Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 360603 times)

Bhishma Kukreti

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                    हरीश जी ! तुमर तो ग्युं बि खतेन अर तुम नंगी बि दिखे गयां

                        चबोड़्या, चखन्यौर्या , हंसोड्या   :::   भीष्म कुकरेती


                     जी हाँ हरीश रावत जी माने उत्तराखंड का मुख्यमंत्री का तो ना किन्तु  उत्तराखंड का ग्युँ बि खतेन अर हरीश रावत जी नंगी बि दिखे गेन।  इनि केरल का मुख्यमंत्री का हाल छन।

अच्काल कॉंग्रेस मा ,  भाजपा अर हौर दलों मा छौंपदौड़ , होड़ अर  प्रतियोगिता चलणि च कि अपण राजनैतिक ढुंगळ ,  स्वाळ, पक्वड़  पकाणो चक्कर मा भारत की कथगा ऐसी तैसी करे जावो , हिन्दुस्तान  को कथगा भतियाबन्द करे जावो , इण्डिया  की  कथगा लुटिया डुबाये जावो। 

          पैलो अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर बि इनि ह्वे। सबि राजनैतिक दलुंनं अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को छत्यनाश करणो बान क्वी कोर कोसिस नि छ्वाड़।  भाजपा का कुछ लोग या सगा संबंध्युंन  याने पागल हिन्दुंऊंन  योग तै हिन्दू कर्मकांड का नजीक लिजाणो कोसिस करिक योग कु असली मकसद तै गुदनड़ जोग करणै भरसक प्रयत्न कार।  जब कि योग एक निखालिस मनोविज्ञान अर शरीरविज्ञान का सही मिलाप च।  पांतजलि की योग संहिता जो योग की पुनीत शिक्षा दीणो पुस्तक मने जांद उखमा भगवान पूजा का क्वी मतलब नी च हाँ एक या  द्वी जगा भगवान तै समाधि पाणो एक जरिया का रूप मा मार्ग दिखाए गे ऊ बि यदि गुरु या क्वी रुचिकर चीज से काम नि चलो तो।  योग भगवत प्राप्ति कु साधन नी च अपितु निखालिस समाधि /वर्तमान पाणो एक जरिया च।  योग मा योगासन अर प्रणायाम से पायल नौ अनुशासन प्राप्ति आवश्यक च पर हमारा दुर्जन हिन्दू प्रेम्युंन योग तै भगवत प्राप्ति साधन बतैक योग तै दुसर धर्म्युं से अलग करणै बेवकूफी कार।

 योग दिवस पर सबसे प्रशसनीय कार्य केजरीवाल व शिशोदिया कु छौ जौन राजनैतिक मतान्तर भुलैक योग दिवस मा भाग लेकि योग दिवस की गरिमा बढाइ ।

 कॉंग्रेस का क्या बुलण ! कॉंग्रेस तै राज करण आंड विरोध जताण नि आंद।  कॉंग्रेस का प्रवक्ता आनंद शंर्मा बुलणा छया बल राजपथ पर योगियों की चटाई चीन की किलै छे ? ये निर्भागी आनंद शर्मा जब तेरी सरकारन भारत मा चटाई उद्योग ही खतम करे द्याई तो अब चटाई तो चीन से ही आली ना।   बेशर्माई की हद च जौन हिन्दुस्तान मा चटाई उद्यम कु सत्यानास कार वो चीनी चटाई पर प्रश्न लगाणा छन।

फिर एक छन लालू यादव।  जैन एक दै योगगुरु बाबा रामदेव तै बिहार को ब्रैंड एम्बैसेडर बणै छौ वी योग दिवस की खिल्ली उड़ाणु छौ।  बेशर्मी की हद पार करण मा क्वी बि पैथर नि रौण चाणु छौ।

इटली की बौ सोनिया तो डिप्लोमेटिक छुटि पर चल गे।  वीं तै अर राजकुमार से नरेंद्र मोदिका सही कारनामा दिखे बि नि सक्याण छौ।

            योगदिवस से भारत तै कथगा इ फैदा ह्वेन , ह्वे सकदन।  योग दिवस से भारतवास्युं को गर्व अवश्य ही बढ़ी होलु जु अत्यावश्यक च।

                आंतरराष्ट्रीय  योग दिवस से भारत की ब्रैंडिंग मा सकारात्मक बढ़ोतरी का अवसर बढ़ जांदन।

            योग का प्रचार प्रसार से भारत का योग शिक्षकों व प्राकृतिक चिकित्सा सलाहकारुं मांग अवश्य ही बढ़ली।

                        उत्तराखंड अर प्राकृतिक चिकित्सा पर्यटन


          कॉंग्रेसी मुख्यमंत्री हरीश रावत की खुन्नस,  गुस्सा , रोष भाजपा अर मोदी की ब्रैंडिंग से छे कि योग दिवस से इटालियन बौ सोनिया  खानदान की ब्रैंडिंग नी हूणी च अर रावत जीन गुस्सा निकाळ  उत्तराखंड पर्यटन पर। हरीश रावत का तो यी हाल छन बल मि तैबाडा काका  पर गुस्सा आयि अर मीन गुस्सा मा अपणी गोर अपरी पुंगड़ों मा उज्याड़ खलाणो छोड़ देन।

 उत्तराखंड का  योग,  प्राकृतिक चिकत्सा अर आयुर्वेद से भौत पुराणो संबंध च।  अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस तो उत्तराखंड पर्यटन का वास्ता एक बरदान छौ , एक सुवसर छौ अर उत्तराखंड तै ये सुवस्र पर योग का आधार पर विदेशी -देसी पर्यटन बढ़ाणो बान भौत सा कार्यक्रम करण चयाणा छया।  ये बगत तो कथगा इ योग केंद्र , योग शिक्षको प्रशिक्षण केंद्र , प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र व प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्रों की योजनाओं शुरुवात करण चयाणो छौ।  उत्तराखंड मा योग अर प्राकृतिक  चिकित्सा पर्यटन बढ़ाणो बान दुनिया भर का व्यापारियों तै निवेश करणो भट्याणो दिन हूण   चयेणु छौ किन्तु हमारा हरीश  रावत तो कैकेयी बण गेन।  धिक्कार  इन राजनीति पर, धिक्कार  इन राजनीतिज्ञों पर , धिक्कार इन ओछी सोच पर जु राजनीती का फायदा का वास्ता उत्तराखंड ब्रैंडिंग का इथगा बड़ा सुवसर तै बेकार जाया करण मा अग्वाड़ी आइन । धिक्कार च हरीश रावत जी जु तुमन योग दिवस तै दुत्कार।

 हरीश रावत जी ! दलगत राजनीति महत्वपूर्ण  च किन्तु देश अर राज्य हित तो दलगत राजनीति से अधिक महत्वपूर्ण हूण चयेणी छे।  उत्तराखंड जन प्रदेश तै योग दिवस से कथगा ही फैदा उठाण चयेणु छौ अर हमारा ओछा राजनीतिज्ञ सोनिया परिवार का चप्पल  उठाओं से अळग नि ऐ सकिन।

इनि केरल बि योग अर प्राकृतिक चिकित्सा से जुड्युं प्रदेश च किन्तु केरल राज्यन बि योग तै भाजपा का सगा संबंधी समझिक योग दिवस का बहिस्कार कार।  धिक्कार च , धिक्कार च , धिक्कार ही च। 

कब देस हित दलगत राजनीती से अळग होली ?

