Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 360466 times)

Bhishma Kukreti

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Best  Harmless Garhwali Literature Humor  on Fake Degree  ; Garhwali Literature Comedy Skits on Fake Degree , Garhwali Literature  Satire , Garhwali Wit Literature , Garhwali Sarcasm Literature  , Garhwali Skits Literature , Garhwali Vyangya  , Garhwali Hasya

             प्रसिद्ध   फेक यूनिवर्सिटी कुण योग्य असली डिग्रीधारी चित्रकार चयेणा छन  जु  ....

                   

                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती


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     हमरारी फेक यूनिवर्सिटी तैं अब्याकि अबि असली डिग्रीधारी चित्रकार चयेणा छन जु फटाफट नकली पेंटिंग , प्रिंटिंग का उस्ताद ह्वावन।

   हमारी फेक यूनिवर्सिटी दुन्या की सफ़लतम यूनिवर्सिटी च जैं तै बिहार सरकार , उत्तर प्रदेश सरकार से , बिहार सरकार से खुलेआम फेक मान्यता मिलीं छन।  हमारो  मिसन च कि केंद्र सरकार इ ना हरेक रज्य सरकार का शिक्षा मंत्री हमर नकली विश्वविद्यालय कु डिग्रीधारी हो।

                                                       हमर विजन


भोळ भारत जन गरीब देस मा जख शिक्षा इतगा मंहगी ह्वे गे अर अमीर लोगुं कुण बि शिक्षा पाण कठण ह्वे गे तो हमारो विजन च कि भारत कॉलेज बिहीन ह्वे जावो।  भारत मा कखि बि कॉलेज की जरूरत नि हो अर हरेक चौरहा पर हमर डिग्री बंटेणी रावो।


                                                      हमारा सलाहकार

 हमारी फेक यूनिवर्सिटी की  मुख्य सलाहकारण श्रीमती यादास्त ईरानी च अर वींका मुख्य उप सलाहकार बंदा तावड़े , सब्युंका  तोमर जन भूतपूर्व मंत्री छन।


                                           प्रत्यायक (Credentials )


                    बिहार सरकार गवाह च कि हम कै बि प्रकार की कै गधा तैं बि दे सकदां अर क्वी बि सुंगर हमारी डिग्री का बदौलत बिहार मा अध्यापक या प्रोफेसर बण सकद।  बिहार समेत कई राज्यों मा हम पर अनाम नाम पर सैकड़ों केस चलणा छन जु यांक प्रमाण छन कि हम सड़ी,  गळी, मोरीं  भारतीय शिक्षा का भतियाभन्द करणो बान सबसे योग्य माध्यम छंवां। भारतीय शिक्षा को मटियामेट करण मा हमर योगदान जग जाहिर च।   झूट बुलणा हुवाँ तो कोर्ट मा जैक देखि ल्यावो कि मंत्र्युं पर कन झूटी डिग्री का केस चलणा छन।


                                      अध्यापक विहीन यूनिवर्सिटी

  हम लार्ड मैकाले की शिक्षा का बुगचा बणाण चाणा छया तो हमन शुरू से ही अपण आत्मा गिरवी धौरी दे।  हमर   यूनिवर्सिटी मा क्वी बि अध्यापक नी च , क्वी बि स्कूल कॉलेज नी च। बस हम डिग्री प्रिंट करणो उस्ताद छंवां। हमर प्रतिनिधि प्रसिद्ध कोचिंग क्लासेज छन। 


                               राजनैतिक दलुं वरदहस्त हम पर च


 हमर दगड काम करण मा डरणो जरूरत नी च। हमर ऊपर  सबि छुटि -बड़ी, ज़िंदा -मरीं , सबसे पुराणी ,  अबि आयीं पॉलिटिकल पार्टयूं बरद हस्त हमर सर पर च तो हमर दगड़ काम करणै , डरणै आवश्यकता नी च। क्वी बि मंत्री , संत्री नि चांदो कि हम न्यायिक हिरासत मा पकड़े जौंवाँ किलैकि हमर पकड़यांण से ऊँका नेताओं की बि त पोल खुलि जाली।

                 

                         विदेशी यूनिवर्सिटी की डिग्री अर स्किल ओरिएंटेड फेक डिग्री का वास्ता चित्रकार चयेणा छन

 

  चूँकि अब भारतीय यूनिवर्सिटयूं मा आरटीआई का द्वारा हमारी पोल खुलण लग गे तो अब हम केवल फॉरेन यूनिवर्सिटयूं डिग्री बांटणो धंधा करण मिस गेवां।  अर जाळी  स्किल ओरिएंटेड डिप्लोमाओं का धंधा करण लग गेवां।  असली विदेशी यूनिवर्सिटी की डिग्री या डिप्लोमाओं की हु बहु पर जरा अलग नकल का वास्ता अनुभवी चित्रकार अर तकनीशियन चयेणा छन।  जाळी साजि करण वळु तै वरीयता मीलली।  तनखा की क्वी तंगी नी होली।  जब तक भारत मा सड़ी -गली -बेकार शिक्षा पद्धति राली तब तक जाळी -साजि -भ्रस्ट लोगुं तै तनखाकी क्वी तंगी नि ह्वे सकदी। चित्रकार का पास असली यूनिवर्सिटी की डिग्री आवश्यक च।  बेईमानी  मा योग्य व्यक्ति आवश्यक हूंद।

         तुरंत अप्लाई करें -

द्वारा - कद्दावर नेता , भूतपूर्व और  सजायफ्ता मंत्री

कोठी नंबर 420

नौटंकी गली

बदनाम सट्टा  बजार के पास

नई दिल्ली

                                         


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*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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Bhishma Kukreti

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No Progress Uttarakhand Tourism

                 सिलोगी डांडा मसूरी से किलै चिरडेणु च , जळणु च , खिरसेणु च ?


                   

                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती


जसपुरौ लयड़ो डांड -ये सिलोगी डांड !  क्यांक आँसु अर कैकुण सि आँसु ? आज कैकुण  रुणि छे ?

सिलोगी डांड - हजारों  साल नरगिस अपनी बेनूरी पर रोती है

जसपुरौ लयड़ो डांड -अर मि अफु तै अर तीते देखिक बुललु कि बड़ी मुस्किल से पैदा होता है दीदावर पर पैदा।
सिलोगी डांड -वी त रूण  च

जसपुरौ लयड़ो डांड -ह्यां शायरी नि करदि अर इन बतादि कैकुण रुणि छे ?
सिलोगी डांड -हूँ ! मै लगद मि अंग्रेजुं कुण रूणु छौं जौन मसूरी , पौड़ी , नैनीताल , कसौनी की  सुध ले  मेरी सुध नि ले।

जसपुरौ लयड़ो डांड - अंग्रेजुं कुण त मी बि रूंद कि मसूरी पौड़ी से आकर्षक जगा मि छौं  पर छ्वारा -छपार , अनाथ जन जिंदगी काटणु छौं।  पैल म्यार गाँव जसपुरौ खेती ले करदा छा पर अब त बुल्याणु च -मुफलिसी ठहरने नही देती घर में हमको
सिलोगी डांड -और परदेस में बेटा रहने नही देता।  है ना ?

जसपुरौ लयड़ो डांड -अच्छा मेरी इकुलास , बांझपन , उजाड़ जिंदगी  बात तो छोड़ तू तो आबाद छे , सरा क्षेत्र मा बड़ बजार का नाम से प्रसिद्ध छे।  तू रूणु किलै छे ?

