Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 360745 times)

Bhishma Kukreti

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 Best  Harmless Garhwali Humor  , Satire, Wit, Sarcasm , Garhwali Vyangya , Garhwali Hasya


                                         फेसबुक माँ घट्ट /घराटौ फोटो अर इन्नोवेसन इन गढ़वाळ

                                          खरोळया ,  खुचर्यट्या, खमखमो  : भीष्म कुकरेती

                     परसि मि अपण गौं मा  छौ अर मीन अपण गांवक उजड़ीं तिबार्युं फोटो फेसबुक मा क्या डाळि कि फेसबुक का प्रवासी फेसबुक्या पहाड़ी  गाँव की उजड़ती व्यवस्था, उजड़दा कूड़ों अर   पलायन पर इथगा रोइन कि ऊँका आंसू फेसबुक से बगद -बगद म्यार गौं तक पौंछि गेन। भूको तैं एक कत्तर रुटी मिल जावो अर फेसबबुक का पोस्टकार तैं Likes व कमेंट्स मिल जावन तो वो अफु तैं स्वर्गवासी समजण मिसे जांद। अर बेथां Likes अर कमेंट्स से मि गद गद ह्वे ग्यों, म्यार रोम रोम पुळेण बिसे गेन अर मि स्वर्गवासी सि ह्वे ग्यों। फेसबुक का Likes -कमेंट्स से प्रेरित ह्वेक मीन गदन जैक बांज पड्या क्याड़ -झ्याडों रौ की फोटो लेन अर  फेसबुक मा पोस्ट कर देन।  बांज पड्या क्याड़ -झ्याडों रौ फोटो देखिक प्रवासी फेसबुक्योंन अपण गाँव वळु तैं चट्टेलिक  खूब गाळी देन जु अपण बांज पड्या क्याड़ -झ्याडों रौ तैं छोड़िक नौकरी खोज मा देस ऐ गेन। मि हौर प्रेरित ह्वे ग्यों अर फोटो खैंचणो घराट -घट्ट जिना चल ग्यों।  फोटो खिंचणो इ छौ कि मि तैं कैन धै लगै -" ये भीषम ! ये भीषम ! "। मीन इना -उना द्याख पर क्वी नि दिखे।  मेरी ददि अर ब्वेन बतयूं छौ कि घट्ट का पास भूत नि हूंदन त मि उन नि डौर पर बि डर त हुंदी च। मि इना उना हिरणु छौ कि घट्ट बटें अवाज ऐ।
घट्ट -ये भीषम ! मि घट्ट बुलणु छौं।
मि -घट्ट ?
घट्ट -क्यों जब तू बांज पड्यां रौ की फोटो से फेसबुक्या प्रवास्युं तैं रुलै सकद त मि घट्ट ह्वेक नि बचळे सकुद।
मि -हाँ , या बात त सै च।
घट्ट -अच्छा तो तू बि हौर प्रवास्युं तरां मेरी फोटो लीणो अयुं होलि हैं ?
मि -हाँ।
घट्ट -तीन मेरी फोटो याने घट्ट , घराट , पनचक्की की फोटो लेक क्या करण ?
मि -फेसबुक मा डळलु। 
घट्ट -अर शीर्षक मा लिखिल कि -उजड़ते घट्ट -घराट-पनचक्कियां  और ग्रामीण बजार में चमकती  बिजली की चक्कियां।  फिर तू अपण गौं वळु पर दोषारोपण करिल कि ये जाहिल लोग अपनी संस्कृति छोड़ बजारी चक्कियों का आटा खा रहे हैं।
मि -त्वे तैं कनकै पता कि हम प्रवासी चाहते हैं कि ग्रामीण अभी भी आदि वासी जिंदगी बिताएं और अपनी संस्कृति बचाएं। हैं ?
घट्ट -अरे जथगा बि मेरी , उर्ख्यळ -गंज्यळु ,  जंदरुं फोटो फेसबुक मा पोस्ट करदन वु सब यांको इ रुण रुंदन कि गाँव वाळ गौं तैं बर्बाद करणा छन , कुछ नि करणा छन।
मि -पर हम प्रवासी और कर बि क्या सकदवां ?
घट्ट -हाँ ! तुम गढ़वाल का गढ़वळि अर प्रवासी गढ़वळि रुणो अलावा कौर बि सकदां ? निक्कज्जा गढ़वळि कहींके ! अरे ये अळगस्युं गोशी लोगो !   यदि घट्ट -घराट , खेती खतम हूणि  च त कुछ नया किलै नि सुचदा ?
मि -हम प्रवास माँ रैक क्या कर  सकदां ?
घट्ट -यां रुण -धूणो जगा इन्नोवेट त कौर सकदां कि ना ? अब जन कि म्यारि उदाहरण लेदि।  चूँकि बिजली चक्की से मेरि जरूरत अब नी च तो घट्ट -घराट -पनचक्की मा यदि सुधार यानी टेक्निकल इम्प्रूवमेंट करे जाव तो नया तराका घट्ट गढ़वळयुं वास्ता उत्पादन का नया स्रोत्र नि बण सकुद क्या ?
मि -हाँ पर !
घट्ट -पर क्या मेरी वर्टिकल ऊर्जा तैं लौंगिच्यूडनल इनर्जी मा बदलिक क्या नि करे सक्यांद ?
मि -हाँ पर ?
घट्ट -मेरी इनर्जी से गदनौ पाणी मथि धार तलक लिजाँद तुम गढवळयूँ तीक टुटी गे क्या ?
मि -हाँ पर ?
घट्ट -तुम गढ़वाळ का गढवळयूँ  अर प्रवास का गढवळयूँ तैं इन्नोवेसन  गढ़वाल अर इन्नोवेसन फोर गढ़वाल की वैचारिक क्रान्ति लाण चयेंद कि ना ?
मि -हाँ मेक इन इंडिया का तहत मेक इन गढ़वाल एवम  इन्नोवेसन इन गढ़वाल फॉर गढ़वाल की विचारधारा तो मुंबई मा बैठिक बि उरये सक्यांद।
घट्ट -एक बात बथादि कि  इन्नोवेसन का वास्ता तीन आवश्यकताएं क्या छन ?
मि -पैली च आधारभूत आवश्यकता
घट्ट -दुसर बात ?
मि -फिर सक्षम लोग जु तकनीक मा बदलाव लावन अर जु तकनीक तैं प्रयोग कर सौकन।
घट्ट -तिसरी  बात ?
मि -इन्नोवेसन तैं प्रयोगिक धरातल पर लाणो वास्ता संसाधन।
घट्ट -अर फिर इन्नोवेसन का रस्ता क्या छन ?
मि -ज्ञान ,इन्नोवेसन का प्रति एक सकारात्मक सामाजिक सोच , निर्णय , इन्नोवेसन की सोच तैं प्रयोगिक धरातल पर लाण अर फिर इन्नोवेसन का प्रयोग।  फिर हर पग पर इन्नोवेटिव रूप से इम्प्रूवमेंट।
घट्ट -क्या इन्नोवेसन केवल तकनीक याने वैज्ञानिक तकनीक तक ही सीमित हूंद ?
मि -नै नै ! इन्नोवेसन तो विचार से हूंद। हरेक क्षेत्र मा इन्नोवेसन की जरूरत हूंदी।
घट्ट -तो सूण ! तू म्यार फोटो ना ले अर फेसबुक्यों तैं नि रुला अपितु फेसबुक्यों का मध्य इन्नोवेसन इन गढ़वाल फौर गढ़वाल की विचारधारा की बात कर।  अब  जा ! अर इन्नोवेटिव विचारों से इन्नोवेसन इन गढ़वाल फौर गढ़वाल की विचारधारातैं दुनिया मा फैला।



18/1/15,  Bhishma Kukreti , Mumbai India

   *लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।

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                    स्वच्छ भारत  , स्वच्छ भारत , बुद्धिमान भारत!