 


22 /6 /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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                    स्वच्छ भारत  , स्वच्छ भारत , बुद्धिमान भारत!


Bhishma Kukreti

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                         Garhwali Humorous and Satirical Dictionary part - 33

                               गढ़वाळि हास्य -व्यंग्यकोष -भाग -     33   


                                     खुज्याण , छिंडन, छँटण, बिंवन,  उकरण   ::: भीष्म कुकरेती


पंगत - जैं  तै तुड़णो हम  सब भरसक पुठ्याजोर लगौंदा

पंखि (ऊनी चादर)-  मनमोहनी अर्थशास्त्र कु एक उदाहरण कि अब हम सब चीनी पंखि ही खरीददवां

पंच - जु अब न्यायनिसाब नि करदन अपितु ये जुगाड़ मा रौंदन कि ग्राम योजना से कथगा खौवां

पंचघेता (श्रम सहयोग जन सहेली मा )- याने घूस मा सहयोग हिस्सेदारी

पंचफैसला - जमाना ह्वे गेन अब केवल शास्त्रीय पुस्तकों माँ वर्णन मिलद।

पंचैत - ठगी कनकैक करे जावो का वास्ता बैठक

गूणी बांदर -उत्तराखंड राज्य बणणो बाद वास्तविक राजघराना

सुंगर -उत्तराखंड राज्य बणणो बाद गूणी बंदरों कु प्रधानमंत्री

पंडा - जौं तै देखिक अब भक्त लोग बितक़दन

पंद्यर -जमाने की गर्त मा खजे गेन

पक्ख (समालोचना /टिप्पणी ) - दुसरो काट हो तो अच्छी लगद , अपणी काट हो तो बुरी

जंदर - जु अब चक्कु पळयाणो काम बि नि आंदन

अरसा - अब तो संस्याणो मिठै इ माने जांदी

घट /घराट -फेस बुक मा रीति बहस की वस्तु

 



23  /6  /15 @ Bhishma Kukreti , Mumbai, India

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Bhishma Kukreti

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                                      Religious Tour Memoir for Nagraja Puja
                                       चलो घ्वाड़ा खाया जाय , रिखणी खाइ  जाय और  पानी को रिंगाया जाय     
                                        मुंबई बटें जसपुर तक नागराजा पूजा जात्रा -8                                         अविस्मरणीय धार्मिक -सांस्कृतिक यात्रा वृतांत -8                   
                                   
                                                           जत्र्वै - भीष्म कुकरेती
               ऋषिकेश से गेंड़खाळ तक यात्रा मा कुछ विशेस नि छौ सिरफ़ एक बात अजीब लग कि गरुड़चट्टी (जखम टिहरी से पौड़ी जिला पार  करणो पुळ च ) से अर नीलकंठ जाणो रस्ता तक मोटर सड़क खराब च, जगा जगा खड्डा छन जो पहाड़ी सड़क का अनुकूल नि हूंदन अन्यथा उत्तराखंड की सड़क उत्तर प्रदेश की सड़कों से लाख गुना बढ़िया हूंदन अर रख रखाव बि इथगा बुरु नि हूंद जथगा बुले जांद।
  गैंडखाल असली नाम च गैंडखाळ पर हिंदी मा बोर्ड लग्युं च गैंडखाल।    गढ़वळि मा खाळ अर खाल कु अर्थ मा जमीन असमानो फरक च पर हमारा स्थानीय राजनैतिक दल बि ए फरक तै नि समजदन।  खाळ  द्वी पहाड्यूं मिलंस्थान की  समतल जगा कुण बुल्दन अर खाल माने खाया जाएगा। या खाल मने चमड़ा आदि   पर ग्रामपंचायत , डिस्ट्रिक्ट बोर्ड,स्टेट हाइ वे या नेसनल हाइ वे की सड़कों मा खाळ तै खाल मा परिवर्तित करे गे।
                      गैंडखाळ जब गैंडखाल लिखे जांद तो वैक अर्थ हूंद गैंड तै खाए जालु।  इनि गैंडखाळ का अगनै कठूड़ बड़ा की सारी मा च देवीखाळ पर सरकारी आदेश  बुना छन क्वी ना क्वी देवी को खायेगा  याने देवीखाल। इनि देवीखाळ से अग्नै ग्वील सारी मा एक जगा च रिंगाळ पाणी। इकम एक खडोळा से बरमस्या पाणी बगणु रौंद अर कबि ये खडोळा चारों तरफ रिंगाळो बुट्या हूंद था जु म्यर  बि दिख्यां छन (अब तो प्लास्टिक की बोतल मिल्दन )। रिंगाळ हूण से ये पाणी नाम रिंगाळ पाणी पोड।  किन्तु सरकारन अब ये पाणी नाम धर याल 'रिंगाल पानी ' । 'रिंगाळ पाणी' अर 'रिंगाल पानी ' मा अकास पाताल कु अंतर च।  'रिंगाळ पाणी ' कु अर्थ हूंद रिंगाळ संबंधित पानी किन्तु रिंगाल पानी कु अर्थ हूंद कोई पानी को रिंगायेगा याने पानी को तेजी से गोल घेरे में घुमाएगा।  चलो पाणी तै रिंगाणो बात से तो क्वी फरक नि पड़द।
  किन्तु चैलुसैण से अग्नै च एक जगा जैक नाम च 'कीचखाळ' अर अब सरकार साइन बोर्ड का जरिया बुनि   च बल नही 'कीचखाल' मतलब सरकार कीच तै खलाण पर आयीं च।  इनि डबराल स्यूं मा डोवोली खाळ अब डवोली खाल ह्वे गे मतलब या तो कोई डवोली गाँव को खायेगा या डवोली को खाओ। सरकार अब कांडाखाळ का बारा मा बताणि च कि खावो कांडा या कोई कांडा को खायेगा।
              रणेथ से मंडुळ का बीच मा एक जगा च 'पांसखाळ'. पांस माने गाय या भैंस के स्तन पर सरकारी बोर्ड मा अब लिख्युं च 'पांसखाल' मतलब अब गढ़वाळ मा पांस से दूध नि आलु किलैकि गढ़वळि अब 'पांस' खाल।
           इनि सरकार भैंस खाल से आदेश दीणी च कि या तो कोई भैंस खायेगा  या भैंस कुछ चीज खायेगी।  इनि घ्वाड़ाखाळ या रिखणीखाळ , का हाल छन।
        हमारा उत्तराखंड क्रान्ति दल जन स्थानीय राजनैतिक दल बड़ी बड़ी बात तो करदन किन्तु छुटि छुटि पर महत्वपूर्ण बथों पर जब ध्यान नि दींदन तो अफिक असंगत   /इरेलीवेंट ह्वे जांदन।  क्या  स्थानीय राजनैतिक दलों तै 'खाल' को 'खाळ' लिखवाणो   आंदोलन नि करण चयेंद ?
           हमारा गढ़वळि साहित्यकार चुप्पा की बात करणा रौदन अर बड़ा बड़ा बबमगोळा फुड़ना रौंदन कि गढ़वळि तै आठवीं सूची मा लावो, आठवीं सूची मा लावो ।  ये भै क्या स्थानीय सरकार से हम या  दरख्वास्त नि कर सकदां कि कृपया साइन बोर्ड में घ्वाड़ाखाल ना लिखें अपितु घ्वाड़ाखाळ लिखें।  पर हम तो चुप्पा पकड़ण गीज गेवां अर आधारभूत बथों पर हमारी नजर इ नि जांदी।

