Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 360677 times)

Bhishma Kukreti

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                  भेंट , सौगात , बक्शीश लीणम क्यांक शरम ल्याज ?

                       एकालाप  - भीष्म कुकरेती


           मि तैं भेंट लीण मा क्वी शरम नि लगदि , आखिरकार या भेंट एक तुच्छ बक्शीश जन हि त च अरे मुंडीत मा गरीब हो या सौकार ह्वे तो मुंडीत का ही ना ? उनि भेंट , सौगात , नजराना , उपहार ,इनाम , दान की वस्तु , अर्पित वस्तु , यि सब चीज बक्शीश की मुंडित का ही छन , सब भाई बैणि छ।  और क्या ? तुमि ब्वालो नि बोल जाण ? पैल मि तैं लोग व्हिस्की , सैम्पियन की बोतल , फूलूं बुक्के आदि उपहार दींद छा अर यि म्यार कामक नि बि रै ह्वाल तो भि लीण इ पड़द छौ अर घौरम मेमान ऐ गे तो मेहमानबाजी दिखाणो काम ऐ जांद छौ।  उन त मी बि कबि कब्यार भेंट देन्दु जन कि कैसोरोल , टिफिन आदि।  एक दैं मीन कैक मि तैं दियुं ऐश ट्रे  कै सिग्रेटबाज तैं गिफ्ट मा दे तो छै मैना बाद एक दुसर  सिग्रेटबाजान वी ऐश ट्रे मि तैं बर्थडे गिफ्ट मा दे दे।  छै मैना मा मेरि चीज  द्वी चार घरूँक अलमारी देखिक मीम वापस ऐ गे। अचकाल कॉंग्रेस राज्य सभा मा हल्ला गुल्ला करिक भाजपा का पुरण हल्ला गुल्ला वापस बौड़ाण मा लगीं च।  इनि हम गिफ्ट या भेंट वापस करदां।  जथगा तीन दे मीन  बि उथगा इ वै स्टैंडर्ड का इ  वापस करण वाळ सिद्धांत इ चलद !

 म्यार बाडा जी तैं लोग बड़ी जीमण  तो छोड़ो छुट मुटी पार्टी जन कि शराद मा भट्याण नि बिसरदा छया किलैकि बाडा जी इनकमटैक्स मा छया अर इनकमटैक्स पेयर बाडा जी  तैं क्वी ना क्वी उपहार दे दींदा छ।  अर बाडा जी यूँ उपहारुं तैं कै हैंक तैं दे दींद छा।

म्यार पिताजी तैं लोग बड़ी जीमण मा बि बुलाण बिसरि जांद छा किलैकि पिताजी इनकमटैक्स मा जि नि छा।

म्यार काकाक बिजिनेस च त ऊं तैं ऊंक ग्राहकुं से गिफ्ट आणा इ रौंदन जन कि चौकलेटक डब्बा , किताब , क्वी कलाकृति आदि।  काकी उन चीज त अफुम धर दींदी पर बकै चीज मेरि ब्वै पर द्युराण -जिठाणी अहसान जताणो हमर ड्यार भेजी दींदी जन कि किताब ! या जब हमम टेलीविजन नि छौ तो टीवी कवर या जब हमम फ्रिज नि छौ तो फ्रिजक बोतल।  जब हम छुट छा  तो काकी बुड्यों की लाठी उपहार मा मिलीं जन चीज भेजदि छे अर अबि वैदिन  बच्चोंका खिलौना भेजिक चली गे।  हमर इख  अब क्वी बच्चा खिलौना खिलण लैक नी च।

 चार दिन पैल काका तैं क्वी NGO का प्रोग्रामक मुफ्त प्रवेशक पास मील ह्वाल तो काकी जिठाण पर अहसान जताणो कर्तव्य वोध का खातिर NGO द्वारा प्रदत पास हम तैं दे गे।  परसि  रात हम वै NGO का प्रोग्राम दिखणो गयां।  प्रवेश मुफ्त छौ पर माट मा खड़ रौणो।  कुर्सी मा बैठणो किराया छौ।  कुर्सी मा बैठिक हमन प्रोग्राम द्याख।  मेरि ब्वे क्या हम सब बोर ह्वे गेवां।  ब्वेन ब्वाल ये प्रोग्रैम से बढ़िया तो शरद यादवक भाषण इ सूण लींदा त निंद त फकोरिक आंदि !

पर परसि रात बिटेन ब्वे बुबा जी से अबचळेक हुईं च।  ब्वे पिताजी पर रूठीं च बल पिताजीन  किलै इनकम टैक्स मा नौकरी नि कार या बिजिनेस किलै नि ख्वाल।  बात बि सै च कि  जिठाण से बि गिफ्ट अर द्यूरांण से बि गिफ्ट का ताना क्वा जनानी सै सकिद  या सहन कर सकद ?

9/3/15 , Copyright @ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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                    स्वच्छ भारत  , स्वच्छ भारत , बुद्धिमान भारत! 

Bhishma Kukreti

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                                                   सूरजमुखी कु फूल (बाल नाटिका )


                                   बाल  प्रहसन नाटिका संकलन ::: भीष्म कुकरेती


चरित्र -

-सूरजमुखी

-सूरज

सूत्रधार -जब पृथ्वी मा पेड़ -पौधा उगण शुरू ह्वेन तो भौत सा फूल बि उगि गेन। बुरांस , गुलाब , संतराज , मर्च्या, बुगुल आदि अर दगड़म एक छवटु पीलु फूल । एक दिन फूलुं चौपाल बैठ अर निर्णय ह्वे बल लाल गुलाब तै फूलुं राजा बणै द्यावो अर फिर राजा सब्युंक इच्छा पूर्ति वरदान बि द्याल।  त वैदिन गुलाबक ताजपोशी ह्वे अर हरेक फूलन गुलाब से वरदान मांग।  कैन सुंदरता मांग , कैन अाकर्षण मांग , कैन सुगंध मांग , कैन रातम फुलणो वरदान मांग।  पीलु फूलन वरदान मांग कि वु बड़ो फूल बण जावो।  गुलाबन वरदान दे अर पीलु फूल लम्बू हूंद गे , लंबु से लंबू ! पीलु फूल लम्बू हूंद गे अर लतामय ह्वे गे।  पीलु फूल हमेशा दुखी रौंद छौ कि वु हमेशा पड़्यूं रौण , अर दूसरों सारू /सहारा पर इ रौण पोड़ल।  वु  दुखी छौ  , वैन सूरज से मौ मदद लीणो स्वाच।

एक दिन सूरज उगणु इ छौ कि पीलु फूलन सूरज तैं आवाज दे।  सूरजन आवाज सूण।

सूरज -क्वा च ?

पीलु फूल -सूरज जी ! क्या तुम मी तैं सीधो खड़ रौणो सहायता कर सकदां क्या ?

