Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 360822 times)

Bhishma Kukreti

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        Best  Harmless Garhwali Humor , Satire on addiction TV Soap Opera
 
                                                                दया बेन की मा कन व्हेलि , क्या पैरद व्हेलि अर मुंबई कब आणि च ?
                                                                 
                                                                                  टीवी सीरियल प्रेमी   ::: भीष्म कुकरेती
                    जब बिटेन याने गुरुबार स्याम 21 /11 /2014 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा ' मा दिखये गे बल दया बेन की ब्वे , जेठालाल की सास अर  चम्पक चाचा की समदण अमदाबाद बिटेन मुंबई आणि च तो हमर मुहल्ला मा संसय कु तूफ़ान , क्या ह्वाल -क्या नि ह्वाल कु ज्वार -भाटा अर आज बि बिजली जालि कि ना जन प्रश्नुं  जंजाल खड़ ह्वे गे।
  गुरुबार से पैलि मि ऑफिस जाणु हूँ त मथ्याक फ़्लैट से भुंदरा बौ उर्फ़ भुप्पी भाभी आवाज दींदि छे ," भीष्म ब्याळि 'तारक मेहता ' मा टप्पुक काम म्यार मौन्टी जन ही छौ ना ?"
या गेट पर रिटायर्ड गजटेड ऑफिसर रावत जी मिलदा हि पुछदा छा "भीष्म !  डाइरेक्टर ये पोपट लाल पत्रकारौ ब्यौ किलै नि कराणु होलु ?"
या बबिता जी प्रेमी सिगरेट विक्रेता पुछद छौ कि बल ब्याळि मीन 'तारक मेहता ' नि द्याख।  ब्याळि बबिता जीक क्या ड्रेस छे पैरीं ? साब  यि जेठालाल बबिता जीक पैथर इथगा किलै रौंद पड़्यूं ?
पर जब बिटेन 'तारक मेहता ' मा दर्शकुं तैं पता चौल कि दया बेन की माँ मुंबई आणि च त मुहल्ला ऊर्जावान ह्वे गे , मुहल्ला मा गोकुलधाम से अधिक उत्साह ऐ गे , मुहल्लावासी प्रश्नकाल का प्रश्न पूछनेर सांसद बण  गेन।
वा पली बिल्डिंगाकि मिसेज घोरपडे पुछण लग बल - भीषम जी ! दयाबेन की मा मेरी सासु आई (माँ ) जन होलि ज्वा अपड़ काम अफिक करदि  या मेरी माँ  जन होलि ज्वा सब काम मेरी भौजुं से करांद या तुमर मा जन होलि ज्वा भाषण बिंडी दींदि ?
शुक्रवारो कुण म्यार नौनु योगा क्लास नि गे।  कारण पुछण पर बुलण लग बल चूँकि म्यार ध्यान दयाबेन -सुंदरलाल की माँ पर च तो योगा क्लास मा मीन ठीक से ध्यान नि दीण इलै आज योगा क्लास नि जाणु छौं।  दयाबेन -सुंदर लाल की ब्वे व्यक्तिगत समस्या ह्वे गे।
मीन अपण गांवक मुंबई वासी चंद्रमोहन कुण फोन कार कि वैकि मा कब आणि च त उत्तर दीणो जगा मि तैं पूछ बल -"भाई साब क्या सचमुच मा दया बेन की माँ मुंबई आली ? जेठालाल की तो परेशानी बढ़ जाली कि ना ?"  जेठालाल की समस्या पारिवारिक समस्या बण गे।
सी शनिबारौ कुण हमर बिल्डिंग मा रिडेव्लोप्मेंट कमेटी की मीटिंग छे पर चूँकि ' तारक मेहता ' मा जेठालाल अपण सासुक आणै खबर  से त्रस्त छौ सबि कमेटी मेंबर बहस मा उळजि गेन कि बिचारो जेठालाल कु क्या होलु ? क्या जेठालाल की सास जेठालाल कु नया नाम पेठालाल धर देलि ? अवश्य ही मिस्टर   अय्यरन दयाबेन  की माँ क दगुड़ दीण अर फिर समज ल्यावो जेठालाल की खैर नी च।  हमर कमेटी मेंबर जेठालाल की सास -समस्या मा इथगा गंभीर ह्वेक विचार विमर्श करण लग गेन कि बिल्डिंग रिडेव्लोप्मेंट की समस्या अगला हफ्ता जोग ह्वे गेन। जेठालाल की समस्या बिल्डिंग की सहकारी सरदर्द  ह्वे गे।
मुहल्ला मा रविवारौ कुण सफाई आंदोलन का वास्ता कार्यक्रम छौ।  किन्तु आयोजक घंघतोळ मा छा कि जेठालाल कु सासु आण पर क्या होलु , जेठालाल कु स्याळ सुंदरलाल क्या उपद्रव मचालु अर गोकुलधाम सोसायटी मा दयाबेन की माँ क स्वागत कै तरह से होलु ? चूँकि आयोजक जौन  सफै आयोजन का पैसा दीण छौ वो ही घंघतोळ मा छा तो सफाई आंदोलन याने फोटो सेसन अगला हफ्तों वास्ता पोस्टपोन करे गे।  जेठालाल की घंघतोळ मुहल्ला की घंघतोळ बण गे।
मीन अपण विधायक का वास्ता 'रिवर लिंकेज इन इण्डिया ' भाषण लेखिक विधायक जी तैं दीण छौ।  भाषण तयार छौ अर मीन विधायक जी तैं फोन कार बल कै समय औं ? विधायक जीक उत्तर छौ " भीष्म जी जब तक यु दयाबेन की माँ वाळ एपिसोड खतम नि ह्वावु , जेठालाल की समस्या  खतम नि हूंद  तुम नि आवो।  उन बि म्यार भाषण दिसंबर मा च " जेठालाल की समया देस की समस्या बण गे।
अब म्यारी हाल देख ल्यावो ऊख म्यार गाँ मा पलायन की समस्या च , उजड़्यां कुड़ूं समस्या च , गैरसैण की ज्वलंत समस्या च अर मि जेठालाल की समस्या पर लेख लिखणु छौं।  जेठालाल की समस्या गढ़वाल की भी समस्या ह्वे गे।


 

Copyright@  Bhishma Kukreti 25  /11 /2014   

   *लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।

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                 स्वच्छ भारत  , स्वच्छ भारत , बुद्धिमान भारत!


Bhishma Kukreti

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                                  चलो जरा हंसाणो मास्टर बणे जाव !
           
