Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 360997 times)

Bhishma Kukreti

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                   नौलि  नौलि , नई कार का नखरा

                   भावानुवाद ::: भीष्म कुकरेती

 नई कारौ मालक (साइन बोर्ड - 'कार मैकेनिक' , देखिक ) - भै इख कार रिपेयर त हूंद च कि ना ?
मेकैनिक -जी हाँ ! जी साइनबोर्ड माँ बि लिख्युं च कि कार मेकेनिक ! 
कारौ मालक -ना ना म्यार मतबल च कि मेरी नई नई , नौलि कार च  ना ! इलै बुलणु छौं
मेकैनिक - आपक समस्या क्या च ?
कारौ मालक -नै ज्यादा कुछ ना खाणक नि पचद।
मेकैनिक -जी तो आप तैं ह्यूमन बॉडी मेकेनिक मा जाण चयेंद।  मि त कार मेकैनिक छौं।
कारौ मालक - ओहो मीन समझ तू म्यार स्वास्थ्य बारा मा पुछणु छे।
मेकैनिक -  जी कार मा क्या खराबी च ?
कारौ मालक -मि तैं लगणु च यीं कार मा इंजिन नी च।  सैत च कम्पनीन मि थैं डुप्लीकेट कार बेचीं दे।  देख ना समिण इंजिन छैं इ नी च।
मेकैनिक -नै नै ये मॉडल मा इंजिन ऐथर ना पैथर हूंद , डिग्गी तौळ।
कारौ मालक -हैं ? डिग्गी तौळ इंजिन ? मीन समझ कार डीलरन मि तैं बेवकूफ बणैक  बगैर इंजिनै कार पकड़ै दे।
मेकैनिक -नै जी ! एक बात बतावो जु यीं कारम इंजिन नि हूंद त आप कार चलैक इख तलक कनकै आंदा। 
कारौ मालक -अरे हाँ ! मीन यु त घड़े , सोच इ नी च।  थैंक यू  !
मेकैनिक -क्वी बात नी च।
कारौ मालक -अर हाँ , जब कार सेल्समैनन कार बेचीं तो बतै छौ कि कार की माइलेज बारा  किलोमीटर  च पर मेरी कारक माइलेज त  किलोमीटर इ च।
मेकैनिक (कारक भीतर दिखुद ) -ओहो ! आपक हैंडब्रेक दब्यूं च।  कैन दबाई यु हैंडब्रेक ?
कारौ मालक -मीन इ दबाई कि जब बि जरूरत हो तो हैंडब्रेक दबाण पड़द ।  मीन स्वाच कि हहैंडब्रेक दबाणो झंझट से बचे जावो त मीन हैंडब्रेक दबैक रख दे।
मेकैनिक -जी आज से हैंडब्रेक पर जिंदगी भर हाथ नि लगयाँ।  हैंडब्रेक दबण से कारक स्पीड कम रौंद अर कार पेट्रोल ज्यादा खांद । 
कारौ मालक -अरे वाह ! कथगा काम की बात बताई !
मेकैनिक -बस ! हौर कुछ गड़बड़ी ?
कारौ मालक -ना  ! पर कार हाँ कार की फ्रंट विंडो पर गर्द जम जांदी।
मेकैनिक -हैं ? यीं कार का वाइपर कख हर्ची गेन ?
कारौ मालक -ना ! ना ! बरखाक सीजन त नी च त मीन वाइपर निकाळि देन।
मेकैनिक -वाइपर लगैक राखो जाँसे आप फ्रंट विंडो की गर्द कर साको।
कारौ मालक -थैंक यु वेरी मच।
मेकैनिक -स्वागत च।
कारौ मालक - अच्छा कथगा बिल ह्वे ?
मेकैनिक -कुछ ना।  जु पैसा तुम मीतैं दीण वाळ छंवां वूं पैसों से तुम एक किताब खरीद लेन !
कारौ मालक -हाँ हाँ ! किताबो नाम क्या च ?
मेकैनिक -कॉमन सेन्स !
कारौ मालक -थैंक  यूं।  मि अवश्य ही  यीं किताब खरीदलु ।  क्या या किताब हरेक कार विक्रेताक इख मिल जाली ?
25/9/2014

Bhishma Kukreti

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                           डिप्रेसन मा जाणौ कुछ सरल तरीका

                      अकुशल   टुटबागी बैद --- भीष्म कुकरेती
   डिप्रेसन याने गहन उदासी।  इन दिखे गे कि डिप्रेसन बाह्य परिस्थितियों से हूंद।  पता यु कथन सही च, गलत च या कैन हम तैं बौगणो  /फुसलाणो या बेवकूफ बणाणो बान बोलि बि ह्वाल  धौं ? तुम तैं क्या च यांसे लीण -दीण कि डिप्रेसन बाह्य कारणों से हूंद , आंतरिक कारणों से हूंद या कैक श्राप से हूंद।  तुम तैं डिप्रेसन मा जाण से मतबल च।
डिप्रेसन का एक कारण नौकरी नि पाण , नौकरी छूटि  जाण या घर बैठ्वा ह्वे जाण हूंद।   सबसे सरल उपाय च नौकरी की खोज इ नि कारो अर बस इन स्वाचो कि क्वी बि प्रधानमंत्री तुमर बान थाळी मा नौकरी धौरिक आल।  अर नौकरी लगीं बि हो लगीं लगयीं नौकरी पर लात मारिक घर बैठ जावो स्वतः ही आप डिप्रेसन मा चल जैलि।
धन का डुबण  बाह्य कारण हूंद जु डिप्रेसन लांद तो कुछ नि करण सट्टा , जुवा ख्यालो अर डिप्रेसन गति पावो।  जुवा -सट्टा सिखणो  बान गलत संगत आवश्यक च तो जख तलक ह्वावो कुढबी , कुख्यात, कुनेथिक  लोगुं संगत कारो अर डिप्रेसन का मार्ग पाओ।
अपराध बोध बि डिप्रेसन लांद तो हत्या छोड़िक जथगा बि अपराध कर सकदा कारो अर परमधाम डिप्रेसन पावो। जन कि  परिवार मा झगड़ा, जब बि अवसर पाओ कैक बि दगड झगड़ा कारो या या अमानत मा खयानत कारो।
अधिक दारु , शराब सेवन बि डिप्रेसन लांद।  तो अत्याधिक दारु , शराब पीण लग जावो अर यांसे बि डिप्रेसन नि आवो तो भांग -चरस प्यावो अवश्य ही डिप्रेसन की सद्गति प्राप्त ह्वे जाली ,
डिप्रेसन तैं बुलाणो सौंग तरीका  कि आप स्वयं ही सुचण लग जावो कि आप डिप्रेस्ड छंवां , आप अभाग्यशाली छंवां अर आपसे कुछ नि ह्वे सकद।
डिप्रेसन मा जाणो बहुत सा और बि तरीका छन पर उपरोक्त तरीका काफी छन।