सिलोगी डांड - मै लगद मि उत्तर प्रदेश सरकारों कुण रूणु छौं कि वीं सरकारन मे सरीखा संभावना से  भरपूर जगा तै ,ज्वा जगा पांच हजार फ़ीट  पर च , जख बिटेन उत्तर मा बद्रीनाथ याने चौखम्बा दिखेंद , पश्चिम मा मसूरी दिखेंद , दक्षिण मा माबगढ़ दिखेंद ,पूरब  मा सरा गढ़वाल दिखेंद वीं बहुमूल्य जगा तै पर्यटन क्षेत्र मा विकसित नि कार। मि उत्तर मुखी , दक्षिण मुखी , पूर्बमुखी छौं।

जसपुरौ लयड़ो डांड -अरे तू तो सदानंद कुकरेती जीक अर कड़तीं वळु परतापन  आवाद ले छे।  ऊंन सन 23 मा तै घणघोर जंगळ मा स्कूल ख्वाल अर त्वै तै आबाद कार तू तो  ज़िंदा छे पर त्यारि बगल मा , द्वी मील दूर मि छौं पर ज़िंदा ह्वेक बि मुर्दा छौं , ब्यौ ह्वेका बि रंडोळ जिंदगी काटणु छौं , सधवा , सिंदूर ह्वेका बि विधवा  जन खाली मांग वळि बण्यु छौं।  उत्तर प्रदेश सरकार पर तो मीन रूण छौ कि ऋषिकेश से ढाई-तीन  घंटा , कोटद्वार से बि ढाई -तीन घंटा अर देबप्रयाग से तीन चार घंटा कु रस्ता पर बि मि बांज छौं।  म्यार मुकाबला मा कसौनी क्या ह्वे सकुद पर भाग्य भाग्य , जोग -जोगुं बात च न ही अंग्रेजुंन मेरी सुध ले,  ना ही लखनऊ सरकारन म्यार तरफ द्याख।  रूण तो मि तै चयेंद कि मेरी पर्यटन स्थल की संभावनाओं की कैन बि कदर नि कार। ते से अधिक सौड़ -चौड़ जगा च मीम ! रूण तो मीन छौ।
सिलोगी डांड -मि तै लगणु च मि उत्तराखंड सरकारौ कुण रूणु छौं कि पता च कि उत्तराखंड मा पर्यटन से ही विकास ह्वे सकद अर केवल धार्मिक पर्यटन से पुटुक नि भरेंद किन्तु नाना प्रकार का नया नया पर्यटन का इंतजामात करण से इ पर्यटन बढ़ सकद।  त म्यार अर त्यार जन जगाऊं पर्यटन स्थाल का रूप मा विकास आवश्यक च।  पर उत्तराखंड बणनो बाद अखबारुं मा अवश्य ही हल्ला मच कि उत्तराखंड तै विश्व प्रसिद्ध पर्यटक क्षेत्र विकसित करे जालो किन्तु त्यार अर म्यार हाल देखिक तो इनि बुले सक्यांद सब योजना कागजों अर भाषणो मा बणिनं अर व्यवहार मा कुछ नि ह्वे।

जसपुरौ लयड़ो डांड -हाँ यु तो मि रूणु छौं।  पर मै लगद कि हम पर्यटक स्थल का रूप मा विकसित नि हुवाँ उखमा क्षेत्रीय जनता कु ही दोष च।
सिलोगी डांड -क्या क्षेत्रीय जनता कु दोष ?

जसपुरौ लयड़ो डांड -हाँ देख ! तेरी अर मेरी भौगोलिक स्थिति मा रति भर कु बि फरक नी च किन्तु जब सदानंद कुकरेती जन पारखीन सिलोगी मा स्कूल खुलणो विचार कार तो कड़तीं गाँव वळुन अपण जमीन द्याई अर स्कूल खुलणो बाण सरा ढांगू , डबरालस्यूं अर लंगूर पट्टी वळुन जान लड़ै दे।  क्षेत्रीय अभिलासा ही क्षेत्रीय विकास करदी।  क्षेत्रीय सामूहिकता, एकता  ही विकास की सीढ़ी च अर फिर जब तक क्षेत्रका लोग त्याग नि कारन कुछ नि ह्वे स्कड।  क्षेत्रीय आकांक्षा , अभिलासा अर कार्यशीलता ही विकास सकदन ना कि केवल सरकार।
सिलोगी डांड -ये यी पूरब दिशा से लैंसडाउन याने काळो डांड बिटेन क्या आवाज आणि च ?

जसपुरौ लयड़ो डांड -हाँ हाँ ! लैंसडाउन ही जोर जोर से कुछ तो बुलणु च।  फ़का जरा सुणदा कि लैंसडाउन क्या बुलणु च धौं।

सिलोगी डांड - अरे सिक्की दिखाणु होलु कि वु टी अंग्रेजुं प्रतापन भौत बड़ो पर्यटक स्थल बणी गे अर हम जख्याक तखी छंवां।

जसपुरौ लयड़ो डांड -सूण त ले लैंसडाउन क्या बुलणु च धौं।

लैंसडाउन - अरे तुम अपण अपण लगौणा छंवां कि उत्तराखंड मा नया नया पर्यटक स्थलुं विकास हूण चयेंद।
सिलोगी डांड -हाँ किलै ना।  ते से तो अधिक आकर्षक मि अर लयड़ो डांड छंवां तो सरकार अर क्षेत्रीय समाज पर रोष तो आणि च कि ना ?
लैंसडाउन - हाँ तुमर  रोष अपर जगा सही च।  पर एक बात हैंकि बि च।

जसपुरौ लयड़ो डांड -क्या ?
सिलोगी डांड -हाँ हाँ सुणा !
लैंसडाउन - अरे अंग्रेजुं परताप जु पर्यटक स्थल थोड़ा बहुत विकसित हुयां बि छया सरकार ऊँ को विकास ही ठीक ठाक ढंग से नी करणी च तो नया पर्यटक स्थलुं विकास क्या ख़ाक कारली सरकार ? जरा म्यार इ बुरा हाल देखि ल्यावो। 

जसपुरौ लयड़ो डांड -ये ले हम संभावनाओं से भरपूर अपण रूण रूणा छया तो सि लैंसडाउन बि रूणु च।  किस किस को याद करें , किस किस को रोयें  --
सिलोगी डांड -आराम बड़ी चीज है मुँह ढक के सोयें


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                               ये परधान ! अब तू इ म्यार नातिक पूठ धू !

                   

                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती

ब्वारी - ये जी क्या कन ?

सासु (बुडड़ि ) कन क्या करण।  तौं गोरुं तै तड़म लगादि।  गोर मा जादि।

ब्वारी - हाँ पर ये निर्भागणि नाक कु फुंजल। ब्याळि त मीन अपण नौनी बोलिक  फूंजि दे पर रोज रोज कु फूंजल बच्चोंक नाक। ग्विरमिलाक ह्वे गे अर अबि बि ईंक नाक पर पपड़ा लग्यां छन।

सासु -मि तै नि सुणा हाँ।  मीन त नि फुंजण तैंकि नाक।

ब्वारी - हाँ पर परधान ज्योरूम तो जावो कि इन कब तक बगैर नाक फुँज्यां कब तक राला हमर नौना -नौनी।

सासु - हाँ बोट लींद दैं तो खुट मा पोड़ि छौ अर  नाती नतिण्यूं नाक फुंजणो सवाल ऐ तो ददि मरि गे तै परधानै।    मि यीं तै लेकि परधानम जांदु अर वैमा इ ईंक नाक पुंजेक लांदु।   तुम गोरम  चल जावो।

(बुडड़ि नातण लेकि चल जांदी )

जवान बुडड़ि - ये दीदी ! कख जाणि छे /

बुडड़ि  - जाण कख च वै परधानौ कुण रूणो जाणु  कख ! अर तेरी लाठी कखक दौड़ मा ?