** भोळ पढ़ो - हमर स्वागत ट्रांसफॉर्मर नही आया , टावर बि नही चल रहा से क्यों हुआ ? अविस्मरणीय धार्मिक -सांस्कृतिक   नागराजा पूजा जात्रा वृतांत का बाकी  भाग 9  में पढ़िए

Copyright @ Bhishma Kukreti 25 /6/15
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Bhishma Kukreti

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        Religious Naagraja Ritual Performancing  Tour Memoir

                                 ट्रांसफार्मर नि आइ , ट्रांसफॉर्मर नि आइ , आज बि नि आइ
                                        मुंबई बटें जसपुर तक नागराजा पूजा जात्रा -9                                          अविस्मरणीय धार्मिक -सांस्कृतिक यात्रा वृतांत -9                     
                                   
                                                           जत्र्वै - भीष्म कुकरेती
                आँख दिख्यां हमर टैक्सी जसपुर पौंछि गे छे।  जब सात आठ मील दूर सिंगटाळी  बस स्टॉप छौ तो भी हम रुंदा छा कि हमकुण रात कब खुलली जब हमर नजीक बस आलि।  फिर चैलुसैंण बस आयि तो रुण छौ हमकुण कब रात खुलली अब गाँव से अधा मील बस स्टॉप च तो बि हमर रूण बंद नि ह्वे कि ये जसपुरौ कुण कब रात खुलली।  अब हम तै बस अपण कूड़ मथि चयेणी च।  उन सरकारी योजना बीच जसपुर मा बस   लाणै छे पर हम अपण बांज पुंगड़ खराब नि करण चाणा छया तो बस बीच गां मा नि आई , अब बि हम चाणा छंवां कि  हमर बांज खेतुं बिणास कर्याँ बगैर सड़क बीच गां मा आण चयेंद। सरकार अड़ीं च कि बस बीच गां चयेणी च तो बांज सडकुं बलि द्यावो।  पहाडुं मा खेतुं बीच मोटर सड़क का माने सात गुनी  खेती जगा खतम।  सरकार बि सै च अर समाज बि अपर जगा सै च।  अब आकास से इ उम्मीद च कि कैदिन गैणा रात खुलली अर स्काई वे से बस बीच गां मा आलि जख आकास मा इ बस स्टॉप होलु। कबि ऋषिकेश से गाँव पौंचणम  पूरा दिन लगद छौ तो अब केवल तीन घंटा या कम समय लगद।
        हम टैक्सी याने ट्रैकर से उतराँ तो म्यार भाई जयप्रकाश जु एक मैन पैली गौं ऐ गे छौ हमर आगवानी का वास्ता अयुं छौ।  देवीखाळ से सूचना दिए गे छे कि हम पौंछणि वाळ छंवां। गां से भैर धैणी मांगन मोहन ममा जी , रमेश ममा जी बि मिलणो अयाँ छया।  मोहन ममा जीक परिवार तीन दिन पैलि ऐ गे छया किलैकि पारिवारिक पूजा बि ये समय पर उरैये छे। मेरी नानी मोहन ममा जिकी फुफु ह्वे तो हमर परिवार  स्वतः ही ऊंक बैण भणजु मा आई जांदो।   ममा जी रातो भोजनौ  निमंत्रण दीणो बि अयाँ छया। मीन बताई कि आज तो तक बिसाणो रात च अर भोळ अवश्य भोजन का वास्ता ओला।
             नातनुसार सिवा सौंळी हूणों उपरान्त हरेक का मुख से एकी वाक्य आणु छौ -अर यी वाक्य ड्यार तक आंद आंद हरेक का मुख से सुणिन -
"ट्रांसफॉर्मर नि आई , ट्रांसफॉर्मर नि आई,  साला ट्रांसफॉर्मर आज बि नि आई"
बकै बात क्वी कुछ नि बुलणु छौ बस हरेक का मुख से तीन वाक्य निकळणा छया -
"ट्रांसफॉर्मर नि आई , ट्रांसफॉर्मर नि आई,  साला ट्रांसफॉर्मर आज बि नि आई"
          हम मुंबई वळ या बात नि समजणा छया कि हमर आण से ट्रांसफॉर्मर से क्या संबंध ?
         जब सात आठ मुखन ट्रांसफॉर्मर की बात सूण तो मीन अपण भाई से पूछ - यो ज्या यु ट्रांसफॉर्मर क्या च नागराजा पुजैका वास्ता क्वी नया फूल जन छ ?
                तब जयप्रकाशन बताइ बल पंदरा दिनों से गाँव मा बिजली नी च।  कारण यु ह्वाइ कि गांवक ट्रांसफॉर्मर जळ गे तो बिजली नदारद च। उन रोज सुबेर तबिजली बाबू गाँव वळु तै आसरा दींदु कि आज ट्रांसफार्मर ऐ जालु अर स्याम दै सूचना बाँटि दींदु कि आज बि ट्रांसफॉर्मर नि ऐ साकु।
      याने हमारा स्वागत का वस्ता उत्तराखंड बिजली वळुन ट्रांसफॉर्मर जळै दे।
      हम मुंबई वळ भयगयशाली इ छंवां कि मुंबई मा बिजली 24 x 7 घड़ी उपलब्ध रौंदी।
           अब हमर परिवार मा चिंतन शुरू ह्वे गे कि बिन बिजली क्या ह्वालु।  उन भाई जयप्रकाशन एक चार्जिंग लैम्प लयूं छौ अर एक लैम्प हम बि दगड़ मा लै गे छया।
पर जब याद आई कि चार्जिंग का वास्ता बि त बिजली चएंदी तो हमर चंख उड़ि गेन।
          बिजली नि हूण से मोबाइल नेटवर्क बि डिस्टर्ब हुयुं छौ अर सबि कंपनयूं मोबाइल इकसरीका नि चलणा छया।  म्यार मोबाईल तो बेचार्ज ह्वेक ध्वस्त ह्वे गे छौ।

पर अब तो हम बगैर बिजली का तड़फ़णा छंवां।  वी बि तो दिन छया जब बिजली क्या मट्टीक तेल नि हूण से दिवळ छिल्लुं  से काम चलान्दा छया अर महाकवि कालीदासन तो रघुवंश मा दिवळ छिल्लुं उल्लेख कर्युं च। 
मीन अपण परिवार तै ढाढ़स दे अर समजाइ  - भइ ग्रामीण पर्यटन को मजा लीण तो बिना बिजली अर बिना मोबाइल का हि लिए जावो।
मेरी घरवळिन तून दींद ब्वाल - खाणक तो हमन हि बणान तुम थुड़ा पकाण अन्ध्यर मा ?
बात सही छे हम मर्द तो पर्यटन समजिक बिना बिजली का मजा ले सकदवां किन्तु जनान्युंन तो खाणा पकाण।
खैर मनिष्य हरेक स्तर पर हरेक समस्या से जूझी लींदु तो हमन बि बिन बिजली का आनंद लीण मा क्वी कसर नि छ्वाड़।  रातमा फैन पंखा की हमर गां मा जरूरत नि पड़दी तो बिजली संकट इथगा बड़ो संकट नि छौ। शुक्ल पक्ष की चादनी रात अर इथगा सारा गैणा दिखणो मौक़ा पता नी कथगा सालुं से मिलणो छौ अर वास्तव मा बिजली नि हूण कुछ हद तक बरदान इ साबित ह्वे। आज ही सब तै याद आई कि शुक्ल अर कृष्ण पक्ष बि हून्दन।

