Garhwali Humor , Satire, Wit, Sarcasm on Medical Plants Cultivation in Uttarakhand
हाँ ! हरीश रावत जी बि औषधीय वनस्पति कृषि का समर्थक छन !
झुळा छाप चबोड़्या बैद :: भीष्म कुकरेती
ब्याळि , मखुली बोडि घाम तापणो बैठीं छे कि वींक दस वर्षकुल झड़नाती नाती अख़बार लैक पढ़न मिसे गे अर जोर से खबर सुणान लग गे बल उत्तराखंडौ मुख्यमंत्री हरीश रावत जीन बोले बल किसानो तैं औषधीय वनस्पत्युं खेती वास्ता प्रेरणा दिए जाण चयेंद।
झड़ नाति इन बेकारौ खबर सुणै गुच्छि खिलणो चलि गे अर मखुली बोडि भूतकाल मा चलि गे।
सैत च तब मखुली बोडिक उमर दस सालक रै होलि तब एक अंग्रेज लाट साबन नैनीताल मा बोलि छौ बल कुमाऊं कमिश्नरी का किसानों तैं औषधीय वनस्पति उगाण चयेंद। तब गाडी बस त छ ने त लाट साब जीक बात गांवक पधानम आंद आंद द्वीएक साल लग गेन। गांमा कुछ लोग गांधी जीक जै बुल्दा जरूर छा पर अंग्रेज लाट साबौ आदेश सणि बि प्रभु आदेस माणदा छा। जब पधान जीमा लाट सबक रैबार पौंच त गांवक जणगरा , सयाणा , युवा लोगुं तैं पूरो भरवस ह्वे गे कि यदि लाट साबन बोल त अवश्य ही हैंक साल गांमा औषधीय वनस्पति की खेती करण जरूरी ह्वे जाल। अंग्रेज लाट साब भारतीयों पर कथगा बि लात लगांद छा पर सरकारी योजना पूर करण मा कबि बि पैथर नि हटद छा। ऋषिकेश -कोटद्वारम रेलवे स्टेसन यांक गवाह च कि अंग्रेज लाट साब लात मारिक योजना पूरि कर हि दींद छा। लात मार मारिक हर बीस सालम पैमास बि अवश्य हुंदी छे। तो गांव वाळु तैं पूरो विश्वास ह्वे गे कि अगलि फसल औषधीय वनस्पति की ही हूण वाळ च। क्यांक फसल होलि यांक अंदाज तो कै तैं नि लग पर यु अंदाज लग त गे कि फसल लगलि अवश्य। बस किसानुंन औषधीय फसल बूंण -लौणो तयारि करणो बान नयो नाड़ु -निसुड़ , नयो हौळ-ज्यु , नयी सोटी तयार त कारी च दगड़ मा कुटी , दाथि , सब्बळ बि पैनाणो अणसाळम दे दे। लोगुं तैं अंग्रेजुं पर ना, ना ही अंग्रेज मेम साबुं पर किंतु अंग्रेजुं जवान पर पूरो भरवस छौ। गढ़वाल मा अल्लु , चा , सेव की खेती कराण बि त अंग्रेजुं ही सिखाई छे। किंतु अबै दैं अंग्रेज साब लोग धोखा दे गेन, यु पैलु धोखा छौ अर अंग्रेज लाट साब राजपाठ नेहरू जी तैं देक अपण देस वापस चलि गेन। लोगुंन नयो नाड़ु -निसुड़ , नयो हौळ-ज्यु , नयी सोटी, पैळयां कुटी , दाथि , सब्बळ ढैपर धौर दे।
तब पंडित गोबिंद बल्ल्भ पंत जीक उत्तर प्रदेस मा राज छौ। पंत जीन बि सम्पूर्णा नन्द जीक हाँ मा हाँ मिलांद बोलि बल पहाड़ों मा औषधीय वनस्पति उगाये जाली अर सरकार मदद देलि। लोगुंन नाड़ु -निसुड़ , नयो हौळ-ज्यु , नयी सोटी, पैळयां कुटी , दाथि , सब्बळ ढैपर बिटेन गाडि अर चौक मा धौरि दे। लोगुं तैं पंडित गोबिंद बल्ल्भ पंत जी पर भरवस छौ। पर पंडि जी दिल्ली चल गेन अर लोगुंन औषधीय वनस्पति का वास्ता निड़युं नाड़ु -निसुड़ , हौळ-ज्यु , सोटी, पैळयां कुटी , दाथि , सब्बळ फिर से ढैपर दे धौर. पर मखुली बोडिक बुबा जीन औषधीय वनस्पति का वास्ता निड़युं नाड़ु -निसुड़ , हौळ-ज्यु , सोटी, पैळयां कुटी , दाथि , सब्बळ मखुली बोडिक ससुराल पौंछे दे कि कुज्याण कखि औषधीय वनस्पति की खेती करणो बान जरूरत पोड़ि तो बेटी तैं क्वी परेशानी नि हो।