सूरज - अरे तू अफिक सीधो खड़ो नि रै सकुद ?

पीलु फूल -एक दैं मीन फूलुँ राजा से वरदान मांग कि मि तैं बड़ो फूल बणा तो तब से मि बढ़णु त छौं पर मि हौर फूलुं तरां सीधो खड़ु नि रै सकदु।

सूरज -चलो तीन एक पाठ त सीख कि बगैर सुच्यां -समज्यां वरदान नि मंगण चयेंद।  चल मि तेरी एक सहायता कर सकुद कि जब मि अकास मा चमकणु रौल त तू सीधु खड़ रै सकदी।

पीलु फूल -धन्यवाद सूरज दिवता ! अब से जख बि तू जैलि मि अपर मुख त्यार जीना कर द्योलु।

सूत्रधार -अर तब बटें पीलु फूल जना  बि सूरज जांद तना इ पीलु फूल अपण मुख कर दींदु अर सूरज की कृपा से डमडमु रौंद।  अर तब सब फूलुंन वैक नाम सूरजमुखी धौर दे।

   

** एक प्रसिद्ध लोककथा  पर आधारित
10 /3 /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
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                           ना काटा  …तौं डाळयूँ    (एक लघु बालनाटिका )                                     

                                            लकड़हारा और पेड़ 


                 बाल  प्रहसन नाटिका संकलन ::: भीष्म कुकरेती

                  चरित्र

ननि  नौनि

लकड़हारा

 डाळ

खरगोश

चखुलि

सूरज

फूल

बतख

                         सामान

कुलाड़ी

गिंदि

                              -पैलु अंक -

(स्टेज मा पेड़ ,  वसंत , सुबेर , घाम आणु च , चखुलि गाणा गाणा छन , नेपथ्य मा क्लासिकल संगीत )

डाळ (रुणु च )

छुटि नौनि (स्टेज मा प्रवेश )- मेरि गिंदि कख गे होलि ? यि सब इलै हूणु च किलैकि मीन अपण ब्वेक बुल्युं नि मान (दिखणेरुं याने   दर्शकुं तरफ ) कैन मेरि गिंदि बि द्याख ? (डाळौ तरफ दिखदि)  हैं ये डाळ! तू रुणु किलै छे ? किराणि किलै छे ? दुखि  किलै छे ? क्या ह्वे ? कैन पीट ? (दिखणेर याने  दर्शकुं से पुछदि ) तुमन डाळपीट ?

डाळ-कैन नि मार मितै।  तू अबि ननि छे।  तीन नि समजण। नाम क्या त्यार ?
छुटि नौनि- छुटकी ! हाँ पर बता ना ! परेशानी क्या च ?
खरगोस (स्टेज मा तेजी से प्रवेश करद )- ! तेरी समज मा नि आयि ! तेरी समज मा नि आई ! (वैक धक्का से नौनि गिरदी अर वू बि )
नौनि -उफ़ ! देखिक चौल ! (भैर ह्वे जांद )
खरगोस -सॉरी हाँ , सॉरी !  … क्या परेशानी च ? (अब डाळ से पुछद ) त्वे तैं जुकाम लग्युं च  या तू रुणु छे ?
छुटि नौनि अर खरगोस - हाँ हाँ बोल ! बथा !
डाळ- एक चखुलिन बवाल बल मि तैं कटणो एक लकड़हारा आणु च।
खरगोस - डाळु  त्वै तैं काटणो लखड्वेर आणु च , लकड़हारा आणु च, वुडकटर आणु  च ?  (बतख , चखुलि , फूल स्टेज मा प्रवेश करदन ) काटणो आणु च ? त मि कख लुकुल ? कख छिपुल ?

चखुलि -मि अपण घोल -घोंसला कख बणौलु ?

बतख - मि क्या खौंलु ?

फूल - अर हम तैं छैलु -छाया कु द्यालु ?

सूरज - जंगळ कथगा दुखी ह्वालु ? अब मि अपण किरण कै तैं देलु जाँसे मेरी ऊर्जा संसार तै मिल जावो ? डाळ मेरि ऊर्जा तैं बदलिक संसार तैं दींदन।  ये मेरी ब्वै !

खरगोस - मि तेरी तरफ बिटेन लड़ुल (बौंळ  बिटाँद )

चखुलि - ले ऐ गे !  लकड़हारा ऐ गे।  सम सब तैं एक ह्वे जाण चयेंद हाँ !

                     -अंक दुसर -

लखड्वेर (सीटी बजान्द बजांद प्रवेश ) -कै डाळ काटुं ? एकि त कटण ! (डाळ तैं दिखुद ). अहा सही डाळु च (कटण शुरू करद ) (खरगोस आंद अर वैकि कुलड़ि लुठिक भीम चुलै दींद , लखड्वेर खौंळेन्द , इना -उना दिखुद , कुलड़ी उठान्द   अर काटणो कोशिस करद। चखुलि आंदी अर कुलड़ि भीम चुलै दींदि ) अरे आज क्या हूणु च यी जीव अजीब हरकत करणा छन ( कटण शुरू करद अर डाळ किरांदु )

डाळ - ना काटो ना काटो

नौनि (स्टेज माँ प्रवेश ) - तू चिताणि नि छे बल स्यु कन किराणु च

लखड्वेर - कु किराणु च ? डाळ ? डाळु फिकर कु करद ? (दिखणेरुं से ) क्या तुम डाळु फिकर करदा क्या ?

नौनि -हम करदां।  पेड़ हमर रक्षा करद , हम तैं भोजन दींद , फल दींद , हवा साफ़ करद  , अर   … अर  हमर दगड्या च। अर पता च बांजक डाळ पाणि बि रुकद अर डाळ पैरी पड़न याने भूस्खलन बि रुकदन हाँ !

लखड्वेर - अरे म्यार  बि परिवार च , पेड़ काटिक भोजन बणौला , लखड़ जगैक गरमी ह्वेलि, हम सब आग तपला।

नौनि -लखड़ इ चयाणा छन तो कखि हौर जा।  सुक्युं डाळ खुज्या , सुक्यां फौन्टी खुज्या। यू हौर डाळ हमर दगड्या च अर हमन ये तैं बचाण हाँ ! (स्टेज से भैर )

खरगोस - तू इथगा इ बादुर छे तो म्यार दगड़ लौड़ ! ये डाळ ! तू फिकर नि कौर मि त्यार तरफांन लड़ुल !

लखड्वेर (खरगोस पर थप्पड़  लगांद )-तू किलै लड़न चांदि ?

खरगोस - मी ? अरे कैक दगड़ ? लड़णै बात कैन कार ? (स्टेज से भैर जांद )

नौनि (स्टेज मा प्रवेश, पेड़ पर अंग्वाळ बटदि )-हमन  त्वे तैं नि छुड़न।  त्वे से पैल वैकि कुलाड़ि हम पर चललि !