** भोळ पढ़ो -जब मीन ब्वारी तै सिवा लगाइ अर काकिन मि तै सिवा लगै दे। तो क्या ह्वाइ ?  अविस्मरणीय धार्मिक -सांस्कृतिक   नागराजा पूजा जात्रा वृतांत का बाकी  भाग 10   में पढ़िए

Copyright @ Bhishma Kukreti 26  /6/15
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          काकिन मै सिवा लगाइ , ब्वारी तै मीन सिवा लगाइ अर स्याळि नि पछ्याण
                                                      मुंबई बटें जसपुर तक नागराजा पूजा जात्रा -10

                             अविस्मरणीय धार्मिक -सांस्कृतिक यात्रा वृतांत  -10                 
                                 
     
                             जत्र्वै - भीष्म कुकरेती

          जब भौत दिनुं मा ड्यार जाण हो अर गांमा दुन्या भर का प्रवासी ऐ जावन तो सबसे बड़ी परेसानी हूंद पछ्याँणणो।  हालांकि अबि 21 तारीख इ छे अर सामूहिक नागराजा पूजा पचीस बिटेन शुरू हूण छे पर में सरीखा लोग आण लग गे छ जौन अपण पूजा सँजैत पूजा से पैल करण छे अर फिर घड्यळ आदि पुजै बि करण छे।
 घीड़ी जसपुर अर ग्वील की हद की जगा च पैल इख चार मवासा छया अब बस एक फूफू ही इक रौंदि।  घीड़ी से इ पता चल गे छौ कि जसपुर की आवादी मा अचानक (द्वी चार दिनोकुण इ सै ) इजाफा हूण वाळ च।  पैल मुख्य गाँव से घीड़ी का बीच केवल सन्नी /छनि /गौशाला अर खेत छ अब तो गाँव सीधा घीड़ी तक बढ़ गे याने लोगुंन पंगत मा मकान बणाइ आलिन।  हालांकि घीड़ी म हमर एक पाणी छयो तो मुख्य गाँव से क्वी फॉर नी च तो घीड़ी से म्यार कूड़ तक की यात्रा मा क्वी विशेस बात नि हूण चयेणी छे पर लिख्वार छौं तो विशेस बात खुज्याण इ तो लिख्वारौ धरम हूंद।
   अब जब गांव आवो तो सिवा सौंळी लाजमी बात च।  जौं तै पछ्याणो तो ऊंक दगड़ सिवा सौंळी सरल च।  अर पुरातन काल की टेक्नीक ही आज बि सब जगा चलदी - खूब छे , परिवार मा सब सुख्यर छन।  बच्चों ब्यौ ह्वे गे , नाती नतणा क्या क्या छन , सबि भाई दगड़ी रौंदन आदि आदि सब बात सिवा सौंळी का मीख्य अंग छन।  इक तक तो ठीक छौ।
पर घीड़ी से कूड़ तक आंद आंद तीन घटना यादगार घटना बण गेन अर यूँ घटनौं की पुनरावृति जब तक ड्यारम क्या ऋषिकेश एक ब्यौ तक हूणि इ रैनी।
 रस्ता मा में से दिख्याणम  कमउमरी जनानीन में तै सिवा लगै दे अर मीन बि बोलि दे - सौभ्यग्वती रावो , फूलो फलो   …। (अब सात पुत्रों की मा कु आशीर्वाद गाळी च तो यु आशीर्वाद अब बंद ह्वे गे )
फिर मीन पूछ - बाबा मीन नि पछ्याण ! तुमर पति या हजबेंड का नाम   .... ?
        मे से कमउमरी जनानी कु जबाब छौ - रतनमणि जी।
   अब म्यार गस खाणो क्षण छयो ।  रतन मणि त म्यार  चचा छौ अर समिण चाची छे , ना चाचीन पछ्याण ना मीन चाची पछ्याण। रतन चचा जी मेसे दस बारा साल बड़ा छन।
मीन अब ब्वाल -चाची तीन मि तै नरक लिजाणो पूरी तागत लगै इ द्यायि हाँ।  मि भीषम छौं।
अब चचिक खौंळयाणो बारी छे - इ कन काण्ड लगिन।  पछ्याणी नी मीन। मीन   त त्यार नंगमुंड देखिक समज कि क्वी कक्या ससुर जी होला तबी तो सिवा लगाइ . चल क्वी बात नी च अब तू मीतै सिवा लगै ली।
खैर कुछ अगनै ग्यों तो एक जनानी जु बुडड़ी सि दिखेणी छे तो मीन बरबर ह्वैक सिवा लगै दे। वीं जनानिन बि आशीर्वाद दे दे।
अब वीं जनानीं पूछ - मीन त्वै तै नि पछ्याण !
मीन उत्तर दे - मि भीषम छौं।
म्यार इन बुलण छौ कि वीं जनानिन अपण जीब दांतु तौळ काटद तड़ाक से ब्वाल - ये मेरी ब्वे क्या पाप ह्वे गे।  तुम तो म्यार कक्याससुर छंवां , बामण छंवां अर तुमन मि तै सिवा लगै दे।
अब मेरी यादगार सही जगा पर आई।  चप्पे मीन तो प्रेम सिंह की ब्वारी तै सिवा लगै दे ! प्रेम म्यार भतिज लगद।  असल मा युवावस्था मा प्रेम स्वर्गवासी ह्वे तो ब्वारी पर बुढ़ापा कुछ जल्दी ही आण शुरू ह्वे गे या शरीर इ इनि ह्वालो।
  मुख्य गां मा आंद भौत सा लोगुं से रामरूमि ह्वे।
गोविन्द चचा जीक कूड़ो समिण औंवां।   गोविन्द चचाजीक सरा परिवार कट्ठा हुयुं छौ।  चचाजी अर चचि तै मि पछ्याणदो छौ तो रमा रुमी मा क्वी दिक्क्त नि ह्वे।  लघु भ्राताओं की पतन्युंन दूर से ही सिवा बरज अर मीन बि दूर से ही आशीर्वाद दे।
फिर कैन ब्वाल बल -सि मंगला नन्द की ब्वारी छन।  मंगलानन्द भुला ह्वे तो मंगलानन्द की ब्वारी रिस्ता मा ब्वारी ह्वे अर यु लाजमी छौ कि वो दूर से ही सिवा बरजां।
पर मंगलानन्द की वाइफ  ऐन अर म्यार खूट छू गेन।  यु कुछ अटपटो छौ कि भाइकी ब्वारी जेठ तै छुणी छे।
मि कुछ गंगणै ग्यों।
तब मंगलानन्द की ब्वारीन इ जबाब दे - मि त तुम्हारी स्याळि छौं।
मि -स्याळि इ इ ?
मंगलानन्द की वाइफ - हाँ जया जीजा जी म्यार जीजा जि छन।
फिर गोविन्द चचाजीन बताइ कि मंगलानन्द की वाइफ  झैड़ गौं की छन अर म्यार भुला जया की ब्वारिक खास चचेरी बैणि च।
मीन ब्वाल -औ तो चलो अच्छो ह्वाइ मीन स्याळि तै सिवा नि लगाइ !
 