                                             विमर्श : भीष्म कुकरेती
कैक ज्यु बुल्यांद बल रुवैक पढ़sये जाव , कैक ज्यु बुल्यांद बल मार बांधिक मुसलमान बणाये जाव , छात्रक ज्यु बि बुल्यांद बल मास्टर जी हंसी हंसिक   साथ पढ़ावन ! मि झूट बुलणु हों तो क्रोधी , गुस्सैल , नराजगी का प्रतीक दुर्वाशा ऋषि तैं सुमरिल्या तो आकाशवाणी होली कि भै कै तैं अड़ाण हो,  पढ़ाण  हो , धमकाण बि हो तो हंसी हंसी माँ समझावो।
                                        हाहाकार ना  हाहा -हाहा  अध्यापन
अच्काल जख जावो पढ़ाण , सिखाण , प्रशिक्षण , समजाण , बिंगाण , कु काम बड़ो जोरो से चलणु च अर अधिकतर हाहाकारी टेकनीक से पढ़ाणो जुगत हूणि च अर पढ़न वाळ बराखडी तो छोडो एक शब्द बि नि समझद पर थोड़ा सा ही आप हाहा-हाहा टेक्नीक अपनाओ अर फिर द्याखो गळया बळद बि कन चौकड़ी भरद धौं ! बल्द बि चूटिक हौळ नि लगांदन अपितु हंसदा शब्दों से चुपकारिक ज्यादा हौळ लगांदन।  मि झूट बुलणु हो तो कै बि हळया देवी देवगौड़ा , के सी त्यागी जन बुलणो  हळया ना  पर अछेकी हळया  तैं पूछी लेन ! यदि तुम कुकुर -बिरळ पाळदा तो भी आप तैं पता चल गे होलु कि हंसी का साथ प्रशिक्षण से कुत्ता क्या शेर बि चौड़ सीख जांद।
तो आप हाहाहाहा अध्यापक बणो। 
                            जमाना जितणो कला

एक चीनी कविता का भाव इन छन -
यदि तुम मुल मुल मुस्करांदा तो तुम एक साल अग्वाड़ी को हि सोच सकदा !
यदि तुम खत खत हंसदा तो तुम दस साल अग्वाड़ी को बारा मा हि सोच सकदा !
यदि तुम दूसरों तैं हंसण सिखौंदा तो तुम  सौ साल अग्वाड़िक बारा मा अवश्य सोच सकदा !
एक दैं मुल मुल मुस्कराट ब्वेक /बोइक  तुम एक दैं फसल काट सकदां !
हंसी का पेड़ लगैक तुम दस दैं फसल काटि सकदां !
दूसरों तैं हंसण - हंसाण सिखैक तुम सौ दैं फसल काटि सकदां !
  जब बि जमाना जितणो समौ आंद त जिताड़ खिलाड़ी पैल हौंस इ हौंस मा पढ़ाण वळ शिक्षक पैदा करद अर तब जमाना जितणो जांद।
  रुंदा ह्वेक  कठण गौळ नि टपे जान्द ! कठण  गौळ टपणो कुण हंसदारी जिकुड़ी चयेंद। कृष्ण भगवानन बि रुंदी सूरत मा ना  खिल्दा -खिल्दा -हंसदा -हंसदा नाग तैं साधी छौ।  असली अध्यापक शिष्यों तैं खेल खेल मा पढ़ांद अर शिष्य बि हंसी हंसी मा कठिन से कठिन पाठ सीख जांदन।  रुंदा मास्टर पाठ रटांद किंतु खेल खेल मा पढ़ाण वळ सरलता से पाठ कु मंतव्य याद करै दींद।
रुंदा मास्टर पुराणा मुहावरों पर टिक्युं रौंद जब कि हंसद -हंसद पढ़ाण वळु उपाध्याय नया से नया मुहावरा गढ़द।  पीटि पीटिक , रुलै रुलैक पढ़ाण वळ मास्टर नकलची शिष्य पैदा करद ,रुलै रुलैक पढ़ाण वळ मास्टर लाचार नकलच्युं फ़ौज तयार करद अर हंसी हंसी से पढ़ाणो मतबल हूंद शिष्यों मा रचनाधर्मिता पैदा करण।
रुंदा मास्टर निरुत्साहित करद , रूखो टीचर दब्बु बणान्द किन्तु हंसी हंसी मा पढ़ाण वळ अध्यापक ऊर्जा भरद , उत्साह भरद अर जिंदगी जीणो कौंळ बतांद। जख उलार हो , जख उत्साह हो , जख हंसी -खुसी हो उखक सिख्युं मनिख हार नि सकद !
जमाना जितण माने हंसी हंसी मा हंसाण वळ अध्यापक पैदा करण !
Copyright@ Bhishma Kukreti 26/11/2014

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                                                             स्वच्छ भारत  , स्वच्छ भारत , बुद्धिमान भारत!

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Best of Garhwali Humor, Satire, Wit


                                      अध्यापकों द्वारा नि हंसणो कुछ बहाना !

                                   हंसोड्या  छांछ प्रेमी  ::: भीष्म कुकरेती 
 
भौत सा अध्यापक रूखा , सूखा अर क्याफणि सि अणमण भानिक हूंदन।  जब यूँ रूखा , सूखा , निरुत्साहित  मास्टरों तैं पुछे जांद बल ये भै तुमर मुख पर सद्यनि बरजात किलै रौंद पड़ीं त यूंक बहाना इन सि हूंदन -
१- मीन एक दैं कोशिस कौर त छे पर जन कि हमेशा म्यार दगड़ हूंद, म्यार दगड ही खेल हूंद , वैदिन बि छ्वारा नरकैक क्लास छोड़िक भैर चलि गेन।
२-म्यार स्कूल तनि मनि स्कूल नी च , म्यार स्कूलम बड़ा बड़ा लोगुं बच्चा आंदन ,  म्यार स्कूल शैक्षणिक दृष्टि से टॉप च।
३-अरे ! छोरी -छ्वारा उनि बि दंगळयो करणम उस्ताद छन।
४-मि तैं हेडमास्साब से पुछण पोड़ल
५-पता नि बच्चा बिगड़ गे तो ?
६-यार म्यार कपड़ा हंसी -खेल से मैच नि करदन
७-  पढ़ांद दैं हंसण - हंसाण बेवकूफी च
८-हंसाणो बान भौत सि तयारी करण पोड़द अर मीम भौत सा ट्युसन छन
९-जु चलणु च चलण द्यावो
१०- सिलेबस मा इन नी च
११- हमर ट्रेनिंग मा हंसण -खिलण विषय नि छौ
१२- मि विदूषक , जोकर या  कॉमेडियन छौं क्या ?
१३- हमर स्कूलों नियम नी च
१४- मि तैं हंसाण जि आंद त मि टीचिंग लाइन मा आंदु ?
अध्यापकों द्वारा नि हंसणो कुछ हौर बहाना भोळ  ……।

Copyright@ Bhishma Kukreti 27/11/2014


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                               स्वच्छ भारत  , स्वच्छ भारत , बुद्धिमान भारत!