लखड्वेर (प्रभावित ह्वेक ) -ठीक च! इथगा इ काफी च। मि सुक्यां लखड़ खुज्यौल  ....  मि क्वी धुर्या मनिख , क्रूर मनुष्य या रागस थुड़ा छौं  …  ( दिखणेरुं से ) क्या छ इन भौण मा में दिखणा , हैं ? हाँ मेरि समज मा बात ऐ गे।  हौर डाळु तैं नि कटण चयेंद।

नौनि (खुसी से ) - हमन अपर काम कर याल ! हमन अपर काम कर याल ! हमन अपर काम कर याल !

खरगोस  (स्टेज मा प्रवेश )- कख गे वु ?

नौनि - चल गे , समज गे , अब हमर दगड्या सुरक्षित च।

डाळ -मि भौत खुस  छौं।  सबि जुगराज रयां।

सबि थड्या गीत गांदन -

ना काटा  …तौं डाळयूँ  …
डाळयूँ ना काटा  … चुचों डाळयूँ ना काटा , तौं डाळयूँ ना काटा , दिद्यों डाळयूँ ना काटा

ना काटा  …तौं डाळयूँ  …
डाळयूँ ना काटा  … चुचों डाळयूँ ना काटा , तौं डाळयूँ ना काटा , दिद्यों डाळयूँ ना काटा

डाळि कटेलि त माटि बगेली , डाळि कटेलि त माटि बगेली ,

कूड़ी ना , पुंगड़ि ना , ना डोखरि बचलि

घास लखड़ा ना खेती ही रालि , घास लखड़ा ना खेती ही रालि ,

बोल तेरी आन औलाद क्या खालि , बोल तेरी आन औलाद क्या खालि ,

ना काटा  …तौं डाळयूँ  …
डाळयूँ ना काटा  … चुचों डाळयूँ ना काटा , तौं डाळयूँ ना काटा , दिद्यों डाळयूँ ना काटा

ना काटा  …तौं डाळयूँ  …
डाळयूँ ना काटा  … चुचों डाळयूँ ना काटा , तौं डाळयूँ ना काटा , दिद्यों डाळयूँ ना काटा

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                             ब्वे बिचारि,  बिमार च , बेबस च !

                             चबोड़्या :  भीष्म कुकरेती

                मि ब्वेक बान भौत चिंतित रौंद। पता नि क्या च पर मि तैं लगणु च ब्वे पर डिप्रेसन-सुप्रेसन कु रोग लग्युं च।   पर क्यफ़णि सि नयो वैद अयुं च अचकाल क्या बुल्दन वैकुण सोसल साइंटिस्ट।   वु बुलणु छौ कि  हम बच्चों द्वारा लापरवाही बरतण से ब्वे पर डिसॉर्डर औफ़ सेपरेसन रोग लग गे।  पर हम भायुं बि क्या कसूर ब्वे तैं अपण दगड़ बि नि रै सकदां अर ब्वे तैं इख बि नि लै सकदां।  हम ब्वे दगड़ रौला त खौला क्या ? यदि हम एक दादा जीक सब भाइ उख ब्वेक दगड़ इ रौला तो हमम कूड़ लगाणो बि जमीन नि होली।  तबि त ब्वेन हम तैं हूंदी परमाण घुट्टी दगड़ या सीख बि पिलाइ बल - बुबा ! ब्वे छोड़िक जैलि  त मातबर बणी जैलि।  हम पर ब्वेक बुल्युं असर पोड अर हम ब्वे तैं छोड़िक ऐ गेवां।

  अब फिर ब्वेक रैबार ऐ छौ कि संयुक्त परिवार मा नी रयाणु च।  ब्वे तैं सयुंक्त परिवार मा अपण हिसाब से ना त ठीक से खै सकदी , ना अपण हिसाब से पुंगड़ पत्ता कर सकदी , ना अपण मैतक झुमेला -चौंफळा लगै सकदि अर एकै पैसा बान बड़ ददा जीक भीख जन दियुं पैसा पर गुजर करण पड़द।

खैर जु भाई घौर छया ऊँन अर हमन जोर लगाइ अर ब्वे अलग ह्वे गे।  मतबल अब हमर थोक अलग , मुंडीत अलग।  हम भायुंन सोची छौ अलग हूण से ब्वे सुखी रालि।  पर अब ब्वेक रैबार पर रैबार आणा छन कि वा दुख्यारि इ च।  अब हम सब भाई जु ब्वेछ्वड्या छंवां परेशान छंवां कि अब बिगळेक बि ब्वेक कुगति इ च त हम क्या कर सकदां।  ब्वे तैं अपण दगड़ ली नि सकदां अर ब्वेक काखम रौंला तो भूकि मोरणै नौबत ऐ जाली।  उनि बि अबि बि ब्वै जु भाई घौरम छन ऊंक बच्चों तैं घुट्टीक दगड़  सीख दीणी रौंदि - बुबा ! अपण बुबाक तरां म्यार दगड़ नि रयाँ हाँ ! मि त बोदु कि तुम पढ़णो बि भैर चल जावो।  अर अब भाइक स्कुल्या बच्चा बि अपण दादी याने हमर ब्वे से दूर ह्वे गेन अर अलग हूणों बाद बि ब्वेकि इकुलास कम नि ह्वे।  ब्वेक आर्थिक दसा हौर खराब ह्वे गे।  हौळ तांगळ बि बंद अर फिर भौत सि हौर तंगी से परेशान च  अर बिमार च। अब सुणन मा आयि कि हम भैरहुयां भै जब ड्यार जांद छा तो दारु सारू बि लीजांद छा।  भाई तैं इ ना अब बच्चों तैं बि हमर कारण दारुक चस्का लग गे अर ब्वेक डिप्रेसन और बढ़ गे।

हालांकि वु कुपथि वैद त बुलणु छौ बल ब्वे पर आर्थिक संकटौ रोग लग्युं च बल अब हम भाई जु भैर छंवां ऊंन मन्योडर भिजण बंद कर यालि।

ड्यारम जु भाइ छन उ हम पर अभियोग लगाणा रौंदन कि हम ब्वेक तरफ़ान उदासीन छंवां तो हम भैर हुयां ड्यारक भै पर इल्जाम लगौंदा कि घौर रैक बि ब्वेक हिफाजत नि कर सकणा  छन।  जब घर्या भाई हम तैं राय दींद त हम भैरहुयाँ भै आँख घुरैक बुल्दां कि -तू तो कूपमंडूक छे त्वे पर ले क्यांक अकल।  अर जब हम भैरहुयाँ भाइ घर्या भाइयुं तैं राय दींदा तो घर्या भै बंद चमताळ मारदा मारदा बुल्दन बल अच्छा दिल्ली वाळ अब हम तै सिखाल कि ब्वेक सेवा टहल कन करण ? बस इनि झगड़ा मा ब्वे इ  पिस्याणि च , पिल्स्याणि च , पित्याणि च याने  ब्वेक बरखबान हूणु च।

ब्वेक बिमारि बारा मा बिंडी बथौल त पता नि कै गैणा रात खुलि जाल धौं।  आज इथगा इ।

अच्छा अच्छा त तुम मेरि ब्वेक नाम पुछणा छंवां ?