जवान बुडड़ि -मि बि परधानौ खत्ता भरणो इ जाणु छौं अर। क्या  हमन त ब्वाल पढयूं -लिख्युं च तो गाँवकुण कुछ कारल पर यु त अनपढ़ों से बि फंड च कुछ बि विकासौ काम नि करदु।

बुडड़ि  -हाँ तो बुन्याइ  सीं मेरि नातणि नाक दिखदि -सुबेर बिटेन नाक बगणु च पर अबि तक परधानौ इन मर्युं च ईंक नाक साफ़ नि ह्वे साक।

जवान बुडड़ि - तैंको त नाक इ ले च।  म्यार ये नातिक त द्वी दिन बिटेन पूठ इ साफ़ नि ह्वे।  अजकालो फेसबुक्या , इंटरनट्या ब्वार्युं कुण क्या बुलण।  ब्वारी बुलणि च जब बच्चोंक सफाईका का काम ग्रमसभौ क च त किलै बच्चोंका नाक हम साफ़ करला ?

बुडड़ि  -उन ब्वार्युं बुलण बि सै च किसरकारौ काम हम किलै करवां ?

जवान बुडड़ि -हाँ हमर काम च बच्चोंका नाक -पूठ साफ़ करण ? आज तो  मीन परधानौ बांठै इन धरण कि सोरग मा वेक बुबा ददा बि याद करण बिसे जाला।  क्या परेशानी हुइं च द्वी दिन ह्वे गेन अर म्यार नातिक पूठ पुंजणो क्वी नि आयि।

बुडड़ि  -ले सि परधान बि अपणो चौक मा मिल गे।

जवान बुडड़ि -क्या रै परधान क्या बण गे तो त्वेपर फंकर लग गेन हैं ?

परधान -क्या ह्वे बोड्युं  ? हाँ नाक पूठ पुंजणो बात हो तो बात नि करिन हाँ।  सुबेर बिटेन सब तै जबाब दींद दींद मेरि टक टूटि गे।

बुडड़ि  -अरे हम जबाब मांगणो नि अयां छंवां। मि त अपण नातिणो नाक फुंजाणो अयुं छौ।

जवान बुडड़ि -अर मि तीम अपण नातिक पूठ फुंजवाणो अयुं छौं।

परधान - यां सुबेर बिटेन समजान्द समजान्द म्यार गिच्च पर फ्यूण ऐ गे कि बच्चों का नाक -पूठ फुंजणो कर्तव्य ग्रामसभा को नी च।

बुडड़ि  - अरे पिछला द्वी मैनौं मा त  हमर बच्चोंका नाक -पूठ सरकारी आया इ फुंजणि छे कि ना ?

जवान बुडड़ि - क्या सज से सौज सौज वा आया बच्चोंक नाक फुंजदि छे , बड़ा सलीका से पूठ फुंजदि छे अर डिटॉलन पूठ धूंदि छे , फिर नरम तौलिया से पुंछदि छे , अर अंत मा पाउडर छिड़कदि छे।  बच्चा कथगा बिगरौ से अपण नाक अर पूठ साफ़ करवान्द छा।  अर अब सब बंद किलै कार तीन ?

परधान - मेरी बोइयो ! यह सरकारी योजना थी।  तुम लोगुं तै सफाई प्रशिक्षण दीणो बान आया भिजे गे छे कि तुम गाँव वळ सफाई सीखी जैल्या।  पर काण्ड इ लग गेन कि तुम अब अपण इ बच्चों नाक पूठ साफ करण भूलि गेवां।

बुडड़ि  - अब त पूठ धूण त राइ दूर हम तै बच्चोंका नाक कागज से बि साफ करण मा घीण लगद।

परधान - हाँ पर अब सफाई प्रशिक्षणों योजना खतम ह्वे गे।

जवान बुडड़ि - हम कुछ नि जाणदा तू इ हमर नाती नतिण्यूं नाक पूठ साफ़ कर।

बुडड़ि -निथर याद च हमन त्वे से पैलाक परधानौ क्या हाल करिन ! कोढ़ी जन अपर उबरौन भैर नि आंदो अब।

परधान - अरे मि संगळी बौ कुण ब्वाल बि च कि मि एक दिनों ध्याड़ी जगा द्वी दिनों मनरेगा की ध्याड़ी द्योलु पर वा बौ तो एक दिनाकी ध्याड़ी जगा चार दिनों ध्याड़ी मंगणी च।

जवान बुडड़ि -तो दे देदी एक दिनों बदल चार दिनों ध्याड़ी।  मनरेगा कु यु त फायदा च कि -

परधान - अरे पर मथि वाळ आठ दिनों ध्याड़ी पौंछाणो बुलणा छन।

द्वी इकछुटि -हाँ चैन से रौण त हमकुण आया का प्रबंध कौर।  निथर -----

परधान -ठीक च।  मि मथि फोन करदु।  (फोन पर )  हाँ साब ठीक च आया का बाबत आपौ कुण एक दिनौ ध्याड़ी जगा आठ दिनौ ध्याड़ी पौंछि जाली।  ओ धन्यवाद जी।

परधान - जावो संगळी बौ तै भ्याजो।  स्याम बिटेन नाक -पूठ पुंजणो ऐ जाली।  अब त जावा संगळी बौ तै जल्दी भयाजो।



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Jaspur Ka Kukreti

Bhishma Kukreti

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               भाजपा तैं भूतपूर्व बेशरम , बकळि चमड़ी का कॉंग्रेसी प्रवक्ता चयेणा छन


                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती

  (दिल्ली का चौबटु )

एक नंबरी भाजपा नेता -भीषम जी ! भीषम जी ! जरा भूतपूर्व बड़बोला कॉंग्रेसी प्रवक्ता का पता बता दियां जी। हमारी पार्टी तै भूतपूर्व बड़बोला कॉंग्रेसी प्रवक्ता की अत्यंत आवश्यकता च।

मि -अरे आरएसएस का प्रचारकों से बढ़िया प्रवक्ता ?

एक नंबरी -मीम आपक सवालुं जबाब दीणो टैम नी च।  मि अफिक बड़बोला प्रवक्ता खुजे ल्योलु।

मि -अरे द्वी नंबरी जी तुम कख छलांग लगैक भजणा छंवां ?
द्वी नंबरी -मीम बिंडी समय नी च मि भूतपूर्व चचरट्या कॉंग्रेसी प्रवक्ता की खोज मा जाणु छौं जु चचराट से भाजपा की लुढ़कदि लाज बचै साको।  ये ब्वै मि तै और तेज छलांग लगाण पोड़ल तब जैक चचरट्या प्रवक्ता मीलल। 

मि -ये तीन नंबरी भाजपा नेता जी सि चौंर्या स्याळो तरां जुपकणि मारदा मारदा कनै दौड़ना छंवां ?

तीन नंबरी -हम तै बदखोर , बबरट्या भूतपूर्व कॉंग्रेसी प्रवक्ता चयेणा छन  जु हमर बड़ा नेताओं का पति , पत्नी जंवै , बेटा , बेटी का काळा कारनामाऊँ तै न्यायोचित  सिद्ध कर साकन जन पैल कॉंग्रेस्युंन रॉबर्ड बाड्रा का कारनामों तै सही ठहरै छौ। ये मामला मा कॉंग्रेसी परिपूर्ण अनुभवी छ।   मीम एक सेकंड रुकणो टैम नी च।

मि -ये चार नंबरी भाजपा नेता जी ! कख कुद्दी मारिक जाणा छंवां ?
चार नंबरी -मि जघन्य से जघन्य घोटाला जन व्योपम घोटालों का कुतर्क से बचाव करणम सिद्धहस्त भूतपूर्व कुतर्की कॉंग्रेसी प्रवक्ताओं तै ढुंढणो जाणु छौं।  फिर कबि फुरसतम मिलला। कॉंग्रेस्यूं से बड़ा कुतर्की कु ह्वे सकदन ? अच्छा फिर    …

मि -ये छै नंबरी भाजपा तू छलांग किलै मारणी छे ?

