Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 360189 times)

Bhishma Kukreti

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                      क्या कुत्तों को इकीसवीं सदी में प्रवेश कर ही लेना चाहिए ?

                       क्या कुकरूं तैं इक्कीसवीं सदी मा प्रवेश कर इ लीण चयेंद ?



                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती



                    जब बिटेन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधीन 1987 -88 मा घोषणा कार कि भारत तैं इकीसवीं सदी मा प्रवेश करण चयेंद तब बिटेन अर आज तक कुत्तों मा बहस हूणि इ रौंदी कि क्या कुत्तों तैं बि इकीसवीं सदी मा प्रवेश करण चयेंद कि ना ? भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेई अर मनमोहन सिंह जीन जब जब बि ब्वाल कि इण्डिया तैं ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी मा इंटर करण चयेंद तब तब कुत्तों मा बहस , चर्चा , कुकर्योळ शुरू ह्वे जांद छौ कि शुड इंडियन डॉग इंटर ईंटो ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी और नौट ? अब अच्काल जब बि नरेंद्र मोदी बुल्दन कि इकीसवीं सदी एशिया कु च तो बि कुत्तों बीच  , तर्क वितर्क  , वाद विवाद, कुकर्योळ   शुरू ह्वे जांद कि क्या कुत्तौं तै अब इकीसवीं सदी मा प्रवेश कर ही लीण चयेंद ?


                    ये साल जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीन घोषणा कार कि इकीसवीं सदी मा भारत की महत्वपूर्ण भागीदारी राली त प्रीमियम डॉग असोसिएसन न औल  इंडिया कुकर फेडरेसनौ कुण ल्याख कि अब तो डौगुं तैं ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी मा प्रवेश करण इ चयेंद।  प्रीमियम डौगुं तर्क च कि यदि डौग ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी मा प्रवेश कारल तो डौग बड़ी बड़ी , ऊँची ऊँची पचास -सौ मंजली इमारतों मा रौण लग जाल।  यदि इंडियन डौग इक्कीसवीं सदी मा चल जाला तो कुत्तों तै पैक्ड फ़ूड ऐंड मीट मिलण शुरू ह्वे जाल , मिनरल वाटर मिलण हसुरु ह्वे जाल अर सीणो कुण एयर कण्डीसण्ड कमरा  मिल जालो। इख तलक कि इकीसवीं सदी मा प्रवेश से कुत्तौं तै अमेरिकन यूरोपियन कुत्ता -कुत्तियों से शादी करणो मौक़ा मिल जालो ।  किंतु औल  इंडिया कुकर फेडरेसनन प्रीमियम डॉग असोसिएसन की बात अनसुणि कर दे किलैकि प्रीमियम डॉग असोसिएसन मा भारत का कुत्तों  की संख्या  दश्मलव शून्य शून्य शून्य शुन्य शुन्य एक प्रतिशत से बि कम च।  यी प्रीमियर कुत्ता अम्बानी , अडानी अर राहुल गांधी का डौग छन।

         कुत्तों का एक ग्रुप च जु कुत्तों तै इकीसवीं सदी मा प्रवेश का समर्थ करणु च।  युंक तर्क च कि यदि कुत्ता ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी मा प्रवेश कारल तो कुत्तों तै इंटरनेट , फेसबुक ,ट्वीटर , वर्डसप की सुविधा मिल जाली। किन्तु यूं कुकरों कि संख्या बि नाममात्र की च ।   यी कुत्ता नरेंद्र मोदी अर शशि थरूर जन भारतियों का कुत्ता छन। 

  कुछ कुत्ता कुत्तों इकीसवीं सदी मा जानों शख्त विरोधी छन यूंक तर्क कुतर्क च कि कुकरूं इकीसवीं सदी मा जाण से कुत्तोँ की आइडेंटिटी /पहचान ही समाप्त ह्वे जाली।  यी कुत्ता लालू प्रसाद यादव , मुलायम सिंह यादव , शरद यादव , मायावती , ममता बनर्जी , कुछ धार्मिक संस्थानुं का पळयां -पुस्याँ कुत्ता छन।


                                                   कुत्तापन मूल्यों मा भारी गिरावट का अंदेसा


अधिसंख्य कुत्ता असोसिएसनों की रे च कि यदि कुत्ता बि भारतियों नकल कारल तो कुत्तापन मा भारी गिरावट ऐ जालो जन भारतीयों  द्वारा इकीसवीं सदी मा जाण से भातीय मूल्यों मा भारी गिरावट आई। कुत्तों तै डौर च कि कुत्ता बलात्कार  अकुत्ता गुण आदि बि शुरू कर द्याला।


                                                अमीरी -गरीबी कु अंतर माँ आशातीत वृद्धि


       अधिसंख्य कुत्तों तैं भी च कि इकीसवीं सदी मा प्रवेश से कुत्तों का मध्य अमीरी -गरीबी का मध्य भौत बड़ो अंतर ऐ जालो।  अमीर कुत्ता हौर अमीर हूंद जाल अर गरीब कुत्ता हौर बि गरीब हूंद जाला।  कुत्तों तैं कि कुत्ता स्वार्थ तै कुत्ता संस्कृति मनण लग जाल अर बदमाशी , चोरी चकारी अर कुकुर समाज मा झूट तै इ असलियत समजणै प्रवृति ऐ जाली।  कुत्ता यदि इकीसवीं सदी मा जाल तो कुत्ता अपण पाप दूसरों मत्था पर मढ़णो विशेषज्ञ ह्वे जाला।

       सब्युं तै पूरो   भरोसा च    कि कुत्ता आरोप -प्रत्यारोप तैं कुत्ता गुण मानि ल्याला।  कुत्तों मध्य सहकारिता अर   सहयोग इतिहास की बात ह्वे जाल। अमीर देसुं पैसा  निर्भरता बढ़ जालो।  यूँ कुत्तों तै अवमूल्यन ही अवमूल्यन दिखेणु च।

     कुकुर  घंघतोळ मा छन , कुत्ता भर्मित छन , डौग कन्फ्यूज छन तो पंदरा दिन बाद एक अखिल भारतीय कुत्ता सम्मेलन हूण वळ च जख मा चर्चा ह्वेलि कि कुत्तों तै इकीसवीं सदी मा छिरण  चयेंद कि ना। 


       क्या आप सलाह दे सकदन कि   कुत्तों तैं बि इकीसवीं सदी मा प्रवेशकरण , घुसेण , छिरण  चयेंद या ना ?         

         





30/7 /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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                    स्वच्छ भारत  , स्वच्छ भारत , बुद्धिमान भारत!



Bhishma Kukreti

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                        गढ़वाली कविता लुढ़की  , गीतों में  भारी गिरावट  ,  कथा में बिकवाली नही


                                       (फेसबुक में Like की असलियत )


                   

                              चबोड़ , चखन्यौ , फिरकी :::   भीष्म कुकरेती



            ना ना मेरि सुबेर सुबेर पियीं नी च ना हि मि भंगल्या छौं जु बुलणु  कि फेसबुक मा Like भ्रमकारी , भ्रामक अर भ्रान्तिकार च ।  मि खपटणा  बजैक बुलणु छौं बल  फेसबुक मा Like बड़ो भ्रम पैदा करदो , मि कंटर बजैक बुलणु छौं बल फेसबुक मा Like धोखा दींदु, मि जंगड़ बजैक बुलणु छौ बल फेसबुक मा Like बड़ो मायावी च। मीन पिछ्ला एक मैना से  अकादमीय रीति से इ ना ब्यवसायिक रीति से फेसबुक का Like पर खोज कार अर कुछ रिजल्ट तो हाहाकारी पैना।  ल्या म्यर खोज का  कुछ नमूना -


                                     जब ताजो ताजो बण्यु कविन नेत्र सिंह असवाल पर भचका मारी


 एक ताजो ताजो पीएचडी धारीन द्याख कि गढ़वाली फेसबुक्या ग्रुपुं माँ कविता की बड़ी पूच च।  डा साबन स्वाच बल  जब बालकृष्ण ध्यानी , जयाड़ा जन नौन पीएचडी धारी कविता रच सकदन वो किलै ना ? तो वैन बि गढ़वाली मा अपणी पैलि  कविता पोस्ट कर दे।  कविता पैथर पोस्ट ह्वे अर Like की बिठकि डा साब क अ चौक मा पैलि पौंचि गेन।  Like की कटघळ देखिक पीएचडी धारी का पूठ पर नौ पूळ पराळ चली गेन। अर वु दुसर कविता रचणो कुर्सी मा ना सोफ़ा मा लम्पसार ह्वे गे।

                        गढवळिक  वरिष्ठ गजलकार नेत्र सिंह असवाल तै वा कविता द्वी दिन बाद दिखे गे।  अब नेत्र सिंह असवाल ह्वे सन अस्सी का दशक का साहित्यकार।  असवाल जी नया नया कवियों तै समझाण अपण फर्ज अबि बि समजदन।  भलमनसा मा ऊंन ताजो ताजो बण्युं कवि तै Message मा Message दे - बल भया तुम्हारी कविता का इ हाल छन कि पंडों नाच मा ढोल उकाळि ताल बजाणु च -नि सौक सकदु बुढ़ेंद दैं , त दमौ पर ताल च बड़ा मांगणो तुन तुन तो ढोली जागर लगाणु च -अभिमन्यु मरे गे अर कुंती तै अति शोक ह्वे गे अर पंडो नाचण वाळ का खुट भंगड़ा करणा छन , हथ कथकली नाच की हरकत करणा छन अर नचनेर इन झिंगरी लीणु च जन बुल्यां  डौण्ड्या नरसिंघ नचणु हो। प्रिय जरा कवित्व अर कविता पर पैल ध्यान दे फिर कविता रचण शुरू कौर।