उत्तराखंड च ब्वेक नाम। 



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Best  Harmless Garhwali Humorous Children Stage Plays -A Comedy Drama for Children , Garhwali Comedy Skits-A Comedy Drama for Children , Satire, Wit, Sarcasm , Garhwali Skits , Garhwali Vyangya , Garhwali Hasya - -A Comedy Children Drama

                                                     मूसुं खबळिs  (चूहेदानी )


                                   बाल  प्रहसन नाटिका संकलन ::: भीष्म कुकरेती

(s = आधा अ )

--------------------नाटिका चरित्र ---------------

आदिम

जनानी

मूसु

डाक्टर

मुर्गी

बुगठ्या

सुंगर

--------------साजो सामान-------------------

चूहेदानिक बक्सा

साबुनदानी

थर्मामीटर

सूत्रधार -एक मूस दीवालो दुंळ बटें दिखुद बल यां एक आदिम अर एक जनानी एक बक्सा खुलणा छन।

मूस (अफि अफिक , स्वगत ) - हूँ ! छ तो स्यु पैकेट सुंदर च।  इख पुटुक क्या भोजन होलु ?

सूत्रधार - ये मेरि ब्वे ! जब मूसन चूहेदानी द्याख त वैक पुटुक चयाळ पड़ि गेन , आत्मा परमात्मा हिल गेन। वु हौर मूसुं तैं बथाणो दुंळ से भैर गे।

मूस (धै लगैक ) - सूण ल्यावो ! सूण ल्यावो ! टक्क लगैक सूण ल्यावो ! तख चूहेदानी च   .... मकानम चूहेदानी च   .... चूहेदानी

सूत्रधार - एक मुर्गी जमीनक कीड़ा टिपद टिपद ब्वाल ।

मुर्गी -ये  भै ! मीन सूण बल तुम भारी बिपदा मा छंवां।  पर मेकुण फिकरै बात नी च।  मि चिंता नि करदु।

सूत्रधार - मूस और चिंतित ह्वे अर वु ढिबरम गे।

मूस - मिस्टर बुगठ्या  ! तख मकानम चूहेदानी च।

बुगठ्या  - ब्या ब्या अ अ , मि तैं लगद यु मेकुण नी च। पर भये मि कुछ नि कौर सकुद।  हाँ मि प्रार्थना कर सकुद।  शांत चित से रौ।  मेरी दुआ छन त्यार दगड़।

सूत्रधार -तब मूस गौडिम गे।

मूस - मिसेज सुंगर  ! तख चूहेदानी च।

सुंगर  -हाँ तो ? क्या मि बिपदा मा छैनूं ? मे नि लगद कि मे पर कुछ फरक पोड़ल।

सूत्रधार -तब दुखी मूस छुपणो भितर कखि बैठि गे। वींइ रात जब सब जगा चुप्पी छे तो एक बड़ी आवाज आई।  इन लग जन चूहेदानी मा क्वी शिकार फंस गे। जनानी भाग कि चूहेदानी मा कु फंस।  वींन अन्ध्यर मा नि देख कि चूहेदानी मा  विषैला गुराक पूँछ फँस्युं च। सांपन वीं जनानी क खुट तड़कै दे।

जनानी - ये ब्वे ! मि तैं गुरान तड़कै दे (वा बेहोश ह्वे गे )

सूत्रधार - अदिमान डाक्टर भट्याइ।

डाक्टर - अब विषक प्रभाव तो खतम ह्वे   गे।  पर तुमर घरवळि तैं तेज बुखार च।

आदिम - क्या करे जाव ?

डाक्टर - यूँ तैं मुर्गिक रस्सा पिलाओ। रस्सा पेकि वींक बुखार उतर जाल।

सूत्रधार - अब आदिम अपण चौक मा गे अर मुर्गी तैं पकड़णो वींक पैथर भाग।

आदिम - सूण इना आ मीन अपण घरवळि कुण मुर्गी  रस्सा बणाण।

मुर्गी - मुर्गिक रस्सा ! भागो।

सूत्रधार -पर आदिमन मुर्गी पकड़ अर रस्सा बणै , अपण घरवळि तैं पिलाई।

आदिम - अब मेरी घरवळक हालत मा सुधार ह्वे गे।  कमजोरी नी जाणि च।  डाक्टरन ब्वाल कि यीं तैं बुगठ्याक मांस अर डौण्यूँ रस खलावो।  त अबि बुगठ्या मरण आवश्यक च।

बुगठ्या - नमस्कार ! आज मजेदार दिन च। घाम ना तेज ना कम !

आदिम - बुगठ्या तैयार ह्वे जा।  आज तेरी शिकार बणान अर डौण्यूं रस  …

सूत्रधार - फिर आदिमन अपण जनानी तैं बुगठ्याक शिकार खलाई अर डॉंण्यूं रस पिलाइ। अब आदिमक घरवळि बिलकुल ठीक ह्वे गे।  त यार दगड़्योँन जिम्नो /पार्टीक मांग कर दे अर सुंगरौ शिकार की ख्वाइश कार। पार्टीक दिन जीमणों /पार्टीक दिन आदिम सुंगर मरणोचौक मा गे।

आदिम - आज जीमण च।

सुंगर - ऑ त  तुम  मि तैं न्यूत दीणो अयाँ छंवां ?

आदिम - हाँ आज त्यरो मांस पकाये जालु।

सूत्रधार - ये तरह से सुंगर बि मारे गे। मूस अब मुसदुंळ से भैर ऐ गे।

मूस -द्याखो जब क्वी मुसीबत मा ह्वाओ त इन नि समजो कि तुम पर मुसीबत नि आली किलैकि चूहेदानी  घौरम हो तो  मुसीबत हरेक पर इ आली । हम तैं वूंक सहायता अवश्य करण चयेंद जौंतैं सहायता की जरूरत हो।

 

** एक प्रसिद्ध लोककथा  पर आधारित
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                       छज्जा कलाकार दलित जाति में कैसे आये ?

                         छज्जा बणाण वळ  दलित जात मा कनै ऐन ?

                        चबोड़्या , चखन्यौर्या , हंसोड्या - भीष्म कुकरेती

कैरा -घोघड़ सौकार जी ! क्या हाल छन ?

घोघड़  - हाल पुछणु छै कि मजाक उड़ाणि छे ?