Bhishma Kukreti

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                                                    चाउ -माउ कुण चिट्ठी

                                        चबोड़्या सर्यूळ  ::: भीष्म कुकरेती

प्रिय चाउ -माउ !
वु दिन कबि नि आइ जै दिन मीन  त्यार विषय मा नि स्वाच। मीन त्यार विषय मा नेताओं से ज्यादा स्वाच जथगा यी नेता   उत्तराखंड तैं खंद्वार बणानो बान सुचदन।  मि तैं अपण बूड -खूडूं पर गुस्सा आंद जौन तेरी खोज नि कार अर फोकट मा सत्तू , बुखण , खाजा तैं फास्ट समजणा रैन।  म्यार प्रेम कु त्याग  देख त सै ! म्यार भैजिन दुसर कज्याणि बान पुराणि बौ छवाड़ अर मीन त्यार प्रेमौ खातिर अपण लोक भोजन ही त्याग दे। मि अब काम करद त्यारि त्यारि बारा मा उंगद , त्यारि सुपिन दिखुद अर हर समय तेरी कामना करद।
मि तैं ऊं लोगुं से बड़ी चिढ हूंद जु त्वे तैं पाणो बान म्यार दगड़ छौंपा -दौड़ , प्रतियोगिता करदन। लोग बाग़ बस पकड़णो बान बसौ पैथर अटकदन अर मि बस त्यार स्वादों बान अटकदु ।  लोग बाग देहरादून बसणो कामना करदन अर मि ऊँ तैं समजान्दु कि जब चाउ -माउ गढ़वाळम उपलब्ध च तो देहरादून बसणो जरूरत क्या च ?

                                                       हाँ जरा यी चाउ -माउ  होटल वळु से विनती च -

ठीक च बल म्यार भैजि अपण नै कज्याणि बिगरौ मा पुरण बौ तैं बिसरणो कोशिस मा लग्युं च पर पुरण कज्याणिक गुण कोशिस करणो बाद बि नि बिसर सकणु च।  उनि मि चाउ माउ का प्रेम मा मि पगलाणु छौं किन्तु जख्या भंगुल का स्वाद नि बिसर सकणु छौं।  अतः होटल वळु से मेरी विनती च कि चाउ -माउ मा जख्या भंगलो तड़का अवश्य लगावन !
उनि यि होटल वाळ चाउ माउ खलाण से पैल चीनी सूप पिलान्दन।  पर जु मजा कंडाळी स्वाद मा आंद उ मजा चीनी सूप मा थुका आंद तो चाइनीज सूप की जगा कंडाळी परोसा कारो। 

                                                   उत्तराखंड सरकार से विनती

 एक त चाउ -माउ तैं राजकीय नास्ता घोषित कारो अर चाउ -माउ पर सब्सिडी का इंतजाम कारो।

विनीत ------------
एक खौल्या बीर जैकि धीत नि भर्यान्दि !

19/1/15 ,  Bhishma Kukreti , Mumbai India

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                                       ओपिनियन पोल से हौर बि कनफ्युजाण  सरणि च

                                               कनफ्यूजन  मा : भीष्म कुकरेती

राजनैतिक पार्टी रणनीतिकार - देख उप रणनीतिकार ! आज श्याम छै हरेक टीवी चैनेल  मा दिल्ली चुनावुं पर ओपनियन पोल की झड़ी लगण   वाळ च उन तो हम तैं ओपिनियन पोलुँ सर्वे से अपण रणनीति बणाणम  मदत नि मिलदी ।  तो चलो जरा ओपिनियन पोल देखिक हँसे ही जावो।  तो चलो दिखे जाव कि ओपिनियन पोल क्या पोल खुल्दन धौं।
राजनैतिक पार्टी उप रणनीतिकार- हाँ अच्काल बड़ी परेशानी च। अपण भावी मुख्यमंत्री कण्डिडेटों क्या अपण ब्लॉक प्रमुखों  जमीनी पड़ताल पर विश्वास करण इनि च जन मूसु अपण ख़ास दुसमन सांप- गुरा पर विश्वास करण मिसे जाव।
राजनैतिक पार्टी रणनीतिकार-पार्टी ब्लॉक प्रमुख जमीनी हकीकत तब बतालो जब वैक खुट  जमीन मा ह्वावन।  यी त प्रदेश राजधानी या दिल्ली मा इ पड्यां रौंदन तो यूंक अवलोकन पर क्या विश्वास करण ?                       
पार्टी उप रणनीतिकार- हाँ अच्काल दुसर पार्टयुं कार्यकर्ता का ओपिनियन पर भरोसा करण सही च बजाय अपण कार्यकर्ता पर भरवस करण !
पार्टी रणनीतिकार-अच्छा ! ले सि शुरू ह्वे गे एब्वे तू बि पी कु ओपिनियन पोल।
एब्वे तू बि पी टीवी चैनेल - अब द्याखो सबसे सही ओपिनयन पोल।  हमर सर्वे मुताबिक़ दिल्ली मा  आम आदमी पार्टी तैं 46  प्रतिशत , भाजपा तैं 45. 89 प्रतिशत अर बाकी वोट फंडधुळी पार्टी अर अन्यों तैं मीलल।  हम उन त गारंटी दींदा कि हमर ओपिनियन पोल सटीक च किन्तु दस प्रतिशत प्लस माइनस की पूरी गुंजाइस च। 
पार्टी उप रणनीतिकार-एक मिनट सर !  सांख्यकी कु सिद्धांत से तो तीन प्रतिशत  स्विंग से दस बीस सीटूँ का वारा -न्यारा ह्वे जाल तो दस प्रतिशत इना उना हूण से तो फंडधुळी पार्टी बि जीत सकदी। एब्वे तू बि पी टीवी चैनेलौ सर्वे पर विश्वास कनै करे जै सक्यांद ?
पार्टी रणनीतिकार-चल रण दे।  अब परसि -नितरसिक खबर आज टीवी चैनलों सर्वे दिखला।
परसि -नितरसिक खबर आज - अब द्याखो हमर दिल्ली चुनावी सर्वे।  यु सर्वे सबसे प्रमाणिक सर्वे च।  हमर हिसाब से भाजपा तैं 39 प्रतिशत , आम आदमी पार्टी तैं 35 प्रतिशत , फंडधुळी पार्टी तैं 19 प्रतिशत , पिटीं पार्टी तैं 3 प्रतिशत अर बकै अन्य का खाता माँ वोट जाल।
पार्टी उप रणनीतिकार- पर ! पिटीं पार्टी कु विलय तो लोकसभा चुनाव मा हमर पार्टी मा ह्वे गे छौ तो फिर पिटीं पार्टी का नाम सर्वे मा कखन आयि ?
पार्टी रणनीतिकार-अरे ! मि तैं लगणु च कि ये चैनलन पांच साल पैल जु सर्वे कौर छौ वै सर्वे तैं उलटु करिक दिखाई।
पार्टी उप रणनीतिकार-मतबल फंडधुळी पार्टी जगा आम आदमी पार्टी बदल अर   बकै उनि रण दे।
पार्टी रणनीतिकार-हाँ।
पार्टी उप रणनीतिकार-अब बताओ मीडिया तो झूट बुलण मा हम राजनीतिज्ञों से बि अग्नै बढ़ गे।
पार्टी रणनीतिकार-अच्छा चल।  वैन तैन क्या ब्वाल टीवी चैनेलो सर्वे बि आण वाळ च।  टीवी चैनेल बदल।
 वैन तैन क्या ब्वाल- हमर सर्वे ही विश्वासी सर्वे च।  हमर सर्वे पर हरेक राजनीतिक पार्टी बि विश्वास करदी। हमर सर्वे का हिसाब से भाजपा तैं 32 प्रतिशत , आम आदमी पार्टी तैं 32 प्रतिशत , फंडधुळी पार्टी तैं 30 प्रतिशत अर सियीं पार्टी तैं 2 प्रतिशत। 
पार्टी रणनीतिकार-वैन तैन क्या ब्वाल चैनेल तैं हमन अपण फेवर मा सर्वे दिखाणो कथगा रुपया दे छौ ?
पार्टी उप रणनीतिकार-आजि मि द्वी करोड़ रुप्या देक औं।
पार्टी रणनीतिकार-मतबल सबि पार्टयूंन ये चैनेल तैं दु दु करोड़ रुप्या पौंछे ऐन तो एन सब्युं तैं बरोबर वोट दिलै देन।  सूण सबि चैनेल वाळु तैं अब पैसा तबि दीण जब यी सर्वे बतै द्यावन।
पार्टी उप रणनीतिकार-सर ! यी माणदा इ नि छन।  जब तक पैसा पैल नि पौंछ जांद यी हमर वोट प्रतिशत अधिक नि
पार्टी रणनीतिकार- अरे पर हम तैं लोगुं ओपिनियन तो पता लगाण इ पोड़ल कि ना ?
पार्टी उप रणनीतिकार- अब अपण पार्टी कार्यकर्ताओं पर विश्वास हूंद नी च , अखबार अर टीवी चैनेल तो पेड सर्वे दिखाँदन तो रणनीति बणाणो बान सीधा वोटरूं से सम्पर्क करूद।
पार्टी उप रणनीतिकार (फोन पर ) - हेलो वोटर जी ! जरा इन त बताओ कि तुम कै तैं वोट दीणा छंवां ?
वोटर - अरे ! मि त टीवी अर अखबारुं सर्वे पर निर्भर छौ कि मि ओपिनियन पोल देखिक वोट देलु।  पर  ....
पार्टी उप रणनीतिकार- पर क्या ?
वोटर - पर टीवी अर अखबारुं ओपिनियन पोल से तो मि और बि कनफ्यूज ह्वे ग्यों।  मेरी समजम इ नि आणु च कि यदि ओपिनियन पोल वैज्ञानिक पद्धति से हून्दन त हरेक टीवी चैनेल का ओपिनियनुं मा जमीन असमानौ अंतर किलै ? मि त कनफ़्यूजे ग्यों।