चार नंबरी -अरे भूतपूर्व बकळि चमड़ी का कॉंग्रेसी प्रवक्ताओं तै भाजपा मा लाणो जाणु छौं।  जु धाकड़ पत्रकार अर्णव गोस्वामी , थापर तै बि बौं हौड़ तै दैं हौड़ बेशर्मी से बतै द्यावन।  भोळ बात करला।

मि -ये पांच नंबरी भाजपा नेता दौड़ ?
पांच नंबरी -मि धाकड़ वकील जन कपिल सिब्बल की खोज मा जाणु छौं जु अरबों का घोटाला तै जीरो लॉस याने शून्य हानि सिद्ध कर साकन।

मि -अरे स्टिंग्या पत्रकार जी यी क्या सब भाजपा का नेता भूतपूर्व कॉंग्रेसी प्रवक्ताओं की खोज मा किलै जाणा छन ?
स्टिंग्या पत्रकार - वु क्या च फिलम , चिलम अर राजसत्ता का अडिग सिद्धांत हूंदन।  निरंकुश राजसत्ता आयि ना कि सत्ताधारी भ्रष्ट हूणम देर नि लगांदन।  तो भाजपा का नेताओं पर भ्र्ष्टाचार , अनाचार , आचारविहीनता का आरोप लगण बिसे गेन।  अर भ्र्ष्टाचार , आचारविहीनता , अनाचार तै न्यायोचित बताण मा भाजपा का प्रवक्ता अबि प्रवीण नि ह्वेन तो अनुभवी कॉंग्रेसी प्रवक्ताओं की आवश्यकता तो भाजपा तै पड़लि ही कि ना ? अर ये मामला मा कॉंग्रेस का प्रवक्ताओं से अधिक बेशरम , बदजात , काळो तै सफेद बताण वळ , अन्याय तै न्यायोचित बताण वळ , बकळि  चमड़ी का अनुभवी प्रवक्ता क्वी नी च तो भाजपा वळ भूतपूर्व कॉंग्रेसी प्रवक्ताओं तै भाजपा मा लाणो तयारी करणा छन।  किलैकि अब रोज , भाजपा का  एक नया भ्रष्टाचार तो समणि आलो ही कि ना  तो फिर बचाणो बान झूठा प्रवक्ताओं की जरूत तो पड़लि ही।  अच्छा मि एक स्टिंग ऑपरेसन  मा जाणु छौं।

मि - ये भाजपा का दस नंबरी नेता जी तुम किलै भगणा छंवां ?

दस नंबरी भाजपा नेता - जु यी सब भाजपा का भागणा छन न मि ऊंकी टांग खैंचणो जाणु छौं कि यी में से अगनै नि जै सक्यां।



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                    जनता तब बि  अंधि नि छे , तब बि बैरि नि छे आज बि  लाटी कालि नी च


                                     चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती


            अजकाल दिल्ली की सरकार याने अरविन्द केजरीवाल की सरकार टेलीविजन चैनलों मा दे दना दन विज्ञापन दीणी च बल - हमर सरकारन इन कार , तन कार अर क्या नि कार।  मि तै अरविन्द केजरीवालका सलाहकारों पर दया तो आणि इ च दगड मा अरविन्द केजरीवाल का पागलपन पर हंसी बि आणि च।  जी हाँ अरविन्द केजरीवाल अपण सरकारों काम का विज्ञापन करिक पागल जन हरकत करणा छन।

             सरकार तै अपण कार्यों का विज्ञापन नि दीण चयेंदन अपितु योजनाओं तै जन जन तलक पौंछाणो विज्ञापन दीण चयेंदन।  केजरीवाल शायद बिसरी गेन कि शीला दीक्षित की  कॉंग्रेसी सरकार अपण सरकारौ काम बताणो बान करोड़ों खर्च करिन अर ह्वाइ क्या च किदिल्ली विधानसभा मा बीजेपी तै बतीस अर आप तै बाइस -चौबीस सीट  मिलेन।  कॉंग्रेस का विज्ञापन पर रंगुड़ फिर गे। इथगा विज्ञापनों बाद बि कॉंग्रेस का पुंगड़ों मा ग्यूंका जगा जख्या भंगुल जामि गे।

               फिर दुबर चुनाव आयि तो भाजपा पागल ह्वे गे अर इन इन अनघड़ विज्ञापन बाजी मा फंस कि मि तै विज्ञापन रचनाकार पर हंसी नि आयि अपितु नरेंद्र मोदी अर अमित शाह का पागलपन पर रूण आयि कि यूँ पर इथगा जल्दी बौळ किलै फैली ?

केजरीवाल की आम आदमी पार्टिन विज्ञापन कुछ खास नि देन पर सहतर मादे सड़सठ सीट माँ जीती गे।  जी हाँ अरबों रुपया खर्च करिक बि भाजपा तीन सीट अर बिना बजट का बि केजरीवाल अड़सठ सीट ली गे।

                  यानी पॉलिटिक्स मा विज्ञापनबाजी कुछ नि करदि।  बल्कि जनता की धारणा ही सब कुछ करदी अर जनता की भावना विज्ञापनों से नि बणदि या बदलदी।

              जौन इंदिरा गांधी की इमरजेंसी देखि हो ऊँ तै याद ह्वालु कि इंदिरा गांधींना इमरजेंसी तै सही सिद्ध ठहराणो वास्ता विज्ञापनुं का गुबार , धुंवा कर दे छौ पर ह्वाइ क्या च ? इंदिरा गांधी को सिंघासन का कबाड़ा , बुगचा बण गे, धरासायी ह्वे गे ।  जनता तब बि अंधि नि छे।

    फिर सन 80 का अगला चुनाव आरएसएस समर्थन से बाबू जगजीवन राम तै बतौर प्रधानमंत्री का खूब विज्ञापन जनता पार्टी या जनता दल ना करिन पर जीत ह्वे इंदिरा गांधी की।  तब बि जनता सब जानती थी। अर विज्ञापन की तगत किदलु से बि फंड सिद्ध ह्वे।  जनता माँ की धारणा विज्ञापनों से नि बणदि बल्कि जनसंपर्कीय सिद्धांतुं से बणदि।

        फिर जरा राजीव गांधी सरकार का सांप -बिच्छू का विज्ञापन याद कारो त सै ! कुछ नि ह्वे अपितु विज्ञापनुं की भद पिट अर राजीव गांधी की पार्टी लोकसभा चुनावुं मा चित्त ह्वे गे। जनता गूंगी ह्वे सकदी किन्तु नासमझ , बेवकूफ अर लाटी नि हूँदि।

  जरा नरसिम्हा राव की सरकार का विज्ञापनुं तै याद कारो।  खर्चो का पर्चो बि वापस नि आई।  तब से कॉंग्रेस ही समाप्ति का रस्ता पर दिखे।

          वाजपई सरकार का शाइनिंग इंडिया विज्ञापनुं बात क्या करण ? बाजपई का विज्ञापन जन धारणा समणि धूल चटदा रै गेन।

             मिंया मुलायम सिंह का अमिताभ बच्चन का " उत्तर प्रदेश मा लौ ऐंड ऑर्डर सुधर गे "वळु विज्ञापन से मुलायम सिंग चुनाव तो नि जीत किन्तु अमिताभ बच्चन की इज्जत का भाजी पालक  अवश्य ह्वे।  जनता मूक ह्वे सकदि किन्तु जनता असंवेदनशील नि ह्वे सकदी अर जनता झूट सच तै पछ्याणदि च। 