Copyright@  Bhishma Kukreti 26/9/ 2014     
*लेख में  घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख  की कथाएँ , चरित्र व्यंग्य रचने  हेतु सर्वथा काल्पनिक है

 
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Bhishma Kukreti

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                           हास्य लिख्वारौ  सुपिन !
                            रूपांतर ::: भीष्म कुकरेती

आवाज -हेलो ! कीटनाशक जी होला क्या ?
कीटनाशक (हंसोड्या लिख्वार )- जी हाँ मि हास्य लेखक कीटनाशक बुलणु छौं।
कंडाळी   - क्या कहने ! भलो ह्वे आप फोन पर   मिल गेन
कीटनाशक -आप तैं कनकै म्यार पता लगाइ ?
कंडाळी   -आपक 'कखला - बखली' ब्लॉग से।
कीटनाशक - ब्वालो ! में से क्या काम च ?
कंडाळी   - कीटनाशक जी में से एक बड़ो कुटिल अपराध ह्वे गे।
कीटनाशक -क्या ?
कंडाळी   -आपक कथा पर एक वीडिओ फिलम बणाइ,  अच्छी कमाई काई , किन्तु आप तैं क्वी बि श्रेय याने क्रेडिट नि दे।
कीटनाशक - वीडिओ फिलम से कथगा कमाई मतबल फायदा कथगा  ह्वे ?
कंडाळी   -नि बि ह्वे हवाल तो बि करीबन पांच एक  लाख कु नेट प्रॉफिट त ह्वे च !
कीटनाशक - तो ठीक च कुछ हिस्सा  भ्याजो
कंडाळी   -हाँ हाँ ! ए हिसाब से तो  फिफ्टी फिफ्टी कु भागीदार छंवां आप।
कीटनाशक -तो ठीक च आप ढाई लाख भेज द्यावो।
कंडाळी   - असल माँ बात कुछ हौर च।
कीटनाशक -क्या ?
कंडाळी   - क्या च मि जुवारी छौं।  जब कथा का बल पर मीन वीडिओ फिलम बणाइ अर प्रॉफिट ह्वे तो मीन पांच लाख रुपया लेक जुवा ख्याल।
कीटनाशक -तो ?
कंडाळी   -तो क्या मि जुवा मा ढाई लाख रुपया हारी ग्यों।
कीटनाशक -तो ?
कंडाळी   -तो चूँकि आपक कथा से फिलम बौण तो तुम फिफ्टी फिफ्टी का भागीदार छंवां तो सवा लाख रुपया भ्याजो। जरा जल्दी भ्याजो।
कीटनाशक - अच्छा आप अपण घौरक पता द्यावो।  अर हाँ आपक घौरक पास क्वी हड्डी जोड़ो  हॉस्पिटल बि च ?
कंडाळी   -हाँ ! किलै ?
कीटनाशक -ना कुछ ना ! मि हास्य कथा लेखक बणन  से पैल मुक्कबाज छौ अर गुस्सा मा हड्डी पसली तुड़न मा उस्ताद छौं।
कंडाळी   -थैंक यु मि अपण उधार लीणो कबि फिर ऐ जौल (फोन कट जांद )
कीटनाशक -स्साला !

26/9/2014


Bhishma Kukreti

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                                 अन्य ग्रह का प्राण्यूं का पृथ्वी बारा मा विचार !
                                       कंद्युर्या भेदी --- भीष्म कुकरेती
 अन्य ग्रह कु अन्वेषण यान पुटुक एक ग्रह जीव - असिस्टेंट ! इन लगणु च हमर जाज कै ऊर्जा  मंडल का पास का पास पौंछण वाळ च ?
असिसस्टेंट - जी साब ! हम सौर्य मंडल का पृथ्वी ग्रह का पास छंवां। पृथ्वी से एक लाख बयालीस हजार प्रकाश वर्ष दूर  च हमारो  यान। 
साब - तो ठीक च मि पृथ्वी दिखण चांदु।
असिस्टेंट -महोदय ! मी आप तैं सुपिन , उंगद दै या आतुर्दि मा ये जाहिल ग्रह पर उतरणो सलाह कबि बि नि द्योलु।
साब -कनो ? पृथ्वी मा जीवित जीव नि हूंदन ?
असिस्टेंट -जी यी असभ्य , जाहिल मानव असल मा जीवित मुर्दा छन।
साब -जीवित मुर्दा ?
असिस्टेंट -हाँ जी ! लिविंग डेड ह्यूमन बीइंग्ज  ! यि समजदन कि  ये ब्रह्माण्ड मा यी प्राणी छन अर बकै ग्रह जीवनरहित च।
साब - हैं ! क्या या कौम धार्मिक नी च  ?, क्या या कम्युनिटी धरम से बिमुख च  ? क्या यी ईश्वर पर विश्वास नि करदि ?
असिस्टेंट -नै नै ! बुलणो त हरेक प्राणीन  अपर दरवज या कूड़ मा धर्मो झंडा लगायुं च किन्तु यूँ असभ्य प्राण्यूँ तैं धार्मिक नि बुले सक्यांद !
साब -हैं ! धर्मक झंडा लगायुं च अर फिर बि धार्मिक नि छन ? क्या इ ईश्वर मा विश्वास नि करदन ?
असिस्टेंट -तकरीबन हरेक मानव ये रूप मा , वै रूप मा या बिना रूप मा ईश्वर पर विश्वास करदन।
साब -ओहो मतबल यी अति आदि जीव छन ?
असिस्टेंट -हाँ अति आदि जीव छन जु ईश्वर पर ना अपर ईश्वर पर ही विश्वास करदन।
साब -हैं ! अपर ईश्वर ? मतलब एक सर्वोच्च ईश्वर पर विश्वास नि करदन ?
असिस्टेंट -नै नै ! हरेक एक ईश्वर पर विश्वास करदन किन्तु हरेकन ईश्वर तलक पौंछणो अलग अलग रस्ता बणयां छन।
साब -तो ?
असिस्टेंट -अर यूं जाहिल आदि मानवोंन अपण रस्ता तैं ही ईश्वर का नाम दे दे
साब -अच्छा ! भगवान तक पौंछणो रस्ता तैं हि ईश्वर कु नाम दे दे ?
असिस्टेंट -हाँ ! अर इथगा से ही यूंक पुटुक नि भार्यायी।
साब -क्या मतलब ?
असिस्टेंट -अपण रस्ता तैं यी ईश्वर दूसरौ ईश्वर याने दूसरौ रस्ता तैं बेकार ही ना बिधर्मी माणदन अर एक रस्ता का विश्वासी दुसर रस्ता का विश्वासी दगड़ मार धाड़ करदन।
साब -हैं ! ईश्वर तक पौंछणो अपण रस्ता तैं उच्च बथाणो बान मार धाड़ करदन ?
असिस्टेंट -जी हाँ आज तलक पृथ्वी मा सबसे अधिक युद्ध , सबसे अधिक कत्लेआम केवल धर्म या ईश्वर का नाम पर ही ह्वेन।  धर्म का नाम पर रोजाना कत्ले आम हून्दन।
साब -ओ म्यार भगवान ! नै नै ! अपण विमान तैं पृथ्वी से जथगा दूर लीजा उथगा दूर लिजा ! जख धर्म का नाम पर महायुद्ध अर धर्म का नाम पर कत्लेआम ह्वावो उना जाण इ नि चयेंद।
असिस्टेंट -जी हाँ इन असभ्य जीवित मुर्दों से दूर रौण मा ही फायदा च।