20/1/15 ,  Bhishma Kukreti , Mumbai India

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Bhishma Kukreti

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Best  Harmless Garhwali Humor  , Satire, Wit, Sarcasm , Garhwali Vyangya , Garhwali Hasya on Irrelevancy of Congress /Political Party

                            कॉंग्रेसी नेता अजय माकन बेगाना शादी में अब्दुला दीवाना
                                    चबोड़्या : भीष्म कुकरेती
               दिल्ली का चुनाव बथाणा छन बल भाग्य कब बदल्द क्वी नि जाणि सकुद , कब भाग्य उदित हूंद क्वी नि जाणि सकुद अर क्वी नि बथै सकुद कि कब क्वा राजनीतिक पार्टी औचित्यविहीन ह्वे जाली !
         ब्याळि अपण औचित्य साबित करणो विशेषज्ञ कजीरवालन भाजपा की नेत्यांणि किरण बेदी तैं एक मंच पर बहस करणो चुनौती ज्यादा - न्यूत कम , न्यूज मा रौणो बान आमंत्रण दे।  किरण बेदिन त  बोलि दे बल मीन  दिल्ली घुमण , दिल्ली की हरेक गली मा लोगुं से मिलण , दिल्ली मा मोफत मा आश्वासन बंटणन तो मीम क्या म्यार कुत्ता मा बि टैम नी च।  कजीरवालम बि कख बगत च फोकट की बहस करणो पर न्यूज मेकिंग रणनीति का तहत केजरीवालन अपण पैल पत्ता फेंक अर ब्याळि टीवी चैनलों मा यू इ घ्याळ  हूणु रै।  अर कॉंग्रेस का भावी मुख्यमंत्री अजय माकनन जोरक धै लगै बल मि केजरीवाल से बहस करणो तैयार छौं। पत्रकार , नेतौं अर लोगुं पर त कुछ फरक नि पोड़ पर दिल्ली की सडकुं पर पड्यां पंदरा -बीस सालक गड्ढा , पचास साल पुरण कूड़ा का ढेर अर गंदगी से भरीं यमुना नदी का कीड़ा , बैक्टीरिया -वाइरस बि हँसण मिसे गेन।  एक यमुना कु भयंकर बीमारी फैलाण वळ कीड़ान त बोलि बि दे - अरे जब नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव मा मनमोहन सिंग जी अर राहुल गांधी तैं अमिण -समिण  बहस करणो चुनौती दीणु छौ त कॉंग्रेसी नेता कपिल सिब्बल पत्रकार सम्मेलन मा जंगड़ ठोकिक बुलणु छौ कि नरेंद्र मोदीक औकात क्या च ,  यदि बहस इ करणाइ त म्यार दगड़ कारो।   खैर तब बि अमेरिकन स्टाइल मा नरेंद्र मोदी अर राहुल गांधी की बहस नि ह्वे अर अब बि कजीरवाल अर किरण बेदी मा बहस नि हूण।  पर बिचारो  अजय माकन ही ना हरेक कॉंग्रेसी प्रवक्ता किराणा छन कि टीवी चैनेल हम कॉंग्रेस्यूं तैं औचित्यबिहीन बथै द्यावो किन्तु राहुल गांधी तो अब बि रेलीवेंट च (कॉंग्रेस्यूं कुण ) । अजय माकन की यीं इन हिकमत तैं हिराकत की नजर से दिखे गे अर बुले गे बल मान ना माँ मै तेरा मेहमान या बेगानी शादी में अब्दुला दीवाना।
मि तैं एक ब्यावो समळौण अबि बि च।  एक बरात धार पोर जाणि छे।  रस्ता मा ब्यौला बुबा तैं एक जाण पछ्याणक बुड्या मिल ग्याइ।  ब्यौलाक बुबान गिच्च खतणो बान बुड्या तैं बरात मा चलणो न्यूत दे द्याई।  बुड्या तयार ह्वे गे। बरात ब्योलि गाँव पौंछ , बरातखाना मा जनि बरात पौंछ कि बुड्या पर पौणाट ( मेहमान का चरित्र ) लग गे अर घरात्यूं तैं उचकाण -दनकाण लग गे  - दर्री ठीक नी च , चा मा चिन्नी नी च , पाणि पिलाणो सवर नी च , तमाखु खिरकण्या च।  ब्योला पर पिठै ठीक से नि लग।  घराती बुड्या से परेशान ह्वे गे छा।  अंत मा ब्योलिक ददान ब्योलाक बुबा तैं पूछ - समदी जी ! यू पौण छ को च ? क्या तुमर रिस्तेदार च ?
ब्योलाक बुबाक उत्तर छौ - वैपर ध्यान नि द्याओ , उ म्यार दूरक बि रिस्तेदार नी च , बुड्या तो खामखाँ कु पौण च।
असल मा बरात रूपी दिल्ली चुनाव मा कॉंग्रेसी खामखाँ का बराती मालुम पड़ना छन।
 अचकाल कॉंग्रेस का, कॉंग्रेसी नेताओं अर कॉंग्रेस समर्थक पत्रकार बिनोद शर्मा या कुमार केतकर का बुरा हाल छन कि लोग कॉंग्रेस का औचित्य किलै स्वीकार नि करणा छन ?
यदि कॉंग्रेस आज इर्रेलेवेंट या औचित्यहीन , प्रसांगिकहीन या बेमतलब ह्वे गे तो उखमा कॉंग्रेस ही जुम्मेवार च।
लोकसभा चुनावुं  मा तो आप पार्टी बि हार किन्तु आप पार्टिन दिल्ली मा जोर से जनसम्पर्क बढ़ाण शुरू कार , आप नेताओंन अपण कार्यकर्ताओं दगड़ सम्पर्क बढ़ाण बंद नि कार अर भाजपा की कमजोर जगा पर हमला कार , तीर चलैन तो कॉंग्रेस का नेता राज्यसभा माँ धर्मांतर पर संसद नि चलण पर राहुल गांधी अर सोनिया गांधी तैं वधाई दीण मा व्यस्त रैन।  दिल्ली कॉंग्रेस अध्यक्ष लवली भाजपा का विरोध वूं मुद्दों पर करणु छौं जौं मुद्दों पर कॉंग्रेस अभियुक्त छे। आप पार्टी दिल्ली  विधानसभा भंग करणो आंदोलन मा अग्ल्यारी लीणी छे त कॉंग्रेसी आप पार्टी की पिछलग्गू बणन माँ अग्वाड़ी छे. आप पार्टी जनसम्पर्क मा व्यस्त छे तो कॉंग्रेसी जनसम्पर्क से भागणी छे।
आप पार्टी अधिक प्रमाणिक बणनो बान कार्यरत छे, प्रमाणिकता कु ढोल बजाणी छे तो कॉंग्रेस सेक्युलर कु राग बजाणि छे।  आज जब  सेक्युलर राग से अल्पसंख्यक बि बितकणा छन , दूर भगणा छन तो सेक्युलर राग गाणो क्या आवश्यकता ? औचित्यबिहीन दुशाला पैरिक कॉंग्रेस हौर बि औचित्यबिहीन ह्वे गे।
आप पार्टी चुनावी विशेषग्यता हासिल करणो बान हाथ पैर मारणी छे तो कॉंग्रेस मा अनावश्यक गुटबाजी अग्वाड़ी दिखेणि छे।  आप पार्टी लोकसभा चुनाव हारणो बाद दिल्ली चुनाव जितणो रणनीति मा व्यस्त छे तो कॉंग्रेस मा चुनावी तयारी कखि नि दिखेणि छे।
आप पार्टी दिल्ली की जन समस्याओं बान खटकर्मुं मा व्यस्त छे तो कॉंग्रेसी  राहुल गांधी तैं खुश करणो खटकर्मों मा व्यस्त छया।
आप पार्टी लोकसभा चुनाव हारणो बाद अधिक दुःसाहसी कार्यों मा संलग्न दिखेणि छे तो कॉंग्रेस कु साहस ही खतम दिख्याणु छौ।
आप पार्टी अपण शत्रुओं पर अधिक तेज़ाब फेंकणी छे तो कॉंग्रेस का पास क्वी तेज़ाब इ नि छौ।
लोकसभा चुनावुं बाद आप पार्टी की दिल्ली चुनाव संबंधी गति मा तेजी ही आई तो जनता तैं कॉंग्रेस गतिविहीन ही ना प्राणविहीन दिखे।
जब हारणो बाद धर्मांतर सरीखा औचित्यबिहीन हथियार से लड़े जावो , विशेष्यग्ता छुड़े जाव , जनसमस्या संबंधित षट्कर्म या खटकर्म छुड़े जावन, साहस छुड़े जावो , शत्रु दंश का तेज़ाब खतम ह्वे जावो , जनसम्पर्क ही नि ह्वावो तो 130 साल पुराणी पार्टी औचित्यबिहीन अवश्य ही होली।  आज टीवी चैनेलुं बहस मा कॉंग्रेसी प्रवक्ताओं तैं टीवी ऐंकर से प्रार्थना करण पोड़द कि हम से बि सवाल पूछो , हम तैं बि मेहमान मानो।  असल मा भारतीय प्रजातंत्र का वास्ता 130 साल पुराणि पार्टी को इन कुहाल ठीक नी च।
इनि  लोकसभा चुनावुं से एक साल पैल भाजपा बि तो उत्तर प्रदेश मा औचित्यबिहीन ही छे कि ना ?