                    ताजो ताजो कवि तै तो Like की कटघळ का कटघळ जि मिल्यां छया।  ताजो बण्यु कवि न  सीधा हरेक ग्रुप मा नेत्र सिंह असवाल की धज्जी उड़ै दे कि तुम बीसवीं सदी का कवि इकीसवीं सदी की कवितौं तै क्या सम्जिल्या ? मि तै 117  लोगुंन 13 घंटा मा Like कार।  उ लोग बड़ा कि तुम बड़ा ? असवाल जी फेसबुक मा अपण कुंद पड्यु मुख तो दिखै नि सकदा छा। असवाल जीन कसम खै देन कि आज से कै बि साहित्यकार तै नि अडाण अपितु दस दै Like की प्रतिक्रिया दीण।  द्वी चार दिन ताजो ताजो कविन हर घंटा मा कविता पोस्ट करिन पर धीरे धीरे Like करण वाळ गायब ह्वे गेनी।  अब नया नया कवि का समज मा अयि कि फेसबुक्या दोस्तुंन सुदि मुदि Like कार छौ।  डा साब अब श्रीनगर से गाजियाबाद अयाँ छन अर असवाल जीका पता पुछणा  छन।

     

                               मदन डुकलाण का पिताजी मृत्यु पर मदन जी तै हार्दिक बधाई !


             मदन  डुकलाण जीकी कवितौं तै फेसबुक्या पाठक पसंद करदन।  पर्सिपुण मदन जीका पिताजी गुजरेन तो वूंन फेसबुक मा सूचना दे - मेरे पिताजी की असामयिक मृत्यु !

फेसबुक मा पोस्ट इन हुईं छे -

                   मेरे पिताजी की असामयिक मृत्यु !

                  See more    ……

अब मदन जीकुण  द्वी घंटा मा 226 Like ऐ गेन।  डुकलाण जीक बिंगण -समजण मा नि आई कि लोग मेरी पिता जी की मृत्यु तै किलै Like करणा छन कौनसे म्यार पिताजी यूंमांगन कुछ मांगणो जांद छ कि यूँ तै मेरा पिता जी की मृत्यु अच्छी लगणी (Like =पसंद ) छ ?

खैर मदन जी Like  कुछ नि कर सकदा छ किन्तु Comments देखिक तो मदन जीकी फांस खाणो इच्छा ह्वे गे।

कुछ Comments इन छा -

अस्लीयतवाद, Realism

करुणामय कविता

आंसू ला दिए आपकी कविता ने

वाह !

गजब !

बधाई

Congratulations for nice poetry

मदन डुकलाण जीक समज मा ऐ गे कि पाठकुंन See more    …… से अग्वाड़ी द्याखि नी कि क्या सूचना च बस कविता संजिक Comments पोस्ट कर दिनि।

                                 संदीप रावत गढ़वाली आलोचकों पर क्रोधित


     संदीप रावत जी कवि बि छन अर साहित्य इतिहासकार बि।  किन्तु फेसबुक मा देर से ऐन।  एक विज्ञ मनिख संदीप जी तैं फेसबुक मा भर्ती करै गे अर संदीप जी तै द्वी कविता ग्रुप मा भर्ती करैक चली गेन अर संदीप जी तै कविता पोस्ट कराण बि सिखै गेन।  संदीप जीन द्वी कविता ग्रुप मा गढ़वाली कविता पोस्ट क्या करिन कि Like की झमाझम बारिश हूण शुरू ह्वे गेन।  इख तलक कि कमेँट्सुं ढांड बि पड़िन , जन कि -
सामयिक !
संवेदनशीलता की परिकाष्ठा
उत्तरमार्क्सवादी कविता
धार्मिक उन्माद को आपकी कविता से खतरा
एक्सप्रेसिनिस्म का अच्छा उदाहरण
ट्रू सुरेलिज्म
         संदीप रावत जी तै गढ़वाली का आलोचक - भगवती प्रसाद नौटियाल - राम विलास शर्मा , वीरेंद्र पंवार -नामवर सिंह , देवेन्द्र जोशी -  मुद्राराक्षस  ,डा  नन्द किशोर ढौंडियाल - नन्द दुलारे वाजपेई , भीष्म कुकरेती -स्टेनले ग्रीनफील्ड पर गुस्सा आई कि यूंन संदीप रावत तै नि पछ्याण  जब कि फेसबुक मा पाठ्कुंन एकी घंटा मा पछ्याण दे।  रावत जी कु भरम अधिक देर तक नि रै।
       संदीप जी तै फेसबुक मा भर्ती कराण वळ चारक घंटा मा वापस आइ अर रावत जी से क्षमा मांगण लग गे।
भर्ती कराण वळ - रवत जी सॉरी मीन तुम तै हिंदी कविता ग्रुप मा भर्ती करै दे।
संदीप - तो यु जौन Like अर Comments देन ऊँ तै गढ़वळि नि आदि होली ?
भर्ती करण वळु - ना
बिचारा संदीप जीको भरम चारि घंटा मा टूटी गे।               
                                     भीष्म कुकरेती का गर्व चकनाचूर !
मि पिछला एक साल से फेसबुक मा छौं अर म्यार कुछ पांच छै पाठक मेरी हर पोस्ट पर
वाह !
गजब !
सुंदर
क्या लिखा है
का कमेंट्स पोस्ट करणा रौंदन।  मि खुश छौ कि म्यार व्यंग्य का इथगा प्रशंसक छन।
एक दिन मीन वै प्रशसंक  मांगी जु रोज पोस्ट करद छौ - क्या लिखा है ! अर फिर मीन वै पाठक तै फोन कार
मि - भाई साब आप मेरा  बड़ा प्रशसक छंवां।  आप तै मया लेखों मा क्या पसंद आंदु ?
पाठक -जी मुझे ही नहीं  , मेरी पंजाबी माँ और मेरे  पिताजी को भी  गढ़वाली नही आती है।  मै तो बस टाइम पास करने के लिए आपको रोज 'क्या लिखा है ! Comments पोस्ट करता हूँ।  मैंने आज तक आपका शीर्षक भी ठीक से नही पढ़ा है।
म्यार गर्व चूर चूर ह्वे गे छौ।
इनि भौत सि घटना छन पर समय की कमी च, बकै   फिर कभी  !   
                   पाठकों से प्रार्थना
हम गढ़वाली साहित्यकार Like का वास्ता नि लिखदां अपितु इलै लिखदां कि गढ़वळि का पाठक वृद्धि हो।  तो आप से हथजुडै च कि आप हमारा लिख्युं तै पैल बांचो अर फिर Like करो या Comments कारो।  कोरा Like से हम साहित्यकार या गढ़वाली भाषा तैं  क्वी फायदा नी च।



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Bhishma Kukreti

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                    डांडा नागराजौ स्थल से वु अस्थिपंजर  किलै नराज च ?


                        चबोड़ , चखन्यौ , फिरकी    :::   भीष्म कुकरेती


 मेरी बॉडी सिलसु , बणेलस्यूं की छै तो जब बि व्यासचट्टी बिखोत नयाणो जांदि छे त दुसर दिन डांडा नागराजा अवश्य जांदि छे।  मि त पैल डांडा नागराजा (कण्डारस्यूं , कळजीखाळ ब्लॉक ) नि गे छौ पर डांडा नागराजौ बारा मा सब सुण्यु छौ।  अबै दैं नागराजा पुजणो ड्यार ग्यों तो डांडा नागराजा जाणो मौक़ा बि लग गे।  सुबेर साढ़े छै बजे टैक्सी चल तो नौ बजि करीब डांडा नागराजा पौंछि ग्यों।

          डांडा नागराज पौंछो तो रोड च लस्यर गांवकी सार मा अर रस्ता का ढिस्वाळ से री गांवकी चौहद्दी /सार शुरू ह्वे जांद।  रोड मा दुकान लस्यर कौंका छन अर मथि नागराजा का स्थल मा दुकान री गौं का चमोल्युं का छन।

मि जनि नागराजौ मंदिर जीना रस्ता से अळग जाणि वाळ छौ कि एक आवाज ऐ -ये भीषम ! मेरी बात सुणदा जा।

त लस्यर गांवकी एक दुकानदानिन ब्वाल -ये भुला ! तैकी बात नि सूण नागराजा दर्शन -भेंट करिक  ऐ तब टैम रालो तो तैकि बि बरड़ बरड़ सुणि ले।

मि द्वीएक घंटा बाद नागराजा दर्शन अर नास्ता पाणी करिक ऑ त वा इ आवाज सुणाइ दे -ये भीषम ! मेरी बात सुणदा जा।

मि आवाजौ तरफ जाणु इ छौ कि मथि दूर नागराजा स्थल का री वळ दुकानदारुं अर रस्ता मांगक लस्यर गांवक दुकानदारुं संयुक्त हिदैत आयि - रण द्यावो अपण रस्ता नापो तैकि बातों मा नि आवो।

पर मि तै वीं आवाज मा पता नि क्या आकर्षण लग कि मि वीं आवाजौ तरफ बढ़दि ग्यों।  थ्वड़ा दूर दुकानों से दूर रोड का ढिस्वाळी खड्डा बिटेन आवाज आणि छे - हाँ हाँ इना।

मि खड्डा का बिलकुल न्याड़ ग्यों तो एक अस्थिपंजर दिखे।  बस द्वार सांस चलणि छे , वै अस्थिपंजर की।  लुतका बि झड़ गे छा , आँखि हडक्यूँ कुवा भितर छा।  सांस नि चलदा तो क्वी बि बोल सकद छौ  कि यु मनिख पचास साठ साल पैल मोरि गे ह्वालु।

पता नि वै अस्थिपंजर देखिक किलै डौर नि लगणी छै धौं।  हाँ ! अस्थिपंजर पर जनि नजर पोड़ कि म्यार सरा सरैल पर शरम,   , लज्जा अर दगड़म बेशरमी की खज्जी लगण शुरू ह्वे गे।

मीन पूछ -कु छंवां तुम ? अर मरणावस्था का बाद बि किलै बच्यां छंवां ? हडक्यूँ कटघळ म ज़िंदा रैकी क्या फैदा ?