Copyright@  Bhishma Kukreti 27/9/ 2014     
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Bhishma Kukreti

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                    साड्युं द्वारा जय ललिता कुण सांतन्वा पत्र !

                         जयललिता कु वार्डरोब से खबरची ::: भीष्म कुकरेती
पुरणि साड़ी - अरे तुम नई जनरेसन से इथगा उम्मीद छे अर तुमन अबि तलक मैडम जयललिता कुण एक पस्त्यौ पत्र नि लेख साक ! जब कि वींक समर्थक अग्निदाह की तयारी करणा छन। वींक समर्थक हल्ला -गुल्ला करिक लौ ऐंड ऑर्डर की समस्या खड़ करणा छन अर हम हजारों साडी एक पत्र नि भेज सकणा छंवां !
हैंक पुरण साड़ी -हाँ शरम की बात च , बेज्जती की बात च , हमकुण जळणो बात च कि अम्मा तैं जेल मा बारा घंटा ह्वे गेन अर  अबि तक हम एक सांतन्वा पत्र बि भेज सकां !
एक नई फैसन की साड़ी -तो लिखे जाव आदरणीय     ……
अदबुडेड़  साड़ी - यां रांड होली तेरी ! यु लेटर मीडियाक हाथ लग जाल तो क्या ब्वालल कि पक्षपातहीन साडी एक अपराधी कुण आदरणीय शब्द प्रयोग करणा छन। 
वै फ़ैसनेबल साड़ी -तो लिखे जाव कि हे !  बीच बजार मा  बेशरम , बिलंच ,प्रजातंत्र की कोढ़   ....
दुसर फ़ैसनेबल साड़ी - बीच बजार मा सब्युं समिण जुत्यांण लैक    ....... हम तैं अत्यंत प्रसन्नता च , बड़ी खुसी च अर उत्साह माँ हम झुमणा छंवां   कि तू प्रजातंत्र का नाम पर काळो धब्बा , प्रजातंत्र विरोधी , तामिलनाडु इतिहास मा बेशरमी की रानी आज जेल मा छे।
एक गमगीन कलर की साड़ी -ओ निर्भागिओं हम पश्चाताप का रैबार भिजण चाणा छंवां अर तुम इन लगणु च जन कि क्वी आम भारतीय जयललिता का जेल जाण पर अति प्रसन्नता व्यक्त करणु हो धौं !
एक मध्य उम्र की साड़ी -हाँ हम तैं जयललिता जन भ्रष्ट नेताओं का वास्ता --------बीच बजार मा , बीच चौक मा सुक्यां जुतुं तैं भिगैक से जुत्याण, कंडाळिन झपोड़न ,   अर ऊंक मुख पर थक थुकण या म्वास लोपड़ण जन असभ्य , असंस्कृत  अर गैरसंवैधानिक  लफज प्रयोग नि करण चयेंद। 
बिलकुल नई साड़ी -पर यूँ देशद्रोही जन करम करण वाळ नेताओं, अधिकार्युं  वास्ता सभ्य , संस्कृत अर मुनासिब शब्द प्रयोग करण बि त पाप च कि ना ?
कुछ वर्ष पूर्व की साड़ी -हाँ ! ठीक च ! किन्तु  यूँ बदजात नेता , बदकार नेता -अधिकारी , बदचलन अर देश तैं दीमक जन खाण  वाळ लोगुं पर आम लोगुं गिच पर फिटकार आण त लाजमी च कि ना ?
एक मध्य उम्र की साड़ी - हाँ गुस्सा , आक्रोश अर निरासा मा आम लोगुं गिच पर भयंकर गाळी आली किन्तु हम जयललिता की हजारों की संख्या मा साडी छंवां तो हम जयललिता तैं गाळी नि दे सकदां। हम तैं जयललिता कु समर्थन मा आण चयेंद।
एक बहुत पुरण साड़ी - नै नै ! हम  भावुक आदिम नि छंवां जु नादानी , बेवकूफी अर भावना मा   अपराधी नेताओं का बेबसी मा , नासमझी मा अर पागलपन मा नेताओं का जघन्य पापयुक्त समर्थन करवां  ।   ये अंधभक्ति , अंध समर्थन अर अनाचार सर्मथन से ही यी करूणानिधि , यी ए राजा अर जयललिता देश -राज्य का   प्रजातांत्रिक अधिनायक बण गेन।
एक साड़ी -हाँ हम तैं सही सोच का भारतीयों जन जयललिता या अन्य नेताओं -लालू , ओम प्रकाश चौटाला आदि की कटु आलोचना , कड़क काट अर भर्तसना करण चयेंद।
युवा साड़ी -हाँ १ ल्याखो ! हे अपराधन जयललिता ! हम तो खुसी माँ पागल हूणा छंवां , प्रसन्नता मा अट्टाहास  करणा छंवां , नचणा छंवां कि ते सरीखी अपराधी , दोषी , गुनाहगार तैं सजा मील।  ठीक च देर से ही सही किन्तु त्वे तैं दंड , सजा अर जेल हूण से भारतीयों दगड हम तैं बि भारतीय न्यायपालिका , कार्यपालिका अर प्रजातांत्रिक मूल्यों पर गर्व च,  धमंड च अर सम्पूर्ण विश्वास च कि क़ानून के हाथ लम्बे होते हैं जो जयललिता सरीखी के अपराध को दंडित करने में सक्षम है !
सब साड़ी -हाँ हाँ ! जयललिता  सांतन्वा नही उलटा वीं कुण  अपमान करण वाळ ,  बेज्जती करण वाळ,  चिढ़ाण वाळ इन कड़ा वाक्यों प्रयोग कारो कि तामिलनाडु ना पूरा भारत का मंत्री -फंत्री , तंत्री -संत्री , बणिया -सणिया सब अपराध करण से घबडे जावन।  साथ मा एक चिठ्ठी आम जनता कुण बि चिट्ठी ल्याखो , पैगाम भ्याजो   अर जनता तैं सिखाओ कि यदि तुम अज्ञानतावश , मूर्खतावश , भावुकतावश जयललिता ,  लालू , चौटाला जन अपराधी नेताओं का समर्थन करिल्या तो अवश्य  तुम भी अपराध मा शामिल माने जैल्या अर तुम बि दंड का भागीदार बणिल्या   !