21/1/15 ,  Bhishma Kukreti , Mumbai India

   *लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।

Best of Garhwali Humor in Garhwali Language on Irrelevancy of Congress /Political Party ; Best of Himalayan Satire in Garhwali Language on Irrelevancy of Congress /Political Party; Best of  Uttarakhandi Wit in Garhwali Language on Irrelevancy of Congress /Political Party; Best of  North Indian Spoof in Garhwali Language on Irrelevancy of Congress /Political Party; Best of  Regional Language Lampoon in Garhwali Language on Irrelevancy of Congress /Political Party; Best of  Ridicule in Garhwali Language on Irrelevancy of Congress /Political Party ; Best of  Mockery in Garhwali Language  on Irrelevancy of Congress /Political Party; Best of  Send-up in Garhwali Language on Irrelevancy of Congress /Political Party ; Best of  Disdain in Garhwali Language on Irrelevancy of Congress /Political Party; Best of  Hilarity in Garhwali Language  ; Best of  Cheerfulness in Garhwali Language on Irrelevancy of Congress /Political Party ;  Best of Garhwali Humor in Garhwali Language from Pauri Garhwal on Irrelevancy of Congress /Political Party ; Best of Himalayan Satire in Garhwali Language from Rudraprayag Garhwal on Irrelevancy of Congress /Political Party ; Best of Uttarakhandi Wit in Garhwali Language from Chamoli Garhwal on Irrelevancy of Congress /Political Party ; Best of North Indian Spoof in Garhwali Language from Tehri Garhwal on Irrelevancy of Congress /Political Party ; Best of Regional Language Lampoon in Garhwali Language from Uttarkashi Garhwal on Irrelevancy of Congress /Political Party ; Best of Ridicule in Garhwali Language from Bhabhar Garhwal on Irrelevancy of Congress /Political Party ; Best of Mockery  in Garhwali Language from Lansdowne Garhwal  on Irrelevancy of Congress /Political Party; Best of Hilarity in Garhwali Language from Kotdwara Garhwal on Irrelevancy of Congress /Political Party ; Best of Cheerfulness in Garhwali Language from Haridwar on Irrelevancy of Congress /Political Party ;

Garhwali Vyangya , Garhwali Hasya,
                    स्वच्छ भारत  , स्वच्छ भारत , बुद्धिमान भारत!



Bhishma Kukreti

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Best  Harmless Garhwali Humor  , Satire, Wit, Sarcasm , Garhwali Vyangya , Garhwali Hasya on Job Description


                        असलियत मा कु क्या काम करद ?