कैरा -ह्यां ! न त  तू म्यार स्याळ , ना जीजा अर ना इ समदी त मजाक किलै करण ? हैं ?

घोघड़ - तू सच बता कि त्यार हाल पुछणो मतबल क्या च ?

कैरा - हाल चाल माने हाल चाल !  परिवार कन च , परिवार मा क्या हाल छन,  अर जिमदर कन चलणु च।

घोघड़ -उंं ,  अच्काल त लंडेर कुत्ता बि म्यार दगड़ मजाक करण मिसे जांद अर पुछुद कि - घोघड़ जी ! क्या हाल छन ?

कैरा -क्वी बिमारी ? पैल त लंडेर कुत्ता त जाणि दे गांवक नया नया बण्या चौहान , अस्वाळ थोकदार , पधान बि तुम खश्यौं समणि जवान नि ख़ुल्दा छा ?
घोघड़ -अरे अब त  चाकरी करण वाळ खैकर बि आँख घुरै दींद।

कैरा -खैकर ? जु भैर देस बिटेन अयाँ असवाळ , चौहान, नैथाणी , कुकरेत्यूं का खेत खोदिक बणान्दन अर हौळ जोळ चलांदन अर बदला मा असवाळ , चौहान, नैथाणी , कुकरेती यूँ तैं कुछ पुंगड़ खेती करणो दे दींदन।  वी खैकर चाकर अब ते सरीखा खांद -पींद खश्या की मजाक , मसखरी उड़ाणा छन ?

घोघड़ -हाँ अब त पता च जौं तैं भैर देस बिटेन अयाँ असवाळ , चौहान, नैथाणी , कुकरेत्यूं डूम बुल्दन वु मजदूर  बि हमकुण बुलणा छन कि हमर जमात मा ऐ जावा !

कैरा -हैं ? डूम मतबल मजदूर अब  शिपलकारुं  तैं ताना दीणा छन ? मतबल क्वी गंभीर मसला च ? है ना ?
घोघड़ -हाँ तबि त मि बुलणु छौं कि हाल चाल पुछणु छै कि मजाक उड़ाणु छे ?

कैरा -औ तो बात नि रै गे या बात अब त अब समस्या बण गे ?

घोघड़ -हाँ समस्या बण गे। समस्या क्या , द्वी बगतौ आलणो बि समस्या ह्वे गे।  जु हम यूं देसी भैर देस बिटेन अयाँ असवाळ , चौहान, नैथाणी , कुकरेत्यूं समिण हथ नि फैलांद छा  अब छाच, आलण  अर लूणो बान यूंक द्वार पर खड़ा रौंदा।

कैरा -हैं ? छज्जा निकाळण वाळ , जंदर -घट्ट कु पाट बणाण वाळ घोघड़ सौकार मंगत्या ह्वे गे ? घोघड़ सौकार ! क्या बुलणि छै ? 
घोघड़ -केक घोघड़ सौकार ? अब त हमर जनानी बि डूमुं तरां भैर देस बिटेन अयाँ असवाळ , चौहान, नैथाणी , कुकरेत्यूं का द्वार समणि तमाखू , छाछ - आलण मांगणो खड़ा रौंदन। अर ज़रा मनियारस्यूं , अस्वाल्स्युं , ढांगू , उदयपुर मा यी कांड लग्यां छन।

कैरा -पर ह्वे कनै च ?

घोघड़ -अरे इथगा जल्दी हम सौकार शिल्पकारुं तैं इन दिन दिखण पोड़ल !  हम तै सुपिन मा बि नि छौ पता।

कैरा -हाँ तुमरि पूछ तो शिरिनगर मा बोल्दां बदरीनाथ तक छे।  मतबल रज्जा बि तुमर समिण नतमस्तक रौंद छौ।
घोघड़ -अरे वैइ रज्जाक त   कोट -महल घाम लग।

कैरा -हैं ! अरे तुम छज्जा निकाळण वाळुक पूछ तो मंत्रियुं से बि बिंडी छे , कैतैं बि कूड़ बणाण हो तो छज्जा तुम निकाळदा छया , जंदर तुम बणान्दा छया ,   तिबारी का सीर मोर, सिंगार  , द्वारुं का सीर मोर, सिंगार  तुमि पख्यड़ खोदिक बणान्दा छया।  सरा क्षेत्र मा तुमारी इ जय जैकार हूंदी छे। इक तलक कि चौथ का बामण बि उनियाल , नौटियाल , बहुगुणा , डिमरी तुम तै संस्कृत सिखांद छा।

घोघड़ -हाँ कि जाँसे हम तिबार्युं , महलों का छज्जाओं , द्वार सिँगारुं पर वूंक नाम लेखि सकां।

कैरा -हाँ , वी त मि बुलणु छौं।  कि जौंकी पूछ बोल्दां बद्रीनाथ का दरबार मा ह्वावो वो मजदूरूं तरां बेळि माँगल तो भेमाता (पृथ्वी कु रचनाकार)  तैं बि विश्वास नि आलु।
घोघड़ -अरे यु सब बोल्दां बदरी नाथक याने रज्जाक छद्म भेद से ही ह्वे।

कैरा -बोल्दां बदरी नाथक याने रज्जाक छद्म भेद से तुम रचनाकार हरिजनुं गाणी मा ऐ गेवां ? महान  शिल्पकार जात अर दलित जात मा ?

घोघड़ -हाँ ! पैल त बोल्दां बदरी नाथन  याने रज्जान  हम खश्याओं तैं कमजोर करणो बान भैर देस से अयाँ असवाळ , चौहान, नैथाणी , कुकरेत्यूं तैं जमीन दे तो खश्या बस मजदूर हि ह्वे गे छया।

कैरा -हाँ ! पर तुम रचनाकारुं पूछ तब बि राइ च।  तुम दलित वर्ग मा तब बि नि छया।  म्यार दादा बतांद छा कि तुम छज्जा बणाण वळुन सरा भारत मा नाम कमाई अर काम्बोज देस (कम्बोडिया , थाईलैंड आदि ) तक तुमारी हाम च।
घोघड़ -हाँ पर जब भैर देस से अयाँ असवाळ , चौहान, नैथाणी , कुकरेत्यूं तैं घौर बणाणो जरूरत ह्वे तो यूँन बढ़ई पटैन अर  मकान बणानम छज्जा पत्थर की जगा  लकड़ी प्रयोग करवाई अर अब त मकान बणानम  कखिम बि छज्जा पत्थरो प्रयोग नि हूंद इख तक कि छज्जा बि अब लकड़ी का बणना छन,  लागत बि भौत कम च, अर दिखेणम बि मकान सुंदर लगदन।

कैरा -हाँ , नई तकनीक से अब मकान इन बणन लग गेन कि कखिम बि छज्जा पत्थरो जरूरत इ नी च।
घोघड़ -अर यीं नई तकनीक से हम छज्जा बणाण वळ अब बेकार ह्वे गेवां।  हमर रोजी रोटी नई तकनीक खै गे।  हम दलित वर्ग मा ऐ गेवां।