फिर सन 14  का चुनावमा मनमोहन सिंग सरकारों विज्ञापन कॉंग्रेस तै केवल   चौवालीस सीट ही दिलै साक। जनता गूंगी अवश्य च पर आँख अर कन्दूड़ खोलिक रौंदी।

अब नरेंद्र मोदी अर केजरीवाल जन खुर्रांट नेता विज्ञापन से अपर सरकार की चमक दिखाण चाणा छन तो वु बिसरी गेन विज्ञापन बि तबि काम करदो जब धरातल पर कुछ दिखेणु हो किलैकि जनता तब बि  अंधि नि छे , तब बि बैरि नि छे आज बि बेवकूफ नी च। जनता नीर अर दूध की सच्ची पारखी च।  विज्ञापन से जनता का आंख्युं मा धूल नि झोके सक्यांद।   






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                             भारतीय स्त्रियों की 5 महत्वपूर्ण समस्यायें


                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती



समाजशास्त्रौ अध्यापक - हाँ तो मीन  परसि तुम सब कुणि भारतीय स्त्रियों की 5 महत्वपूर्ण से महत्वपूर्ण समस्याओं पर पढ़णो बोल छौ।  तो आज हम भारत माँ भारतीय जनान्युं 5 खास परेशान्युं पर विस्तार से चरच करला।  हाँ त रै गुन्दुरू  ! तू बता कि भारतीय स्त्रियूं सबसे पैली घोर समस्या क्या च ?

गुन्दुरु - मासाब !  यो तो भारत एक कृषि प्रधान देस च इलै इख महिला बि हूंदन।  चूँकि भारत मा महिला बि हूंदन तो ऊंकी समस्या बि हूंदन। उन त भोत सि समस्या छन भारतीय स्त्रियूँ की किन्तु सबसे बड़ी समस्या च कि भारतीय स्त्रियुं हजबैंडु कॉलेस्ट्रॉल भौत अधिक बढयूं रौंद।  हजसबैंड कु कॉलेस्ट्रॉल बढ़न से भारतीय स्त्री इथगा परेशान रौंदन कि क्या बुले जावो। सब स्त्री अपण हजबैंडो कोलेस्ट्रॉल से इथगा परेशान रौंदन कि काम धाम छोड़ी सुंदर साड़ी मा इन उन फुदकणा रौंदन। 

समाजशास्त्रौ अध्यापक (रुसेक ) -अबै गुंदुरु !  तेकुण इ ना मीन तेरी ब्वे कुण बि कथगा दै बोलि याल कि घटिया कुंजी नि खरीदो , नि खरीदो पर घटिया कुंजी पढ़णो फल या च कि त्वै तै भारत मा भारतीय स्त्रियुं की पतियों कलेस्ट्रॉल ही मुख्य समस्या दिखेणी छन।  बंद कौर ऊँ घटिया कुंजियुं तै पढ़न।

तू बोल बै सुंदुरु ! भारतीय स्त्रियों की 5 महत्वपूर्ण से महत्वपूर्ण समस्या क्या क्या छन ? यों तो भारत एक कृषिप्रधान देश है त इख बि जनाना हूंदन। अर चूँकि जनानी बि हूंदन तो उंकी समस्या बि हूंदन।  भारत मा जनान्युं सबसे बड़ी समस्या या च कि ऊँका बच्चा कॉम्प्लेन खै खैका अत्त्याधिक होशियार ह्वे गेन जाँसे ब्वे बाब हीन मानसिक स्थिति का शिकार हूण मिसे गेन।

 अध्यापक -चुप बै ! मीन त्यार ददा तै  कथगा दै समजै याल कि त्वे तै इथगा अधिक घी नि खलाओ।   पर नि माणदन अर घी खै खैक तेरी बुद्धि बि मोटि ह्वे गे।  अब बताओ ! भारतीय स्त्रियों की मुख्य समस्या ऊँका  अत्याधिक बुद्धिवान बच्चा  ह्वे गे ? चुप बैठ।  हाँ तो तू बता रे गबरू कि भारतीय स्त्रियूं सबसे पैली घोर समस्या क्या च ?

गबरू -यों तो भारत एक कृषि प्रधान देश है।  कृषिप्रधान देश च त स्त्रियुं पैदा हूण  आवश्यक च अर जख स्त्री ह्वावन उख ऊंकी समस्या बि पैदा ह्वे जांदन।  एक सर्वे अनुसार भारतीय स्त्रियुं सबसे बड़ी समस्या या च कि छुट छुट बच्चा इ ना बुड्यों तै बि 'दाग अच्छे लगते हैं '. चुंकि बच्चा -बुड्या सब तै दाग अच्छा लगदन तो सब अफु पर कीच लपोड़ना रौंदन।  बच्चा -बूढ़ों का कीच कु लपोड़ा लपोड़ ही भारतीय  स्त्रियुं सबसे बड़ी समस्या च।

 अध्यापक -मीन तेकुण कथगा दै बोलि याल कि एकी कुंजी से काम चला पर दस कुंजी पढ़लि तो तीन बच्चा -बूढ़ों का कीच कु लपोड़ा लपोड़ ही भारतीय  स्त्रियुं सबसे बड़ी समस्या बताण।  बैठ जा।  चल ये झबरू ! तू बता कि भारतीय स्त्रियूं सबसे पैली घोर समस्या क्या च ?

झबरू - यों तो भारत एक कृषि प्रधान देस है त इखाक प्रधान मंत्री तै विदेश भौत जाण पड़द इलै भारत मा स्त्रियुं की तीन बड़ी समस्या पैदा ह्वे गेन।  पैली बड़े समस्या च काळी त्वचा , दूसरी समस्या च बाळु गिरण अर तिसरि    समस्या च बार बार बाळु से खौस झड़न। भारतीय प्रधानमंत्री तै विदेश दौरा छोड़िक भारतीय स्त्र्युं का काळी त्वचा,बाळु गिरण अर बाळु से खौस झड़न की समस्या का निदान कारन।  लोकसभा मा नेता प्रतिपक्षन बि या इ मांग कार कि प्रधानमंत्री तै विदेश दौरा ना जनान्युं की यूँ समस्याओं का निदान करण चयेंद।

 अध्यापक - हे निर्भागी झबरू ! मी समजै समजैक थकि ग्यों कि द्वी विषयुं किताब दगड़ी नि पढ़ा कौर।  तीन सामजिक समस्या अर राजनैतिक समस्या दगडी मिलै देन।  बैठ जा।  हाँ तो सबसे बुद्धिमान छात्र टिमरू तो बता कि भारतीय स्त्रियूं सबसे पैली घोर समस्या क्या च ?

टिमरू - यूँ तो भारत के कृषि प्रधान देश है।  देश मा अलग अलग किस्मुं खेती पैदा हूंदी तो स्त्री समस्या बि पैदा ह्वे जांदन।  आज भारत के सबसे बड़ी सामजिक समस्या या च कि कखी बि , कै बि जगा -कुजगा , कनि जगा बि क्वी मरद मेल डिओड्रेंट लगांद कि बेटी बुबाक समणि , कज्याण अपण कजेक समिण ही  वै मरद से चिपका चिपकी ही ना सब्युं समिण चुम्मा चाटी करण लग जांदन।  भारतीय स्त्रियुं मा मेल डिओड्रेंट (खुसबू )  का विरुद्ध प्रतिरोधक शक्ति ये हिसाब से खतम ह्वे गे कि डार की डार मा जनानी खुसबू लगायुं मरदाक पैथर भजण लग जांदन।  भारतीय स्त्र्युं की सबसे बड़ी , मुख्य समस्या मेल डिओड्रेंट का प्रति प्रतिरोधक शक्ति खतम हूण च।

अध्यापक (अपण बाळ अफिक उपाड़दो उपाड़दो )- अबै ! इन तो बताओ तुमन यि भारतीय स्त्रियुं समस्याओं बारा मा कैं किताब मा पौढ़ ?