                                     असली जौब डिस्क्रिप्सन

                                    चबोड्या : भीष्म कुकरेती


 जब कै तैं अप्वाइंटमेंट लेटर मिल्दो तो उख मा जौब डिस्क्रिप्सन या कार्य विवरण हूंद।  असल मा यु कार्य विवरण फाइलूँ बान ज्यादा हूंद अर कारिंदा असल मा कुछ हौरि करद।
माइक्रोबायोलॉजिस्ट --- द्रव तैं एक ट्यूब बिटेन हैंक ट्यूब मा डाळण।
विद्यार्थी -- वु चीज पढ़न जु वैक कामक नी च अर फिर पेपर दींद दैं लिखण बि कि यि चीज वैकुण भौति महत्वपूर्ण छन
 टैक्स अकाउंटैंट - एक कागज से कुछ संख्या दुसर कागज मा दुसर फॉर्मेट मा बदलण अर फिर सरकारी विभाग का हिसाब से  तिसर फॉर्मेट मा बदलण अर तिसर कागज तैं टैक्स विभाग मा जमा करण।
ग्राहक समाधान इंजीनियर - सेल्स मैनु तैं कठिन कठिन शब्दुं द्वारा प्रोडक्ट ज्ञान दीण अर ग्राहक समिण रोइ रोइक शिकैत करण  कि यी सेल्समैन ट्रेनिंगौ बगत से जांदन।
पर्सनल डेवलपमेंट कंसल्टेंट - यु सिखाण कि बौस तैं खुस करणो बान कै तरां से बार बार , लगातार झूठ बुलण।
अध्यापक - छ्वारों तैं शिकैत करण सिखाण पर इन नि सिखाण कि एक शिकैतै हैंक शिकैतै मध्य अंतर हूण चयेंद।  तबि त जब प्रिंसिपल साब विद्यार्थ्युं शिकायत पढ़दन तो ऊंक समझ मा नि आंद कि शिकैत कैंटीन का बारा मा च या शौचालय का बारा मा च।
  सॉफ्ट वेयर  सेल्समैन - अपण कम्पनी  तैं  हौर बि धनी बणाणो बान गरीबुं तैं वु सॉफ्टवेयर बिचण जांक वै तैं जरूरत ही नि हो।
युवाओं वास्ता लिखण वाळ  उपन्यासकार -धमाका शब्द का सौ पर्यायवाची शब्दों जानकार
गढ़वाली फिल्मकार - हिंदी फिल्मुं  का   बेकार  नकलकार
विज्ञापन प्रबंधक - झूठ तैं सच दिखाणो जादूगर
ऑडिटर - युद्ध का बाद आण वाळ अधिकारी जु घायलों शरीर पर सुई पुडै  पुडैक खोज करद।
सरकारी सिविल इंजीनियर - भवन या रास्ता या इंफ्रास्ट्रक्चर की योजना बणाण वाळ अर ये तैं पता हूंद च कि एकि बणयीं योजना का हिसाब से काम कतै नि हूण
जाजौ पाइलेट - हर समौ खिड़की से भैर दिखण वाळ
माल प्रबंधन - लालच तैं बढाणो तरकीब खुज्याण वाळ
कॉंग्रेसी महासचिव - नेहरू -गांधी वंदना
भाजपाई महासचिव - राष्ट्रीय स्वयं संघ वंदना
एडीएमके / तृणमूल कॉंग्रेसी संसद सदस्य - संसद मा हरेक बात जै हो अम्मा /जै हो ममता दीदी वाक्य से शुरुवात

बकै अगला अध्याय मा ..................


24/1/15 ,  Bhishma Kukreti , Mumbai India

   *लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।

Best of Garhwali Humor in Garhwali Language ; Best of Himalayan Satire in Garhwali Language ; Best of  Uttarakhandi Wit in Garhwali Language ; Best of  North Indian Spoof in Garhwali Language ; Best of  Regional Language Lampoon in Garhwali Language ; Best of  Ridicule in Garhwali Language  ; Best of  Mockery in Garhwali Language  ; Best of  Send-up in Garhwali Language  ; Best of  Disdain in Garhwali Language ; Best of  Hilarity in Garhwali Language  ; Best of  Cheerfulness in Garhwali Language  ;  Best of Garhwali Humor in Garhwali Language from Pauri Garhwal  ; Best of Himalayan Satire in Garhwali Language from Rudraprayag Garhwal  ; Best of Uttarakhandi Wit in Garhwali Language from Chamoli Garhwal  ; Best of North Indian Spoof in Garhwali Language from Tehri Garhwal  ; Best of Regional Language Lampoon in Garhwali Language from Uttarkashi Garhwal  ; Best of Ridicule in Garhwali Language from Bhabhar Garhwal  ; Best of Mockery  in Garhwali Language from Lansdowne Garhwal  ; Best of Hilarity in Garhwali Language from Kotdwara Garhwal  ; Best of Cheerfulness in Garhwali Language from Haridwar  ;
Garhwali Vyangya , Garhwali Hasya,
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Bhishma Kukreti

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 Best  Harmless Garhwali Humor  , Satire, Wit, Sarcasm , Garhwali Vyangya , Garhwali Hasya on Job Description on Politics and Politicians

                                    राजनीति  अर राजनीतिज्ञों बारा मा रोचक कथन

                                   इकबटोळ करदार    - भीष्म कुकरेती


 १-राजनीतिज्ञ की या योग्यता हूण चयेंद कि उ /वा लोगुं तैं विश्वासपूर्वक बथाओ कि भोळ ,  हैंक हफ्ता , हैंक मैना , हैंक साल क्या क्या हूण वाळ च।  अर फिर कारण बथाओ कि इन इन किलै नि ह्वे  ( विंस्टन चर्चिल )
२-चूँकि राजनीतिज्ञ अपण बत्थुं पर बि विश्वास नि करद तो बाद राजनीतिज्ञ अपण बुल्यां शब्दों पर आश्चर्य व्यक्त करद  (चार्ल्स डि  गाल )
३- जब विधायक खरीदी अर विक्री तैं नियंत्रित करदन तबि त विधायकों  की खरीदी विधेयक से पैल हूंदी (पी जे ओ 'रूरके )
४- हरेक मा चांदि कि वींक बच्चा राष्ट्रपति बौण जा किन्तु माँ कतै नि चांदि कि ये चक्कर मा वींक पुत्र /पुत्री राजनीतिज्ञ बण जा (जॉन ऍफ़ कनेडी )
५-राजनीतिज्ञ बतांदु कि सत्य क्या च यद्यपि यु अलोकप्रिय ही किलै नि हो।  राजनीतिज्ञ तुम तैं बतांदु कि लोकप्रिय क्या च यद्यपि यु असत्य ही हो (अज्ञात )
६-राजनीतिज्ञ (पॉलिटिसियन ) आण वाळ चुनाव की चिंता करद जब कि जननेता (स्टेट्समैन )  दुसर साखी (जनरेसन ) कि चिंता करद (जेम्स क्लार्क )
७- अब मि तैं पता चल गए कि जननेता  (स्टेट्समैन ) क्या हूंद - जननेता याने मुर्दा राजनीतिज्ञ ! हम तैं जननेताओं की आवश्यकता च  ( बॉब इडवार्ड्स )
८-राजनीति एक कला च ज्वा मुसीबत खुज्याणि रौंद , राजनीति मा पता लगाये जांद कि मुसीबत कख च या कख नी च।  फिर मुसीबत का गलत ढंग से पहचान हूंद।  फिर गलत निदान करे जांद (अर्नेस्ट बन्न )
९-राजनीती मा बेतुकापन , कुतर्क क्वी अक्षमता या कमजोरी नि हूंदी (नेपोलियन बोनापार्ट )
१०- व्यवहारिक राजनीति मा असलियत , हकीकत , सच्चाई की अवहेलना ही हूंद ( हेनरी आदम )
११- राजनीति एक     इन कला च जखमा गरीबों से वोट मांगे जांदन , जखमा चुनावी अभियान का वास्ता धनियों से चंदा लिए जांद अर गरीबों से वादा करे जांद कि हम तुमतैं धनिकों से बचौला अर धनिकों तैं वादा करे जांद कि हम तुम तैं गरीबों से बचौला  ( ऑस्कार अिमिरिञ्जर )
१२- हम विश्वास करदां कि गलती मानवीय गुण च।  राजनीति माँ हरेक गलती का वास्ता विरोध्युं तैं उत्तरदायी घोषित करे जांद (हुबर्ट हम्फ्री )
१३- राजनीती ताशक खेल च। यु खेल जनता का पैसों से खिले जांद , सत्ता की शतरंज जनता नामक मोहरों /गोटियों से खिले जांद (शंकर पुणतांबेकर )
१४- नेता लोगुं जनम द्वी कामुँ बान हुयुं च - एक चुनाव लड़णो बान दुसर झंडा फैराणो बान।  चुनाव लड़न उंकी विवशता च अर झंडा फैहराण नैतिक कर्तव्य ( लतीफ घोंघी )



25/1/15 ,  Bhishma Kukreti , Mumbai India

   *लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।

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Bhishma Kukreti

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History of Cartoons in Garhwali Language from Garhwal Uttarakhand;