Bhishma Kukreti

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                                             अध्यापक हंसद -खिलद किलै नि पढ़ांदन ?
                                      अध्यापकों द्वारा नि हंसणो कुछ बहाना ! -2

                                   हंसोड्या  छांछ प्रेमी  ::: भीष्म कुकरेती 


भौत सा अध्यापक रूखा , सूखा अर क्याफणि सि अणमण भानिक हूंदन।  जब यूँ रूखा , सूखा , निरुत्साहित  मास्टरों तैं पुछे जांद बल ये भै तुमर मुख पर हर बगत , सद्यनि क्या रातम  बि बरजात किलै रौंद पड़ीं त यूंक कुछ बहाना इन सि हूंदन -


१५- जन चलणु च चलण द्यावो , म्यार बाबुक क्या जाणु च , त्यार बाबाक क्या जाणु च , हँसिक-हंसैक  हूण बि क्या च ?
१६-जब तलक सिलेबस नि बदलल हम क्या कौर सकदवां ? म्यार दिखद दिखद त सिलेबस बदलण से राइ
१७-पता नी बच्चों ब्वे बाब रुसे जाल तो ! सरकारी स्कूल की बात अलग च , प्राइवेट स्कूल च फीस त ब्वे -बाब इ दींदन
१८-सरकारी स्कुल च।  सरकारी स्कूलम जब तक सर्कुलर नि आल , हम तैं ट्रेनिंग नि मीलल मि कुछ नि कर सकुद !
१९- कौन से हमर जमन मा मास्टर हंसैक पढ़ांद था ? इनमा क्या हमन नि पौढ़ ?
२० -भै म्यार घौरम सब गंभीर छन तो ?
२१-हंसाणो कुण स्कूलक दीवाल पेंट त करीं च !
२२-मि केवल अपण यार -दगड्या -परिवार वळु बीच हंसुद
२३-मि जब हंसण शुरू करद त फिर मेरी हंसी रुकदि इ नी च।
२४ -अच्काल बच्चा फेसबुक से अफिक हौंस लीन्दन तो मास्टरुं तैं फोकट मा मेनत करणै जरुरात क्या च ?
२५-अब मेरी उमर रईं च हंसणौ ?
२६- स्कूल क्वी ड्रामा हाउस च ?
२७-बच्चा बिगड़ जाल
२८-भारत मा गरीब लोग ज्यादा छन ,

Bhishma Kukreti 28/11/2014


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                    स्वच्छ भारत  , स्वच्छ भारत , बुद्धिमान भारत!

                             


Bhishma Kukreti

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Best  Harmless Garhwali Humor  , Satire,Wit , Sarcasm  Selfishness :

                                                    सब अपण चाटिक मारन चाट घाळिक काम करदन !
                                               
                                                चाटिक मार बण्युं लिख्वार  ::: भीष्म कुकरेती

      जैक बि जनम गौं मा ह्वे होलु , जैक बि जनम   गढ़वाळम ह्वे होलु अर जैन बि जख्या -भंगुल खै होलु वै तैं यु शब्द सुणणो मील होलु।  वैन अवश्य ही दिन मा यु शब्द तीन , द्वी निथर एक दैं त सुणि ह्वाल।  शब्द च -अपण चाटिक मार !
शब्द कब शुरू ह्वे ? शब्द कैन शुरू कार अर टिहरी मा शुरू ह्वे या पौड़ी मा शुरू ह्वे ? ये शब्द कु जन्म का बारा मा गढ़वाली भाषा  विद्वान , इतिहासकार  अर हिंदी साहित्यकार , सांसद डा रमेश पोखरियाल निशंक क्या कैतैं नि पता   कि यु शब्द गढ़वाली शब्दावली मा कब आयि। मि बि तुमतैं बेवकूफ नी बणै   सकणु छौं कि ये शब्द कु जन्म कब ह्वे हवालु ?
        उन शब्द मा द्वी अक्षर बतांदन कि शब्द मा लम्बै च ,  चौड़ै    च अर बड़ो मन्तब्य  च।  चाटिक याने चाट करके अर मार / मारिक माने   जबरदस्ती।  यदि आज क्वी ये शब्द तैं गढ़वळि मा गंठ्यांद तो वो पद्मश्री की मांग करद , सरकार से उत्तराखंड विभूति की मांग करद निथर किताब छपणो संस्कृति विभाग से रुप्या तो मांगदो ही।  अवश्य ये  शब्द     तैं बिठ मरदन त नि गंठे होलु , अवश्य ही चाटिक मारन    शब्द की कल्पना कैं जनानी या शिल्पकारन (हरिजनन  )   करी होलि तबि त राजान ये शब्द गंठ्यान वळ /वळि तैं थोकदारी नि दे।
  चाटिक मार /चाटिक मारन शब्द कु शाब्दिक, भावानात्मक अर उन अर्थ च   स्वार्थ बस , बेबसी मा.
 अब चम्बा दादी सुबेर सुबेर जब बुल्दी छे बल ये पधानन यु बाटु हमकुण थुका बणाइ उ त वैक डूंडू नौन तै पुरण गौळ नि चौड़ सकुद छौ।  तो सब तैं पता चल गे कि पधान कु यु काम समाज हितौ नि छौ बल्कण मा पुत्र हित मा छौ।
 अब जब चैतु सरा दुनिया मा धै लगांदु कि वैक भैजि चतरू ब्वे तैं अपण दगड़ ब्वेक प्रेम मा , ब्वेक सेवाक बान नि रखणु च , बल्कण मा अपण चाटिक मारन रखणु च।  सरा जग मा चैतुक रैबार पौंछ जांद कि उन त चतरू क कज्याणि सासुक  सूरत देखिक बि बितक जांदि छे पर  चूँकि चतरूक छ्वटा -छवटा बच्चा छन तो बच्चों तै पकड़णो बान चतरू ब्वे तैं अपण दगड़ रखणु च। स्वार्थ सासुप्रेम की निसाणि ह्वे गे।
अब जब चंदरुन सँजैत कूल खत्यायी तो समिण पर क्वी नि बुल्दु छौ पर पीठ पैथर सबि बुल्दा छा बल अपण चाटिक मारन चंदरुन कूल खत्यायी।  कूल नि खत्यांद त वैक पाणि तौळक   पुंगड़ हमेसा तींदा -गिल्ला  ही रौंदा ।
अब जब कॉंग्रेस की मनोरमा डोबरियाल उत्तराखंड से राजयसभा सदस्य बण गे त सबि बुलणा छन , कॉंग्रेस हाईकमांड तैं सोनिया गांधी अर प्रिंयका गांधी अलावा कौनसे जनान्युं पड़ी च। वो तो हरीश रावत अर विजय बहुगुणा का पंख कटण छा तो चाट मारिक कॉंग्रेस हाई कमांड तैं मनोरमा डोबरियाल तै राज्य सभा मा भिजण पोड।
भारतीय जनता पार्टी ब्वालो या नरेंद्र मोदीक तपन  , अगन , ज्वाला से अब कॉंग्रेस , कम्युनिस्ट त छवाड़ो ममता दीदीक जिकुड़ बि जळण मिसे गे अर ममता दीदी तैं चाटिक मारन जनम जाति दुश्मन सीतारम येचुरी का समिण हंसण पोड़णु च; अर चाटिक मारन लालू , कालू अर नितीश कुमार बि पैलि एक ह्वे गेन ।
काश्मीरौ चुनाव जितण जरूरी च तबि त चाटिक मारन भाजपान धारा 370 तैं हिंदमहासागर ना , प्रशांत महासागर ना बल्कि अफ्रिका का कै जंगळ मा गबै दे।  तो चाटिक मारन शब्द वास्तव मा बड़ो चलमुल, चचकौण्या अर चित्वाळखु (तुरंत चौकन्ना करण वाळ ) शब्द च।
पर चाट   घाळिक अर चाटिक मारन शब्दों माँ जमीन असमान ; आकास -पताळ ; बाग़ अर कूड़ जन अंतर च।  चाट घाळिक को अर्थ हूंद बहुत -बहुत ध्यान देकि अर चाटिक मारन कु अर्थ हूंद विवशता वस  या स्वार्थ वस !
अब द्याखो ना मि ड्यारो काम कर नि सकुद , उल्ट लाब सुल्ट करण मै नि आंद तो चाटिक मारन टैम पास करणो बान चाट घाळिक मि सुबेर सुबेर चबोड़्या -चखन्यौर्या -घपरोळया लेख लिखदु !