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        नगरीय , महानगरीय अर कस्बाई संस्कृति की  प्रशंसा करण मा क्यांक कंजूसी ?

                              बावरा ::: भीष्म कुकरेती

अच्काल गढ़वळि अर कुमाउँनी भाषा साहित्य मा साहित्यकारुं मध्य एक रिवाज , एक प्रचलन , एक फैसन   ऐ ग्यायि बल नगरीय , महानगरीय अर कस्बाई रहन- सहन , उठण -बैठण अर नौकरी -चाकरी तैं थींचो , पीटो अर चट्टेलिक मा -बैणि  गाळि द्यावो अर बड़ा साहित्यकार की श्रेणी मा अपण नाम लिखै ल्यावो !
वर्तमान मा अधिसंख्य कुमया -गढ़वळि कवितौं , कथौं , इतर लेखन इख तक कि फेसबुक माध्यम मा  बि शहरी संस्कृति की सामत आयीं च जन बुल्यां या मेट्रो ट्रडिशन, सिटी कल्चर या अर्बन फैसिलिटी -सुगमता ही गढ़वाळी -कुमाउँनी सभ्यता , लोकसंस्कृति अर पहाड़ -नदियों  की बड़ी बैरी, दुसमन अर परेशानी की जड़ होवाँ धौं।
साहित्यकार या फेसबुक का पोस्टकार सुबेर -सुबेर बर्फीली चोटियों की प्रशंसा युक्त कविता , लेख या फोटो फेसबुक मा पोस्ट करदन या पत्र -पत्रिकाओं मा छपवांदन अर अपर महानगरीय या नगरीय फ़्लैट मा हीटर , गीजर चलांदन या नई नई कंबळि ढिकाण लीन्दन।
आज का साहित्यकारुं मध्य साहित्य मा नागरीय जिंदगी तैं श्राप ग्रसित बताणै ;  महानगरीय जिंदगी तैं फिटकार दीणै, , कस्बौ रहन -सहन तैं कीड़ा -मकौड़ों दगड़ धरणो   प्रतियोगिता हुणि च , कम्पीटीसन मच्युं च अर जबरदस्त संघर्ष चलणु च। अर यांक दगड़ दगड़ महानगर मा कै  साहित्यकारक   मा कोठी बणी छन , कु फलण नगर मा कखम कोठी बणाणु च , कैक -कैंकि  बंगलो बान जमीन खरीदीं च अर कु कु शहरूं मा जमीन क्रय करणो क्रिया मा व्यस्त च , लिप्त च की चर्चा व्यक्तिगत तौर से साहित्यकारों मध्य खूब जोरों से चलणि रौंद।
आज जब अंतर्राष्ट्रीय थौळ मा ,  राष्ट्रीय परिवेश मा अर राज्य सचिवालयों मा स्मार्ट मेट्रो सिटीज , स्मार्ट सिटीज अर अत्याधुनिक सुविधाजनक उपनगर स्थापित करणो नीति , योजना , बजट बणना छन तो अवश्य ही गाँवों पर क्वी बि अंतराष्ट्रीय संस्था , सरकार या समाज कथगा बि ध्यान द्यालो  तो भि गांवुं मा वा सुविधा नि जुड़ सकदन जु महानगर , नगर अर क़स्बों तैं उपलब्ध होली।  याने सुविधाभोग एक वास्तविकता च , एक असलियत  च अर महत्वपूर्ण आवश्यकता बि च तो समाज बि मेट्रो , सिटी अर टाउनों तरफ भागल ही।
इन माँ यदि साहित्यकार अपण पाठकों तैं पहाड़ मा बसणो प्रेरणायुक्त साहित्य , पहाड़ी संस्कृति पर चिपकणो प्रेरणायुक्त साहित्य , वापस गाँव जावो कु  उत्साहवर्धक साहित्य दयाला तो शर्तिया साहित्यकार अपण पाठकों पर अत्याचार कारल , अपण बंचनेरुं का साथ अन्याय कारल अर अपण समाज तैं डेढ़ सौ साल पैथर धकेलणो अर्थहीन कोशिश कारल।
यदि गढ़वाली -कुमाँऊनी साहित्यकारुं तैं अपण पाठकों से जुड़न , अपण रीडरशिप बढ़ाण अर भाषा विकास करण तो साहित्यकारों तैं अपण साहित्य मा महानगर , नगर अर कस्बों की बात करण पोड़ल , नगरीय साहित्य की रचना करण पोड़ल अर नगरीय सुविधाओं की सकारात्मक छवि बणाण पोड़ल।
अजकाल साहित्य माँ ग्रामीण परिवेश माँ संत समाज , सहकारिता युक्त संस्कृति , संस्कारयुक्त व्यक्तियों बड़ी बड़ाई हूंदी अर महानगरुं , नगरुँ , कस्बों मा पळदा समाज , अपसंस्कृति अर असहयोग की आलोचना , घोर काट, कड़ी निंदा हूंद इख तलक कि महानगरीय परिवेश की बेज्जती करे जांद, महनगरीय जिंदगी तैं साहित्य मा नीचा दिखाए जांद ।   जब कि यी महानगरीय कमियां गावुं मा हजारों सालों से विद्यमान छे। क्या हम महानगरीय नागरिक बगैर सहकार , बगैर संस्कार , बिना सही संस्कृति का एक दिन भि ज़िंदा रै सकदां ? नही यु सब सकारात्मक  गुण , चरित्र अर मानवीयता महानगरों मा बि उनि च जु गाँवों मा छे किलकि यी गुण , चरित्र तो मनुष्य का मानवीय गुण छन , मानवीय आवश्यकता छन तो मनुष्य कखि बि रालो यी मानुषिक चरित्र मनुष्य मा ऐ जाल हाँ यूंक  पारम्परिक अभिव्यक्ति अर तरीका बदल जाल। 
आज गढ़वळि -कुम्मयों तैं महानगरीय संस्कृति मा सर्वोच्च स्थान पाणो आवश्यकता च।    याने कि समाज, साहित्यकार अर विचारकों तैं पहाड़ी समाज तैं  महानगरुं मा  उच्चता प्राप्त करणो प्रेरणा दीण चयेंद नाकि महानगर मा रैक डेढ़ सौ साल पैथर जैक अप्रसांगिक हूणै प्रेरणा दीण चयेंद।
गढ़वळि -कुम्मय्या साहित्य मा महानगर की सकारात्मक छवि आज की मांग च , आज की आवश्यकता च अर भविष्य की सोच च। भविष्य की सोच से ही साहित्यकार अपण पाठकों से तादत्म्य स्थापित करी सकद अर गढ़वळि -कुमाउँनी भाषा बचै सकदन।
आज गढ़वळि -कुम्मय्या साहित्यकारों तैं बाड़ी -फाणु -भट्वणि ;  अंगड़ु- पगड़ु-गुलबंद का दगड्या दगड़ महानगर की सभ्यता , नगरों की सुविधा अर कस्बों मा सकारत्मक समाज की भी बात करण आवश्यक च।