                                 गढवाली भाषा में व्यंग्य चित्र
 
                                   नंदन सिंह रावत मुंबई
 
 
                     भित्ति चित्रों , चित्रों से अभिव्यक्ति करने की विधा पाषाण युग से भी पुरानी कला है
चित्रों को वाणी देना इटली की देन है. चौदवीं सदी में रचित वर्जिन मेरी के मुंह से शब्दों वाला चित्र दुनिया का प्रथम व्यंग्य चित्र माना जाता है
इटली से व्यंग्य चित्र विधा इंग्लैंड होते हए न्यूयार्क  अमेरिका पंहुची . न्यूयार्क के एक दैनिक ने व्यंग्य चित्र रोजाना प्रकाशित करने शुरू किये और पाठकों को इतने भाये की सभी दैनिक व्यंग्य चित्रों को प्रोत्साहन देने लगे यहाँ तक की ब्रिटिश समाचार पत्र भी इस विधा को अपनाने को वाध्य हुए
              भारत में व्यंग्य चित्र विधा ब्रिटिश समाचार पत्रों के माध्यम से आयी . व्यंग्य चित्र के मामले में परतंत्र व स्वतंत्र भारत में सबसे पहला व प्रसिद्ध नाम शंकर पिल्लई का है
भारतीय प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरु और उनके  मंत्री शंकर रचित अपना व्यंग्य चित्र देखने को लालायित रहते थे . तत्पश्चात आर के लक्षमण का नाम अंतर्राष्ट्रीय व्यंग्य चित्रकारों में गिना जाता है . टाइम्स ऑफ इंडिया और आर के लक्ष्मण एक दुसरे के पर्याय बं चुके हैं भारत में व्यंग्य चित्र विधा भली भांति फल फूल रही है
  जहां तक गढवाल में भित्ति चित्रों व काष्ठ चित्रों का प्रश्न है यह बहुत पुरानी कला है और आज भी प्राचीन चित्र मिलते  हैं
 जहाँ तक व्यंग्य चित्रों का प्रश्न है गढवाली भाषा में यह विधा नवें दशक में ही प्रारम्भ हो पाया . हिलांस सम्पादक स्वर्गीय अर्जुन सिंह गुसाईं करण ब्ताते थे की पत्र पत्रिकाओं के धनाभाव के कारण यह विधा गढवाली भाषा में नही पंप पायी क्योंकि ब्लोक बनाने का खर्चा बहुत होता था
ओफ्फ्सेट प्रिंटिंग आने से आशा जगी थी की यह विधा फलेगी फूलेगी किन्तु लगता है व्यंग्य चित्रकारों  की कमी ही है
   जहाँ तक गढवाली भाषा व्यंग्य चित्र शैली का प्रश्न है ब्रिज  मोहन सिंह नेगी (बी मोहन  नेगी )गढवाली भाषा के प्रथम व्यंग्य चित्रकार हैं उनका प्रथम गढवाली व्यंग्य चित्र हिलांस मासिक में जुलाई १९८७ के अंक में छपा था इस व्यंग्य चित्र में एक बूढ़ा  आदमी अपने बेरोजगार पुत्र को पीटने की मुद्रा में है जो की पढ़ी लिखी भू की खोज में है . इस तरह गढवाली में व्यंग्य चित्र की शुरुवात सामाजिक  बुराईयों को दर्शाने से हुयी
    चूँकि बी मोहन नेगी मूलतः चित्रकार है तो उनके व्यंग्य चित्रों में गढवाल का परिदृश्य बहुत ही बढिया ढंग से झलकता है व्यंग्य चित्रों में सम्पूर्ण वातावरण को दर्शाने में बी मोहन नेगी ब्रटिश व्यंग्य चित्रकार स्टैन मैक के समक्ष हैं संख्या की दृष्टि से बी मोहन नेगी ने करीब तीस व्यंग्य चित्र छापे होंगे
   निखालिश गढवाली मासिक मंडाण  (सम्पादक - विनोद उनियाल ) में चित्रकार रमेश डबराल चित्र बनाते थे और विनोद उनियाल अथवा नेत्र सिंह असवाल  शब्द देते थे अतः यह एक तरह से जुगलबंदी थी
   गढवाली के प्रसिद्ध साहित्यकार , चित्रकार डा नन्द किशोर हटवाल ने भी कए व्यंग्य चित्र बनाए है
  गढवाली के चिरपरिचित कवि डा नरेंद्र गौनियल ने भी कुछ व्यंग्य चित्र बनाये हैं
   धाद मासिक में भी व्यंग्य चित्र जुगलबंदी के हिसाब से छपे हैं
इसी तरह कए पत्र पत्रिकाओं में व्यंग्य चित्र छपे हैं
जहाँ तक व्यंग्य चित्रों की संख्या का प्रश्न है भीष्म कुकरेती का नाम गढवाली भाषा में अग्रणी  है अब तक भीष्म कुकरेती के सात सौ (७०० )से अधिक व्यंग्य चित्र गढ़ ऐना , धाद, चिट्ठी पत्री जैसे पत्र -पत्रिकाओं में छप चुके हैं . भीष्म कुकरेती ने तकरीबन सभी विषयों जैसे उत्तर परदेश सरकार का पहाड़ों के प्रति उदासीन रव्या, राजनैतिक विषयों , सामजिक विषयों, गढवाली साहित्यकारों , गढवाली भाषा , शिक्षण संस्थाएं आदि विषयों पर व्यंग्य चित्र रचे हैं और छपवाए हैं. भीष्म कुकरेती ने कोमिक भी छापे हैं 
 गढ़वाळी  में व्यंग्य चित्रकार नही पनपते हैं उसका एक ही मुख्य करण है कि व्यंग्य चित्र क रचनाकार को दो विधाओं में विशेषज्ञता  हासिल होनी चाहिए और यदि किसी के पास चित्रांकन करने और व्यंग्य करने माहरथ है तो वह हिंदी में ही व्यंग्य चित्र बनाएगा जहाँ उसे अधिक ख्याति मिल पाती है
 फिर भी गढ़ जागर , रन्त रैबार , उत्तराखंड खबर सार जैसी पत्रिकाओं से हम जन सकते हैं कि इस दिशा में भी भले दिन आएंगे
(आभार " पराज मुंबई, मूल लेख  मासिक पराज मुंबई के मार्च १९९१ के अंक में छपा था
 
 

Notes on History of Cartoons in Garhwali Language from Uttarakhand; History of Cartoons in Garhwali Language from Pauri Garhwal Uttarakhand; History of Cartoons in Garhwali Language from Chamoli Garhwal Uttarakhand; History of Cartoons in Garhwali Language from Rudraprayag Garhwal Uttarakhand; History of Cartoons in Garhwali Language from Tehri Garhwal Uttarakhand; History of Cartoons in Garhwali Language from Uttarkashi Garhwal Uttarakhand; History of Cartoons in Garhwali Language published from Dehradun Garhwal Uttarakhand;
 
 
 

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Bhishma Kukreti

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Best  Harmless Garhwali Humor  , Satire, Wit, Sarcasm , Garhwali Vyangya , Garhwali Hasya on  Political Flip –Flop, U-Tern