(ये चेप्टर मा नाम म्यार बदल्यां छन तो जसपुर वाळ यांक ध्यान रखिन, अन्यथा  घटना सही छन )

* भोळ पढ़ो -म्यार ब्राह्मणवादी संस्कार कन सटाक से अग्नै ऐन  अविस्मरणीय धार्मिक -सांस्कृतिक   नागराजा पूजा जात्रा वृतांत का बाकी  भाग 11   में पढ़िए

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            जै गाँव मा बिजली नि आंदि तो क्या उख रात नि हूँदि क्या  ?

                          मुंबई बटें जसपुर तक नागराजा पूजा जात्रा -11
                             अविस्मरणीय धार्मिक -सांस्कृतिक यात्रा वृतांत - 11                 
                                 
     
                              जत्र्वै - भीष्म कुकरेती


                       अच्काल मुंबई ह्वेन या निपट दूर दराजो गौं हो टेक्नॉलॉजी बदलण से हर रोज नै नै कहावत बणना छन अर खतम बि हूणा छन।  जन कि हमर गाँ मा पंद्रेक दिन बिटेन ट्रांसफॉर्मर कोटद्वार जोग हुयुं छौ तो गाँव दिन मा बि अन्ध्यर फील करणो छौ। अर यांइ पर एक कहवत एकाक मुखन सूण बल जै गाँव मा बिजली नि आंदि तो क्या उख रात नि हूँदि क्या  ? या जै गाँव मा बिजली नि आंदि तो क्या उख लोगुं तै निंद नि आंदि ? या जै गाँव मा बिजली नि हूंदी वै गां मा कुखुड़ बांग  नि दींदन क्या ?
  अब कहावतों पर बात आयि तो कुछ हौर नई कहावत (कै पणि बोल ) बि सुणिन अर मि यूँ कहावतों तै यीं जात्रा की महान उपल्ब्धियुं मादे एक उपलब्धि मणदु जन कि -
पैसा दिखावो तो राजधानी मा टीसी तुमकुण दारुका इंतजाम अफिक करलु।
जै गाँव मा मिलिट्री वाळ नि हून्दन तो उक  लोग दारु नि पींदन ?
नास्ता मा चाउ माउ का मतलब यु नी च कि मेरि कज्याण अळगसि च।
जा तैंकु झगड़ा बिजली बाबू से ह्वे जैन फिर दिख्दु कन बलब जगान्दि धौं।
जख ब्वारी , लौड़ी अर गौड़ी नि छन तो अमूल तो छैं च।
लौंड़ खर्चा पाणी नि द्याल तो बीपीएल कार्ड बणै द्योलु।
जैक पेंसन पट्टा च वैक लौड़ ब्वारी बि खूब सिवा करदन।
सरकारी साब अर परधानो दगड़ झगड़ा माने हुक्का पाणि बंद।
म्यार नौनु बच्युं राल तो मनरेगा से बि खै ल्यालु (म्यार नौनु बच्युं रालु त  हौळ फोडिक खै ल्यालु कहावत से उपजीं नई कहावत )
शौचालय से पता लगणु च तैकि कमाई छैं च।
मनिख मारी द्यावो तो जमानत मिल बि जाली पर सुंगर पर हथ बि उठैल तो  ....
बानी आणि च तैकि कज्याण परधानी जी बण गे।
नाक फुंजणो  सवर नी च अर परधानी बण गे।
इनि ऋषिकेश अर हरिद्वार मा बि भौत सा नई कहावत सुणिन।  चूँकि अधिकतर कहावत अचानक उपजणा छन तो कुछ कहावत वैबरी मर जाणा छन कुछ कहावत कुछ समौ बाद समाप्त हूणा छन अर कुछ कहावत सैत च सार्वभौमिक कहावत बणि जाला।






 अविस्मरणीय धार्मिक -सांस्कृतिक   नागराजा पूजा जात्रा वृतांत का बाकी  भाग  12  में पढ़िए

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Bhishma Kukreti

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                जमीनौ कार्यकर्ता , जमीनौक कार्यकर्ता अर जमींदस्त राजनीति 

                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती

                      उन तो रजनीतिग्य अपण पार्टीक कमियुं बड़ा मा कमि बुल्दन पर अजकाल लालकृष्ण आडवाणी पर यु जौर -च्यार ज्यादा इ लग्युं च।  मुलायम सिंग पर बि यु जौर लगदु च।  पर ब्याळि उत्तरप्रेदसौ मुख्यमंत्रीन एक बात बोली बल जमीनी कार्यकर्ता और जमीनका कार्यकर्ताओं मा भौत फरक हूंद।

             पर दिखे जावो तो राजनीती तो जमीनी कार्यकर्ताओं का  ना जमीनका दल्ला कार्यकर्ताओं का जिबळु , जाळ  , फंदा मा इ फंसी रौंदी।  दुर्योधनन एक इंच जमीन पांडवुं तै नि दे तो कुरुक्षेत्र ह्वे ग्ये।  कर्ण बि राजनैतिक कार्यकर्ता बणणो आई पर जमीनी हकीकत या छे कि कर्ण माँ जमीन नि छे तो दुर्योधनन डिस्क्रिमिनेसन पावर प्रयोग करिक कर्ण तै लैंड दे दे।  हरियाणा का भूतपूर्व , अभूतपूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा अर रजस्थान का ब्याळो सूबेदार गहलौतन बि डिस्क्रिमिनेसन प्रयोग कर दे अर रॉबर्ट बाड्रा तैं  जमीन अलॉट कर दे।  दुर्योधन कु डिस्क्रिमिनेसन सही माने ग्ये  पर हुड्डा अर गहलौत का डिस्क्रिमिनेसन गलत माने गे।  जमीन का मसला राजनीति मा महत्वपूर्ण हूंदी तबि तो द्रोणाचार्य तै राजकीय युद्धगुरु बणन छौ तो द्रुपद की जमीन छीन  दे या ह्वे सकद च राजकीय युद्ध गुरु बणनो बाद द्रोणाचार्यन  यदुरप्पा पुत्र जन  करतूत कर दे हो।  जमीन ही तो रजनीति की गूंद हूंदी ।

   

             देहरादून मा जावो जरा ! तो आप तै आधा से जादा नेताऊं परिचय इन पैल्या -

    जी यी उत्तराखंड भ्रान्ति दल का नेता छन अर फलैटों दलाली बि करदन।

     यदि कॉंग्रेस की सरकार हो तो - जी यी भाजपा का भारीभरकम नेता छन अर इस्टेट एजेंसी का काम बि करदन।

       अर भाजपा की सरकार हो तो - जी यी कॉंग्रेस का भारीभरकम नेता छन अर इस्टेट एजेंसी का काम बि करदन।

