकुद।
अर फटफटाक सरा साउथ मुंबई कि बिजली गुल ह्वे  गे ।

Copyright@  Bhishma Kukreti  4  /9/ 2014     
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                  ऊँ दिनुं आरुणी अर अजकालौ आरुण्युं  मध्य पिसदा अध्यापक

                      चबोड़्या-चखन्यौर्या  : भीष्म कुकरेती

हमन पुरण जमानै कथा पौढ़ि छे बल शिष्य आरुणि गुरु धौम्य श्री का स्यारौ पाणि रुकणो बान अफिक मींड पर पोड़ि गे कि पाणि नि बौगो।

मि तैं या कथा हमर मासाबन सैत च दर्जा तीन चार मा सुणै होलि अर दगड़ मा इन बि ब्वाल बल अचकालौ शिष्य त उल्टां मास्टरजी कूल तोड़िक ऐ जांदन।

सै बि च जु अचकाल मासाब अर च्याला कु एकी  गाँव ह्वावो  तो पाणि अग्ल्यार मासाब तैं मीलि नि सकुद।  आरुणि का बुबा जी सीधा बोलि दींदन बल मास्टर पर  क्यांक अनुग्रह करे जावु ? पैलक जमाना मा आरुणी अपण गुरु जीक स्यार इलै कुल्यांद छौ कि गुरूजी तैं ना त तनखा मिलदी छे ना इ क्वी सरकारी मिड डे मील।  अब त मास्टरुं तैं तनखा , पीएफ , पेंसन सब मिलदी तो मास्टर म्यार आरुणी तैं पडाँद तो हम पर क्याक ऐसान ? अचकाल आरुणि ब्वे बाब मास्टरुं तैं अध्यापक ना सरकारी हळया  माणदन जु पैसौंक बदल मा शिक्षा पुंगड़ बांद।

अचकाल आरुण्युं कुण बि आफत रौंद , घंघतोळ हूंद , रौंका -धौंकि रौंदि कि कै जि धौम्य गुरु क स्यार कुल्यावु?  पुरण जमनम एकी धौम्य गुरु जी छ्याई तो आरूणी एकी गुरूजी धौम्य कु स्यार कुलेक ऐ जांद छौ -क्वी कन्फ्यूजन नि रौंद छौ कि कै धौम्य तैं प्राथमिकता दिए जाव अर कै धौम्य की अवहेलना करे जाव।

अजकाल आरूणी कन्फ्यूज रौंद कि कै धौम्य तै जि मोस्ट इम्पोर्टेन्ट , इम्पोर्टेन्ट , बस इम्पोर्टेन्ट श्रेणी मा धरे जाव ? आज आरूणी का वास्ता दस विषयुं बान बीस धौम्य त स्कूलम छन।  कुछ धौम्य प्राइवेट ट्यूटर का रूप मा ड्यार आंदन अर कोचिंग क्लास का धौम्युं लंगत्यार अलग लगीं च।  आरूणी की समज मा नि आंद कि कै गुरु धौम्य की सेवा सुश्रवा करे जावु।  तो अंत मा आरूणी  वै ही धौम्य की सेवा टहल माँ फैदा चितान्द जु धौम्य आरुणि तैं पास करै द्यावो।  आधुनिक युग मा मास्टर शिक्षा दीणो साधन नि मने जांद अपितु केवल पास करणो एक  छुट मुट कल -पुर्जा माने जांद। 
पुरण जमन मा दशरथ विश्वामित्र तैं सिवा लगांद छौ अजकाल विश्वामित्र , श्रृंगी , वशिष्ठ सरीखा गुरु नरेंद्र मोदी सरीखा दशरथ तैं सिवा लगाणो बान पंगत मा खड़ा रौंदन।  पैल विश्वामित्र दशरथ तैं शिक्षा दींद छौ अब त नरेंद्र मोदी रूपी दशरथ विश्वामित्रों तैं शिक्षा दींद।
पैल धौम्य  गुरूजी का वास्ता च्याला का बुबा जि बि शिष्य की गणत मा अांद छा अब त धौम्य चांसलर तैं बि दिखण पड़द कि आरुणि  बुबा जिकी हैसियत क्या च अर वै हि हिसाब से चांसलर वर्ताव करद।
वै दिन विश्वविद्यालय  चांसलर का समिण जवान नेता अर वृद्ध इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस ऐ गेन त आधुनिक धौम्यन नेता जी तै  प्रणाम करणम प्राथमिकता दे किलैकि -
नेता -इंस्पेक्टर दोनों खड़े
मास्टर काको लागे पांय
बलिहारी नेता जी आपनो
ट्रांसफर की ताकत जो दिखाय
अब सब बदले गे।  सब बुल्दन बल शिक्षा का कुहाल ह्वे गे।  भई जब शिक्षकों तैं शिक्षा दीणो केवल कल पुर्जा माने जाल त शिक्षा को भुर्ता ही बणल  कि ना ?

Copyright@  Bhishma Kukreti  5 /9/ 2014     
*लेख में  घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं ।

 
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