Copyright@  Bhishma Kukreti 29 /9/ 2014     
*लेख में  घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख  की कथाएँ , चरित्र व्यंग्य रचने  हेतु सर्वथा काल्पनिक है

 
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Bhishma Kukreti

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  दे बाबा ! एक हौर कार  का वास्ता दे दे बाबा !
         रूपांतर ---भीष्म कुकरेती

भिखारी - अरे वाह साब ! आप बैंक से भैर आणा छंवां।  एक  हथ मा ब्रीफकेस  अर हैंक हथ पर कैश अर बाळ बिहीन मुंड याने आप बड़ा सेठ छन !
सेठ - हाँ तो ?
भिखारी - साब में शसरिका गरीबै  कुछ सहायता कारो !
सेठ - ओहो हां दींद छौं।
सेठ अपण ब्रीफकेस अर कैश भिकारी हथ मा दींद
सेठ अपण किसौंद हथ डाळद।
सेठ सौअक नोट भैर गाडद
सेठ - वाह ले भै तू बि खुश ह्वे जा !
भिखारी -इथगा कैश ?
सेठ - हूँ ! केवल सौ रुपया म्यार ब्रीफकेस अर कैश वापस दे।
भिखारी -ल्या
सेठ कैश अर ब्रीफकेस वापस लींद . सेठ सौ रुपया भिकारी तैं दींद।
सेठ - अरे तू तो कबि मेरी फैक्ट्री मा मुलाजिम छौ ना ? सैत जखमोला या मंजखोला ?
भिखारी -जी मि मंजखोला छौं। बॉस क्या हाल छन ?
सेठ - अरे करोड़ो  मा खिलणु छौं। त्यार क्या हाल छन ?
भिखारी -ठीक नि छन , सि भीक मंगण पड़नी च। अच्छा मीन एक आविष्कार कर छौ उ आविष्कार कन काम करणु च ?
सेठ - अरे उ रॉबट तो बहुत बढ़िया काम करणु च। पता च कि वै आविष्कार से मीन करोड़ो रुपया कमैन।
भिखारी -आप तैं मी तैं बर्खास्त नि करण चयेणु छौ।
सेठ - किलै नि बर्खास्त करण छौ।  वै रोबोट का बाद मि तैं आदिम्युं आवश्यकता ही नि छे।
भिखारी -त आप तैं मि तैं कुछ त दीण छौ।
सेठ - अरे सौ रुपया त दे च कि ना ? अर उनि बि ग्लोबलाइजेसन का बगत हरेक संघर्ष करणु च।  मी बि।
भिखारी -पर अबि त तुमन ब्वाल कि तुम करोड़ो मा खिलणु छौं।
सेठ - हाँ ! किन्तु मीम केवल एक रॉल्स रॉयस  च, बड़ी तकलीफ च। पता च त्वे तैं धनी संसार -समाज माँ केवल एक सिंगल रॉल्स रॉयस का हूंद बड़ी बेज्जती हूंद।
भिखारी -हाँ हाँ ! मि समज सकुद छौं कि धनी संसार मा कथगा केवल एक सिंगल रॉल्स रॉयस से काम चलाण कथगा बेज्जती को समय होलु।
सेठ - बड़ो संघर्ष करण पोड़णु च। अच्छा त्यार परिवार का क्या हाल छन ?
भिखारी -रुटि पाणि चलणु च।  नौकरी छुड़णो बाद मेरी वाइफक वेट चालीस किलो कम ह्वे गे।
सेठ - अर मेरी वाइफक वेट हर साल बीस किलो बढ़णु च।  करोड़ों रुप्या त हेल्थकेयर मा ही फुके जांदन अर इनि करोड़ो रुप्या मेकअप मा जळ जांदन।  धनी संसार मा रिच मैन्स वर्ल्ड मा संघर्ष ही संघर्ष च बस !
भिखारी -हाँ या बात त सै च।  मि तैं लगणु च ये सौ रुप्या की जरूरत आप तैं अधिक च।
सेठ - हाँ सच्ची बुलणी छे तू।  ब्याळि ही नंग काटण वाळन प्रति नंग सौ रुप्या बढ़ै ऐन अर नाइन दाढ़ी काटणो रेट तीन सौ रुप्या ज्यादा कर आलिन।
भिखारी -ल्या यि अपण सौ रुप्या वापस ले ल्यावो।  मि तैं लगणु च ये सौ रुपया की आवश्यकता आप तैं अधिक च।
सेठ (रुपया लींद ) - थैंक यू वेरी मच। मे  युवर हेल्थ बि ऑल राइट !
भिखारी -थैंक्स ! फॉर गुड विशेज
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29/9/2014

Bhishma Kukreti

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             सरदेसाई ! कुत्तों से तो बच जाओगे  किंतु  कटखने भाजपाइयों से कैसे बचोगे ?