       अब जब कि कॉंग्रेस की सरकार च तो परिचय इन हूंद -  यी कॉंग्रेसी छन अर चुनाव की तयारी करणा छन अर फलण लैंड माफिया का सड्डू भाई छन।


           गढ़वळि माँ मिसाल च कि बड़ गोर घास खालु अर बछुर थुंतुर चाटल।  अब राजनीति मा छूट पार्टीका नेता दल्ला का नाम से भट्याए जांद तो बड़ी पार्टी का नेता भूमाफिया का समधी या साड्डू भाई से ख्याति पांदु।

  मुंबई मा यदि ब्वालो कि यी नेता याने सामाजिक कार्यकर्ता छन तो बुलणो  जरूरत नि हूंदी कि यी लैंड ग्रैबरों रिस्तेदार छन।  लैंड ग्रैबिंग/जमीन हथियाओ अर राजनीति अब एक हैंकाक पर्याय ह्वे गे। झूट बुलणु हूँ त बसुन्धरा राजे बौ अर दुष्यंत भतीजो तै पुछि ल्यावदी निथर चचा जी  शरद पवार या भतीजो अजित पंवार नि बताला तो भुजबल का ड्यार पड्यां छापा तो अवश्य ही बताला।  हाँ महराष्ट्र का महान कॉंग्रेसी अशोक चौहाण तो अबि बि बुल्दन कि आदर्श सोसाइटी से म्यार क्वी लीण दीण नी च ।

 अर तब बि सच नि आणि हो तो क्रिकेटर सुरेश रैना , रविन्द्र जडेजा अर वेस्ट इंडियन ब्रावो त  गवाही दे ही द्याला कि इण्डिया मा लैंड ग्रैबिंग अर राजनीती एक हैंकाक पर्याय ह्वे गे । या अलग बात च कि BCCI का मुखिया राजीव शुक्ला , अमित शाह , अरुण जेटली , अनुराह ठाकुर , शरद पवार का बयान तो यो हि ह्वाला  कि सब बकबास च।  क्रिकेट की जमीनी हकीकत बि या ही च कि क्रिकेट की जमीन बि अब भूमाफिया तयार करदो।


  अर तब बि सच नि आणि हो तो जरा डा रमेश निशंक का पॉलिटिकल ग्राफ देखि ल्यावदी बिचारा जमीन का बदौलत ही  निशंक से राजनैतिक  रंक बणिन । अर जमीन खिसकण से ही तो विजय बहुगुणा की जमीन खिसक ! जमीन राजनीती मा महत्वपूर्ण खेल खेल्दी।

अर एक जमीनी हकीकत बि या च कि जमीनी राजनितिक कार्यकर्ता कबि बि मंत्री नि बण सकदन।  मंत्री बणनो बाण तुमतै जमीनक सौदागर अवश्य बणन पोड़ल।  झूट बुलणु हो तो जोगेश्वरी , मुंबई का भूतपूर्व जमीनी सौदागर पुरषोत्तम सोलंकी से पुछि ल्यावदी जु अब गुजरात का मंत्री छन।



30 /6 /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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                    स्वच्छ भारत  , स्वच्छ भारत , बुद्धिमान भारत! 

Bhishma Kukreti

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                      उत्तराखंडौ  सांसदुंन सांसद निधि से कुछ बि खर्च किलै नि कार ?

                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती

           'ब्याळि देवभूमि की पुकार ' पत्र मा एक खबर छे बल " उत्तराखंड के एक भी सांसद सांसद निधि से एक भी पैसा खर्च नही कर पाये।  पांच लोकसभा सांसदों में से केवल भगत सिंह कोशियारी ने कुछ पैसा खर्च किया है । " खबर्या  श्री अरविन्द शेखर यीं खबर से खौंळेण्या छया ,   पित्याणा छया अर झसकेणा छया कि पांचो सांसदों तै 10 -10 करोड़  रुपया समाज प्रिय , जनप्रिय कामों बान मिल्दन अर सन 2015 केवल कोशियारी जीन 34 लाख खर्चा कार बकै सांसद सियां छन।

             मि यीं खबर पौधिक ना तो खौंळयों , न अचरज ह्वे ना मि गस खैक भ्युं पोड।  मि तै तो पता छौ कि उत्तराखंड का लोकसभा सांसद कुछ बि किलै नि कर सकणा छन।  पता नी श्री अरविन्द शेखर तै पता किलै नि चौल कि उत्तराखंड का सांसद सांसद निधि से एक बि ढेला खर्च किलै नि कर सकिन ?

                   जख तक टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी को सवाल च बिचारी पर सांसद निधि को उचित प्रयोग नि करणो अभियोग लगाण जनानी जात की बेज्जती करण च।  दिन मा सांसदुं मा चार या पांच ही घंटा तो हून्दन अपण व्यक्तिगत समय।  अब बिचारी माला राज्य लक्ष्मी तो मैत से बि राजघराना की च अर ससुराल से बि ियास्ट घराना की च तो उन बि बिचारी उल्ट लाब सुल्ट नि कर सकदी होली।  फिर एक घंटा तो अपण बाळ बणाण मा लगान्दी होली, फिर एक घंटा मुख लिपणम लग जांद होला , एकाद घंटा आई ब्रो ठीक करण मा लग जांद होला अर भारी भरकम साड़ी पैरण मा बि काफी बगत लगद भै !  अब राजरानी च तो मेक अप नि कारली तो बगैर मेकअप का राजररानी तै देखिक लोग झसक नि जाला ? फिर वा टिहरी की राजरानी च तो वीं तै टिहरी -उत्तरकाशी वळु फिकर ह्वेइ नि सकद।  भाई जै राजघरानान अपण अच्छो दिनों मा जनता तै ढिबर समज तो अब क्या सांसद ह्वेका वे राजघराना का उत्तराधिकार जन सेवा का काम कारल , सांसद निधि खर्च कारल तो रजघराना का नाम पर धब्बा नि लग जालो ? फिर टिहरी सांसद राज्य लक्ष्मीन अपण ससुर स्व मानवेन्द्र शाह कु इतिहास बि ज्ञात कर होलु अर पै होलु कि निककज्जु रैक बि महाराज मानवेन्द्र शाह संसद मा तीन चार दै विराजमान ह्वेन तो क्या मानवेन्द्र शाह की भू निककज्जु ह्वेक , बगैर जनहित का क्वी बि काम  कर्याँ सांसद जीवन नि बितै सकदी ? जरूर हैंक दै बि टिकेट वीं तै मिलण तो या सांसद जनहित का काम कारो या नि कारो क्या फरक पोड़दो ?