टिमरू - जी परसि हमन वर्ल्ड फूटबाल मैच टीवी मा द्याख अर ब्याळि आईपीएल फ़ाइनल मैच टीवी मा द्याख तो विज्ञापनुं हिसाब से तो हम सब्युं तै यी पांच मुख्य स्त्री समस्या समज मा ऐन।

अध्यापक - मतलब भारतीय स्त्रियुं की  मुख्य समस्या टीवी मा स्त्री समस्यायुक्त विज्ञापन छन ?

सबि -जी हाँ ! भारतीय स्त्रियुं की  मुख्य समस्या टीवी मा स्त्री समस्यायुक्त विज्ञापन छन। 



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               Garhwali Satire  Dictionary                       


                         हमर जमाना मा हर जगा उल्लू हूंद छ।  अब पीएचडी वळा

                               गढ़वाळि हास्य -व्यंग्यकोष -भाग - 34     

                               Garhwali Humorous and Satirical Dictionary part - 34



                                     खुज्याण , छिंडन, छँटण, बिंवन,  उकरण   ::: भीष्म कुकरेती


                                         कुछ व्यंगात्मक कहावतें


     हिंदी मा लतीफ घोंघी मूर्धन्य व्यंग्यकार माने जांदन।  ऊंन अपण व्यंग्य लेखुं , कथौं मा भौत सा इन वाक्य लेखिन जु कहावत बणन लैक छन जन कि -

-- कपड़ा भले इ कमजोर ह्वावन पर जंग्या मजबूत हूण चयेंद।  बार बगत पर यू इ साथ दींद।

--ब्यौ जनानी की प्रशासनिक क्षमता तै शाश्वत बणान्दि।

--ब्यौ बाद हरेक स्त्री एक संस्था ह्वे जान्दि अर हरेक कजे संस्था कु मानसेवी सदस्य।

---ब्यौ एक इन शपथ ग्रहण समारोह च जखमा पुरुष अपण कंधा शहीद हूणै सौं खांदु।

--बर सात फेरों बगत अगनै रौंद अर फिर जिंदगी भर ब्योलि पैथर रिटणु रौंद।

-नौकरी पेशा लोग जु सुबेर आठ बजि बिजदन उ सुर भगवानौ दर्शन फिल्मों मा इ करदन।

-डाइरेक्टर वैकुण बुल्दन जु अफु छोड़िक हौरुं तै गधा समजद।

--नर्स शादी कुण नि हून्दन।

--नवाड़ी कवि लिखद कम च फड़द ज्यादा च।

--अब त हालत इ छन कि बुद्धिमानुं कमी नी च। एक ढूंढो पचास मिल्दन। दूर ददोर ख्वाजो तो काखम इ मिल जांदन।

-गाय हमारी मा च अर बखरी मौसी।

-डाक्टरै हमर कस्बा पर बड़ी कृपा च।  बीमारियां नौ मैना धर्मशालाओं मा ठैरदन।

-बुड्यान्द दै प्यार शैतान हूंद जल्दी पीछा नि छुड़द।

--ठेकेदारी करिल त पता चौलल भ्रष्टाचार कथगा जरुरी च।

--लंगोट बीरता कु प्रतीक च जु वीर हूंदन वी  इ पैरदन

-हमर जमाना मा हर जगा उल्लू हूंद छ।  अब पीएचडी वळा ।

--उधार हमर संस्कृति कु अंग च।


13/7//15 @ Bhishma Kukreti , Mumbai, India

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                              गढ़वळि बुड़यों की  5 मुख्य समस्यायें

                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती


 बकौल शंकर पुणतांबेकर बुढ़ापा    'अवकाश  प्राप्त श्रृंगार '  च।   अब इन अवकाश प्राप्त श्रृंगार का हूंदा कुछ समया तो पैदा ह्वेलि कि ना ?

                                          5 वीं पर असल मा 1 st समस्या

        बूड्यों की 5 वीं ना  पैलि समस्या या च कि जु आजौ बुड्या युगों पैल जौं जनान्युं तै  ऑफ़लाइन छेड़ा करदा छया अब वी जनानी करीना कपूर , सोनम कपूर , कटरीना की फोटो लगैक फेसबुक मा 'हाई अंकी" (अंकल ) , 'हाई ओल' (ओल्ड मैन ) करिक सम्बोधित करदन।  द्वापर युग की एक मेरी ऑफ़लाइनै  गोपी न तो खुले आम सलाह दे दे कि -अंकी आप बाळु पर कुछ डाइ स्याइ कारो। फिर मे सरीखा टायर (Tier ) याने थक्यूँ बि नि रौंद किन्तु लोग रिटायर (दुबर थक्यूँ ) करिक भट्यान्दन।


                                      4 वीं पर असल मा टॉप की  समस्या


  अब हमर ज़माना मा रिवाज छौ कि पत्नी उमर मा छुटि हूण चयेंद तो मे जन कथगा इ पुरानी इमारतुं की पत्नी अबि बि इन लगदन कि जन अबि अबि भितर पैंचि ( गृह प्रवेश ) ह्वे हो।   दुकानदार म्यार दगड़ बाति नि करदन पर मेरी वाइफ का साथ ही बचळयाणा रौदन तो मि उपेक्षा , फ़ालतू ,  इग्नोर फील करण मिसे जांदु अर आप सब तै पता च आदिम भूक , तीस , झिड़की सब कुछ बर्दास्त कर सकद पर उपेक्षा , फालतू , इग्नोर बर्दास्त नि कौर सकुद। मि अर मेरी वाइफ हाथ पर हाथ मिलैक चलणा रौला तो रस्ता चलदा पैथर बिटेन छोरा -छोरी  कमेंट्स करदन - दुसर शादी वळाक समस्या ये इ हूंद कि वु अपण जवान कज्याण से चिपक्युं रौंद। भौत सा तो एक्स्ट्रा कमेंट्री करिक बुल्दन - दुसरै बीबी घुमाणो मजा इ कुछ हौर हूंद।

 

                                     3rd  समस्या याने शमशान घाटौ रेगुलर टूरिस्ट

  जब से बेटों तै पता चल कि मि बुड्या ह्वेइ ग्यों तो तब बिटेन क्वी शादी , बर्थ डे पार्टी , इंगेजमेंट पार्टी हो तो अफिक जांदन अर मि तै नि भिजदन किन्तु क्वी मोरि गे तो फ्यनेरल मा या चौथा (गुजराती मा बसेणा ) मा मि तै भिजदन।  अब शादी ब्यौ ना शमशान घाट इ अपण जाण पछ्याणक वळु तै मिलणो माध्यम ह्वे गे।


                                    2nd  समस्या --मुख मा दांत नीन , पेट मा आंत नीन अर मुख ऐथर कछबोळी

         पैलाक मैना गौं ग्यों तो मीन तूंगी काका तै हाल चाल पूछें तो ऊंन बताइ -ब्यटा क्या बोलु , क्या खैरि लगौं , क्या सुणौ ?

           घुंड हिल्दा नि छन अर मुंड हिलण बंद नि हूंद किन्तु यूँ गूणी,बांदर अर  सुंगरुँ जग्वाळ करणी पड़द।  अर यि निर्भागी गूणी बांदर बि समजी गेन कि म्यार घुंड अर मुंड वरिष्ठ नागरिकौ  पेंसन खाणा छन तो म्यार हकाण से बि नि डरदन।

     ब्यटा ! गाँव वळु हाल नि पूछ तो ठीकि राल।  जब जवान छौ तो कछबोळी नाम सूणिक  आंत बुळबुळान्द छा , दांत किटकिटांद छ , जीब लप लप करदि छे तो बुगठ्या मरण पर क्वी बि   एक लुतकी नि दींद छौ।  अब जब कि मुख मा दांत नीन , पेट मा आंत नीनतो अपण गाँव इ ना न्याड़ -ध्वारक गाँव वळ बि कछबोळी बुजिन भेजी दींदन कि पता नि बुड्या कब टुरक जांद धौं तो बुड्या  आशीर्वाद इनि मा सै !