वै अस्थिपंजरन जबाब दे -मेरि बात जाणि दे।  इन बतादि मथि मंदिर परिसर मा या इख लस्यर कौंका दुकान्युं मा खाण पीण बि कार , खाण पीण मा क्या क्या मिल्दो वांक बारा मा बि जानकारी लेई ?

मि -हाँ किलै ना ? नास्ता मा पंजाबी , राजस्थानी , साउथ इंडियन सब नास्ता व खाणक छौ, बंगाली मिठै से लेकि बनारसी मिठै तक ।  अर पैक्ड फास्ट फ़ूड बि छौ द्वी जगाकी दुकान्युं मा।

अस्थिपंजर-मजा ऐ गे ह्वाल ना ?

मि -किलै ना।  अग्यारा -बारा बजी भोजन ब्वालो या हैवी ब्रेकफास्ट ब्वालो खैल्या तो आनंद , मजा अर तृप्ति तो आलि कि ना ?

अस्थिपंजर- अच्छा खाणक मा , नास्ता मा क्वी गढ़वळि भोजन बि छौ।

मि -नै।  गढ़वाळ मा कख मिल्दो गढवळि खाणक जु इख डांडा नागराजा मा मीलल ?

अस्थिपंजर-हाँ या बात सै च।  यदि गढ़वळि भोजन , नास्ता हूंद तो ?

मि -यदि गढ़वळि भोजन , नास्ता हूंद तो मि क्या म्यार इ परिवार ना जु बि प्रवासी परिवार डांडा नागराजा अयाँ छन सब गढ़वळि भोजन अवश्य खांदा।

अस्थिपंजर- अच्छा ! मैदानी मिठैयुं दगड़ अरसा बि छया ?

मि -केका अरसा ? अरसा हूंद तो द्वी तीन किलो अरसा मि मुंबई नि लिजांद।  इनि हरेक प्रवासी भक्त अरसा इख बिटेन अवश्य लिजांदु।

अस्थिपंजर- रासन पाणी की दूकान बि देखिन ?

मि -हाँ पर वु म्यार के कामक।  स्थानीय जरूरत पूरी करणो बान वी ग्यूं , चौंळ , दाळ , मसाला , लिज्जत पापड़ , सोयाबीन की बड़ी आदि छे तो म्यार केकामौ ?

अस्थिपंजर-यदि पहाड़ी तुवर-राजमा  , पहाड़ी क्वादो , पहाड़ी झंग्वर , जख्या , पहाड़ी अल्लु; ; मूळा , बसिंगु , कंडाळी कु सुक्सा हूंद तो ?

मि -यदि यि सब इख मिल्दो तो मि, अन्य प्रवासी ही न स्थानीय लोग इख से पहाड़ी भोज्य पदार्थ खरीददा।  मीन यि सब सामान ऋषिकेश से खरीदण।  ऋषिकेश बिटेन मीन हजारेक रुपया का अनाज-दाळ  मुंबई लिजाण।  इनि सबी प्रवाशी ऋषिकेश से पहाड़ी अनाज-दाळ खरीदीक लिजान्दन।

अस्थिपंजर-अच्छा तीन डांडा नागराजा की समळौण तो खरीद इ ह्वेली ?

मि -खन्नौक समळौण ! सबि चीज तो वी छई दुकान्युं मा जु मुंबई , दिल्ली मा मिल्दो।

अस्थिपंजर-तो कुछ बि समळौणै चीज नि खरीद ?

मि -दिमाग खराब हुयुं च म्यार जु ऊँ चूड़ी -चुंट्यूं -माळा -साळा खरीदीक मुंबई लिजांदु जु उख सस्तो मा मिल जांदन।  हाँ यी सामन इखाका स्थानीय लोगुंक वास्ता ठीक च।

अस्थिपंजर-तो यदि ईख गढ़वाळ को क्वी शिल्प दुकान्युं मा हूंद तो ?

मि -मि क्या हरेक प्रवासी भक्त गढ़वाळि शिल्प खरीदीक समळौण का रूप मा अवश्य खरीददो।  साठ प्रतिशत भक्त तो प्रवासी ही छन अयाँ इख डांडा नागराजा मा।

अस्थिपंजर-त्वै तै क्वी शरम , ल्याज , लज्जा नि आयि कि डांडा नागराजा जन पर्यटक स्थल मा गढ़वळि भोजन , गढ़वळि नास्ता , गढ़वळि अनाज -दाळ -ड्राइ (सुक्सा ) वेजिटेबल्स , गढ़वळि अरसा , समळौण का वास्ता गढ़वळि शिल्प उपलब्ध नी च।

मि -इखमा शरमाणो , लज्जा करणो बात क्या च ? बद्रीनाथ हो , गंगोत्री हो या मसूरी कै बि पर्यटक स्थल मा गढ़वळि भोजन , गढ़वळि नास्ता , गढ़वळि अनाज -दाळ -ड्राइ (सुक्सा ) वेजिटेबल्स , गढ़वळि अरसा , समळौण का वास्ता गढ़वळि शिल्प उपलब्ध नि हून्दन तो फिर डांडा नागराजा मा किलै मीलल भै ?

अस्थिपंजर-मतलब त्वै तै बि क्वी शरम , लज्जा नी आणि कि पर्यटक स्थल मा गढ़वळि भोजन , गढ़वळि नास्ता , गढ़वळि अनाज -दाळ -ड्राइ (सुक्सा ) वेजिटेबल्स , गढ़वळि अरसा , समळौण का वास्ता गढ़वळि शिल्प उपलब्ध नी च। जन री का या लस्यर का दुकानदारों तै बिलकुल बि शरम नि लगदी , लज्जा नि आदि कि डांडा नागराजा मा गढ़वळि भोजन , गढ़वळि नास्ता , गढ़वळि अनाज -दाळ -ड्राइ (सुक्सा ) वेजिटेबल्स , गढ़वळि अरसा , समळौण का वास्ता गढ़वळि शिल्प उपलब्धनि करांदन।

मि -नहीं।  बिलकुल बि ना।  सरकार कुछ नि करदि तो री का या लस्यर का दुकानदार क्या कारल ?

अस्थिपंजर-हूँ तो समाज का क्या कर्तव्य च

मि -समाज का क्या कर्तव्य ह्वे सकद ? जब सरकार इ कुछ नि करणी च तो समाज तै क्या पड़ीं च ?

अस्थिपंजर - अरे वाह ! सब कुछ सरकार का हि कर्तव्य अर समाज का क्वी कर्तव्य नी च क्या ?

मि -द्याखो म्यार दिमाग नि चाटो , मगज नि खावो , पागलपन की बात नि कारो।

अस्थिपंजर - वाह रे गढ़वालियों ! जब तुम से क्वी तुमर कर्तव्य लैक सवाल कारो तो तुम वै सवाल तैं पागलपन सिद्ध कर दींदा हैं।

मि -द्याखो बिंडी नि ब्वालो हाँ।  मि तै गुस्सा आणु च हाँ।

अस्थिपंजर -गुस्सा याने अपणी अकर्मण्यता का कारण एक भयकर भाव।

मि - ह्यां तुम छौ कु छंवां ?

अस्थिपंजर - मि मरणासन्न गढ़वळि शिल्प छौं।

मि तै जनि पता चल कि यु अस्थिपंजर गढ़वळि शिल्प च त  मि भागिक टैक्सी जिना  भागण लग ग्यों।

री अर लस्यर  का सब दुकानदार - अरे तुम प्रवासी तो भाग्यशाली छंवां कि तुम भागिक भाजि जांदवां।  हम तै तो यु अस्थिपंजर रोज तून -ताना दीणु रौंद।



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                    पौड़ टूटल , पौड़ नि टूट सकुद  , हम भी दिखला बल पौड़ टुटद च कि ना ?


                             चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती


मि -हैलो ! हैलो ! हैलो हे बौ !

चिरयौवना भुंदरा बौ - अरे क्यांकि बौ अर क्यांकि सौ?