           अब बिचारा महान अनुशासक में ज भुवन चन्द्र खंडूरी अर भगत सिंह कोशियारी कु रूण तुमन द्याखि नी च तो तुम तै क्या पता यूँ पर क्या गुजरनी च ? बिचारा 75 साल का अळग छन अर मंत्री संत्री बण नि सकदन।  अब बताओ बुढ़ापा मा जब मुख पर दांत नि ह्वावन अर पेट मा आंत नि ह्वावन तो क्वी बगैर मंत्रीपद का जनहित का सोच सकुद क्या ? बिचारों तै बि पता च अग्नै भाजपा ना टिकेट बि नि दीण अर टिकट बि मिल ग्ये तो जितण त छौ नी च तो जनहित का काम मा खुट तुडै किलै करे जावो।  तो यूँ द्वी बुड्या ढांगों से तो अब जनहित का काम की उम्मीद करण इनि च जन बिरळौ औंरु  खुज्याण।  बिरळौ औंर तो मिल बि सकद पर खंडूरी अर कोशियारी से अब जनहित को काम कतै नि ह्वे सकदो।

  जख तक अल्मोड़ा सांसद अजय टमटा को सवाल च तो बिचारा वैदिन से ही गस खैक बेहोश ही होला जैदिन बिटेन समाचारों मा आइ कि अजय टमटा नरेंद्र मोदी सरकार मा मंत्री बणना छन पर ऐन बगत पर टुटकि ह्वे ग्ये तो यूंन बेहोस हूणी छौ अर बेहोस या अर्धबेहोस आदिम से क्या क्वी जनहित का कामौ उम्मीद कर सकद क्या ?

  बकै रै गेन अपणा पैंतराबाज डा रमेश निशंक तो निशंक साब तो भौत सा कामुँ मा व्यस्त होला जनकि अपण किताब छपवाण ,  इना ऊना जुगाड़ भिड़ांण।  सबसे बड़ो काम तो वो हिमालयी चिंता मा चिंतित होला ही।  फिर मंत्रीपद पाणो बान कैकि सुखद चम्पी करण मा व्यस्त होला , या कैकी मालिस मा व्यस्त होला या कैकि चम्पी करणा होला।  अर सबसे बड़ो काम निशंक साब माँ हूंद अपण ई पार्टयूं नेताओं की जमीन खिस्काणो तो इन मा निशंक का पास समय की कमी तो अवश्य ही होली तो सांसद निधि खर्च करणो उम्मीद निशंक से करण तो इनि च जन आकास से गैणा तुड़न।

         तो मि तै तो आश्चर्य नि ह्वे कि कोशियारी छोड़िक उत्तराखंड का सांसदुंन सांसद निधि से एक बि धेला  खर्च नि कार।  आपकी क्या राय च ? क्या आप आसा करदवां कि खंडूड़ी , राज्य लक्ष्मी , टमटा , निशंक जनहित का कामुं मा कुछ रूचि ल्याला , दिलचस्पी ल्याला या सांसद निधि खर्च करणो स्वाचल बि ?




1 /7  /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
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                             अविस्मरणीय धार्मिक -सांस्कृतिक यात्रा वृतांत -12                   
                                 
     
                                          जत्र्वै - भीष्म कुकरेती

                         जब हम गौं पौंछां त घाम  अछ्लेणु छौ या अछल इ गे छौ पर बीच बड़ो भारी तपड़ा मा गौं हूण से जड्डूं मा बि घाम अछलेणो उपरान्त बि भौत देर तलक चिट्टु उज्यळ रौंदु। मि तै ये बगत देखिक अपण बचपनो याद ऐ गेन अर मि मठम एक रस्ताक बेडू डाळक पास मूंड मा बैठि ग्यों जै मूंड मा हम गोर चरैक ऐका जरूर बैठद छ।  मूंड क्वी बडु जि नी त बैठणम सुभीता रौंदि।  अब चूँकि गोर गाँव की चवद्दी मा पौंछ जांद छ अर ईख बिटेन रस्ता सीधो गौं कि स्नन्युं मा इ जांद तो ग्वेर गोरुं फिकर करण बंद कर दींद छ।  पर फिर बि अफरा तफरी का माहौल  हूंद छौ। कैक क्वी गोर नि ऐ हो या कति गोर  भ्युंटळ चट्वा हूंद छ तो वो पाणी पास भ्युंटळ (पेशाब करीं जगा ) मा पिशाब चटण व्यस्त रै जावन तो वै गोर तै लाणो अफरा तफरी लगीं ही रौंद छे।  यु समय अचानक व्यस्त समय सि ह्वे जांद छौ।  कबि कबि कै मौक बछर सन्निम भैर फुचि रावण अर गौड़ी पौंचि  जावो अर बछर दूध पे जावो तो ग्वेराकि खैर नी कि तू बेडु डाळक मूंड मा किलै बैठि रै ? हम सब ग्वेर इकम गप्प सप्प मारण एक आवश्यक क्रिया समजदा छया।  फिर हैंक रस्ता बि छयो जु जंगळ अर  अन्य सार्युं गांवका किनारा से संन्युं तरफ जांद छौ अर उखम चंद्रमोहन भैजिक कूड़ो पैथर बणी दीवाल मा बि लोग बैठ्याँ रौंद छा अर गोरमंगन आंद गोरुं तै दिखणा रौंद छ। ये बगत चूँकि सब्युंक  गोर घौर आंदा छया तो अफरा तफरी अफिक ह्वे जांदी छे।  एक बात जो मि याद करदो कि बल्दुं घंडल अर बौड़ूँ घांडीक आवाज से हम सब पछ्याण जाँदा छया कि कैक गोर ड्यार पौंछि गेन अर कैक गोर पैथर कखम तक पौंछि गेन।

                    बल्दुं घंडल, बौड़ु घांडी एक सभ्यता छे , संस्कृति छे अर आवश्यकता बि छे।  कुयड़ लग्युं हो तो बल्दुं घंडल, बौड़ु घांडी से पता चल जांद छौ कि गोर कखम छन या रात बल्द -बौड़ हर्ची गए तो आवाज से पता चौल जांद छौ किबल्द या बौड़ कखम होलु। मीन गाँव १९७४ मा छोड़ी छौ अर आज २०१५ च तो सबसे बड़ो बदलाव इ ह्वे कि अब घाम अछलेणु छौ पर कखि बि ना तो क्वी गोर दिखे अर ना ही बल्दुं घंडल, बौड़ु घांडी सुणे।  असल मा अब खाली गांमा गोर  नामात्र का  ह्वेइ गेन अर गोर चराणो वा संस्कृति बि नि रै गे ज्वा  पैल छे।
आठ दस मौक़ा गोर बि एकै गौड़ी।  इनमा ग्वेरुं छ्वीं क्या लगाण ! इनि सरा गाँव मा शिल्पकार ख्वाळम गिरीश दा का इ एक जोड़ी बल्द छन तो अब बल्दुं घंडल, बौड़ु घांडी आवाज कखन सुणन छे ?
                हाँ अब बल्दुं घंडल, बौड़ु घांडी का संगीत  की जगा मोबाइल टोनन लियाल।  बल्द अर बौड़ु की घाँड्यू  बनि बनिक आवाज कि जगा अब तरह तरह की मोबाइल टोन  से लोग अब समज जांदन कि आस पास क्वा च।  अब तो नब्बे साल की बौडिक मोबाइल टोन पर आवाज आंदि कि पंछी हुँदो उड़ के आंदो त्यार  पास।  अर यदि बोडी से पूछे जावो कि क्या बडा  जी का पास (सोरग ) जाणै इच्छा च ?  तो बोडी नराज ह्वेका बुल्दी - अपण बडा का पास त्वी जा ,  म्यार तो हथ खुट खूब चलणा छन।  यु तो माणन पोड़ल कि मोबाईल टोनन म्यूजिक तै नया नया आयाम देन अब एक पहाड़ी गाउँमा जॉज टोन सुणयांदो तो हम तै मोबाइल अविष्कारक तै थैंक्यू तो बुलण इ पोड़ल कि ना ?
             हाँ चूँकि सब तै ये बगत ड्यार पौंछण पड़द तो लोगुं आण बढ़ जांद तो ये बगत मोबाइल टोनुं संख्या मा अचानक वृद्धि बि ह्वे जांदी।  यद्यपि हमर गांमा अबारी  बिजली नि हूण से मोबाइल चर्जिंग एक समस्या ह्वे गे छै फिर बि घाम अछलेणो बगत पर बल्दुं घंडल, बौड़ु घांडी संगीत की जगा रस्तों मा मोबाइल टोन से संगीत का मजा लुट्याणो बगत बि छौ। बस संगीत  का माध्यम बदलेन अर संगीत तो ज़िंदा च। 
                               


 अविस्मरणीय धार्मिक -सांस्कृतिक   नागराजा पूजा जात्रा वृतांत का बाकी  भाग   13  में पढ़िए

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Bhishma Kukreti

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                    गढ़वाली के महान व्यंग्यकार नरेंद्र कठैत जी  लम्पट ललित मोदी से भयंकर नाराज !