Copyright@  Bhishma Kukreti 29  /11 /2014   

   *लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।

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                     स्वच्छ भारत  , स्वच्छ भारत , बुद्धिमान भारत!

Bhishma Kukreti

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Best  Harmless Garhwali Humor  , Satire, Wit, Sarcasm on Black Money


                                       चलो ब्लैक मनी , ब्लैक मनी कु खेल खिलला !

                                       ब्लैक मनी की चाहत मा   : भीष्म कुकरेती
घरवळी - म्यार त सद्यनि ग्वरकटा दिन रैन !
मि -हैं !
घरवळी -मेरी मति मरे गे छे , निथर वु उल्लू का पट्ठा ही ठीक छौ।
मि -अरे कु उल्लू का पट्ठा ?
नौनु - पापा ओ देहरादून में नही हैं ? नाना जी के मुहल्ले में जिसे सभी उल्लू का पट्ठा कहते हैं। उसकी बात ममी से चली थी।
मि -हाँ हाँ ! जु हर हफ्ता लोकसभा या राज्यसभा माँ जै विषय  पर विपक्षी वाक आउट करदन  वै विषय पर खेल का खेल आयोजन करद ना ? एक दैं वैन कॉमन वेल्थ गेम मा कथगा कमाण कु खेलौ आयोजन बि उरै थौ !
नौनु -हाँ वही  अंकल उल्लू का पट्ठा कहलाया जाता है। (भैर चल जांद )
घरवळी -याँ पर कुछ ना कुछ खेल तो खिल्दु च कि ना ? यूँ राजनीतिक धुर्याऊँ से बढ़िया तो ऊ उल्लू का पट्ठा ही ठीक च।
मि -वाह एक उल्लू का पट्ठा दुसर उल्लुऊँ  नकल का खेल रचांद !
घरवळी -तुम तैं ले क्या च ? सरा मुहल्ला मा सब्युंन खेल खेल आल अर हम अबि तलक इनि बैठ्याँ छंवां।  मुहल्ला मा त मि तैं जाण पोड़द कि ना ? नाक कटि गे !
मि -यां क्यांक नाक कटि गे ?
घरवळी -सब्युन अपण अपण घौरम ब्लैक मनी -ब्लैक मनी को खेल खेल आल अर एक हमि छंवां कि हमन अबि तलक ब्लैक मनी -ब्लैक मनी कु खेल नि ख्याल !
मि -यु क्वी नया वीडिओ गेम च ?
घरवळी -नै नै ! यु हजबैंड -वाइफ का बीचौ खेल च।
मि -हजबैंड -वाइफ का बीचौ खेल? कन खेल च यु ?
घरवळी -भौत  सरल खेल च।  ये खेल माँ वाइफ अपण हजबैंडौ रिस्तेदारुं घूस दीणो बाबत मजाक उड़ान्द अर हजबेंड अपर ससुरास्युं द्वारा दियीं घुसौ मजाक उदांद !
मि -मतलब अबि जन त्यार काकन गांवम एक सुंगर मार अर बिचारा कक्याससुर जी पटवारी चंगुल मा ऐ गेन।
घरवळी (गुस्सा मा ) -यां पण काकान जाणि बुझिक थुका सुंगर मारि छौ।  उ त सुंगर भगाणो ल्वाड़ चुलाणा था कि एक ल्वाड़ सुंगर पर लग गे।
मि (जोर की हंसी ) -हाँ पर कक्याससुर जी तैं पटवारी पकड़िक ली गे।  पुट्ठ दस हजार दीण पोड़िन पटवारी तैं तब छुटिन कक्याससुर जी। 
घरवळी -हाँ तो जेल जाण से बढ़िया त दस हजारमा इ मामला सुल्टि गे कि ना ?
मि -हाँ पण ! कक्याससुर जी तो पटवारी से बि बड़ा गुनाहगार ह्वे कि ना ?
घरवळी (गुस्सा मा ) -अफु तै बचाण गुनाह च क्या ?
मि -घूस दीण तो घूस दीण से बड़ो गुनाह च।  घूस कक्याससुर जीन दे अर ब्लैक मनी पैदा ह्वे।  फिर पटवारिन जरूर वै ब्लैक मनी से ब्लैकम देहरादूनम ब्लैक मा जमीन ले होलि या सोना -चांदी खरीद होलि।  असली गुनाहगार तो कक्याससुर जी छन जौन ब्लैक मनी की रचना कार। ही इज कल्प्रिट !
घरवळी (गुस्सा मा )-बिंडी कलप्रिट -फुलप्रिट नि ब्वालो हाँ ! हैं म्यार काका तैं कल्प्रिट बताणा छंवां हैं ? तुमर बडा  जीक नौन अलखणि  जिठा जी कम कलप्रिट छन ?
मि -क्या कार भाई साहबन ? बोल बोल !
घरवळी -हूँ ! सँजैत जगा मा गांवक सग्वड़ खोदि कि ना ?
मि -हाँ पर भाई साहबक पसर छौ।  बंजर पड़ी जगा मा सग्वड़ खोदि दे तो कौनसा गुनाह ह्वे गे ? हैं ?
घरवळी -ऊँ ! तबि त जब अलखणि जिठा जी पर हथकड़ी लगणो बात आइ तो झट से प्रधान अर पंच -पटवारी तैं ठम से दस हजार पकड़ै दे।
मि -चार लाख की जगा दस हजारम पड़ी गे तो फायदा ही ह्वे कि ना ?
घरवळी -हाँ पर अलखणि जिठा जीन बि त ब्लैक मनी कु निर्माण नि कार क्या ?
मि(गुस्सा मा ) -तू म्यार स्वार -भारुं पैथर बिंडी पड़ी रौंद हाँ !
घरवळी -म्यार काका तैं गुनहगार बुलण मा शरम नि आदि ?
मि -अर म्यार चचेरा भाई तैं कल्प्रिट बतांद तेरी जीब जळणि नी च ?
घरवळी -अर जु मम्या ससुर जीन भाभरम जंगलातौ जमीन मा लैट्रिन बणाइ , नहर अपण कब्जा मा दिखाई अर फारेस्ट गार्ड तैं चार हजार रुपया देन वो ब्लैक मनी का मैन्युफैक्चरिंग नी च क्या ?
मि -अर जु त्यार मौसान देहरादून मा दस लाख मा जमीन खरीद पर चेक मा केवल द्वि लाख देन अर बकै आठ लाख ब्लैक कैश नि दे ?
घरवळी -हाँ पर यु त जमानो कु दस्तूर च।
मि -गुनाह छुपाणो नाम च जमानो कु दस्तूर।  त्यार मौसा जी ब्लैक मनी पैदा करणो असली गुनाहगार छन।
घरवळी -बिंडी बुलल्या तो तुमर खानदान की पोल नि खोललु तो मी बि अपण बाबु बेटी नि छौं।
नौनु (भैर से भितर आंद ) ममी -पापा ! क्या तुम लोग बि ना !
मि -अपण ब्वे तैं समजै दे
घरवळी -अपण बुबा तैं अड़ै दे
नौनु - ब्लैक मनी -ब्लैक मनी का खेल का ये अर्थ नही कि तुम सचमुच में लड़ पड़ो।
मि अर घरवळी -तो ?
नौनु - जैसे लोकसभा, राज्यसभा  और चुनावी अखाड़े में नेता नकली खेल खेलते हैं वैसे ही पति -पत्नी को  ब्लैक मनी पर नकली खेल खेलना है।  सारे मुहल्ले वालों ने भी नेताओं की तरह नकली खेल खेला तुम भी  नकली खेल खेलो और मुहल्ले वालों का दिल बहलावो !