मि -हे बौ ! एक हफ्ता ह्वे गे अर त्यार ना तो मोबाइल , न लैंडलाइन , पता च त्वे दगड़ बात नि करदो तो म्यार अपण बाल बच्चों दगड़ बात करणो जी नि बुल्यांद  ।

चिरबिगरैली बांद  भुंदरा बौ -अरे इस गाँव में तो काण्ड ही लग गए हैं। पता च त्वै तै

मि -क्या ह्वाइ ?

चिर दगड्याणि  भुंदरा बौ -आठ दिन से ना तो बिजली च अर ऊनि मोबाइल टावरों पर बि आग लगी है।  नलका बि बंद। सब कुछ बंद है। वु त मि आज मोबाईल अर इमरजेंसी लाइट रिचार्ज करणो गूमखाळ औं तब मोबाइल शुरू ह्वे। 

मि -अरे प्रधान घन्ना बडा क्या करणु च ?

चिरयौवना भुंदरा बौ -घन्ना ज्योर तो अपणि डंडलि सजाणो तयारी करणा छन।

मि -त भूतपूर्व ग्राम प्रधान जन्ना काका बि त बिजली -मोबाइल ठीक सेवा लाण मा मदद कर सकदन।

  भुंदरा बौ -ऊँ ज्योरुं की  त डांडी पैली सजे गै छे ।  द्वी ये गाँवकुण रागस बणी गेन।  रागस !

मि -ह्यां ह्वाइ क्या च ?

 भुंदरा बौ -अरे तीन गावक मध्य एक छुटु पौड़ नी च ?

मि -हाँ जु पौड़ टूटि जावो तो सरा क्षेत्र वळु कुण कोटद्वार , ऋषिकेश जाण एक घंटा सौंग ह्वे जालु।  ये पौड़क कारण गाड़ी घ्वाड़ों  तै कथगा घुमाण पड़द।   

भुंदरा बौ -वी तो काण्ड लगीं छन।  जब जन्ना ज्योर प्रधान छया तो हर हफ्ता लैंसडाउन , पौड़ी जांदा छया अर हर महीना देहरादून जाँदा छया।  उख नेताओं अर अधिकार्युं खुट मा पड़दा छ कि ये छुट पौड़ तोड़ि द्यावो।

मि -हाँ जब जन्ना काका का प्रधानचारी का छै सात मैना रयां छा तो इन लगणु छौ कि सरकार वै पौड़ आजी तोड़दि  भोळ इ  तोड़दि।

  भुंदरा बौ -हाँ तब घन्ना ज्योरुंन क्या हल्ला कौर छौ अब  भूतपूर्व प्रधान हूणों पट बाद  जन्ना ज्योर पौड़ तोड़णो घोर बिरोध करणा छन।

मि -क्या आआआ !  पौड़ घोर विरोधी घन्ना बाडा अब पौड़ तोड़णो समर्थक ह्वे गे ?

 भुंदरा बौ -हाँ अब घन्ना ज्योर ग्राम प्रधान जि बणि गेन।

मि -अर जन्ना काका जु पौड़ तुड़वाणो बान जी जान लगाणु छौ वु अब पौड़ तुड़वाणो बिरोधी ह्वे गे।

 भुंदरा बौ -बिरोधी ना वु ज्योर तो घोर बिरोधी ह्वे गेन।  ये गाँव मा दुयुंक झगड़ा मा रौण खाण मुस्किल ह्वे गे।

मि -क्या ह्वाइ ?

 बांद  भुंदरा बौ -अरे रोज हो हल्ला।  एक दिन घन्ना ज्योरूक पाळिक लोग गाँव बिटेन मोर्चा निकाळिक,  हल्ला करिक, जन्ना ज्योरूक जनाजा निकाळिक पौड़ तक जांदन।  सरा दिन गाँव मा नारा लगणा रौंदन बल -पौड़ टूटेगा , पौड़ अवश्य टूटेगा , गाँव का विकास होगा।

मि -ये मेरी ब्वे ! इथगा छुट गाँवमा अर जनाजा , मोर्चा , नारेबाजी ?

 भुंदरा बौ -फिर दुसर दिन जन्ना ज्योरूक पाळिक लोग गाँव बिटेनअपण गोर बछर , कुत्ता बिरलुं लेकि,  मोर्चा  निकाळिक पौड़ तक जांदन अर उख घन्ना ज्योरूक चिता जळान्दन। पिछ्ला सात आठ दिन से गाँव मा मोर्चा अर प्रतिमोर्चा ही निकळणा छन।  गौ बुरी चीज च कुछ बि काम हूणु हो धौं।  बिजली बंद , मोबाईल -टेलीफोन बंद।  इख तलक कि पाणी नळ बि बंद छन पर ग्राम प्रधान अर भूतपूर्व प्रधान मोर्चा नि काळणम व्यस्त छन।   गाँव वळ जावन भाड़ मा। 

मि -हाँ पोरुक साल तो घन्ना बडा पौड़ तुड़णो विरोध मा  आत्महत्या करणो तयार ह्वे गे छौ।

भुंदरा बौ -अर ये साल जन्ना ज्योर पौड़ तोड़णो विरोध मा अपण दूधिक नाती तै लेकि बलि चढ़ाणो चल गेन।

मि -अरे पर दुयुं तै बैठिक सुचण चयेंद कि ग्रामहित , जनहित , कक्षेत्रीय  विकास  का काम पैल अर व्यक्तिगत राजनीति बाद मा।

बांद  भुंदरा बौ -हाँ हम सब्युंन दुयुं तै समजाई बि च कि विकास का काम छन ऊंमा राजनीति  नि कारो , राजनीति  नि कारो , नि कारो।  पर द्वी हमर बात सुणना इ नि छन।

मि -पर किलै ?

  भुंदरा बौ -द्वी बुल्दन बल जब नरेंद्र मोदी अर सोनिया गांधी जनहित , लोकहित , देशहित की बात छोड़िक स्वार्थी राजनीति , स्वार्थी कूटनीति अर कुर्सीनीति मा  जनहित की आहुति दीणा छन  छन तो हम ग्राम प्रधान किलै  स्वार्थी राजनीति नि करला ?

मि -ये मेरि ब्वै !

भुंदरा बौ -यां !  यथो  राजा तथो प्रजा।  जन सयाणो तन तन गँवाड़ो ! जन मुखिया तन गँवड्या   हरिया !




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                           पिछ्ला तीन बिटेन मि कख छौ ?

                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती


           उन त मि राहुल गांधी तो नि छौं कि छुटि पर जौं अर कॉंग्रेसी महासचिव पत्रकारुं से पूछन बल जी हमर उपाध्यक्ष कै छवाड़ सटकि गे ह्वाल ? अर टीवी वळ सुबेर बटें हर दै ब्रेकिंग न्यूज तै ब्रेक करदन बल - कहाँ हैं राहुल गांधी , कहाँ  हैं राहुल गांधी ,  किसी को नही पता !

पर चार पांच फेसबुक्या दगड्योंक फोन आयि बल -जी सब कुशल मंगल  ना ? तब्यत पाणी नासाज त नी च ?

मीन बि जबाब दे - बल सब ठीक ठाक।  मेरी तब्यत त ठीक च पर कम्प्यूटर की नाड़ी नी चलणि च।  हृदयगति बिलकुल बंद च पड़ी।

एक दगड्याकु उत्तर छौ - हां अच्काल बुड्यों तब्यत खराब ह्वे जावो त परिवार मा कुछ फरक नि पड़दो पर कैको  मोबाईल, लैपटॉप , स्मार्टफोन , कम्प्यूटर खराब ह्वे जावो तो समज ल्यावो बजर इ पड़ि गे हो।

 दगड्यान बोलि -दिखान्द किलै नि छंवां ?

मीन बोलि -जन गांवुं मा अब ल्वार नि मिल्दन तनि बम्बै मा मैकेनिक मिलण कठण ह्वे गे।

जब मी तै पता चौल कि म्यार कम्प्युटरै तब्यत बिगड़ गे तो आम देशभक्त भारतीयौ तरां मीन वैद (टेक्नीशियन ) नि बुलाइ बल्कि पैल अफिक कम्प्यूटर तै हल्काइ  , डुलाइ अर जम से जनकाइ। आम भारतियों भारतीय करेक्टर च कि सबसे पैल मशीन तै थप्थपयावो, मशीन तै  बजावो , मशीन तै जोर से हलावो।  आशा हूंदी कि वायर आदि इन उना ह्वे गे हुवाँ तो अफिक ठीक ह्वे जावो।  रेडिओ बिगड़न पर मि इनि करदु छौ , टीवी बिगड़ जावो तो मि इनि करदु अर अब कम्प्यूटर खराब ह्वे जांदु तो मि कम्प्यूटर तै झकोळणु रौंद।

मि निखालिस भारतीय छौं।  कैकि तब्यत खराब ह्वे तो पैल वैद नि बुलाण बल्कि जन्मपत्री लेकि पंडित जी मा जये जांद या पुछेर से , बक्कि से बाक बुलये जांद।

म्यार कम्प्यूटर खराब ह्वे तो मीन हरेक अखबार मा आजौ भविष्यवाणी पौढ़।  उन मि भविष्यवाणी नि पढ़दु किन्तु म्यार कम्प्यूटर खराब ह्वे तो मीन टेक्नीशियन नि भट्यै बल्कण मा अखबार मा आजौ भविष्य बांच।