                   इन बि नि थूको कि चटणम शरम लग

                    थुकाथुकी का चबोड़्या थोकदार  : भीष्म कुकरेती
अचकाल  नेताओं कुण संचार तकनीक परेशानी खड़ कर दींदी।  लोग बाग़ नेताओं का कर्म , ककर्म अर अकर्मण्यता की कैसेट बणै दींदन अर जब नेता अपण बुल्युं विपरीत कुकर्म करदो तो मीडिया दिखै दींद कि द्याखो -द्याखो नेताजीन अपण थुक्युं थूक चाटी दे।  बिचारु नेता अपण पुरण बयान अर नया बयान देखिक गुअक  घूँट पेक चुप रै जांद।
अबि ब्याळि गरीबुं सयम्भू ईमानदार नेता कजीरवालन मीडिया मा बयान दे कि मि त छबीस जनवरी परेड दिखणो जाण चाणु छौ पर भाजपान मि तैं निमंत्रण नि भेजि।  मीडियान कजीरवालक पुरण बयान दिखै दे जखमा कजीरवाळ बुलणु च कि छबीस जनवरी परेड सब तमाशा च (बंद हूण चयेंद ) । कजीरवाल अर वैका चमचों तैं हरेक टीवी चैनेल मा अपण थुक्युं थूक बेशरमी , बेहयाई , निर्लज्जता से चटण पोड।
भाजपा अर कॉंग्रेस मा त अपण थूक चटणो बान छौंपा दौड़ लगीं च।  कॉंग्रेस गरीबुं भलै बान इन्स्युरेंस बिल लाण वाळ छे तो भाजपा गरीबुं भलै बान इन्स्युरेंस बिल का विरोध मा लोकसभा -राजयसभा नि चलण दीणी छे।  अब भाजपा गरीबुं फैदा बान इन्स्युरेंस बिल पास कराण चाणि च तो कॉंग्रेस गरीबुं भलक बान इन्स्युरेंस बिल पास नि करवाणो बान राजयसभा नि चलण दीणी च।  द्वी -कॉंग्रेस अर भाजपा अपण अपण थुक्युं थूक बेशर्मी से चटणा छन।   इनि अमेरिका से न्यूक्लियर डील पर कॉंग्रेस अर भाजपान अपण अपण पैंतरा 180 अंश मा बदल दे -एक  गरीबुं नाम पर अपण थुक्युं थूक चाटणि  च त दुसर राष्ट्रहित का नामपर जनता तैं बेकूफ बणाणि  च।
राजनीति मा थूक चटणो रीति तैं  फ्लिप -फ्लॉप या U टर्न बुले जांद।
कॉंग्रेसन त कजीरवाल का विरोध मा एक U Tern की किताब इ प्रकाशित कर दे।  हालांकि आज तक  खाली पड्यां राहुल गांधी , शीला दीक्षित अर वकालत मा व्यस्त कपिल सिब्बल तैं वीं किताब तैं पढ़णो समय नि मील तो आम कॉंग्रेस्यूं समज मा क्या आल कि कॉंग्रेस क्या बुलण चाणि च।
ममता , जयललिता , मायावती , कठोर मुलायम सिंग , लालू -कालू , नितीश -रामविलास सब्युंन दसियों दैं अपण थुक्युं थूक -सीम्प सब चाट।  ममता छोड़िक यी सब कॉंग्रेस विरोध से जनम्यां पर समय समय पर यूंन कॉंग्रेसक दगड़ पल्लाबन्द कार।  यूँ सब्युंन कबि ना कबि भाजपा का पकायुं खाणक खायी पर जब जरूरत पड़दि तो भाजपा तैं सेक्युलरी अछूत घोषित करण मा शर्मान्द बि नि छन।
कैन ठीक इ ब्वाल  बल दुसमन तैं इथगा इ गाळी द्यावो कि जब दोस्ती हो तो शर्माण नि पोड , विरोध इथगा इ कारो कि U  - Tern लीणो जगा बचीं रावो। U  - Tern लीण बि आई तो उखमा सही गति , सही दिशा अर वादा हो , प्रतिज्ञा हो एक संभावना हो।
म्यार बुलण च कि इन बि नि थूको , इथगा बि नि थूको कि बार बगत पर चटण पर शर्माण पोड। 


27/1/15 ,  Bhishma Kukreti , Mumbai India

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Best of Garhwali Humor in Garhwali Language on Political Flip –Flop, U Tern; Best of Himalayan Satire in Garhwali Language on Political Flip –Flop, U Tern; Best of  Uttarakhandi Wit in Garhwali Language on Political Flip –Flop, U Tern; Best of  North Indian Spoof in Garhwali Language on Political Flip –Flop, U Tern; Best of  Regional Language Lampoon in Garhwali Language on Political Flip –Flop, U Tern ; Best of  Ridicule in Garhwali Language on Political Flip –Flop, U Tern ; Best of  Mockery in Garhwali Language on Political Flip –Flop, U Tern ; Best of  Send-up in Garhwali Language on Political Flip –Flop, U Tern  ; Best of  Disdain in Garhwali Language on Political Flip –Flop, U Tern; Best of  Hilarity in Garhwali Language on Political Flip –Flop, U Tern ; Best of  Cheerfulness in Garhwali Language  ;  Best of Garhwali Humor in Garhwali Language from Pauri Garhwal on Political Flip –Flop, U Tern ; Best of Himalayan Satire in Garhwali Language from Rudraprayag Garhwal on Political Flip –Flop, U Tern ; Best of Uttarakhandi Wit in Garhwali Language from Chamoli Garhwal  ; Best of North Indian Spoof in Garhwali Language from Tehri Garhwal on Political Flip –Flop, U Tern ; Best of Regional Language Lampoon in Garhwali Language from Uttarkashi Garhwal on Political Flip –Flop, U Tern ; Best of Ridicule in Garhwali Language from Bhabhar Garhwal on Political Flip –Flop, U Tern ; Best of Mockery  in Garhwali Language from Lansdowne Garhwal on Political Flip –Flop, U Tern ; Best of Hilarity in Garhwali Language from Kotdwara Garhwal on Political Flip –Flop, U Tern ; Best of Cheerfulness in Garhwali Language from Haridwar on Political Flip –Flop, U Tern  ;

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                                 राहुल बाबा ! अपण बूडनना नेहरू तैं त गाळी नि दे