Copyright@  Bhishma Kukreti 30  /11 /2014 

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Bhishma Kukreti

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Best  Harmless Garhwali Humor  , Satire, Wit, Sarcasm on Love Affairs in Workplaces : 
                                      ऑफिसम  म्यार  नाजायज संबंध   

                                          घाघ प्रेमी : भीष्म कुकरेती

घरवळि -मि तैं अब्याक अबि वींक नाम बतावो जैंक दगड़ इथगा सालों से तुम ऑफिसम प्यार करणा छंवां ?
मि -हैं ! अचाणचक क्या ह्वै त्वै जु तू म्यार ऑफिसौ प्रेम का बाबत पुछणि छे ? हैं ?
घरवळि -द्याखो हाँ ! मि तुमर प्यार का चक्कर का बारा मा अति गंभीर छौं हाँ ! अर मि जाणदु छौं कि तुमर कै ना कैक दगड़ चक्कर चलणु च।
मि -त्वे सरीखा बिगरैलि वाइफ का हुँदा मि इथगा भाग्यशाली कख छौं कि दुसर जनानी से प्यार कर सौकुं !
घरवळि -द्याखो हां ! मि मजाक , मसखरी , खन्नु खरपटौ मूड मा नि छौं।  मैकुण  तुमर भैरौ प्रेम चक्कर का बारा मा जाणन जरूरी च।
मि -मतबल एक्स्ट्रा मारीसल रोमांसेज ?
घरवळि -हाँ !
मि -म्यार भैर क्वी प्यार -ऊरक क्वी चक्कर नी च।
 घरवळि -नै इन ह्वैइ नि सकद।  तुमर क्वी ना क्वी चक्कर छैं च।
मि -आज ह्वाइ क्या च ? जु तू म्यार प्यार का चक्कर का बारा मा इथगा चिंतित छे ?
घरवळि -इकॉनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट च कि 50 % प्रतिशत लोगुं आपस मा एक्स्ट्रा मारिसल रिलेसनशिप छन अर यूं मादे 51 % लोगुं अपण ऑफिसम काम करण वाळ कारिंदो दग्द प्यारो चक्कर च। तुम अवश्य ही यूं 51 प्रतिशत मादे छंवां।
मि -मेरी ऑफिसम क्वी प्रेमिका नी च।
घरवळि -क्या तुमर अपण जूनियर से चक्कर नी चलणु च ?
मि -नै मी पर यु मानसिक रोग नी च कि मि अपण जूनियर से प्रेम करूँ।
घरवळि -इन ह्वैइ नि सकद।  इकोनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट च कि 34 . 3 प्रतिशत लोगुं अपण जूनियर से एक्स्ट्रा मारिसल रिलेसन छन।
मि -ये मेरी मा ! मि इथगा भाग्यशाली नि छौं कि म्यार जूनियर मेरी प्रेमिका ह्वै जावु !
घरवळि -अच्छा तुम अपण उच्च अधिकारी छंवां कि ना ?
मि -हाँ मि उच्च अधिकारी छौं।
घरवळि -तो अवश्य ही तुम वूं 14.6 पर्सेंट मा ही छंवां !
मि -14.6 पर्सेंट क्या बकवास च ?
घरवळि -इकॉनोमिक टाइम्स कु सर्वे बतांद कि 14.6 पर्सेंट उच्च अधिकार्युं अपण सीनियरुं दगड़ नाजायज संबंध छन।  जरूर तुमर अपण सीनियर्याणि दगड नाजायज संबंध होला !
मि -ओ माई डार्लिंग मि अपण ऑफिसम सबसे बड़ो अधिकारी छौं।
घरवळि -तो तुमन अपण प्रेम खत्म करणो बान अपण ट्रांसफर कराइ होलु ?
मि -क्यांक ट्रांसफर ? हमर हेडऑफिस ही मुंबई मा च तो ट्रांसफर क्यांक हूण छौ।
घरवळि -इकोनोमिक्स टाइम्स का सर्वे का हिसाब से 12 . 5 पर्सेंट मर्द अपण ट्रांसफर नाजायज संबंध बिच्छेद करणो बान करदन।
मि -ट्रांसफर जि ह्वे सकुद त मि ट्रांसफर नि करांद ?
घरवळि -मि किट्टी पार्टी मा मुख दिखाण लैक नि छौं।
मि -किट्टी पार्टी मा मुख दिखाण लैक नि छौं ? क्या मतबल ?
 घरवळि -आज हमर किट्टी पार्टी च।  उख आज सब जनानी अपण कजेक नाजायज संबंधुं बारा मा बताला।  बारास्युं की मिसेज बागणीन  अपण  पतिदेव का सब नाजायज संबंधों खोज करी याल ; मिसेज चौँदकोट्या बांदन बि अपण हजबैंडो एक्स्ट्रा अफेयर का बारा मा पता कर आल कि वैक संबंध अपण टाइपिस्टो दगड़ च अर  बड्यार गड की मिसेज गदगदी बांद का हजबैंड का द्वी अफेयर चलणा छन तो भागरथी घाटी की मिसेज चिपळी चकोरिक पति का अपण फीमेल सेनियरौ दगड़ चक्कर चलणु च। इनि सब्युंक पतियों का इना -ऊना नाजायज संबंध छन।  अब जब मि बुलल कि म्यार हजबैंडो कखि बि नाजायज संबंध नि छन तो किट्टी पार्टी मा मेरी बेज्जती हूण इ च।
मि -सॉरी डार्लिंग मि पत्नीव्रता  अधिकारी छौं।
घरवळि -बड़ा ऐन पत्नीव्रता  पति ! ह्यां पर अपण ऑफिसम एकाध नाजायज संबंध बणानम तुमर क्या जाणु छौ।  अब मि क्या मुख दिखाण लैक बीं नि छौं।
मि -ह्यां पर जब हमर ऑफिसम जब फीमेल कर्मचारी भर्ती हि नि करे जांदन तो नाजायज संबंध कैक दगड़ बिठाण छौ ?
घरवळि -तुमन एक बि सुख मि तैं नि दे।  तुमर एकाद नाजायज संबंध ही ले हूंद तो !
मि -पता नी क्या बुलणी छे धौं तू ?
घरवळि -अच्छा सूणो ! मि  बाथरूम जाणु छौं।  जरा किचन मा दूध चेक करि लेन।
घरवळि बाथरूम जांद।  अर मीन फोन घुमाई।
मि -हेलो ! मिसेज छकछट्या ! माइ  बुलबुल ! माइ स्वीट हार्ट ! हाँ सूण!  जन कि प्लान छौ हम रिवॉल्विंग रेस्ट्रॉं मा लंच करला। अपण ऑफिस से छुट्टि लेक टैम पर ऐजै।   नै नै डोंट वरी ! मीन कैबिन बुक करी आल।  वी श्यल हैव कम्पलीट प्राइवेसी फॉर रोमांस, बिल्किल एकांत राल   ! बाइ बाइ ! विल मीट दियर ! आइ लव यू डार्लिंग !