मि खौंळे  ग्यों कि हरेक अखबार मा कैप्रीकॉर्न का बारा  मा हरेक अखबार मा प्रसिद्ध ज्योतिष्यों का अलग अलग भविष्यवाणी छे -

१- आज आपको कोई खास दोस्त धोखा देगा।  आज फेसबुक में आपको कडुवी टिप्पणी मिलने के आसार हैं। गाय  को घास  खिलाने से सब ठीक हो जायेगा।

२- कोई घर का सदस्य बीमार पड़ेगा। मगल की डीएसए ठीक करने के लिए बुधवार को शनि मंदिर जाएँ। सरसों का तेल चढ़ाएं

३- आपके चेहते को  गुर्दे  की बीमारी होगी।  लाल कपड़ा दान दें।

ज्योतिषी , कंसल्टैंट अर कबि बि सकारात्मक भविष्य वाणी नि करदन बल्कण मा हमेशा नकारात्मक भविष्यवाणी करदन।  जन कि नरेंद्र मोदीन डिजिटल इण्डिया योजना लांच कार तो हरेक टीवी चैनलुं मा डिजिटल इण्डिया का फायदा पर बहस नि ह्वे अपितु नकारात्मक पहलुओं पर ही बहस ह्वे।  मीन अपण वैदिन वैदिनो भविष्य पौढ़ तो नकारात्मक भविष्यवाणी ही छे।  घरवळि बजार जाणो तयार छै तो मीन घरवली से ब्वाल बल तीन काम बि कौर दे -रस्ता मा गाय  तै घास खलै दे , कै भिखारी तै सस्तो से सस्तो लाल रुमाल  दान दे दे अर कखिम बि कै मंदिर मा तेल चढ़ैक ऐ जै।

द्वीएक घंटा मा बिल्डिंग माँ ऐका फल सब्जी बिचण वळ , ब्रेड बटर बिचण वळ , रद्दी खरीदण वळ, काम वळि नारियों से सरा बिल्डिंग मा खबर फैलि गे कि म्यार कम्प्यूटर खराब ह्वे गे।  हमर बिल्डिंग मा संचार व्यवस्था सब्जी , फल ,ब्रेड बिक्रेताओं , काम वळि नारियों आदि का हतुं  पर च तो समाचार सही ढंग से सब जगा फ़ैल जांदन।

आनंद सिंगौ फोन आइ - सॉरी ! सॉरी ! वेरी सॉरी ! भीष्म ! मीन सब्जी बिचण वळि बाइ से सूण बल त्यार कम्प्यूटर खराब ह्वे गे ?

मि (कमजोर  आवाज मा )- हाँ।

आनंद सिंग - मीन बोलि छौ ना कि ब्रैंडेड कम्प्यूटर खरीदण चयेंद।  अनब्रैंडेड कम्प्यूटरों मेकैनिक मिलदा बि नि छन।

गोपाल  दाक फोन आई - भीषम ! काम वाळी बाइ बताणी छे बल त्यार कम्प्यूटर खराब ह्वे गे।

मि (रुणफती आवाज मा )- हाँ।  बस मि फेसबुक मा जोक्स डाळणु इ छौ कि कम्प्यूटर बंद पड़ गे।

गोपाल दा - म्यार सड्डू भाइक कम्प्यूटर बि इनि खराब ह्वे छौ।  वैन तो कम्प्यूटर स्टोव का पास धार तो कम्प्यूटर ठीक ह्वे गे छौ।  तू इन कौर कम्प्यूटर स्टोव का पास दौर दे।

मीन कम्प्यूटर जलदो गैस स्टोव का पास कम्प्यूटर धर  दे।

वर्डस्प की मदद से बिल्डिंगौ लोगुंन सरा दुन्या मा बात फैलै दे कि भीष्मौ कम्प्यूटर खराब ह्वे गे।

कनाडा से परेश्वार  जीक फोन आयि -क्या भै ! रद्दी वळ बताणु छौ कि  कम्प्यूटर खराब ह्वे गे ?

मि (जुकामी आवाज मा ) हाँ जी ! फेसबुक मा जोक्स …

पारेश्वर  जी - म्यार मम्या ससुराक कम्प्यूटर खराब ह्वे तो ऊंन कम्प्यूटर का स्विच जोर जोर से कुचेन तो कम्प्यूटर ठीक ह्वे गे।  कबि कबि वायर  कॉन्टेक्ट लूज ह्वे जांदन।
मीन स्टोव का पास धर्युं कम्प्युटरौ स्विच जोर से कुचेन।
लंदन बटें विजय अंथवाळौ फोन आयी अर सलाह दीण बिसेन कि बरसात मा कम्प्यूटर पार्टसुं पर   कार्बन , डस्ट अर म्वाइस्चर जम जांदो त माइल्ड टेम्परेचर पर हेयर ब्लोअर घुमै द्यावो।
जन कि हूंद च कि डाक्टर बीमार तै तीन टीमों गोळी दींदु पर दुख्यर जल्दी चौड़ सुखीर हूणै इच्छा से तीन टैमो गोळी इकु टैम खै दींदु।  मीन बि हेयर ड्रायर तै हाइस्ट टेम्प्रेचर पर रखिक कम्प्यूटर पुटुक घुमै दे।

चूँकि मीम वर्डस्प नी च त दिन मा बीस फोन ऐन कि ऊंक सगा संबंधियोंका कम्प्यूटर बि खराब ह्वे छौ अर ऊंन इन तन  कौरी छै तो  ऊंक  कम्प्यूटर ठीक  ह्वे गे छौ।

मि उनि करदो ग्यों जन जैन सलाह दे।

स्याम दैं बड़ नौनु ड्यार आई तो वै तै पता चौल कि कम्प्यूटर खराब ह्वे गे।  वैन वैबरी गूगल सर्च से मैकेनिक  बुलाई।

मैकेनिक  म्यार कम्प्युटरौ हालात देखिक बेहोस ह्वे गे।

मैकेनिकन पूछ - ये कम्प्युटरक स्विछ कैन झमडैन ?
मि -वू एकान सलाह दे कि कॉन्टेक्ट लूज ह्वे जांदन तो  ....

मैकेनिक - अर यु कम्प्यूटर कैन हिलाइ कि सब वायरिंग खराब ह्वे गे ?
मि - दोस्तुंन सलाह दे कि कम्प्यूटर हलाण डुलाण से कम्प्यूटर ठीक ह्वे जांद तो मीन    ……

मैकेनिकन पूछ - यु कम्प्यूटर आग मा कैन धार ?

मि -वु म्यार दगड्यान सलाह दे छै कि स्टोव का पास धौर दे।

मैकेनिक -हाँ पर कुछ पार्ट जळ गेन।
मैकेनिकन फिर प्रश्न  कार - अर हॉट एयर ब्लोअर कैन यूज कार ? सब कनेक्सनुं मेटल पिघळ गे।
मि -मीन इ।  एकान सलाह दे कि डस्ट , कार्बन आदि हटाणो बान हेयर ब्लोअर    ....

मैकेनिक - कम्प्युटरौ बुगचा बणै दे।  अब कम्प्यूटर तै म्यार वर्कशॉप मा लिजाण पोड़ल अर कमसे कम द्वी दिन लगल ठीक करण मा।

म्यार बडु नौनु - पापा आप भी ना ? जब बि आप बीमार हून्दा त फेमिली डॉक्टरम जाणो बजाय यार दोस्तों अर झोला छाप वैदुं सलाह पर दवै खांदवां।  प्लीज फौर गौड  सेक डोँट ट्राई दोज  नौन लॉजिकल रेमिडीज विद कम्प्यूटर। 

द्वी दिन बाद कम्प्यूटर ठीक ठाक ह्वेक आई अर तब जैक मि इंटरनेट अर फेसबुक मा आण लैक हों।


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                                     राजनीतिज्ञों  की  4   मुख्य समस्याएं

                                    चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती

                अजकाल राजनीतिज्ञ पत्रकारिता से संबंधित भौत सि समस्याओं से घिर्यां छन।  चौछ्ड़ी पत्रकारुं कन्दूड़ , आँख , कैमरा अर स्टिंगौ कैमरा लग्यां छन अर भौत सा नेता तो सार्वजानिक स्थानका वातानुकूलित शौचालय मा जाण से घबराँदन बल कखि ऊख बि कैमरा नि हो अर फिर    .... .। समस्या सैकड़ों छन पर मीन बड़ो अन्वेषण का बाद पता लगाई कि राजनीतिज्ञों पत्रकारिता संबंधी 5 मुख्य समस्या छन।

                                       1 -     गिच्च पर म्वाळ

            गिरिराज सिंह , साध्वी , साक्षी महाराज अर सोमनाथ भारती सरीखा नेताओं की सबसे बड़ी समस्या या च बल यूँ तै स्वतंत्र भारत मा स्वतंत्रता से बुलणो स्वतंत्रता नी च। यी बिचारा जनता की भौण मा कुछ बि बुल्दन कि एक सेकंड मा ब्रेकिंग न्यूज बण जांदन अर हफ्ताउं तक पत्रकार वै एक शब्द का पैथर पड़ जांदन जन बुलया विश्व भर की समस्या बस वी शब्द हो।  अब बताओ आम जनता बि बुल्दी कि मेमन , दाऊद से इथगा इ सिम्पैथी च त जावो पाकिस्तान ! पर जब जनभावनाओं की कदर करणो शिरोमणि गिरिराज सिंग या ही बात बुल्दन तो पत्रकारुं तै हजम नि हूंद अर हफ्ता तक टीवी चैनलों मा 'त जावो पाकिस्तान !'  बयान ब्रेकिंग न्यूज बण्यु रौंद।  बिचारा सोमनाथ भर्ती बि आजाद हिन्दुस्थान मा अभिव्यक्ति की गैरआजादी से परेशान छन , अरे सुंदर सी सुंदर औरत बुलण एक मुहावरा च अर यी पत्रकार ये शब्द मा सेक्स दीखणा छन  तो इखमा सोमनाथ भारती की क्या गलती ? मन तो पत्रकारुं च खराब।

        बाणी पर लगाम से सबि नेता छन परेशान। नेता छन अर गिच्च पर म्वाळ हो तो बिचारा नेता कख जावन बिंदास , बेहिसाब , बेहिचक बुलणो ? क्या चीन जावन क्या ?