                           1st समस्या - प्रवासी बुड्यो की दिल की इच्छा पूरी नि हूण


 प्रथम बार प्रवासी जनरेसन की सबसे प्रमुख समस्या या च कि उ गाँव नि बिसर सकुद अर शहर मा जिंदगी भर सुपिन दिखद कि वैन रिटायर हूणो बाद गाँव मा बसण किन्तु वैकि स्याणी वैमा इ रै जांदन।  कथगा इ व्यवहारिक कारणु से वु प्रवासी रिटायर हूणों बाद गांव तो बसण दूर की बात च खाली ह्वेका बि प्रवासी बुड्या साल भर मा एक दिनों बान गांव नि जै पांदो अर बेबस ह्वेका  गांवका कूड़ , पेड़ , पाणी तै याद करिक बुढ़ापा कटणो मजबूर रौंद।  बेबसी,  प्रवासी,  गढ़वळि बुड्या बिचारो !


                                          आपका ख़याल से हौरि समस्या क्या होली ?


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Bhishma Kukreti

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                         क्या  इफ्तार पार्टी देकि दूसरों तै टोपी पैरे द्यूं  ?

                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती


घरवळि -वी ठीक छौ।  जु ईदे मिलापक  दिन अपछ्याणकुं  दगड़ फोटो खैंचांद छौ अर अखबारों मा फोटो छपाईक  कमान्दो छौ।

मि -कु ठीक छौ ?

नौनु - अरे देहरादून में हैं ना वो जिन्हे पार्टी अंकल कहते हैं। 


मि - हाँ हाँ जो क्रिसमस , पारसी दिवा आदि पर बि पार्टी दींदु।

नौनु -अर देहरादून का सबसे बड़ा सेक्युलर आदमी है।

मि -तो ?

नौनु -वैक बात ममी से चलणि छे।

मि - तो रोड़ा क्यांमा अटग ?


घरवळि -नर्भागी सेक्युलरन राड़ घाळी दे बल ईदेमिलाप का दिन इ मंगणी दिन निकाळे जावो अर वै साल रमदान मैना मामळमास चलणा छया।

मि -अरे वैक दगड़ त्यार ब्यौ हूंद तो ?

घरवळि -तो क्या ? मुंबई मा गढ़वळि -कुम्मय्या समाज मा नाम तो हूंद। 
मि -कनो नाम त अबि बि च म्यार।

घरवळि -क्यांक नाम च ? खनोक नाम च ? सि ऐतवारो कुण वसई मा बद्रीनाथ मंदिर निर्माण निरीक्षणों कुण तुमर ख़ास दगड्या राजाराम जखवाल, मनहर दसोनी , तुमर काका सत्यप्रसाद कुकरेतीन सब बड़ा बड़ा सामजिक कार्यकर्ताओं तै  निरीक्षणो  कुण न्यूट द्यायै  निमंत्रण नि दे। द्याख च फेसबुक की फोटूँ  मा कथगा दै मुंबई  नामी गिरामी सामाजिक कार्यकर्ता निरीक्षण करणा छया।

मि -भई ऊं तै पता च मि तै सीमेंट की एलर्जी च तो जखवाल जीन निरीक्षणों न्यूत नि दे होलु।

घरवळि -ऊँ ! अर मिसेज गैरोला इथगा दै उत्तराखंड महासंघ की बैठक उर्यांदि कबि बि तुम तै नि भट्यान्दि।

मि -ह्वे सकद च मिसेज गैरोला मि तै सामाजिक कार्यकर्ता इ नि समजदी होली।

घरवळि -समजण किलै च तुम बि सामाजिक कामुँ नाम पर क्वी प्रोग्रैम करदा अर मिसेज गैरोला तै बुलान्दा तो वा बि तुम तै भट्यान्दि।  यु स्क्रैच माइ बैक आई स्क्रैच युवर्स।

मि -भइ मीन क्वी संस्था इ नि बणाइ तो संस्था का क्यांको कार्यक्रम ?

घरवळि -सि परसि जोगेश्वरी मुंबई मा कैं संस्थान किताब कॉपी बंटेन अर तुम तै कैन बि सूचना नि दे जब कि ब्याळो अयाँ डा राजेश्वर उनियाल तै चीफ गेस्ट बणाइ।
मि -डा राजेश्वर का नाम बड़ो च भै।  वु डा रमेश निशंक का दगड़ घुमण वळ व्यक्ति छन अर मि त काशी  सिंह ऐरी दगड़ बि नि घूम सकदो।

घरवळि -तुमर स्वार भार रमण कुकरेती तै बि सब सामाजिक संस्थाओं  से न्यूत आंद।  अर तुम तै क्वी नि बुलांद।  इख तलक कि तुमर पुरण दगड्या केशर सिंह बिष्ट बि अब कौथिग मा नि भट्यान्दन।

मि -ह्यां त्यार बुलणो मतबल क्या च ?

घरवळि -जरा अफु तै उत्तराखंडी समाज मा प्रखर सामाजिक कार्यकर्ता  रूप मा स्थापित कारो।

मि -स्थापित करणो कुण कुछ तो करण पोड़ल कि ना ?

घरवळि -हाँ इफ्तार पार्टी द्यावो।

मि -क्या गढ़वळि सामाजिक कार्यकर्ता स्थापित करणो बान इफ्तार पार्टी ?

घरवळि -हाँ सब उत्तराखंडी संस्थाओं का परधान अर सचिओं तै इफ्तार पार्टी मा बुलावो। फलुं रस पिलाओ , शाकाहारी -मँशाहारी भोजन खलाओ , लुकैक दारु पिलावो अर हरेक तै टोपी पैनावो।
मि -टोपी पैरावो ?

घरवळि -हाँ द्याख नी तुमन दिल्ली का मुख्यमंत्री  केजरीवाल उपराज्यपाल तै कन टोपी पैराणा छया।

मि -हैं ?

घरवळि -हाँ भैर जनता मा पगड़ी उछालो अर इफ्तार पार्टी मा टोपी पैरावो।

मि -ह्यां पण ?

घरवळि -द्याख नी तुमन बीस सालों से लालू यादव अर नीतीश कुमार एक हैंकाक इज्जत का फालूदा करणा रैन अर अब इफ्तार का नाम पर एक दुसर तै फालूदा खलैक खुले आम एक दुसर तै टोपी पैराणा छया।

मि -ह्यां पर मि राजनीतिज्ञों तरां बेशरम नि छौं कि अब तक एक दुसर की पगड़ी उछालुं अर फिर इफ्तार पार्टी का नाम पर जनता तै बि टोपी पैरावुं।

घरवळि -कार्य सिद्धि का वास्ता सब कुछ जायज च।
मि -अरे इफ्तार पार्टी एक धार्मिक संस्कृति च ना कि टोपी पैरैकि दुसर तै टोपी पैरावो अर पैल इज्जत का फालूदा कारो अर फिर दिखलौटी इफ्तार पार्टी मा फालूदा खलावो।

घरवळि -द्याखो व्यवहारिक सामाजिक कार्यों मा बि इफ्तार पार्टी अपण उल्लू सीधा करणो सबसे बड़ो हथियार च।
मि -मि इफ्तार पार्टी से अपण उल्लू सीधा करण से मुस्ल्मानियत , मुसलमानुं अर इस्लाम की बेज्जती नि कर सकुद।