                           कव्वा  कु  ककड़ाट  :::  भीष्म कुकरेती

राजदीप सरदेसाई (अपण  सहयोगी से )- अरे ! इख अमेरिका मा बि कुत्ता ? अर इख मेडसन स्क्वायर , न्यूआर्क मा स्यु कुत्ता म्यार पैथर ?
सहयोगी - सर ! डरणै जरुरत नी च।  इख न्यूयॉर्क मा पैल त कुत्ता कटद नि छन अर काटि बि ल्याल तो बि राबी नि सौरे (फैलै ) सकदन। आप नरेंद्र मोदी बारा मा ब्वाला मि कैमरा एडजस्ट करद।
सरदेसाई - पर मि कटखना या नॉन कटखना कुत्ता से डरुद छौं। मि इन करद ये कुत्ता से दूर उना जांद तू कैमरा लेक उना इ ऐ जा।
सरदेसाई - अरे अरे ! यु कुत्ता म्यार  पूछ नि छुड़णु च।
एक शिव सैनिक समर्थक - अरे अरे ! पकड़ो साला तैं ! तै सरदेसाईन कबि माननीय उद्धव ठाकरे जी की आलोचना करी छे।  पीटो इस पाजी गधे  को !
एक मनसे समर्थक - वो चुप ! मराठी अस्मिता पर मनसे कु एकाधिकार च।  ये राजदीप सरदेसाईन इण्डिया मा उद्धव ठाकरे से पैल हमर नेता माननीय राज ठाकरे जी की आलोचना करी छे तो आज ए थुरद्वन्या  की टांग तुड़णो एकाधिकार हमर च।
एडीएमके समर्थक - नही नही ! मेरी अग्ल्यार च। मीन  सरदेसाइक कन्दुड़ काटिक एक खून कुमारी अम्मा जयललिता जीक फोटो मा चढ़ाणो कसम खायीं च।  तै निरा मुर्ख सरदेसाइन बोल बल न्यायपालिका जीती और जयललिता हारी।  हूँ !  हमारी जयललिता कुछ बि गुनाह कार तो भी अम्मा तैं क्वी गुनाहगार नि बोल सकुद।  सरदेसाई को सबसे पहले सजा मैं दूंगा !
कॉंग्रेस समर्थकों झुण्ड - अजी ! क्या बात करते हो ! इसकी हड्डी पसली पहले हम तोड़ेंगे।  सरदेसाईन हमर राजकुमार राहुल गांधी बड़ी बेज्जती करि छे।  आज हम इसको थींचेंगे , कुटेंगे।
क्रोधित भाजपा समर्थक -हटो , हटो !  पीछे हटो ! क्या बात करते हो तुम लोग ? मीडिया का भरता बनाने के लिए ही तो जनता ने हमें वोट दिया है , मेजोरिटी दी है।  इसने आज न्यूयार्क में माननीय नरेंद्र मोदी प्रशंसा नही की है।  हम भाजपाईयों ने कसम खाई है कि जो भी पत्रकार  किसी भी  मीडिया में श्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा नही करेगा तो हम उसकी ऐसी -तैसी करेंगे , उसकी झगुली -लगुली डाळ लगाएंगे , उसका मुंड फोड़ेंगे , उसके दांत तोड़ेंगे , उसका भट्यूड़ तोड़ेंगे और उसे पत्रकारिता करने लायक नही छोड़ेंगे ! ह पत्रकारों  पर लगाम लगाने  का पुण्य काम हमे करने दो ।
सभी एक स्वर मा - हाँ हाँ ! तुम ही पीटो ये साला  सरदेसाई  का बच्चा तैं ।  कुछ भी ह्वावो मीडिया पर लगाम लगाओ।
सरदेसाई का सहयोगी - सर जी न्यूयार्क छोड़िक वाशिंगटन च जांदवां।  कुत्तों से त हम बची जौंला किंतु यूँ  राजनीतिज्ञों का भेष मा खदुळ भेड़ियों से कनकै बचला ? चलो वाशिंगटन चल जाँदा !


Copyright@  Bhishma Kukreti 30  /9/ 2014     
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Bhishma Kukreti

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           ब्लाउज अपनी  बैरनी देख इतना  क्यों बौरा रहा  है ?

                                   कबलाट मा :: भीष्म कुकरेती
जनानी टी शर्ट - वार्डरोब से सब भैर आवो ! निकळो बाहर।  अब मि ऐ ग्यों तो मेरी  इ बादशाहत  चौललि।
बिलोज -ऐ छ कु छे तू इथगा बरबराट करण वळि  , चरबराट मचाण वळि , रौब मारण वळि  ?
टीशर्ट -मि स्त्री ह्वेक बि पुल्लिंग धारी लारा -लत्तों  दगड़ बात नि करदु !
बिलोज -जादा चर्र -चर्र करिल तो चीर फाड़ करिक रद्दी वाळु जोग कौर देलु हाँ !
टीशर्ट- अब त तू मनमोहन सिंग जन रिटायर ह्वे गे , लालकृष्ण आडवाणी जन घरबैठ ह्वे गे ,  तू ट्वीटर का   समणि ऑरकुट ह्वे गे।
बिलोज -औ तू अफु तैं नरेंद्र मोदी समजणि छे ? तू पीयूष गोयल ह्वे गे अर मि पयळ (पथरौ की थाळी ) ह्वे ग्यों ?
टीशर्ट -इक मा समजण  क्या च ? दिख्युं आँख क्या दिखण अर तप्युं  घाम क्या तपण ।  अब त तू पुरात्व विभाग की सम्पति ह्वे गे।
बिलोज -बिंडी खिकचाट , भड़भड़ाट ,   घुंघ्याट नि कौर हां !
टीशर्ट- हाँ त्वे पर  त चमराट, धगद्याट ,ममळाट  हूण लाजमी च आखिर म्येरी धूम चीन , जपान अर अमेरिका तक जि च।
बिलोज -हूँ ! त्यार त इ हाल छन घुस -घुस माई देळि मा आई
टीशर्ट- मि  अर  तू इनि छंवां जन -कख राजा की राणी कख मंगतू की काणी
बिलोज -तू तो इन छे बल आबत ना मित्र , पौंछ्यां भित्र
टीशर्ट -तू तो इन बुलणी छे जन त्येरु बाबा डांडा कौणी नि बुतद छौ तो रिखन म्येरू बाबा नि खाण छौ।
बिलोज -मि भारतीय स्वरूप छौं।
टीशर्ट -त्वे से अळजाट हूंद।
बिलोज -में से ना साडी अर पेटीकोट से अळजाट हूंद।
टीशर्ट- जन जोड़ीदार तनि  स्वारभार !
बिलोज -हिन्दुस्तानम मेरी बड़ी इज्जत च।
टीशर्ट -आज सबि जनान्युं की  असली , पहली अर आखरी पसंद जीन्स अर टी शर्ट ! जरा कखि बि जा जनान्युं बीच टीशर्ट अर जीन्स की ही मांग च।
बिलोज -अरे जा ! म्यार मुखन बिंडि नि बुलवा हाँ।   पूजा पाठ दैं त सबि नौनि अर जनानी साडी -बिलौज मा इ पूजा करदन।
टीशर्ट- हूँ ! त्यार त यी हाल छन समिण बिरळ बैठ्युं च अर कबूतर  आँख बंद करिक बोल्दु बल कख च बिरळु ?  जरा बद्रीनाथ , तिरुपति मंदिरों मा जादि अर गाउँमा नागराजा -ग्विल मंदिरों मा दिखदि किजनानी - नौनी बड़ी इज्जत से टीशर्ट -जीन्स मा पूजा पाठ करणा छन।
बिलोज -सब झूठ !
टीशर्ट -हाँ पथरूं आँख ह्वाल तो चिट्टु उज्यळ  बि औंसीक रात लगद।  नजला का रोगी तैं मिट्ठू बि नीमक सत लगद।  जैन मक्का मदीना नि देख हो वैन बुलण इ च तीन लोक मेसे  मथुरा प्यारी !
बिलोज -मि नि जाणदु कुछ तू ये वार्डरॉब मा खुट बि नि धरि सकदी।  ये वार्डरॉब पर म्यार अधिकार च अर जब तक सूरज -चाँद छन म्यार ही अधिकार राल।
टीशर्ट- दिखुद छौं कन अधिकार रौंद धौं त्यार ! मीन विज्ञापनुं , फिल्मुं , टीवी सीरियलुं फ़ौज कट्ठा करीं च अर बस आज ना भोळ तू ये वार्डरॉब से बहुत बहुत दूर , कखि पुरात्व विभाग का म्यूजियम मा रैली अर ये वार्डरॉब पर केवल मेरो ही अधिपत्य रालु।
बिलोज - त्यार फोकट का फफत्याण से कुछ नि हूण।  मेरी त अमरकाया खायीं च ; मीमा भारतीय संस्कृति की अमर ओढ़नी च , तू म्यार कुछ नि बिगाड़ सकदी।
वार्डरॉब का कूण्या बिटेन अंगुड़ - हा!  हा ! हरेक लारा , झुल्ला , ड्रेस  इनि बुल्दु  या बुल्दी कि मेरी अमरकाया खायीं च , मीन  संस्कृति की ओढ़नी ओढ़ी च च। मीन बि कबि जनान्युं कुर्ता कुण इनि घमंड मा बोल छौ कि कुर्ता म्यार कुछ नि बिगाड़ सकद।
वार्डरॉब का कूण्या बिटेन जनानी कुर्ता - अर स्यु बिलोज बिसरी गे कि जब यु बिलोज मैं  तैं धकल्याणो  ऐ छौ तो मीन बि संस्कृति की धौंस-रौंस  दिखै छे।  किन्तु मनुष्य तो जनि बाजा बजदु तनि नचदु तो ये  हिसाब से मनुष्य हर युग मा नया नया ड्रेस अपनाइ लींदु अर फिर जु  कुछ दिन तक नया फैशन हूंद पैथर वा ही ड्रेस संस्कृति का हिस्सा बण जांद।