                                   


Copyright@  Bhishma Kukreti 1/12 /2014 

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Best of Garhwali Humor in Garhwali Language on Love Affairs in Workplaces; Best of Himalayan Satire in Garhwali Language on Love Affairs in Workplaces; Best of  Uttarakhandi Wit in Garhwali Language ; Best of  North Indian Spoof in Garhwali Language on Love Affairs in Workplaces; Best of  Regional Language Lampoon in Garhwali Language; Best of  Ridicule in Garhwali Language on Love Affairs in Workplaces; Best of  Mockery in Garhwali Language on Love Affairs in Workplaces; Best of  Send-up in Garhwali Language on Love Affairs in Workplaces; Best of  Disdain in Garhwali Language on Love Affairs in Workplaces  ; Best of  Hilarity in Garhwali Language; Best of  Cheerfulness in Garhwali Language on Love Affairs in Workplaces;  Best of Garhwali Humor in Garhwali Language from Pauri Garhwal on Love Affairs in Workplaces; Best of Himalayan Satire in Garhwali Language from Rudraprayag Garhwal on Love Affairs in Workplaces; Best of Uttarakhandi Wit in Garhwali Language from Chamoli Garhwal on Love Affairs in Workplaces; Best of North Indian Spoof in Garhwali Language from Tehri Garhwal on Love Affairs in Workplaces  ; Best of Regional Language Lampoon in Garhwali Language from Uttarkashi Garhwal on Love Affairs in Workplaces  ; Best of Ridicule in Garhwali Language from Bhabhar Garhwal on Love Affairs in Workplaces; Best of Mockery  in Garhwali Language from Lansdowne Garhwal on Love Affairs in Workplaces; Best of Hilarity in Garhwali Language from Kotdwara Garhwal on Love Affairs in Workplaces; Best of Cheerfulness in Garhwali Language from Haridwar on Love Affairs in Workplaces;


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Bhishma Kukreti

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Best  Harmless Garhwali Humor  , Satire, Wit, Sarcasm on Opportunistic U Turn : 

                              मुझे  भी इनकार है क्योंकि U यू टर्न की बहार है !