                                           2 - हथ खुट्टूं पर कुटंसि (बेड़ी )


            नेता बि त मनिख छन।  ऊंक बि त हथ खुट खयान्दन।  नेताओं का हथ खुटुं पर खज्जि  लगद।  तो खज्जि मिटाणो बिचारा संसद या विधान सभा मा घूंसा , लती चलांदन तो जनता अर पत्रकार बुल्दन बल यु त असंसदीय करतब छन।  अरे फिर हथ खुटुं खज्जि कख मिटावन यी नेता ? चीन मा ? जख प्रजातंत्री आजादी नी च उख मिटाण हथ -खुट्टूं खज्जि ?

       फिर नेता छन तो यूंक खुट बि खयाणा रौंदन कि क्वी क्या सबि बड़ा से बड़ा अधिकारी खुट मा पोड़न अर खुट चाटन।  खुट अधिकार्युं चाटणो बान रगर्याणा रौंदन अर अधिकार्युं मुंड बि नेताओं खुट से प्रेमालिंगन करणो आतुर रौंदन किन्तु पत्रकारुं तै नेताओं का खुट अर अधिकार्युं जीब प्रेम , नेताओं पद  अर अधिकार्युं हस्त मिलन अर नेताओं खुट अर अधिकार्युं मुंड मुहब्बत से बिलकुल नफरत च अर यदि क्वी अधिकारी नेता तै सिवा लगांद तो पत्रकार भयात नेताओं पैथर इन पोड जांद जन बुल्या कै मुसल्मानन सुंगर  प्रशसा कर दे हो या क्वी हिन्दू गौ मांश प्रेमी ह्वे गे हो।

           अच्छा हरेक मनुष्य खेल प्रेमी हूंद अर यदि रुड़की का विधयक कुंवर जन नेता हड़क सिंग जन नेता का स्वागत मा पीतल फायरिंग कर द्यावो तो बि पत्रकार हो हल्ला मचै दींदन।  भई भारत मा खेल वृद्धि वास्ता यदि पार्टी सार्टयूं मा बंदूक संदूक , गन  फन चल बि जवान तो कै तै क्या ऐतराज ?

                             3 -प्रेम , मुहब्बत , लव  जन सास्वत भावना उजागर करण पर पाबंदी

  अब सब नेता दिग्विजय जन बेशरम तो ह्वे नि सकदन जु अपण प्रेम तै खुलेआम इंटरेंट मा उजागर कर साकन।  अब द्याखो न शरमदार नारायण दत्त जीन तो पत्रकारुं अर दुन्या डौरान अपण प्रेम कथगा सालुं तक लुकाई , छुपाई।   पर अधिकतर नेता अपण प्रेम तै उजागर करण चांदन किन्तु जनता अर पत्रकार प्रेम तै भारत विरोधी माणदन अर ये कारण बकौल जेटली -भौत क्या अधिसंख्य नेता बिचारा कुंठित छन कि यी अपण प्रेम मीराबाई तरां उजागर नि कर सकणा छन।

                                    4  -अर्णब गोस्वामी


          यद्यपि नेताओं की सबसे बड़ी समस्या टाइम्स नाउ का अर्णब गोस्वामी च पर क्वी बि नेता स्वीकार नी करणु कि नेताओं की सबसे बड़ी, पैली  अर आखरी समस्या टाइम्स नाउ का अर्णव गोस्वामी च।  नेता परेशान छन कि अर्णव गोस्वामी द्वी मिनट तक ऊँ से  सवाल करदु अर जब नेता जबाब दीणो बान मुख खोलिक  बुल्दु -अर्णब  …… तब तलक अर्णव गोस्वामी बुलण बिसे जांद कि विरोधी नेता रिबक (प्रतिक्रिया ) मा कुछ बुलण चांद ।  सबी नेताओं की टाइम्स का स्वामी शाहू -जैन परिवार से दरख्वास्त च कि अर्णव गोस्वामी तै तुरंत  हटाये जावो। 


  आपका विचार से नेताओं की हौर मुख्य समस्या क्या क्या छन ?


                                                           


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Bhishma Kukreti

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                    चिरयौवना भुंदरा बौ भिखारण  किलै बणन चाणि  च ?


                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती



चिरसुन्दरी भुंदरा बौ -ये सुंदरा सूण !

मि -अरे ये बौ।  तू कख छे मीन त्यार लैंड लैन पर फोन ट्राई कार।

चिरयौवना भुंदरा बौ -औ मि देहरादून अयुं छौं।

मि -यु ठीक नी च हाँ , जवान छोरी देहरादून सरीका शहर मा हो।  पता च उख नारायण दत्त जी बि रौंदन।

चिर कांत कामिनी भुंदरा बौ -अरे सुंदरा , मि मजाकौ मूड मा नि छौं।

मि -हैं तो ?

चिर प्रफुलित भुंदरा बौ -मि आज गंभीर मूड मा छौं।

मि -गंभीर ? क्या क्वी बीमार च ?

भुंदरा बौ -ना रे ना।  मि असल मा मेकअप का सामान खरीदणो देहरादून अयुं छौं।

मि -हैं ! ये बौ क्या काण्ड लगाणि छे ?  तू अर मेकअप ? त्वे तै मेकअप की जरूरत ? क्या भैजि दुसर ब्यावक सुचणा छन ?

भुंदरा बौ -अरे त्यार बि ना।  फोकट मा दिमाग लगांदि तू। मेकअपक सामान सुंदर दिख्याणो  ना गंदो दिख्याणो बान चयेणु च।

मि -हैं ? शेरनी  बिल्ली बणन चाणि च ? बाघणी  स्याळण  बणन चाणि  च ? राहुल गांधी नरेंद्र मोदी बणन चाणु च ?

अमीर भुंदरा बौ -हाँ बुबा।  इन बता भिखारन बणनो बान क्या सामान चयेंद ? मीन भिखारन बणनाइ ।

मि -हैं ? पर गांव मा कैन नि बवाल कि त्यार दिवाला निकळ गे।

भुंदरा बौ -अरे सवाल नि कौर बिंडी।  तू सिरफ़ इन बता कि भिखारन बणनो बान क्या क्या सामान चयेंद ?

मि -चिरीं फटीं धोती कि गंदु सि पेटीकोट बि दिखे जावो , गंदो सि बिलोज , नाक आँख , गिच से लाळ चुवो टी भौत बढ़िया , नाक  से नकधारा, आँख से कुछ पीप , कटोरा , कटोरा मा दस दस का नोट , अर शकल जरा काळी कलूटी सि  …
भुंदरा बौ -ठीक ठीक च मीन यु सब सामन खरीद याल अर मेकअप बिचण वाळन सचमुच की भिखारन से बि मिलवै दे तो वींन कुछ टिप्स बि देन।  भौत कॉपरेटिव हूंदन  हाँ भिखारिन।

मि -यां पर तू भिखारन बणन किलै चाणि छे ?

भुंदरा बौ -अरे बाबा पापी पेट का सवाल च।  अच्छी नौकरी च भिखारिन कु।

मि -नौकरी भिखारिन की ?

भुंदरा बौ -हाँ नौकरी मा तनखा बि मीललि  अर भीख मा जु बि मीलल  सो बोनस।

मि -ये बौ तू क्या बुनि छे मेरी तो समज मा नी आणि च।

भुंदरा बौ -अरे मीन सरकारी नौकरी कुण अप्लाई करणाइ।  भिखारिन की नौकरी। सरकारी भिखारन !

मि -सरकारी भिखारन ?
भुंदरा बौ -हाँ सरकारी भिखारन।

मि - सरकार अब भिखारण्यूं तै अप्वाइंट करणि च ?

भुंदरा बौ -हां अब सरकार तै ऑफिसियल ब्यगर्स चयेणा छन।

मि -क्यांक बान ? किलै ? सरकारौ मंगत्यौं से क्या काम ?