कैरा -हाँ पर , जब काष्ठ कला कु प्रादुर्भाव हूण शुरू ह्वे तो तुम पाषाण कलाकारुं तैं सुचण चयाणु  छौ कि काष्ठ कला की और जाँदा। 

घोघड़ -हाँ पर हम तैं त घमंड छौ कि हजारों साल से हम पाषाण कलाकार मजा करणा छंवां तो वा छुटि -मुटि काष्ट कला हमारी क्या बिगाड़ लेली।  पर यु घमंड हम तैं खै गे। हमन नई तकनीक का तरफ ध्यान नि दे कि नई तकनीक हमर हुनर तैं खाणि च।  अर जब हम तैं समज मा आयि तब तलक तो सरा गढ़वाळ मा काष्ठ कला फैली गे अर हम अमीर से फकीर ह्वे गेवां।

कैरा -कलियुग मा या एक बड़ी समस्या च तकनीक जल्दी जल्दी बदल्दि अर यदि पुरण तकनीक का कलाकार नई तकनीक का विकल्प नि लाला तो पुरण तकनीक का कलाकारों की तकदीर बदल्दि देर नि लगदि।
घोघड़ -हाँ , पर अब हम छज्जा याने पाषाण कलाकारों तैं क्या करण चयेंद ?

कैरा -तुम काष्ठ कला कु विकल्प ख्वाजो।
घोघड़ -विकल्प ?

कैरा -हाँ ! बस अब तुम वर्तमान कला का विकल्प ख्वाजो अर वर्तमान कला तैं औचित्यहीन साबित कारो जन काष्ठ कलान पाषाण कला तैं औचित्यहीन साबित कर दे अर तुम धनी पाषाण कलाकारों तैं दलित हूण पर मजबूर कर दे।

घोघड़ -तीन सही ब्वाल।  मि अब सरा परिवार सहित काष्ठ कला का विकल्प खुजण मा लग जांद।  कलियुग को असली अर्थ ही विकल्प खुजण च।

कैरा -जी हाँ ! कलियुग माने हर समय विकल्प की खोज !


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                              Fanciful Metaphors  /Figure of Speeches
                                                      अजीबोगरीब  अलंकार
                                                गढ़वाळि हास्य -व्यंग्यकोष -भाग -31       

                               Garhwali Humorous and Satirical Dictionary part -31       

                                     खुज्याण , छिंडन, छँटण, बिंवन,  उकरण   ::: भीष्म कुकरेती


                 वा भाषा इ नी च जाँमा अलंकार  प्रयोग नि ह्वावन अर बगैर अंतर दिखयां हास्य -व्यंग्य पैदा इ नि हूंद।  अब जन कि मि बोलुं कि मि नंगमुंड्या छौं तो ये बुलण मा हंसी तो छोड़ी कैन बात ना सुणन न पढ़न।  पर यदि बोले जाव कि म्यार मुंड चिपळी पटाळ त ना पर चिपळु पळेन्थर च त हंसी आणो गुंजैस बढ़ जान्दि।   मतलब हंसी का फुवारा तबि आल जब अलंकारुं ढांढ गंजागंज पोड़न !
             उनि चबोड़ , चखन्यौ या व्यंग्य से किस्वळि तबि लगदन , कांड -खुब्या तबि पुड़दन , जिकुड़ी मा आग तबि लगद जब अलंकार कु प्रयोग ह्वाऊ।
 साहित्य माँ भौत सा अलंकार इन प्रयोग हूणा रौंदन जु झसकौण्या अलंकार सिद्ध ह्वै जांदन।
जरा पश्चमी साहित्य मा दिखे जावन कि कन चस चसकौण्या अलंकार प्रयोग ह्वेन धौं !
१- गद्य अर पद्य मा वी अंतर च जु हिटण अर नचण मा च (पॉल वेलेरी )
२-किशोरावस्था -  एक तरह की समुद्री झाजी मितली /उल्टी (seasickness )   च। (आर्थर कोइस्टलर )
३- कमेटी -समस्या समाधान अर निर्णय लीणो बान कमेटी वास्तव मा एक प्रश्नवाचक तरीका या विधि च (अज्ञात  )
४- वाकपटुता - गद्य का पद्य च
५- बिमारी :जीवन ::(रिक्त स्थान भरो ) : लोहा /लोखर
अ-स्टील ब - ब्लेड (पत्ती ) स -अणसाळ द - जंक
६- लोहा तैं जनक नष्ट कर जांद , जळथ मार तैं वैक जज्बा (यूनानी दार्शनिक -एंटिस्थिनिस )
७- पढ़ण  मस्तिष्क का वास्ता इनि च जन शरीर का वास्ता व्यायाम /कसरत (जोसेफ एडिसन )
८-शरीर का वास्ता साबण अर आत्मा  का वास्ता आंसू ( प्रवासी यहूदी कहावत )
९- तिसा कुण ठंडु पाणि अर दूर परदेस से भलु रैबार इकजनि ! (बाइबल की कहावत )
१०-रेस्टोरेंट मा कलात्मक भित्ति चित्र याने म्यूजियम मा भोजन परोसण (पीटर डे व्रीज )
११- विज्ञापन का बगैर ब्योपार इनि च जन अंध्यर मा कैं लड़की का वास्ता आँख मारण (स्टुअर्ट ब्रिट )
१२-अपराध कुण जेल उनि च जन पेडूं /पौधों  कुण पौधघर (ग्रीनहाउस ) (
१३ -सरकार  (सरकारी राजनैतिक दल ) तैं  पैसा अर  सत्ता शक्ति दीण इनि च जन एक किशोर  तैं व्हिस्की पीणो द्यावो अर दगड़ मा कार की चाबी बि दे द्यावो (Parliament of Whores किताब से )
१४- कल्पना कला का वास्ता संभोग च। (जॉर्ज नाथन )
१५- चिंता दुखों का इन ब्याज च जु उधार लीण से पैलि चुकाण पड़द (W  . Inge )
१६- संसार एक किताब च अर जु यात्रा नि करद वु इकु पृष्ठ पढ़द ( साधु ऑगस्टाइन )
१७- किताब तब तक बंधक बणइं आत्मा च  जब तक क्वी वीं तै  सेल्फ  /अलमारी से स्वतंत्र नि करद  . (सैमुअल बटलर )

 
17 /3 /15 @ Bhishma Kukreti

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                                       New Garhwali Proverbs and Sayings
                                      नई कहावत जु  गढ़वळि शब्दकोश मा घर बणाणा छन

                                         गढ़वाळि हास्य -व्यंग्यकोष -भाग -  32   

                               Garhwali Humorous and Satirical Dictionary part - 32

                                     खुज्याण , छिंडन, छँटण, बिंवन,  उकरण   ::: भीष्म कुकरेती


    गढ़वळि अब सरा संसार मा फ़ैल गेन त अंग्रेजी , हिंदी , स्थानीय भाषाओं की कहावतुंक अनुवाद करिक गढ़वळि मा कहावत गड़ि दींदन।  अर अन्य माध्यमों से बि गढ़वळि नया नया कहावत गढ़वळि शब्दावली तैं दीणा छन। मीन कुछ नई कहावत टिपिन अर आप का समणि धरणु छौं -

पैल गढ़वळि नक्वळ (नास्ता ) , खाणक  , रुटि खांद छा अब अंग्रेजी का प्रभाव से गढ़वळि नक्वळ (नास्ता ) , खाणक  , रुटिलींद छन।  अंग्रेजी मा पूछे जांद - हैव यू टेक्न ब्रेकफास्ट ?  तो अब गढ़वळि पुछदन ण - तीन नास्ता लि याल ?