Copyright@  Bhishma Kukreti   1 / 10 / 2014     
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Garhwali Humor in Garhwali Language, Himalayan Satire in Garhwali Language , Uttarakhandi Wit in Garhwali Language , North Indian Spoof in Garhwali Language , Regional Language Lampoon in Garhwali Language , Ridicule in Garhwali Language  , Mockery in Garhwali Language, Send-up in Garhwali Language, Disdain in Garhwali Language, Hilarity in Garhwali Language, Cheerfulness in Garhwali Language; Garhwali Humor in Garhwali Language from Pauri Garhwal; Himalayan Satire in Garhwali Language from Rudraprayag Garhwal; Uttarakhandi Wit in Garhwali Language from Chamoli Garhwal; North Indian Spoof in Garhwali Language from Tehri Garhwal; , Regional Language Lampoon in Garhwali Language from Uttarkashi Garhwal; Ridicule in Garhwali Language from Bhabhar Garhwal; Mockery  in Garhwali Language from Lansdowne Garhwal; Hilarity in Garhwali Language from Kotdwara Garhwal; Cheerfulness in Garhwali Language from Haridwar;
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Bhishma Kukreti

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                     तैं सफै वळि कुण जोर से ब्वालो -आज से  ठीक से सफाई कौर !

                             भजराम हवलदार ::: भीष्म कुकरेती
       
मि अर खुशाल सिंग रावत जी तैं उन्ना देसुं (विदेशों ) मा अछेकि सफै कु आनंददायक अनुभव च।  हम द्वी अपण बिल्डिंग मा बि सफै सुपिन दिखद छा।  पर पर शरमाक मारा , मुखमुलज मा , क्वी नराज नि ह्वे जावो का डौरन कै मा नि बुल्दा छा कि बिल्डिंग मा हर समौ सफै  हूण चयेंद।  परसि ( 1 / 10 / 2014  )नरेंद्र मोदी जीक आवाहन से हमर डौर खतम ह्वे अर ब्याळि गांधी जयंती कुण हम द्वी बिल्डिंगौ वरिष्ठ नागरिक की उम्रक सेक्रेटरी मा पौंछा कि चलो आज बिल्डिंग मा सफै अभियान चलाये जये जाओ । घौर घौर जै जैक लोगुं तैं चितळ  करे जाओ अर बिल्डिंग मा भविष्य का वास्ता रस्ता तयार करे जावो !
सेक्रेटरी - अरे बुबौं ! म्यार त घुण्डुं मा तागत नी , सरैल मा सक्यात नी त कैन चढण -उतरण सि सीढ़ी। यी काम त नई छिंवाळै च , नई साखीक च , नई जनरेसनौ च।
खुशाल - तो अपण द्वी नौनुं तैं भेजी द्यावा।
स्क्रेटरी - सुणो ! पता च मीन अर मेरी वाइफ़न अपण द्वी नौन  गंगा जी मा जौ का तरां पळिन।  त क्या वु  द्वी ये सफाई जनचेतना जैसो निमखणि (निष्कृष्ट ) कामौकुण तुमर दगड़ आल ? जावो ! जावो ! जु बि चेतना -ऊतना फैलाणै तुम अफिक फैलाओ ।
हम अति वरिष्ठ नागरिक जु हमर बिल्डिंगौ प्रेजिडेंट छन , वूं मा गेवां। वूं तैं सब बात समझाई।
प्रेजिडेंट - भै मि त ये काम तैं कर नि सकुद।  हाँ मि चौकीदार तैं अदा -एक घंटा कुण तुमर दगड़ भेजी द्युंदू।
हम कैशियर म गेवां अर वु बि वरिष्ठ नागरिक ही छन।
कैशियर - तुमम  अकल  नाम की क्वी चीज च कि ना ? अरे बिल्डिंग का इन काम सेक्रटरी , प्रेजिडेंट अर कार्यकारिणी का सदस्य करदन।  कैशियर को काम सफाई करवाणो थुका च।  बिल्डिंग का बाई लॉज तो पढ़ा कारो।
खुशाल जी अर हम समिज गेवां कि हमी तैं घौर -घौर जैक सफाई अभियान का अलख जगाण पोड़ल। अर हम एकैक कौरिक चालीस फ्लैटों मा गेवां।
एक सदस्य - ये भीषम ! तू त बुल्दु छौ की तू कैं बि पार्टी मा नि छे तो फिर झाड़ू , अर कचरा थैला लेक फिरणु छे ? भाजपा मा भर्ती ह्वे गे क्या ?
 खुशाल सिंग - साफ़ रौण , स्वछ रौण , चैन से रौणम क्यांक भाजपा अर क्यांक कॉंग्रेस ?
सदस्य - अरे मि तैं तुम बेवकूफ समजदवां क्या ? मि नि जाणदु बल महारष्ट्र विधान सभा क चुनाव समिण छन।  मतबल तुम भाजपा का एजेंट ह्वे गेवां।  ओ चुनाव मा कंळदार तुम कमैल्या ,   बैंक बैलेंस तुमर बढ़ल  अर बिल्डिंगौ सालों जमा कूड़ा, कड़कट , कचरा हम सदस्य साफ़ करला हैं ? जावो इख बिटेन।  हौर  लोग ऐ जाल तुमर भकलौण मा , बहकावा मा किन्तु मीन  कैबि पार्टी कुण काम नि करण चाहे उ म्यार अपण  इ पूठ पुंजणो काम किलै नि ह्वावो धौं !