                                                     घचकौण्या लिख्वार : भीष्म कुकरेती

 जब बि विचारो कॉंग्रेस नरेश राहुल गांधी छुट्टि पर रौंद तो पत्रकार अर खासकर भाजपा वाळ कॉंग्रेस्यूं तैं भड़कांदन कि राहुल बाबा कै कूण सियुं च अर कॉंग्रेसी राहुल गांधी तैं घसोड़िक लयेंदन।  इख तलक त ठीक च।  पर जब बि शहजादा अपण मुख खोलद त राहुल -सोनिया की ही ना नेहरू  की  भी जगहंसै ह्वै जांद।
अब दैं कॉंग्रेसी फिर से राजकुमार राहुल बाबा तैं दिल्ली चुनावी दंगल मा बुलणो लैन अर आंदि राहुल बाबान सिद्ध कर दे कि राहुल तैं मार बांधिक राजनीति मा लाणै कोशिस हूणि च।
ब्याळि 27/1/15,   कैन पुछि दे बल अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा पर आपक विचार क्या छन अर राहुल गांधी का उत्तर एक नासमझ , मूर्ख , घटिया राजनीतिज्ञ का उत्तर छया। राहुल गांधी को यु एक घटियापन को प्रदर्शन छौ अर मि तो बुलद बल ये से अधिक नासमझी का उ बयान बि नि छौ जखमा शंकराचार्यन सात -आठ बच्चा पैदा करणो बात कार।
        राहुल गांधींन बोली कि नरेंद्र मोदी अपण पीआर (PR ) बढ़ाणो बान यु सब करणु च। मार्केटिंग करण हरेक जीव जंतु कु आधार भूत गुण च . पेड़ बि मार्केटिंग करदन , माख बि मार्केटिंग करदन अर राजनैतिक विधि कुछ नि हूंदी अपितु मार्केटिंग ही हूंद।
ब्रैंडिंग मार्केटिंग का एक हिस्सा हूंद।  ब्रैंडिंग मार्केटिंग नी च अपितु समग्र मार्केटिंग कु एक छुटु सि हिस्सा च।
प्राचीन काल से ही हरेक देस तैं अपण माल बिचणो बान , अपण रक्षा का वास्ता मार्केटिंग व ब्रैंडिंग करण पड़द छौ।  यदि मौर्य काल मा उत्तराखंड का घ्वाड़ा , जड़ी बूटी अर आँखूं सुरमा  यूनान -रोम मा बिकदो छौ तो जनसम्पर्क को ही कमाल छौ अर उ जनसम्पर्क मौर्य राजाऊँ  की प्रसिद्धि छे।
                     आज तो भारत तैं केवल फॉरेन डाइरेक्ट इन्वेस्टमेंट का वास्ता ही ना अपितु अपण माल बिचणो बान, रक्षा आदि का वास्ता ब्रैंड इंडिया की ब्रैंडिंग आवश्यक च। कै बि देसक या स्थान की ब्रैंडिंग विज्ञापनों से नि करे जांद अपितु जनसम्पर्क प्रबंधन से करे जांद।  कै देस या राज्य या स्थान का जनसम्पर्कीय कार्य  मा राष्ट्र प्रमुख , राज्य प्रमुख या स्थान प्रमुख की ब्रैंडिंग से भौत फायदा ह्वे सकद (यदि प्रमुख मा मादा हो )। आज या बात निर्वाद सत्य च कि दुनिया का महत्वपूर्ण देसुं मा नरेंद्र मोदीक नाम च।  तो इन सुवसर पर यदि भारत नरेंद्र मोदीक नामो फायदा उठावो तो मार्केटिंग का हिसाब से यु एक लाभदायी कार्य च। मार्केटिंग कु एक नियम च जै से फायदा हो ब्रैंडिंग का वास्ता वै तैं /चीज तैं अग्वाड़ी लावो। आज भारत छवि वर्धन मा नरेंद्र मोदी से फैदा हूणु च तो नरेंद्र मोदी तैं मॉडल (Model ) बणाण मा क्वी नुक्सान नी च।  मार्केटिंग माने अवसर से फायदा।
               यदि नरेंद्र मोदी अपण नाम बढ़ाणो वास्ता PR करणु च  अर यांसे भारत की छवि बढ़नी च तो मार्केटिंग की दृष्टि से यु एक सर्वश्रेष्ठ कार्य च।  ब्रैंडिंग का वास्ता एक घ्वाड़ा (आधार ) चयेंद अर यदि नरेंद्र मोदी नामौ घ्वाड़ा से भारत की ब्रैंडिंग तैं फायदा हूणु च हूण द्यावो।
              राहुल गांधी तैं मि याद दिलाण चांदु कि निर्गुट देसुं का नेताओं मा जब नासर की ब्रैंडिंग ह्वाइ तो ही भारतीयों तैं पता चौल कि मिश्र बि क्वी देस च।  मार्शल टीटो की ब्रैंडिंग से आम भारतीयों तैं पता चौल कि युगोस्लेविया बि क्वी देस च।
नेहरू कु नाम बि दुनिया मा निर्गुट आंदोलन चलाण से ज्यादा ह्वे अर नेहरू का नाम से भारत ब्रैंड तैं फायदा ह्वे।  तो कभी भी इन नि बुले जांद कि देस प्रमुख तैं अपण छवि नि बढाण चयेंद।  यदि राष्ट्र प्रमुख की छवि बढ़दी तो राष्ट्र छवि वृद्धि मा लाभ इ हूंद।
           इंदिरा गांधी द्वारा सिक्किम तैं भारत मा मिलाण से इंदिरा गांधीकी  निर्णायक शक्ति व साहसिक गुण से भारत ब्रैंड तैं भौत फायदा ह्वे छौ । बंगलादेश बणन से इंदिरा गांधी की छवि बढ़ अर दगड़ मा भारत की भी छवि बढ़।
नरेंद्र मोदीक कूटनीतिक जोर लगाण से (PR ) यदि संसार मा योग दिवस मनाये जाणु च तो भारत ब्रैंड तैं ही फायदा होलु।
              भौत सा लोग वाइब्रेंट गुजरात , वाइब्रेंट मध्य प्रदेश या वाइब्रेंट उत्तर प्रदेश जन सम्मेलनों मजाक उड़ान्दन कि यूँ सम्मेलनों से क्वी ख़ास इन्वेस्टमेंट नि आंद।  किन्तु यूँ  सम्मेलनों से जागतिक व्यापारियों तैं भारत व राज्य की जानकारी मिल्द जो नेसन या प्लेस याने स्थान ब्रैंडिंग का वास्ता एक आवश्यक अवयव (फैक्टर ) च।
तो भय्या  राहुल ! PR बढ़ाणो मामला मा नरेंद्र मोदी तैं गाळी देकि तुम अपण दादी  इंदिरा गांधी अर बूड नना जवाहर लाल नेहरू तैं हि गाळी दीणा छंवां। 
7/1/15
27/1/15
27/1/15
28 /1 /15 ,  Bhishma Kukreti , Mumbai India

   *लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।

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                    स्वच्छ भारत  , स्वच्छ भारत , बुद्धिमान भारत!

Bhishma Kukreti

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 Best  Harmless Garhwali Humor  , Satire, Wit, Sarcasm , Garhwali Vyangya , Garhwali Hasya

                                  जब विद्यार्थी  मास्टर जी कुण डड्वार  लैन !

                                           (गढवळि स्किट )

                                      ठट्टा  करदार - भीष्म कुकरेती

कलाकार ---- बच्चा अर मास्टर जी
जगा --------------क्लासरूम
[मास्टर जी कुर्सी मा बैठ्याँ छन ]
मास्टर जी - तो आज तुमर स्कूलम पैलु दिन च हैं ? तो पैल दिन क्लास मा सबसे पैल क्या हूंद ?
एक बच्चा - मास्टर जी तैं डड्वार दिए जान्दि
मास्टर जी -डड्वार एक असभ्य शब्द च।  अब डड्वारौ कुण इंट्रोडक्ट्री गिफ्ट्स, ऐनुअल गिफ्ट , मंथली गिफ्ट या वीकली गिफ्ट बुले जांद।
बच्चा - जी पैल पैल मास्टर जी तैं इंट्रोडक्ट्री गिफ्ट्स दिए जांद।
मास्टर जी - तो एकक करिक अपण अपण इंट्रोडक्ट्री गिफ्ट लाओ।
एक बच्चा मास्टर जी तैं गिफ्ट दींदु।  मास्टर जी रैपर खुल्दन।  गिफ्ट मा स्टेसनरी सामन छौ
मास्टर जी - औ त  त्यार बुबा जीक स्टेसनरी दुकान च.  हैं ?
बच्चा - वाह आप तैं कनकै पता लग कि हमारी स्टेसनरी की दुकान च ?
हैंक बच्चा टोकरी पर फल दींदु।
मास्टर जी - तुमर फलुं दुकान ह्वेलि।
बच्चा - वाह मास्टर जी तो ग्यानी छन।
इनि द्वी बच्चा मिठै आदि लांदन अर मास्टर जी जबाब दींदन।
सबसे पैथर एक बच्चा एक जगता सगती मा बन्ध्युं पाकेट लांदु अर मास्टर जी तैं दींदु।  पैकेट बिटेन पीलो पीलो तरल पदार्थ बगणु रौंद।
मास्टर जी वै पीलु पदार्थ चखदन।
मास्टर जी - अरे वाह ! त्यार पिताजी की जूस फैक्ट्री च ?
बच्चा - ना ! ना !  म्यार पिता जी म्युनिस्पैलिटी माँ छन अर गळी गळी से कुत्ता पकड़दन  अर पैकेट पुटुक कुत्ताक  पिल्ला च।



 29/1/15 ,  Bhishma Kukreti , Mumbai India

   *लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।

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