 एक शब्द कहावत का रूप माँ प्रसिद्ध छौ - तैन मि तैं चुसणा दिखै दे।  अब कपिल शर्माक कॉमेडी सीरियल का प्रभाव से बुल्दन -तैन मि तैं बाबा जी का ठुल्लु दे।

एक कहावत छे बल -यदि क्वी  नी पुछणु  च त डाळ  मा नंगी बैठ जा।  अब बुले जांद बल गजेन्द्र राणा बण जा।

 भितर नी आलण अर भैरम नचणी च बादण कहावत अब बदल गे।  अब बुले जांद बल - भितर नी आलण अर गौळुन्द छै छै मोबाइल बांधण !

पैल बुले जांद छौ बल- स्यु  बाप कमाई खाणु च।  अब मुंबई मा इन मनिखौ कुण बुले जांद बल स्यु अभिसेक बच्चन ह्वे गे।

पैल बाप ददा की कमाइ खाण वाळ कुण भाग्यशाली बुले जांद छौ अब विजय बहुगुणा बुले जांद।

कै पर खजि लगीं हो तो सम्मानीय लोग सीधा नि बुल्दा छ कि तै पर खौड़ या खज्जी मचीं च , अलग अलग जगा कै बि  उपमा कु प्रयोग हूंद छौ।  अच्काल बुले   जांद - तै मेहश भट्ट लग्युं च याने खजी लगीं च।

पैल बुले जांद छौ बल गढ़वाल सभा दिल्ली या गढ़वाल सभा जयपुर का चुनाव माँ घपरोळ हूण अब बुले जांद बल तख राजयसभान हूण।

पैल गढ़वळि नाच ना जाने आँगन टेढ़ा कहावत हिंदी मा इ प्रयोग करदा छ।  अब बुल्दन बल ऐक्टिंग नि आवो तो डाइरेक्टर पर भगार लगावो।

पैल एक कहावत प्रयोग मा आदि छे - खावन प्यावन औरुंक अर मार खावन गौरुंक।  पर अब मध्यप्रदेश , महाराष्ट्र मा या कहावत गढवल्युं माँ बि प्रसिद्ध द ह्वे गे - बल- माल ताल खावन मत्री जी अर जेल जावन संतरी जी।

अच्काल गांवुं मा जब लोग बुल्दन बल - म्यार बौड़ त द राहुल गांधी च तो लोग सट्ट समज जांदन कि तैक बौड़ -बल्द गळया बौड़   च।

पैल आबत मित्रुं संख्या से  कैकि बि औकात पता लगदी छे अब फेसबुक मा लाइक की संख्या औकात कु मापदंड च।

पैलि कज्याण पति तै तूंन इन दींदी छे बल - भितर इ त मेरि पूछ नी च , भैर त गांवक छ्वारा मि तै  हतुं मा बिठैक रखदन अब कज्याण बुल्दि -भितर इ त मेरि पूछ नी च , जरा फेसबुक मा म्यार दगड्यों संख्या तो द्याखो !

पैल एक कहावत बुले जांद छे बल - स्यु तीन मा ना तेरा मा।  अब बुले जांद बल -स्यु अमर सिंग च।

पैल लोग प्रार्थना करदा छा बल - हे भगवान म्यार नौनु तैं नौकरी दिलै दे।  अब प्रार्थनाक रूप बदल गे अब बुले जांद बल - हे भगवान म्यार नॉन तैं एक NGO दिलै दे !

इनि सैकड़ों नई नई  कहावत गढ़वळि मा ऐ गेन बस क्वी पुष्कर सिंग कंडारी या क्वी सुधीर बर्त्वाल चयाणा छन जु यूँ कहावतुं तै टीपो अर संग्रह कारो !

18 /3 /15 Copyright @ Bhishma Kukreti

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                               ह्यां ! म्यार सूटकेस कख च ?

                    बाल  प्रहसन नाटिका संकलन ::: भीष्म कुकरेती


--चरित्र -

बच्ची

जनानी

मरद

एक आवाज

दुसरि अवाज़

               (ट्रेनौ भितर , ट्रेनक फस्ट क्लासौ डब्बा माँ एक जनानी , बच्ची अर एक आदिम  यात्रा करणा छन )

आवाज - दिल्ली -कोयंबटूर एक्सप्रेस प्लीटफार्म नंबर मा ऐ गे।  सबि जत्र्यूँ कु स्वागत    …ट्रेन संख्या   …

 

आदिम -जरा मि थोड़ा देरौ कुण तौळ जाणु छौं

जनानी - जरा पता लगै देन कि ट्रेन जादा देर ठैरली कि ना !

आदिम - हाँ ठैरली।  इकम ट्रेनमा पाणि जि भर्याल।

अवाज - भैरों ! ध्यान द्यावो , ट्रेन स्टेसनम द्वी मिनट रुकलि , द्वी मिनट  ....

हैंकि आवाज - बड़ा पाव पाँव ! बड़ापाव  , मर्चण्या बड़ा पाव   ....

बच्ची -ममी मीन बड़ा पाव खाण

जनानी - इस्स  ! त्वी बि   … ननिन न क्या बोलि छौ कि जात्रा करद दैं कतै बि कचर पचर नि खाण चयेंद।  त्वै तैं कुछ बि याद नि रौंद।  मि तैं लगणु च हमन स्यु आदिम कखिम दिख्युं च , कखम देख होलु ? क्खम देखि   .... हाँ वैदिन त्यार बुबा जी, मी  अर तू  गोलगप्पा खाणा छया तो यु आदिम एक मोटि जनानिक दगड़ हौंसिक छ्वीं लगाणु छौ।  अब बता इथगा मोटि अर फैसन द्याखो वींक ! ए आदिमक शालीन कपड़ा पैर्यां छ अर वींक ए मेरि ब्वे   … ! यु आदिम वीं  .... याद च ?