                                  कट-कटकार , ककड्यट्या , चुलखचुर्या   : भीष्म कुकरेती

 
मि ( फोन पर )- ये परधानी काकी क्या बुलणि छे ? त्वे से ये आसा नि छे ?
परधानी काकी - मी बि लाचार छौं।
मि - ह्यां पर तीन तीन मैना पैलि  बोलि  छौ , विश्वास  दिलै छौ , लौड़ -गौड़ु सौं बि घौट छौ।
परधानी काकी - हाँ तो क्या ह्वे ! लोकसभा का चुनाव मा तक सबि लौड़ -गौड़ु सौगंध खांदन।  मीन बि परधानौ चुनाव मा सौं खै दे तो कौन से पहाड़ हिल गे।
मि -काकी ! पहा ....
परधानी काकी - देख भीषम ! यदि तू में से म्यार स्वास्थ्य का बारा मा  बात करणी छे तो ठीक , बाल बच्चों की छ्वीं लगाणि छे तो ठीक च , किन्तु यदि तू अपण राशन कार्डौ प्रार्थना पर बात करणु छे तो मेकुण परधानी काकी जी बोल !
मि -पर काकी चुनावो टैम पर तो तीन बोल छौ कि हे भीषम मि तेरी दुसर ब्वै छौं तो अब ?
परधानी काकी - तब मि एक प्रत्यासी छौ , तब मै तैं तेरी जरूरत छे अब मि जितीं परधानी छौं।
मि -हाँ पर चुनाव जितणो बाद रिस्ता नाता खतम थुडा ह्वे जांदन ?
परधानी काकी -बाघ घ्वीड़ -काखड़ु से दोस्ती करण मिसे जाल तो भूखन नि मर जाल ?
मि -मतबल चुनाव से पैल मि त्यार भतिजु, त्यार लौड़ समान अर चुनाव बाद मि घ्वीड़ अर तू बाग़ ?
परधानी काकी -ना ना ! तू मच्छी अर मि मगरमच्छ !
मि -ह्यां पर काकी ! सॉरी ! परधानी काकी जी चुनाव से पैल तीन बोलि छौ कि म्यार काम पुरो कौरि  देलि
परधानी काकी -मि तैं बि अब पता चौल कि चुनावौ बगत पर बहुत कुछ बुले जांद पर चुनाव जितणो बाद भौत कुछ क्या सबि वादा बिसरे ना सब बचन बिसरण लैक  हि हूंदन।
मि -ह्यां पण काकी ! क्षमा परधानी काकी जी म्यार राशन कार्ड बणाण क्वी बड़ो वादा नी च।
परधानी काकी -बड़ो वादा नी च पर त्यार राशन कार्ड बणाण कानूनन गलत च।  एक आदिमक राशन कार्ड मुंबई मा बि अर गाँव मा बि नि ह्वे सकद।
मि -पर यदि म्यार कार्ड गाँव मा ह्वे बि जाल तो त्वे तैं क्या परेशानी च ?
परधानी काकी -पैल नि छे पर अब च।
मि -अब क्या परेशानी च ?
परधानी काकी -देख अगला पंचैती चुनाव मा मि ग्राम प्रधानो चुनाव मा अपण ब्वारी तैं खड़ करण चाणु छौं।
मि -अपण ब्वारी तैं खड़ कर या जंवै तैं खड़ कर म्यार बुबाको क्या जाणु च ? मि तैं त गांवक राशन कार्ड चयेणु च।
परधानी काकी -मि तैं डौर च कि त्यार राशन कार्ड बण गे तो तीन अगला चुनाव मा या तो अफु खड़ ह्वे जाण या अपण घरवळि तैं परधानी चुनाव मा खड़ करि दीण।
मि -ओहो काकी ! मि रौंद मुंबई अर चुनाव लड़णो मि गाँव थुडा  ऐ सकुद ?
परधानी काकी -अबै दैं मि तैं चुनाव जिताणो बान ठेठ बम्बई से इख गौं ऐ अर अपण परपंचुं से तीन मि तैं चुनाव जितै बि दे तो तू अपण परपंचुं से चुनाव हरै बि सकद। मीन त्यार राशन कार्ड ये जमन मा त नि बणाण।
मि -काकी यु तो वादाखिलाफी च।
परधानी काकी -वादाखिलाफी ना!  भविष्य की रक्षा को मंत्र च।
मि -मतलब तीन म्यार राशन कार्ड नि बणाण ?
परधानी काकी -नहीं , बिलकुल ना , कत्तै ना।
मि -एक बात बतादी कि तू इथगा बड़ो U टर्न किलै लीणी छे ?
परधानी काकी -अपण भविष्य की राजनीति की रक्षा का खातिर मि इथगा बड़ो U टर्न लीणु छौं।
मि -पर क्या यु U टर्न सही च ?
परधानी काकी -अरे जब रेल एफडीआई , इन्सुअरेंस एफडीआई आदि पर कॉंग्रेस U टर्न ले सकद , धारा 370 पर भाजपा 180 डिग्री को U टर्न ले सकद तो क्या मि ग्राम प्रधानी U टर्न नि ले सकदु ? अचकाल U टर्न को जमाना च, U टर्न को फैसन च , वादाखिलाफी युग च तो मि बि U टर्न ले ल्योलु तो कौन सा गुनाह  ह्वे जाल  ?

Copyright@  Bhishma Kukreti 1/12 /2014   


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Bhishma Kukreti

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                                              भीख मांगणो   सफल तरीका
                                                    चबोड़्या  ::: भीष्म कुकरेती



        ब्याळि    डक्खु दाक सुबेर सुबेर गाँ बटिन फोन आयि। गांवक विकासौ खातिर चंदा भिजणो जगा डक्खु दा बुलण बिसे ," भीषम ! तू लाटू छे , कालू छे , मूरख छे ! त्वे तैं भीख मंगण कत्तै  नि आंद !"   
मीन ब्वाल-  दादा !  मेरी समज मा कुछ बि नि आयि कि तुम क्या बुलणा छंवां !
डक्खु दान बोलि - म्यार मतबल च कि त्वै तैं भीख मंगण आण चयेंद।  भीख मंगण से पैल त्वे तैं बिसरण पोड़ल कि तू वीं कौम का छे जख भीख मांगण पाप माने जांद , जख भीख गंदो शब्द च , जख बेग्गिंग  शब्द इस्तेमाल हि नि    हूंद
मि -हाँ ! गढ़वाळम  इथगा धार्मिक स्थल छन पर आज बि तुम तैं उख   गढ़वळि भिखारी नि मीलल।
  बगैर सुण्या डक्खु दा बुल्द गे - भीख मांगण से पैल त्वे तैं भूलण चयेंद कि तू बहुगुणा छे , बिष्ट छे  उनियाल छे
मि -पर   …
डक्खु दा - भीख मंगद दै त्वै तैं ऐतिहासिक गर्व , घमंड या प्राइड भूल जाण चयेंद।  अरे इतिहास हि बिसरण चयेंद।
मि -पर मि किलै    इतिहास …   
डक्खु दा -भीख मंगद दै दानदाता कुण बड़ो भैजि कौरिक बुलण चयेंद चाहे दानदाता उमर मा बच्चा इ किलै नि हो !
मि -पर भीख तो ....
डक्खु दा -भीख मंगण से पैल पत्रकारों , टीवी कैमरौं , सरा दुनिया समिण बुलण चयेंद कि तू बेशरम भिखारी छे अर त्वे से बड़ो बेहया , बिलंच , लज्जाहीन भिखारी यीं दुनिया मा नी च ।
मि -डक्खु दा पर ....
डक्खु दा -त्वे तैं बेशरमी से भूल जाण चयेंद कि तू एक प्रदेश कु मुख्यमंत्री छे।
मि -पर मि मुख्यमंत्री नि…
डक्खु दा -भीख त्वे तैं नंगा ह्वेक दुसर राज्य मा , विदेस्यूं समिण अपण समाजक , अपण जातिक अपण  राज्य कु गर्व खतम करण चयेंद।
मि -ह्यां पर …
डक्खु दा - भीख मंगद दैं अपण मान मर्यादा , अपण समाजक सम्मान , अपण राज्य को आदर खतम कर दीण चयेंद।
मि -पर सम्मान  …
डक्खु दा -त्वे तैं सरा दुनिया का समिण बयान दीण चयेंद कि ऐतिहासिक , सामाजिक  और जाति हिसाब से तू  राष्ट्रीय भिकमंगा छे।
मि -दादा पर किलै मि भीख मांगू ?
डक्खु दा -किलै कि हमारा मुख्यमंत्री विजय बहुगुणान खुलेआम लखनऊ मा अखिलेश यादव अर प्रेसक समिण ब्वाल कि हम उत्तराखंडी जातीय तौर पर भिखमंगा छंवां।
मि -ह्यां पर …
डक्खु दा -हम निर्णय लि आल कि हम सब अपण मुख्यमंत्री विजयबहुगुणा का पदचिन्हो पर चलला।   हम सब उत्तराखण्ड्यूंन कसम खाइ आलि कि अब से हम काम काज करणो जगा भीख मंगण शुरू कर द्योल्या। हम सब उत्तराखंडी ये ब्रह्माण्ड का विशेष भिखारी बणणो बान कोर कोशिस करला।  अब त्यार दोस्तुं , रिस्तेदारूं से फोन आल कि भीख कनै मंगे जांद।
इना डक्खु दान फोन बंद कार कि हैंक फोन आई अर रात तक दसियों फोन उत्तराखंड बिटेन ऐन।  सबि फोन मा मि तैं भीक मांगणो भौं भौं तरीका , ब्यूंत , कला सिखाणा छया।
**** यह लेख जून में भूतपूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा द्वारा लखनऊ में बयान कि मै तो बड़े भाई अखिलेश के पास  भीख मांगने आया हूँ पर अंग्रेजी में  4/6/12 को लिखा था।