एक जनानी - मि त सफाई मामला मा क्वी कम्प्रोमाइज नि करद हाँ !अपर भितरौ एक एक टींड बि मि त कचरा वळि तैं दींदु।  इन लगणु च  आज कचरा साफ करण वळि  नि आणि वाळ च ? भलो ह्वे तुम ऐ गेवां  निथर मि तैं कचरा फिंकणो  तौळ बिल्डिंगौ पैथर जाण पोड़ण छौ।  ल्या म्यार कचरा थैला तौळ डाळि देन।  भलो ह्वे जु बिल्डिंग पैथर हमर जगा च।  निथर इन समय पर हौर बिल्डिंग वळु  तरां हमतैं दूर जाण पड़न छौ या द्वी तीन दिन कचरा अपरी ड्यार धरण पड़न छौ। म्यार पपू का बुबाजी बड़ा सफाई पसंद छन।  जरा बि अपर ड्यार कचरा दिख्यावु ना तो वूं  तैं बड़ो क्रोध आई जांद जांद।  अर सूणो ! बिल्डिंगों पैथर बहुत कूड़ा ह्वे गे।  भौत  गंद आंद।  उनाक   बारा मा सुचदि उलटी आण लग जांदन।
मि - हाँ पर , वा जगा कचरा फिंकणो बान थुका च।  वा जगा तो बगीचा बान छे।
वा जनानी - बकि वा जगा बगीचा बान छे ! अरे जब सफाई वळि  कचरा उठाणो नि आदि त हमन कचरा कख फिंकण।  ड्यारम  कचरा जमा थोड़ा करे जांद ?
एक अन्य सदस्य - हूँ तो तुम नरेंद्र मोदी का बांदर छंवां ? जरा अपण हनुमान तैं त पूछो कि अल्लुक  भाव कम किलै नि हूणा छन ? बड़ो अयाँ छन सफाई वळा !  जावो पैल वै मोदी से मंहगाई कम करवाओ तब सफै करणो आवो।  मीन तुम तैं एक मुट्ठ बि कचरा नि दीण।  म्यार इक कचरा  थुपड़ा  लग जैन  तब बि मीन नरेंद्र मोदीक नि सुणन।
मि - भैजि ! हम कचरा उठाणो नि अयाँ छंवां।  हम त जनचेतना बाबत अयाँ छंवां।     
वु सदस्य - जावो जावो ! नरेंद्र मोदीक कै बि काम मा मीन शामिल नि हूण।
हैंकि जनानी डी  - यु भलो ह्वे जु तुमन अब बिल्डिन्गौ सफाई का जिम्मेबारी लिआल।  स्यु बुड्या सेक्रेटरी त मेरी सुणद इ नी च।  मि बड़ो धार्मिक छौं।   रोज मि कवौं तैं खलाणो बान घी -रुटि  टुकड़ा अपण खिड़की मा धरदु अर कव्वा हि ह्वाइ कुछ टुकड़ा तौळ क मौकी बालकोनी मा  पड़
 जांदन।  एक साल बिटेन हम सेक्रटरी कुण बोलि बोलिक थकी गेवां पर मजाल च कि सेक्रेटरी क कान माँ  जूं बि रींगन धौं।  अबि तक बालकोनी साफ़ नि  ह्वे।  मुंबई मा रौणो बाद बि हमर सेक्रेटरी सफाई का महत्व ही नि  समजद त इन सेक्रेटरीक अचार डालण ?  हम त यीं गंधन मरि गेवां। अब दूरौ रिस्तेदार बि च त सेक्रेटरी दगड झगड़ा बि नि कौर सकदां।  अब तुम दुयुंन सफाईक जुम्मेदारी लियाल त आजी वीं बालकोनी साफ़ करै द्यावो।  खिड़की खुल्दी भभकाण आदि।
इनि चालीस फ्लैटों मा लोग  सबी बिल्डिंगै गंदगी से परेशान छया अर रुणा छा कि बिल्डिंग वाळ कुछ नि करणा  छन।
 आज सुबेर बिटेन लोगुं फोन आण लग गेन। जन कि -
एक फोन - यी क्या भै म्यार ड्वारक समिण कचरा हूणु च अर तुम घौरम सियां छंवां ? जल्दी कचरा साफ़ करावो।
जनानी डी - हैं मीन त  समज कि तू  सेक्रेटरी तरां अणबुल्या नि  ह्वेली पर तू बि उनि छे अबि तक हमर तौळ वाळक बालकोनी साफ़ नि ह्वे।  कब तलक हम यीं  दुर्गन्ध सुंगला ? आज वा बालकोनी साफ़ हूण  चयेंद हाँ !
नरेंद्र मोदी विरोधी - तुम भाजपा वळा  क्या बुन्या क्या कन्या वाळ छंवां।  आज बि  बिल्डिंग मा उनि गंदगी च।
सेक्रेटरी - हे भै ! जब तुमसे जुम्मेबारी नि निभाये जांद त किलै फुन्द्यानाथ बणदा ? सुबेर बिटेन सबि लोगुं फोन ऐन कि बिल्डिंगौ सफै दिखण तुमर बसौ बात नी च।
प्रेजिडेंटक फोन आई - तुम नई जनरेसन वाळ क्वै बि जुम्मेबारी तैं  गंभीरता से नि लींदा।  सफाई एक गंभीर विषय च तो ए काम तैं सीरियसली ल्यावो अर वीं सफाई कर्मचारी तैं  जोर से डाँटो अर बिल्डिंगै सफै  इम्प्रूव कारो।  अर सूणो चूँकि तुमन यु काम अफिक ले तो  बिल्डिंग से बजट की उम्मीद नि कर्याँ हाँ !



Copyright@  Bhishma Kukreti   3 / 10 / 2014     
*लेख में  घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख  की कथाएँ , चरित्र व्यंग्य रचने  हेतु सर्वथा काल्पनिक है

 
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