                                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती


              झूठिस्तान टाइम्स नाउ का खबरचीन बड़बोला खरबनबीस अर्णव गोस्वामी का कुत्ता तै दारु पिलैक पता लगाइ बल अब अर्णव गोस्वामी महाभारत तर्ज पर एक लाइव सीरियल बणांण वळ च बल जैक नाम होलु -ललितगेट।  अर्णव गोस्वामी तै भर्वस च कि लाइव युद्ध आधारित लाइव रियलिटी शो  से टाइम्स नाउ कि ज्वा लुटिया डूबीं च वा ललित गेट सीरियल से ठीक तो नि होली किन्तु टाइम्स नाउ की नाव छाल पर आणो आसार तो ह्वेइ जाला ।


                                  लोग अपण बिरणो तैं नि पछ्याणणा छन


          सरासर झूठो एक्सप्रेस दैनिक  का शहरी संवाददातान खबर दे कि न्यूज चैनलों मा लगातार सुबेर बिटेन स्याम रात तक ललित मोदी का लगातार समाचार दिखाण से सैकड़ों शहरी गूंगा बहरा  ही ना अपितु ऊं पर एक खतरनाक रोग लग गे कि वु अपण बिरण नी पछ्याणना छन।  इख तलक कि भाजपा अर कॉंग्रेस का नेताओं अर प्रवक्ताओं पर विस्मरण को भयंकर रोग लग गे।  भाजपा अर कॉंग्रेस का नेता अर प्रवक्ताओं की समज मा नि आणु च कि विरोधी पार्टी तै गाळी देकि वु ललित मोदी का बिछ्युँ  जाळ मा इ फंसणा छन अर ललित मोदी की ही सहायता करणा छन। ललित मोदीकी बिल्ली  से झूठो जागरण का खबरनबीस ना पता लगाइ कि गलादार ,छली , छगटु , फ्रॉड फंडधुळयुं  ललित मोदी की इच्छा च कि वु अपण ट्वीटर का जरिया भारत का सांसदों , राजनीतिज्ञों , न्यापालिका , कार्यपालिका अर चतुर्थ इस्टेट पत्रकारिता पर इथगा अभियोग , कीचड़ लगै द्यावो कि लोग बुलण लग जावन की भारत का सांसद , राजनीतिज्ञ , न्यायपालिका अर कार्यपालिका ही पापी च अर ललित मोदी तो पुण्यात्मा च।  पत्रकारों का काम से तो लगणु च कि ललित मोदी अपण उद्येस्य मा सफल ह्वे ग्ये।  जब एक झूठो , मकार का ट्वीटर से हफ्तों तक समाचार माध्यम समाचार बणला  तो एक चोर , मक्कार , फ्रॉड तै सफलता मिलणी च।

                       

                           आडवाणी , मोतीलाल वोरा, करुणानिधि  की ललित मोदी से गुजारिस


       काळो उजाला का समबाददातान समाचार दे बल भारत का बुजुर्ग राजनीतिज्ञों जन लालकृष्ण आडवाणी , मोतीलाल वोरा , करुणानिधि , जसवंत सिंह , आदि एक प्रतिनिधि मंडल लंदन ललित मोदी का पास भिजण वाळ छन , प्रतिनिधि मंडल ओछा प्रकृति का ललित मोदी से प्रार्थना कारल कि मानवीय याने ह्यूमन  ग्राउंड पर अब राजनीतिज्ञों नाम लीण बंद कर द्यावो।  सब तै डर च कि यदि ललित मोदी इनि राजनीतिज्ञों नाम लींद रालो तो क्वी बि नि बचलो अर गंदी राजनीती तो कीचड़ राजनीति कहलायी जाली। सुणन मा आयि कि अब अर्णव गोस्वामी बि ललित मोदी से प्रार्थना करणो लंदन जाणु च कि अब तो बंद कारो ये ट्वीटरों की बरखा।  अर्णव गोस्वामी का वास्ता ललित मोदी गौळै हड्डी बण ग्ये । 


                         गढ़वाली के महान व्यंग्यकार नरेंद्र कठैत लम्पट ललित मोदी से भयंकर नाराज


  पौड़ी से अति झूठा लण्डेर संवाददाता न खबर दे कि गढ़वळि का महान व्यंग्यकार नरेंद्र कठैत हळकट ललित मोदी से नराज चलणा छन अर इथगा नराज चलणा छन कि सांत्वना दीणो बुजुर्ग साहित्यकार भवति प्रसाद नौटियाल पौड़ी जयां छन।   भौत दिनों से महान व्यंग्यकार गढ़वाली कवि सम्मेलन संयोजकों से परेशान , छया , बीमार छया , बिस्तर मा छया कि क्वी बि संयोजक वूं (नरेंद्र कठैत ) जन महान कवि तै कवि सम्मेलनों मा नि बुलांदन। पैली गढ़वाली कवि संयोजको से पित्यां , परेशान , पिल्थी (चिड़चिड़ा ) हुयां अर अब एक हैंक बीमार नरेंद्र कठैत पर लग ग्ये।  नरेंद्र कठैत जी तै हर एक घंटा मा झ्वां  आणा रौंदन कि ललित मोदीन इन किलै कार।  नरेंद्र कठिर हर समय ट्वीटर पर नजर गड़ै का रखदन किन्तु चालाक लोमड़ी ललित मोदी का ट्वीट नि आंदो।  नरेंद्र कथित तै भर्वस च कि खळचटी ललित मोदी एक दिन ट्वीट कारल कि म्यार संबंध महान व्यंग्यकार नरेंद्र कठैत  से बि छन।  किन्तु नरेंद्र कठैत ललित मोदी की अवहेलना से निरास ह्वेका गस खाणो बुरी स्थिति मा ऐ गेन अर बीमार चलणा छन।  गढ़वाली लिटरेचर असोसिएसन का अध्यक्ष अब ललित मोदी का वात्सा चिट्ठी भिजणो  तयारी मा छन जो ललित मोदी से प्रार्थना कारल कि नरेंद्र कठैत जन महान व्यग्यकार की  अवहेलना बंद कारो अर लोगुं तै बताओ कि ललित मोदी का संबंध महान व्यंग्यकार नरेंद्र कठैत से बि छन।





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*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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