भुंदरा बौ -अरे क्या च सरकार जु काम करणि च ना अर अपण कामौ बखरबान टीवी , समाचार पत्रों से करणी च तो लोगुं पर वांक फरक नी पड़णु च।  लोग समजणा इ नि छन कि मोदी सरकार कुछ करणी बि च।   

मि -हाँ त भाजपा का कार्यकर्ताऊं कर्तव्य च कि वु सरकारों काम तै जनता तै बतावन कि सरकार जनहित मा क्या क्या काम करणि वह।

भुंदरा बौ -अरे एक तो भाजपा वळ बि कॉंग्रेसी कार्यकर्ता जन ह्वे गेन।  वूंक सुचण च कि अब हमारी सरकार च तो कार्यकर्ताओं तै आराम करण चयेंद। सरकारी दाल का कार्यकर्ताओं तै जनता का बीच जाणै जरूरत नी च अर फिर   … 

मि -अर फिर क्या ?
भुंदरा बौ -फिर भाजपा का कार्यकर्ताओं तै बि कुछ पता नी लगणु च कि सरकार क्या काम करणि च तो सरकार स्वयं ही अपण कामौ प्रोपेगेंडा भिखार्युं जरिये कराण चाणि च।

मि -तो अब भिखारी सरकारी प्रोपेगेंडा कारल ?

भुंदरा बौ -हाँ तीन हजार प्रशिक्षित भिखारी सरा भारत मा घूम घूमिक, ट्रेन मा , बस मा , गली गली जैक , गाँव गाँव भटकिक , गाणा गैक , थाळी बजैक , कटोरा फोड़िक लोगुं तै बताल कि मोदी सरकारन जनहित मा क्या काम कार अर अग्वाड़ी क्या काम कारली।

मि -हाँ विचार तो बढ़िया च।  बिलकुल अभिनव विचार , इन्नोवेटिव स्ट्रेटेजी , नई रणनीति।

भुंदरा बौ -चूँकि अब भाजपा का अकर्यकर्ता गौल जन अळगसी ह्वे गेन तो हम भिखारियों की फ़ौज हरेक भारतीय तै बताली कि 'अच्छे दिन अ गए हैं ' 'और आगे हौर बी अच्छे दिन आएंगे '।

मि -एक बात बतादि कि तीमा या सूचना कखन आयी ?

भुंदरा बौ -मीन नेट पर टाइम्स ऑफ इण्डिया की न्यूज पौढ़। Govt. to Now Train 3000Beggars to Sing Songs of Praise for Their Policies .

मि -एक मिनट जरा मी बि टाइम्स ऑफ इण्डिया चेक करदु कि क्या न्यूज च ?
भुंदरा बौ -हाँ हाँ चार तारीकौ सम्पादकीय लेख च।
मि -औ।  हाँ न्यूज तो छ पर   …
भुंदरा बौ - तो ? क्या पर ?
मि - न्यूज का साथ साथ लिख्युं च Just /Jest
भुंदरा बौ - मतलब ?
मि - मतलब यु सम्पादकीय प्रहसन समपदकीय च।
भुंदरा बौ - हैं कन काण्ड लगिन ? अब तो टाइम्स सरीखा पेपर बि पाठ्कुं दगड़ मजाक करण मिसे गे ?


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                      भुंदरा बौ बिट्टू  खोज मा इनै उनै किलै  डबखणि होलि   ?

                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती


मि -ये बौ

चिरसुंदरी भुंदरा बौ -सुणा !

मि -चलती क्या खंडाला ?

चिर यौवना भुंदरा बौ -अपणी छौनी तै लीजा खंडाला।

मि -क्या बात ? आज मूड खराब च ?

कांत कामिनी भुंदरा बौ -अरे इथगा डबखूंगी तो मूड खराब इ होगा कि ना ?

मि -तू डबखणी छे ? क्या बुनि छे ?
भुंदरा बौ -हाँ आज सुबेर से पांच गां पतड़ेन मीन। अर छटों तरफ जाणु छौं। 

मि -हैं क्या ह्वे गे ? जगरी की खोज मा गाँव गाँव जाणि छे ? अजकाल गढ़वाळम  जगरी मिलदा नि होला त ?

भुंदरा बौ -ना रै सुंदरा ना।

मि -त पुछेरुं बि अकाळ पोड्युं च गाउँ मा , पुछेर ?

भुंदरा बौ -ना भै ना।

मि -त ल्वार तमोटों खोज ?

भुंदरा बौ -अरे जब खेती पाती नी च त ल्वार तमोटों क्यांकि खोज ?

मि -त त मे सरीखा द्यूरौ खोज ?
भुंदरा बौ -अरे ना भै।

मि -तो डाक्टर , साक्टर ?

भुंदरा बौ -अरे डाक्टर साकटरों  बान कोटद्वार जाँदा हम।  इख गाउंमा डाक्टरुं  क्या काम ?

मि -तो फिर गाँव गाँव ? क्या तीन दीक्षा तो नि लि याल ?

भुंदरा बौ -मि त दीक्षा ले बि ल्योलु त्वे सरीखा द्यूर मि तैं साधवी रणि द्याला ?

मि -त बता तो सै कि ह्वाइ क्या च ? क्यंकि खोज ?

भुंदरा बौ -अरे वु भुतकला जोर नीन ?

मि -हाँ वा दादि।  क्या बीमार च ?
भुंदरा बौ -लुचड़ आणु च ऊँ कुण ? क्या सुंदर छन।

मि -हाँ तो ?

भुंदरा बौ -दिल्ली मा ऊंकी बेटी क बेटी  च चार सालुं कि।

मि -हाँ हाँ पता च। शकुंतला फूफू।

भुंदरा बौ -त क्या ह्वाइ कि शकुंतला फुफ्या सासु  बीमार छन  तो चार पांच मैना कुण वूं फुफ्या सासुन अपण चार  सालुं बेटी इख भेजी दे। वींक नाम च सूजी, दिल्ली मा नामुँ बि अकाळ पोड़ि गे।  सूजी !

मि -औ त भुतकला दादि नातण पळणि च ?

भुंदरा बौ -हाँ।

मि -फिर ?
भुंदरा बौ -फिर क्या द्वी दिन बिटेन सूजी रुणि च।

मि -तब्यत खराब ?

भुंदरा बौ -ना ना।  बस बिट्टू बिट्टू की रट लगाईं च वीं सूजी  की।  रात  दिन रुंद रुंद बुलणि च -बिट्टू बिट्टू।

मि -बिट्टू की रट ?

भुंदरा बौ -दिल्ली फोन करिक  पूछ तो पता चल कि जब बी सूजी तै अपण हम उमर बच्चों दगड़ खिलणै इच्छा हूंदी तो वा बुल्दी - बिट्टू , बिट्टू।

मि -वौ त सूजी दगड्या -दगड्याण्युं   कुण बिट्टू बोल्दि। अर बीस पच्चीस दिन से वीं तै क्वी हम उमर बच्चा नि मीलेन तो वा बिट्टू बिट्टू करिक चिल्लाणि च।

भुंदरा बौ -हाँ सूजी तै हमउमर दगड्या दगड्याणि चयेणी छन।  अर द्वी दिन बिटेन रुणि च बस कि बिट्टू , बिट्टू।

मि -तो ?
भुंदरा बौ -अरे हमर गां मा मनिखूं  बच्चा तो राइ दूर घुघत्युं बच्चा बि नि छन तो वींकुण कखन बिट्टू लाण।

मि -हाँ बच्चा क्या जवान बि नि छन। 

भुंदरा बौ -तो मि सूजी तै लेकि पल्ली गौं ग्यों।  उख डक्खुकी बेटी अम्बाला बटे अपण बेटी लेक आयीं छे। पर उख जैक पता च कि वा ब्याळि वापस अम्बाला चल गे।

मि -फिर ?

भुंदरा बौ -फिर मीन सूण कि धरपुर्या गौं मा एक नेपाळी का  तीन सालै नौन च तो मि सूजी तै लेकि धरपुर्या गौं ग्यों।  तो उख पता चौल कि चूँकि ईख बच्चा नीन तो वै नेपाळीन अपण बच्चा नेपाल भेजी दे कि ऊख तो बच्चा बच्चों दगड़ रालो।

मि -फिर ?

भुंदरा बौ -फिर मीन सूण कि गदनपोरो गांव मा एक बंगाला देसी मजदूरो द्वी छुट छुट  बच्चा छन। मि गदनपोरो गौं ग्यों तो पता चौल वै बंग्लादेसीन अपण बच्चा पढ़णो कोटद्वार अपण स्याळीम भेजी देनि। 

मि -फिर ?
भुंदरा बौ -फिर क्या।  मै  पता चौल  कि उखड़ गौं मा एक मोची की  एक तीन सालौ बेटी च।  मि दौड़ दौड़ीक उखड़ गौं ग्यों तो उख बि वैन बच्चा नि हूण से अपणी बच्ची नजीबाबाद रिस्तेदारुंक इख भेजी दे।

मि -अब ?

भुंदरा बौ - छयों गां मा बच्चा -बच्ची मिल गे त ठीक निथर    …

मि -निथर ?
भुंदरा बौ -निथर क्या ? भुतकला जोर अर मि सूजी तै लेकि भोळ कोटद्वार जौंला अर क्या ? सूजी  तै हमउमर बच्चा तो मिलाणि पोड़ल कि ना ? इख गावुं मा ना सै शहरूं मा सै !