घरवळि -बड़ा आइन इस्लाम अर इस्लामियत की इज्जत करण वाळ।  तुमन द्याख नी च सोनिया गांधी अर तृणमूल का डेरिक ओबराय दगड़म नीतीश कुमार एकी मेज मा बैठिक कन एक दूसर तै टोपी पैराणा छया।
मि -मि बेहसराम राजनीतिज्ञ नि छौं जु एक मेलमिलापौ, पवित्र  धार्मिक अनुष्ठानौ उपयोग अपण राजनीतिक फैदा बान कौरु।

घरवळि -ह्यां पर जब तृणमूल वाळ भैर कॉंग्रेस तै गुनाहगार पार्टी समजदी अर इफ्तार पार्टी मा सेक्युलर का नाम पर छक्का पंजा कर सकदी अर इनि कम्युनिस्ट बि इफ्तार का नाम पर टोपी पैर सक्दन तो किलै इफ्तार पार्टी का नाम से बड़ा सामाजिक कार्यकर्ता का पद हासिल नि करदा ?
मि -किलैकि मि एक सच्चु हिन्दू छौं अर सच्चा हिन्दू या सच्चो मुसलमान अपण या दूसरों मजहबी कर्मकांड , धार्मिक अनुष्ठानुं से इरादतन या गैर इरादतन राजनैतिक फैदा नि उठाया करदन।  सच्चो धार्मिक व्यक्ति वी च जु दुसर या अपर धर्म से दूसरों शोषण , दोहन या बेज्जती नि कारो।

घरवळि -मतलब यी सबी राजनैतिक दल इफ्तार पार्टी देक हिंदु अर इस्लाम धर्मक बेज्जती करणा छन ?
मि -बिलकुल जब बि कै धरमक अनुष्ठान या मजहबी कर्मकांड से राजनैतिक फायदा उठाये जावो तो वु कुछ नी अपितु वै धर्म की बड़ी बेज्जती च।





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                    हरीश जी ! उत्तराखंड नेहरू खानदानै जागीर नी च जी !

                        कव्वा का कर्कस बचन   :::   भीष्म कुकरेती


               ब्याळै खबर च बल हमर उत्तराखंडौ पधान जी माने हरीश रावत नीति याने योजना आयोग की बैठक मा शामिल नि ह्वेन।

अर रूण या च बल ये इ हरीश रावत 9 फ़रवरी कुण रुणा छया बल योजना आयोग नि हूण से उत्तराखंड तै फंड नि मिलणा छन

अब जब नीति आयोग की बैठक मा यु मुद्दा उठाणो बगत छौ तो हरीश रावत जी हतो  कमांड की मालिस वास्ता इफ्तार पार्टी मा कबाब तो खूब भचकाणा रै होला किन्तु जब उत्तराखंड की बात आइ तो मुख  लुकैक देहरादून सीणो ऐ गेन।

माना कि तुम्हारी लीडर्याणी अर राजकुमार  तै लैंड बिल पसंद (राजनैतिक कारण ) नी च तो यांक मतलब यो तो नी च कि तुम उत्तराखंड हित  की बळी चढ़ै द्यावो ? हरीश जी उत्तराखंड ना तो तुमर च अर ना ही नेहरू  खानदान की जागीर कि तुम नीति सरीखा महत्वपूर्ण संस्था की बैठक  का विरोध पार्टी आधार पार करो।

             जब नीति आयोग का नाम प्लानिंग कमिसन छौ तो कौन सा धज घटेणा छया ? प्लानिंग कमिसन या नीति एक संस्था च तो भारतीय एक्जीक्यूटिव याने राज्य का CEO हूणो नातन नीति बैठक मा तुमर भाग  लीण आवश्यक ही छौ।

आजकाल पार्टयूं मा' देश बड़ो ना  राजनीतिक स्वार्थ बड़ो '  सिद्धांत बड़ो ह्वे गे।  नेताओं का अहम देश से बड़ो ह्वे गे।  ममता बनर्जी को अहम भारतवर्ष से बड़ो च।  भाजपा को अहम इण्डिया'ज  बेनिफिट्स से कखि ऐंच ह्वे गे। नेहरू हिंदुस्तान से बड़ दिखेण चयेंद।

           जब कॉंग्रेस सरकार मा छे तो भाजपा तै न्यूक्लियर डील से खतरा लगद छौ अर भाजपान संसद मा काम नि हूण दे , मनमोहन सरकार गिराणो सब इंतजाम करिन। अब भाजपा सरकार मा च अर न्यूक्लियर पावर का वास्ता वी करणी च जो कॉंग्रेस चांदी तो कॉंग्रेस संसद तै सड़क बणाणम भाजपा से अग्वाड़ी जाण चाणि च। स्वार्थ का गंडासा से  देस हित  कु बुगचा बणाये जाणु च।

लैंड बिल या एफडीआई  या पाकिस्तान से संबंध ह्वावन या इजरायल से सबंध ह्वावन, या कश्मीर मा अलगाववादियों से संबंध हो , जब  यी राजनीतिक दल सरकार मा हूंदन तो यूंक  सिद्धांत कुछ हौर हूंदन अर जनि एक दिन का बाद विरोधी दल ह्वे जांदन तो यूँ दलूँ सिद्धांत 180 डिग्री फरके जांदन।  दलीय स्वार्थ भारत की समृद्धि तै पैथर धकेलणु च।

राजनीतिज्ञ भारत तै स्वार्थ की झंडी से धत्ता बताणा छन।

                         तो इटालियन बौ , नागपुर का बाडा , कोलकत्ता का लाल कुर्ती वळा या फटीं साडी वळि , यूपी बिहार मा ठग विद्या फैलान वळ , पंजाब , ओडिसा , तमिलनाडु तै अपण बाप दादों की जागीर समजण वळा राजनीतिज्ञों तै बताण चाँद कि भारत की जनता अजीब च जब तक राजकरणी वळ ठीक ठाक रौंदन तब तक भारत का लोक सब कुछ सहन  कर दींदन पर जब राजनीती अपण स्वार्थ की ऊंचाई पर जांदी तो जनता इन वातावरण पैदा कर दीन्दी कि अशोक साम्रज्य , गुप्त साम्राज्य , भोज , विक्रमादित्य , मुगल अर अविजित ब्रिटिश साम्राज्य  अफिक नेस्ताबूद ह्वे गेन।

        मि गढ़वाल संबंधित एक ऐतिहासिक सच्चाई बतांदु।  गुरख्या 12 साल तक लंगूरगढ से अगनै नि बढ़ सकिन किलैकि जनता तै शाह वंशीय राजा पर भरवस छौ किन्तु जनि श्रीनगर राजा पर भरवस खत्म ह्वे जनता का गुख्यों का प्रति  प्रतिरोधात्मक शक्ति बि खतम ह्वे गे अर फिर गढ़वाल तै गुर्ख्यों गुलाम हूण पोड।

                        इटालियन बौ , नागपुर का बाडा , कोलकत्ता का लाल कुर्ती वळा या फटीं साडी वळि , यूपी बिहार मा ठग विद्या फैलान वळ , पंजाब , ओडिसा , तमिलनाडु तै अपण बाप दादों की जागीर समजण वळा राजनीतिज्ञों जरा टक्क लगैक सूणो कि राजनीति आवश्यक च पर भारत हित  तै बलि देकि अपण स्वार्थ सिद्धि तो क्वी प्रजातंत्र नी च।  निथर जनता को तो कुछ नि जालो किन्तु तुम तै वोट तो छवाड़ो पाणी दीण वळ बि क्वी नी मीलल सैत !



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