भौत दिन तक पहाडुं मा औषधीय वनस्पति की खेतीक बात बंद राइ शायद। किन्तु एक दिन गांमा हल्ला ह्वे गे कि उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्र्याणि सुचेता कृपलानी चाणि च बल पहाडुं मा औषधीय वनस्पति की खेती हो। लोग सुचेता कृपलानी पर विश्वास करदा छा अर लोगुंन औषधीय वनस्पति का वास्ता निड़युं नाड़ु -निसुड़ , हौळ-ज्यु , सोटी, पैळयां कुटी , दाथि , सब्बळ फिर से ढैपर से उठैक चौक मा धौरि दे। पर पता नि सुचेता कृपलानी स्याइ या जगमोहन सिंग नेगी या रामप्रसाद बहुगुणा से गेन धौं पर पटवारी जी -पधान जीमा औषधीय वनस्पति बारा मा क्वी खबर नि ऐ। एक घाम -बरखा-जड्डू नाड़ु -निसुड़ , हौळ-ज्यु , सोटी, पैळयां कुटी , दाथि , सब्बळन चौक मा ही बताइ। पहाड़ी लोग उन बि बणिया लोगुं पर क्या , नेताओं पर बि विश्वास कर ही लींदन। तो सब साजो सामन फिर से ढैपर ना पर गौशाला जोग करे गे।
फिर सुंनसान राइ अचाणचक खबर आइ कि उत्तर प्रदेस का लौह पुरुष चन्द्र भानु गुप्ता पहाड़ों तैं औषधि क्षेत्र बणाण चाणा छन। त लोगुन औषधीय वनस्पति का वास्ता निड़युं नाड़ु -निसुड़ , हौळ-ज्यु , सोटी, पैळयां कुटी , दाथि , सब्बळ तैं फिर से घाम तपाये अर कुछ समय बाद सबि चीजुं तैं गोशालक कूण्या जोग कार।
त्रिभुवन सिंग अर चरण सिंग, कमलापति त्रिपाठी से पहाड्यूं तैं निराशा की ही आशा राइ तो औषधीय वनस्पति का वास्ता निड़युं नाड़ु -निसुड़ , हौळ-ज्यु , सोटी, पैळयां कुटी , दाथि , सब्बळ सन्नी /छन्नी का कूण्या जोग रैन।
अचानक खबर आयि बल हेमवती नंदन बहुगुणा मुख्यमंत्री बण गेन। बहुगुणा जीन औषधीय खेतीक बात नि करी पर आस मा मखुली बोडिक नौनान औषधीय वनस्पति का वास्ता निड़युं नाड़ु -निसुड़ , हौळ-ज्यु , सोटी, पैळयां कुटी , दाथि , सब्बळ सन्नी /छन्नी तैं घाम तपै करै इ दे।
फिर जब नारयण दत्त तिवाड़ी मुख्यमंत्री बणिन तो बिचारा संजय गांधीक चप्पल उठाण मा इ व्यस्त रैन या अब पता चलणु च कि तिवाड़ी जी प्रोफेसर शेर सिंह का ड्यार चक्कर मारण मा व्यस्त रैन या इंदिरा हृदयेश तैं राजनीति का पाठ पढाणम व्यस्त रैन तो औषधीय वनस्पति का वास्ता निड़युं नाड़ु -निसुड़ , हौळ-ज्यु , सोटी, पैळयां कुटी , दाथि , सब्बळ सन्नी /छन्नी का कूण्या जोग हुयां रैन।
फिर तो पता नि दुसल उत्तर प्रदेश मा मुख्यमंत्री बदलेणा रैन अर हरेक मुख्यमंत्री पहाड़ों की औषधीय वनस्पति की असीम संभावनाओं गंभीर छ्वीं बि लगाणा रैन। किंतु औषधीय वनस्पति का वास्ता निड़युं नाड़ु -निसुड़ , हौळ-ज्यु , सोटी, पैळयां कुटी , दाथि , सब्बळ सन्नी /छन्नी का कूण्या से भैर नि ऐ सकिन।
उत्तराखंड का आंदोलनकारयुंन लोगुं तैं भरवस दिलै छौ कि एक दिन पहाड़ औषधीय वनस्पति प्रदेश बौणल। किंतु जब आंदोलनकार्युं तैं वोट इ नि मिलेन त औषधि वनस्पति प्रदेस की क्यांक बात करण।
जन लोग श्राधुं टैम पर अपण ब्वै बाबुं तर्पण दींदन उनि हरेक मुख्यमंत्री कबि कबि बुल्दा अवश्य छा कि उत्तराखंड में औषधि वनस्पति की खेती होनी चाहिए किंतु अब नेता त ना किंतु लोग चतुर ह्वे गेन। जनि मुख्यमंत्री बुलद कि पहाड़ों में औषधीय वनस्पति उगाई जायेगी तनि लोग गां से भाज जांद छा।
परसि हरीश रावतन भाषण देन अर ब्याळि मखुलि बोडि गौशाला गे अर सड्यां निड़युं नाड़ु -निसुड़ , हौळ-ज्यु , सोटी, पैळयां कुटी , दाथि , सब्बळ पर आग लगैक ऐ गे
आज सुबेर सुबेर तिरासी चौरासी सालक मखुली बोडि अपण झड़नात्यूं लेक कोटद्वार ऐ गे। अर मखुली बोडि तैं पक्को विश्वास च कि सन 2047 मा बि उत्तराखंडौ मुख्य्मन्त्रिन भाषण दीण कि उत्तराखंड में औषधीय वनस्पति की खेती की जानी चाहिए किंतु निड़युं नाड़ु -निसुड़ , हौळ-ज्यु , सोटी, पैळयां कुटी , दाथि , सब्बळ प्रयोग तबि बि नि होलु ।
Copyright@ Bhishma Kukreti 6 /12 /2014
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
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