Copyright@  Bhishma Kukreti 1/12 /2014   


   *लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।

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Bhishma Kukreti

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Best  Harmless Garhwali Humor  , Satire, Wit, Sarcasm on Tour and Travel Bill Fraud

                               प्राइवेट कम्पन्युं मा यात्रा भत्ता का भट्टा बैठाणो कौंळ

                                  खुजनेर , खरोळया, खिकचट्या   : भीष्म कुकरेती

 आम धारणा च , आम छवि च , भौतुं तैं पूरो भर्वस च बल सरकारी विभागुं  व  सार्वजनिक संस्थानों का कारिंदा अर कुछ सांसद ही टूर -ट्रैवल बिलुं मा धांधळि  , गुळादंगी , ऊंच -नीच करदन।   असल मा प्राइवेट कम्पन्युं मा बि यात्रा भत्ता का भट्टा बैठाण वाळु कमी नी च।  मि पिछ्ला तीस चालीस साल से सेल्स विभाग मा सरा दुनिया डबखणु रौं , घुमणु रौं अर अपण अधीनस्थ कारिंदौं बिल पास -नापास करणु रौं तो मि तैं पता च कि टूर बिलुं मा क्या ऊच -नींच हूंद।

                                                           सेल्स लाइन की प्रसिद्ध लोककथा

सेल्स लाइन माँ भर्ती ह्वावो ना तो तुम तैं ट्रेनिंग की टी से पैल तुमर सीनियर तुम तैं या लोककथा सुणाल , तुम फिर बगत आण पर या लोककथा नवाडु सेलमैन तैं सुणैल्या अर इन मा या लोककथा  श्रुति एक साखि से हैंक साखि तलक चल्दी जांद।  म्यार सीनियर बुल्दा छा बल  हजारों साल पैल या कथा प्रसिद्ध चीनी दार्शनिक कन्फ्यूसिसन अपण यात्री शिष्य तैं सुणै छे अर मि त्वै तैं सुणानु छौं कि जांसे तू अपण जूनियर तैं या कथा सुणै  दे - अथ कथा प्रारम्भ -
  एक राजा थौ।  वै राजा की प्रजा छे।  राजा एक बड़ो किला मा रौंद थौ।  किला का भीतर राजधानी छे।   वै राज मा गणतंत्र थौ।  राजा मरणो पैथर राजक नौनु राजगद्दी मा नि बैठद छौ अपितु प्रजा मादे एक तैं राजा बणायो जांद थौ। नियम थौ बल जब राजा मर जावो , वैकि अंत्येष्टि व्हे जाव अर तब दुसर सुबेर जु बि मनिख राजधानी मा प्रवेश कारो वै तैं राजा घोषित कर दिए जांद छौ।  फिर वैकि हाथी मा सवारी निकाळे जांद थै।
   वै दिन राजा मोरि गे।  राजा की अन्तेष्टि बि ह्वे गे छे।  बस दुसर दिन सुबेर की प्रतीक्षा छे कि कु मनिख सुबेर सुबेर राजधानी मा पैल पैल प्रवेश कारल धौं !
      हूणि तैं क्वी नि टाळ सकुद।  दुसर सुबेर सुबेर एक सेल्समैनोन राजधानी मा प्रवेश करि अर परम्परानुसार वै तैं राजा घोषित करि दे।
 अब बारी आई नया नया राजा की राजधानी मा हाथी सवारी निकाळणै की।  सेल्समैन का समिण प्रधानमंत्री खड़ा था जु सेल्समैन से बण्यु राजा तैं रिवाज समझाणा था।  प्रधान मन्त्रीन बोले बल राजा जी अब आप तैं हाथी मा सवार ह्वेक सरा राजधानी घुमण !
मनिख कथगा बि बड़ो किलै नि ह्वे जावो वु अपण आदत नि छोड़ सकुद। वु सेल्समैन हमेशा से यात्रा भत्ता कु भट्टा बैठाणो गलादार थौ।
सेल्समैनन प्रधानमंत्री से बोल ," मंत्री जी मि पैदल ही राजधानी घूम ल्योलु।  अर हाथीक बिललगैक  खजाना से पैसा वसूल कर ल्योला।  जु बि नफा होलु अधा -अधा बाँटि ल्योला। "
                  या कथा झूटी नी च।  सेल्समैन बस से जांद अर टैक्सीक  बिल चार्ज करद।  सेल्समैन पैदल जांद अर रिक्सा का चार्ज करद।  सेल्समैन रेल मा सेकंड क्लास से जांद अर फस्ट क्लासों चार्ज करद।  सेल्समैन अफिक अपण बोझ कंधा मा बुकद पर चार्ज कुली कु करद।
जख टिकेट दिखाण जरुरी हो , उख भौत सा बगत तो टिकेट फस्ट क्लासों लींद , टिकटो जिरॉक्स लींद , टिकेट कैंसल करद अर फिर सेकंड क्लास से यात्रा करद।  जिरॉक्स कम्पनी मा जमा करद  अर फस्ट क्लासों भाड़ा वसूल करद।  रिस्तेदारुं इख ठैरद आ कम्पनी से होटलों चार्ज वसूल करद।
 सेल्स लाइन मा यात्रा भत्ता का इन इन टुटब्याग चल्दन कि गिणाण लगुल त कुज्याण कै गैणा रात खुल जाल धौं ! 


Copyright@  Bhishma Kukreti 4 /12 /2014   


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