बच्ची -मि तैं याद नी च।

जनानी -त्यार त यी हाल छन।  मि कै तैं एक दैं देख ल्यूं तो फिर नि बिसरदु।

आवाज - दिल्ली -कोयंबटूर का यात्री ध्यान द्यावो , ट्रेन छुटणि च , ट्रेन छुटणि    ,,,,

जनानी -ये मेरी ब्वै ! ट्रेन छुटणि च अर स्यु आदिम अबि तलक नि ऐ।  जरा खिड़की से त देख कि कखि स्यु उखी प्लेटफार्म मा बड़ा पाव त   …

बच्ची -ना , कखि बि नी दिखेणु च।
जनानी -यु आदिम उखि छुट गे , उखि छुट गे।  यीं सरकारौ कुण बिजोग पोड़ल, यात्रियुं  पर कुछ बि ध्यान नि दींदि। वु कै हैंक डब्बा मा त नि चड़ी गे ?

बच्ची -ना ना ! वैक सूटकेस तो इखि च।

आवाज - यात्रीगण ध्यान दें , एक यात्री जो दिल्ली -कोयंबटूर ट्रेन से यात्रा कर रहा था वह प्लेटफार्म  …

जनानी -ये मेरि ब्वै ट्रेन चलण बिसे गे अर वैक सर्कस इखि रै गे।  जरा तै सूटकेस तैं इना सरका।  खिड़की से भैर फेंकी दींदा।  प्लेटफार्म से उठै ल्यालु।  ये कुली भया , ये कुली भया ! एक आदिम प्लेटफारम पर छुटि गे   … वै तैं वैक सूटकेस दे दे हाँ।  पकड़  … वो पकड़ याल। । कुली चुस्त च , फट पकड़ी दे वैन   … यात्री बिचारो  … आ ! अब जैक सेळि  पोड।  कैक सहायता करण से दिल तैं बड़ी शान्ति मिल्दी।  तेरी ननि बुल्दि च कि ना मनुष्यों तैं सब्युंक सहायता करण चयेंद।  अहा सेळि  !

बच्ची -ममी ट्रेन अब तेज व्है गे मि सीणु छौं।
जनानी -ठीक च मि फ़िल्मी बकबास पत्रिका पढ़ लींदु।
आवाज - कृपया ध्यान दें ! दिल्ली -कोयंबटूर से आने वाली ट्रेन आ पंहुची है और प्लेटफारम दो पर एक मिनट के लिए रुकेगी। । दिल्ली के यात्री   ....
(इथगा मा उ आदिम दरवाजा पर खड़ु हूंद )

जनानी -तुम ?

आदिम -हाँ मि पैथरक डब्बा मा छौ।  उख   म्यार  …

जनानी - तो तुमसे ट्रेन नि छूट ?

आदिम - ना। मि त दुसर डब्बा मा उख म्यार दोस्त  ....

बच्ची सूटकेस   … ?

जनानी -हाँ सूटकेस। … ?
आदिम -हैं क्या ह्वे ?
जनानी -सूटकेस !
आदिम -सूटकेस , कु सूटकेस ?
जनानी -हमन समज कि तुम प्लेटफारम पर इ छुट गेवां।
आदिम -त ?
जनानी -त क्या ? हमन तुमन सूटकेस प्लेटफारम मा फेंकि दे।
आदिम -पर वु सूटकेस म्यार त छैंइं नि छौ।
जनानी -पर उ त तुमर इ सीटौ तौळ छौ ?
आदिम -हाँ अर मीन समज कि उ सूटकेस तुमर च।  म्यार सूटकेस त दुसर डब्बा मा दगड़्यों पास च।
बच्ची - तो सूटकेस कैक छौ।
आवाज - यात्रीगण कृपया ध्यान दें।  पिछले स्टेसन में किसी ने दिल्ली -कोयंबटूर ट्रेन से एक सूटकेस प्लेटफारम पर फेंका था।  उस सूटकेस में बम मिया है।  बम डिफ्यूज कर दिया।   अब दिल्ली -कोयंबटूर एक्सप्रेस की तलासी ली जाएगी।  कृपया अपनी जगह पर ही रहे और पुलिस पूछताछ में सहयोग करें !
जनानी -ये मेरी ब्वे ! तो वै सूटकेस माँ बम छौ ?
आदिम -क्या ? बम ?
बच्ची - ममी ! तू ना !  नानीक बुल्युं पर ध्यान नि दींदि , ननिन बोल बि छौ , अनजान वस्तुओं को  ना छुएं और उसकी जानकारी सरकारी अधिकारियों को दें !

आवाज -यात्रीगण ध्यान दें   …

19/3/15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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                                           गढ़वळयूं तैं गढवळि किलै नि बुलण चयेंद ?


                                   बाल  प्रहसन नाटिका संकलन ::: भीष्म कुकरेती


स्टेज मा पैथर बैनर लग्युं च -आश्चर्यजनक स्वास्थ्य सबंधी अन्वेषण सम्मेलन  , देहरादून

 डाक्टर जयुँ बित्युं - नमस्कार ! मिं डाक्टर जयूं बित्यूं छौं। मि पिछ्ला दस सालुं से अथक अन्वेषण मा लग्युं छौ अर परिणाम बड़ा क्रांतिकारी छन

उड़िया लोग कम से कम वसायुक्त भोजन खांदन इलै ऊँपर हमसे कम हृदय रोग  हूंद।

सिंधी लोग पाणी मा बि तेल डाळिक खांदन याने सबसे ज्यादा वसायुक्त भोजन खांदन इलै ऊँपर हमसे कम हृदय रोग  हूंद।

कन्नड़ी हम से कम बियर पींदन इलै ऊँपर हमसे कम हृदय रोग  हूंद।

कोंकणी हमसे अधिक बियर पींदन  इलै ऊँपर हमसे कम हृदय रोग  हूंद।

मद्रासी हम से अधिक चौंळ खांदन इलै ऊँपर हमसे कम हृदय रोग  हूंद।

पंजाबी हम से कम चौंळ खांदन इलै ऊँपर हमसे कम हृदय रोग  हूंद।

मराठी हम से अधिक मांस  -मटन खांदन इलै ऊँपर हमसे कम हृदय रोग  हूंद।

गुजराती हम से कम मांस -मटन खांदन इलै ऊँपर हमसे कम हृदय रोग  हूंद।

  ……

..........

……………

बंगाली हम से अधिक मच्छी खांदन इलै ऊँपर हमसे कम हृदय रोग  हूंद।

 दस सालुंक अन्वेषण का निचोड़ या च कि जू बि गढवळि नि बुल्दु वैपर हृदय रोग कम हूंद।  अतः गढ़वळयूं तैं तुरंत गढ़वळी बुलण बंद कर दीण चयेंद।

**एक कथा पर आधारित

20/3/15 ,@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
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