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                    उख कूड़ उजड़्यां छन ,  इख संस्था बंद पड़ीं छन त फेसबुक मा ग्रुप सुनसान पड़्यां छन

                                           चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती



                       गढवळि प्रवासी ह्वाओ या कुमाऊंनी प्रवासी , पिथौरागढ़ कु प्रवासी ह्वावो या प्रतापनगर टीरी  प्रवासी ह्वावो वु खुदेड़ हूंद , प्रवास मा वै तै अपण गांवकी, मैत की अपण पुंगडुं  खुद भगवती  नंदा देवी से बि अधिक खुद लगदी।  कख्याक बि प्रवासी ह्वावो वु ड्यार जाण मा असमर्थ हूंद अर गढ़वाल , का कुमाऊं  बारा मा वै तै जू बि खबर सार , रंत रैबार , समाचार मिल्दन वु इ जाणिक बड़ो भावुक ह्वे जांद कि गाँव मा कूड़ उजड़ना छन , पुंगड़ बांज पड़ना छन , स्कूल बच्चा बिहीन हूणा छन तो वु बड़ो व्यथित ह्वे जांद , बड़ो दुखी ह्वे जांद , चिंता से वु बेहोस ह्वे जांद।  सामाजिक वैदराज , अंजुमन हकीम सोसल डाक्टर इन व्यथित , खिन्न , उदास भावुक प्राणी तै सलाह दींदन बल इख शहर मा एक सामाजिक संस्था खोल जांसे उख गढ़वाल मा कूड़ आबाद ह्वे जावन , कूड़ मा मूसुं जगा मनिख रौण लग जावन अर पुंगड़ु मा मळसु फुळणो मरसु फुळण लग जावन।  बिचारा खुदेड़ प्रवासी जानवर  गढवळि गांवुं मा घट घर्र घर्र करवाणो बान , छनि -गौशाला मा स्याळु जगा गौड़ी बाँधणो बान , जंगळु मा लैन्टिना की जगा बांज -बुरांश उगाणो बान शहर मा संस्था खोली दींदु।  संस्था तो गढवळि प्राणी को ही च तो वु पैल पैल  शहर मा तूफ़ान , औडळ -बीडळ अर गाड -गदनो तरां बाढ़ लै जांद।   संस्था का बरसाती गदन वळ कार्यों से प्रवास्युं तै लगद बल या प्रवासी संस्था अवश्य ही गढ़वाल का कायापलट कर द्याली ।  किन्तु रघुकुल रीति सदा चल आई , गढ़वळि संस्था तूफ़ान , झंझावत, ज्वार  की तरां आन्दि अर भ्युंचळ , भाटा कु तरां कुछ हफ्तों मा सुन्न पड़ जांद।  उख जनि एक कूड़ उजड़दो ,इख एक संस्था खड़ी हूंदी।  उख एक पुंगड़ बांज पड़द त इख एक संस्था बांज पड़द।

              इनि हाल इंटरनेट मा बि च।  याहू या गूगल मा गढवळि कुमाउन्यूं का प्रदेश स्तर , जिलास्तर, गाँव स्तर , शहर स्तर पर दसियों ईमेल ग्रुप बणिन।  पैल पैल यि ग्रुप पहाड़ , पहाड़ी संस्कृति , पहाड़ी भाषाओं बान जोर से ऐक्टिवेट हून्दन अर अंत मा बरसाती गढवळि गाड गदनुं तरां असूज आंद आंद सूखी जांदन।

            फेसबुक जन सोसल माध्यम मा त बिंडी बिजोग पड़्यूं च। रोज एक नै ग्रुप खुल्दो अर ग्रुप मा वी उजड़्या कूड़ूं रूण ,सड़्यां पर्यो फोटो , खपटणा हुयां फुल्ट्यूं फोटो ,  म्वरदी गढवळि भाषा को हिंदी मा रूण आदि हून्दन।  पैल पैल ग्रुप क्रियेटर फेसबुक मा इन तूफ़ान मचांदो कि उत्तराखंड का भाजपाई अर कॉंग्रेसी नेता बि झसक जांदन कि कखि यु फेसबुक ग्रुप क्रियेटर चुनाव इ नि लड़ जावो। पर अंत मा कुछ दिन या मैना बाद फेसबुक का ग्रुप बि मड़घट जोग ह्वे जांद।  गांव या शहर मा क्वी लावारिश आदिम मर जावो तो सरकार ले अंत्येस्टी कर लेंदी पर फेसबुक मा इन लावारिस ग्रुपुं अंत्येष्टि बि नि हूंदी।  फेसबुक मा पुराणो ग्रुप बेडुपाको का इ हाल छन , यु सतरा -अठारा हजार सदस्यों वळ ग्रुप श्मशान जोग हुयूं च , क्वी एक सैं -गुसैं नी च , बांज पड़्यूं च।  इनि पौड़ी गढ़वाल ग्रुप का बि हाल छन - क्वी दिखण वाळ इ नी च।

  हम कखि बि रौंवा चाहे ऑफ़लाइन मा सोसल वर्क करला या सोसल साइटुँ मा सोसल ग्रुप बणौवां हमर हाल सब जगा एकी च।  पैल पैल हम जोर से औंदा अर फिर द्वी चार दिनुं बाद तींदु पटाखा तरां फुस्स ह्वे जांदवां।

क्या या स्थिति बदलली ? आपक क्या बुलण च ?





12/8  /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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                    स्वच्छ भारत  , स्वच्छ भारत , बुद्धिमान भारत!


Bhishma Kukreti

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                    ये ब्वे ! ये फाणु झंग्वर से स्वाद इ हर्चि गे  !

                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती

 मि - यि क्या च ? ये झंग्वर मा स्वादि नी आणु च। जब कि छै मैना बाद फाणु झंग्वर पक। वी बि मुंबई मा।

ब्वे -कनो ! झंग्वर गिल्लु च ?

मि -ना।

ब्वे -झंग्वर फरफरु च ?
मि -ना।

ब्वे -ठीक पक्युं च ?
मि -हाँ।

ब्वे -तो ?
मि -त ! त ! मि तै लगणु च फाणु मा स्वाद नी आणु च ?

ब्वे -अच्छा ? फाणु मा स्वाद नी आणु च ?

मि -हाँ।

ब्वे - फाणु बकुळ बणि गे क्या ?
मि -ना।

ब्वे -फाणु पंद्यर त नि ह्वे गे ?
मि -ना ना सब ठीक च

ब्वे -कनो ? लूण -मर्च -मैणु मसल कम च  ?
मि -न्है सब बरोबर च।

ब्वे -जब सब कुछ ठीक ठाक च तो  स्वाद किलै नी आणु च ?

मि -पता नी पर वो स्वाद नी आणु च।  इन लगणु च स्वादि हर्चि गे।

ब्वे -एक बात बथादि कि जब तू गाँव मा छ्याई त सुबेर ल्याखन क्या करदु छौ।?
मि -सुबेर उठिक या त दस पंदरा पुंगड़ तौळ टट्टी जांद छौ।  हाँ बारा दैं गौळ उतरदो छौ अर बारा इ दैं गौळ चढ़दो छौ।

ब्वे -अर इख ?
मि -इख तो बेड रूम मा इ ट्वाइलेट च।

ब्वे -फिर तू टट्टी पेशाब का बाद करदो छौ ?
मि -फिर गौळ उतरण -चढ़ण मा भूक लग जांदी छे  रातक जु बि बच्युं रौंद छौ बासी कूसी सब निमाड़ी दींद छौ।

ब्वे -हूँ फिर ?

मि -फिर जु सुबेराक स्कूल ह्वावु त दूर पाणी बिटेन एक बंठी पाणी लांदु छौ अर दिनाक स्कूल हो तो स्कूल जाण से पैलि तीन बंठी पाणी लांद छौ।

ब्वे -अर फिर सुबेराक स्कूल हो तो द्वी मील उकाळिक  --उंधारिक रस्ता से स्कूल जांद छौ ?
मि -हाँ।

ब्वे -फिर स्कूल बिटेन घौर ऐक क्या करदो छौ ?
मि -भूक इथगा तेज लगदी छे कि जू बि हो सो घळा -घळ घूळि  दींद छौ।

ब्वे -फिर ?
मि -फिर खाणौ खैक गोर मा जांद छौ।  स्याम दै घौर आंद छौ।  बासी जू बि हो खाणक खांद छौ अर एक बंठी पाणी बि लांद छौ।

ब्वे -अच्छा ! इख क्या हूंद ?

मि -इख ? मुंबई मा ?

ब्वे -हाँ मुंबई मा ?
मि -कुछ ना।  कार से ऑफिस जाण , कार से आण।  अर ऑफिसम बस काम कु तनाव बस।

ब्वे -मतलब तू अब कुछ बि शारीरिक काम नि करदि ?
मि -नै जब सब सहूलियत छन तो क्यांक काम ?

ब्वे -अब जब शरीर से काम नि होलु तो भूक बि लगलि ?
मि -हूँ ! शायद कम लगलि। हाँ तेज भूक तो बिलकुल नि लगदी।
ब्वे -तो बुबा जब तेज भूक इ नि लगलि तो अमृत से   बि स्वाद हर्चि जांद।  शरीर से मशक्कत कौर अफिक भूक लगलि , अफिक स्वाद आलो।


13/8  /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
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